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मंगलवार, 6 जनवरी 2015

ध्यान


   यदि आप बच्चों के किसी संगीत-समारोह में जाएं तो यह देखकर अटपटा नहीं लगता कि बच्चे सिवाए संगीत-संचालक के बाकी सब को देखते रहते हैं। वे हिलते-डुलते हैं, कसमसाते हैं, एक दुसरे को ऊँगली मारते हैं; वे अपने पंजों पर खड़े होकर श्रोताओं में बैठे अपने माता-पिता या अन्य परिवार जनों को खोजते हैं, और जब कोई उन्हें दिखाई दे जाता है तब उसे हाथ हिलाकर दिखाते हैं; और हाँ, वे थोड़ा-बहुत गा भी लेते हैं। हम उनकी इन बचकाना हरकतों को देखकर मुस्कुराते हैं; हमें बच्चों का यह आचरण मज़ेदार लगता है। किंतु यदि यही आचरण कोई व्यसक करे, और वह संगीत-संचालक पर ध्यान केंद्रित ना रखे तो यह कदापि मज़ेदार या मनोरंजक नहीं माना जाता। अच्छे संगीत के लिए आवश्यक है कि संगीत-मण्डली के प्रत्येक सदस्य का ध्यान पूर्णतः संगीत-संचालक पर लगा रहे, जिससे सभी सदस्य एक लय और एक ताल में संगीत गा-बजा सकें।

   कई बार मसीही विश्वासी भी उस बच्चों की संगीत-मण्डली के सदस्यों के समान व्यवहार करने लग जाते हैं। बजाए इसके कि हम मसीही विश्वासियों की मण्डली के प्रधान-संचालक प्रभु यीशु पर ध्यान केंद्रित रखें, हम एक दूसरे की ओर देखने, दूसरों के बारे में सोचने, दूसरों को मिलने वाली चीज़ों को लेकर चिंतित होने या फिर आस-पास के लोगों पर ध्यान लगाने वाले हो जाते हैं।

   ऐसे व्यवहार के लिए प्रभु यीशु ने अपने एक शिषय पतरस को डांटा। प्रभु पतरस को अभी बता ही रहा था कि वह उससे क्या चाहता है, लेकिन पतरस का ध्यान प्रभु और उसकी बातों पर नहीं वरन पीछे आने वाले एक अन्य चेले यूहन्ना पर था, और "उसे देखकर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, इस का क्या हाल होगा? यीशु ने उस से कहा, यदि मैं चाहूं कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या? तू मेरे पीछे हो ले" (यूहन्ना 21:21-22)।

   कई बार हमारा ध्यान और लोगों के कार्यों द्वारा भंग हो जाता है। हमें लगता है कि उनके जीवन के लिए प्रभु की योजना हमारे जीवन के लिए बनाई गई योजना से बेहतर है। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि हम सभी के लिए प्रभु की एक ही योजना है: "हम सभी प्रभु यीशु का अनुसरण करें; उसके पीछे-पीछे चलें।" जब हमारा पूरा ध्यान प्रभु पर ही लगा होगा तो फिर किसी और के लिए उसकी योजना को लेकर हमारा ध्यान भंग नहीं होने पाएगा और हम सब मसीही विश्वासी एक साथ मिलकर अपने प्रभु के लिए एक उत्कृष्ट कार्य करने पाएंगे। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर की प्रत्येक सन्तान के लिए परमेश्वर की योजना में एक विशेष स्थान है।

सो जब तक प्रभु न आए, समय से पहिले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अन्धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाएगा, और मनों की मतियों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी। - 1 कुरिन्थियों 4:5 

बाइबल पाठ:यूहन्ना 21:15-22
John 21:15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उसने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा। 
John 21:16 उसने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उसने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर। 
John 21:17 उसने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उसने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा। 
John 21:18 मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्‍धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्‍धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा। 
John 21:19 उसने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। 
John 21:20 पतरस ने फिरकर उस चेले को पीछे आते देखा, जिस से यीशु प्रेम रखता था, और जिसने भोजन के समय उस की छाती की और झुककर पूछा हे प्रभु, तेरा पकड़वाने वाला कौन है? 
John 21:21 उसे देखकर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, इस का क्या हाल होगा? 
John 21:22 यीशु ने उस से कहा, यदि मैं चाहूं कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या? तू मेरे पीछे हो ले।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 16-17
  • मत्ती 5:27-48


सोमवार, 5 जनवरी 2015

विश्राम


   स्पेन के बार्सिलोना शहर से दो घंटे उत्तर दिशा की यात्रा करके एक रेस्टोरां आता है, ’एल बुल्ल”। यह रेस्टोरां अपने ग्राहकों में इतना लोकप्रीय है कि लोगों को यहाँ भोजन करने के लिए 6 महीने पूर्व अपने लिए एक मेज़ आरक्षित करवानी पड़ती है। अपनी उत्कृष्ट सेवा के लिए यह रेस्टोरां कई पुरुस्कार और सम्मान भी जीत चुका है। लेकिन सुप्रसिद्ध स्पैनिश शेफ फेरान एद्रिया ने इस रेस्तोरां को दो वर्ष तक बन्द कर देने का निर्णय लिया जिससे उसे और उसके सहकार्यकर्ताओं को सोचने तथा कुछ नया कर पाने की योजना बनाने का समय मिल सके। एक साक्षात्कार में एद्रिया ने Hemispheres Magazine नामक पत्रिका से कहा, "जब आप सभी पुरुस्कार जीत रहे हों, तो बदलें क्यों? प्रतिदिन 15 घंटे कार्य कर के हमारे पास कुछ भी नया करने के बारे में सोच पाने के लिए समय नहीं रह पाता।" इसलिए उन्होंने अपनी बड़ी सफलता के मध्य समय निकाला जिससे वे वह कर सकें जो उन के लिए सबसे अधिक आवश्यक है।

   पहली शताबदी में अंताकिया की मसीही मण्डली ने भी अच्छी उन्नति देखी क्योंकि "प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास कर के प्रभु की ओर फिरे" (प्रेरितों 11:21)। परिणामस्वरूप, बरनाबास और शाऊल उन नए मसीही विश्वासियों को सिखाने के लिए वहाँ गए (पद 25-26)। लेकिन उन नए विश्वासियों को सिखाने की कड़ी मेहनत के समय में उन्होंने प्रार्थना और उपवास द्वारा प्रभु की इच्छा जानने के लिए भी समय निकाला (प्रेरितों 13:2-3), जिसके फलस्वरूप प्रभु ने उन्हें सुसमाचार को एशिया में पहुँचाने की योजना बताई।

   विचार करने और योजना बना सकने के लिए दो वर्ष का समय निकाल पाना बहुत ही कम लोग कर पाते हैं, लेकिन हम सभी अपनी दिनचर्या में प्रभु के पास सच्चे मन से प्रार्थना में आ सकने के लिए कुछ समय अवश्य निर्धारित कर सकते हैं। जब हम परमेश्वर के सम्मुख अपने मन और मस्तिष्क खोल देते हैं, उसके लिए अपने आप को उपलब्ध करवा देते हैं तो वह हमारे जीवन और सेवकाई द्वारा उसे महिमा दे पाने के तरीके हम पर प्रगट कर देने में विश्वासयोगय है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रार्थना करना श्वास लेने के समान ही महत्वपूर्ण है।

और वहां से जहाज से अन्‍ताकिया में आए, जहां से वे उस काम के लिये जो उन्होंने पूरा किया था परमेश्वर के अनुग्रह पर सौंपे गए थे। वहां पहुंचकर, उन्होंने कलीसिया इकट्ठी की और बताया, कि परमेश्वर ने हमारे साथ हो कर कैसे बड़े बड़े काम किए! और अन्यजातियों के लिये विश्वास का द्वार खोल दिया। - प्रेरितों 14:26-27

बाइबल पाठ: प्रेरितों 11:19-26; 13:1-3
Acts 11:19 सो जो लोग उस क्‍लेश के मारे जो स्‍तिफनुस के कारण पड़ा था, तित्तर बित्तर हो गए थे, वे फिरते फिरते फीनीके और कुप्रुस और अन्‍ताकिया में पहुंचे; परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को वचन न सुनाते थे। 
Acts 11:20 परन्तु उन में से कितने कुप्रुसी और कुरेनी थे, जो अन्‍ताकिया में आकर युनानियों को भी प्रभु यीशु का सुसमचार की बातें सुनाने लगे। 
Acts 11:21 और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास कर के प्रभु की ओर फिरे। 
Acts 11:22 तब उन की चर्चा यरूशलेम की कलीसिया के सुनने में आई, और उन्होंने बरनबास को अन्‍ताकिया भेजा। 
Acts 11:23 वह वहां पहुंचकर, और परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर आनन्‍दित हुआ; और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहो। 
Acts 11:24 क्योंकि वह एक भला मनुष्य था; और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था: और और बहुत से लोग प्रभु में आ मिले। 
Acts 11:25 तब वह शाऊल को ढूंढने के लिये तरसुस को चला गया। 
Acts 11:26 और जब उन से मिला तो उसे अन्‍ताकिया में लाया, और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत लोगों को उपदेश देते रहे, और चेले सब से पहिले अन्‍ताकिया ही में मसीही कहलाए।
Acts 13:1 अन्‍ताकिया की कलीसिया में कितने भविष्यद्वक्ता और उपदेशक थे; अर्थात बरनबास और शमौन जो नीगर कहलाता है; और लूकियुस कुरेनी, और देश की चौथाई के राजा हेरोदेस का दूध-भाई मनाहेम और शाऊल। 
Acts 13:2 जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे था, तो पवित्र आत्मा ने कहा; मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिस के लिये मैं ने उन्हें बुलाया है। 
Acts 13:3 तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना कर के और उन पर हाथ रखकर उन्हें विदा किया।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 13-15 
  • मत्ती 5:1-26


रविवार, 4 जनवरी 2015

धन्य


   हाल ही में मैंने टेलिविज़न पर एक रेस्टोरां श्रंखला का विज्ञापन देखा जिसमें एक लुभावना दावा किया गया था; उस विज्ञापन के अनुसार, आप उस श्रंखला के किसी भी रेस्टोरां मे जाकर अपना मनपसन्द भोजन द्वारा आनन्दित हो सकते हैं। क्या ही अच्छा होता यदि अपने मनपसन्द भोजन के द्वारा हमें चिरस्थाई आनन्द मिल पाता; किंतु कटु सत्य यह है कि कोई भी रेस्टोरां हमें चिरस्थाई आनन्द दे सकने वाला भोजन नहीं परोस सकता।

   हम अपने जीवन के हर क्षेत्र के अनुभवों के आधार पर जानते हैं कि चिरस्थाई आनन्द ऐसे ही नहीं मिल जाता। हम इस आनन्द की प्राप्ति के लिए भोजन या अनेक प्रकार के अन्य साधन और तरीके अपना सकते हैं; उनके द्वारा क्षणिक या अल्पकालीन आनन्द भी पा सकते हैं किंतु चिरस्थाई आनन्द सदा ही हमारी पहुँच के बाहर बना रहता है। ऐसा क्यों? क्योंकि अधिकांशतः हम जिन चीज़ों के पीछे भागते हैं वे हमारे मन की गहराईयों की आवश्यकता को पूरी नहीं कर पातीं। हमारे ये प्रयास हमें कुछ पल का मज़ा, कुछ सुखद अनुभव देने वाले या फिर कुछ समय के लिए हमारा ध्यान बटांने वाले तो हो सकते हैं लेकिन मन से निकलने वाली अटल और दृढ़ आशा पाने की पुकार को संतुष्ट करने वाले नहीं हो सकते। मन की यह पुकार केवल परमेश्वर ही पूरी कर सकता है। इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा है: "क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है" (भजन 146:5)।

   चिरस्थाई आनन्द और अटल आशा की खोज में हैं? प्रभु यीशु के पास आईए, उसे परख कर देखिए, उसे नज़दीकी से जानिए। जब आप अपने आप को प्रभु यीशु के हाथों में समर्पित कर देंगे, उसकी देखभाल में आपको वह चिरस्थाई आनन्द और अटल आशा मिलेगी जिसके लिए आपका मन लालायित रहता है। स्वेच्छा और सच्चे मन से उसमें लाया गया विश्वास आपको हर चक्र से निकाल कर एक धन्य व्यक्ति बना देगा - अनन्तकाल के लिए। - बिल क्राउडर


जो प्रभु परमेश्वर को जीवन में प्रथम स्थान देता है वह अन्त तक आनन्दित बना रहेगा।

धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। - यिर्मेयाह 17:7

बाइबल पाठ: भजन 146
Psalms 146:1 याह की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर! 
Psalms 146:2 मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा।
Psalms 146:3 तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं। 
Psalms 146:4 उसका भी प्राण निकलेगा, वही भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी।
Psalms 146:5 क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है। 
Psalms 146:6 वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उन में जो कुछ है, सब का कर्ता है; और वह अपना वचन सदा के लिये पूरा करता रहेगा। 
Psalms 146:7 वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है; और भूखों को रोटी देता है। यहोवा बन्धुओं को छुड़ाता है; 
Psalms 146:8 यहोवा अन्धों को आंखें देता है। यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है; यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है। 
Psalms 146:9 यहोवा परदेशियों की रक्षा करता है; और अनाथों और विधवा को तो सम्भालता है; परन्तु दुष्टों के मार्ग को टेढ़ा मेढ़ा करता है।
Psalms 146:10 हे सिय्योन, यहोवा सदा के लिये, तेरा परमेश्वर पीढ़ी पीढ़ी राज्य करता रहेगा। याह की स्तुति करो!

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 10-12 
  • मत्ती 4


शनिवार, 3 जनवरी 2015

साथ


   मुझे लोगों के साथ रहना अच्छा लगता है....अकसर! जब हम अपने पसन्द के लोगों के साथ होते हैं तो एक अलग ही प्रकार आनन्द हमारे हृदयों में होता है। लेकिन दुर्भाग्यवश हम सदा ही अपने पसन्द के लोगों के साथ नहीं रहने पाते। कभी कभी लोग कष्टदायक भी होते हैं; शायद इसीलिए किसी ने कहा है, "मैं जितना अधिक लोगों को जानने लगता हूँ, मुझे अपने कुत्ते से उतना अधिक प्रेम होता जाता है!" जब किसी संबंध से हमें कष्ट होता है या उसमें हमें आनन्द नहीं मिलता तो हम दूसरे को दोषी ठहराने लगते हैं और फिर कोई बहाना बनाकर उस संबंध से पृथक होकर अपनी पसन्द के लोगों के साथ संगति ढूंढ़ने लगते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने अपनी एक पत्री में लिखा कि अपने मसीही विश्वासी भाई-बहनों के साथ सप्रेम व्यवहार एवं संबंध बनाए रखें। साथ ही उसने मसीह यीशु के स्वभाव के अनुरूप परस्पर एकमनता बनाए रखने तथा दूसरों के हित के विषय में प्रयासरत रहने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया (फिलिप्पियों 2:2-5)। इस बारे में थोड़ा विचार कीजिए - प्रभु यीशु ने स्वर्ग के वैभव और महिमा को, अपने प्रत्येक अधिकार को हमारे लिए छोड़ दिया; हमारे पापों की क्षमा और उद्धार के लिए वह एक दास का स्वरूप लेकर स्वर्ग से संसार में आ गया, और हमें बचाने के लिए सबसे बड़ा बलिदान दे दिया - अपने प्राणों का बलिदान, ताकि हम उसमें होकर परमेश्वर के साथ एक आनन्दमय संबंध में आ सकें (इब्रानियों 12:2)। और यह सब उसने हमारे लिए तब किया जब हम पापी ही थे, उसके लिए किसी रीति से आनन्दायक नहीं वरन कष्टदायक ही थे (रोमियों 5:8)।

   इसलिए जब अगली बार आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हों जिसके साथ निभाना सरल नहीं है, तो प्रभु यीशु से प्रार्थना करें कि आपको ऐसी सामर्थ दे कि आप उस व्यक्ति के साथ प्रभु के प्रेम को दिखा सकें। प्रभु के प्रेम को हर परिस्थिति में प्रदर्शित करने का प्रयास करते रहें, और समय के साथ आपको यह देखकर अचरज होगा कि कैसे परमेश्वर लोगों के प्रति आपके नज़रिये एवं रवैये को बदल देता है। - जो स्टोवैल


दूसरों के साथ निभा पाने की कुंजी है अपने अन्दर प्रभु यीशु का सा मन रखना।

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों 5:8

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 7-9
  • मत्ती 3


शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

संगति


   बेसबॉल के खेल में एक खिलाड़ी गेंद फेंकता है तथा दूसरा उसे बल्ले से मारता है। यदि बल्ले से मारने वाला खिलाड़ी निर्धारित बार फेंकी गई बॉल को मार पाने में असफल रहता है तो वह बाहर हो जाता है। इसलिए जिसने भी बेसबॉल के खेल पर आधारित टी-बॉल खेल आरंभ किया वह वास्त्व में बहुत प्रतिभासंपन्न व्यक्ति होगा, क्योंकि इसमें खेल से बाहर होने से पहले प्रत्येक खिलाड़ी को अवसर मिलता है कि वे गेंद को मार सकें और खेल के रोमांच का आनन्द ले सकें; बिना गेंद को मारे कोई भी खेल से बाहर नहीं हो सकता।

   टी-बॉल में बेसबॉल वाली गेंद को रबर के बने एक सतंभ पर, जो 5 या 6 वर्षीय बच्चों की कमर की ऊँचाई के बराबर होता है तथा जिसे ’टी’ कहते हैं, रखा जाता है। प्रत्येक खिलाड़ी को यह अवसर होता है कि वे बल्ला घुमा कर उस गेंद को मारें; वे तब तक यह प्रयास कर सकते हैं जब तक कि बल्ले का प्रहार गेंद पर नहीं हो जाता। गेंद को मारने के बाद खिलाड़ी दौड़ कर ’रन’ लेता है और मैदान में खड़े खिलाड़ियों का प्रयास होता है कि गेंद को पकड़ कर रन लेने वाले खिलाड़ी के रन पूरा करने से पहले ’बेस’ पर खड़े खिलाड़ी तक फेंक कर पहुँचा दें। यदि गेंद बेस पर खड़े खिलाड़ी के पास रन लेने वाले खिलाड़ी से पहले पहुँच जाती है तो रन लेने वाल खिलाड़ी बाहर हो जाता है।

   इस खेल के लिए प्रशिक्षक के रूप में मेरा पहला दिन था और खिलाड़ी भी इस खेल से परिचित नहीं थे, सभी के लिए यह एक नई बात थी। गेंद टी पर रखी गई और पहले खिलाड़ी ने बल्ला लिया और घुमा कर ज़ोर से गेंद को मारा, और गेंद मैदान में बहुत दूर चली गई। गेंद को दूर जाते देख, मैदान में खड़े सभी खिलाड़ी अपने अपने स्थानों को छोड़ उसे लेने भागे; जब एक ने गेंद उठाकर वापस बेस की ओर फेंकने के लिए मुड़कर देखा तो गेंद पकड़ने के लिए बेस पर कोई भी खिलाड़ी नहीं था! सभी खिलाड़ी मैदान में गेंद पकड़ने वाले वाले खिलाड़ी के पास जमा होकर आनन्दित हो रहे थे, अति उत्साहित होकर उल्लास के साथ खूब शोर मचा रहे थे!

   उन नए खिलाड़ियों के समान, जो लोग प्रभु यीशु में नए विश्वासी होते हैं, उनमें भी एक अलग ही उल्लास होता है और उनका यह उल्लास आस-पास के सभी लोगों के लिए बड़े आनन्द का विषय हो जाता है। ना केवल हम मनुष्य, परन्तु स्वर्गदूत भी उनके आनन्द में आनन्दित होते हैं (लूका 15:7)। ये नए मसीही विश्वासी परमेश्वर के प्रेम से भरे होते हैं और उसके बारे में जानने तथा उसके वचन बाइबल से सीखने के लिए जिज्ञासु रहते हैं।

   जो मसीही विश्वास में कुछ पुराने हो चुके हैं, कभी कभी मसीही जीवन की परीक्षाओं, संघर्षों तथा कठिनाईयों के कारण निराश होकर अपने विशवास में आने के समय के आनन्द को भूल जाते हैं। इसलिए नए मसीही विश्वासियों के साथ संगति के अवसरों को तलाशें और नए मसीही विश्वासियों के साथ संगति रखें। यहन दोनों के लिए लाभकारी है क्योंकि परमेश्वर उन नए विश्वसियों के आनन्द तथा जानकारी लेने की जिज्ञासा द्वारा आपको भी उभार सकता है और मसीह यीशु के प्रति आपके समर्पण को नया कर सकता है तथा आपके अनुभव के द्वारा उन्हें सिखा सकता है, उनका मार्गदर्शन कर सकता है। - रैंडी किल्गोर


अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल। - भजन 51:12

...क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है। - नहेम्याह 8:10

बाइबल पाठ: लूका 15:1-7
Luke 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें। 
Luke 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।
Luke 15:3 तब उसने उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा। 
Luke 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे? 
Luke 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है। 
Luke 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है। 
Luke 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 4-6
  • मत्ती 2


गुरुवार, 1 जनवरी 2015

भला जीवन

सभी पाठकों की नव वर्ष की शुभ-कामनाएं


   सुन्दरता, संपदा, सामर्थ, प्रेम, विवाहित जीवन, सुख आदि सभी अच्छी बातें हैं लेकिन वे सर्वोत्तम नहीं हैं। सर्वोत्तम है परमेश्वर का प्रेम - परमेश्वर के प्रेम का भागी होना तथा उससे प्रेम करना, उसका मित्र बन जाना, उसे अपने जीवन से महिमा देना। यही सर्वोत्तम जीवन व्यतीत करने की कुंजी है, क्योंकि ऐसा करने से ना केवल इस पृथ्वी के जीवन में संतुष्टि एवं आनन्द मिलता है (युहन्ना 10:10), वरन पृथ्वी के बाद के अनन्त जीवन के लिए भी सभी मसीही विश्वासियों के लिए संतुष्टि एवं आनन्द सुनिश्चित हो जाता है।

   इसीलिए यह आवश्यक है कि हम परमेश्वर के साथ संगति के लिए समय निकालें और उसके प्रेम में विश्राम लेते रहें - उस प्रेम में जिसमें होकर परमेश्वर ने मेरी और आपकी सृष्टि करी तथा संसार के सभी लोगों के उद्धार एवं पाप क्षमा के लिए प्रभु यीशु को बलिदान होने के लिए संसार में भेजा। यही प्रेम हमारे अस्तित्व कारण तथा हमारी आशीषों का आधार है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने जिस प्रकार इस बात को व्यक्त किया है वह मुझे बहुत पसन्द है: "परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं" (भजन 73:28)।

   और, परमेश्वर के समीप रहने का तरीका क्या है? यह करने का एक तरीका है वह बात जो मैंने कई वर्ष पहले आरंभ करी थी और जिसे आप भी सरलता से कर सकते हैं: प्रति प्रातः परमेश्वर के वचन बाइबल में से प्रभु यीशु की जीवनी अर्थात सुसमाचारों (मत्ती, मरकुस, लूका, युहन्ना) में से एक खण्ड पढ़ें और उनमें ध्यान करें कि प्रभु यीशु ने क्या कहा, क्या किया - आखिरकर वह हमें परमेश्वर के बारे में बताने और उसके जीवन को प्रगट करने ही तो आया था (इब्रानियों 1:1-3)। फिर अपने आप को उस पढ़े गए खण्ड के घटनाक्रम में रखें, उसके किसी मुख्य पात्र के स्थान पर अपने आप को खड़ा करें और विचार करें कि यदि आप वहाँ होते तो आपकी प्रतिक्रीया या प्रत्युत्तर क्या होता? प्रभु यीशु के उस प्रेम और करुणा के बारे में ध्यान करें जो उसने आपके प्रति व्यक्त किया, और फिर उसे इन बातों के लिए धन्यवाद करें। - डेविड रोपर


सबसे बड़े अचरज की बात - प्रभु यीशु मुझे जैसे व्यक्ति से भी प्रेम करता है।

चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। - युहन्ना 10:10

बाइबल पाठ: भजन 73:21-28
Psalms 73:21 मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था, 
Psalms 73:22 मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रह कर भी, पशु बन गया था। 
Psalms 73:23 तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा। 
Psalms 73:24 तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा। 
Psalms 73:25 स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता। 
Psalms 73:26 मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।। 
Psalms 73:27 जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है। 
Psalms 73:28 परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 1-3
  • मत्ती 1


बुधवार, 31 दिसंबर 2014

विचार


   आज, इस वर्ष के अन्तिम दिन में, जब हम आने वाले नव वर्ष की ओर नई योजनाओं और निर्णयों के साथ देखते हैं, तो बीते समय के परमेश्वर भक्त लोगों की आवाज़ें हमें उस बात के बारे में भी विचार करने के लिए कहती हैं जिसे हम नज़रन्दाज़ करके रखना चाहते हैं - हमारी मृत्यु!

   थोमस केम्पिस (1379-1471) ने लिखा, "वह आनन्द से है जो अपनी मृत्यु की घड़ी को सदा अपने सम्मुख रखता है और प्रतिदिन अपने आप को उस घड़ी के लिए तैयार बनाए रखता है"। फ्रांसिओ फेनलॉन (1651-1715) ने लिखा, "जो लोग मृत्यु के बारे में विचार करना नहीं चाहते और एक अवश्यंभावी बात को नज़रन्दाज़ करके रखना चाहते हैं - एक ऐसी बात जिसके बारे में अकसर विचार करने से हम आनन्दित ही हो सकते हैं, उनके अन्धेपन की हर भर्त्सना कम ही होगी। मृत्यु का विचार केवल सांसारिक परिपेक्ष रखने वाले लोगों को ही परेशान कर सकता है"। ये लोग मृत्यु के विषय एक निराशाजनक मानसिकता में विचाराधीन रहने के बात नहीं कर रहे थे; जीवन के प्रति उनका नज़रिया सकारात्माक तथा गतिशील था और वे भरपूरी का जीवन जीने वाले लोग थे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद के द्वारा अपने एक भजन में कही बात के अनुरूप हमें भी परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए; दाऊद ने परमेश्वर से प्रार्थना करी: "हे यहोवा ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालुम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं! देख, तू ने मेरे आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं" (भजन 39:4-5)। इस भजन में दाऊद आगे उन लोगों के लिए भी लिखता है जो व्यर्थ ही परिश्रम करते रहते हैं, संपदा एकत्रित करते रहते हैं और यह नहीं जानते कि उनके बाद कौन उसका अधिकारी होगा (पद 6)। उसका निषकर्ष था कि परमेश्वर ही है जिसमें विश्वास और आशा बनाए रखने से वह आत्मिक विद्रोह और विनाश से बचा रह सकता है (पद 7-8)।

   इस वर्ष का अन्त और नए वर्ष की आशा एक उपयुक्त समय है इस पृथ्वी पर अपने जीवन की संक्षिप्तता और परमेश्वर पर अपनी आशा और विश्वास पर विचार करने का - और यह निर्णय करने का ये विचार हमारे साथ प्रतिदिन बने रहेंगे। - डेविड मैक्कैसलैंड


मृत्यु की अवश्यंभाविता पर विचार करते रहना जीवन के प्रति सकारात्मक और गतिशील रवैया बनाए रखता है।

हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं। - भजन 90:12

बाइबल पाठ: भजन 39
Psalms 39:1 मैं ने कहा, मैं अपनी चाल चलन में चौकसी करूंगा, ताकि मेरी जीभ से पाप न हो; जब तक दुष्ट मेरे साम्हने है, तब तक मैं लगाम लगाए अपना मुंह बन्द किए रहूंगा। 
Psalms 39:2 मैं मौन धारण कर गूंगा बन गया, और भलाई की ओर से भी चुप्पी साधे रहा; और मेरी पीड़ा बढ़ गई, 
Psalms 39:3 मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था। सोचते सोचते आग भड़क उठी; तब मैं अपनी जीभ से बोल उठा; 
Psalms 39:4 हे यहोवा ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालुम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं! 
Psalms 39:5 देख, तू ने मेरे आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं। 
Psalms 39:6 सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा! 
Psalms 39:7 और अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूं? मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है। 
Psalms 39:8 मुझे मेरे सब अपराधों के बन्धन से छुड़ा ले। मूढ़ मेरी निन्दा न करने पाए। 
Psalms 39:9 मैं गूंगा बन गया और मुंह न खोला; क्योंकि यह काम तू ही ने किया है। 
Psalms 39:10 तू ने जो विपत्ति मुझ पर डाली है उसे मुझ से दूर कर दे, क्योंकि मैं तो तरे हाथ की मार से भस्म हुआ जाता हूं। 
Psalms 39:11 जब तू मनुष्य को अधर्म के कारण डाँट डपटकर ताड़ना देता है; तब तू उसकी सुन्दरता को पतंगे की नाईं नाश करता है; सचमुच सब मनुष्य व्यर्थ अभिमान करते हैं।
Psalms 39:12 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, और मेरी दोहाई पर कान लगा; मेरा रोना सुनकर शांत न रह! क्योंकि मैं तेरे संग एक परदेशी यात्री की नाईं रहता हूं, और अपने सब पुरखाओं के समान परदेशी हूं। 
Psalms 39:13 आह! इस से पहिले कि मैं यहां से चला जाऊं और न रह जाऊं, मुझे बचा ले जिस से मैं प्रदीप्त जीवन प्राप्त करूं!

एक साल में बाइबल: 
  • प्रकाशितवाक्य 19-22

आप सभी के लिए आता नव-वर्ष आशीष पूर्ण एवं मंगलमय हो