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शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

उद्देश्य


   "मेरे बालों को सूखने में इतना समय क्यों लग रहा है?" मैंने थोड़ा परेशान होते हुए अपने आप से प्रश्न किया। मैं जल्दी में थी और शरद ऋतु के ठण्डे मौसम में गीले बालों के साथ बाहर जाना नहीं चाहती थी। मैने अपने बाल सुखाने वाली मशीन को ध्यान से देखा और कारण सामने आ गया - अपनी भतीजी के उपयोग के लिए मैंने मशीन में उषमा का स्तर को ’मध्यम’ किया हुआ था, और अब अपने प्रयोग के लिए उसे पुनः ’उषम’ पर करना भूल गई थी। मैंने स्तर को अपनी आवश्यकता के अनुसार उषम किया और जल्द ही मेरे बाल सूख गए और मैं अपने काम पर बाहर निकल सकी।

   मैं कई बार विचार करती हूँ कि काश जीवन की परिस्थितियों को भी मैं उतनी ही सरलता से नियंत्रित और परिवर्तित कर सकती जैसे उस बाल सुखाने वाली मशीन को करती हूँ। यदि ऐसा हो पाता तो मैं अपने लिए जीवन की परिस्थितियों का स्तर ’हल्का’ ही रखती - ना बहुत ठण्डा और ना ही बहुत गर्म, बस आरामदेह। निश्चित बात है कि मैं कभी भी सताव की गर्मी और क्लेषों की ज्वाला को नहीं चुनती। लेकिन आत्मिक जीवन में हल्की गर्मी से काम नहीं चलता।

   परमेश्वर ने हम मसीही विश्वसियों को पवित्रता के लिए बुलाया है, पवित्र होना, अर्थात परमेश्वर के लिए पृथक होना - हर उस बात से जो परमेश्वर की दृष्टि में मलिन या अशुद्ध है; और पवित्रता जलाने वाला तापमान मांगती है। हमें परिशुद्ध करने के लिए कभी कभी परमेश्वर हमें दुख की भट्टी से होकर निकलने देता है। लेकिन साथ ही उसका अपने हर विश्वासी के साथ यह वायदा भी है कि "... जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी" (यशायाह ४३:२); ध्यान कीजिए, परमेश्वर ने ’यदि’ नहीं कहा, उसने कहा ’जब’, अर्थात ऐसा होना ही है। इसी संदर्भ में, प्रेरित पतरस ने अपनी पत्री में मसीही विश्वासियों को चिताया कि "हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है" (१ पतरस ४:१२)।

   हम में से कोई नहीं जानता कि कब हमें अग्नि से होकर निकलना पड़ेगा, या जिस भट्टी से हमें निकलना होगा उसका तापमान कितना होगा। लेकिन हम इतना जानते हैं कि उस भट्टी से होकर निकलने देने में परमेश्वर का उद्देश्य हमें नाश करना नहीं वरन हमें शुद्ध और निर्मल करना है जिससे हम उसके लिए और भी अधिक उपयोगी हों तथा और भी अधिक उसकी महिमा का कारण ठहरें और हमारे जीवन उसकी आशीषों के फलों से भर जाएं। उस भट्टी में हम अकेले नहीं होंगे, हमारा परमेश्वर भी हमारे साथ होगा और सहायक होगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी पवित्रता को परिशुद्ध करने के लिए परमेश्वर हमारे आस-पास के तापमान को बढ़ा देता है।

जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी। - यशायाह ४३:२

बाइबल पाठ: यशायाह ४३:१-१३
Isaiah 43:1 हे इस्राएल तेरा रचने वाला और हे याकूब तेरा सृजनहार यहोवा अब यों कहता है, मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम ले कर बुलाया है, तू मेरा ही है।
Isaiah 43:2 जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी।
Isaiah 43:3 क्योंकि मैं यहोवा तेरा परमेश्वर हूं, इस्राएल का पवित्र मैं तेरा उद्धारकर्ता हूं। तेरी छुड़ौती में मैं मिस्र को और तेरी सन्ती कूश और सबा को देता हूं।
Isaiah 43:4 मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूं, इस कारण मैं तेरी सन्ती मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूंगा।
Isaiah 43:5 मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूं; मैं तेरे वंश को पूर्व से ले आऊंगा, और पच्छिम से भी इकट्ठा करूंगा।
Isaiah 43:6 मैं उत्तर से कहूंगा, दे दे, और दक्खिन से कि रोक मत रख; मेरे पुत्रों को दूर से और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी की छोर से ले आओ;
Isaiah 43:7 हर एक को जो मेरा कहलाता है, जिस को मैं ने अपनी महिमा के लिये सृजा, जिस को मैं ने रचा और बनाया है।
Isaiah 43:8 आंख रहते हुए अन्धों को और कान रहते हुए बहिरों को निकाल ले आओ!
Isaiah 43:9 जाति जाति के लोग इकट्ठे किए जाएं और राज्य राज्य के लोग एकत्रित हों। उन में से कौन यह बात बता सकता वा बीती हुई बातें हमें सुना सकता है? वे अपने साक्षी ले आएं जिस से वे सच्चे ठहरें, वे सुन लें और कहें, यह सत्य है।
Isaiah 43:10 यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने इसलिये चुना है कि समझ कर मेरी प्रतीति करो और यह जान लो कि मैं वही हूं। मुझ से पहिले कोई ईश्वर न हुआ और न मेरे बाद कोई होगा।
Isaiah 43:11 मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं।
Isaiah 43:12 मैं ही ने समाचार दिया और उद्धार किया और वर्णन भी किया, जब तुम्हारे बीच में कोई पराया देवता न था; इसलिये तुम ही मेरे साक्षी हो, यहोवा की यह वाणी है।
Isaiah 43:13 मैं ही ईश्वर हूं और भविष्य में भी मैं ही हूं; मेरे हाथ से कोई छुड़ा न सकेगा; जब मैं काम करना चाहूं तब कौन मुझे रोक सकेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १७-१८ 
  • मत्ती २७:२७-५०


गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

मित्रता


   सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट फेसबुक को सन २००४ में कॉलेज के छात्रों के आपस में इन्टरनैट द्वारा संपर्क बनाए रखने के लिए आरंभ किया गया था। अब यह सभी के लिए खुली है, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इसके करोड़ों सद्स्य हैं और केवल व्यक्ति ही नहीं संस्थाएं, पत्रिकाएं, व्यवसाय इत्यादि सभी इस के द्वारा अपनी मौजूदगी को बताते हैं और संपर्क बढ़ाते हैं। फेसबुक के प्रत्येक सद्स्य का अपना पृष्ठ होता है जिसपर वह अपने बारे में विवरण, अपनी फोटो, अपनी पसन्द-नापसन्द इत्यादि लिख कर प्रदर्षित कर सकता है; यह जानकारी केवल उसके ’मित्र’ ही देख सकते हैं। यहाँ पर ’मित्र’ बनाने का अर्थ है उसे अपने पृष्ठ पर दी गई जानकारी को देखने की अनुमति देना और उसके साथ संपर्क तथा संवाद के लिए द्वार खोलना। फेसबुक की यह ’मित्रता’ अनौपचारिक तथा सतही, अथवा प्रगाढ़ हो सकती है; मित्रता चाहे जैसी भी हो, लेकिन सदा ही होती है मित्रता का निमंत्रण देने और स्वीकार करने के द्वारा ही।

   प्रभु यीशु ने, अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से थोड़े से समय पहले ही अपने शिष्यों से कहा था, "जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं" (यूहन्ना १५:१४-१५)।

   सच्ची मित्रता की पहचान उसके निस्वार्थ, एकमन और पूर्णतः भरोसेमन्द होने से होती है। प्रभु यीशु ने मित्रता के यह गुण निभा कर दिखाए, न केवल तत्कालीन चेलों के प्रति, वरन तब से अब तक अपने ऊपर विश्वास करने वाले प्रत्येक जन के प्रति भी। उसने संसार के हर जन के लिए अपने प्राण बलिदान किए जिससे कि उन्हें पापों की क्षमा और उद्धार का मार्ग मिल जाए। तब से लेकर अब तक उसका निमंत्रण संसार के हर जन के लिए खुला है। जो उसके निमंत्रण को स्वीकार करता है और उससे पापों की क्षमा माँग कर अपने जीवन को उसे समर्पित करता है, वह उसके मन में बसता है, उसके पाप के दोष को मिटा देता है, उसके मन की मलिनता को स्वच्छ करता है, सदा उस के साथ बना रहता है, उसे शांति और सामर्थ देता है, जीवन के निर्णयों और समस्याओं में उसका मार्गदर्शन और उसकी सहायता करता है और परमेश्वर के स्वर्गीय परिवार का सदस्य बना देता है। 

   पिछले लगभग दो हज़ार वर्षों से संसार के करोड़ों करोड़ लोगों ने प्रभु यीशु के निमंत्रण को स्वीकार करके अनन्त और आशीषित जीवन पाया है और परमेश्वर के स्वर्गीय परिवार का अंग, मसीह यीशु के साथ परमेश्वर के राज्य के संगी वारिस बन गए हैं - क्या आप भी उन में से एक हैं? यदि नहीं, तो प्रभु यीशु का निमंत्रण आपके लिए अभी भी खुला है; इस सन्देश के द्वारा उसने एक बार फिर अपना हाथ आपकी ओर बढ़ाया है; अब उसके इस बढ़े हुए हाथ को थामना या उसे ठुकरा देना यह आपका निर्णय है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु हमारी मित्रता का अभिलाषी रहता है।

जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। - यूहन्ना १५:१४

बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:९-१७
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १५-१६ 
  • मत्ती २७:१-२६


बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

महान एवं महिमामय


   यरुशलेम में परमेश्वर यहोवा के मन्दिर में गाए जाने वाले एक स्तुतिगीत के शब्द "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं" (भजन ४६:१०) परमेश्वर की महानता पर मनन करने को स्मरण कराते हैं। परमेश्वर की महिमा करते रहना और उसकी महानता को स्मरण रखना उसके प्रति सही रवैया बनाए रखने और अपने जीवनों में उसे उचित प्राथमिक स्थान पर बनाए रखने में हमारी बहुत सहायता करता है। परमेश्वर की महिमा और अपने जीवनों में उसे महान रखने के लिए हम उसके गुण, उसके नाम और उसके व्यक्तित्व को आधार बना सकते हैं।

   उसके गुण - यहोवा पूर्णतः विश्वासयोग्य, अनन्त, सर्व-ज्ञानी, सर्व-सामर्थी, सर्व-विद्यमान, अपरिवर्तनीय, अटल, परम-पवित्र, कृपालु, धीरजवन्त, न्यायी, निष्पक्ष, अपरिमित परमेश्वर है। वह पूर्णतः सिद्ध, धर्मी, बुद्धिमान, महिमामय है। वह अपनी सृष्टि से प्रेम रखता है, उनके साथ व्यक्तिगत रीति पर संपर्क रखता है, उनके प्रति करुणामय रहता है और उनके लिए सुलभ एवं उपलब्ध रहता है। वह त्रिएक तथा स्वयंभू है।

   उसके नाम - परमेश्वर यहोवा को उसके वचन बाइबल में अनेक संज्ञाएं दी गईं हैं जो उसके गुणों को दिखाती हैं। बाइबल उसे सृजनहार, पालनहार, तारणहार, प्रेम, ज्योति, उद्धारकर्ता, रक्षक, अच्छा चरवाहा, प्रभु, पिता, शिक्षक भी कहती है। उसे सांत्वना देने वाला, महान, न्यायी, ’मैं हूँ’, सर्वशक्तिमान कहकर भी संबोधित किया गया है।

   उसका व्यक्तित्व - यहोवा शत्रु शैतान के विरुद्ध हमारी ढाल है; वह हमारी सामर्थ है; वह हमारा मार्गदर्शक है; वह संकट के समय हमारा दृढ़ गढ़ है जो अपने बच्चों की सुरक्षा अपनी आँख की पुतली के समान करता है, उनके लिए हर आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराता है, उनकी सामर्थ से बाहर किसी परीक्षा में उन्हें पड़ने नहीं देता और प्रतिपल उनकी देखभाल करता रहता है क्योंकि वह ना तो कभी ऊँघता है और ना कभी सोता है।

   परमेश्वर के गुणों पर मनन करें; उसके नामों पर विचार करें; उसके व्यक्तित्व को सराहें। उसे आदर दें, उसकी उपासना करें, उससे प्रेम करें, उसे अपने जीवनों में प्रथम स्थान दें, उसकी आज्ञाकारिता में बने रहें, उसे अपने जीवनों द्वारा संसार के समक्ष महान करें। यही सच्ची आराधना है, यही मसीही विश्वासी के जीवन का उद्देश्य है। - डेव ब्रैनन


जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो! - भजन १५०:६

...मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन ४६:१०

बाइबल पाठ: भजन ४६
Psalms 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psalms 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psalms 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।।
Psalms 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psalms 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psalms 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psalms 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psalms 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psalms 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psalms 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
Psalms 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १४ 
  • मत्ती २६:५१-७५

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

ज्वालामुखी


   उसमें विस्फोटक शक्ति है, अपने मार्ग में आने वाली हर वस्तु को वह भस्म कर डालता है और उसका प्रभाव आणविक विस्फोट के समान विनाशकारी होता है। जब क्रोध किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बना कर प्रदर्षित किया जाए तब वह किसी फटते हुए ज्वालामुखी के समान ही होता है। क्रोध के आवेश का वह समय चाहे थोड़े सी देर का ही हो लेकिन अपने पीछे ध्वस्त भावनाएं, आहत संबंध और पीड़ादायक कटु अनुभव छोड़ जाता है जो लंबे समय तक कष्ट देते रहते हैं।

   दुख की बात यह भी है कि वे लोग जिनसे हम प्रेम करते हैं और जिनके साथ हम समय व्यतीत करते हैं, वे ही हमारे क्रोध और आहत करने वाले शब्दों का सबसे अधिक शिकार होते हैं। चाहे हम आवेश में आकर क्रोधित हों या किसी बात से उकसाए गए हों, प्रतिक्रीया के लिए एक चुनाव सदा ही हमारे हाथ में होता है - हमारी प्रतिक्रीया क्रोध में होगी या संयम तथा सहनशीलता के साथ।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि "सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो" (इफिसियों ४:३१-३२)।

   यदि आप क्रोध करने की आदत से परेशान हैं और इसके कारण आपके संबंधों पर प्रभाव आ रहा है तो अपनी इस कमज़ोरी को प्रभु यीशु के हाथों में सौंप दें क्योंकि उसी की सामर्थ से आप इस पर जयवंत हो सकते हैं: "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों ४:१३)। परमेश्वर से अपने अनियंत्रित व्यवहार और क्रोध के लिए क्षमा माँगें और उस से प्रार्थना करें कि वह आपको अपनी भावनाओं और आवेश को नियंत्रित करने की सामर्थ दे तथा दूसरों को अपने से अधिक आदर देने वाला बनाए: "भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो" (रोमियों १२:१०)। अन्य परिपक्व मसीही विश्वासियों से सहायता लें, उनकी संगति में रहें और उनसे सीखें कि उत्तेजित होने पर अपने आप को कैसे संयम में रखें।

   यदि परमेश्वर का आदर करने, उसे प्रसन्न करने तथा उसके प्रेम को दूसरों के सामने प्रदर्शित करने की सच्ची मनोभावना मन में होगी तो अपने ज्वालामुखी समान क्रोध पर जयवन्त भी अवश्य होंगे। - सिंडी हैस कैसपर


दूसरों पर अपना क्रोध उँडेल देना क्रोध से छुटकारा पाने का तरीका नहीं है।

क्रोध करने वाला मनुष्य झगड़ा मचाता है और अत्यन्त क्रोध करने वाला अपराधी होता है। - नीतिवचन २९:२२

बाइबल पाठ: इफिसियों ४:२०-३२
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १३ 
  • मत्ती २६:२६-५०


सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

स्वाभाविक बात


   जिम प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार केरी के साथ बाँट रहा था। जिम ने केरी को समझाया कि कैसे पाप स्वभाव के साथ जन्म लेने और पापी होने के कारण परम पवित्र परमेश्वर के साथ सभी मनुष्यों के संबंध में रुकावट है और वे परमेश्वर की संगति से दूर हैं। जिम ने यह भी समझाया कि कैसे प्रभु यीशु ने समस्त मानवजाति के पापों को अपने ऊपर लेकर उनके पाप का दण्ड उनके स्थान पर सह लिया और अब प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा प्रभु यीशु की धार्मिकता हमें मिल जाती है और परमेश्वर के साथ संबंध तथा संगति की हर बाधा दूर हो जाती है। केरी उद्धार और पापों से क्षमा के सुसमाचार को मानने से बार बार एक ही बात को लेकर इनकार करती रही। केरी का कहना था कि जैसे जिम अब उससे बाँट रहा है वैसे ही, "प्रभु यीशु को अपने जीवन में ग्रहण कर लेने के बाद क्या मुझे भी इस बात को दूसरों के साथ बाँटना होगा? यदि हाँ तो वह मैं यह नहीं कर सकती, यह मेरे व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं है इसलिए मैं प्रभु यीशु को ग्रहण नहीं करुंगी।"

   जिम ने उसे फिर समझाया कि प्रभु यीशु के बारे में दूसरों को बताना प्रभु को ग्रहण करने के लिए कोई शर्त नहीं है; लेकिन हाँ प्रभु यीशु को ग्रहण कर लेने के बाद केरी स्वाभाविक रूप से और स्वतः ही संसार के सामने प्रभु यीशु की राजदूत अवश्य ही हो जाएगी (२ कुरिन्थियों ५:२०)। कुछ समय तक विचार करने के बाद केरी ने अपने पापों के लिए प्रभु यीशु से क्षमा मांगी, अपना जीवन प्रभु को समर्पित किया और प्रभु यीशु को अपने जीवन में आमंत्रित करके उसे अपने दिल में रहने का स्थान दिया। जिम के पास से वह प्रसन्नता तथा मन में आलौकिक शांति के साथ विदा हुई, वह बहुत रोमांचित भी थी। अगले २४ घंटों में कुछ अद्भुत और सर्वथा अनपेक्षित हो गया - अपने आप ही केरी ने तीन अन्य लोगों के साथ उस बात को बाँटा जो परमेश्वर ने उसके जीवन में करी, अर्थात अपने पापों की क्षमा और उद्धार पाने के बारे में, और उन्हें प्रभु यीशु के बारे में बताया!

   क्योंकि हम मसीही विश्वासीयों का प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप हो गया है, इसलिए परमेश्वर ने अब हमें यह मेल-मिलाप की सेवा भी सौंप दी है (पद १८) और अब "हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो" (पद २०)। यदि सेंत-मेंत मिले पापों की क्षमा और उद्धार के लिए हम परमेश्वर के धन्यवादी होंगे तो जो परमेश्वर ने हमारे जीवनों में जो किया है उसे दूसरों के साथ बाँटना हमारे लिए एक स्वाभाविक बात होगी। - ऐने सेटास


मसीह यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार से भला कोई समाचार नहीं है; इसे प्रसारित करते रहिए।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - २ कुरिन्थियों ५:१७

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:१२-२१
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्‍ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्‍ड करते हैं।
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे।
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ११-१२ 
  • मत्ती २६:१-२५


रविवार, 10 फ़रवरी 2013

शुभकामनाएं


   सिंगापुर में चीनी नव वर्ष के सामाजिक एवं व्यावसायिक सामूहिक प्रीतिभोज अधिकांशतः एक विशेष प्रकार के भोजन से आरंभ होते हैं जो बिना पकाए ही कई वस्तुओं को एक साथ मिलाकर बनाया जाता है। परंपरा है कि जितने लोग भोज में उपस्थित होते हैं वे सब मिलकर इन सब वस्तुओं को एक बर्तन में एक साथ मिलाते हैं और ऐसा करते हुए एक दूसरे के लिए नववर्ष में सौभाग्य लाने के लिए कुछ बातों को बोलते रहते हैं। इस भोजन पदार्थ का नाम है यू शेंग जो कि चीनी भाषा में ’समृद्धि का वर्ष’ कहे जाने के जैसा ही सुनाई पड़ता है।

   हमारे शब्द आते समयों के लिए हमारी भावनाओं और आशाओं को व्यक्त कर सकते हैं लेकिन वे शब्द किसी के जीवन में समृद्धि ला नहीं सकते। यह सामर्थ तो केवल परमेश्वर के पास है, इसलिए अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि हम विचार करें और जानें कि परमेश्वर हम से आते समयों के लिए क्या आशा रखता है।

   फिलिप्पी के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने उनसे कहा, "मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए" (फिलिप्पियों १:९)। फिलिप्पी की मण्डली पौलुस के साथ सहभागी रही थी और वह भी उनसे बहुत प्रेम करता था (फिलिप्पियों १:५, ७) लेकिन पौलुस यह भी चाहता था कि वे परस्पर प्रेम में भी और अधिक बढ़ते जाएं। पौलुस केवल उनसे परमेश्वर के ज्ञान में ही बढ़ने की आशा नहीं रखता था लेकिन उस परमेश्वरीय प्रेम में भी जो कि परमेश्वर के साथ निकट संबंध होने से आता है। परमेश्वर को निकटता से जानने से ही हम सही और गलत के भेद को समझने और फिर उसे जीवनों में लागू करने में सक्षम होने पाते हैं।

   नववर्ष में लोगों को अपनी शुभकामनाएं देना भला है, लेकिन हमारी हार्दिक इच्छा परमेश्वरीय प्रेम में बढ़ते जाने की होनी चाहिए जिससे हमारे जीवन धार्मिकता के फलों से सुसज्जित होकर परमेश्वर की महिमा का कारण ठहरें (फिलिप्पियों १:११)। - सी. पी. हिया


जिनके पास परमेश्वर के लिए दिल होता है वे दिल में लोगों को जगह देना भी जानते हैं।

मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए। - फिलिप्पियों १:९

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:३-१२
Philippians1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Philippians1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।
Philippians1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।
Philippians1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।
Philippians1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ८-१० 
  • मत्ती २५:३१-४६


शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

आनन्द एवं शोक


   इस्त्राएल राष्ट्र के आरंभिक वर्षों में गोल्डा मेयर वहाँ की प्रधानमंत्री बनीं। गोल्डा मेयर ने अपने जीवन में बहुत से संघर्षों तथा उतार चढ़ावों को देखा था। अपने प्रधानमंत्री काल में भी उन्होंने नवजात इस्त्राएल राष्ट्र को अनेक संघर्षों, हानिकारक प्रसंगों एवं कुछ आनन्द के अवसरों से होकर निकलते हुए देखा। आनन्द और शोक के समयों के विषय में उन्होंने कहा, "जो अपने संपूर्ण हृदय से विलाप करना नहीं जानते, वे दिल खोल कर हँसना भी नहीं जान सकते।"

   परमेश्वर के जन प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर के वचन बाइबल में विलाप और आनन्द करने की बात एक अनोखे रूप में कही है। रोम के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में वह अपने पाठकों को अपने व्यक्तिगत अनुभवों एवं संदर्भ से बाहर निकल कर इन विषयों के लिए दूसरों की ओर देखने को कहता है। पौलुस ने कहा: "आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ" (रोमियों १२:१५)।

   यदि हम केवल अपने दुखों और असफलताओं पर ही विलाप करें तो हम दूसरों के कटु अनुभवों में उनके साथ होने, उनके साथ सहृदयता दिखाने और उनके प्रति संवेदनशील होने के अवसर गवाँ देंगे। यदि हम केवल अपने ही सुखों में और केवल अपनी ही सफलताओं में आनन्दित होते हैं तो हम प्रभु की सामर्थ के अद्भुत प्रगटिकरण के अवसरों में सम्मिलित नहीं हो पाते क्योंकि प्रभु अपनी सामर्थ और उद्देश्य अन्य लोगों के जीवनों में होकर भी प्रगट करता है।

   प्रत्येक जीवन आनन्द एवं शोक, सफलता एवं असफलता दोनो ही प्रकार के अनुभवों से भरा है। हम मसीही विश्वासियों को यह सौभाग्य दिया गया है कि हम लोगों के जीवनों में इन दोनो प्रकार के अनुभवों में सम्मिलित हो सकें और परमेश्वर के अनुग्रह को कार्यकारी होते हुए देख सकें। इस अवसर को व्यर्थ ना जाने दें; लोगों के जीवनों में सम्मिलित हों, उनके दुख भी बांटें और उनके सुखों में भी उनके साथ आनन्दित हों। - बिल क्राउडर


दूसरों की आवश्यकताओं का ध्यान रखना मसीह को आदर देता है।

आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ। - रोमियों १२:१५

बाइबल पाठ: रोमियों १२:९-१६
Romans12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।
Romans12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।
Romans12:12 आशा मे आनन्दित रहो; क्लेश मे स्थिर रहो; प्रार्थना मे नित्य लगे रहो।
Romans12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने मे लगे रहो।
Romans12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Romans12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
Romans12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ६-७ 
  • मत्ती २५:१-३०