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शुक्रवार, 25 मार्च 2016

जीवन


   सन 2011 की बात है, सरकारी आंकड़ों में गलती से 14,000 लोगों को मृत दिखा दिया गया; उनमें से एक थीं दो बच्चों की माता, 52 वर्षीय, लौरा ब्रुक्स। लौरा चकित और परेशान थी कि उसे मिलने वाली अपंग होने की सरकारी सहायता राशि बन्द हो गई, जिससे उसके द्वारा कर्ज़ तथा मकान का किराया चुकाने के लिए दिए गए चैक बैरंग लौट आए। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए वह बैंक गई, तो बैंक के संबंधित अधिकारी ने उसे बताया कि उसका खाता बन्द कर दिया गया है क्योंकि सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार उसकी मृत्यु हो चुकी है! प्रत्यक्ष था कि वे दस्तावेज़ और अधिकारी गलत थे।

   लेकिन प्रेरित पौलुस गलत नहीं था जब उसने इफसुस के मसिही विश्वासियों को लिखा कि एक समय वे मरे हुए थे - आत्मिक रीति से मृतक। उनके मृतक होने का तात्पर्य था कि वे पाप की गुलामी में जीवन बिताने के कारण (इफिसियों 2:5) परमेश्वर से दूर थे, और परमेश्वर के न्याय तथा दण्ड के भागी थे। शारीरिक रूप से जीवित होते हुए भी आत्मिक रीति से मृत्क होना हमारे लिए निराशा की कैसी गंभीर दशा है।

   लेकिन परमेश्वर ने हमारी इस दशा को पलट देने, हमें मृतकों में से जीवित करने का इंतिज़ाम किया है। उस जीवित परमेश्वर ने जो सब को जीवन प्रदान करता है (रोमियों 4:17), अपने महान अनुग्रह, प्रेम और दया में होकर अपने पुत्र प्रभु यीशु को संसार में भेजा जिससे समस्त मानव जाति के लिए पापों की क्षमा और उद्धार का मार्ग खुल सके। प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर दिए गए बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा हम जीवन के भागी हुए हैं (इफिसियों 2:4-5)।

   जब भी कोई व्यक्ति प्रभु यीशु के मारे जाने और मृतकों में से पुनरुत्थान पर विश्वास लाता है, वह मृत्यु से जीवन में प्रवेश करता है। आज हम मसीही विश्वासी परमेश्वर के इसी प्रेम, दया और अनुग्रह से ही जीवित हैं, स्वर्ग के उत्तराधिकारी हैं, संसार में मसीह यीशु के गवाह हैं। - मार्विन विलियम्स


प्रभु यीशु की मृत्यु को ग्रहण कर लेने से अनन्त जीवन मिल जाता है।

जैसा लिखा है, कि मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है उस परमेश्वर के साम्हने जिस पर उसने विश्वास किया और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं, उन का नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं। - रोमियों 4:17 

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-10
Ephesians 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। 
Ephesians 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। 
Ephesians 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। 
Ephesians 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। 
Ephesians 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) 
Ephesians 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। 
Ephesians 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए। 
Ephesians 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 
Ephesians 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। 
Ephesians 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया। 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 19-21
  • लूका 2:25-52


गुरुवार, 24 मार्च 2016

गवाह


   बहुत वर्ष पहले की बात है, मैं 38 फीट ऊँचे पुल से गिरने के कारण जान के जोखिम की गंभीर हालत में अस्पताल में भरती था। उस समय में मेरे साथ के बिस्तर पर लेटे मरीज़ की पत्नि मुझसे बात करने को मेरे पास आई और कहा, "मेरे पति ने अभी मुझे बताया है कि आपके साथ क्या हुआ है। हमारा मानना है कि परमेश्वर ने आपकी जान बचाई है क्योंकि वह आपको अपने लिए उपयोग करना चाहता है।"

   यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। मैं बचपन से चर्च जाता रहा हूँ, लेकिन मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि परमेश्वर मेरे जीवन में रुचि रखेगा, मेरे जीवन की बातों में सम्मिलित होना चाहेगा। उस महिला के शब्दों ने मुझे उस उद्धारकर्ता की ओर मोड़ा जिसके बारे में मैंने सुना तो था किंतु व्यक्तगत रीति से उसे नहीं जानता था - मेरे मसीही विश्वास के जीवन में आने का आरंभ यहीं से हुआ था। मैं उस नम्र मसीही गवाह के उन शब्दों के स्मरण को बहुमूल्य जानकर संजोए रहता हूँ, जिसने एक अजनबी के लिए विचार किया और उसे एक ऐसे परमेश्वर के बारे में बताया जिसका प्रेम सच्चा और वास्तविक है। उस महिला के शब्दों से दूसरों के प्रति देखभाल और चिन्ता का भाव, एक उद्देश्य और एक आशा प्रगट होती थी।

   प्रभु यीशु ने अपने चेलों को तथा आज हम मसीही विश्वासियों को यह ज़िम्मेदारी दी है कि हम परमेश्वर के प्रेम के बारे में औरों को बताएं, उसके गवाह बनें: "परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे" (प्रेरितों 1:8)।

   पवित्र आत्मा की सहायता से हमारे शब्द और गवाही अन्य लोगों के जीवन में अनन्त काल का प्रभाव एवं परिवर्तन ला सकती है। - बिल क्राउडर


प्रेमभरी चिन्ता से कहे गए कुछ शब्द भी हमारी कल्पना से परे प्रभाव दिखा सकते हैं।

और उसने उन से कहा, तुम सारे जगत में जा कर सारी सृष्‍टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। - मरकुस 16:15

बाइबल पाठ: प्रेरितों 1:1-11
Acts 1:1 हे थियुफिलुस, मैं ने पहिली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु ने आरम्भ में किया और करता और सिखाता रहा। 
Acts 1:2 उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया। 
Acts 1:3 और उसने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पड़े प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा: और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। 
Acts 1:4 ओर उन से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, कि यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिस की चर्चा तुम मुझ से सुन चुके हो। 
Acts 1:5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाओगे। 
Acts 1:6 सो उन्हों ने इकट्ठे हो कर उस से पूछा, कि हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्त्राएल को राज्य फेर देगा? 
Acts 1:7 उसने उन से कहा; उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं। 
Acts 1:8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे। 
Acts 1:9 यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया। 
Acts 1:10 और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तो देखो, दो पुरूष श्वेत वस्‍त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। 
Acts 1:11 और कहने लगे; हे गलीली पुरूषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा। 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 16-18
  • लूका 2:1-24


बुधवार, 23 मार्च 2016

एकता


   परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन 6:16-19 में उन सात बातों का उल्लेख है जिनसे परमेश्वर को घृणा है, और इन बातों में से एक है भाईयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करना। इसी बात के कारण वह एकता जो प्रभु यीशु मसीह मसीही विश्वासी भाईयों में देखना चाहता है (यूहन्ना 17:21-22) वह बिगड़ जाती है।

   जो भेदभाव या झगड़े उत्पन्न करते हैं, कई बार उनका इरादा ऐसा करने का नहीं होता है, वरन वे या तो अपनी व्यक्तिगत या जिस गुट के वे हैं उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के प्रयासों में ऐसा कर बैठते हैं (याकूब 4:1-10)। इन झगड़ों और मतभेदों के कारणों को समझने के लिए बाइबल में दी गई कुछ घटनाओं पर विचार कीजिए: क्यों लूत और अब्राहम के चरवाहों में झगड़े हुए (उत्पत्ति 13:1-18); या फिर प्रभु यीशु के चेलों में क्यों विवाद हुआ (लूका 9:46); या फिर कुरिन्थुस की मसीही मण्डली में गुटबाज़ी और मतभेद किस कारण आने पाए (1 कुरिन्थियों 3:1-7)?

   एकता को प्रोत्साहन देने का सबसे कारगर तरीका क्या है? यह आरंभ होता है मन परिवर्तन से; जब हम मसीह यीशु के स्वभाव को अपना लेते हैं तो हमारे अन्दर नम्रता और दूसरों की सेवकाई की भावना भी आ जाती है और केवल मसीह यीशु में होकर ही हम वह सामर्थ भी पा सकते जिसके द्वारा हम केवल अपनी ही नहीं वरन औरों की आवश्यकताओं की भी चिन्ता कर सकें (फिलिप्पियों 2:1-5)। जब हम ऐसा करने लगते हैं तो शीघ्र ही दूसरों की आशाएं और आवश्यकताएं हमारे लिए हमारी अपनी आशाओं और आवश्यकताओं से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं।

   जब हम परस्पर प्रेम के बन्धनों में बन्धने लगते हैं तो हमारे आपसी मतभेद और झगड़े आनन्द और एकता में बदल जाते हैं। - डेनिस फिशर


हम अकेले उतना कभी नहीं कर पाते जितना दूसरों के साथ मिलकर कर लेते हैं।

हे भाइयो, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूं, कि तुम सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत हो कर मिले रहो। - 1 कुरिन्थियों 1:10 

बाइबल पाठ: नीतिवचन 6:16-19; फिलिप्पियों 2:1-11
Proverbs 6:16 छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है 
Proverbs 6:17 अर्थात घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलने वाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहाने वाले हाथ, 
Proverbs 6:18 अनर्थ कल्पना गढ़ने वाला मन, बुराई करने को वेग दौड़ने वाले पांव, 
Proverbs 6:19 झूठ बोलने वाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य। 

Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है। 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 13-15
  • लूका 1:57-80


मंगलवार, 22 मार्च 2016

जल्द ही


   यह घोषणा कि "जल्द ही आ रहा है" किसी आने वाले मनोरंजन कार्यक्रम या खेल कार्यक्रम, या किसी नए उत्पाद की पूर्वघोषणा होती है। इसका उद्देश्य होता है लोगों में एक उत्सुक्ता और प्रत्याशा को उत्पन्न करना जिससे वे उस बात के प्रति आकर्षित रहें, चाहे उसका आना अभी महीनों दूर हो, और अधिक से अधिक संख्या में उसका लाभ उठाएं अथवा उसमें सम्मिलित हों।

   परमेश्वर के वचन बाइबल की अन्तिम पुस्तक, प्रकाशितवाक्य, को पढ़ते समय मैं उस पुस्तक में व्याप्त इस "जल्द ही" के भाव से बहुत प्रभावित हुआ। यह कहने की बजाए कि, "दूर के भविष्य में किसी दिन प्रभु यीशु का दोबारा पृथ्वी पर आगमन होगा", इस पुस्तक में अनेकों बार दर्शाया गया है कि यह शीघ्र होने वाला है, समय निकट है, और पुस्तक के अन्तिम अध्याय में तीन बार प्रभु यीशु कहते हैं कि "मैं शीघ्र आने वाला हूँ।"

   जबकि इन बातों को लिखे लगभग 2000 वर्ष बीत चुके हैं तो फिर यह कैसे संभव है? हमारे अपने समय आंकलन के अनुसार यहाँ कहे गए "जल्द ही" का कोई खास महत्व प्रतीत नहीं होता है। लेकिन परमेश्वर का समय आंकलन हमारे आंकलन से भिन्न है; जो हमें विलंब लगता है वह वास्तव में परमेश्वर का धैर्य है कि अधिक से अधिक लोग प्रभु यीशु में विश्वास लाकर अपने पापों से क्षमा और अनन्त जीवन को पा सकें (2 पतरस 3:8-9)। परमेश्वर ने हमें प्रभु यीशु के पुनःआगमन की कोई तिथि नहीं दी है जिससे हम प्रतिदिन इस आशा के साथ व्यतीत करें कि संभवतः प्रभु का पुनःआगमन आज ही हो जाए: "और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें" (तीतुस 2:13), और उसके लिए अपने आप को तैयार रखें, उसके अनुरूप जीवन जीते रहें। - डेविड मैक्कैसलैंड


ऐसे जीएं मानो प्रभु यीशु का पुनःआगमन आज ही होने वाला है।

सब बातों का अन्‍त तुरन्त होने वाला है; इसलिये संयमी हो कर प्रार्थना के लिये सचेत रहो। - 1 पतरस 4:7

बाइबल पाठ: 2 पतरस 3:3-15
2 Peter 3:3 और यह पहिले जान लो, कि अन्‍तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे। 
2 Peter 3:4 और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई? क्योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्‍टि के आरम्भ से था? 
2 Peter 3:5 वे तो जान बूझ कर यह भूल गए, कि परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीन काल से वर्तमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है। 
2 Peter 3:6 इन्‍हीं के द्वारा उस युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया। 
2 Peter 3:7 पर वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी उसी वचन के द्वारा इसलिये रखे हैं, कि जलाए जाएं; और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे। 
2 Peter 3:8 हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं। 
2 Peter 3:9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले। 
2 Peter 3:10 परन्तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त हो कर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे। 
2 Peter 3:11 तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। 
2 Peter 3:12 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त हो कर गल जाएंगे। 
2 Peter 3:13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी। 
2 Peter 3:14 इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्‍न करो कि तुम शान्‍ति से उसके साम्हने निष्‍कलंक और निर्दोष ठहरो। 
2 Peter 3:15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस ने भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है। 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 10-12
  • लूका 1:39-56


सोमवार, 21 मार्च 2016

पहचान


   जब मेरे सबसे छोटे भाई स्कौट का जन्म हुआ तब मैं सीनियर हाई स्कूल में था। हम दोनों में उम्र के इस अन्तर के कारण, उसके बड़े होकर कॉलेज जाने के समय में एक रोचक परिस्थिति हो गई; जब मैं और हमारी माँ उसे कॉलेज में दाखिले के लिए लेकर गए तो जिससे भी हम मिल रहे थे सब यही यह समझते थे कि मैं स्कौट का पिता और हमारी माँ उसकी दादी हैं। अन्ततः हमने लोगों की इस भ्रांति को ठीक करना बन्द कर दिया, क्योंकि हमारे हर प्रयास के बावजूद लोगों को यह समझा पाना कठिन हो रहा था कि परस्पर हमारी पहचान वह नहीं है जैसी वे समझ रहे हैं।

   प्रभु यीशु ने धर्म के अगुवे फरीसियों से, उनकी नज़र में, अपनी पहचान के बारे में प्रश्न पूछा (मत्ती 22:42): "कि मसीह के विषय में तुम क्या समझते हो? वह किस का सन्तान है?" उन फरीसियों का उत्तर था, "उन्होंने उस से कहा, दाऊद का"। इस्त्राएल के लोगों के लिए परमेश्वर द्वारा वाचा किए गए मसीहा की पहचान रखना बहुत महत्वपूर्ण था, और इस संदर्भ में फरीसियों का उत्तर सही तो था परन्तु अधूरा था। परमेश्वर का वचन यह स्पष्ट बताता था कि आने वाला मसीहा आकर अपने पूर्वज पिता दाऊद का सिंहासन संभालेगा, और फरिसियों ने इसी आधार पर उत्तर दिया था; परन्तु प्रभु यीशु को उन फरीसियों को यह भी स्मरण दिलाना पड़ा कि दाऊद अपने वंश में होकर आने वाले जगत के उस उद्धारकर्ता को स्वयं भी "प्रभु" कहकर ही संबोधित करता है - और यह बात वे फरीसी बोल नहीं रहे थे।

   प्रभु यीशु ने अपनी पहचान के बारे में यही प्रश्न अपने चेलों से भी किया, और पतरस ने सही उत्तर देते हुए कहा, "...तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है" (मत्ती 16:16)। आज भी प्रभु यीशु की पहचान से संबंधित यह प्रश्न उतना ही महत्वपूर्ण है। प्रभु यीशु की सही पहचान को जाने तथा माने बिना उसके प्रति सही रवैया, उसके साथ सही संबंध रखना असंभव है। अनन्त जीवन के मार्ग के लिए यीशु को अपना उद्धारकर्ता तथा जीवन का प्रभु स्वीकार करना अनिवार्य है। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु की गलत पहचान रखने से अधिक घातक कोई अन्य गलती नहीं है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। - यूहन्ना 1:12

बाइबल पाठ: मत्ती 16:13-20
Matthew 16:13 यीशु कैसरिया फिलिप्पी के देश में आकर अपने चेलों से पूछने लगा, कि लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं? 
Matthew 16:14 उन्होंने कहा, कितने तो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहते हैं और कितने एलिय्याह, और कितने यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं। 
Matthew 16:15 उसने उन से कहा; परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो? 
Matthew 16:16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है। 
Matthew 16:17 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि हे शमौन योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि मांस और लोहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है। 
Matthew 16:18 और मैं भी तुझ से कहता हूं, कि तू पतरस है; और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। 
Matthew 16:19 मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा: और जो कुछ तू पृथ्वी पर बान्‍धेगा, वह स्वर्ग में बन्‍धेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा। 
Matthew 16:20 तब उसने चेलों को चिताया, कि किसी से न कहना! कि मैं मसीह हूं। 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 7-9
  • लूका 1:21-38


रविवार, 20 मार्च 2016

दृढ़निश्चय


   टेलिविज़न पर युद्ध से ध्वस्त एक देश से विस्थापित हुए शरणार्थियों की बदहाल दशा पर रिपोर्ट प्रसारित हो रही थी। उन शरणार्थियों में एक दस वर्षीय लड़की की दृढ़निश्चयता को देखकर मैं चकित हुआ; यद्यपि उनके वापस अपने देश लौट पाने कि संभावनाएं ना के बराबर थीं परन्तु फिर भी उसने बड़े दृढ़ विश्वास के साथ कहा, "जब हम वापस जाएंगे तब मैं फिर से अपने पड़ौसियों से मिलने जाऊँगी, अपनी सहेलियों के साथ खेलूँगी; मेरे पिताजी कहते हैं कि हमारा घर अब नहीं रहा है, लेकिन मैं कहती हूँ कि हम लौटकर उसे फिर से बना लेंगे।"

   जीवन में कुछ बातों के प्रति दृढ़निश्चय रहने का स्थान अवश्य ही है, विशेषकर तब जब वे बातें परमेश्वर में हमारे विश्वास तथा हमारे द्वारा औरों के प्रति प्रेम दर्शाने से संबंधित हो। परमेश्वर के वचन बाइबल में रूत की पुस्तक का आरंभ होता है तीन महिलाओं के विवरण से जो एक त्रासदी में होकर एक दूसरे से जुड़ी हैं। अपने पति और दोनों बेटों की मृत्यु के पश्चात मोआब में रह रही नाओमी ने वापस अपने शहर बेतलेहम लौट जाने का निर्णय लिया, और अपनी दोनों विधवा बहुओं से आग्रह किया कि वे अपने देश मोआब में ही रह जाएं और पुनः अपने घर बसाएं। एक बहु, ओर्पा ने तो नाओमी की बात मान ली, लेकिन दूसरी बहु रूत ने नाओमी के साथ ही वापस जाने की ठान ली। रूत ने नाओमी से कहा: "...जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा; जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी। यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊं, तो यहोवा मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे" (रूत 1:16-17)। जब नाओमी ने देखा कि रूत अपने इरादे में पक्की है तो वे दोनों बेतलेहम लौट आए और वहाँ अपनी ज़िन्दगी दोबारा स्थापित करने लगे। परमेश्वर ने रूत की दृढ़निश्चयता और नाओमी तथा परमेश्वर के प्रति वफादारी का अच्छा प्रतिफल दिया और रूत का विवाह एक संपन्न व्यक्ति के साथ हो गया, और फिर उसकी संतान के वंश से इस्त्राएल के सुप्रसिद्ध राजा दाऊद और बाद में जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह का जन्म हुआ।

   घमण्ड से तो ढिठाई आती है, परन्तु प्रेम के कारण दृढ़निश्चयता आती है। बाइबल में प्रभु यीशु के लिए आया है कि, "जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, जो उसने यरूशलेम को जाने का विचार दृढ़ किया" (लूका 9:51)। प्रभु यीशु के हम पापियों के लिए अपने जीवन का बलिदान कराने के इस प्रेमपूर्ण दृढ़निश्चय के कारण ही आज हम अनन्त जीवन पाने वाले बन सके हैं। दूसरों के पापों के लिए स्वयं मृत्यु स्वीकार कर लेने का उसका यह दृढ़निश्चय हमें उसके लिए जीवन जीने की प्रेरणा और निश्चय कर लेने की सामर्थ देता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रेम समर्पण से प्रगट होता है।

क्योंकि प्रभु यहोवा मेरी सहायता करता है, इस कारण मैं ने संकोच नहीं किया; वरन अपना माथा चकमक की नाईं कड़ा किया क्योंकि मुझे निश्चय था कि मुझे लज्जित होना न पड़ेगा। - यशायाह 50:7

बाइबल पाठ: रूत 1:8-18
Ruth 1:8 तब नाओमी ने अपनी दोनों बहुओं से कहा, तुम अपने अपने मैके लौट जाओ। और जैसे तुम ने उन से जो मर गए हैं और मुझ से भी प्रीति की है, वैसे ही यहोवा तुम्हारे ऊपर कृपा करे। 
Ruth 1:9 यहोवा ऐसा करे कि तुम फिर पति कर के उनके घरों में विश्राम पाओ। तब उसने उन को चूमा, और वे चिल्ला चिल्लाकर रोने लगीं, 
Ruth 1:10 और उस से कहा, निश्चय हम तेरे संग तेरे लोगों के पास चलेंगी। 
Ruth 1:11 नाओमी ने कहा, हे मेरी बेटियों, लौट जाओ, तुम क्यों मेरे संग चलोगी? क्या मेरी कोख में और पुत्र हैं जो तुम्हारे पति हों? 
Ruth 1:12 हे मेरी बेटियों, लौटकर चली जाओ, क्योंकि मैं पति करने को बूढ़ी हूं। और चाहे मैं कहती भी, कि मुझे आशा है, और आज की रात मेरे पति होता भी, और मेरे पुत्र भी होते, 
Ruth 1:13 तौभी क्या तुम उनके सयाने होने तक आशा लगाए ठहरी रहतीं? और उनके निमित्त पति करने से रुकी रहतीं? हे मेरी बेटियों, ऐसा न हो, क्योंकि मेरा दु:ख तुम्हारे दु:ख से बहुत बढ़कर है; देखो, यहोवा का हाथ मेरे विरुद्ध उठा है। 
Ruth 1:14 तब वे फिर से उठीं; और ओर्पा ने तो अपनी सास को चूमा, परन्तु रूत उस से अलग न हुई। 
Ruth 1:15 तब उसने कहा, देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई है; इसलिये तू अपनी जिठानी के पीछे लौट जा। 
Ruth 1:16 रूत बोली, तू मुझ से यह बिनती न कर, कि मुझे त्याग वा छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा; 
Ruth 1:17 जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी। यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊं, तो यहोवा मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे। 
Ruth 1:18 जब उसने यह देखा कि वह मेरे संग चलने को स्थिर है, तब उसने उस से और बात न कही। 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 4-6
  • लूका 1:1-20


शनिवार, 19 मार्च 2016

स्वर्ग में आनन्द


   जोएन की परवरिश एक मसीही घर में हुई थी। लेकिन कॉलेज जाने के बाद उसे अपने मसीही विश्वास पर शंका होने लगी और वह परमेश्वर से दूर हो गई। स्नातक होने के बाद, मन के आनन्द की खोज में वह अनेक देशों के भ्रमण पर निकली, लेकिन उसे कहीं सन्तुष्टि नहीं मिली। कुछ कठिनाईयों से निकलने के समय में उसे आभास हुआ कि अभी भी परमेश्वर उसके साथ बना हुआ है, और उसे परमेश्वर की आवश्यकता है।

   जर्मनी से जोएन ने अमेरिका में रह रहे अपने माता-पिता को फोन करके बताया, "मैंने अपना जीवन प्रभु यीशु मसीह को समर्पित कर दिया है, और वह मुझे परिवर्तित करता जा रहा है। जो दुःख और चिंताएं मेरे कारण आप लोगों को हुई हैं मैं उनके लिए क्षमा चाहती हूं।" यह सुनकर जोएन के माता-पिता हर्षोत्साहित हो गए, उनकी आँखों से आनन्द के आँसू बहने लगे और उन्होंने जोएन के भाईयों और भाभियों तो तुरन्त घर बुला लिया जिससे उन सब को वे व्यक्तिगत रीति से बता सकें कि उनकी बहन ने प्रभु यीशु मसीह को ग्रहण कर लिया, वह परमेश्वर के पास लौट आई है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 15 अध्याय में खोए हुए को पा लेने से संबंधित प्रभु यीशु द्वारा दिए गए तीन दृष्टांत हैं। पहले दृष्टांत एक खोई हुई भेड़ पर है जिसे ढूंढ़ने के लिए उसका चरवाहा निकल जाता है। दूसरे दृष्टांत में एक स्त्री का एक सिक्का खो गया था और उसना यत्न करके उस सिक्के को ढूँढ़ लिया, और फिर अपने पड़ौसियों को अपने साथ उस खोए हुए सिक्के के मिल जाने का आनन्द मनाने के लिए निमंत्रित किया और तीसरा दृष्टांत एक भटके हुए पुत्र का है जो अपने पिता से संपत्ति का अपना हिस्सा लेकर दुराचार में सब कुछ उड़ा देता है और फिर कठिन समयों में पड़ने पर लौट कर पश्चाताप के साथ अपने पिता के पास आता है और पिता उसे परिवार में बहाल कर देता है, आनन्द मनाता है। इन तीनों दृष्टांतो के द्वारा प्रभु यीशु ने यह समझाया कि कैसे वह पाप में खोए हुए लोगों को वापस परमेश्वर के पास लौटा लाने के लिए आया है; और जब कोई परमेश्वर से पाप क्षमा और उद्धार की भेंट को स्वीकार कर के परमेश्वर के पास लौट आता है, तब "...इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्‍वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है" (लूका 15:10)।

   यह कितनी अद्भुत और अनुग्रहपूर्ण बात है कि प्रभु यीशु स्वर्ग से हमें पापों से बचाने के लिए पृथ्वी पर उतर आया, और जब हम उसकी पुकार सुनकर उससे पापों की क्षमा माँगते हैं, अपना जीवन उसे समर्पित कर देते हैं, तब स्वर्ग में आनन्द मनाया जाता है। - ऐनी सेटास


जब मनुष्य पश्चाताप करते हैं तब स्वर्गदूत आनन्द मनाते हैं।

प्रभु यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न होता हूँ? क्या मैं इस से प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे? - यहेजकेल 18:23

बाइबल पाठ: लूका 15:1-10
Luke 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें। 
Luke 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।
Luke 15:3 तब उसने उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा। 
Luke 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे? 
Luke 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है। 
Luke 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है। 
Luke 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
Luke 15:8 या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे? 
Luke 15:9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी कर के कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्‍का मिल गया है। 
Luke 15:10 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्‍वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है। 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 1-3
  • मरकुस 16