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शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

पूर्व और पश्चात


   किसी कठिन परीक्षा से निकलने के पश्चात मसीही विश्वास के जीवन में क्या परिवर्तन आते हैं? मैं इस बारे में सोचने लगा जब मैंने जमाइका निवासी एक पिता की त्रासदी से निकलने की घटना पढ़ी; उस पिता ने घर में घुसपैठ करने वाले लोगों से अपने परिवार कि रक्षा करते हुए गलती से अपनी ही 18 वर्षीय पुत्री को गोली से मार दिया। समाचार पत्रों के अनुसार, इस दुर्घटना के अगले दिन भी वह अपनी आदत के अनुसार चर्च गया, दुःख से बदहाल, परन्तु फिर भी परमेश्वर से सहायता लेने। उसके मसीही विश्वास ने इस दुर्घटना से पूर्व भी उसका मार्गदर्शन किया था, और वह जानता था कि इस दुर्घटना के पश्चात भी उसका मार्गदर्शन वैसे ही और वहीं से ही आएगा।

   इस बात को लेकर मैं अपने जीवन के बारे में सोचने लगा क्योंकि मैंने भी अपनी एक बेटी मेलिस्सा को उसकी किशोरावस्था में खोया है। यह देखने के लिए कि अपनी बेटी की मृत्यु से पहले मैं जीवन और विश्वास के प्रति क्या दृष्टिकोण रखता था, और क्या इस कठिन परीक्षा से होकर निकलने के कारण अब परमेश्वर के प्रति में मेरे विश्वास में कोई परिवर्तन हुआ या नहीं, मैंने अपने कंप्यूटर में संजोए हुए अपने लिखे पुराने लेखों को खोला, और जून 2002 में मेलिस्सा की मृत्यु से पूर्व लिखे गए अपने एक लेख को पढ़ने लगा। उस वर्ष के मई महीने में जो लेख मैंने लिखा, उसमें लिखा था: "दाऊद साहस से परमेश्वर के पास जाने और उससे अपने मन की बात कहने से नहीं हिचकिचाया...हमें भी अपने मन की बात परमेश्वर से कहने से कभी नहीं डरना चाहिए।"

   कठिन समयों से निकलने से पहले मैं परमेश्वर के पास जाया करता था और वह मेरे मन की बात सुनता था; मैंने यह भी पाया कि अब भी मैं परमेश्वर के पास वैसे ही जाता हूँ और वह मेरे मन की बात पहले के समान ही सुनता भी है। इसलिए मैं विश्वास के साथ परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ।

   कठिन समयों और परीक्षाओं से होकर निकलने पर भी हमारा मसीही विश्वास ना केवल सुदृढ़ रहता है वरन और बढ़ता तथा मज़बूत होता है क्योंकि हमारा परमेश्वर हर घटना के पूर्व और पश्चात वही और वैसा ही रहता है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के वचन बाइबल से हम जो परमेश्वर के बारे में जानने पाते हैं वह हमें उन परिस्थितियों में भी प्रोत्साहित करता है कि उसमें विश्वास बनाए रखें जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते।

परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा। - Psalms 55:16-17

बाइबल पाठ: भजन 55:1-8
Psalms 55:1 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़! 
Psalms 55:2 मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं। 
Psalms 55:3 क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं।
Psalms 55:4 मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। 
Psalms 55:5 भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं। 
Psalms 55:6 और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता! 
Psalms 55:7 देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता, 
Psalms 55:8 मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता। 

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 39-40
  • मत्ती 23:23-39


शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

जानकारी


   हाल ही में मैंने अमेरिका में व्यक्तियों के लिए जासूसी का काम करने वाले एक जन के बारे में पढ़ा जो लोगों के दरवाज़े पर जाकर खटखटाता था और जो भी दरवाज़ा खोलता उसे अपनी पहचान बताने वाला बिल्ला दिखाकर कहता, "मुझे पता है कि मुझे आपको मेरे यहाँ आने का कारण बताने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।" अनेक अवसरों पर दरवाज़ा खोलने वाला भौंचका रह जाता और कह उठता, "आपको बात का पता कैसे चला?" और इससे काफी पहले हुए किसी अपराधिक कार्य का भेद खुलना आरंभ हो जाता था। स्मिथसोनियन पत्रिका में इसके विषय में लिखते हुए रौन रोज़ेनबॉम ने लोगों की इस प्रतिक्रिया के बारे में लिखा, "यह विवेक के प्राथमिक बल का कार्य, हृदय के अपने आप से चल रहे भीतरी वार्तालाप का प्रगटिकरण है।"

   हम सब अपने बारे में अनेक ऐसी बातें जानते हैं जो अन्य कोई नहीं जानता - हमारी असफलताएं, हमारे दोष, हमारे पाप - चाहे हम ने परमेश्वर के समक्ष इन सबका अंगीकार कर लिया है, लेकिन वे लौट लौट कर हमें दोषी ठहराने के लिए हमारे सामने आ खड़े होते हैं। प्रभु यीशु के एक निकट अनुयायी, यूहन्ना ने हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम और उसके द्वारा हमें उसकी आज्ञाकारिता में बने रहने के निर्देशों के विषय में लिखा: "इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे। क्योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है" (1 यूहन्ना 3:19-20)।

   परमेश्वर के प्रति हमारा विश्वास हमारे प्रति प्रभु यीशु में होकर किए गए उसके प्रेम और क्षमा के द्वारा आरंभ एवं घनिष्ठ होता है ना कि हमारे किसी कर्म के द्वारा, "...और इसी से, अर्थात उस आत्मा से जो उसने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है" (1 यूहन्ना 3:24)। परमेश्वर जो हमेशा हमारी हर बात की संपूर्ण जानकारी रखता है, हमारी अपनी आत्मनिन्दा से बढ़कर है, और अपने महान प्रेम में होकर ही हमारे पक्ष में कार्य करता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


जिसने मसीह यीशु को स्वीकार कर लिया है, उसे परमेश्वर से दण्ड स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं होगी।

और धर्म का फल शांति और उसका परिणाम सदा का चैन और निश्चिन्त रहना होगा। - यशायाह 32:17

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 3:16-24
1 John 3:16 हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए। 
1 John 3:17 पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है? 
1 John 3:18 हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें। 
1 John 3:19 इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे। 
1 John 3:20 क्योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है। 
1 John 3:21 हे प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्वर के साम्हने हियाव होता है। 
1 John 3:22 और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं। 
1 John 3:23 और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उसने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें। 
1 John 3:24 और जो उस की आज्ञाओं को मानता है, वह उस में, और वह उन में बना रहता है: और इसी से, अर्थात उस आत्मा से जो उसने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है। 

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 36-38
  • मत्ती 23:1-22


गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

आज्ञा


   जब प्रभु यीशु से पूछा गया कि जीवन के लिए सबसे बड़ी आज्ञा क्या है तो उन्होंने कहा, "तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना" (मरकुस 12:30)। इन शब्दों में प्रभु यीशु ने हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा का सार बताया।

   मैं सोचता हूँ कि कैसे मैं परमेश्वर से अपने सारे मन, प्राण और बुद्धि से प्रेम रख सकता हूँ? प्रभु यीशु द्वारा कही गई यह बात परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड की व्यवस्थाविवरण नामक पुस्तक से ली गई है, जहाँ परमेश्वर ने अपने लोगों को यह आज्ञा दी थी। नील प्लेनटिंगा इसे समझाने के लिए कहते हैं कि "तुम्हें परमेश्वर से अपने सर्वस्व से प्रेम रखना है - जो कुछ तुम्हारे पास है, जो कुछ तुम हो - सब कुछ।"

   जब हम परमेश्वर के साथ अपने संबंध को इस दृष्टि से देखते हैं तो हमारी परिस्थितियों के प्रति हमारा दृष्टिकोण बिलकुल बदल जाता है। जब हम अपने सर्वस्व से परमेश्वर से प्रेम करते हैं तो हमें हमारे कष्ट क्षणिक और हलके प्रतीत होने लगते हैं और उनके कारण हमें मिलने वाले अनन्त के प्रतिफल का महत्व हमें समझ में आने लगता है, जैसा कि प्रेरित पौलुस ने कोरिन्थ के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी दूसरी पत्री में लिखा (2 कुरिन्थियों 4:17)।

   जब हम अपने सर्वस्व से परमेश्वर के प्रति प्रेम के साथ प्रार्थना में उसके पास आते हैं तो हमारे जीवनों पर हमारी सभी शंकाओं और संघर्षों के दुषप्रभाव हलके हो जाते हैं, और जीवन से संबंधित हमारे अति आवश्यक लगने वाले सभी प्रश्न पृष्ठभूमि में विलीन हो जाते हैं क्योंकि हमें यह एहसास हो जाता है कि "हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया" (1 यूहन्ना 4:19)।

   अपने सर्वस्व से परमेश्वर से प्रेम करने की प्रभु यीशु की आज्ञा, हमारे लिए जीवन को कठिन नहीं, वरन सरल और आशीषित बना देती है। - फिलिप यैन्सी


जो सबसे बहुमूल्य उपहार हम परमेश्वर को दे सकते हैं वह है हमारा प्रेम; यह वह उपहार है जो केवल स्वेच्छा से दिया जा सकता है, बाध्य होकर नहीं।

क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। - 2 कुरिन्थियों 4:17 

बाइबल पाठ: मरकुस 12:28-34
Mark 12:28 और शास्‍त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया; उस से पूछा, सब से मुख्य आज्ञा कौन सी है? 
Mark 12:29 यीशु ने उसे उत्तर दिया, सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है; हे इस्राएल सुन; प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। 
Mark 12:30 और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना। 
Mark 12:31 और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं। 
Mark 12:32 शास्त्री ने उस से कहा; हे गुरू, बहुत ठीक! तू ने सच कहा, कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। 
Mark 12:33 और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है। 
Mark 12:34 जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उस से कहा; तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं: और किसी को फिर उस से कुछ पूछने का साहस न हुआ। 

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 34-35
  • मत्ती 22:23-46


बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

संकल्प


   सामान्यतः लोग नव-वर्ष के आगमन पर अपने जीवनों में सुधार के लिए कुछ संकल्प करते हैं, परन्तु मैंने नव-वर्ष के साथ नए संकल्प करना सन 1975 से छोड़ रखा है। मुझे नए संकल्प करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती - अभी तो मैं अभी पुराने संकल्प जैसे कि, प्रतिदिन जो परमेश्वर मुझे सिखाता है उसे लिख कर संकलित करके रखना, परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमित प्रतिदिन पढ़ना, परमेश्वर के साथ प्रार्थना में प्रतिदिन समय बिताना, अपने समय को नियोजित करके उसका सदुप्योग करना, अपने कमरे को साफ-सुथरा रखना (अब तो मेरे पास साफ-सुथरा रखने के लिए पूरा घर है) आदि को ही भली-भांति पूरे करने के प्रयास में लगी हूँ!

   लेकिन इस वर्ष मैंने अपने संकल्पों की सूचि में एक नया संकल्प जोड़ा है, जो मुझे प्रेरित पौलुस द्वारा रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी गई पत्री से मिला: "सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष ना लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे" (रोमियों 14:13)। यद्यपि यह संकल्प नया नहीं, अपितु लगभग 2000 वर्ष पुराना है, परन्तु फिर भी यह एक ऐसा संकल्प है जिसे हमें हर वर्ष दोहराते रहना चाहिए। जैसे उस समय रोम के मसीही विश्वासी कर रहे थे, आज के मसीही विश्वासी भी कई बार वैसा ही करते हैं - दूसरों के पालन के लिए नियम बनाते हैं, और दूसरों को बाध्य करते हैं कि वे कुछ ऐसी बातों और व्यवहार पर चलें जिनके बारे में बाइबल या तो कुछ कहती ही नहीं है अथवा उनकी बात से अलग ही कहती है। उनके बनाए ऐसे नियम और व्यवहार लोगों के लिए ठोकर का कारण बनते हैं, मसीही विश्वासियों के जीवनों में कठिनाई लाते हैं तथा दूसरों को मसीह यीशु के पास आने में बाधा बनते हैं।

   प्रभु यीशु ने यह स्पष्ट सिखाया, और बाइबल में भी स्पष्ट लिखा गया है कि उद्धार केवल प्रभु के अनुग्रह से ही है, ना कि किसी परिवार में जन्म लेने अथवा कुछ कर्मों के द्वारा (गलतियों 2:16); पापों की क्षमा प्राप्त करने और उद्धार पाने के लिए प्रत्येक जन को व्यक्तिगत रीति और स्वेच्छा से प्रभु यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान तथा प्रभु यीशु पर विश्वास करना है। इसके विप्रीत बहुत से लोग इस साधारण मसीही विश्वास को धर्म-कर्म और विधि-विधानों के साथ जोड़ देते हैं, जो प्रभु यीशु तथा बाइबल की शिक्षाओं से बिलकुल मेल नहीं खाता है।

   आईए इस नए वर्ष में हम प्रभु यीशु के आगमन के सुसमाचार को लोगों के साथ बाँटने का और उनके आगे प्रभु के निकट आने या प्रभु के साथ साधारण विश्वास का जीवन बिताने में कोई भी अड़चन या बाधा या ठोकर का कारण ना रखने का संकल्प ले कर चलें। - जूली ऐकरमैन लिंक


विश्वास पहले वह हाथ है जो परमेश्वर के वरदान को ग्रहण करता है, फिर वह पाँव है जो परमेश्वर के साथ चलता है

तौभी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है, हम ने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा। - गलतियों 2:16

बाइबल पाठ: रोमियों 14:1-13
Romans 14:1 जो विश्वास में निर्बल है, उसे अपनी संगति में ले लो; परन्तु उसी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं। 
Romans 14:2 क्योंकि एक को विश्वास है, कि सब कुछ खाना उचित है, परन्तु जो विश्वास में निर्बल है, वह साग पात ही खाता है। 
Romans 14:3 और खानेवाला न-खाने वाले को तुच्छ न जाने, और न-खानेवाला खाने वाले पर दोष न लगाए; क्योंकि परमेश्वर ने उसे ग्रहण किया है। 
Romans 14:4 तू कौन है जो दूसरे के सेवक पर दोष लगाता है? उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है, वरन वह स्थिर ही कर दिया जाएगा; क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है। 
Romans 14:5 कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर जानता है, और कोई सब दिन एक सा जानता है: हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले। 
Romans 14:6 जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और जा नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्वर का धन्यवाद करता है। 
Romans 14:7 क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिये जीता है, और न कोई अपने लिये मरता है। 
Romans 14:8 क्योंकि यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; सो हम जीएं या मरें, हम प्रभु ही के हैं। 
Romans 14:9 क्योंकि मसीह इसी लिये मरा और जी भी उठा कि वह मरे हुओं और जीवतों, दोनों का प्रभु हो। 
Romans 14:10 तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे। 
Romans 14:11 क्योंकि लिखा है, कि प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे साम्हने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी। 
Romans 14:12 सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा।
Romans 14:13 सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे। 

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 31-33
  • मत्ती 22:1-22


मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

मार्गदर्शक


   आयरलैण्ड के गैलवे में स्थित सन्त निकोलस चर्च का इतिहास ना केवल बहुत पुराना है वरन वह अभी भी लिखा जा रहा है। यह चर्च आयरलैण्ड का सबसे पुराना चर्च भवन है और बहुत ही व्यावाहरिक रीति से लोगों के जीवनों का मार्गदर्शन करता है। चर्च नगर के सबसे ऊँचे स्थान पर बना है और उसकी ऊँची मीनार निकट ही स्थित गैलवे खाड़ी में आने वाले पानी के जहाज़ों के लिए दिशा-निर्देशन तथा मार्गदर्शक का काम भी करती है। सदियों से इस चर्च के सहारे नाविक सुरक्षित घर आते रहे हैं और आज भी आ रहे हैं। चर्च उस स्थान के लोगों को आत्मिक और सांसारिक दोनों ही मार्गदर्शन उपलब्ध करवाता है।

   हम सभी को मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती रहती है। प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले अपने चेलों के साथ किए गए अन्तिम वार्तालाप में उन्हें इस बारे में सिखाया। प्रभु यीशु ने कहा कि उनके संसार से जाने के पश्चात परमेश्वर का पवित्र आत्मा सभी मसीही विश्वासियों के जीवनों में एक बहुत प्रमुख भूमिका निभाता रहेगा। प्रभु यीशु ने वायदा किया, "परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आने वाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:13)।

   भ्रम और भय से भरे इस संसार में सही मार्गदर्शन की अत्यन्त आवश्यकता है जिसके लिए परमेश्वर ने कैसा विलक्षण प्रावधान अपने लोगों के लिए किया है। बिगड़े हुए समाज और पाप में लिप्त लोगों के व्यवहार, या हमारे अन्दर की किसी अशान्ति के कारण हम कभी भी बहकाए जा सकते हैं। परन्तु हम मसीही विश्वासियों को यह प्रावधान है कि परमेश्वर का जीवता वचन बाइबल और हमारे अन्दर निवास करने वाला परमेश्वर का आत्मा हमारा मार्गदर्शक होगा। हमें कितना धन्यवादी होना चाहिए कि जीवन और संसार की सभी बातों में परमेश्वर ने हमारे मार्गदर्शन का सर्वोत्तम प्रावधान किया है। परमेश्वर के मार्गदर्शन के अनुसार अपने जीवन का मार्ग निर्धारण करते रहें, और आप अनन्त जीवन के स्थान में सुरक्षित पहुँच जाएंगे। - बिल क्राउडर


परमेश्वर का पवित्र आत्मा जीवन के हर मार्ग में विश्वासयोग्य मार्गदर्शक है।

तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्‍तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है। क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्‍ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा। - 1 यूहन्ना 2:15-17

बाइबल पाठ: यहुन्ना 16:7-15
John 16:7 तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा। 
John 16:8 और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा। 
John 16:9 पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते। 
John 16:10 और धामिर्कता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं, 
John 16:11 और तुम मुझे फिर न देखोगे: न्याय के विषय में इसलिये कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है। 
John 16:12 मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। 
John 16:13 परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। 
John 16:14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा। 
John 16:15 जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिये मैं ने कहा, कि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा। 

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 29-30
  • मत्ती 21:23-46


सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

सुना गया


   अपनी बेटी के साथ बच्चों के लिए लिखी गईं कुछ पुस्तकें पढ़ने के बाद मैंने उस से कहा कि अब मैं बड़ों के लिए लिखी गई एक पुस्तक पढ़ना चाहूँगी, और फिर बाद में हम बच्चों की और पुस्तकें पढ़ेंगे। यह कहकर मैंने अपनी पुस्तक उठाई और उसे खोलकर खामोशी से पढ़ना आरंभ कर दिया। कुछ देर तक मुझे पढ़ते देखने के पश्चात मेरी बेटी बोली, "मम्मी आप वास्तव में पढ़ नहीं रही हैं।" उसे लगा क्योंकि मैं सुनाई दे सकने वाले स्वर में नहीं पढ़ रही थी, जैसा कि उसके साथ करती हूँ, इसलिए मैं वास्तव में पढ़ नहीं रही हूँ।

   पढ़ने के समान ही प्रार्थना भी शान्त रहकर करी जा सकती है। परमेश्वर के वचन बाइबल की एक पात्र, हन्ना नामक एक महिला, जो बाँझ थी और सन्तान की बहुत लालसा रखती थी, परमेश्वर के मन्दिर में जा कर इस विषय पर मन ही मन प्रार्थना कर रही थी; उसके होंठ तो हिल रहे थे पर शब्द सुनाई नही दे रहे थे (1 शमूएल 1:13)। मन्दिर के प्रधान पुरोहित एली ने यह देखा और उसने गलत समझा कि हन्ना नशे में बुड़बुड़ा रही है। हन्ना ने एली को समझाया कि वह परमेश्वर के सम्मुख अपने मन की बात कह रही है। परमेश्वर ने हन्ना की प्रार्थना सुनी और उसे पुत्र दिया (1 शमूएल 1:20)।

   क्योंकि परमेश्वर मनों और हृदयों को जाँचता है (यर्मियाह 17:10), वह प्रत्येक प्रार्थना को भी देख और सुन सकता है, कभी मुँह से निकले बिना मन ही में कही जाने वाली भी। परमेश्वर के सर्वज्ञानी होने के गुण के कारण हम पूरे निश्चय के साथ प्रार्थना कर सकते हैं कि वह हमारी प्रार्थना सुन रहा है और उत्तर भी देगा (मत्ती 6:8, 32)। इसीलिए चाहे मन ही में, हम निरन्तर परमेश्वर की आराधना और स्तुति भी कर सकते हैं, उससे सहायता की याचना भी कर सकते हैं, और उससे मिलने वाली सभी आशीषों के लिए उसका धन्यवाद भी कर सकते हैं; क्योंकि चाहे किसी को हमारे मन की बात सुनाई दे अथवा नही, परमेश्वर को सब सुनता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


जब हम अपने मन परमेश्वर के आगे खोलते हैं वह उन्हें अपनी शान्ति से भर देता है।

प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी। सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है। - मत्ती 6:7-8

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 1:9-20
1 Samuel 1:9 तब शीलो में खाने और पीने के बाद हन्ना उठी। और यहोवा के मन्दिर के चौखट के एक अलंग के पास एली याजक कुर्सी पर बैठा हुआ था। 
1 Samuel 1:10 और यह मन में व्याकुल हो कर यहोवा से प्रार्थना करने और बिलख बिलखकर रोने लगी। 
1 Samuel 1:11 और उसने यह मन्नत मानी, कि हे सेनाओं के यहोवा, यदि तू अपनी दासी के दु:ख पर सचमुच दृष्टि करे, और मेरी सुधि ले, और अपनी दासी को भूल न जाए, और अपनी दासी को पुत्र दे, तो मैं उसे उसके जीवन भर के लिये यहोवा को अर्पण करूंगी, और उसके सिर पर छुरा फिरने न पाएगा। 
1 Samuel 1:12 जब वह यहोवा के साम्हने ऐसी प्रार्थना कर रही थी, तब एली उसके मुंह की ओर ताक रहा था। 
1 Samuel 1:13 हन्ना मन ही मन कह रही थी; उसके होंठ तो हिलते थे परन्तु उसका शब्द न सुन पड़ता था; इसलिये एली ने समझा कि वह नशे में है। 
1 Samuel 1:14 तब एली ने उस से कहा, तू कब तक नशे में रहेगी? अपना नशा उतार। 
1 Samuel 1:15 हन्ना ने कहा, नहीं, हे मेरे प्रभु, मैं तो दु:खिया हूं; मैं ने न तो दाखमधु पिया है और न मदिरा, मैं ने अपने मन की बात खोल कर यहोवा से कही है। 
1 Samuel 1:16 अपनी दासी को ओछी स्त्री न जान जो कुछ मैं ने अब तक कहा है, वह बहुत ही शोकित होने और चिढ़ाई जाने के कारण कहा है। 
1 Samuel 1:17 एली ने कहा, कुशल से चली जा; इस्राएल का परमेश्वर तुझे मन चाहा वर दे।
1 Samuel 1:18 उसे ने कहा, तेरी दासी तेरी दृष्टि में अनुग्रह पाए। तब वह स्त्री चली गई और खाना खाया, और उसका मुंह फिर उदास न रहा। 
1 Samuel 1:19 बिहान को वे सवेरे उठ यहोवा को दण्डवत कर के रामा में अपने घर लौट गए। और एलकाना अपनी स्त्री हन्ना के पास गया, और यहोवा ने उसकी सुधि ली; 
1 Samuel 1:20 तब हन्ना गर्भवती हुई और समय पर उसके एक पुत्र हुआ, और उसका नाम शमूएल रखा, क्योंकि वह कहने लगी, मैं ने यहोवा से मांगकर इसे पाया है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 27-28
  • मत्ती 21:1-22



रविवार, 31 जनवरी 2016

पछतावा


   क्या कभी आप ने खरीददारी के पछतावे का अनुभव किया है? मैंने किया है। कभी कभी कोई नई चीज़ खरीदने से ठीक पहले मेरे अन्दर कुछ नया पा लेने की उत्तेजना होती है, लेकिन उसे खरिद लेने के बाद पछतावे का भाव मुझे अभिभूत कर देता है; मैं सोचने लगता हूँ, क्या वास्तव में मुझे इस चीज़ की आवश्यकता थी? क्या मुझे इतना पैसा इस एक चीज़ पर लगा देना चाहिए था? लेकिन तब तक यह सब सोचने का समय निकल चुका होता है, अब आगे मुझे अपने निर्णय और उसके परिणामों को निभाना ही पड़ता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में उत्पत्ति के 3 अध्याय में हम ऐसे अपरिवर्तनीय पछतावे की पहली घटना का वर्णन पाते हैं। सारी बात का आरंभ हुआ जब सर्प का रूप लेकर आए धूर्त शैतान ने सब्ज़-बाग़ दिखाकर हमारी आदि माता हव्वा के मन में परमेश्वर के वचन के प्रति संदेह उत्पन्न किया (पद 1); फिर उसके मन में उत्पन्न इस असमंजस के समय में उसने परमेश्वर के चरित्र पर संदेह करवाया (पद 4-5) और हव्वा को विश्वास दिलाया उसकी बात मान लेने से हव्वा की आँखें खुल जाएंगी और वह परमेश्वर के तुल्य हो जाएगी (पद 7-8)।

   शैतान की बातों के बहकावे से अपने मन में जागृत लालसा में आकर हव्वा ने परमेश्वर द्वारा वर्जित वह फल स्वयं भी खाया तथा अपने पति आदम को भी खिलाया। शैतान के बहकावे में आकर किए गए कार्य से उस प्रथम आदमी और औरत की आँखें तो अवश्य खुल गईं, लेकिन वे परमेश्वर के तुल्य होने की बजाए परमेश्वर से दूर हो गए, उससे छिपने लगे। उन्हें वह तो नहीं मिला जिसकी उन्हें आशा थी परन्तु वह मिला जिसकी उन्हें ज़रा सी भनक भी नहीं थी: आदम और हव्वा द्वारा परमेश्वर की इस अनाज्ञाकारिता के कारण पाप को मानव जाति और संसार में प्रवेश करने का अवसर मिल गया, जिसके परिणाम तब उन्होंने भोगे और तब से हम सभी आज तक भोगते रहे हैं।

   पाप के दुषपरिणाम बहुत गंभीर हैं; पाप सदा ही अपने शिकार को परमेश्वर से दूर करता और दूर रखता भी है। लेकिन परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में आदम और हव्वा को चमड़े के वस्त्र पहनाए (पद 21) और आने वाले समय में मनुष्यों को पाप की पकड़ से निकाल कर पुनः परमेश्वर के पास लौटा लाने का मार्ग प्रदान करने वाले मसीहा - प्रभु यीशु मसीह का वायदा भी दिया।

   जैसे परमेश्वर ने तब आदम और हव्वा को चमड़े के वस्त्र प्रदान किए, आज प्रभु यीशु हमें अपनी धार्मिकता के वस्त्र प्रदान करता है। जो कोई प्रभु यीशु से पापों की क्षमा मांगकर अपना जीवन उसे समर्पित करता है उसे फिर पाप के दुषपरिणामों के पछतावे में रहने की कोई आवश्यकता नहीं रहती। - पोह फ़ैंग चिया


मसीह यीशु का क्रूस परमेश्वर की वह धार्मिकता दिखाता है जिसे परमेश्वर ने समस्त मानव जाति के लिए दिया है। 

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे? क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे? - रोमियों 5:8-10

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 3:1-21
Genesis 3:1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना? 
Genesis 3:2 स्त्री ने सर्प से कहा, इस बाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं। 
Genesis 3:3 पर जो वृक्ष बाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे। 
Genesis 3:4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे, 
Genesis 3:5 वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे। 
Genesis 3:6 सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया। 
Genesis 3:7 तब उन दोनों की आंखे खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये। 
Genesis 3:8 तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय बाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी बाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए। 
Genesis 3:9 तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पूछा, तू कहां है? 
Genesis 3:10 उसने कहा, मैं तेरा शब्द बारी में सुन कर डर गया क्योंकि मैं नंगा था; इसलिये छिप गया। 
Genesis 3:11 उसने कहा, किस ने तुझे चिताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैं ने तुझे बर्जा था, क्या तू ने उसका फल खाया है? 
Genesis 3:12 आदम ने कहा जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया। 
Genesis 3:13 तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, तू ने यह क्या किया है? स्त्री ने कहा, सर्प ने मुझे बहका दिया तब मैं ने खाया। 
Genesis 3:14 तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, तू ने जो यह किया है इसलिये तू सब घरेलू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अधिक शापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा: 
Genesis 3:15 और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा। 
Genesis 3:16 फिर स्त्री से उसने कहा, मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़ित हो कर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा। 
Genesis 3:17 और आदम से उसने कहा, तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है, इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है: तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा: 
Genesis 3:18 और वह तेरे लिये कांटे और ऊंटकटारे उगाएगी, और तू खेत की उपज खाएगा ; 
Genesis 3:19 और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा। 
Genesis 3:20 और आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की आदिमाता वही हुई। 
Genesis 3:21 और यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिये चमड़े के अंगरखे बना कर उन को पहिना दिए।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 25-26
  • मत्ती 20:17-34