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रविवार, 1 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – परिचय

 

          सामान्यतः बाइबल को ईसाइयों का धर्म-ग्रन्थ; पश्चिमी सभ्यता से आई हुई पुस्तक समझा जाता है, जो लोगों को पश्चिमी सभ्यता तथा व्यवहार में ले जाती है; और यह मिथ्या आरोप लगा कर व्यर्थ में बाइबल का तथा बाइबल को मानने वालों का विरोध किया जाता है। लेकिन वास्तव में बाइबल किसी धर्म-विशेष अथवा सभ्यता विशेष की पुस्तक नहीं है; और न ही किसी सांसारिक सभ्यता का अनुसरण करने की शिक्षा देती है। बाइबल सृष्टि के सृष्टिकर्ता, इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति के रचयिता, इस संपूर्ण जगत के सृजनहार, पालनहार, तारणहार परमेश्वर द्वारा संपूर्ण मानवजाति से उसके असीम, अपरिवर्तनीय, निःस्वार्थ, पवित्र प्रेम की लिखित अभिव्यक्ति है।

          बाइबल में परमेश्वर ने अपने आप को, अपने गुणों, अपने चरित्र, अपनी पसंद-नापसन्द को, और समस्त मानवजाति से जो अद्भुत, अवर्णनीय प्रेम परमेश्वर ने रखा है, उसे व्यक्त किया है। यह ऐसा विलक्षण प्रेम है जो परमेश्वर ने मनुष्यों से उनके पाप के दशा में होते हुए भी किया है। बाइबल ही वह एकमात्र ग्रन्थ है जो परमेश्वर के विषय यह बताता है कि वह पापियों से भी प्रेम करता है, उनका नाश नहीं चाहता, वरन उसकी यही लालसा है कि वे अपने पापों से पश्चाताप के साथ उसकी ओर फिरें, और वह उन्हें क्षमा करके अपने साथ अनन्तकाल के लिए अपनी संतान बनाकर जोड़ ले। यह इसलिए संभव है क्योंकि प्रभु यीशु मसीह ने संसार के सभी मनुष्यों के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया, और उनके दण्ड को, क्रूस की मृत्यु को, सभी मनुष्यों के लिए सह लिया। अब, प्रभु यीशु मसीह में सभी मनुष्यों के सभी पापों का दण्ड चुकाया जा चुका है, और किसी भी मनुष्य को अपने पापों की क्षमा को प्राप्त करने के लिए प्रभु यीशु मसीह के इस बलिदान के कार्य को स्वीकार करने के अतिरिक्त और कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है।

          केवल बाइबल का परमेश्वर ही वह परमेश्वर है जो मनुष्यों के प्रति अपने प्रेम के कारण स्वर्ग छोड़कर, एक साधारण मनुष्य की समानता में देहधारी होकर प्रभु यीशु मसीह के नाम से पृथ्वी पर आया, जिससे कि मनुष्यों के लिए स्वर्ग जाने का मार्ग तैयार करके उन्हें दे। ऐसा मार्ग जिस मार्ग पर चलने के लिए संसार के किसी भी मनुष्य को परमेश्वर प्रभु यीशु पर और उसके क्रूस पर दिए गए बलिदान के कार्य पर विश्वास करने, स्वेच्छा से अपना जीवन उसे समर्पित करके उसका अनुसरण करना स्वीकार कर लेने के अतिरिक्त और कुछ भी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। मनुष्य को परमेश्वर का यह प्रेम, मनुष्य के प्रति परमेश्वर के अनुग्रह से उसे मिलता है; न कि मनुष्य के किसी भी कर्म अथवा उसकी अपनी किसी भी ‘धार्मिकता के आधार पर। परमेश्वर का यह प्रेम संसार के प्रत्येक व्यक्ति को, परमेश्वर की ओर से सेंत-मेंत उपलब्ध है। परमेश्वर के इस प्रावधान को स्वीकार अथवा अस्वीकार करना, यह प्रत्येक मनुष्य का अपना व्यक्तिगत निर्णय है।

          बाइबल मनुष्यों को पृथ्वी पर की वस्तुओं, संपत्ति, स्थान, वैभव, राज्य या ओहदा प्राप्त करने के लिए नहीं, स्वर्ग में परमेश्वर के साथ निवास करने के लिए तैयार करती है। बाइबल का दृष्टिकोण इस पृथ्वी का नहीं, वरन स्वर्ग का है। बाइबल बारंबार यही सिखाती है कि मनुष्य का यह शरीर और पृथ्वी का समय तथा संपदा अस्थाई हैं, यहीं नाश हो जाएँगी। जो स्थाई और चिरस्थाई है, वह मृत्योपरांत है – स्वर्ग या नरक; जिन में से एक स्थान पर जाने के लिए मनुष्य को अभी यहाँ पृथ्वी पर रहते हुए व्यक्तिगत निर्णय लेना है और उसके अनुसार तैयार होना है। जो पापों के लिए पश्चाताप करके, प्रभु यीशु से पापों की क्षमा प्राप्त करके प्रभु के साथ रहने का निर्णय लेते हैं, वे अपने इस निर्णय लेने के समय से आरम्भ कर के मृत्योपरांत अनन्तकाल तक प्रभु यीशु के साथ स्वर्ग में रहेंगे। जो प्रभु यीशु के इस प्रेम-प्रस्ताव को अस्वीकार कर देते हैं, प्रभु के साथ नहीं रहना चाहते हैं, वे परलोक में अपना अनन्तकाल व्यतीत करने के लिए उनके द्वारा लिए गए व्यक्तिगत निर्णय के अनुसार, मृत्योपरांत उस स्थान पर जाएंगे जहाँ परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह नहीं है – नरक में।

          बाइबल में परमेश्वर ने मनुष्यों को परस्पर व्यवहार करने, और परमेश्वर के प्रति व्यवहार रखने के बारे में बताया गया है। बाइबल सिखाती है कि मनुष्य पाप के स्वभाव के साथ जन्म लेता है, पाप के स्वभाव के साथ ही पलता और बड़ा होता है, व्यवहार करता है, और पाप कमाता रहता है; और अन्ततः पापों के साथ ही मर जाता है, और उसका यही पाप स्वभाव उसे इस पृथ्वी पर परमेश्वर प्रभु यीशु से दूर रखता है। उसके पाप उसके साथ परलोक में जाते हैं, और उसे अनन्त पीड़ा के स्थान नरक में ले जाते हैं। किन्तु प्रभु यीशु मसीह पर लाया गया विश्वास और पापों से पश्चाताप उसके इस पाप स्वभाव, तथा पापों के दण्ड को हटाकर, प्रभु यीशु के स्वभाव को उसमें डाल देता है, और पापों की क्षमा पाया हुआ वह पापी मनुष्य अंश-अंश करके प्रभु यीशु की समानता में ढलने लगता है, प्रभु यीशु के व्यवहार, चरित्र, गुणों आदि को अपनाने लगता है, प्रभु यीशु की समानता में आने लग जाता है।

          बाइबल की शिक्षा के अनुसार, प्रभु यीशु में स्वेच्छा तथा सच्चे समर्पण से लाया गया यह विश्वास मनुष्य के धर्म को नहीं वरन उसके मन को, उसकी पाप करने की प्रवृत्ति को, उसके जीवन को बदलता है। उसे किसी सांसारिक सभ्यता अथवा संस्कृति विशेष का नहीं वरन स्वर्गीय दृष्टिकोण तथा व्यवहार रखने वाला, परमेश्वर की संतान बना देता है। प्रभु यीशु के एक अनुयायी ने कहा है: “या तो पाप आपको बाइबल से दूर रखेगा; अन्यथा, बाइबल आपको पाप से दूर रखेगी।”

 

 

          परमेश्वर से सच्चे मन से प्रार्थना करें कि वह अपने वचन बाइबल के प्रति आपके मन और समझ को खोले; और इस पापों की क्षमा का मार्ग दिखाने वाले, जीवन बदलने वाले, अनन्त जीवन देने वाले, परमेश्वर की संतान बनाकर स्वर्ग का उत्तराधिकारी बना देने वाले अद्भुत वचन, बाइबल, के अध्ययन की यात्रा में आपको आगे बढ़ाए।

 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-4

यूहन्ना 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।

यूहन्ना 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था।

यूहन्ना 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।

यूहन्ना 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति थी।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन 57-59
  • रोमियों 4


शनिवार, 31 जुलाई 2021

सूचना - ब्लॉग के लेखों में परिवर्तन

 रोज़ की रोटी ब्लॉग के सन्देश 1 अगस्त 2021 से एक बदले हुए स्वरूप में होंगे। अब अंग्रेज़ी की दैनिक मनन के संदेशों की पुस्तिका Our Daily Bread के संदेशों के अनुवाद के स्थान पर, इसी ब्लॉग के लिए लिखे गए सन्देश पोस्ट किए जाएँगे।

           जो पाठक Our Daily Bread के संदेशों को हिन्दी में पढ़ते रहना चाहते हैं, वे इस लिंक के माध्यम से ऐसा कर सकते हैं: प्रतिदिन की रोटी (www.hindi-odb.org )

अंग्रेज़ी में मुख्य वेब साईट का लिंक है: Our Daily Bread (www.ourdailybread.org)

 

          1 अगस्त से इसी ब्लॉग के अंतर्गत की एक नई श्रृंखला आरंभ होगी, जिसका विषय होगा “परमेश्वर का वचन – बाइबल”

          इस नई श्रंखला में हम: 

  • बाइबल क्या है? 
  • मसीही विश्वासी इसे परमेश्वर का वचन क्यों कहते हैं
  • इसकी शिक्षाएँ क्या हैं? 
  • इसे कैसे समझा जा सकता है
  • क्या यह आज के समय के लिए समकालिक है? 
  • क्या बाइबल विज्ञान की कसौटी पर खरी उतरती है? 
  • बाइबल का लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव होता है? 

    आदि, और भी कई प्रश्नों के उत्तरों को छोटे लेखों के द्वारा पाठकों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा जिससे पाठक स्वयं देख और जान लें कि बाइबल की वास्तविकता क्या है; और इसे बदनाम करने के लिए इसके बारे में कितनी झूठी धारणाएँ गढ़ी और फैलाई गई हैं।

 

          पाठकों से निवेदन है कि 1 अगस्त से किए जाने वाले इस परिवर्तन के विषय अपनी राय और टिप्पणियाँ दें।

 

          धन्यवाद


शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

सूचना - ब्लॉग के लेखों में परिवर्तन

  रोज़ की रोटी ब्लॉग के सन्देश 1 अगस्त 2021 से एक बदले हुए स्वरूप में होंगे। अब अंग्रेज़ी की दैनिक मनन के संदेशों की पुस्तिका Our Daily Bread के संदेशों के अनुवाद के स्थान पर, इसी ब्लॉग के लिए लिखे गए सन्देश पोस्ट किए जाएँगे।

           जो पाठक Our Daily Bread के संदेशों को हिन्दी में पढ़ते रहना चाहते हैं, वे इस लिंक के माध्यम से ऐसा कर सकते हैं: प्रतिदिन की रोटी (www.hindi-odb.org )

अंग्रेज़ी में मुख्य वेब साईट का लिंक है: Our Daily Bread (www.ourdailybread.org)


          1 अगस्त से इसी ब्लॉग के अंतर्गत की एक नई श्रृंखला आरंभ होगी, जिसका विषय होगा “परमेश्वर का वचन – बाइबल”

          इस नई श्रंखला में हम: 

  • बाइबल क्या है? 
  • मसीही विश्वासी इसे परमेश्वर का वचन क्यों कहते हैं
  • इसकी शिक्षाएँ क्या हैं? 
  • इसे कैसे समझा जा सकता है? 
  • क्या यह आज के समय के लिए समकालिक है? 
  • क्या बाइबल विज्ञान की कसौटी पर खरी उतरती है? 
  • बाइबल का लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव होता है? 
    आदि, और भी कई प्रश्नों के उत्तरों को छोटे लेखों के द्वारा पाठकों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा जिससे पाठक स्वयं देख और जान लें कि बाइबल की वास्तविकता क्या है; और इसे बदनाम करने के लिए इसके बारे में कितनी झूठी धारणाएँ गढ़ी और फैलाई गई हैं।

 

          पाठकों से निवेदन है कि 1 अगस्त से किए जाने वाले इस परिवर्तन के विषय अपनी राय और टिप्पणियाँ दें।

 

          धन्यवाद

गुरुवार, 29 जुलाई 2021

सूचना - ब्लॉग के लेखों में परिवर्तन

 रोज़ की रोटी ब्लॉग के सन्देश 1 अगस्त 2021 से एक बदले हुए स्वरूप में होंगे। अब अंग्रेज़ी की दैनिक मनन के संदेशों की पुस्तिका Our Daily Bread के संदेशों के अनुवाद के स्थान पर, इसी ब्लॉग के लिए लिखे गए सन्देश पोस्ट किए जाएँगे।

           जो पाठक Our Daily Bread के संदेशों को हिन्दी में पढ़ते रहना चाहते हैं, वे इस लिंक के माध्यम से ऐसा कर सकते हैं: प्रतिदिन की रोटी (www.hindi-odb.org )

अंग्रेज़ी में मुख्य वेब साईट का लिंक है: Our Daily Bread (www.ourdailybread.org)


          1 अगस्त से इसी ब्लॉग के अंतर्गत की एक नई श्रृंखला आरंभ होगी, जिसका विषय होगा “परमेश्वर का वचन – बाइबल”

          इस नई श्रंखला में हम: 

  • बाइबल क्या है? 
  • मसीही विश्वासी इसे परमेश्वर का वचन क्यों कहते हैं
  • इसकी शिक्षाएँ क्या हैं? 
  • इसे कैसे समझा जा सकता है? 
  • क्या यह आज के समय के लिए समकालिक है? 
  • क्या बाइबल विज्ञान की कसौटी पर खरी उतरती है? 
  • बाइबल का लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव होता है? 
    आदि, और भी कई प्रश्नों के उत्तरों को छोटे लेखों के द्वारा पाठकों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा जिससे पाठक स्वयं देख और जान लें कि बाइबल की वास्तविकता क्या है; और इसे बदनाम करने के लिए इसके बारे में कितनी झूठी धारणाएँ गढ़ी और फैलाई गई हैं।

 

          पाठकों से निवेदन है कि 1 अगस्त से किए जाने वाले इस परिवर्तन के विषय अपनी राय और टिप्पणियाँ दें।

 

          धन्यवाद

व्यर्थ

 

          मादक पदार्थ हीरोइन की लत बहुत मार्मिक और दुखद होती है। इस का सेवन करने वाले इसके आदि होते चले जाते हैं, इसलिए उसके नशे का वही अनुभव प्राप्त करने के लिए उन्हें और भी अधिक मात्रा में हिरोइन को लेना पड़ता है; और शीघ्र ही उनकी लत और पदार्थ का आदि होना इतनी बढ़ जाते हैं, कि नशे का पर्याप्त अनुभव करने के लिए जिस मात्रा में हिरोइन की उन्हें आवश्यकता महसूस होती है, वह उन्हें मार डालने के लिए काफी होती है। जब इस लत के आदि किसी व्यक्ति को पता चलता है कि इस लत में पड़ा हुआ कोई अन्य व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में हिरोइन लेने से मर गया है, तो उनके मन में पहला विचार उस लत के लिए भय का नहीं, वरन उतनी मात्रा में हिरोइन को प्राप्त करने का होता है – “मुझे इतनी हिरोइन कहाँ से मिलेगी?

          सुप्रसिद्ध मसीही लेखक सी. एस. ल्युईस ने अपनी पुस्तक ‘स्क्रू टेप लेटर्स में इस निरंतर पतन की ओर जाते हुए चक्र के विषय में चेतावनी दी। उनकी यह पुस्तक एक काल्पनिक वर्णन है, कैसे एक दुष्टात्मा दूसरी दुष्टात्मा को विभिन्न दुष्टताओं में लोगों को फंसाने के बारे में सिखा रही है। शिक्षक दुष्टात्मा कहती है कि किसी सुख की अभिलाषा के साथ आरंभ करो – यदि संभव हो तो परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले किसी सुख के साथ – और उसे उस व्यक्ति को एक ऐसे तरीके से परोसो, जिसे परमेश्वर ने वर्जित किया हो। एक बार व्यक्ति जाल में आ जाए, तो उसे और अधिक पाने के प्रलोभन में फंसाओ, किन्तु पहले से कम मात्रा में उसका सुख प्रदान करो। इस व्यर्थता के चक्र में उसे फंसाकर ऐसा प्रयोजन करो कि उसकी लालसा बढ़ती जाए, किन्तु जो उसे मिलता है, वह घटता चला जाए, और अन्ततः हम उसकी आत्मा तक पहुँच जाएंगे और बदले में उसे कुछ नहीं देंगे।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन 7 अध्याय में इसी विनाशकारी व्यर्थता के चक्र का वर्णन यौन पापों के विषय किया गया है। यौन संबंध परमेश्वर द्वारा हमें दिया गया एक अच्छा उपहार है, किन्तु जब हम इसके सुख की अभिलाषा वैवाहिक बंधनों के बाहर रखने लगते हैं, तो हम वध के लिए ले जाए जा रहे बैल के समान हो जाते हैं (पद 22)। हम से भी अधिक शक्तिशाली लोगों ने अपने आप को यौन दुराचार में फंसाकर बर्बाद कर लिया है। इसलिए ध्यान दें और अपने मनों को गलत मार्गों पर न जाने दें (पद 24-25)। पाप मोहित करने वाला और लत में फंसाने वाला हो सकता है, किन्तु सदा ही उसकी अभिलाषा व्यर्थ ही होती ही, उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है (पद 27)।

          परमेश्वर की सामर्थ्य और मार्गदर्शन के द्वारा पाप करने के प्रलोभन से बचने से हम व्यर्थ की हानिकारक बातों से बचकर, परमेश्वर में सच्चे आनन्द और संतुष्टि को प्राप्त कर सकते हैं। - माइक व्हिटमर

 

प्रभु पवित्र आत्मा, मैं अपने आप में प्रलोभनों पर जयवंत नहीं हो सकता हूँ; 

मुझे आपके सामर्थ्य और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।


तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको। - 1 कुरिन्थियों 10:13

बाइबल पाठ: नीतिवचन 7:10-27

नीतिवचन 7:10 और उस से एक स्त्री मिली, जिस का भेष वेश्या का सा था, और वह बड़ी धूर्त थी।

नीतिवचन 7:11 वह शान्ति रहित और चंचल थी, और अपने घर में न ठहरती थी;

नीतिवचन 7:12 कभी वह सड़क में, कभी चौक में पाई जाती थी, और एक एक कोने पर वह बाट जोहती थी।

नीतिवचन 7:13 तब उसने उस जवान को पकड़ कर चूमा, और निर्लज्जता की चेष्टा कर के उस से कहा,

नीतिवचन 7:14 मुझे मेलबलि चढ़ाने थे, और मैं ने अपनी मन्नतें आज ही पूरी की हैं;

नीतिवचन 7:15 इसी कारण मैं तुझ से भेंट करने को निकली, मैं तेरे दर्शन की खोजी थी, सो अभी पाया है।

नीतिवचन 7:16 मैं ने अपने पलंग के बिछौने पर मिस्र के बेल-बूटे वाले कपड़े बिछाए हैं;

नीतिवचन 7:17 मैं ने अपने बिछौने पर गन्घरस, अगर और दालचीनी छिड़की है।

नीतिवचन 7:18 इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें।

नीतिवचन 7:19 क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है;

नीतिवचन 7:20 वह चान्दी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा।

नीतिवचन 7:21 ऐसी ही बातें कह कह कर, उसने उसको अपनी प्रबल माया में फंसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उसको अपने वश में कर लिया।

नीतिवचन 7:22 वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, और जैसे बैल कसाई-खाने को, या जैसे बेड़ी पहने हुए कोई मूढ़ ताड़ना पाने को जाता है।

नीतिवचन 7:23 अन्त में उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस चिडिय़ा के समान है जो फन्दे की ओर वेग से उड़े और न जानती हो कि उस में मेरे प्राण जाएंगे।

नीतिवचन 7:24 अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो, और मेरी बातों पर मन लगाओ।

नीतिवचन 7:25 तेरा मन ऐसी स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे, और उसकी डगरो में भूल कर न जाना;

नीतिवचन 7:26 क्योंकि बहुत से लोग उस के द्वारा मारे पड़े हैं; उसके घात किए हुओं की एक बड़ी संख्या होगी।

नीतिवचन 7:27 उसका घर अधोलोक का मार्ग है, वह मृत्यु के घर में पहुंचाता है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 49-50
  • रोमियों 1

बुधवार, 28 जुलाई 2021

परिश्रम

 

          जो लोग विलियम केरी (1761-1834) के इंग्लैंड के उसके गाँव में उसके साथ पले बड़े हुए थे, उन्होंने सोचा होगा कि वह अधिक कुछ नहीं करने पाएगा। किन्तु आज उसे आधुनिक मसीही सेवकाइयों का पिता कहा जाता है। उसका जन्म जुलाहों के परिवार में हुआ था, और वह एक ऐसा शिक्षक और मोची बना, जो कुछ विशेष सफल नहीं था, और साथ ही अपने आप को यूनानी, इब्रानी, और लातीनी भाषाएँ भी सिखाता रहा। बहुत वर्षों के परिश्रम के बाद, उसका भारत में मसीही सेवकाई करने का सपना पूरा हुआ। किन्तु उसे बहुत कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा, जिनमें उसके बच्चे की मृत्यु और उसकी पत्नी के मानसिक रोग भी सम्मिलित थे, तथा बहुत वर्षों तक उसे उन लोगों से इस सेवकाई के लिए जाने के लिए कोई प्रत्युत्तर नहीं मिल रहा था, जिनके मध्य वह सेवा करता था।

          ऐसा क्या था जो उसे इन सभी कठिनाइयों में होकर भी सेवकाई में लगे रहने के लिए प्रेरित करता रहा; उस सेवकाई में जिसमें उसने संपूर्ण बाइबल का छः भाषाओं में अनुवाद किया, और बाइबल के कुछ भागों का उन्तीस भिन्न भाषाओं में अनुवाद किया? उसने कहा, मुझे परिश्रम करते रहना आता है; मैं किसी भी निश्चित लक्ष्य को पूरा करने के लिए दृढ़ता से उसमें लगा रह सकता हूँ। उसने तय कर रखा था की चाहे कुछ भी हो जाए, जो भी परीक्षा आए, किन्तु वह परमेश्वर की सेवा करता रहेगा।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों का लेखक भी इसी निरन्तर बनी रहने वाली भक्ति के बारे में परामर्श देता है। लेखक ने अपने पाठकों से कहा कि वे आलसी न हों, किन्तु अन्त तक प्रयत्न करते ही रहें (इब्रानियों 6:11, 12)। उसने उन्हें आश्वासन दिया कि जब वे परमेश्वर को आदर देने में परिश्रम करते रहेंगे, तो परमेश्वर भी उनके इस परिश्रम को नहीं भूलेगा (पद 10)।

          विलियम केरी के बाद के वर्षों में, उसने इस बात पर मनन करते हुए कि परमेश्वर कैसे उसकी आवश्यकताओं को निरंतर पूरा करता रहा, कहा, “वह अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने में कभी नहीं चूका, इसलिए मैं भी उसके प्रति अपनी सेवा में कभी नहीं चूक सकता हूँ।” परमेश्वर हमें भी सामर्थ्य दे कि हम दिन-प्रतिदिन उसकी सेवा परिश्रम के साथ करते रहें। - एमी बाउचर पाई

 

हे प्रभु जब मैं कठिनाइयों और परीक्षाओं का सामना करूं, 

तो यह कभी न भूलूँ कि आप सदा मेरे साथ हैं।


और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों 1:6

बाइबल पाठ: इब्रानियों 6:9-12

इब्रानियों 6:9 पर हे प्रियो यद्यपि हम ये बातें कहते हैं तौभी तुम्हारे विषय में हम इस से अच्छी और उद्धार वाली बातों का भरोसा करते हैं।

इब्रानियों 6:10 क्योंकि परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर भी रहे हो।

इब्रानियों 6:11 पर हम बहुत चाहते हैं, कि तुम में से हर एक जन अन्त तक पूरी आशा के लिये ऐसा ही प्रयत्न करता रहे।

इब्रानियों 6:12 ताकि तुम आलसी न हो जाओ; वरन उन का अनुकरण करो, जो विश्वास और धीरज के द्वारा प्रतिज्ञाओं के वारिस होते हैं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

प्रशिक्षण

 

          ब्राज़ील की एक कंपनी के मैनेजर ने अपनी बिलडिंग में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों से कहा कि वे प्रतिदिन उसे अपने कार्य के बारे में लिखित ब्यौरा दिया करें। वह जानना चाहती थी कि किसने कौन सा कमरा साफ़ किया, कौन से कमरे बिना साफ़ हुए छूट गए, और कर्मचारियों ने प्रत्येक कमरे में कितना समय बिताया। उसके निर्देशों के अनुसार उसे पहली “दैनिक” रिपोर्ट एक सप्ताह के बाद मिली, वह भी अधूरी।

          उस मैनेजर ने इसके कारणों का पता लगाया तो उसे पता चला कि सफाई कर्मचारियों में से अधिकांश अनपढ़ थे। वह उन सभी को नौकरी से बरखास्त कर सकती थी, और उनके स्थान पर पढ़े लिखे कर्मचारियों को नियुक्त कर सकती थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, वरन उसने उनके लिए काम के समय के दौरान उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाने का इंतज़ाम किया। पाँच ही महीनों में, वे सभी कर्मचारी पढ़ना-लिखना सीख गए थे, और उनकी नौकरी भी बनी रही थी।

          अकसर परमेश्वर हमारी कठिनाइयों को, उसके लिए हमारे और अधिक उपयोगी बनने के लिए अवसरों के समान प्रयोग करता है। हम परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पतरस के जीवन में प्रभु के साथ चलने में की गई अनेकों गलतियों और अनुभवहीनता के कार्यों को देखते हैं। जब उसने पानी पर चलने का प्रयास किया तो तुरंत ही उसका विश्वास डगमगा गया। उसे यह ठीक से पता नहीं था कि प्रभु यीशु को मंदिर का कर भरना चाहिए अथवा नहीं (मत्ती 17:24-27)। उसने प्रभु द्वारा की गई उसके क्रूस पर चढ़ाए जाने और पुनरुत्थान की भविष्यवाणी को भी नकार दिया (मत्ती 16:21-23)। किन्तु उसकी हर गलती के द्वारा प्रभु ने उसे अपने बारे में और अधिक सिखाया, उसे समझाया कि वह ही प्रतिज्ञागत मसीहा है (पद 16)। पतरस सुनता, देखता, सीखता रहा, और तैयार होता चला गया; और आगे चलाकर वह  प्रथम चर्च के संस्थापकों में से एक महत्वपूर्ण जन बना।

          यदि आज आप अपनी किसी असफलता के कारण निराश हैं, तो मत भूलिए कि प्रभु यीशु आपके उस अनुभव का प्रयोग आपको सिखाने और उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है। पतरस की सभी कमियों, गलतियों के बावजूद, प्रभु उसके साथ कार्य करता रहा, उसे प्रशिक्षित करता रहा। उसी प्रकार से आपको भी प्रशिक्षण देने के द्वारा प्रभु आपको भी अपने राज्य के निर्माण में सहयोगी होने के लिए प्रयोग कर सकता है। उससे प्रशिक्षण लेते रहें और उसके आगमन तक उसके कार्य में लगे रहें। - जेनिफर बेनसन शुल्ट

 

हे प्रभु मेरी असफलताओं और अनुभवहीनता के द्वारा मुझे 

अपने राज्य के निर्माण में उपयोगी होने के लिए प्रशिक्षित करें।


तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयों, हम क्या करें? पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे। - प्रेरितों के काम 2:37-38

बाइबल पाठ: मत्ती 16:21-28

मत्ती 16:21 उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं।

मत्ती 16:22 इस पर पतरस उसे अलग ले जा कर झिड़कने लगा कि हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा।

मत्ती 16:23 उसने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे सामने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।

मत्ती 16:24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा; यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इनकार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।

मत्ती 16:25 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।

मत्ती 16:26 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?

मत्ती 16:27 मनुष्य का पुत्र अपने स्‍वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।

मत्ती 16:28 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं; कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 43-45
  • प्रेरितों 27:27-44