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मंगलवार, 4 अगस्त 2020

प्रेम


            उसका विवाह होने से एक सप्ताह पहले, सारा की सगाई टूट गई। अपनी निराशा और उदासी के बावजूद सारा ने निर्णय लिया कि वह उसके विवाह के भोज के लिए खरीदे गए भोजन को व्यर्थ नहीं जाने देगी। परन्तु उसने उस समारोह की योजना में कुछ परिवर्तन अवश्य किया। उसने आमंत्रित अतिथियों के स्थान पर स्थानीय बेघर लोगों के आश्रय स्थलों में रहने वालों को उस भोज के लिए आमंत्रित किया।


            परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु ने इस प्रकार के दयालुता के कार्यों की सराहना की, और कहा, परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला। तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा” (लू्का 14:13-14)। प्रभु ने ध्यान दिलाया कि इसका प्रतिफल परमेश्वर से आएगा, क्योंकि वे मेहमान अपने मेजबानों को प्रत्युत्तर में कुछ नहीं देने पाएँगे। यीशु ने ऐसे लोगों की सहायता करने के लिए कहा जो दान-दक्षिणा नहीं दे सकते हैं, और न ही भोज और उत्सवों में अपने उच्च सामाजिक स्तर का प्रदर्शन कर सकते हैं।


            जब हम इस बात का ध्यान करते हैं कि यीशु ने ये शब्द एक फरीसी के द्वारा दिए गए भोज के समय कहे थे, तो उसका यह सन्देश उग्र और भड़काने वाला लग सकता है। परन्तु वास्तविक प्रेम भड़काने वाला होता है। किसी ने मुझे कहा था कि प्रेम किसी को उस की आवश्यकताओं के लिए देना है, प्रत्युत्तर में बिना कुछ भी पाने की आशा रखे। प्रभु यीशु ने भी हम सभी से इसी प्रकार का प्रेम रखा है। उसने हमारी भीतरी, आत्मिक दरिद्रता को देखा और हमारे लिए अपने प्राण बलिदान कर दिए।


            प्रभु यीशु मसीह को व्यक्तिगत रीति से जानना उसके अनन्त और असीम प्रेम में एक यात्रा है। वह हम सभी को आमंत्रित करता है कि हम “सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है” (इफिसियों 3:18) जानें। - जेनिफर बेनसन शुलट्ज़

 

हमारे प्रति पिता का प्रेम कितना गहरा है!



क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16


बाइबल पाठ: लूका 14:7-14

लू्का 14:7 जब उसने देखा, कि नेवताहारी लोग क्योंकर मुख्य मुख्य जगहें चुन लेते हैं तो एक दृष्टान्त देकर उन से कहा।

लू्का 14:8 जब कोई तुझे ब्याह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो।

लू्का 14:9 और जिसने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है: आकर तुझ से कहे, कि इस को जगह दे, और तब तुझे लज्ज़ित हो कर सब से नीची जगह में बैठना पड़े।

लू्का 14:10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सब से नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिसने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे कि हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ; तब तेरे साथ बैठने वालों के सामने तेरी बड़ाई होगी।

लू्का 14:11 और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।

लू्का 14:12 तब उसने अपने नेवता देने वाले से भी कहा, जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए।

लू्का 14:13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला।

लू्का 14:14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 66-67
  • रोमियों 7


सोमवार, 3 अगस्त 2020

प्रोत्साहन


            प्रेरित यूहन्ना ने जो अपने मित्र गयुस के लिए पहली शताब्दी में किया, वह आज इक्कीसवीं शताब्दी में एक लुप्त हो रही कला है। यूहन्ना ने उसे एक पत्र लिखा। न्यू यॉर्क टाइम्स समाचार पत्र की एक लेखिका, कैथरीन फील्ड्स ने कहा, “पत्र लिखना हमारी सबसे प्राचीन कलाओं में से एक है। पत्रों के बारे में सोचें तो ध्यान तरसुस के पौलुस की ओर जाता है”, उदाहरण के लिए; और हम प्रेरित यूहन्ना का नाम भी जोड़ सकते हैं।


            परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना द्वारा गयुस को लिखा गया वह पत्र विद्यमान है। उस पत्र में यूहन्ना ने उसके अच्छे आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य की आशा रखने के विषय लिखा, गयुस की विश्वासयोग्यता के लिए उसे प्रोत्साहन के शब्द लिखे, और चर्च के लिए उसके प्रेम की सराहना की। यूहन्ना ने चर्च की एक समस्या के बारे में भी लिखा, जिसका समाधान उसने आकर व्यक्तिगत रीति से करने का आश्वासन दिया। यूहन्ना ने परमेश्वर की महिमा के लिए अच्छे कार्य करने के महत्व के बारे में भी लिखा। कुल मिलाकर यह एक मित्र को लिखा गया उत्साहवर्धक और चुनौतीपूर्ण पत्र था।


            आज के इलेक्ट्रोनिक युग में अधिकांश संवाद डिजिटल माध्यम से होते हैं और कागज़ पर पत्र लिखने का चलन समाप्त होता जा रहा है। परन्तु इसके कारण हमें एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना बन्द नहीं कर देना चाहिए। पौलुस ने प्रोत्साहन के पत्र चर्मपत्रों पर लिखे; हम औरों को अनेकों प्रकार से प्रोत्साहित कर सकते हैं। महत्व उस माध्यम का नहीं है जिसके द्वारा हम प्रोत्साहित करते हैं, परन्तु इसका है कि हम कुछ समय निकालकर औरों को बताएँ कि हम प्रभु यीशु के नाम में उनकी चिंता करते हैं।


            उस प्रोत्साहन के बारे में विचार कीजिए जो गयुस को यूहन्ना का पत्र प्राप्त होने से मिला होगा। क्या हम भी इसी प्रकार से परमेश्वर के प्रेम को औरों पर अपने किसी पत्र या फोन द्वारा चमका सकते हैं, उन्हें प्रोत्साहित कर सकते हैं? – डेव ब्रैनन

 

प्रोत्साहन के शब्द मानवीय आत्मा को आशा प्रदान करते हैं।



मसीह जो महिमा की आशा है तुम में रहता है। जिस का प्रचार कर के हम हर एक मनुष्य को जता देते हैं और सारे ज्ञान से हर एक मनुष्य को सिखाते हैं, कि हम हर एक व्यक्ति को मसीह में सिद्ध कर के उपस्थित करें। - कुल्लुस्सियों 1:27-28


बाइबल पाठ: 3 यूहन्ना

3 यूहन्ना 1:1 मुझ प्राचीन की ओर से उस प्रिय गयुस के नाम, जिस से मैं सच्चा प्रेम रखता हूं।

3 यूहन्ना 1:2 हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है; कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों में उन्नति करे, और भला चंगा रहे।

3 यूहन्ना 1:3 क्योंकि जब भाइयों ने आकर, तेरे उस सत्य की गवाही दी, जिस पर तू सचमुच चलता है, तो मैं बहुत ही आनन्दित हुआ।

3 यूहन्ना 1:4 मुझे इस से बढ़कर और कोई आनन्द नहीं, कि मैं सुनूं, कि मेरे लड़के-बाले सत्य पर चलते हैं।

3 यूहन्ना 1:5 हे प्रिय, जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी के समान करता है।

3 यूहन्ना 1:6 उन्होंने मण्डली के सामने तेरे प्रेम की गवाही दी थी: यदि तू उन्हें उस प्रकार विदा करेगा जिस प्रकार परमेश्वर के लोगों के लिये उचित है तो अच्छा करेगा।

3 यूहन्ना 1:7 क्योंकि वे उस नाम के लिये निकले हैं, और अन्यजातियों से कुछ नहीं लेते।

3 यूहन्ना 1:8 इसलिये ऐसों का स्वागत करना चाहिए, जिस से हम भी सत्य के पक्ष में उन के सहकर्मी हों।

3 यूहन्ना 1:9 मैं ने मण्डली को कुछ लिखा था; पर दियुत्रिफेस जो उन में बड़ा बनना चाहता है, हमें ग्रहण नहीं करता।

3 यूहन्ना 1:10 सो जब मैं आऊंगा, तो उसके कामों की जो वह कर रहा है सुधि दिलाऊंगा, कि वह हमारे विषय में बुरी बुरी बातें बकता है; और इस पर भी सन्तोष न कर के आप ही भाइयों को ग्रहण नहीं करता, और उन्हें जो ग्रहण करना चाहते हैं, मना करता है: और मण्डली से निकाल देता है।

3 यूहन्ना 1:11 हे प्रिय, बुराई के नहीं, पर भलाई के अनुयायी हो, जो भलाई करता है, वह परमेश्वर की ओर से है; पर जो बुराई करता है, उसने परमेश्वर को नहीं देखा।

3 यूहन्ना 1:12 देमेत्रियुस के विषय में सब ने वरन सत्य ने भी आप ही गवाही दी: और हम भी गवाही देते हैं, और तू जानता है, कि हमारी गवाही सच्ची है।

3 यूहन्ना 1:13 मुझे तुझ को बहुत कुछ लिखना तो था; पर सियाही और कलम से लिखना नहीं चाहता।

3 यूहन्ना 1:14 पर मुझे आशा है कि तुझ से शीघ्र भेंट करूंगा: तब हम आम्हने सामने बातचीत करेंगे: तुझे शान्ति मिलती रहे। यहां के मित्र तुझे नमस्कार करते हैं: वहां के मित्रों से नाम ले ले कर नमस्कार कह देना।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 63-65
  • रोमियों 6


रविवार, 2 अगस्त 2020

परिवर्तन


            मुझे तेज़ तूफ़ान हमेशा पसंद रहे हैं। बचपन में जब कोई तूफ़ान बहुत तेज़ होता था, बिजली ज़ोर से कड़क रही होती थी, और तेज़ मूसलाधार बारिश हो रही होती थी, तो मैं और मेरे भाई-बहन घर से बाहर निकालकर तेज़ी से दौड़ते हुए घर का चक्कर लगाते थे, और ऐसा करते हुए फिसलते, गिरते रहते थे। वापस अन्दर जाने के समय तक हम अंदर तक बिलकुल अच्छे से भीग चुके होते थे। यह एक रोमांचकारी अनुभव होता था – चाहे कुछ ही मिनटों के लिए हो।


            परमेश्वर के वचन बाइबल में भी भजन 107 में ऐसा ही एक चित्रण सामने आता है। पवित्र शास्त्र परमेश्वर द्वारा हमारी पुनःस्थापना की तुलना, उसके द्वारा निर्जल मरुभूमि को ‘जल से भरे ताल’ (पद 35) में परिवर्तित कर देने से करता है। क्योंकि ऐसी वर्षा जो मरुभूमि को जल के ताल में बदल दे हल्की बारिश नहीं होगी – वरन तेज़ तूफ़ान होगा जो सूखी हुई भूमि की प्रत्येक दरार को पानी से भर देता है, एक नए जीवन को ले आता है।


            क्या हम भी कुछ ऐसे ही पुनःस्थापित होने की लालसा नहीं रखते हैं? जब हमारी कहानियाँ निरुद्देश्य इधर-उधर भटकने को दिखाती हैं, क्योंकि हम उस चंगाई के लिए ‘भूखे और प्यासे हैं, लालायित हैं जो लगता है कि कभी नहीं आएगी (पद 4-5), तब हमें थोड़ी से आशा से कुछ बढ़कर चाहिए होता है। और जब पाप की गहरी जड़ें हमें घोर अंधकार के बंधनों में जकड़ती हैं (पद 10-11), तो हमारे मनों को थोड़े से परिवर्तन से कुछ अधिक चाहिए होता है।


            यही वह परिवर्तन है जो हमारा परमेश्वर हमारे जीवनों में ला सकता है (पद 20)। अपने डर और शर्म को परमेश्वर के सामने लाने में, जो हमारे सभी बंधनों को तोड़ देने और हमारे अंधियारे जीवनों को अपने प्रेम की ज्योति से भर देने (पद 13, 14) और हम में वह वांछित परिवर्तन लाने के लिए योग्य और सक्षम है, हमें कोई संकोच या विलम्ब नहीं करना चाहिए। - मोनिका ब्रैंड्स

 

परमेश्वर की सामर्थ्य पूर्ण परिवर्तन लाती है।



सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17


बाइबल पाठ: भजन 107:1-16, 35-36

भजन 107:1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा की है!

भजन 107:2 यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने द्रोही के हाथ से दाम दे कर छुड़ा लिया है,

भजन 107:3 और उन्हें देश देश से पूरब-पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है।

भजन 107:4 वे जंगल में मरुभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया;

भजन 107:5 भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए।

भजन 107:6 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दुहाई दी, और उसने उन को सकेती से छुड़ाया;

भजन 107:7 और उन को ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुंचे।

भजन 107:8 लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

भजन 107:9 क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है।

भजन 107:10 जो अन्धियारे और मृत्यु की छाया में बैठे, और दु:ख में पड़े और बेड़ियों से जकड़े हुए थे,

भजन 107:11 इसलिये कि वे ईश्वर के वचनों के विरुद्ध चले, और परम-प्रधान की सम्मति को तुच्छ जाना।

भजन 107:12 तब उसने उन को कष्ट के द्वारा दबाया; वे ठोकर खाकर गिर पड़े, और उन को कोई सहायक न मिला।

भजन 107:13 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दुहाई दी, और उस ने सकेती से उनका उद्धार किया;

भजन 107:14 उसने उन को अन्धियारे और मृत्यु की छाया में से निकाल लिया; और उन के बन्धनों को तोड़ डाला।

भजन 107:15 लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

भजन 107:16 क्योंकि उसने पीतल के फाटकों को तोड़ा, और लोहे के बेण्डों को टुकड़े टुकड़े किया।

भजन 107:35 वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है।

भजन 107:36 और वहां वह भूखों को बसाता है, कि वे बसने के लिये नगर तैयार करें;

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 60-62
  • रोमियों 5


शनिवार, 1 अगस्त 2020

प्रेम


     एक बुद्धिमान मित्र ने मुझे सलाह दी कि कभी भी किसी भी बहस में शब्द “तुम हमेशा” या “तुम कभी नहीं” का प्रयोग मत करना – विशेषकर परिवार जनों के साथ। अपने आस-पास के लोगों की आलोचना करना, और जिन से हम प्रेम करते हैं उनके प्रति उदासीन हो जाना कितना सरल होता है। परन्तु हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है।

            परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 145 शब्द ‘सब, सभों से भरा पड़ा है। “यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है” (पद 9)। “तेरा राज्य युग युग का और तेरी प्रभुता सब पीढ़ियों तक बनी रहेगी। यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है” (पद 13-14)। “वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, ओर उनकी दुहाई सुन कर उनका उद्धार करता है” (पद 20)।


            इस भजन में एक दर्जन बार हमें स्मरण करवाया गया है कि परमेश्वर के प्रेम की न तो कोई सीमा है और न ही वह कोई पक्षपात करता है। और नया नियम प्रकट करता है कि इसका सर्वोत्तम उदाहरण प्रभु यीशु मसीह में दिखाई देता है: “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए” (यूहन्ना 3:16)।


            भजन 145 बताता है कि, जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात जितने उसको सच्चाई से पुकारते हैं; उन सभों के वह निकट रहता है। वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, ओर उनकी दुहाई सुन कर उनका उद्धार करता है” (पद 18-19)। हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम सर्वदा बना रहता है, और कभी नहीं बदलता है।

 

हमारे लिए परमेश्वर के सर्वदा बने रहने वाले प्रेम में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है।


और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उसका विश्वास है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है। - 1यूहन्ना 4:16

बाइबल पाठ: भजन 145:8-21

भजन 145:8 यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला और अति करुणामय है।

भजन 145:9 यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है।

भजन 145:10 हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, और तेरे भक्त लोग तुझे धन्य कहा करेंगे!

भजन 145:11 वे तेरे राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे, और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे;

भजन 145:12 कि वे आदमियों पर तेरे पराक्रम के काम और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें।

भजन 145:13 तेरा राज्य युग युग का और तेरी प्रभुता सब पीढ़ियों तक बनी रहेगी।

भजन 145:14 यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है।

भजन 145:15 सभों की आंखें तेरी ओर लगी रहती हैं, और तू उन को आहार समय पर देता है।

भजन 145:16 तू अपनी मुट्ठी खोल कर, सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है।

भजन 145:17 यहोवा अपनी सब गति में धर्मी और अपने सब कामों में करुणामय है।

भजन 145:18 जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात जितने उसको सच्चाई से पुकारते हैं; उन सभों के वह निकट रहता है।

भजन 145:19 वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, ओर उनकी दुहाई सुन कर उनका उद्धार करता है।

भजन 145:20 यहोवा अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है।

भजन 145:21 मैं यहोवा की स्तुति करूंगा, और सारे प्राणी उसके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें।

 

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 57-59
  • रोमियों 4

शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

पापियों


     मेरी एक मित्र है – इडिथ – उसने मुझे बताया कि कैसे उसने प्रभु यीशु के पीछे चलने का निर्णय लिया। इडिथ को धर्म की कोई परवाह नहीं थी। लेकिन एक इतवार की प्रातः वह अपने घर के निकट स्थित चर्च में चली गई, अपनी असंतुष्ट आत्मा की बेचैनी को दूर करने के लिए कुछ पाने की इच्छा के साथ। उस दिन के सन्देश के लिए चर्च के पास्टर ने परमेश्वर के वचन बाइबल में से लूका 15:1-2 को पढ़ा, जहाँ लिखा है, सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें। और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।”

     बाइबल में तो लिखा है, यह तो पापियों के साथ मिलता और है और उनके साथ खाता भी है,  किन्तु इडिथ को उस दिन जो सुनाई दिया वह था “यह तो पापियों के साथ, जिनमें इडिथ भी है, मिलता और है और उनके साथ खाता भी है।” यह सुनते ही इडिथ जहाँ  बैठी थी, चौंक कर वहाँ सीधी होकर बैठ गई! थोड़ी देर में उसने अपनी स्थिति को स्वीकार कर लिया, परन्तु यह विचार कि यीशु पापियों का स्वागत करता है, जिनमें वह भी थी, उसके मन में गूँजता रहा। उस दोपहर उसने यीशु के और निकट आने तथा उसकी सुनने के लिए बाइबल में से सुसमाचारों को पढ़ना आरंभ कर दिया, और शीघ्र ही उसने यीशु पर विश्वास कर लिया और उसके पीछे हो लेने का निर्णय कर लिया।

     प्रभु यीशु के समय के ‘धर्मीलोग इस बात को लेकर बहुत चकित और अप्रसन्न होते थे कि प्रभु यीशु पापी लोगों के साथ खाता पीता, और संपर्क रखता था। उनके नियम उन्हें ऐसे लोगों के साथ संपर्क रखने की अनुमति नहीं देते थे। परन्तु प्रभु यीशु ने उनके इन गढ़े हुए नियमों की कोई चिंता नहीं की। उसने समाज के दीन-हीन व्यक्तियों को अपने पास बुलाया और उनके साथ रहा, वे चाहे कितने भी गिरे हुए क्यों न हों।

     क्या आप जानते हैं कि यह बात आज भी उतनी ही सत्य है – प्रभु यीशु आज भी पापियों को, आपको भी, बुलाता है, स्वीकार करता है, और जो भी उसे अपनाता है, उस पर विश्वास लाता है, उसे परमेश्वर की संतान बन जाने का आदर देता है। - डेविड एच. रोपर

 

परमेश्वर हमारी बेचैनी में हमारे पीछे आता है, 

हमारे पापों में हमें अपनाता है, 

और हमारे टूटेपन में हमें संभालता है। - स्कॉटी स्मिथ


परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: लूका 15:1-7

लूका 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।

लूका 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।

लूका 15:3 तब उसने उन से यह दृष्टान्त कहा।

लूका 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्यानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?

लूका 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।

लूका 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।

लूका 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 54-56
  • रोमियों 3


गुरुवार, 30 जुलाई 2020

चुनौतियां


    हम कुछ मित्रों ने मिलकर एक गुट बनाया था जो हर महीने एकत्रित होकर एक दूसरे से हमारे व्यक्तिगत लक्ष्यों के प्रति हमारे द्वारा किए गए कार्यों के संबंध में हिसाब पूछता था। मेरी एक सहेली, मेरी, की इच्छा थी कि वर्ष समाप्त होने से पहले वह अपने भोजन-कक्ष की कुर्सियों पर नई गद्दियाँ और उनके कवर लगा सके। नवम्बर की हमारी सभा में उसने अक्तूबर से आगे की प्रगति का ब्यौरा दिया: “मुझे अपनी कुर्सियों को ठीक करने में दस महीने और दो घंटे लगे।” महीनों तक अपनी पसंद की सामग्री न मिल पाने, या अपनी नौकरी और छोटे बच्चे की देखभाल की अपनी व्यस्त दिनचर्या से पर्याप्त समय न निकाल पाने के कारण उसे दस महीने प्रतीक्षा करनी पड़ी; परन्तु सामग्री और समय मिलने पर उसे अपना कार्य पूरा करने में केवल दो घंटे ही लगे।

    हम परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं कि परमेश्वर ने नहेम्याह को एक बहुत बड़े काम को करने के लिए बुलाया था: यरूशलेम को पुनःस्थापित करने के लिए, जबकि उसकी दीवार 150 वर्ष से खण्डहर हुई पड़ी थी (नहेम्याह 2:3-5, 12)। जब लोगों ने नहेम्याह के नेतृत्व में उस कार्य को करना आरंभ किया तो उन्हें उपहास, आक्रमण, ध्यान बंटाने, और पाप करने के प्रलोभनों में फंसने जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा (नहेम्याह 4:3, 8; 6:10-12)। परन्तु फिर भी परमेश्वर ने उन्हें दृढ़ बने रहने, और अपने प्रयासों में विचलित न होने की सामर्थ्य दी, और यह चुनौतीपूर्ण कार्य केवल बावन दिनों में ही पूरा कर लिया गया।

    ऐसी चुनौतियों पर जयवन्त होने के लिए व्यक्तिगत लालसा या लक्ष्य से भी कहीं अधिक कुछ और की आवश्यकता होती है। नहेम्याह की प्रेरणा परमेश्वर द्वारा उसे इस कार्य को पूरा करने के लिए दी गई बुलाहट थी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसके इस दृढ़ निश्चय ने अन्य लोगों को भी, असाधारण विरोध के बावजूद, उसके नेतृत्व में इस काम को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया।

    जब परमेश्वर हमें किसी कार्य को सौंपता है, वह चाहे किसी संबंध को फिर से ठीक करना हो या जो उसने हमारे जीवनों में किया है उसे दूसरों को बताना हो, तो वह उस कार्य के लिए आवश्यक कौशल और सामर्थ्य भी प्रदान करता है, जिससे हम उसके द्वारा दिए गए कार्य को करने के अपने प्रयासों में लगे रह सकें। चाहे जो भी चुनौती हमारे सामने आए, परमेश्वर ने हमें पहले ही से उसके लिए तैयार कर दिया है। - कर्स्टिन होल्मबर्ग

 

परमेश्वर उसके द्वारा हमें सौंपे गए कार्यों को पूरा करने 

और सभी बाधाओं पर विजयी होने के लिए हमें तैयार भी करता है।


जो मुझे सामर्थ्य देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। - फिलिप्पियों 4:13  

बाइबल पाठ: नहेम्याह 6:1-9, 15

नहेम्याह 6:1 जब सम्बल्लत, तोबियाह और अरबी गेशेम और हमारे और शत्रुओं को यह समाचार मिला, कि मैं शहरपनाह को बनवा चुका; और यद्यपि उस समय तक भी मैं फाटकों में पल्ले न लगा चुका था, तौभी शहरपनाह में कोई दरार न रह गया था।

नहेम्याह 6:2 तब सम्बल्लत और गेशेम ने मेरे पास यों कहला भेजा, कि आ, हम ओनो के मैदान के किसी गांव में एक दूसरे से भेंट करें। परन्तु वे मेरी हानि करने की इच्छा करते थे।

नहेम्याह 6:3 परन्तु मैं ने उनके पास दूतों से कहला भेजा, कि मैं तो भारी काम में लगा हूँ, वहां नहीं जा सकता; मेरे इसे छोड़ कर तुम्हारे पास जाने से वह काम क्यों बन्द रहे?

नहेम्याह 6:4 फिर उन्होंने चार बार मेरे पास वैसी ही बात कहला भेजी, और मैं ने उन को वैसा ही उत्तर दिया।

नहेम्याह 6:5 तब पांचवी बार सम्बल्लत ने अपने सेवक को खुली हुई चिट्ठी देकर मेरे पास भेजा,

नहेम्याह 6:6 जिस में यों लिखा था, कि जाति जाति के लोगों में यह कहा जाता है, और गेशेम भी यही बात कहता है, कि तुम्हारी और यहूदियों की मनसा बलवा करने की है, और इस कारण तू उस शहरपनाह को बनवाता है; और तू इन बातों के अनुसार उनका राजा बनना चाहता है।

नहेम्याह 6:7 और तू ने यरूशलेम में नबी ठहराए हैं, जो यह कह कर तेरे विषय प्रचार करें, कि यहूदियों में एक राजा है। अब ऐसा ही समाचार राजा को दिया जाएगा। इसलिये अब आ, हम एक साथ सम्मति करें।

नहेम्याह 6:8 तब मैं ने उसके पास कहला भेजा कि जैसा तू कहता है, वैसा तो कुछ भी नहीं हुआ, तू ये बातें अपने मन से गढ़ता है।

नहेम्याह 6:9 वे सब लोग यह सोच कर हमें डराना चाहते थे, कि उनके हाथ ढीले पड़ें, और काम बन्द हो जाए। परन्तु अब हे परमेश्वर तू मुझे हियाव दे।

नहेम्याह 6:15 एलूल महीने के पच्चीसवें दिन को अर्थात बावन दिन के भीतर शहरपनाह बन चुकी।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 51-53
  • रोमियों 2


बुधवार, 29 जुलाई 2020

आशा


    मैं जब उन्नीस वर्ष की थी तो मेरी एक प्रिय सहेली का एक कार दुर्घटना में देहांत हो गया। इसके बाद के कई सप्ताहों और महीनों तक मैं प्रतिदिन गहरे दुःख में होकर चलती रही। इतनी कम आयु के अच्छे मित्र को खो देने के दुःख ने मेरी दृष्टि को धूमिल कर दिया था, और कभी-कभी तो मुझे अपने आस-पास जो हो रहा होता था, उसका पता भी नहीं होता था। मैं दुःख और पीड़ा से इतनी अंधी हो चुकी थी कि मैं परमेश्वर को भी नहीं देख पा रही थी।

    परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 24 अध्याय में, प्रभु यीशु के दो शिष्य प्रभु यीशु की मृत्यु के पश्चात इतने दुःख और दुविधा में थे कि वे यह भी नहीं पहचान सके कि उनका पुनरुत्थान हुआ गुरु उनके साथ चल रहा है और उनसे बातें कर रहा है, उन्हें अपने बारे में पवित्र शास्त्र में से समझा रहा है कि उसे क्यों मरना और फिर मृतकों में से जी उठना अनिवार्य था। जब प्रभु ने रोटी लेकर उनके साथ उसे तोड़ा, तब ही वे उसे पहचान सके (पद 30-31)।

    यद्यपि प्रभु यीशु के शिष्यों ने प्रभु की मृत्यु के समय मृत्यु के वीभत्स स्वरूप का सामना किया था, परन्तु प्रभु के पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर ने उन्हें दिखाया था कि उनके लिए एक नई आशा भी रखी हुई है। उन शिष्यों के समान हम भी अपने दुखों और दुविधाओं में बोझ तले दबा हुआ अनुभव कर सकते हैं। परन्तु हम इस तथ्य से आशा प्राप्त कर सकते हैं कि प्रभु यीशु जीवित हैं और संसार में, हम में होकर कार्य कर रहे हैं।

    चाहे हमें व्यथा और दुःख का सामना करना पड़े, परन्तु उस समय में भी हमारा प्रभु हमारे साथ-साथ चलता है। वह जगत की ज्योति है (यूहन्ना 8:12), और उसकी ज्योति हमारे जीवनों को आशा की किरणों से भर देती है। - ऐमी बाउचर पाई

 

चाहे हमें दुःख हों, प्रभु यीशु में हमें आशा का भरोसा है।


तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। - यूहन्ना 8:12

बाइबल पाठ: लूका 24:13-32

लू्का 24:13 देखो, उसी दिन उन में से दो जन इम्माऊस नाम एक गांव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था।

लू्का 24:14 और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे।

लू्का 24:15 और जब वे आपस में बातचीत और पूछताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उन के साथ हो लिया।

लू्का 24:16 परन्तु उन की आंखें ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहचान न सके।

लू्का 24:17 उसने उन से पूछा; ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते चलते आपस में करते हो? वे उदास से खड़े रह गए।

लू्का 24:18 यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नाम एक व्यक्ति ने कहा; क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उस में क्या क्या हुआ है?

लू्का 24:19 उसने उन से पूछा; कौन सी बातें? उन्होंने उस से कहा; यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था।

लू्का 24:20 और महायाजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया।

लू्का 24:21 परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है।

लू्का 24:22 और हम में से कई स्त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं।

लू्का 24:23 और जब उस की लोथ न पाई, तो यह कहती हुई आईं, कि हम ने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्होंने कहा कि वह जीवित है।

लू्का 24:24 तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उसको न देखा।

लू्का 24:25 तब उसने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों!

लू्का 24:26 क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठा कर अपनी महिमा में प्रवेश करे?

लू्का 24:27 तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ कर के सारे पवित्र शास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।

लू्का 24:28 इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।

लू्का 24:29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है। तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया।

लू्का 24:30 जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी ले कर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।

लू्का 24:31 तब उन की आंखें खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया।

लू्का 24:32 उन्होंने आपस में कहा; जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्र शास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 49-50
  • रोमियों 1