ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 13 जून 2017

कार्य


   सोशल मीडिया बहुत सी बातों के लिए उपयोगी है, परन्तु संतुष्टि उन बातों में से एक नहीं है; कम से कम मेरे लिए तो नहीं। चाहे मेरे उद्देश्य भले हों, परन्तु फिर भी मैं मुझे निरंतर स्मरण कराने वाली उन बातों से निराश हो जाती हूँ कि मेरे निर्धारित उद्देश्यों को कोई और मुझसे पहले पूरा कर ले रहा है, या मुझसे बेहतर परिणामों के साथ पूरा कर ले रहा है। क्योंकि इस प्रकार की निराशा में पड़ना मेरी प्रवृत्ति है, इसलिए मैं अपने आप को बारंबार यह स्मरण दिलाती रहती हूँ कि जो कार्य परमेश्वर मुझसे करवाना चाहता है उसके लिए जो कुछ भी आवश्यक है वह सब उसने मुझे उपलब्ध करवा रखा है।

   इसका तात्पर्य है कि उस कार्य के लिए मुझे अधिक धन की आवश्यकता नहीं है, और न ही उसके सफल हो जाने के लिए किसी के आश्वासन की। न ही मुझे उस कार्य के लिए किसी नई नौकरी की और न ही वर्तमान से बेहतर कार्य स्थिति की आवश्यकता है। मुझे अन्य लोगों का अनुमोदन अथवा अनुमति भी नहीं चाहिए, न ही अधिक समय या बेहतर स्वास्थ्य चाहिए। संभव है कि उसके द्वारा सौंपे गए कार्य को करते हुए परमेश्वर इन में से कुछ बातें मुझे प्रदान कर दे, परन्तु अभी जो कुछ मुझे चाहिए वह सब उसने मेरे लिए उपलब्ध कर दिया है, क्योंकि जब वह कोई कार्य सौंपता है, तो उसके लिए आवश्यक संसाधन भी जुटा देता है। यह अब मेरा दायित्व है कि जो कार्य उसने मुझे सौंपा है उसे उन संसाधनों के उचित उपयोग द्वारा उसकी महिमा तथा दूसरों को आशीषित करने के लिए पूरा करूँ।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि प्रभु यीशु और उनके शिष्य पतरस के मध्य इसी विषय से संबंधित एक वार्तालाप हुआ। मृतकों में से अपने पुनरुत्थान के बाद के दिनों में, एक प्रातः, गलील की झील के किनारे प्रभु यीशु ने चेलों को भोजन कराया और पतरस को आने वाले समय में उससे अपेक्षित सेवकाई के बारे में बताया तथा यह भी कि उसके जीवन के अन्त समय में क्या होगा। तब, वहाँ एकत्रित शिष्यों में से एक अन्य शिष्य की ओर संकेत करके पतरस ने प्रभु से पूछा, "उसका क्या होगा?" प्रभु यीशु ने उत्तर दिया, "तुझे इससे क्या?"

   यही प्रश्न मुझे अपने आप से पूछना होता है जब मैं अपनी तुलना किसी अन्य से करने लगती हूँ। प्रभु का तात्पर्य उस समय पतरस से, और अब मुझ से स्पष्ट है, "यह सोचना तेरा कार्य नहीं है; तू वह कर जो तुझे सौंपा गया है, और उसे वह करने दे जो उसे सौंपा गया है।" मेरा दायित्व, मेरा कार्य है कि मैं प्रभु यीशु का अनुसरण करूँ और उसके प्रति आज्ञाकारी तथा वफादार बनी रहूँ। - जूली ऐकैरमैन लिंक


दूसरों की ओर देखने से रोष आता है, 
प्रभु की ओर देखने से संतुष्टि और आशीष आती है।

यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो। - यूहन्ना 6:29

बाइबल पाठ: यूहन्ना 21:12-22
John 21:12 यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है। 
John 21:13 यीशु आया, और रोटी ले कर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी। 
John 21:14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए।
John 21:15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उसने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा। 
John 21:16 उसने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उसने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर। 
John 21:17 उसने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उसने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा। 
John 21:18 मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्‍धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्‍धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा। 
John 21:19 उसने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। 
John 21:20 पतरस ने फिरकर उस चेले को पीछे आते देखा, जिस से यीशु प्रेम रखता था, और जिसने भोजन के समय उस की छाती की और झुककर पूछा हे प्रभु, तेरा पकड़वाने वाला कौन है? 
John 21:21 उसे देखकर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, इस का क्या हाल होगा? 
John 21:22 यीशु ने उस से कहा, यदि मैं चाहूं कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या? तू मेरे पीछे हो ले।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 6-8
  • यूहन्ना 21


सोमवार, 12 जून 2017

कटनी


   प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, दिन में तीन बार खाना पकाना कठिन और उबा देने वाला हो जाता है। मैं साफ करने, छीलने, काटने, मिलाने और फिर भोजन के पकने की प्रतीक्षा करते करते थक जाती हूँ। परन्तु भोजन को खाना कभी उबा देने वाला नहीं होता; वह तो आनन्दकारी होता है, चाहे उसे भी हम प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, दिन में तीन बार करते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने भले कार्य का भी थका देने वाला बन जाने के बारे में समझाने के लिए बीज बोने और कटनी काटने का उदाहरण लिया (गलतियों 6:7-10)। पौलुस ने लिखा, "हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे" (पद 9)। अपने शत्रुओं से प्रेम रखना, अपने बच्चों को अनुशासन में रखना, निरंतर प्रार्थना में बने रहना, इत्यादि कठिन हो सकता है। परन्तु जो भलाई हमने की है, उसकी अच्छी कटनी काटना कठिन, उबाऊ, और थका देने वाला नहीं होता है। कितना आनन्द मिलता है जब हम प्रेम को बैर पर जयवन्त होते देखते हैं, अपने बच्चों को परमेश्वर के भय में चलते-बढ़ते और जीवनों में उन्नति करते हुए देखते हैं, प्रार्थनाओं के उत्तर मिलते हुए देखते हैं।

   चाहे भोजन पकाने में मुझे घंटों लगे हों, मेरे परिवार को भोजना खा लेने का आनन्द लेने में मुश्किल से 20 मिनिट लगते हैं। परन्तु पौलुस ने जिस आनन्द की बात की है, वह क्षणिक नहीं वरन अनन्तकाल का है। हमें जब जैसा अवसर मिले हम भलाई करते रहें, और परमेश्वर की ओर से प्रत्युत्तर में उनकी आशीषों के आने के लिए परमेश्वर के समय तथा विधि की प्रतीक्षा करें। आज परमेश्वर की आज्ञाकारिता में जीवन जीने को लेकर निराश न हों; मत भूलें कि परमेश्वर ने अनन्तकाल के आनन्द की कटनी हमारे लिए रख छोड़ी है। - कीला ओकोआ


अनन्त का ध्यान रखते हुए अपने निशाने की ओर दौड़ते चले जाएं।


हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। - फिलिप्पियों 3:13-14

बाइबल पाठ: गलतियों 6:1-10
Galatians 6:1 हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। 
Galatians 6:2 तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। 
Galatians 6:3 क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है। 
Galatians 6:4 पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा। 
Galatians 6:5 क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
Galatians 6:6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्‍तुओं में सिखाने वाले को भागी करे। 
Galatians 6:7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। 
Galatians 6:8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। 
Galatians 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। 
Galatians 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ।

एक साल में बाइबल: 

  • एज़्रा 3-5
  • यूहन्ना 20


रविवार, 11 जून 2017

शान्त


   मेरे मसीही जीवन के प्रारंभिक दिनों में मुझे शक रहता था कि मसीही समर्पण से जुड़े दायित्वों तथा जीवन शैली के कारण क्या मैं एक वर्ष भी अपने पुराने पापमय स्वभाव से दूर होकर रहने पाऊँगा। परन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल के इस पद ने मेरी बहुत सहायता की: "यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो" (निर्गमन 14:14)। ये शब्द मूसा द्वारा इस्त्राएलियों से तब कहे गए थे जब वे मिस्त्र के दासत्व से निकलकर कनान देश की ओर अपनी यात्रा में थे और फिरौन तथा उसकी सेना उन्हें फिर से बन्दी बना लेने के लिए उनके पीछे आ पहुँची थी। अपनी परिस्थितियों और परेशानियों के कारण वे इस्त्राएली भयभीत तथा हताश थे।

   मुझ युवा विश्वासी के लिए, जो चारों ओर से फिर से पाप का दास बना लेने वाले प्रलोभनों तथा परीक्षाओं से घिरा हुआ था, इस पद का "चुपचाप रहो" निर्देश बहुत प्रोत्साहक था। अब लगभग 37 वर्ष पश्चात, तनाव से भरी परिस्थितियों में भी शान्त रहकर परमेश्वर पर विश्वास बनाए रखना, आज भी निरंतर मेरी इच्छा एवं प्रयास रहता है।

   भजनकार ने कहा, "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं" (भजन 46:10)। जब हम विचलित करने वाले हालातों में भी शान्त बने रहते हैं, परमेश्वर पर आश्वस्त रहते हैं, तो हम परमेश्वर को, उसे जो "हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक" (भजन 46:1) है, और गहराई से जानने पाते हैं। हम समझने पाते हैं कि परमेश्वर की सहायता के बिना हम कितने कमज़ोर हैं, और हर बात में उसके प्रति समर्पित तथा आज्ञाकारी रहना हमारे लिए कितना आवश्यक है। प्रेरित पौलुस ने कहा, "इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं" (2 कुरिन्थियों 12:10)।

   प्रतिदिन हम अनेकों प्रकार के तनावों और कुण्ठित कर देने वाली परिस्थितियों से होकर निकलते हैं। परन्तु हम आश्वस्त रह सकते हैं कि हमारी देख-भाल करने के अपने वायदे के प्रति परमेश्वर सदा विश्वासयोग्य रहता है, हर बात में हमारे लिए, हमारे पक्ष में होकर कार्य करता रहता है। हम उसपर भरोसा बनाए रखें और विचलित नहीं, वरन शान्त रहना सीख लें। - लॉरेंस दरमानी


प्रभु आपके तूफानों को शान्त कर सकता है, 
परन्तु अकसर उन तूफानों में वह आपको शान्त रहना सिखाता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: निर्गमन 14:10-14
Exodus 14:10 जब फिरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आंखे उठा कर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी। 
Exodus 14:11 और वे मूसा से कहने लगे, क्या मिस्र में कबरें न थीं जो तू हम को वहां से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से यह क्या किया, कि हम को मिस्र से निकाल लाया? 
Exodus 14:12 क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों की सेवा करनी अच्छी थी। 
Exodus 14:13 मूसा ने लोगों से कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उन को फिर कभी न देखोगे। 
Exodus 14:14 यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो। 

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 1-2
  • यूहन्ना 19:23-42


शनिवार, 10 जून 2017

उपयोगी


   फैनी केम्बल एक ब्रिटिश अभिनेत्री थी जो 1800 के आरंभिक वर्षों में अमेरिका आकर बस गईं और वहाँ एक धनी बाग़ान मालिक, पीयर्स बटलर से विवाह करके, दक्षिणी अमेरिका में रहने लगीं। फैनी, बाग़ान से होने वाली आमदनी के कारण, ऐश का जीवन बिताने लगीं; परन्तु जब उन्होंने देखा कि उनकी इस ऐश की कीमत उनके पति के बाग़ान में काम करने वाले दासों को चुकानी पड़ती है, तो वे विचलित हो उठीं। उन्होंने दासों के साथ होने वाले क्रूर व्यवहार के बारे में लिखना आरंभ कर दिया, जिसके कारण अन्ततः उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया। उनके लेखों को दासत्व विरोधियों ने बहुत उपयोग किया और उनके विवरणों को दासत्व की क्रूरता समझाने के लिए व्यापक रीति से लोगों में बाँटा। दासत्व के विरोध में लिखे गए लेखों के कारण, दासों के स्वामी की भूतपूर्व पत्नि की पहचान अब दास्त्व के विरोधी लोगों की सहयोगी के रूप में होने लगी।

   मसीह यीशु की देह, उसके विश्वासियों की मण्डली, में भी परमेश्वर अनेकों बार हमें चकित कर देता है, जब हम देखते हैं कि कैसे वह ऐसे लोगों को भी अपने उद्देश्य पूरे करने के लिए उपयोग करता है जिनके बारे में वैसा सोचा भी नहीं जा सकता था। इस संबंध में प्रेरित पौलुस ने कोरिंथ की मसीही मण्डली को लिखी अपनी पहली पत्री में लिखा, "परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए" (1 कुरिन्थियों 1:27-28)।

   यह हमें स्मरण दिलाता है कि परमेश्वर अपने अनुग्रह में होकर किसी को भी अपने लिए उपयोग कर सकता है। यदि हम अपने जीवन उसे समर्पित कर के, उसकी आज्ञाकारिता में बने रहें, और उसे अपने उद्देश्य हमारे जीवनों में पूरे करने दें, तो स्वयं हम भी चकित हो जाएंगे कि परमेश्वर हमारे द्वारा क्या कुछ कर सकता है, हमें कैसी विलक्षण रीति से अपने लिए उपयोगी बना सकता है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर हमसे हमारी योग्यता नहीं, 
वरन उसके प्रति हमारा समर्पण, हमारी उपयोगिता चाहता है।

क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूंगा, कि तुम्हारे सब विरोधी साम्हना या खण्‍डन न कर सकेंगे। - लूका 21:15

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 1:25-31
1 Corinthians 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।
1 Corinthians 1:26 हे भाइयो, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। 
1 Corinthians 1:27 परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। 
1 Corinthians 1:28 और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। 
1 Corinthians 1:29 ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्‍ड न करने पाए। 
1 Corinthians 1:30 परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा। 
1 Corinthians 1:31 ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, कि जो घमण्‍ड करे वह प्रभु में घमण्‍ड करे। 

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 34-36
  • यूहन्ना 19:1-22


शुक्रवार, 9 जून 2017

आभारी तथा निर्भर


   अपनी पुस्तक The Hidden Brain में विज्ञान लेखक शंकर वेदान्तम ने अपना एक अनुभव बताया है; वह एक दिन आराम से तैरने के लिए गए। पानी शान्त और साफ था, और थोड़े समय में ही लंबी दूरी तक तैर पाने के कारण उसे अपने आप पर बहुत गर्व हुआ, उसे प्रतीत हुआ कि वह बहुत बलवान है। इसलिए उसने निर्णय किया कि वह खाड़ी से निकलकर खुले पानी में तैरेगा। आगे खुले पानी में तैरते जाने में उसे कोई कठिनाई नहीं हुई, परन्तु जब उसने वापस लौटना चाहा तो उसने पाया कि वह भरसक प्रयास के बावजूद किनारे के निकट आने नहीं पा रहा था। वास्तव में पानी के बहाव से उसे धोखा हुआ था; उसके कम समय में लंबी दूरी तय कर लेने का कारण उसकी अपनी सामर्थ नहीं वरन पानी का बहाव था जो उसे उस दिशा में लिए चला जा रहा था, और अब विपरीत दिशा में वह उस बहाव से बाहर नहीं निकल पा रहा था।

   परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में भी ऐसा ही कुछ हो सकता है। जीवन के बहाव के साथ हम आगे बढ़ते हुए कहीं भी पहुँच सकते हैं। जब जीवन सरल होता है तो हम सोचने लगते हैं कि हमारी उपलब्धियाँ और सफलताएं हमारी अपनी योग्यता और सामर्थ के कारण हैं। इससे हमारे अन्दर घमंड और अपने ऊपर अनुचित आत्मविश्वास उत्पन्न होने लगता है। लेकिन अपनी वास्तविकता और निःसहाय होने का आभास हमें तब होता है जब कोई विपरीत परिस्थिति या परेशानी हमें घेर लेती है, और उन से निकल पाने के हमारे प्रयास असफल होने लगते हैं।

   हम देखते हैं कि परमेश्वर के वचन बाइबल में दर्ज इस्त्राएल के इतिहास में यही बात इस्त्राएलियों के साथ बारंबार हुई। परमेश्वर उन्हें अपनी आशीषों, शान्ति, समृध्दि और सैनिक सफलता देता, परन्तु कुछ ही समय बाद वे यह समझने लगते कि यह सब वे अपनी सामर्थ्य और योग्यता के कारण प्राप्त कर रहे हैं, और वे घमंडी तथा आत्मविश्वासी हो जाते (व्यवस्थाविवरण 8:11-12)। ऐसे में उन्हें लगता कि अब उन्हें परमेश्वर की आवश्यकता नहीं है, और वे परमेश्वर का मार्ग छोड़कर अपने ही मार्ग ले लेते। परन्तु जब भी कोई शत्रु उन पर हमला करता था, तब उन्हें पता चलता था कि उनकी वास्तविक स्थिति क्या है, और परमेश्वर की सहायता के बिना वे कितने असहाय हैं।

   जब जीवन आराम से चल रहा होता है, तब ही वह समय होता है जिसमें हमें अनुचित आत्मविश्वास के धोखे में पड़ने से बचना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि कहीं घमंड के कारण हम सही मार्ग से भटकने तो नहीं लगे हैं। केवल नम्रता और दीनता तथा परमेश्वर के वचन की आज्ञकारिता ही हमें ऐसे में सुरक्षित तथा सही मार्ग पर बनाए रखेगी। अपनी सभी आशीषों, सफलताओं तथा समृध्दि के लिए हमें सदा परमेश्वर का आभारी और केवल उसकी सामर्थ्य तथा मार्गदर्शन पर निर्भर रहना चाहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सच्ची दीनता हर उपलब्धि का श्रेय परमेश्वर को देती है।

क्योंकि वे न तो अपनी तलवार के बल से इस देश के अधिकारी हुए, और न अपने बाहुबल से; परन्तु तेरे दाहिने हाथ और तेरी भुजा और तेरे प्रसन्न मुख के कारण जयवन्त हुए; क्योंकि तू उन को चाहता था। - भजन 44:3

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 8:6-20
Deuteronomy 8:6 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करते हुए उसके मार्गों पर चलना, और उसका भय मानते रहना। 
Deuteronomy 8:7 क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है, जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश है। 
Deuteronomy 8:8 फिर वह गेहूं, जौ, दाखलताओं, अंजीरों, और अनारों का देश है; और तेलवाली जलपाई और मधु का भी देश है। 
Deuteronomy 8:9 उस देश में अन्न की महंगी न होगी, और न उस में तुझे किसी पदार्थ की घटी होगी; वहां के पत्थर लोहे के हैं, और वहां के पहाड़ों में से तू तांबा खोदकर निकाल सकेगा। 
Deuteronomy 8:10 और तू पेट भर खाएगा, और उस उत्तम देश के कारण जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देगा उसका धन्य मानेगा। 
Deuteronomy 8:11 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे; 
Deuteronomy 8:12 ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे, 
Deuteronomy 8:13 और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए, 
Deuteronomy 8:14 तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है, 
Deuteronomy 8:15 और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विष वाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्ठान से जल निकाला, 
Deuteronomy 8:16 और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के अन्त में तेरा भला ही करे। 
Deuteronomy 8:17 और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई। 
Deuteronomy 8:18 परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है। 
Deuteronomy 8:19 यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लेगा, और उसकी उपासना और उन को दण्डवत करेगा, तो मैं आज तुम को चिता देता हूं कि तुम नि:सन्देह नष्ट हो जाओगे। 
Deuteronomy 8:20 जिन जातियों को यहोवा तुम्हारे सम्मुख से नष्ट करने पर है, उन्ही की नाईं तुम भी अपने परमेश्वर यहोवा का वचन न मानने के कारण नष्ट हो जाओगे। 

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 32-33
  • यूहन्ना 18:19-40


गुरुवार, 8 जून 2017

प्रेम


   मैं अकसर अपने आप को उन बीते वर्षों को स्मरण करते हुए पाता हूँ, जब हमारे बच्चे छोटे थे। स्मरण की एक विशेषकर प्रीय बात रहती है उन्हें प्रातः उठाने की दिनचर्या। प्रति प्रातः मैं उनके कमरे में जाता, बड़े प्रेम से उन्हें नाम लेकर बुलाता और उन से कहता कि अब उठने का समय हो गया है, उन्हें उठकर दिन भर के कार्यों के लिए तैयार होना है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी मैं पढ़ता हूँ कि अब्राहम ने भी परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए प्रातः अपने पुत्र को उठाया, और मेरा ध्यान अपने बच्चों को उठाने की अपनी उस दिनचर्या की ओर जाता है, और यह विचार मेरे मन में आता है, क्या अब्राहम के लिए भी प्रति प्रातः अपने बेटे इसहाक को उठाने जाना उसकी दिनचर्या का भाग होता था? साथ ही मैं यह भी सोचता हूँ कि उस प्रातः अब्राहम के लिए यह कितना कठिन तथा हृदय-विदारक रहा होगा कि वह अपने बेटे को इसलिए उठाए क्योंकि परमेश्वर की आज्ञानुसार उसे इसहाक को बलिदान करने ले जाना था।

   लेकिन अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञा को माना; उसने इसहाक को अपने साथ लिया और परमेश्वर के बताए स्थान पर जाकर उसे बाँध कर बलिदान की वेदी पर रख दिया, परन्तु इसहाक के बलिदान हो जाने से एन पहले परमेश्वर ने अब्राहम को रोका और बलिदान के लिए एक मेढ़ा प्रदान कर दिया। इस घटना के सैंकड़ों वर्षों के पश्चात परमेश्वर ने एक और बलिदान का प्रबंध कर के दिया - अन्तिम बलिदान - प्रभु यीशु मसीह, जिसने सारे संसार के सभी लोगों के सभी पापों के लिए अपना जीवन बलिदान किया, और फिर तिसरे दिन मृतकों में से जी उठा।

   थोड़ा विचार कीजिए, परमेश्वर के लिए यह कितना कष्टप्रद रहा होगा कि अपने निर्दोष, निषपाप, निषकलंक पुत्र को पापी मनुष्यों के लिए अति क्रूरता एवं तिरिस्कार के साथ बलिदान हो जाने दे। परन्तु उसने यह इसलिए होने दिया क्योंकि वह आपसे प्रेम करता है और चाहता है कि आप उसके पास आ जाएं, उसके परिवार का भाग, उसकी सन्तान, उसकी आशीषों के पात्र बन जाएं। यदि आप कभी यह सोचें कि "क्या परमेश्वर मुझसे प्रेमा करता है?" या फिर यह कि "क्या कोई मुझसे सच्चा प्रेम करता भी है या नहीं?" तो आपको और कहीं देखने की आवश्यकता नहीं है; आप प्रभु यीशु और क्रुस पर दिए गए उसके बलिदान की ओर देखें तथा उस बलिदान पर विचार कर लें - उत्तर स्वतः ही आपके समक्ष होगा। - जो स्टोवैल


परमेश्वर ने आपके प्रति अपने प्रेम का प्रमाण पहले से ही दे रखा है।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 22:1-14
Genesis 22:1 इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने, इब्राहीम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, कि हे इब्राहीम: उसने कहा, देख, मैं यहां हूं। 
Genesis 22:2 उसने कहा, अपने पुत्र को अर्थात अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग ले कर मोरिय्याह देश में चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊंगा होमबलि कर के चढ़ा।
Genesis 22:3 सो इब्राहीम बिहान को तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिये लकड़ी चीर ली; तब कूच कर के उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्वर ने उस से की थी। 
Genesis 22:4 तीसरे दिन इब्राहीम ने आंखें उठा कर उस स्थान को दूर से देखा। 
Genesis 22:5 और उसने अपने सेवकों से कहा गदहे के पास यहीं ठहरे रहो; यह लड़का और मैं वहां तक जा कर, और दण्डवत कर के, फिर तुम्हारे पास लौट आऊंगा। 
Genesis 22:6 सो इब्राहीम ने होमबलि की लकड़ी ले अपने पुत्र इसहाक पर लादी, और आग और छुरी को अपने हाथ में लिया; और वे दोनों एक साथ चल पड़े। 
Genesis 22:7 इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, हे मेरे पिता; उसने कहा, हे मेरे पुत्र, क्या बात है उसने कहा, देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिये भेड़ कहां है? 
Genesis 22:8 इब्राहीम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा। 
Genesis 22:9 सो वे दोनों संग संग आगे चलते गए। और वे उस स्थान को जिसे परमेश्वर ने उसको बताया था पहुंचे; तब इब्राहीम ने वहां वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बान्ध के वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया। 
Genesis 22:10 और इब्राहीम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे। 
Genesis 22:11 तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, हे इब्राहीम, हे इब्राहीम; उसने कहा, देख, मैं यहां हूं। 
Genesis 22:12 उसने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उस से कुछ कर: क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।
Genesis 22:13 तब इब्राहीम ने आंखे उठाई, और क्या देखा, कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगो से एक झाड़ी में बंझा हुआ है: सो इब्राहीम ने जाके उस मेंढ़े को लिया, और अपने पुत्र की सन्ती होमबलि कर के चढ़ाया। 
Genesis 22:14 और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा: इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा। 

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 30-31
  • यूहन्ना 18:1-18


बुधवार, 7 जून 2017

सर्वोत्तम तथा महानतम


   एक बार अराधना के लिए चर्च में बठे हुए, मेरी दृष्टि कई पंक्ति आगे एक शिशु पर गई। वह अपने पिता की गोद में था और उनके कंधे के ऊपर से बड़ी-बड़ी आँखों से इधर-उधर देख रहा था। उसके मुँह से लार बह रही थी, वह अपनी ऊँगलियों को मुँह में लेकर चूस रहा था, परन्तु अपने अँगूठे को मुँह तक नहीं ला पा रहा था और वह आस-पास बैठे हुए लोगों को देखते हुए कभी कभी मुस्कुरा देता था। उसकी हरकतों के कारण मेरा ध्यान पादरी द्वारा दिए जा रहे सन्देश से भटक कर बार-बार उस सुन्दर शिशु तथा उसकी अटखेलियों की ओर जा रहा था।

   ध्यान भटकाने वाली बातें अनेकों रूप और आकार में आती हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम दो बहनों, मरियम और मार्था का उल्लेख पाते हैं जिन्होंने प्रभु यीशु को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उन में से मार्था के लिए प्रभु यीशु से ध्यान भटकाने वाली बात प्रभु की सेवा-टहल करना बन गई; बजाए प्रभु के पास बैठकर उसकी बातें सुनने के, मार्था प्रभु के लिए पकाने-परोसने में लग गई। लेकिन मरियम प्रभु के साथ ही बैठी रही, उसकी बातें सुनती रही। अपने सेवा-टहल के प्रयासों से थक कर जब मार्था ने कुड़कुड़ाते हुए प्रभु से शिकायत की तब प्रभु यीशु ने उसे समझाया, "...मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा" (लूका 10:41-42)।

   मार्था से कहे गए प्रभु यीशु के ये शब्द हम मसीही विश्वासियों को स्मरण करवाते हैं कि प्रभु यीशु के साथ हमारे सुदृढ़ तथा लगातार बढ़ते हुए संबंधों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है शान्त होकर उसके पास बैठकर उसकी सुनना, न कि उसे प्रसन्न करने के प्रयासों में अपनी इच्छानुसार कुछ भला लगने वाला करने का प्रयास करना। कहा जाता है कि बहुधा बेहतर बातें सर्वोत्तम बातों की शत्रु होती हैं - बेहतर के कारण, हम सर्वोत्तम से ध्यान हटा लेते हैं। प्रभु यीशु के अनुयायियों के लिए, इस जीवन में सर्वोत्तम तथा महानतम बात है प्रभु यीशु को निकटता से जानना और उसके साथ-साथ चलना। हम मसीही विश्वासियों के लिए प्रभु यीशु की इच्छा जानकार, उसकी आज्ञाकारिता में बने रहने से बढ़कर और कुछ भी नहीं है, क्योंकि प्रभु इसी से प्रसन्न होता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


हे प्रभु मुझे सिखाएं कि मैं आपको निकटता से जान सकूँ; 
क्योंकि तब ही मैं आपसे सबसे बढ़कर प्रेम करने पाऊँगा।

शमूएल ने कहा, क्या यहोवा होमबलियों, और मेलबलियों से उतना प्रसन्न होता है, जितना कि अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होता है? सुन मानना तो बलि चढ़ाने और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है। - 1 शमूएल 15:22 

बाइबल पाठ: लूका 10:38-42
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी। 
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे। 
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। 
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 28-29
  • यूहन्ना 17