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सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

एक लेखक, मिच अल्बौम, को विचार आया कि यदि कुछ ऐसे व्यक्ति, जिनके पार्थिव जीवन पर आपने इस पृथ्वी पर कोई प्रभाव डाला हो, वे आपसे स्वर्ग में मिलें, और स्वर्ग में आपके पार्थिव जीवन की व्याख्या करें, तो स्वर्ग आपके लिये कैसा स्थान होगा? इस विचार के आधार पर करी गई अपनी कल्पना को उसने पुस्तक रूप में प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक है "The Five People You Meet in Heaven"।

मिच अल्बौम की यह पुस्तक इस बात पर अवश्य अन्तःदृष्टि देती है कि जाने-अन्जाने हम कैसे दूसरों के जीवन को कैसे प्रभावित करते रहते हैं, परन्तु एक मसीही विश्वासी के लिये स्वर्ग में अनन्त आनन्द का आधार किसी अन्य व्यक्ति की राय नहीं है। उसके इस अनन्त आनन्द का आधार है प्रभु यीशु मसीह से उसका संबंध। स्वर्ग एक वास्तविक स्थान है, जहां प्रभु यीशु अपने लोगों के लिये तैयारी कर रहा है (यूहन्ना १४:२, ३) और वहां हम प्रभु यीशु से मिल कर सदा आनंदित रहेंगे।

परन्तु प्रभु यीशु से यह स्वर्गीय मुलाकात पृथ्वी पर व्यतीत किये गये हमारे जीवन में प्रभु के प्रति हमारे उतरदायित्व को निभाने का लेखा-जोखा लिये जाने का भी समय होगा। प्रभु द्वारा बुद्धिमानी और न्याय से किया गया हमारे पार्थिव जीवन का मूल्यांकन प्रगट करेगा कि हम उसके प्रति कितने आज्ञाकारी रहे और हमने उससे कैसा प्रेम किया; और स्वर्ग में मिलने वाले हमारे कर्मों के प्रतिफल भी निर्धारित करेगा "क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए" (२ कुरिन्थियों ५:१०)।

हम यह तो नहीं जानते कि स्वर्ग में सबसे पहले हम किन पाँच लोगों से मिलेंगे, लेकिन यह अवश्य जानते हैं कि सर्वप्रथम हम किससे मिलेंगे - प्रभु यीशु से। क्या आप उससे मिलने और उसके मूल्यांकन के लिये तैयार हैं? - डेनिस फिशर


प्रभु यीशु के साथ अनन्त काल तक रहना अनन्त आनन्द का आधार है।

क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए। - २ कुरिन्थियों ५:१०


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:६-११

और जिस ने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिस ने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है।
सो हम सदा ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं और यह जानते हैं कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
क्‍योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।
इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।
क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए।
सो प्रभु का भय मान कर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ६-८
  • १ तिमुथियुस ५

रविवार, 24 अक्टूबर 2010

छिपी बातों के खुले प्रभाव

फ्लोरिडा प्रांत की ओकीचोबी झील बहुत सालों से अपने गहरे जल और गाढ़े कीचड़ में बहुत से राज़ छुपाए हुए थी, परन्तु सन २००७ के सूखे ने उसके जल स्तर को बहुत ही कम कर दिया, जितना कि कभी नहीं हुआ था। पानी हटने से, झील के तले में सालों से छिपी बातें प्रगट हो गईं। झील के उघाड़े तले से झील का पुराना इतिहास उजागर हो गया, वहां पुरातत्व शास्त्रियों को कई प्राचीन कला कृतियां, टूटे बर्तन के टुकड़े, मानव हड्डियों के टुकड़े और पुरानी नावें मिलीं।

बतशीबा के साथ व्यभिचार करने और फिर उसके पति उरियाह को मरवा देने के ष्ड़यंत्र को रचने के बाद राजा दाऊद ने अपने इन पापों को छिपा लिया, उनका अंगीकार नहीं किया। वह कई महीनों तक ऐसे कार्य करता रहा जैसे कुछ हुआ ही नहीं और अपनी धार्मिक ज़िम्मेदारियां भी निभाता रहा। लेकिन जब तक दाऊद अपने पाप को ढांपे रहा, परमेश्वर की दोषी ठहराने वाली उंगली उस पर उठी रही और वह उसके बोझ तले दबा कराहता रहा, उसकी सामर्थ ऐसे सूख गई जैसे गरमी से पानी सूख जाता है (भजन ३२:३, ४)।

जब नातान नबी ने दाऊद का सामना उसके पाप से कराया, तब दाऊद अपने पाप के दोष से ऐसा दबा हुआ था कि उसने तुरंत परमेश्वर के सामने अपने पाप को मान लिया और उनसे पश्चाताप किया। जैसे ही दाऊद ने अपने पाप को माना और पश्चाताप किया, परमेश्वर ने उसके पाप को क्षमा कर दिया और दाऊद ने परमेश्वर की दया और अनुग्रह को, पापों की क्षमा की शांति को महसूस किया (२ सैमुएल १२:१३; भजन ३२:५; भजन ५१)।

छिपे पापों के खुले परिणाम बहुत कष्टदायक होते हैं और पाप सदा छिपे भी नहीं रहते; कभी न कभी, किसी न किसी रूप में वे उजागर हो ही जाते हैं और तब उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है।

सावधान रहें, अपने पापों को न नज़रांदाज़ करें और न ही छुपाएं। जब हम अपने पापों को परमेश्वर के आगे खोल देते हैं तब वह अपनी क्षमा और दया से हमें ढांप देता है। - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर को वह अर्पित करें जो वह सबसे अधिक चाहता है - एक टूटा और पश्चातापी मन।

जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपके अपराधों को मान लूंगा, तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। - भजन ३२:५


बाइबल पाठ:

क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ांपा गया हो।
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं।
क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा, और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा, तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी।
तू मेरे छिपने का स्थान है, तू संकट से मेरी रक्षा करेगा, तू मुझे चारों,ओर से छुटकारे के गीतों,से घेर लेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ३-५
  • १ तिमुथियुस ४

शनिवार, 23 अक्टूबर 2010

प्रभु के निकट

स्टैन और जैनिफर अपनी सुसमाचार सेवकाई के प्रथम चरण के पूरा होने पर एक सम्मेलन में अपने अनुभवों के बारे में बता रहे थे। जैनिफर ने एक महिला के साथ मती ४:१९ पर हुई चर्चा के बारे में बताया; उस महिला ने जैनिफर को उनकी भाषा में "पीछे चलने" के लिये प्रयोग होने वाले एक शब्द के बारे में बताया जिसका अर्थ होता है "दूरी बनाकर नहीं वरन बहुत निकट से पीछे चलना।"

इस बात को समझाने के लिये, जैनिफर ने एक चप्पल ली और उस चप्पल की एड़ी से सटाकर दूसरी चप्पल के सिरे को रख दिया, उस शब्द का अर्थ ऐसे ही बिलकुल सामने वाले की एड़ी से अपना पांव मिलाकर चलना होता है। हमें भी ऐसी ही नज़दीकी से प्रभु का अनुसरण करना चाहिये।

बाद में जब जैनिफर अपनी प्रतिदिन की डायरी का पुनरावलोकन करने लगी तो उसने पाया कि कई बार उसने यह प्रश्न किया "क्या यीशु काफी है?" अपनी उन सेवकाई के दिनों में उसने कई परेशानियों का सामना किया था, जैसे अन्जान संसकृति में समायोजित होना, अकेलापन, बिमारी, बांझपन आदि। कभी कभी उसने अपने आप को प्रभु यीशु मसीह से दूर भी अनुभव किया। परन्तु जब भी प्रार्थना और विश्वास से वह प्रभु की एड़ी से अपना पांव मिलाकर चलने वाली - प्रभु के निकट रहने वाली बनी, प्रभु ने उसके मन की बेचैनी दूर करी, उसके बल को पुनःस्थापित किया और उसे अपनी शांति से परिपूर्ण किया।

क्या आप अपने आप को प्रभु से दूर महसूस करते हैं; क्या आपके जीवन में खोखलापन है, पस्त हौंसले और डरी हुई आत्मा है? यही समय है प्रभु के निकट आने का और उसकी शांति की सामर्थ को अनुभव करने का। - डेव एगनर


हम जितना परमेश्वर के निकट होकर चलेंगे, उतनी ही स्पष्टता से उसके मार्गदर्शन को देख सकेंगे।

मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा। - मती ४:१९


बाइबल पाठ: मती ४:१८-२५

और उन से कहा, मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा।
वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयों अर्थात जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया
वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उन की सभाओं में उपदेश करता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बल्ता को दूर करता रहा।
और सारे सूरिया में उसका यश फैल गया; और लोग सब बीमारों को, जो नाना प्रकार की बीमारियों और दुखों में जकड़े हुए थे, और जिन में दुष्टात्माएं थीं और मिर्गी वालों और झोले के मारे हुओं को उसके पास लाए और उस ने उन्हें चंगा किया।
और गलील और दिकापुलिस और यरूशलेम और यहूदिया से और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह १, २
  • १ तिमुथियुस ३

शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010

स्मर्णशक्ति का सदुपयोग

न्यू यॉर्क टाईम्स में प्रकाशित एक लेख में बताया गया कि कंप्यूटर में आंकड़ों को संग्रहण करने की क्षमता की बढ़ोतरी से मनुष्य द्वारा अपनी स्मर्णशक्ति का उपयोग कम होता जा रहा है। हमारे इलैक्ट्रौनिक उपकरण अब हमारे लिये फोन नम्बर, विभिन्न स्थानों और लोगों के पते-ठिकाने तथा वहां तक पहुंचने के साधन और रास्ते इत्यादि याद रखते हैं। यह सब और ऐसी ही अन्य जानकारियां कुछ समय पहले हम बार बार उपयोग के द्वारा याद करते थे। विद्यालयों में अब पाठ को कंठस्त करने और स्मरण करके बताने की प्रथा लोप होती जा रही है। टाईम्स के इस लेख के अनुसार हम अब ऐसी संसकृति को बढ़ावा दे रहे हैं जो स्मरणशक्ति के विकास को महत्व नहीं देती।

इस बदलते संसार में अब मसीही विश्वासियों के लिये यह और भी अधिक आवश्यक हो गया है कि वे परमेश्वर के वचन को अपने मन में बसा लें "जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं, मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं" (भजन ११९:९-११)। परमेश्वर के वचन को स्मरण करना केवल स्वस्थ मानसिक अभ्यास ही नहीं है, वरन इसका उद्देश्य है कि हम अपने मन को परमेश्वर के वचन से ऐसा भर लें कि हमारे जीवनों का निर्वाह उसके निर्देशों के अनुसार हो जाएं। भजनकार ने लिखा " हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा। मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे, तू अपने मार्ग में मुझे जिला" (भजन ११९:३३, ३७)।

क्यों न आज से ही परमेश्वर के वचन को स्मरण करना आरंभ कर दें? इस स्मरण अभ्यास प्रक्रिया में सफल्ता की कुंजी है इसके प्रतिदिन का नियमित अनुशासन और याद किये गये को बार बार दोहराते रहना। और जैसे शारीरिक व्यायाम के लिये, वैसे ही आत्मिक अभ्यास के लिये भी किसी मित्र या छोटे समूह में किया जाना, और भी अधिक उपयोगी होता है।

परमेश्वर के वचन के जीवनदायी ज्ञान और शिक्षाओं का पालन करना कभी न भूलें। - डेविड मैककैसलैंड


बाइबल की बातों से अपने मन को भर लो, उसे अपने हृदय पर राज्य और जीवन को निर्देशित करने दो।

मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे, तू अपने मार्ग में मुझे जिला। - भजन ११९:३७


बाइबल पाठ: भजन ११९:३३-४०

हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा।
मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा।
अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूं।
मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।
मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।
तेरा वचन जो तेरे भय मानने वालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।
जिस नामधराई से मैं डरता हूं, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।
देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूं; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ६५-६६
  • १ तिमुथियुस २

गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

विरोध निवारण

आज के दिन को बहुत से देशों में विरोध निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे अपने मतभेद अपसी बातचीत या किसी की मध्यस्तता द्वारा सुलझा लें न कि कानूनी तरीकों का सहारा लें।

यह कहा जाता है कि "चर्च में होने वाले झगड़े सबसे बुरे झगड़े होते हैं" क्योंकि ये झगड़े उन लोगों में होते हैं जो एकता और प्रेम में विश्वास करते हैं और उनका प्रचार करते हैं। कई मसीही किसी दूसरे मसीही द्वारा ऐसे दुखी हुए हैं कि वे फिर कभी लौटकर चर्च में नहीं आये।

बाइबल में यूआदिया और सुन्‍तुखे को नाम द्वारा संबोधित करके उनसे अनुरोध किया गया कि अपने मतभेद भुलाकर "वे प्रभु में एक मन रहें" (फिलिप्पियों ४:२)"। इस कार्य में उन्हें अकेला छोड़ देने के स्थान पर पौलुस ने एक सहविश्वासी से अनुरोध किया कि "हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्र्म किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं" (फिलिप्पियों ४:३)। इसी संदर्भ में पौलुस ने फिलिप्पियों के अन्य विश्वासियों से आग्रह किया कि वे अपने निवेदन परमेश्वर के सन्मुख लाएं क्योंकि प्रार्थना परमेश्वर की शान्ति को लाती है और उसकी सदा बनी रहने वाली उपस्थिति का एहसास दिलाती है (फिलिप्पियों ४:७, ९)। मसीही मण्डली में टूटे हुए रिशते, समस्त मण्डली की सामूहिक ज़िम्मेवारी हैं।

जब मतभेद और दुखी मन हों तो धैर्य से उनकी सुनकर, उन्हें प्रोत्साहित करके और उनके साथ प्रार्थना करके इन बातों का निवारण किया जा सकता है। - डेविड मैककैसलैंड


क्षमा ही वह उपाय है जो टूटे रिशते जोड़ देता है।

मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें। - फिलिप्पियों ४:२

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१-९

इसलि्ये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्‍द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।
मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें।
और हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्र्म किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं।
प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो, मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।
निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ६२-६४
  • १ तिमुथियुस १

बुधवार, 20 अक्टूबर 2010

दुखी लोगों की सहायता

जब भी मैंने किसी दुखी व्यक्ति से पूछा है कि "आपकी सहायता किसने की?" तो किसी ने भी कभी किसी ऐसे जन का नाम नहीं लिया जो कोई प्रसिद्ध दार्शनिक हो या धर्म के अध्ययन में जिसने कोई उँची उपलब्धी प्राप्त करी हो। उनकी सहायता करने वाले साधारण लोग ही थे। हममें से प्रत्येक के पास दुखियारों की सहायता करने की समान क्षमता है।

हर एक के दुख के निवारण के लिये सब पर एक समान काम करना वाला कोई उपाय नहीं है। यदि आप दुख भोगने वालों से पूछें तो कोई किसी ऐसे मित्र को याद करेगा जिसने खुश-मिज़ाजी से उन्हें दुख से ध्यान हटाने में उनकी सहायता करी; तो कुछ ऐसे भी हैं जो दुख में इस तरह की खुश-मिज़ाजी को अपमानजनक मानते हैं। कुछ ऐसे हैं जो सीधी, स्पष्ट बात द्वारा सांत्वना पाते हैं तो दूसरे ऐसी स्पष्ट और सीधी बातों को अत्यधिक निराशाजनक मानते हैं।

दुखी जन के लिये कोई जादूई इलाज नहीं है, परन्तु फिर भी एक बात है जिसकी सब को आवश्यक्ता होती है, वह है उनस्के प्रति प्रेम दिखाने की; सच्चा प्रेम सहजबोध से स्वतः ही समझ जाता है कि दुखी जन को क्या चाहिये। जौं वानियर, जिसने जन्म से अपंग लोगों के लिये "L'Arche" आन्दोलन चलाया, का कहना है कि: "दुखी और आहत लोग जो कष्ट और बिमारियों द्वारा टूट चुके हैं, बस एक ही बात चाहते हैं - एक प्रेम करने वाला हृदय जो उनको समर्पित हो, एक हृदय जो उनमें आशा जगाने की लालसा से भरा हो।"

ऐसा प्रेम दिखाना हमारे लिये बहुत कठिन हो सकता है। लेकिन पौलुस प्रेरित सच्चे प्रेम की परिभाषा में याद दिलाता है कि "वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है" (१ कुरिन्थियों १३:७)।

जैसा परमेश्वर के काम करने की रीति है, वह बहुत साधारण को लोगों को अपनी चंगाई पहुंचाने का माध्यम बनाता है। जो दुखी हैं उन्हें हमारा ज्ञान और सूझ-बूझ नहीं चाहिये, उन्हें हमसे केवल सच्चा प्रेम चाहिये। - फिलिप यैन्सी


जो अपना प्रेम प्रकट नहीं करते, वे सच्चा प्रेम भी नहीं करते। - शेक्स्पीयर

पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। - १ कुरिन्थियों १३:१३


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १३

यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं।
और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है।
वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी।
अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५९-६१
  • २ थिसुलिनीकियों ३

मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010

सेवा-निवृति या सेवाकाई का आरंभ?

४० वर्ष तक अध्यापिका का कार्य करके जेन हैन्सन सेवा-निवृत हुईं। उस समय वे और उनके पति अपने पहिले पोते या पोती के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।

सेवा-निवृति वह समय होता है जब लोग बस आराम करने या घूमने फिरने या अपनी किसी मन पसन्द बात के लिये समय बिताना चाहते हैं। किंतु जेन ने अपने घर के पास के एक नगर में कुछ जोखिम में पड़े हुए यवकों के मध्य सेवाकाई के विष्य में सुना, और उसने ठान लिया कि वह इसमें सम्मिलित होगी। उन्होंने कहा "मैंने जाना कि वहां ऐसे युवक हैं जिन्हें सहायता की प्रतीक्षा है और मैं यह सहायता कर सकती थी और उनके जीवनों में फर्क ला सकती थी।" जेने ने एक जवान लाईबीरियाई युवक को अंग्रेज़ी भाषा सिखानी आरंभ करी, जो अपने देश में चल रहे गृह युद्ध के कारण जान बचा कर भागने को मजबूर हुआ था, और अब वह सुरक्षित तो था लेकिन भाषा ना आने के कारण अपने शरणस्थान में परेशान था। अपनी इस नयी सेवाकाई के विषय में जेन ने कहा, "मैं अपना समय व्यतीत करने के लिये दुकानों में घूमना और खरीददारी करना भी कर सकती थी, पर उससे मुझे क्या खुशी मिलती?"

आज जेन किसी की ज़िन्दगी में एक फर्क ला रही है। शायद उसने कुछ हद तक प्रभु यीशु की इस बात को समझा "क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा" (मत्ती १६:२५)। दूसरों की सहायता करने और अपने आप को प्रभु को समर्पित करने में अपने आप का और अपनी लालसाओं का इन्कार करना पड़ता है, किंतु एक दिन प्रभु इस खुद-इन्कारी का प्रतिफल देगा (मती १६:२७)।

आज हम जीवन के किसी भी पड़ाव पर हों, जेन का उदाहरण हमें प्रेरित करता है कि उसकी तरह हम भी परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम के कारण अपने आप को किसी के जीवन में भला करने के लिये उपयोगी बनाएं। - ऐनी सेटास


परमेश्वर के लिये काम करें, उसकी सेवा-निवृति योजना इस संसार से परे की है।

जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। - मत्ती १६:२५


बाइबल पाठ: मत्ती १६:२४-२८

तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्‍कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा, और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।
यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्‍त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्‍या लाभ होगा या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्‍या देगा?
मनुष्य का पुत्र अपने स्‍वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।
मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्‍वाद कभी न चखेंगे।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५६-५८
  • २ थिसुलिनीकियों २