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बुधवार, 10 जुलाई 2013

प्रतिक्रिया

   यह निश्चित है कि हमारे जीवनों में मुसीबतें तो आएंगी ही; किसी चिकित्सीय जाँच की बुरी रिपोर्ट, किसी विश्वासयोग्य समझे जाने वाले मित्र द्वारा धोखा, अपने ही किसी संतान द्वारा हमारा तिरिस्कार, हमारे जीवन साथी के साथ कोई अनबन और बिछुड़ना इत्यादि। संभावित दुखदायी संभावनाओं की सूचि तो लंबी है, लेकिन इन परिस्थितियों में पड़ने पर हमारे पास दो ही विकल्प होते हैं - या तो अकेले ही अपने ही बल-बुद्धि-सामर्थ के साथ इनका सामना करते रहें, या फिर किसी की सहायता ले लें। ऐसे में किसी मनुष्य की सहायता का तो फिर उम्मीद से कम रहने या फिर कोई धोखा मिलने की संभावना को बनाए रखता है, किंतु परमेश्वर की सहायता कभी निराश नहीं करती।

   परेशानियों का अकेले ही सामना करना कोई नेक विकल्प नहीं है। ऐसा करने से किसी बुरे आचरण में पड़ने, या फिर हार मानकर पीछे हट जाने और निराश हो जाने या फिर अपनी गलतियों के लिए परमेश्वर को दोषी ठहराने की प्रवृति के हावी होने की संभावना अधिक रहती है। कुछ ऐसा ही इस्त्राएलियों के साथ हुआ - वे भी केवल अपनी ही सामर्थ पर भरोसा रखने के कारण निराशाओं की गर्त में चले गए और हार मान बैठे (गिनती 14:1-4)।

   परमेश्वर की सहायता और मार्गदर्शन द्वारा इस्त्राएली लोग मिस्त्र देश की गुलामी से निकलकर प्रतिज्ञा करे गए आशीष और भरपूरी के देश कनान की कगार तक तो पहुँच गए, लेकिन कनान के किनारे पहुँच कर उनके मन में शंकाएं उठने लगीं और उन्होंने कुछ लोगों को भेदिए बनाकर कनान देश का हालचाल जान लेने के लिए भेजा। भेदिए कनान देश को घूमकर देखकर आए और उसे एक बड़ा उपजाऊ और भरपूरी का देश भी बताया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वहाँ बहुत बड़े डील-डौल वाले लोग भी बसते हैं। उन बड़े डील-डौल वाले लोगों के संदर्भ में भेदियों ने अपने आप को तो तोला लेकिन परमेश्वर की साथ बनी रहने वाली उपस्थिति को नहीं आँका (गिनती 13:31-33) परिणामस्वरूप वे स्वयं भी निराश-हताश हो गए और सभी इस्त्राएली लोगों को भी निराश-हताश कर दिया।

   इस्त्राएली प्रजा आशीष की कगार पर खड़ी थी, लेकिन एन मौके पर आकर वे परमेश्वर को और उसके सामर्थ को भूल गए। वे भूल गए उन दस आश्चर्यकर्मों को जो परमेश्वर ने मिस्त्र के ऊपर विपित्तियाँ ला कर  दिखाए थे, वे भूल गए लाल समुद्र के अद्भुत रीति से दो भाग हो जाने को जिसमें से इस्त्राएली तो बच निकले लेकिन पीछा कर रही मिस्त्र की फौज डूब कर समाप्त हो गई, वे भूल गए परमेश्वर द्वारा उपलब्ध कराए गए भोजन-पानी और सुरक्षा को। कैसी छोटी स्मरण शक्ति, कितनी निराशाजनक विश्वासयोग्यता। और अब उन्होंने परमेश्वर की ओर पीठ फेरकर अपनी आशीषों से भी मूँह मोड़ लिया, क्योंकि उन्हें परमेश्वर की नहीं परन्तु केवल अपनी ही सामर्थ सूझ पड़ रही थी, और वे अपनी सामर्थ के आँकलन के अनुसार इस परेशानी से पार पाने की स्थिति में नहीं थे, इसलिए लौटकर वापस मिस्त्र की गुलामी में जाने की योजना बनाने लगे।

   उन इस्त्राएलियों में केवल दो लोग, यहोशु और कालेब, थे जो अपनी नहीं वरन परमेश्वर की सामर्थ पर विश्वास रखते थे और बार बार उन्हें यह स्मरण दिलाते रहे और परमेश्वर की सामर्थ पर भरोस रख कर आगे बढ़ने की दुहाई देते रहे (गिनती 14:9)। लेकिन उस भीड़ ने उन दोनों की एक नहीं सुनी और परिणामस्वरूप सारा इस्त्राएली समाज चालीस वर्ष तक बियाबान में भटकता रहा जब तक उस अविश्वासी जाति के सभी लोग जाते ना रहे; फिर उनके बच्चों ने, जो तब तक बड़े हो गए थे, परमेश्वर की मानकर कनान देश की आशीषों में प्रवेश किया।

   विशालकाय दिखने वाली मुसीबतें तो आएंगी ही; प्रश्न यह है कि उन मुसीबतों के आने पर आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी? क्या आप अपनी सामर्थ या किसी अन्य मनुष्य के सहारे उनका सामना करना चाहेंगे या परमेश्वर पिता कि शरण में जाकर उसकी सामर्थ और मार्गदर्शन द्वारा उन पर जयवन्त होंगे? - जो स्टोवैल


परमेश्वर की उपस्थिति जीवनरक्षक है जो मुसीबतों के सागर में डूब जाने से बचाए रखती है।

केवल इतना करो कि तुम यहोवा के विरुद्ध बलवा न करो; और न तो उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि वे हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो। - गिनती 14:9

बाइबल पाठ: गिनती 13:25-14:9
Numbers 13:25 चालीस दिन के बाद वे उस देश का भेद ले कर लौट आए।
Numbers 13:26 और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उन को और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उन को दिखाए।
Numbers 13:27 उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है।
Numbers 13:28 परन्तु उस देश के निवासी बलवान्‌ हैं, और उसके नगर गढ़ वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा।
Numbers 13:29 दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।
Numbers 13:30 पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है।
Numbers 13:31 पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान्‌ हैं।
Numbers 13:32 और उन्होंने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं।
Numbers 13:33 फिर हम ने वहां नपीलों को, अर्थात नपीली जाति वाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके साम्हने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे।।
Numbers 14:1 तब सारी मण्डली चिल्ला उठी; और रात भर वे लोग रोते ही रहे।
Numbers 14:2 और सब इस्त्राएली मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगे; और सारी मण्डली उन से कहने लगी, कि भला होता कि हम मिस्र ही में मर जाते! या इस जंगल ही में मर जाते!
Numbers 14:3 और यहोवा हम को उस देश में ले जा कर क्यों तलवार से मरवाना चाहता है? हमारी स्त्रियां और बाल-बच्चे तो लूट में चलें जाएंगे; क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएं?
Numbers 14:4 फिर वे आपस में कहने लगे, आओ, हम किसी को अपना प्रधान बना लें, और मिस्र को लौट चलें।
Numbers 14:5 तब मूसा और हारून इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के साम्हने मुंह के बल गिरे।
Numbers 14:6 और नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालिब, जो देश के भेद लेने वालों में से थे, अपने अपने वस्त्र फाड़कर,
Numbers 14:7 इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कहने लगे, कि जिस देश का भेद लेने को हम इधर उधर घूम कर आए हैं, वह अत्यन्त उत्तम देश है।
Numbers 14:8 यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुंचाकर उसे हमे दे देगा।
Numbers 14:9 केवल इतना करो कि तुम यहोवा के विरुद्ध बलवा न करो; और न तो उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि वे हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 41-42 
  • प्रेरितों 16:22-40


मंगलवार, 9 जुलाई 2013

पारिवारिक पुनर्मिलन

   पिछले 29 वर्षों से हमारे शहर में आयोजित होने वाला Celebration of Life Reunion (जीवन का उत्सव पुनर्मिलन) अवसर रहा है एक विलक्षण परिवार के सदस्यों के एक साथ एकत्रित होने का। इस  पुनर्मिलन सभा में बच्चों के अस्पताल कोलोराडो स्प्रिंग्स मेमोरियल अस्पताल के चिकित्सकों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों को अपने भूतपूर्व मरीज़ों से मिलने का अवसर होता है। जो मरीज़ आते हैं उनमें से कुछ तो गोद में उठाए हुए शिशु होते हैं तो कुछ किशोरावस्था की दहलीज़ पर कदम रख रहे होते हैं; वे सब अपने अभिभावकों के साथ आकर उन लोगों का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने बड़े परिश्रम से उनकी जान बचाई और जीवन का एक और अवसर दिया। एक चिकित्सक ने इस सभा के संबंध में कहा: "व्यावासायिक और व्यक्तिगत दोनो ही रीति से यह हम सभी कर्मचारियों के लिए हमारे इस कार्य में लगे रहने के संकल्प को दृढ़ करता है।"

   मैं सोचता हूँ क्या स्वर्ग में भी कोई ऐसे अनेक अवसर या समय होंगे जब आत्मिक जीवन में संभालने तथा संरक्षण देने वाले, उन ’मसीह में शिशुओं’ से मिलेंगे जिन्हें उन्होंने सहायता प्रदान करी और इससे संबंधित घटनाओं की चर्चा तथा परमेश्वर को धन्यवाद अर्पित करेंगे। परमेश्वर के वचन बाइबल के खण्ड नया नियम में हम पाते हैं कि कैसे पौलुस, सिल्वानुस और तिमुथियुस ने थिस्सुलुनिके के नवजात विश्वासियों के बीच बड़ी कोमलता के साथ कार्य किया, "परन्तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रह कर कोमलता दिखाई है" (1 थिस्सुलुनीकियों 2:7 ) और एक पिता के समान उनके साथ बर्ताव किया "जैसे तुम जानते हो, कि जैसा पिता अपने बालकों के साथ बर्ताव करता है, वैसे ही हम तुम में से हर एक को भी उपदेश करते, और शान्‍ति देते, और समझाते थे" (1 थिस्सुलुनीकियों 2:11)।

   नए मसीही विश्वासियों की, उनकी विश्वास यात्रा की किसी नाज़ुक परिस्थिति में सहायता करना प्रेम का एक बड़ा कार्य है जो स्वर्ग के उस पारिवारिक पुनर्मिलन में निश्चय ही बड़े आनन्द का कारण होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


स्वर्ग के आनन्दों में से एक होगा पृथ्वी पर मसीह यीशु के लिए किए गए कार्यों की बातें बाँटना।

परन्तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रह कर कोमलता दिखाई है। - 1 थिस्सुलुनीकियों 2:7

बाइबल पाठ: 1 थिस्सुलुनीकियों 2:4-12
1 Thessalonians 2:4 पर जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं; और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है, प्रसन्न करते हैं।
1 Thessalonians 2:5 क्योंकि तुम जानते हो, कि हम न तो कभी लल्लोपत्तो की बातें किया करते थे, और न लोभ के लिये बहाना करते थे, परमेश्वर गवाह है।
1 Thessalonians 2:6 और यद्यपि हम मसीह के प्रेरित होने के कारण तुम पर बोझ डाल सकते थे, तौभी हम मनुष्यों से आदर नहीं चाहते थे, और न तुम से, न और किसी से।
1 Thessalonians 2:7 परन्तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रह कर कोमलता दिखाई है।
1 Thessalonians 2:8 और वैसे ही हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर को सुसमाचार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें देने को तैयार थे, इसलिये कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे।
1 Thessalonians 2:9 क्योंकि, हे भाइयों, तुम हमारे परिश्रम और कष्‍ट को स्मरण रखते हो, कि हम ने इसलिये रात दिन काम धन्‍धा करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार किया, कि तुम में से किसी पर भार न हों।
1 Thessalonians 2:10 तुम आप ही गवाह हो: और परमेश्वर भी, कि तुम्हारे बीच में जो विश्वास रखते हो हम कैसी पवित्रता और धामिर्कता और निर्दोषता से रहे।
1 Thessalonians 2:11 जैसे तुम जानते हो, कि जैसा पिता अपने बालकों के साथ बर्ताव करता है, वैसे ही हम तुम में से हर एक को भी उपदेश करते, और शान्‍ति देते, और समझाते थे।
1 Thessalonians 2:12 कि तुम्हारा चाल चलन परमेश्वर के योग्य हो, जो तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुलाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 38-40 
  • प्रेरितों 16:1-21


सोमवार, 8 जुलाई 2013

प्रतिज्ञा

   मैं केवल दो ही ’ज़ेवर’ पहनता हूँ - अपनी ऊँगली पर शादी की अंगूठी और अपने गले में एक चेन से लटका हुआ क्रूस। अंगूठी उस प्रतिज्ञा का प्रतीक है जो मैंने अपनी पत्नि कैरोलिन से विवाह के समय करी है, कि मैं जीवन भर उसके प्रति वफादार रहूँगा; क्रूस इस बात को दिखाता है कि मेरा अपनी पत्नि से करी गई प्रतिज्ञा को निभाते रहना केवल उसी के कारण नहीं है, लेकिन मेरे उद्धारकर्ता और मुझे नया जीवन तथा पापों से क्षमा देने वाले प्रभु यीशु के प्रति मेरे समर्पण और ज़िम्मेदारी के कारण भी है। मेरे प्रभु ने मुझे यह ज़िम्मेदारी दी है कि मैं अपनी पत्नि के प्रति सदा वफादार बना रहूँ, और मैं इस ज़िम्मेदारी को सदा निभाता रहूँगा।

   विवाह समय परस्पर करी गई प्रतिज्ञाएं केवल दो मनुष्यों के बीच किया गया एक ठेका या अनुबन्ध नहीं हैं जिसे तोड़ने की हानि सांसारिक संपत्ति द्वारा चुका कर अनुबन्ध तोड़ा जा सकता है। परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार यह जीवन भर एक दूसरे के प्रति वफादारी से निभाने की ज़िम्मेदारी है। जब मसीही विवाह में बन्धने वाले दोनों जन एक दूसरे से यह प्रण करते हैं कि "दुख में और सुख में, संपन्नता और दरिद्रता में, रोगावस्था और अरोग्यता में" तो वे इस बात को मान कर चल रहे हैं कि ऐसी परिस्थितियाँ भी जीवन में आएंगी जब निभाना कठिन होगा; यह भी हो सकता है कि एक या दूसरे या फिर दोनों ही के स्वभाव में परिवर्तन आ जाए या जीवन की ही परिस्थितियाँ बदल जाएं, किंतु परस्पर किया गया यह वायदा सदा ही मान्य और लागू रहेगा।

   वैवाहिक ज़िम्मेदारियाँ निभाना सरल नहीं है; परस्पर असहमति और भिन्न दृष्टिकोण होने के अवसर अनेक होते हैं। यद्यपि किसी को भी असुरक्षित, अपमानजनक या अत्याचारपूर्ण परिस्थितियों में नहीं रहना चाहिए, लेकिन दरिद्रता, कठिनाईयों, निराशाओं में एक दूसरे के साथ बने रहने से और एक दूसरे को उभारने और सहारा देने से विवाह संबंध में एक अलग ही आनन्द मिलता है।

   एक मसीही विश्वासी के लिए विवाह की प्रतिज्ञाएं निभाना बाध्य है; उसके लिए अनिवार्य है कि वह अपने जीवन साथी के साथ प्रेम, आदर और उसे उभारते रहने के संबंध को जीवन भर बनाए रखे, ना केवल इसलिए कि यह उससे करी गई हमारी प्रतिज्ञा है वरन इसलिए भी क्योंकि हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने हमारे साथ यही किया है, यही कर रहा है और यही करता भी रहेगा। हमारा प्रभु प्रत्युत्तर में हमसे यही आशा रखता है कि हम अपने जीवन साथी के साथ भी यही ज़िम्मेदारी इसी प्रकार निभाते रहेंगे जैसे वह हमारे साथ हमारे हर एक भले-बुरे आचरण के बावजूद निभाता रहता है। मेरे एक मित्र ने मसीह यीशु के प्रति समर्पण की प्रतिज्ञा के संबंध में कहा: "यह वह प्रतिज्ञा है जो हमें हमारी अन्य प्रत्येक प्रतिज्ञा के प्रति वफादार रखती है, चाहे हमें उस प्रतिज्ञा का पालन अच्छा ना भी लगे!"

   अपने जीवन को मसीह यीशु को समर्पित करके एक ऐसी प्रतिज्ञा से बांध लीजिए जो आपको अन्य हर प्रतिज्ञा निभाने की सामर्थ और मार्गदर्शन देती रहेगी। - डेविड रोपर


प्रेम केवल एक भावना ही नहीं है, प्रेम वचनबद्धता एवं उसका पालन भी है।

कि इस कारण मनुष्य अपने माता पिता से अलग हो कर अपनी पत्‍नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे; सो व अब दो नहीं, परन्तु एक तन हैं: इसलिये जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे। - मत्ती 19:5-6

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 2:18-25
Genesis 2:18 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए।
Genesis 2:19 और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखें, कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है; और जिस जिस जीवित प्राणी का जो जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया।
Genesis 2:20 सो आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उस से मेल खा सके।
Genesis 2:21 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकाल कर उसकी सन्ती मांस भर दिया।
Genesis 2:22 और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया।
Genesis 2:23 और आदम ने कहा अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।
Genesis 2:24 इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बने रहेंगे।
Genesis 2:25 और आदम और उसकी पत्नी दोनो नंगे थे, पर लजाते न थे।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 36-37 
  • प्रेरितों 15:22-41


रविवार, 7 जुलाई 2013

बच निकलना

   प्राचीन युनानी गाथाओं में एक व्यक्ति इकैरस का उल्लेख है जो अपनी बाहों पर मोम के साथ पंख चिपकाकर, उड़ान भरकर एक टापू से बच कर भाग निकला, लेकिन इस सफल उड़ान के उत्साह और जोश में वह उड़ते उड़ते सूर्य के इतना निकट आ गया कि सूर्य की गरमी से मोम पिघल गया, उसके पंख बाहों से अलग होकर गिर गए और वह भी नीचे समुद्र में गिरा और डूब कर मर गया। यह प्राचीन किंवदती दिखाती है कि पक्षियों के समान उड़ान भरने का सपना मनुष्य के मन में प्राचीन काल से ही रहा है। अन्ततः एक व्यक्ति, इव्स रौस्सी, ने इस कलपना को सच कर दिखाया और सन 2004 में स्विटज़रलैण्ड के जनेवा शहर के नज़दीक से उसने अपनी पहली उड़ान भरी। रौस्सी ने अपने लिए एक उषमा-प्रतिरोधक सूट बनवाया, अपनी पीठ पर एक छोटा किंतु शक्तिशाली इंजन तथा पंख बांधे और अपने शरीर को वायुयान के धड़ के समान प्रयोग किया और उड़ान भरी। इसके बाद वह अनेक बार ऐसी ही सफल उड़ान भर कर दिखा चुका है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार दाऊद ने भी पंख होने की तीव्र लालसा जताई है जिससे वह उड़कर अपने शत्रुओं से बच निकले: "और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!" (भजन 55:6)। दाऊद के समान ही, जब हम तनाव, दुर्व्यवहार, कठिनाईयों, दुखों आदि का सामना करते हैं तो हमारा मन भी करता है कि काश हम भी उड़कर इन परिस्थितियों से कहीं दूर बच निकलते।

   लेकिन एक मसीही विश्वासी के पास एक अन्य और अधिक अच्छा विकल्प भी है जो उसे प्रभु यीशु से मिला है - परिस्थितियों से कहीं दूर बच निकलने की बजाए, प्रभु यीशु का खुला निमंत्रण है कि हर बात में उसके शरणागत हो जाएं: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे" (मत्ती 11:28-29)।

   जीवन की परेशानियों से बच निकलने की लालसा रखने की बजाए, हमारे पास एक अधिक सहज और अति कारगर उपाय है - उन्हें प्रभु यीशु के पास लाकर उसे सौंप देना। बच निकलने की लालसा से हमें समाधान और विश्राम नहीं मिल सकता, किंतु प्रभु यीशु से अवश्य मिल सकता है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर हमें सामर्थ देता है परिस्थितियों का सामना करने के लिए, उनसे बच कर भागने का प्रयास करने के लिए नहीं।

और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता! - भजन 55:6

बाइबल पाठ: भजन 55:1-8
Psalms 55:1 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़!
Psalms 55:2 मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं।
Psalms 55:3 क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं।
Psalms 55:4 मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है।
Psalms 55:5 भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं।
Psalms 55:6 और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!
Psalms 55:7 देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता,
Psalms 55:8 मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 34-35 
  • प्रेरितों 15:1-21


शनिवार, 6 जुलाई 2013

जीवन स्पर्ष

   मेरा मित्र डैन हाई-स्कूल की पढ़ाई पूरी करके आगे की पढ़ाई के लिए जाने वाला था। हाई स्कूल के समापन समारोह में उसे 15 मिनिट का समय दिया गया जिसमें उसे उपस्थित दर्शकों के साथ यह बाँटना था कि वह इस मकाम तक कैसे पहुँचा और किन किन लोगों ने इस सफर में उसकी सहायता करी।

   जब डैन बोलने के लिए खड़ा हुआ तो मैंने एक नज़र घुमा कर वहाँ उपस्थित लोगों को देखा - अनेक प्रकार के लोग वहाँ थे; युवा परिवार, शिक्षक, मित्र जन, चर्च के अगुवे और लोग, खेल प्रशिक्षक आदि। डैन ने अपने अनुभवों के बारे में बताना आरंभ किया, और कैसे भिन्न लोगों ने उस के जीवन को छुआ और प्रभावित किया। एक महिला सदा ही उस के लिए एक ’आन्टी’ बनी रही और उसके लिए सदा उपलब्ध रहती थीं। एक 30 वर्ष की आयु के लगभग व्यक्ति उसके साथ परमेश्वर के वचन बाइबल की बातें बाँटता था और उसे नेक परामर्श देता रहता था। एक अन्य व्यक्ति ने डैन को कड़ी मेहनत करना और अनुशासित जीवन जीना सिखाया। एक चर्च के मित्र ने प्रतिदिन उसे फुटबॉल खेलने ले जाने का बीड़ा उठा रखा था क्योंकि उसकी माँ उसे वहाँ ले जाने में असमर्थ थी। एक दंपत्ति ने उससे ऐसा व्यवहार बनाए रखा मानो वह उनका ही पुत्र हो। एक बात थी जो इन सब लोगों में समान थी - ये सब लोग साधारण मसीही विश्वासी थे, जिन्होंने डैन के जीवन को स्पर्ष किया और उसे एक भली दिशा दी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने भी लिखा है: "इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ" (गलतियों 6:10)। किसी के जीवन में रुचि दिखाकर और उसके जीवन को सकारात्मक रीति से स्पर्ष करके हम भी उसे एक भली दिशा दे सकते हैं, जैसा डैन के साथ हुआ, और इस एक संवरे हुए जीवन का अच्छा प्रतिफल आते वर्षों तक हमे तथा समाज को लाभान्वित करता रहेगा।

   अपने आस-पास देखिए, क्या ऐसा कोई है जिसके जीवन को आपके भले स्पर्ष की आवश्यकता है? - ऐनी सेटास


जब तक कर सकते हैं, जितनों के लिए भी कर सकते हैं, जितनी भी प्रकार से कर सकते हैं, यथासंभव भलाई करते ही रहिए।

हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। - गलतियों 6:9

बाइबल पाठ: गलतियों 6:6-10
Galatians 6:6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्‍तुओं में सिखाने वाले को भागी करे।
Galatians 6:7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
Galatians 6:8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।
Galatians 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
Galatians 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 32-33
  •  प्रेरितों 14


शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

मित्र

   किसी ने मित्रता को परिभाषित करते हुए कहा है कि यह "दूसरे के मन को जानना और अपने मन को दूसरे के मन के साथ बाँटना है।" जिन पर हम विश्वास करते हैं, उनके साथ हम अपने मन की बातें भी बाँटते हैं, और जो हमारी चिन्ता करते हैं, उन पर हम भरोसा भी करते हैं।

   हम मसीही विश्वासी प्रभु यीशु मसीह को अपना मित्र कहकर भी संबोधित करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि उसे हमारी चिन्ता रहती है और वह सदा हमारे लिए हर बात में केवल सर्वोत्तम की ही इच्छा रखता है। हम मसीह यीशु के साथ अपने मन की गूढ़ बातें भी बाँटते हैं क्योंकि हम उस पर विश्वास रखते हैं। लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर विचार किया है कि मसीह यीशु भी अपने मन की बातें आपके साथ बाँटना चाहता है?

   क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों के साथ, जो कुछ उसने परमेश्वर पिता से सुना था, बाँट दिया, इसलिए प्रभु ने उन्हें मित्र भी कहा: "अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं" (यूहन्ना 15:15)। प्रभु यीशु ने विश्वास रखा कि उसके शिष्य उन बातों का सदुपयोग परमेश्वर के राज्य की महिमा और बढ़ोतरी के लिए करेंगे।

   यद्यपि हम मसीही विश्वासी यह जानते और मानते हैं कि मसीह यीशु हमारा मित्र है, लेकिन उतने ही विश्वास और दृढ़ता से क्या हम यह भी कह सकते हैं कि हम भी मसीह यीशु के मित्र हैं? क्या हम उसकी सुनते हैं; या हम केवल इतना ही चाहते हैं कि वह हमारी सुनता रहे? क्या हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि उसके मन में क्या है; या हम केवल इसी में प्रयासरत रहते हैं कि उसे हमारे मन की बात मालूम पड़ती रहे? यदि हम मसीह यीशु के मित्र हैं तो जो वह हमसे कहना चाहता है उसे सुनने के लिए हमारे पास समय और इच्छा भी होनी चाहिए और फिर उस की कही बातों को उसके लिए अन्य मित्र बनाने के लिए सदुपयोग करने की लालसा भी रहनी चाहिए; क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से यह भी कहा है: "मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे" (यूहन्ना 15:8)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


मसीह यीशु से मित्रता, उससे वफादारी भी चाहती है।

जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। - यूहन्ना 15:14

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:8-17
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 30-31 
  • प्रेरितों 13:26-52


गुरुवार, 4 जुलाई 2013

क्रूस

   अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक मुकद्दमा आया - क्या एक धार्मिक चिन्ह, विशेषतः क्रूस को, किसी सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए? इस संबंध में ऐसोशियेटेड प्रेस के लिए मार्क शर्मन ने लिखा, यद्यपि जिस क्रूस को लेकर यह मुकद्दमा हो रहा था वह सन 1934 में प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि के लिए उस स्थान पर खड़ा किया गया था, उसके वहाँ होने का विरोध करने वाले एक सेवा-निवृत सैनिकों के दल का तर्क था कि क्योंकि क्रूस केवल मसीही धर्म का एक प्रबल चिन्ह है ना कि सभी धर्मों का, इसलिए उसे यह वरियता नहीं मिलनी चाहिए।

   क्रूस सदा ही विवादित रहा है। प्रभु यीशु के स्वर्गारोहण के बाद, पहली शताब्दी में ही, पौलुस ने अपने मसीही विश्वास के प्रचार के संबंध में लिखा: "क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन सुसमाचार सुनाने को भेजा है, और यह भी शब्‍दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे। क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है" (1 कुरिन्थियों 1:17-18)। हम मसीही विश्वासियों के लिए प्रभु यीशु मसीह का क्रूस केवल एक प्रबल मसीही चिन्ह ही नहीं है, वरन उस से भी बहुत बढ़कर क्रूस प्रमाण है मनुष्य जाति को पाप के क्रूर शासन से मुक्त करने के परमेश्वर के मार्ग और सभी मनुष्यों के प्रति परमेश्वर के प्रेम का।

   एक बहुविचारवादी और भिन्न आस्थाओं को रखने वाले समाज में धार्मिक चिन्हों को लेकर विवाद तो चलता ही रहेगा और क्या क्रूस किसी सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शित किया जा सकता है या नहीं, इसका निर्णय न्यायालय कर लेंगे; परन्तु हमारे जीवनों के द्वारा क्रूस की सामर्थ प्रदर्शित होती है या नहीं, यह निर्णय हमें व्यक्तिगत रीति से लेना है।

   क्या आपने परमेश्वर के प्रेम और क्षमा के सर्वोच्च चिन्ह - प्रभु यीशु मसीह के क्रूस को अपने हृदय में स्थापित किया है? क्या पापों की आधीनता से मुक्त करने वाली क्रूस की सामर्थ आपके जीवन से प्रदर्शित होती है? - डेविड मैक्कैसलैंड


मानव जाति के प्रति परमेश्वर के प्रेम को क्रूस से बढ़कर अन्य कुछ भी बयान नहीं कर सकता।

क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है। - 1 कुरिन्थियों 1:18

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 1:17-25
1 Corinthians 1:17 क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन सुसमाचार सुनाने को भेजा है, और यह भी शब्‍दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे।
1 Corinthians 1:18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।
1 Corinthians 1:19 क्योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्‍छ कर दूंगा।
1 Corinthians 1:20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?
1 Corinthians 1:21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।
1 Corinthians 1:22 यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।
1 Corinthians 1:23 परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।
1 Corinthians 1:24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है।
1 Corinthians 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 28-29 
  • प्रेरितों 13:1-25