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शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

कलपनाएं

   मैं और मेरे मित्र एक चित्रकला प्रदर्शनी देखने गए जो प्रभु यीशु द्वारा दी गई उड़ाऊ पुत्र की कहानी पर आधारित थी। हम सब यह सोच कर गए थे कि यह हमारे लिए एक गंभीर मनन और सीखने का अवसर होगा। हम प्रदर्शनी स्थल पर पहुंचे और जानकारी लेने वहाँ सहायता देनेवाले लोगों की मेज़ पर गए। उस मेज़ पर प्रदर्शनी से संबंधित जानकारी पुस्तिकाएं और विषय से संबंधित अन्य पुस्तकें रखी हुईं थीं, तथा प्रदर्शनी के स्थान की ओर इशारा करने वाला एक सूचना चिन्ह भी रखा था।

   सहायता देने वालों की उस मेज़ पर कुछ और भी रखा था जिसे देखकर हम सब मन ही मन अनुमान लगाने लगे कि चित्रकला के विषय के साथ इसका क्या संबंध हो सकता है - वह थी एक प्लेट जिस में रोटी थी, एक ग्लास और एक अंगोछा। हमने कलपना करी कि संभवतः यह उस भोज का सूचक होगा जो उड़ाऊ पुत्र के घर वापस लौटने पर उसके पिता ने आयोजित किया था, और पिता पुत्र के सम्बंध और सहभागिता को दिखाने कि लिए यहाँ रखा गया है। जब हमने उसे ज़रा ध्यानपूर्वक देखा तो समझ आया कि प्ल्र्ट कुछ गन्दी थी, रोटी खाने के बाद की बची हुई रोटी थी - कोई भोजन करने के बाद अपने भोजन की प्लेट ऐसे ही उस मेज़ पर प्रदर्शनी से संबंधित चीज़ों के साथ छोड़कर चला गया था। उस मेज़ पर रखे पुस्तक, पुस्तिकाओं और प्रदर्शनी संबंधित अन्य वस्तुओं से उस प्लेट, गिलास और अंगोछे का कोई लेना देना नहीं था; उन से संबंधित हमारी कलपनाएं बिलकुल गलत थीं।

   यह जान कर, अपनी कलपना की उड़ान पर, हम सब को अच्छी हंसी आई। लेकिन बाद में मैं यह सोचने लगी कि क्या संभव नहीं कि ऐसे ही हम कितनी बार परमेश्वर के वचन में वह सब देखने लगते हैं जो वहाँ है ही नहीं। यह मानकर चलने की बजाए कि बाइबल की किसी बात के विषय में हमारे विचार सही ही हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी व्याख्या बाइबल में उस विषय पर दी गई सभी जानकारी के अनुकूल है कि नहीं। प्रेरित पतरस ने अपनी पत्री में मसीही विश्वासियों को इस बात के बारे में चिताते हुए लिखा: "पर पहिले यह जान लो कि पवित्र शास्‍त्र की कोई भी भविष्यद्वाणी किसी के अपने ही विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती" (२ पतरस १:२०)।

   परमेश्वर के वचन को गंभीरता से लेना हमारा कर्तव्य है, उस की व्याख्या और चर्चा से पहले यह जाँच लेना अति आवश्यक है कि हम यह पवित्र आत्मा की प्रेर्णा से, वचन के संदर्भ का ध्यान रखते हुए और संपूर्ण वचन में उस विषय के बारे में कही गई बातों के अनुसार ही कुछ कहें; ना कि अपनी इच्छा के अनुसार और अपने अभिमान कि रक्षा करते हुए परमेश्वर के वचन को जैसे चाहें तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करें। - ऐनी सेटास


संदर्भ से बाहर करी गई वचन की व्याख्या खतरनाक झूठ या अतिश्योक्ति हो सकती है।

अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्‍न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो। - २ तिमुथियुस २:१५
 
बाइबल पाठ: २ पतरस १:१६-२१
2Pe 1:16 क्‍योंकि जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था वरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था।
2Pe 1:17  कि उस ने परमेश्वर पिता से आदर, और महिमा पाई जब उस प्रतापमय महिमा में से यह वाणी आई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है जिस से मैं प्रसन्न हूं।
2Pe 1:18 और जब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे, तो स्‍वर्ग से यही वाणी आते सुना।
2Pe 1:19 और हमारे पास जो भविष्यद्वक्ताओं का वचन है, वह इस घटना से दृढ़ ठहरा है और तुम यह अच्‍छा करते हो, कि जो यह समझ कर उस पर ध्यान करते हो, कि वह एक दीया है, जो अन्‍धियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे, और भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे।
2Pe 1:20 पर पहिले यह जान लो कि पवित्र शास्‍त्र की कोई भी भविष्यद्वाणी किसी के अपने ही विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती।
2Pe 1:21 क्‍योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्‍छा से कभी नहीं हुई पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १२-१४ 
  • मरकुस ५:२१-४३

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

वास्तविक और खरा

   प्राचीन वस्तुओं को खरीदने-बेचने वाली एक दुकानदार को एक जीर्ण और बदरंग हुआ बेसबॉल कार्ड मिला। उस कार्ड को देखकर उसने अनुमान लगाया कि उसकी कीमत लगभग $१० ही होगी। उसने उसे बेचने के लिए ई-बे पर रख दिया, किंतु उसे सन्देह हुआ कि कहीं वह कार्ड उसके अनुमान से और अधिक मूल्यवान तो नहीं? इसलिए उसने ई-बे से उसे हटा कर एक व्यवसायिक मूल्य निर्धारण करने वाले विशेषग्य को वह कार्ड दिखाया। उस विशेषग्य ने उस कार्ड को देखकर पुष्टि करी कि सन १८६९ में बने उस कार्ड पर बना चित्र अमेरिका की प्रथम व्यावसायिक बेसबॉल टीम सिन्सिनाटी रेड स्टॉकिंग्स का ही था। वह कार्ड अन्ततः $७५,००० में बिका। यद्यपि वह कार्ड जीर्ण और बदरंग था किंतु जो सबसे महत्वपुर्ण बात थी वह थी उसका वास्तविक होना। उसकी वास्तविकता प्रमाणित होते ही उसकी कीमत बहुत बढ़ गई।

   सुसमाचार प्रचार के लिए निकले प्रेरित पौलुस और उसके साथियों को भी बहुत दुख उठाने पड़े और वे बदहाल हो गए। परमेश्वर के वचन के २ कुरिन्थियों ६ अध्याय में उनकी बाहरी परीक्षाओं, भीतरी गुणों और आत्मिक संसाधनों का वर्णन है। उनके जीवन की परिस्थितियों के बारे में कल्पना कीजिए जिनमें इन सब बातों ने मिलकर कार्य किया: पिटाई और धैर्य, कैद और दया, पीड़ाएं और प्रेम। यद्यपि उनके शरीर तोड़े गए, भावनाएं कुचली गईं और आत्मा परखी गई, फिर भी प्रभु यीशु में उनके विश्वास की वास्तविकता इन सब क्लेषों में भी चमकती हुई दिखाई दी। उन्होंने अपने विश्वास की खराई को प्रमाणित कर के दिखा दिया कि वे "शोक करने वालों के समान हैं, परन्‍तु सर्वदा आनन्‍द करते हैं; कंगालों के जैसे हैं, परन्‍तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं तौभी सब कुछ रखते हैं" (२ कुरिन्थियों ६:१०) और सब कुछ सहते हुए भी हर परिस्थिति में विश्वासयोग्य और कह्रे रहे तथा स्थान स्थान पर मसीही विश्विसियों की मण्डलियां स्थापित करीं।

   मसीही विश्वास के हमारे जीवन में आत्मिक खराई को कोई विकल्प नहीं है; अपने विश्वास में हमें वास्तविक होना ही है, तब ही हम कार्यकारी हो पाएंगे। - डेविड मैककैसलैंड


मसीही विश्वास में दिखावे के बाहरी आचरण और ढोंग का कोई स्थान नहीं है।

परन्‍तु हर बात में परमेश्वर के सेवकों की नाई अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्‍लेशों से, दरिद्रता से, संकटो से। - २ कुरिन्थियों ६:४

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ६:३-१३
2Co 6:3  हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए।
2Co 6:4 परन्‍तु हर बात में परमेश्वर के सेवकों की नाईं अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्‍लेशों से, दरिद्रता से, संकटो से।
2Co 6:5  कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से।
2Co 6:6  पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से।
2Co 6:7 सच्‍चे प्रेम से, सत्य के वचन से, परमेश्वर की सामर्थ से; धामिर्कता के हथियारों से जो दाहिने, बाएं हैं।
2Co 6:8 आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से, यद्यपि भरमाने वालों के जैसे मालूम होते हैं तौभी सच्‍चे हैं।
2Co 6:9  अनजानों के सदृश्य हैं तौभी प्रसिद्ध हैं; मरते हुओं के जैसे हैं और देखो जीवित हैं; मार खाने वालों के सदृश हैं परन्‍तु प्राण से मारे नहीं जाते।
2Co 6:10 शोक करने वालों के समान हैं, परन्‍तु सर्वदा आनन्‍द करते हैं, कंगालों के जैसे हैं, परन्‍तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं तौभी सब कुछ रखते हैं।
2Co 6:11  हे कुरिन्थियों, हम ने खुलकर तुम से बातें की हैं, हमारा हृदय तुम्हारी ओर खुला हुआ है।
2Co 6:12  तुम्हारे लिये हमारे मन में कुछ सकेती नहीं, पर तुम्हारे ही मनों में सकेती है।
2Co 6:13  पर अपने लड़के-बाले जानकर तुम से कहता हूं, कि तुम भी उसके बदले में अपना हृदय खोल दो।


एक साल में बाइबल: 

  • गिनती ९-११ 
  • मरकुस ५:१-२०

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

परदेशी देवता

   सुदूर पूर्व एशिया की अपनी यात्रा में मैंने एक असाधारण मन्दिर देखा जिसमें सैंकड़ों मूर्तियाँ रखी हुई थीं। हमारे मार्गदर्शक के अनुसार, वहाँ आने वाले श्रद्धालु उन सैंकड़ों मूर्तियों में से कोई से वह मूर्ति जो उनके किसी पूर्वज के सबसे अधिक समानता में हो उठाकर उससे प्रार्थना कर सकते थे।

   कुछ वर्ष पहले मैंने एक वियतनामी छात्र ले थाई के बारे में पढ़ा, वह भी पूर्वजों की उपासना करने वाले लोगों में से था। उसे अपनी मृतक दादी से प्रार्थना करने में सबसे अधिक शांति मिलती थी क्योंकि वह उनसे बहुत प्रेम करता था, उनके बहुत निकट था। यह उसके लिए बहुत आत्मीय और व्यक्तिगत था।

   लेकिन जब वह वियतनाम से अमेरिका पढ़ने के लिए आया तो ले थाई का परिचय मसीही विश्वास से हुआ। उसे यह अमेरिकी सोच-विचार पर आधारित एक काल्पनिक-कथा के समान लगा। उसके लिए यह किसी परदेशी देवता कि आराधाना करने के समान था।

   फिर क्रिसमस के त्यौहार पर एक मित्र ने उसे अपने घर आने का निमंत्रण दिया। वहां उसने एक मसीही विश्वासी परिवार में उनके विश्वास को कार्य करते देखा, एक बार फिर उसने प्रभु यीशु मसीह की कहानी सुनी। ले थाई ने ध्यानपूर्वक सुना। फिर उसने परमेश्वर के वचन में यूहन्ना रचित सुसमाचार के तीसरे अध्याय से "नया जन्म" पाने के बारे में पढ़ा और उसने प्रश्न पुछने आरंभ किए। उसके मन में पवित्र आत्मा ने कार्य करना आरंभ किया और कुछ समय पश्चात वह जान गया कि मसीही विश्वास कल्पनाओं पर नहीं सच्चाई पर आधारित है। उसने प्रभु यीशु को अपना व्यक्तिगत उद्धारकर्ता ग्रहण कर लिया।

   यदि कोई मसीही विश्वास को परदेशी देवता की आराधाना मानता है तो उसके साथ सुसमाचार बांटने में हमें संवेदनशील रहना चाहिए, मसीही विश्वास के यथार्थ को परखने और जांचने के लिए उसे समय देना चाहिए और उसके अपने परंपरागत विश्वास कि भर्तसना नहीं करनी चाहिए।

   आदर और प्रेम के साथ सुसमाचार बांटें फिर पवित्र आत्मा को अपना कार्य करने दें। - डेव ब्रैनन


यीशु की सच्चाई को सच्चाई से परखने वाला यथार्थ को पहचाने बिना नहीं रह सकते।

...कितनों ने कहा, यह बकवादी क्‍या कहना चाहता है? परन्‍तु औरों ने कहा, वह अन्य देवताओं का प्रचारक मालूम पड़ता है, क्‍योंकि वह यीशु का, और पुनरूत्थान का सुसमाचार सुनाता था। प्रेरितों १७:१८

बाइबल पाठ: प्रेरितों १७:१६-३१
Act 17:16  जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया।
Act 17:17  सो वह आराधनालय में यहूदियों और भक्तों से और चौक में जो लोग मिलते थे, उन से हर दिन वाद-विवाद किया करता था।
Act 17:18 तब इपिकूरी और स्‍तोईकी पण्‍डितों में से कितने उस से तर्क करने लगे, और कितनों ने कहा, यह बकवादी क्‍या कहना चाहता है? परन्‍तु औरों ने कहा, वह अन्य देवताओं का प्रचारक मालूम पड़ता है, क्‍योंकि वह यीशु का, और पुनरूत्थान का सुसमाचार सुनाता था।
Act 17:19  तब वे उसे अपने साथ अरियुपगुस पर ले गए और पूछा, क्‍या हम जान सकते हैं, कि यह नया मत जो तू सुनाता है, क्‍या है?
Act 17:20  क्‍योंकि तू अनोखी बातें हमें सुनाता है, इसलिये हम जानना चाहते हैं कि इन का अर्थ क्‍या है?
Act 17:21  (इसलिये कि सब अथेनवी और परदेशी जो वहां रहते थे नई नई बातें कहने और सुनने के सिवाय और किसी काम में समय नहीं बिताते थे)।
Act 17:22  तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा होकर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े माननेवाले हो।
Act 17:23 क्‍योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Act 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्‍वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता।
Act 17:25 न किसी वस्‍तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्‍योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है।
Act 17:26 उस ने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है।
Act 17:27  कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोलकर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Act 17:28 क्‍योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Act 17:29 सो परमेश्वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Act 17:30  इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी करके, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Act 17:31 क्‍योंकि उस ने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उस ने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।


एक साल में बाइबल: 

  • गिनती ७-८ 
  • मरकुस ४:२१-४१

बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

थोड़े समय वाले

   कई वर्ष पहले मैंने सेना में कार्य किया था, और मैं इस बात के लिए सदैव धन्यवादी रहूंगा कि मुझे अपने देश के लिए अपने जीवन के कुछ साल देने का अवसर मिला। सेना में बिताए उस समय में से जो समय मेरा सबसे यादगार समय रहा वह था मेरी सेवा के अन्तिम कुछ सप्ताह का, जब मैं एक "थोड़े समय वाला" बन गया था।

   "थोड़े समय वाले" वे सैनिक होते हैं जो शीघ्र ही सेवा-निवृत होने वाले होते हैं। उन्हें कोई विशेष कार्य नहीं सौंपे जाते, उनका वक्त सेवा-निवृति की कारवाई पुरी करने में निकलता है। वे दफतरों में जाकर अपने हिसाब-किताब चुकाने, सामान वापस करने, फार्म भरवाने आदि में ही लगे रहते हैं। उन दिनों के बारे में जो मुझे स्पष्ट स्मरण आता है वह है मेरी निश्चिंत और आनन्दित मन तथा हल्की चाल जिसके साथ मैं अपने सेवा-निवृति के कार्य पूरे कर रहा था, क्योंकि मुझे यह निश्चय था कि मैं अब अपने घर जा रहा हूँ।

   अब मैं बुज़ुर्ग हो गया हूँ, अब मैं फिर वही "थोड़े समय वाला" बन गया हूँ। थोड़े समय में मुझे इस शरीर से "छुट्टी" मिल जाएगी। इस विचार से अब फिर मेरी आत्मा उन्मुक्त है और मेरी चाल में हल्कापन है, क्योंकि मुझे फिर यह निश्चय है कि मैं अपने "घर" जाने वाला हूँ। इसी नज़रिए को प्रभु यीशु और उसके चेलों ने "आशा" कहा (प्रेरितों २४:१५; रोमियों ५:२, ५)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, "आशा" का अर्थ है निश्चय और विश्वास होना। प्रत्येक मसीही विश्वासी की यह दृढ़, अडिग और अमिट आशा है कि वह मृतकों में से अपने प्रभु के समान ही पुनः जी उठेगा और अनन्तकाल के अपने "घर" में उसका स्वागत होगा। बस यही वह अनन्त काल की आशा है जो अब मुझ "थोड़े समय वाले" के मन को आनन्दित और चाल को हल्का करती है।

   क्या आपके पास यह आशा है? - डेविड रोपर


पुनरुत्थित यीशु स्वर्ग से आएगा, अपनों को स्वर्ग ले जाने के लिए।

आशा से लज्ज़ा नहीं होती.... - रोमियों ५:५


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-५
Rom 5:1  सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Rom 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्‍ड करें।
Rom 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज।
Rom 5:4 और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है।
Rom 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्‍योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।


एक साल में बाइबल: 

  • गिनती ४-६ 
  • मरकुस ४:१-२०

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

सही दिशा

   मेरे पास्टर होने के जीवन के सबसे कठिन अनुभवों में से एक था अपने चर्च की एक सदस्या को बताना कि उसके पति, पुत्र और ससुर सब की मृत्यु एक नौका दुर्घटना में डूबने से हो गई है। मैं जानता था कि यह समाचार उसके जीवन को बिखरा के रख देगा।

   इस दुखद घटना के बाद के दिनों में, मुझे उसके तथा उसके परिवार के अन्य सदस्यों के अप्रत्याशित विश्वास को देखकर बहुत अचरज हुआ। अवश्य ही उनके जीवन टूट गए थे, उनके मनों में असमंजस और व्याकुलता थी, यद्यपि उनके लिए अन्य हर बात अर्थहीन थी, फिर भी वे प्रभु यीशु के पास थे। समझ से बाहर कठिनाई के अपने उस समय में वे उसे तजने की बजाए, उसी में शरण लेकर उससे अपनी उम्मीद और साहस प्राप्त करते रहे थे। इस भयानक त्रासदी में उनके लिए आशा का एकमात्र स्त्रोत प्रभु यीशु ही था।

   इससे मुझे प्रभु यीशु के चेलों की प्रतिक्रिया स्मरण हो आई, जब उन चेलों में से कुछ ने प्रभु यीशु को छोड़ कर वापस जाने का निर्णय लिया क्योंकि वे प्रभु की बातें समझ नहीं पा रहे थे (यूहन्ना ६:६६)। तब प्रभु यीशु ने अपने अन्य चेलों से मुड़कर पूछा, "क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?" (यूहन्ना ६:६७); तब पतरस का उत्तर था, "हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं" (यूहन्ना ६:६८)।

   आज आप जिस भी परिस्थिति का सामना कर रहे हों, पतरस के उत्तर और उस साहसिक परिवार के उदाहरण से, जिसने अप्रत्याशित कठिन परिस्थितियों में भी अपने विश्वास को कायम रखा, प्रोत्साहन लें। जब तक अपने साहस तथा सामर्थ के लिए आप यीशु के साथ बढ़ रहे हैं आप सही दिशा में बढ़ रहे हैं। हर परिस्थिति का सामना करने का साहस और उस पर जयवंत होने की सामर्थ आपको वहीं मिलेगी, क्योंकि उसका वायदा है कि वह ना कभी छोड़ेगा और ना कभी त्यागेगा (इब्रानियों १३:५)। - जो स्टोवेल


जब सब छूट जाए तब स्मरण रखें कि यीशु कभी नहीं छोड़ता; उसी की शरण में ही सच्ची शांति है।

शमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि "हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं"। - यूहन्ना ६:६८

बाइबल पाठ: यूहन्ना ६:५३-६९
Joh 6:53  यीशु ने उन से कहा; मैं तुम से सच सच कहता हूं जब तक मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लोहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं।
Joh 6:54 जो मेरा मांस खाता, और मेरा लोहू पीता हे, अनन्‍त जीवन उसी का है, और मैं अंतिम दिन फिर उसे जिला उठाऊंगा।
Joh 6:55 क्‍योंकि मेरा मांस वास्‍तव में खाने की वस्‍तु है और मेरा लोहू वास्‍तव में पीन की वस्‍तु है।
Joh 6:56  जो मेरा मांस खाता और मेरा लोहू पीता है, वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में।
Joh 6:57  जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूं वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा।
Joh 6:58 जो रोटी स्‍वर्ग से उतरी यही है, बापदादों के समान नहीं कि खाया, और मर गए: जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा।
Joh 6:59  ये बातें उस ने कफरनहूम के एक आराधनालय में उपदेश देते समय कहीं।
Joh 6:60  इसलिये उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, कि यह बात नागवार है; इसे कौन सुन सकता है?
Joh 6:61 यीशु ने अपने मन में यह जान कर कि मेरे चेले आपस में इस बात पर कुड़कुड़ाते हैं, उन से पूछा, क्‍या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है?
Joh 6:62 और यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहां वह पहिले था, वहां ऊपर जाते देखोगे, तो क्‍या होगा?
Joh 6:63  आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।
Joh 6:64 परन्‍तु तुम में से कितने ऐसे हैं जो विश्वास नहीं करते: क्‍योंकि यीशु तो पहिले ही से जानता था कि जो विश्वास नहीं करते, वे कौन हैं और कौन मुझे पकड़वाएगा।
Joh 6:65  और उस ने कहा, इसी लिये मैं ने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर यह वरदान न दिया जाए तक तक वह मेरे पास नहीं आ सकता।
Joh 6:66  इस पर उसके चेलों में से बहुतेरे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले।
Joh 6:67 तब यीशु ने उन बारहों से कहा, क्‍या तुम भी चले जाना चाहते हो?
Joh 6:68 शमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि "हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं"।
Joh 6:69  और हम ने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।


एक साल में बाइबल: 

  • गिनती १-३ 
  • मरकुस ३

सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

निष्क्रीय?

   अपनी कार को बाज़ार में, सड़क के किनारे या कार खड़ी करने के स्थानों पर ठीक से खड़ी करना मेरे लिए समस्या रही है। मुझे कार चलाना सिखाने वाले शिक्षक के लिए कार खड़ी करना सिखाना कोई महत्वपुर्ण बात नहीं थी, इसलिए किसी तंग स्थान पर गाड़ी लगाना मैं कई साल तक नहीं सीख पाई; अभी भी जब तक दो या तीन गाड़ियों के लायक स्थान ना हो मैं अपनी गाड़ी नहीं खड़ी कर सकती। गाड़ी ठीक से खड़ी करने के लिए धैर्य रखना मुझे बहुत विचलित करता है।

   एक और बात है जिसे समझना मेरे लिए कठिन रहा और जिसने मुझे विचलित किया है; इसे मैंने तब सुना था जब मैं मसीही विश्वास में नई ही थी। किसी ने कहा था: "परमेश्वर एक स्थिर खड़ी गाड़ी को दिशा देकर आगे नहीं बढ़ा सकता।" कहने वाले का तात्पर्य था कि जब तक हम सचल या सक्रीय नहीं होंगे परमेश्वर भी हमें सही दिशा में ले जाने नहीं पाएगा। मैंने इसे अपने जीवन के लिए चुनौती के रूप में लिया, और निर्णय लिया कि मैं कार्यशील रहूंगी और मेरे सचल या सक्रीय होने से ही परमेश्वर मुझे आगे बढ़ने की सही दिशा देगा। अब, मसीही विश्वास में कुछ परिपक्व हो जाने के बाद मैं जानती हूँ कि यह एक रोचक विचार तो हो सकता है, किंतु परमेश्वर हमेशा इसी के अनुसार कार्य नहीं करता। कभी कभी हमारे जीवनों में परमेश्वर हमें कुछ समय तक एक स्थान पर स्थिर खड़े रहने देना चाहता है।

   जब मूसा इस्त्राएलियों को मिस्त्र से लेकर कनान देश की ओर जा रहा था तो कई बार परमेश्वर ने इस्त्राएलियों को एक ही स्थान पर पड़ाव डालकर रखा। परमेश्वर आग और बादल के खंबे में उनके आगे आगे रहता था और उन्हें मार्ग तथा दिशा दिखाता था। जब जब वह बादल उठता और खंबा आगे की ओर बढ़ता तो इस्त्राएली भी पड़ाव उठाकर उसके पीछे चलते थे; जब वह स्थिर रहता था तो इस्त्राएली भी पड़ाव डाले रहते थे (गिनती ९:१५-२३)। प्रतीक्षा करना आसान नहीं होता, किंतु कई बार परमेश्वर चाहता है कि जिस जगह उसने हमें रखा है हम वहीं बने रहें। भजनकार ने लिखा: "यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बान्ध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हां, यहोवा ही की बाट जोहता रह!" (भजन २७:१४)।

   हो सकता है कि आप को लगे कि आप कहीं पर व्यर्थ ही निष्क्रीय पड़े हैं और अपना समय और सामर्थ बेकार कर रहे हैं। धैर्य का पाठ महत्वपूर्ण है, उसे धैर्य ही से सीखा जाता है और परमेश्वर अपने लोगों को यह पाठ भी सिखाना चाहता है जिससे वे धैर्य की परिस्थितियों में विचलित ना हों वरन उनका लाभ उठा सकें। अपने हृदय को परमेश्वर की अगुवाई के लिए खुला और तैयार रखिए। सही समय पर वह आप को आगे बढ़ने को कहेगा और तब आप सही दिशा में सही कार्य के लिए आगे बढ़ सकेंगे, परमेश्वर के लिए सही रीति से उपयोगी हो सकेंगे और जीवन में सच्ची आशीष पा सकेंगे। - सिंडी हैस कैस्पर


परमेश्वर हमारा ठहरना और चलना दोनो ही निर्धारित करता है।

मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; और उस ने मेरी ओर झुककर मेरी दोहाई सुनी। - भजन ४०:१

बाइबल पाठ: गिनती ९:१५-२३
Num 9:15  जिस दिन निवास जो साक्षी का तम्बू भी कहलाता है खड़ा किया गया, उस दिन बादल उस पर छा गया; और सन्ध्या को वह निवास पर आग सा दिखाई दिया और भोर तक दिखाई देता रहा। 
Num 9:16  और नित्य ऐसा ही हुआ करता था; अर्थात दिन को बादल छाया रहता, और रात को आग दिखाई देती थी। 
Num 9:17  और जब जब वह बादल तम्बू पर से उठ जाता तब इस्त्राएली प्रस्थान करते थे; और जिस स्थान पर बादल ठहर जाता वहीं इस्त्राएली अपने डेरे खड़े करते थे। 
Num 9:18  यहोवा की आज्ञा से इस्त्राएली कूच करते थे, और यहोवा ही की आज्ञा से वे डेरे खड़े भी करते थे; और जितने दिन तक वह बादल निवास पर ठहरा रहता उतने दिन तक वे डेरे डाले पड़े रहते थे। 
Num 9:19  और जब जब बादल बहुत दिन निवास पर छाया रहता तब इस्त्राएली यहोवा की आज्ञा मानते, और प्रस्थान नहीं करते थे। 
Num 9:20  और कभी कभी वह बादल थोड़े ही दिन तक निवास पर रहता, और तब भी वे यहोवा की आज्ञा से डेरे डाले पड़े रहते थे और फिर यहोवा की आज्ञा ही से प्रस्थान करते थे। 
Num 9:21  और कभी कभी बादल केवल सन्ध्या से भोर तक रहता; और जब वह भोर को उठ जाता था तब वे प्रस्थान करते थे, और यदि वह रात दिन बराबर रहता तो जब बादल उठ जाता तब ही वे प्रस्थान करते थे। 
Num 9:22  वह बादल चाहे दो दिन, चाहे एक महीना, चाहे वर्ष भर, जब तक निवास पर ठहरा रहता तब तक इस्त्राएली अपने डेरों में रहते और प्रस्थान नहीं करते थे; परन्तु जब वह उठ जाता तब वे प्रस्थान करते थे। 
Num 9:23  यहोवा की आज्ञा से वे अपने डेरे खड़े करते, और यहोवा ही की आज्ञा से वे प्रस्थान करते थे; जो आज्ञा यहोवा मूसा के द्वारा देता था उसको वे माना करते थे।

एक साल में बाइबल: 

  • लैव्यवस्था २६-२७
  • मरकुस २

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

जीवन के पाठ

   दूसरे विश्वयुद्ध के समय कैनडा के लोगों को युरोप में युद्ध के कारण हो रही त्रासदी से अवगत कराने तथा उसके निवारण के लिए उनके और अधिक सहयोग देने की ओर ध्यान खींचने के लिए फरवरी १९, १९४२ को कैनडा में एक विश्ष दिवस आयोजित किया गया - "अगर दिवस"। उस दिन कैनडा के मैनिटोबा प्रांत के विनिपेग शहर पर नाट्ज़ी सेनाओं के हमले और उनके द्वारा शहर को हथिया कर वहां पर उन सेनाओं द्वारा हो सकने वाले अत्याचारों का एक दिखावटी प्रदर्शन किया गया जिसके द्वारा लोगों ने जाना कि अगर नाट्ज़ी कब्ज़ा कैनडा पर होगा तो उनका क्या हाल होगा।

   जैसा एक व्यक्ति ने इसके बारे में वर्णन दिया, " इस ’अगर दिवस’ ने हमारे समक्ष नाट्ज़ी सेनाओं द्वारा कब्ज़े की वास्तविकता तो सजीव रूप में रखा। इस शहर के लोगों को नाट्ज़ी अत्याचार के हर पहलू को देखने का अनुभव मिला।" यहां मुख्य बात थी ’देखना’। यद्यपि ’अगर दिवस’ लोगों को संसार में घट रही त्रासदी से अवगत कराने का एक साहसी प्रयास था, किंतु वह उस त्रासदी का वास्तविक अनुभव उन लोगों को नहीं करवा सकता था, वह अनुभव जिस में से होकर युरोप के लोग गुज़र रहे थे।

   जीवन के पाठ ’अगर’ या संभावनाओं से नहीं, अनुभव से सीखे जाते हैं। जीवन में आने वाली परीक्षाएं "अगर" नहीं होतीं, वे वास्तविक होती हैं। जीवन के सबसे गंभीर और गहरे पाठ केवल ’देखने’ से नहीं सीखे जाते, उन्हें सीखने के लिए परिस्थितियों में से होकर गुज़रना पड़ता है, अनुभव करना पड़ता है। जब हम वास्तव में दुखः, क्लेष, कमी-घटी आदि में से होकर निकलते हैं, तब ही हम अपने जीवन, विश्वास और परमेश्वर की आवश्यक्ता के बारे में वास्तविक रुप से सीख सकते हैं। इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में लिखा: "हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है" (याकूब १:२, ३)। क्योंकि हम एक पाप से ग्रसित और टूटे संसार में रहते हैं, इसलिए नाना प्रकार की विष्म परिस्थितियों और परीक्षाओं का आना अवश्यंभावी है; उनसे बच सकना हमारे तो हाथ में नहीं है, किंतु उनसे सार्थक पाठ सीखना और उन्हें अपनी कामयाबी की सीढ़ी बनाना अवश्य ही हमारे हाथ में है।

   हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु भी संसार की हर परीक्षा में से होकर निकला, और निष्पाप निकला, इसी कारण वह हमारा उद्धारकर्ता और उद्धार के मार्ग पर हमारा अगुवा है और हमें सुरक्षित परमेश्वर के पास ला सकता है। क्योंकि जीवन के पाठ उसने अपने व्यक्तिगत अनुभव से सीखे हैं इसलिए हमारे व्यक्तिगत अनुभवों में वह हमारे प्रति संवेदनशील और हमारा सहायक रहता है। साधारण विश्वास से उस के पास आइए और उद्धार पाइए। - बिल क्राउडर


कठिन परिस्थितियां हमें परमेश्वर पर विश्वास करना सिखा सकती हैं।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है। - याकूब १:२, ३


बाइबल पाठ: इब्रानियों ४:१४-१६; ५:७-९
Heb 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायजक है, जो स्‍वर्गों से होकर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु, तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें।
Heb 4:15 क्‍योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाई परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला।
Heb 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।
Heb 5:7 उस ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्‍द से पुकार पुकारकर, और आंसू बहा बहाकर उस से जो उस को मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई।
Heb 5:8  और पुत्र होने पर भी, उस ने दुख उठा उठाकर आज्ञा माननी सीखी।
Heb 5:9  और सिद्ध बनकर, अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार का कारण हो गया।


एक साल में बाइबल: 

  • लैव्यवस्था २५ 
  • मरकुस १:२३-४५