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शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

आत्मिक शत्रु


  एक प्रातः की बात है, मैं अपने घर के पिछवाड़े के घास के मैदान में एक खरगोश को घास कुतरते हुए देख रहा था। अचानक ही आकाश से तीर के समान एक बाज़ नीचे आया कि झपट कर उसे उठा ले; बाज़ के पंजे खुले हुए थे और नज़रें अपने शिकार पर गड़ी हुई थीं। लेकिन खरगोश ने उस बाज़ को झपटा मारते हुए देख लिया और तेज़ी से सुरक्षित स्थान की ओर भागा। खरगोश और बाज़ में केवल कुछ इंच का फासला था, लेकिन अपनी सावधानी के कारण खरगोश उसके पंजों से बच निकलने में सफल हो गया।

   जैसे वह खरगोश अपने ऊपर होने वाले हमले को समय रहते पहचान कर बचने को भाग निकला, वैसे ही हम मसीही विश्वासियों को भी अपने आत्मिक शत्रु शैतान से सावधान तथा सुरक्षित बने रहना है। प्रेरित पतरस लिखता है, "सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए" (1 पतरस 5:8)। शैतान हमें घात करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाता है, हमारे दिलों में परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रति शक डालता है (यूहन्ना 8:44), हमें धोखे से फंसाने के प्रयत्न करता है (उत्पत्ति 3:1)।

   शैतान की सभी योजनाएं उसके कपटी स्वभाव के अनुरूप होती हैं, और वह हम पर अनेपक्षित रीति से हमला करने के प्रयास में रहता है। इसलिए उसके हथकंडों की जानकारी रखने (2 कुरिन्थियों 2:11) तथा उसके हमलों के प्रति सदा सचेत रहने के द्वारा हम झूठी शिक्षाओं को पहचान सकते हैं (1 यूहन्ना 4:1-3; 2 यूहन्ना 1:7-11) एवं परीक्षाओं पर जयवन्त हो सकते हैं (मत्ती 26:41)।

   हम मसीही विश्वासियों को परमेश्वर का वचन सचेत करता है कि हम अपने आत्मिक शत्रु के प्रति सचेत रहें, जो झूठ वह हमारे कानों में फुसफुसाता है उन्हें पहचान सकें, जो परीक्षाएं वह हमारे सामने लाता है उनमें गिर ना जाएं। यदि हम परमेश्वर के आधीन होकर उसका सामना करेंगे तो वह हमारे पास से भाग निकलेगा (याकूब 4:7)।


विजय की दिशा में पहला कदम होता है अपने शत्रु की युक्तियों को भली भांति पहचान पाना।

परन्तु मैं डरता हूं कि जैसे सांप ने अपनी चतुराई से हव्‍वा को बहकाया, वैसे ही तुम्हारे मन उस सीधाई और पवित्रता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्‍ट न किए जाएं। - 2 कुरिन्थियों 11:3

बाइबल पाठ: 1 पतरस 5:5-11
1 Peter 5:5 हे नवयुवकों, तुम भी प्राचीनों के आधीन रहो, वरन तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्‍धे रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का साम्हना करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है। 
1 Peter 5:6 इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। 
1 Peter 5:7 और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। 
1 Peter 5:8 सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए। 
1 Peter 5:9 विश्वास में दृढ़ हो कर, और यह जान कर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं। 
1 Peter 5:10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिसने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्‍त करेगा। 
1 Peter 5:11 उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 17-19


गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

नाम


   किसी नाम में ऐसा क्या हो सकता है कि हम उसे विशेष समझें? यह प्रश्न मेरे मन में तब उठा जब मैं जैमैका में एक इतवार की प्रातः एक चर्च के बाहर खड़े होकर उस चर्च की एक किशोरी से बात कर रहा था। उस किशोरी ने मुझ से पूछा, "क्या आप मेरा नाम का Our Daily Bread में उल्लेख करेंगे?" मैंने पूछा, "क्या तुम्हारे पास बताने को कोई बात है?" उसने उत्तर दिया, "नहीं, बस मेरे नाम का उल्लेख कर दीजिए।"

   उसके इस आग्रह और उसके नाम के बारे में विचार करते हुए मैं सोचने लगा, उसके माता-पिता ने उस किशोरी का नाम ’जॉयथ’ क्यों रखा होगा? उसके प्रसन्न स्वभाव को देखकर मैंने निषकर्ष निकाला कि यह नाम रखने के पीछे यदि उनका उद्देश्य उसे जीवन में आनन्दित रहने वाली बनाना रहा होगा तो वे अपने उद्देश्य में सफल रहे। अधिकांशतः अभिभावकों के पास यह विकल्प रहता है कि वे अपनी सन्तान का नाम चुनें। लेकिन एक बालक ऐसा भी था जिसका नामकरण बिलकुल अलग रीति से हुआ - ना तो उसके माता-पिता को नाम चुननें की स्वतंत्रता मिली, और ना ही उसे कोई ऐसा नाम दिया गया जो उसे किसी विशेष व्यक्तित्व की ओर जाने को उकसाता।

   वह बालक था यीशु, जिसका नाम और उस नाम का अर्थ एक स्वर्गदूत नें उसके होने वाले सांसारिक पिता को बताया: "वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा" (मत्ती 1:21)। इसमें कोई अचरज की बात नहीं कि ऐसे अद्भुत उद्देश्य वाला नाम, परमेश्वर द्वारा सब नामों में सर्वश्रेष्ठ ठहराया गया, "इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें" (फिलिप्पियों 2:9-10), क्योंकि सारे जगत के लोगों के पापों से मुक्ति और उद्धार पाने के लिए वह ही ठहराया गया, और उसने ही उद्धार का मार्ग सबके लिए तैयार करके दिया है।

   यदि उल्लेख, वर्णन और विश्वास के लायक कोई नाम है तो निसन्देह वह यीशु नाम ही है। - डेव ब्रैनन


यीशु - उसके नाम का अर्थ और उसका उद्देश्य, दोनों एक ही हैं।

और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। - प्रेरितों 4:12

बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। 
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो। 
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”। 
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। 
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 14-16


बुधवार, 2 अप्रैल 2014

असाधारण


   एक शताब्दी से भी अधिक समय से गोल्फ के खिलाड़ियों का चरम लक्ष्य रहा है 59 के अंक तक पहुँचना। यह वह अंक था जिस तक सर्वोच्च श्रेणी के गोल्फ स्पर्धा कराने वाली पी०जी०ए० के इतिहास में सन 2010 से पहले केवल तीन बार पहुँचा जा सका था। फिर, सन 2010 में पौल गौडौस ने यह अंक हासिल किया और उसके एक महीने के बाद ही स्टूआर्ट एप्पल्बी ने भी यह कारनामा कर दिखाया। यह देखकर खेल का विशलेषण करके समाचार पत्रों में लिखने वाले कुछ लेखकों ने यह अनुमान लगाया कि गोल्फ का वह असाधारण लक्ष्य अब साधारण होता जा रहा है। इतनी पास पास 59 के अंक तक पहुँचना अद्भुत तो है, लेकिन इस से यह निष्कर्ष निकाल लेना कि अब यह साधारण हो चला है गलत होगा।

   जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं, उनके लिए भी प्रभु यीशु में किए गए विश्वास के द्वारा परमेश्वर से मिली अद्भुत आशीषों को साधारण मान लेना गलत ही होगा। प्रार्थना की आशीष को ही लीजिए, हम मसीही विश्वासियों को यह आदर है कि हम कभी भी, किसी भी स्थिति में, किसी भी बात के लिए अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता से, जिसके कहने भर से सृष्टि की रचना हो गई, खुले दिल से बात कर सकते हैं। ना केवल हमें यह आदर प्राप्त है, वरन परमेश्वर ने हमें आश्वस्त किया है कि प्रार्थना में हम उसके सम्मुख निडर होकर आ सकते हैं: "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों 4:16)।

   परमेश्वर के सम्मुख आ पाना कोई साधारण बात नहीं है, लेकिन फिर भी कितनी ही दफा हम इस विशेषाधिकार को हलके में ले लेते हैं, उसके महत्व को समझते नहीं हैं। परमेश्वर हम मसीही विश्वासियों का पिता अवश्य है, एक ऐसा पिता जो हमारे लिए सदैव उपलब्ध रहता है, हमारी प्रार्थनाओं की ओर अपने कान लगाए रहता है, हमें अपने पास आने से कभी रोकता-टोकता नहीं, लेकिन साथ ही वह परमेश्वर भी है और ऐसी खुली रीति से उसके पास आ सकना, यह वास्तव में असाधारण है। परमेश्वर से सेंत-मेंत में उपहार में मिले इस महान आदर के गौरव को अपने जीवनों में या जीवनों के द्वारा कभी कम ना होने दें। - बिल क्राउडर


परमेश्वर अपने बच्चों की प्रार्थनाओं को सुनने के लिए सदा तत्पर रहता है।

सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है। तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव ले कर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं। - इब्रानियों 10:19, 22

बाइबल पाठ: रोमियों 8:12-26
Romans 8:12 सो हे भाइयो, हम शरीर के कर्जदार नहीं, ताकि शरीर के अनुसार दिन काटें। 
Romans 8:13 क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रीयाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे। 
Romans 8:14 इसलिये कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं। 
Romans 8:15 क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से हम हे अब्बा, हे पिता कह कर पुकारते हैं। 
Romans 8:16 आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं। 
Romans 8:17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब कि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएं।
Romans 8:18 क्योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं। 
Romans 8:19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है। 
Romans 8:20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई। 
Romans 8:21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी। 
Romans 8:22 क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है। 
Romans 8:23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं। 
Romans 8:24 आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा? 
Romans 8:25 परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं।
Romans 8:26 इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 11-13


मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

सामर्थ और आशा


   बात सन 2009 के अगस्त माह की है, ब्लेयर और रौना मार्टिन का 9 वर्षीय पुत्र मैट्टी जो सदा ही अपनी चहलकदमी से उनको व्यस्त रखता था, अचानक ही एक दुर्घटना में मारा गया। मुझे अवसर मिला कि मैं इस परिवार से मिलूँ और उनके शोक में संभागी बनूँ; और मैं जानता हूँ कि यह दुर्घटना उनके लिए कितनी कठिन रही है।

   मैं यह भी जानता हूँ कि इस दुर्घटना के बाद अपनी पीड़ा के लिए उन्होंने परमेश्वर पर शांति और सांत्वना के लिए भरोसा रखा है। मैट्टी की माँ रौना द्वारा कही गई एक बात उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है जो जीवन की किसी गहरी वादी से होकर निकल रहे हैं। अपनी निराशा की स्थिति में रौना परमेश्वर के वचन बाइबल से एक खण्ड पढ़ रही थी, और उसका ध्यान 2 कुरिन्थियों 1:9 पर गया जहाँ लिखा है, "...हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है"। उसे लगा मानो प्रभु यीशु उस से कह रहा है, "रौना, मैं जानता हूँ कि यह यात्रा तुम्हारे लिए बहुत कठिन रही है और तुम बहुत थक गई हो। अपनी थकान से लज्जित मत हो, वरन उसे मेरी सामर्थ को अपने में ले लेने और मेरी सामर्थ द्वारा आगे बढ़ने का अवसर बनाओ।"

   जब कभी जीवन यात्रा कठिन लगने लगे, तब हम मसीही विश्वासियों के लिए 2 कुरिन्थियों 1:9 इस बात को स्मरण दिलाता है कि हम अकेले नहीं हैं। हमारे लिए सहायता उपलब्ध है, उसकी सहायता जिसने मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा उस सामर्थ का प्रमाण दिया, जो तब से लेकर आज तक अपने प्रत्येक विश्वासी के जीवन में अपनी सामर्थ उँडेलता रहा है और उसका प्रमाण देता रहा है, तथा जो एक दिन अपने सभी विश्वासियों के पुनरुत्थान के द्वारा इस सामर्थ का प्रमाण फिर देगा।

   रौना ने कहा, "मेरी सामर्थ और मेरी आशा केवल प्रभु यीशु ही है" - यही वह सत्य है जो जीवन की हर कठिनाई से सफलतापूर्वक पार उतारने के लिए पर्याप्त है। आज आपकी सामर्थ और आशा कौन है? - डेव ब्रैनन


जीवन के तूफान हमें स्मरण दिलाते हैं कि प्रभु यीशु में एक सुरक्षित और स्थिर स्थान सबके लिए उपलब्ध है।

यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं। - 1 कुरिन्थियों 15:19 

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 1:1-11
2 Corinthians 1:1 पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित है, और भाई तीमुथियुस की ओर से परमेश्वर की उस कलीसिया के नाम जो कुरिन्थुस में है; और सारे अखया के सब पवित्र लोगों के नाम।
2 Corinthians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
2 Corinthians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। 
2 Corinthians 1:4 वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। 
2 Corinthians 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। 
2 Corinthians 1:6 यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। 
2 Corinthians 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो। 
2 Corinthians 1:8 हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। 
2 Corinthians 1:9 वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। 
2 Corinthians 1:10 उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा। 
2 Corinthians 1:11 और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 8-10


सोमवार, 31 मार्च 2014

तैयार


   जैसे उसके अन्य मित्र कर रहे थे, मेरी बेटी मेलिस्सा भी व्यसक होने और तब की ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी। स्कूल में वो अपने भविष्य की योजना के अनुसार के विषयों के पाठ्यक्रमों के अध्ययन के द्वारा कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी, और एक कॉलेज में प्रवेश परीक्षा देने के लिए उसने अपना नाम भी लिखवा लिया था। स्कूल से बाहर अपने मित्रों, सहपाठियों और अन्य लोगों के साथ समय बिता कर तथा उनसे संवाद तथा विचारविमर्श द्वारा वो सामाजिक दायित्वों को निभाना सीख रही थी। अपने कार्य स्थल में वो विभिन्न स्तर के लोगों के साथ संपर्क तथा व्यवहार के द्वारा अपने भविष्य के कार्य की ज़िम्मेदारियों के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी। घर पर मेलिस्सा घर के कार्यों में हाथ बंटाने और पारिवारिक संबंधों को निभाने के द्वारा एक मसीही विश्वासी परिवार के निर्वाह को सीख रही थी।

   व्यसक जीवन की तैयारी काफी मेहनत भरी होती है और मेलिस्सा उसमें पूरी तन्मयता के साथ लगी हुई थी तथा भली भांति उन्नति भी कर रही थी। लेकिन अनायास ही हुई उस अनेपक्षित दुर्घटना ने प्रगट कर दिया कि इनमें से कोई भी तैयारी वह तैयारी नहीं थी जिसकी उसे सबसे अधिक आवश्यकता थी। सन 2002 के जून माह की एक मनोरम शाम को 17 वर्षीय मेलिस्सा के जीवन का एक कार दुर्घटना में आक्समिक अन्त हो गया। उस अन्त के लिए उसे केवल एक ही तैयारी की आवश्यकता थी - परमेश्वर के सामने खड़े होकर अपने जीवन का हिसाब देने की; और उस शाम जब अचानक ही वह समय आ पहुँचा, मेलिस्सा अपने अनन्त के लिए तैयार थी, क्योंकि प्रभु यीशु में विश्वास और पापों से पश्चाताप एवं प्रभु यीशु को किए गए जीवन समर्पण के द्वारा (यूहन्ना 3:16; रोमियों 5:8-9) मेलिस्सा पहले से ही अपना अनन्त सुनिश्चित कर चुकी थी।

   जब उसकी तैयारियों को परखने की वास्तविक घड़ी अनायास ही आ पहुँची, मेलिस्सा तैयार थी - क्या आप भी उस घड़ी के लिए तैयार हैं? जैसे मेलिस्सा पर, वैसे ही आप पर भी, वह घड़ी कभी भी अनेपक्षित रूप से आ सकती है और तब तैयारी का कोई समय नहीं मिलेगा। संसार की ज़िम्मेदारियों के लिए करी गई सभी तैयारियाँ संसार में ही रह जाएंगी; असली आवश्यकता तो अनन्त काल की तैयारी की है - उस के लिए आप की तैयारी की क्या स्थिति है? - डेव ब्रैनन


यदि आज मृत्यु आपको उठा ले जाए तो क्या आप परमेश्वर के सामने जीवन का लेखा देने के लिए खड़े होने को तैयार हैं?

जैसा कहा जाता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय किया था। - इब्रानियों 3:15

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-11
Romans 5:1 ​सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। 
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। 
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। 
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। 
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। 
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। 
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे? 
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे? 
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 5-7


रविवार, 30 मार्च 2014

नज़रिया


   बहुत वर्षों से एलन फन्ट का टेलिविज़न कार्यक्रम Candid Camera दर्शकों के मनोरंजन का स्त्रोत रहा है। इस कार्यक्रम में एक छिपे हुए कैमरे में कैद कर के आकस्मिक और विचित्र परिस्थितियों के प्रति करी गई लोगों की हास्यासपद प्रतिक्रियाएं दिखाई जाती हैं। एलन के पुत्र पीटर के अनुसार, इस कार्यक्रम में दिखाने के लिए सामग्री एकत्रित करते समय उनका मानना यही रहता है कि, "सामान्यतः लोग अद्भुत होते हैं, और हम अपने कैमरे से यह दिखाना चाहते हैं।" पीटर का यह भी मानना है कि ऐसे ही कुछ अन्य कार्यक्रमों के प्रस्तुतकर्ता यह मानकर चलते हैं कि लोग सामान्यतः बेवकूफ होते हैं और वे यही बात दिखाने का प्रयास करते हैं। पीटर की यह टिप्पणी दिखाती है कि लोगों के प्रति हमारा नज़रिया ही उनके प्रति हमारे व्यवहार को निर्धारित करता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के जीवन से संबंधित एक घटना में, प्रभु यीशु ज़क्कई नामक एक महसूल लेने वाले के घर आतिथ्य के लिए गए। उन दिनों में क्योंकि यहूदी लोग रोमियों की गुलामी में थे और महसूल लेने वाले रोमी शासकों के लिए कार्य करते थे इसलिए यहूदी समाज महसूल लेने वाले यहूदियों को बड़ी निन्दनीय दृष्टि से देखता था और उन्हें घोर पापी मानता था। प्रभु यीशु को ज़क्कई के घर जाता देख, लोग प्रभु की आलोचना करने लगे, "यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है" (लूका 19:7)। प्रभु यीशु, इस आलोचना की परवाह किए बिना ज़क्कई के घर गए, प्रभु के व्यवहार से ज़क्कई का मन बदल गया, उसने अपने पापों से पश्चाताप किया और अधर्म से कमाई दौलत को लौटा देने का निर्णय लिया, जिस पर प्रभु ने कहा, "...आज इस घर में उद्धार आया है...क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है" (लूका 19:9, 10)।

   मेरे मित्र बौब हौर्नर कहते हैं, "यदि आप किसी को असफल प्रवृति का एवं अयोग्य देखोगे तो उसके प्रति तिरस्कारपूर्ण व्यवहार करोगे। लेकिन जब उन्हें पाप में खोया और सहायता पाने के योग्य देखोगे तो उनके प्रति आपका व्यवहार अनुकंपा और दया का होगा।"

   प्रभु यीशु कभी संसार के लोगों को असफल प्रवृति का एवं अयोग्य नहीं देखता, उसके लिए सभी जन पाप से छुड़ाए जाने तथा प्रेम किए जाने के योग्य हैं। इसीलिए उसने सारे संसार के सभी लोगों के लिए अपने प्राण बलिदान करे ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, अपने पापों से पश्चाताप करे और अपना जीवन उसे समर्पित करे, वह परमेश्वर की सन्तान कहलाने और अनन्तकाल तक उस के साथ स्वर्ग में रहने के योग्य हो जाए।

   जब हमारे सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता प्रभु का नज़रिया ऐसा है तो हम जो उसके अनुयायी हैं, क्या पाप के अन्धकार में खोए संसार के लोगों के प्रति इससे भिन्न नज़रिया रखने का कोई वाजिब कारण दे सकते हैं? - डेविड मैक्कैसलैंड


जिन्होंने उद्धार पा लिया है उन्हें पाप में खोए हुओं को खोजने में लगे रहना चाहिए।

यीशु ने यह सुनकर, उन से कहा, भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है: मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं। - मरकुस 2:17

बाइबल पाठ: लूका 19:1-10
Luke 19:1 वह यरीहो में प्रवेश कर के जा रहा था। 
Luke 19:2 और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था। 
Luke 19:3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था। 
Luke 19:4 तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था। 
Luke 19:5 जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उस से कहा; हे ज़क्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है। 
Luke 19:6 वह तुरन्त उतर कर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया। 
Luke 19:7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है। 
Luke 19:8 ज़क्कई ने खड़े हो कर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय कर के ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं। 
Luke 19:9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है। 
Luke 19:10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 1-4


शनिवार, 29 मार्च 2014

भरोसा रखिए


   मेरे बचपन की बात है, मैं अपने चाचा-चाची के साथ मिशिगन झील पर गई, वहाँ मेरे चचेरे भाई-बहन तो झील के पानी में तैरते हुए दूर तक निकल गए लेकिन मैं अकेली ही तट पर छिछले पानी में खेलती रही। मेरे चाचा ने मुझ से पूछा, "क्या तुम तैर सकती हो?" मैंने उत्तर दिया, "नहीं" तो वे बोले, "कोई बात नहीं, मैं तुम्हें पानी के अन्दर तक ले जाऊँगा।" मैंने घबराकर कहा, "लेकिन वहाँ तो बहुत गहरा है।" परन्तु उन्होंने मुझे आश्वस्त करते हुए कहा, "बस मुझे थामे रहो, तुम मुझ पर भरोसा करती हो ना?" मैंने उनका हाथ पकड़ा और हम पानी के अन्दर गहराईयों की ओर चलने लगे। थोड़ी दूर चलने के बाद मेरे पाँव तले पर नहीं पड़ पा रहे थे क्योंकि पानी गहरा हो चुका था, तब मेरे चाचा ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरा हौंसला बढ़ाते हुए कहा, "मैंने थामा हुआ है, तुम मेरी गोद में हो।" फिर और कुछ दूर पानी के अन्दर जाकर वे बोले, "यहाँ अपने पाँव नीचे टिका लो, तुम खड़ी होने पाओगी" मुझे डर लग रहा था क्योंकि मेरी समझ के अनुसार तो हम अब गहरे पानी में थे, लेकिन मैंने उन पर भरोसा किया और अपने पैर पानी में नीचे की ओर किए, और मुझे आश्चर्य हुआ कि मैं आराम से खड़ी हो गई, क्योंकि चाचा ने मुझे पानी के अन्दर के एक रेत के टीले पर लाकर खड़ा कर दिया था, जो बाहर से दिख तो नहीं रहा था, पर मेरे खड़े रहने के लिए विद्यमान था।

   जीवन की समस्याएं कठोर और कष्टदायक हो सकती हैं; क्या कभी आप इन समस्याओं से उत्पन्न निराशा से ऐसे घिरे हैं कि आपको लगा मानो गहरे जल में डूबते जा रहे हैं? ऐसे में स्मरण रखें कि हम मसीही विश्वासियों को परमेश्वर का आश्वासन है कि वो सदा हमारे साथ है। परमेश्वर ने हमसे यह वायदा तो नहीं किया कि हम कभी किसी समस्या में नहीं पड़ेंगे, जीवन के समुद्र की लहरें कभी हमारे लिए अशांत नहीं होंगी, लेकिन उस ने यह वायदा अवश्य किया है कि, "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों 13:5)।

   हमारी हर परिस्थिति में हमारा विश्वासयोग्य परमेश्वर हमारे पास और हमारे साथ बना रहता है, हमें थामे रहता है, उसका वायदा है: "जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी" (यशायाह 43:2)। - सिंडी हैस कैसपर


विश्वास रखिए, इससे पहले कि कोई बोझ आपको दबाने पाए, परमेश्वर के हाथ आपकी सहायता के लिए आपको थामे हुए होंगे।

चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में हो कर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है। - भजन 23:4

बाइबल पाठ: भजन 121:1-8
Psalms 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? 
Psalms 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Psalms 121:3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। 
Psalms 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psalms 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है। 
Psalms 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psalms 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। 
Psalms 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 22-24