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सोमवार, 2 मई 2016

विश्राम स्थल


   मेरे दफ्तर की खिड़की से दिखने वाले खेत में खड़ा वह एकमात्र पेड़ मेरे लिए एक पहेली था। कई एकड़ में फैले उस खेत में से अनेक पेड़ काट दिए गए थे जिससे खेती की जा सके, लेकिन उस एक पेड़ को छोड़ दिया गया था, और वह ऊँची और बड़े दायरे में फैली हुई अपनी डालियों के साथ वहाँ बना हुआ था। इस पहेली का उत्तर मुझे तब मिला जब मैंने वहाँ के किसानों की परंपरा के बारे में जाना - लंबे समय से वे किसान अपने खेतों में एक पेड़ को बचाए रखते थे जिससे वे और उनके जानवर उस पेड़ के नीचे विश्राम पा सकें, धूप और गर्मी से बचने का एक ठंड़ा स्थान उनके पास उपलब्ध रहे।

   हमारे जीवनों में भी कभी ऐसा होता है कि हम ही अकेले होते हैं जो किसी दुर्घटना या त्रासदी से बच कर निकल आते हैं, और सोचते हैं कि हम ही क्यों बच सके? युद्ध स्थल से लौटने वाले सैनिकों, जान-लेवा रोगों के फैलने पर बचने वाले रोगियों, आदि सब की यही सोच होती है, कि जब अन्य कोई नहीं बच सका, तो हम क्यों और कैसे बच गए?

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में हम पाते हैं कि जब ढिठाई तथा अनाज्ञाकारिता के कारण परमेश्वर को अपनी प्रजा इस्त्राएल को अन्ततः दण्ड देने के लिए मजबूर होना पड़ा, उन्हें दास्तव में जाने दिया गया, तब भी परमेश्वर ने थोड़े से लोगों को सुरक्षित बचाए रखा। इन बचे हुए लोगों ने परमेश्वर की व्यवस्था और विधियों को संभाले रखा और आगे चलकर यरुशालेम के मन्दिर का पुनःनिर्माण किया (एज़्रा 9:9)। प्रेरित पौलुस ने अपने आप को परमेश्वर द्वारा बचा कर रखे हुओं में से एक बताया (रोमियों 11:1, 5) जिससे वह गैरयहूदियों के मध्य परमेश्वर का संदेशवाहक बन सके (रोमियों 11:13)।

   यदि आज हम वहाँ सुरक्षित खड़े हैं जहाँ अनेक गिर चुके हैं या नाश हो चुके हैं, तो वह इसलिए कि हम उस जीवते सच्चे प्रभु परमेश्वर की स्तुति और आराधना में हाथ उठाएं, उसके प्रेम और दया के सुसमाचार को अन्य लोगों तक फैलाएं और पाप के दुषप्रभावों से हताश और निराश लोगों के लिए एक विश्राम स्थल बनें, जहाँ वे बुराई की झुलसाने वाली तपिश से ठन्डक पाने का स्थान तथा अनन्त आशीष के जीवन मार्ग पाएं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रोत्साहन की एक छोटी से चिंगारी, आशा की बड़ी ज्वाला सुल्गा सकती है।

कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्‍धुओं को छुटकारे का और अन्‍धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं। - लूका 4:18

बाइबल पाठ: एज़्रा 9:5-9
Ezra 9:5 परन्तु सांझ की भेंट के समय मैं वस्त्र और बागा फाड़े हुए उपवास की दशा में उठा, फिर घुटनों के बल झुका, और अपने हाथ अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फैला कर कहा, 
Ezra 9:6 हे मेरे परमेश्वर! मुझे तेरी ओर अपना मुंह उठाते लाज आती है, और हे मेरे परमेश्वर! मेरा मुंह काला है; क्योंकि हम लोगों के अधर्म के काम हमारे सिर पर बढ़ गए हैं, और हमारा दोष बढ़ते बढ़ते आकाश तक पहुंचा है 
Ezra 9:7 अपने पुरखाओं के दिनों से ले कर आज के दिन तक हम बड़े दोषी हैं, और अपने अधर्म के कामों के कारण हम अपने राजाओं और याजकों समेत देश देश के राजाओं के हाथ में किए गए कि तलवार, बन्धुआई, लूटे जाने, और मुंह काला हो जाने की विपत्तियों में पड़ें जैसे कि आज हमारी दशा है। 
Ezra 9:8 और अब थोड़े दिन से हमारे परमेश्वर यहोवा का अनुग्रह हम पर हुआ है, कि हम में से कोई कोई बच निकले, और हम को उसके पवित्र स्थान में एक खूंटी मिले, और हमारा परमेश्वर हमारी आंखों में जयोति आने दे, और दासत्व में हम को कुछ विश्रान्ति मिले। 
Ezra 9:9 हम दास तो हैं ही, परन्तु हमारे दासत्व में हमारे परमेश्वर ने हम को नहीं छोड़ दिया, वरन फारस के राजाओं को हम पर ऐसे कृपालु किया, कि हम नया जीवन पाकर अपने परमेश्वर के भवन को उठाने, और इसके खंडहरों को सुधारने पाए, और हमें यहूदा और यरूशालेम में आड़ मिली।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 12-13
  • लूका 22:1-20


रविवार, 1 मई 2016

चाहें तो


   मौली को अपने पिताजी की सहायता की आवश्यकता थी किंतु वह सहायता माँगने से डर रही थी, क्योंकि वह जानती थी कि जब उसके पिताजी अपने कंप्यूटर पर बैठकर कार्य कर रहे होते हैं तो उन्हें किसी प्रकार का हस्तक्षेप पसंद नहीं। क्योंकि मौली को डर था कि कहीं उसके पिताजी से सहायता माँगने पर नाराज़ ना हो जाएं; इसलिए उसने उनसे सहायाता माँगी ही नहीं।

   लेकिन हमें प्रभु यीशु के पास आने के लिए ऐसे किसी भय में पड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है (यूहन्ना 6:37)। परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 8:4 में हम पढ़ते हैं कि एक कोढ़ी भिखारी ने प्रभु यीशु के पास आकर उसे अपनी परेशानी और आवश्यकता बताने में कोई संकोच नहीं किया और ना ही प्रभु यीशु ने अपने कार्य में आए इस विघ्न के कारण उस भिखारी पर कोई नाराज़गी दिखाई। उस भिखारी की बीमारी ने उसे दुस्साहसिक बना दिया था - वह समाज से बहिष्कृत और मान्सिक पीड़ा में था। प्रभु यीशु बड़ी भीड़ के साथ व्यस्त थे, लेकिन वह भिखारी जानता था कि उसकी स्थिति के निवारण की एकमात्र आशा प्रभु यीशु द्वारा है।

   इसलिए वह उस भीड़ में से होता हुआ प्रभु यीशु के पास आया; मत्ती रचित सुसमाचार बताता है कि पास आकर सर्वप्रथम उस भिखारी ने प्रभु यीशु को प्रणाम किया (पद 2)। वह आदर के साथ प्रभु यीशु के पास आया, उसने प्रभु यीशु की सामर्थ पर विश्वास किया, उसने अपनी दशा के लिए अन्तिम निर्णय प्रभु यीशु पर छोड़ दिया और नम्रता से निवेदन किया, "...हे प्रभु यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है" (मत्ती 8:2)। कोढ़ की बीमारी के कारण, तत्कालीन यहूदी व्यवस्था के अनुसार वह भिखारी अछूत था, लेकिन प्रभु यीशु ने बड़ी करुणा और दया के साथ उसे छूआ तथा उसे चंगाई प्रदान करी, और वह तुरंत अपने रोग से चंगा हो गया, उसका सारा कोढ़ जाता रहा।

   उस कोढ़ी भिखारी के समान, यदि हम यह मान लेते हैं कि हमारे पाप के कोढ़ का निवारण केवल प्रभु यीशु में है और उससे सहायता के लिए नम्रता तथा समर्पण के साथ उसके पास आते हैं, उससे सहायता का निवेदन करते हैं, तो प्रभु यीशु हमें कभी निराश नहीं करेंगे। जब हम उसे अपने जीवन में आदर का स्थान देंगे, उसे हमारी समस्याओं का समाधन करने का समपूर्ण अधिकार देकर उसके आज्ञाकरी हो जाएंगे, तो हम निश्चिंत रह सकते हैं कि जो भी हमारे लिए सबसे अच्छा है, प्रभु यीशु वही हमारे लिए करेगा, हमारा भला ही करेगा।

   यदि आप चाहें तो प्रभु यीशु आपका सहायक और उद्धारकर्ता आज और अभी बन सकता है; यदि आप चाहें तो प्रभु यीशु आपको आपके पापों से मुक्त कर सकता है। - ऐनी सेटास

इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, 
कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, 
जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों 4:16

जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूंगा। - यूहन्ना 6:37

बाइबल पाठ: मत्ती 8:1-4
Matthew 8:1 जब वह उस पहाड़ से उतरा, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। 
Matthew 8:2 और देखो, एक कोढ़ी ने पास आकर उसे प्रणाम किया और कहा; कि हे प्रभु यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है। 
Matthew 8:3 यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे छूआ, और कहा, मैं चाहता हूं, तू शुद्ध हो जा और वह तुरन्त कोढ़ से शुद्ध हो गया। 
Matthew 8:4 यीशु ने उस से कहा; देख, किसी से न कहना परन्तु जा कर अपने आप को याजक को दिखला और जो चढ़ावा मूसा ने ठहराया है उसे चढ़ा, ताकि उन के लिये गवाही हो।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 10-11
  • लूका 21:20-38


शनिवार, 30 अप्रैल 2016

बहुत देर


   ऐसा लगभग प्रत्येक सत्र में होता है; मैं कॉलेज में प्रवेश लेने वाले आरंभिक विद्यार्थियों की कक्षा को यह बड़े स्पष्ट रीति से बताता और समझाता हूँ कि स्त्र के अंत में उत्तीर्ण होने के लिए उन्हें घर पर करने के लिए दिए जाने वाले उन अनेक लेखन कार्यों को समय से पूरा करते तथा आँकलन के लिए समय से जमा करते रहना होगा। लेकिन लगभग प्रत्येक सत्र में कुछ विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो मेरी बात पर विश्वास नहीं करते, अपना कार्य समय रहते पूरा करके आँकलन के लिए जमा नहीं करते, और फिर सत्र की अन्तिम कक्षा के बाद वे मुझे विन्ती और मजबूरी के ईमेल भेज कर मुझे समझाने के प्रयास करते हैं कि वे क्यों अपना कार्य समय रहते पूरा नहीं करने पाए। मुझे ऐसा करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता, किंतु मुझे उन्हें कहना पड़ता है कि, "क्षमा करें; अब बहुत देर हो चुकी हैं, समय निकल गया और आप इस सत्र में अनुत्तीर्ण हो गए हैं।"

   एक नए विद्यार्थी के लिए यह एहसास, कि उसके हज़ारों डॉलर और समय खर्च भी हो गए और व्यर्थ भी हो गए काफी बुरा है; लेकिन इससे भी कहीं अधिक गंभीर और अटल वह बात है जब अपनी अंतिम श्वास के समय तक लोग परमेश्वर के साथ अपने पापों और अपने संबंधों का समाधान नहीं करते, जबकि परमेश्वर बारंबार उन्हें इसका अवसर और उपाय देता रहता है। जो लोग इस जीवन में परमेश्वर के साथ रहने का निर्णय नहीं लेते, वे फिर अनन्तकाल तक कभी परमेश्वर के साथ रहने नहीं पाएंगे, वरन उनका भाग अनन्तकाल तक परमेश्वर से दूर ही रहेगा।

   उस व्यक्ति के लिए वह कितना भयानक पल होता है जब वह परमेश्वर प्रभु यीशु के सामने अपने जीवन का हिसाब देने को खड़ा हो, और प्रभु को उससे कहना पड़े, "तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ" (मत्ती 7:23)। परमेश्वर के वचन बाइबल का लेखक इब्रानियों के नाम लिखी पत्री में पाठकों को सचेत करता है कि वे उस अनन्त विश्राम और आनन्द से जो परमेश्वर अपने लोगों को देना चाहता है वंचित ना रह जाएं (इब्रानियों 4:1)। आज और अभी भी आपके लिए ’बहुत देर’ नहीं हुई है; यदि अभी तक आपने अपने पापों के लिए क्षमा माँग कर अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित नहीं किया है, तो ऐसा अभी कर लें; प्रभु यीशु सारे संसार के सभी लोगों को सेंत-मेंत क्षमा और उद्धार दे रहा है। आज उसके इस प्रस्ताव को ठुकराना, बाद में अनन्तकाल की पीड़ा को स्वीकारना है। कहीं ऐसा ना हो कि जब तक यह बात समझ में आए, आप के लिए बहुत देर हो चुकी हो। - डेव ब्रैनन


कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु का बलिदान और तीसरे दिन उसका मृतकों में से पुनरुत्थान, 
पापों की गंभीरता और परमेश्वर की क्षमा तथा प्रेम की वास्तविकता का प्रमाण है।

जैसा कहा जाता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय किया था। - इब्रानियों 3:15

बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:1-11
Hebrews 4:1 इसलिये जब कि उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक है, तो हमें डरना चाहिए; ऐसा ने हो, कि तुम में से कोई जन उस से रहित जान पड़े। 
Hebrews 4:2 क्योंकि हमें उन्‍हीं की नाईं सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुनने वालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा। 
Hebrews 4:3 और हम जिन्हों ने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; जैसा उसने कहा, कि मैं ने अपने क्रोध में शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे, यद्यपि जगत की उत्‍पत्ति के समय से उसके काम पूरे हो चुके थे। 
Hebrews 4:4 क्योंकि सातवें दिन के विषय में उसने कहीं यों कहा है, कि परमेश्वर ने सातवें दिन अपने सब कामों को निपटा कर के विश्राम किया। 
Hebrews 4:5 और इस जगह फिर यह कहता है, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश न करने पाएंगे।
Hebrews 4:6 तो जब यह बात बाकी है कि कितने और हैं जो उस विश्राम में प्रवेश करें, और जिन्हें उसका सुसमाचार पहिले सुनाया गया, उन्होंने आज्ञा न मानने के कारण उस में प्रवेश न किया। 
Hebrews 4:7 तो फिर वह किसी विशेष दिन को ठहराकर इतने दिन के बाद दाऊद की पुस्‍तक में उसे आज का दिन कहता है, जैसे पहिले कहा गया, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो। 
Hebrews 4:8 और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश कर लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती। 
Hebrews 4:9 सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है। 
Hebrews 4:10 क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा कर के विश्राम किया है। 
Hebrews 4:11 सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 8-9
  • लूका 21:1-19


शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

प्रगट


   प्रसिद्ध चित्रकार रेमब्रांट ने 27 वर्ष की आयु में परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 4 में दी गई घटना पर आधारित एक चित्र बनाया, Christ in the Storm on the Sea of Galilee. प्रकाश और छाया के तुलनात्मक उपयोग की उनकी विशिष्ट शैली में बना रेमब्रांट का यह चित्र एक छोटी नाव को प्रचण्ड तूफान में घिरा हुआ दिखाता है। चेले नाव को संभालने में संघर्षरत हैं किंतु प्रभु यीशु शान्त और निश्चिंत सोया हुआ है। लेकिन इस चित्र की सबसे विलक्षण बात है नाव में 13 चेलों का होना; और कला विशेषज्ञों का मानना है कि उस 13वें चेले की शकल स्वयं रेमब्रांट की शक्ल के समान है।

   मरकुस रचित सुसमाचार की यह घटना प्रभु यीशु मसीह के चेलों के लिए प्रभु यीशु मसीह के व्यक्तित्व और सामर्थ का एक जीवन्त पाठ है। जबकि चेले नाव को डूबने से बचाने का कठिन संघर्ष कर रहे हैं, प्रभु यीशु उसी नाव में सो रहा है। क्या प्रभु को चिन्ता नहीं है के वे सब नष्ट होने पर हैं? (पद 38)। प्रभु यीशु ने तूफान को शान्त करके (पद 39), चेलों से तीखा प्रश्न पूछा, "और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?" (पद 40)। इस पर वे चेले और भी भयभीत होकर आपस में कहने लगे, "...यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?" (पद 41)।

   इस घटना में रेमब्रांट के समान ही आज हम भी अपने आप रख कर उन चेलों के समान ही सीख सकते हैं कि प्रभु यीशु कौन है। उन चेलों के समान ही हम भी यह जान सकते हैं कि जो कोई अपना विश्वास उसमें लाता है, प्रभु यीशु उस पर अपनी उपस्थिति, अनुकंपा और प्रेम प्रगट करते हैं और यह भी प्रगट करते हैं कि जीवन के हर तूफान में सहायता और सुरक्षा के लिए वे अपने प्रत्येक विश्वासी के साथ सदा बने रहते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


जीवन के तूफानों में हमारा सबसे सुरक्षित और विश्वासयोग्य शरणस्थान प्रभु यीशु मसीह ही है।

परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें। - भजन 46:1-3

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 6-7
  • लूका 20:27-47


गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

प्रश्न


   अमेरीकी गृह युद्ध के कुछ वर्ष पश्चात जनरल ल्यु वॉलेस का ट्रेन में यात्रा करते हुए कर्नल रॉबर्ट इन्गरसौल से सामना हुआ। इन्गरसौल 19वीं शताबदी के प्रमुख नास्तिकवादियों में से एक थे, जबकि ल्यु वॉलेस प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करते थे। परस्पर बातचीत के दौरान, वार्तालाप उनके आपसी आत्मिक मतभेदों की ओर मुड़ी, और वॉलेस को एहसास हुआ कि वे इन्गरसौल द्वारा उठाए जा रहे प्रश्नों और शंकाओं के समुचित उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। अपने विश्वास की जानकारी और समझ के बारे में अपनी कमी से शर्मिंदा होकर ल्यु वॉलेस ने उत्तरों को परमेश्वर के वचन बाइबल तथा प्रभु यीशु मसीह के जीवन काल के समय के संबंधित ऐतिहासिक द्स्तावेज़ों से खोजना आरंभ किया। उनकी इस खोज से मिले उत्तरों को उन्होंने एक ऐतिहासिक उपन्यास Ben-Hur: A Tale of Christ के रूप में प्रस्तुत किया और जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह की सच्चाई की विश्वस्त घोषणा करी।

   हमारे मसीही विश्वास को स्वीकार ना करने वाले लोगों द्वारा उठाए जाने वाले प्रश्नों को हमें अपने विश्वास के लिए खतरा या धमकी नहीं समझना चाहिए। वरन इसे अपने मसीही विश्वास को और गहराई से जानने और समझने, तथा किसी अन्य के द्वारा जब ऐसे ही प्रश्न उठाए जाएं तो प्रेम और बुद्दिमता से उनका कैसे उत्तर दिया जाए यह सीखने का एक अवसर समझना चाहिए। बाइबल में प्रेरित पतरस ने परमेश्वर की बातों को सीखते-समझते रहने के लिए लिखा है: "...और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ" (1 पतरस 3:15)।

   ज़रूरी नहीं है कि हमारे पास हर एक के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर हो; लेकिन हमारे पास ऐसा विश्वास, हिम्मत और संकल्प अवश्य होना चाहिए जो हमें मसीह यीशु के प्रेम और आशा को दूसरों के साथ बाँटने की सामर्थ देता है। - बिल क्राउडर


जीवन के बड़े-से-बड़े प्रश्न का एकमात्र उत्तर प्रभु यीशु मसीह में है।

क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। - 2 पतरस 1:3

बाइबल पाठ: 1 पतरस 3:8-17
1 Peter 3:8 निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो। 
1 Peter 3:9 बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो। 
1 Peter 3:10 क्योंकि जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्‍छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे। 
1 Peter 3:11 वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्‍न में रहे। 
1 Peter 3:12 क्योंकि प्रभु की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है।
1 Peter 3:13 और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है? 
1 Peter 3:14 और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ। 
1 Peter 3:15 पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ। 
1 Peter 3:16 और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो तुम्हारे मसीही अच्‍छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों। 
1 Peter 3:17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 3-5
  • लूका 20:1-26


बुधवार, 27 अप्रैल 2016

प्रेम


   जब हैन्स ऐग्डे 1721 में मिशनरी होकर ग्रीनलैंड गए, तब वे वहाँ की स्थानीय इन्युइट लोगों की भाषा नहीं जानते थे। साथ ही, क्योंकि वे स्वभाव से अपना रौब बना कर रखने वाले थे, इस कारण उन्हें स्थानीय लोगों के प्रति प्रेम तथा दया दिखाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ता था। सन 1733 में ग्रीनलैंड में चेचक की महामारी फैली जिससे दो तिहाई इन्युइट लोगों का सफाया हो गया; मृतकों में ऐग्डे की पत्नि भी थीं। इन्युइट लोगों के समान ही दुखः भोगने के इस अनुभव ने ऐग्डे के कठोर स्वभाव को पिघला दिया, और वे लोगों की शारीरिक तथा आत्मिक सेवा जी-जान से करने लगे। क्योंकि उनकी यह नई जीवन शैली परमेश्वर के प्रेम की उन बातों के अनुरूप थी जिन्हें वे लोगों को बताते और सुनाते थे, इन्युइट लोग जान और समझ सके कि परमेश्वर उन से भी प्रेम करता है, उनका भला चाहता है। अपने दुखः के समय में भी वे लोग परमेश्वर की ओर मुड़े और उसे ग्रहण किया।

   हो सकता है कि इस घटना के इन्युइट लोगों के समान आप की भी स्थिति हो, और आप अपने आस-पास के लोगों में परमेश्वर और उसके प्रेम को नहीं देख पा रहे हों। या, हो सकता है कि आप हैन्स ऐग्डे के समान हों, जो परमेश्वर के प्रेम को अपने जीवन से ऐसे जी कर दिखाने के लिए संघर्ष कर रहे थे जिससे लोग परमेश्वर की ओर मुड़ें।

   क्योंकि परमेश्वर जानता है कि हम मनुष्य कमज़ोर और ज़रुरतमन्द हैं, इसलिए अपने प्रेम को हमें दिखाने और समझाने के लिए परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को हमारे पापों के निवारण के लिए बलिदान होने को भेजा (यूहन्ना 3:16)। हमारी भलाई के लिए अपने निष्पाप और निष्कलंक पुत्र के बलिदान कर देने के द्वारा परमेश्वर ने सप्रमाण दिखाया कि वह हम से कितना प्रेम करता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में 1 कुरिन्थियों 13 में लिखित प्रेम की व्याख्या का सदेह उदाहरण प्रभु यीशु मसीह हैं। केवल प्रभु यीशु से ही हम सच्चा निस्वार्थ प्रेम करने का अर्थ सीखते हैं और उसे अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करने से हम उससे दूसरों के प्रति सच्चा प्रेम करने की सामर्थ पाते हैं। - रैंडी किलगोर


मैं कभी किसी के लिए परमेश्वर के स्वरूप को देखने से बाधित करने वाली बाधा ना बनूँ।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 13:1-13
1 Corinthians 13:1 यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं। 
1 Corinthians 13:2 और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं। 
1 Corinthians 13:3 और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं। 
1 Corinthians 13:4 प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं। 
1 Corinthians 13:5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। 
1 Corinthians 13:6 कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्‍दित होता है। 
1 Corinthians 13:7 वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। 
1 Corinthians 13:8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। 
1 Corinthians 13:9 क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी। 
1 Corinthians 13:10 परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा। 
1 Corinthians 13:11 जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी। 
1 Corinthians 13:12 अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं। 
1 Corinthians 13:13 पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 1-2
  • लूका 19:28-48


मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

नम्र


   मैंने एक रोचक वीडियो देखा - एक पिल्ला, डेज़ी, सीढ़ी के ऊपरी छोर पर खड़ा है, भयभीत है और सीढ़ियों से नीचे नहीं आ पा रही है। नीचे बहुत से लोग खड़े उसे बुला रहे हैं, प्रोत्साहित कर रहे हैं किंतु वह नीचे नहीं उतरना समझ नहीं पा रही है। वह चाह तो रही है कि नीचे की ओर आए किंतु उसका भय उसे यह करने नहीं दे रहा है। फिर एक बड़ा कुत्ता, साइमन, डेज़ी की सहायता के लिए आता है। साइमन भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ डेज़ी के पास आता है और फिर वापस नीचे की ओर जाता है, डेज़ी को दिखाता है कि ऐसा करना कितना सरल है। डेज़ी अभी भी भयभीत है और नहीं कर पा रही है; साइमन फिर से उसके पास आता है और अबकी बार और धीरे से उसे उतर कर दिखाता है, डेज़ी को प्रोत्साहित करता है, किंतु डेज़ी अभी भी हिचकिचा रही है। साइमन फिर से उसके पास जाता है और डेज़ी को नीचे उतरने का तरीका करके दिखाता है। अन्ततः डेज़ी की हिम्मत बंधती है, वह हिम्मत करके अपने पिछले पैरों को अगले पैरों के साथ मिला कर निचली सीढ़ी पर आ जाती है, साइमन उसके साथ ही बना रहता है, फिर ऐसे ही प्रयास करते हुए डेज़ी सीढ़ियाँ उतरना सीख लेती है; और सभी आनन्दित होते हैं।

   शिष्यता सिखाने का यह एक बहुत सुन्दर वीडियो था। हम अपना बहुत सा समय दूसरों को ऊपर चढ़ना सिखाने में बिता देते हैं, लेकिन अधिक आवश्यक और अधिक कठिन है दूसरों को सिखाना कि नम्र होकर कैसे अपने आप को नीचा किया जाए। बाइबल में सभी स्थानों पर हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अपने लोगों से नम्रता का स्वभाव चाहा है, अनेक स्थानों पर परमेश्वर ने स्वयं अपने आप को नीचा कर के नम्रता का यह पाठ पढ़ाया है (निर्गमन 3:7-8; 19:10-12; मीका 1:3)। और जब जब परमेश्वर के लोग नम्र हुए हैं, परमेश्वर ने उनके अपराधों को क्षमा किया और उनके दण्ड को टाल दिया (2 इतिहास 12:7)। 

    परमेश्वर के वचन बाइबल मात्र में ही हम पाते हैं कि कैसे परमेश्वर ने, प्रभु यीशु के रूप में, अपने ही उदाहराण द्वारा, हमें नम्र होना, सहनशील तथा धैर्यवान होना, दुशमनों तथा विरोधियों के प्रति भी क्षमाशील होना और अपने आप को दूसरों के हित के लिए बलिदान कर देना स्वयं अपने जीवन में करके दिखाया तथा सिखाया है। क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने आप को सबसे अधिक दीन और नम्र कर लिया, इसीलिए उसे सृष्टि में सबसे अधिक महिमामय और गौर्वपूर्ण स्थान भी मिला है; अन्ततः उसी के सामने सृष्टि का हर घुटना झुकेगा और और प्रत्येक जीभ उसकी प्रभुता का अंगीकार करेगी (फिलिप्पियों 2:10-11)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब तक कोई नम्र होना नहीं सीख लेता, वह अन्य कुछ भी नहीं सीख सकता।

जब यहोवा ने देखा कि वे दीन हुए हैं, तब यहोवा का यह वचन शमायाह के पास पहुंचा कि वे दीन हो गए हैं, मैं उन को नष्ट न करूंगा; मैं उनका कुछ बचाव करूंगा, और मेरी जलजलाहट शीशक के द्वारा यरूशलेम पर न भड़केगी। - 2 इतिहास 12:7

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 23-24
  • लूका 19:1-27