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शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

कुछ बेहतर

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री का ११वां अध्याय विश्वास और विश्वास के योद्धाओं के अध्याय के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय के आरंभ में उन दिग्गजों का वर्णन है जिन्होंने परमेश्वर पर विश्वास के द्वारा बड़े बड़े कार्य किये और अन्त्स की ओर कुछ ऐसे दिग्गजों के नाम की सूची है जिन्होंने परमेश्वर पर अपने विश्वास के कारण बहुत क्लेषों का सामना किया। पहले भाग की सूची का आरंभ होता है आदम के दुसरे पुत्र हाबिल के नाम से, लेकिन उसकी कहानी इस भाग में दीये गए अन्य नामों से बिलकुल भिन्न है। पहले भाग में हनोक है, जो मृत्यु को देखे बिना स्वर्ग ले जाया गया। नूह हैं जिसने मानवजाति के जलप्रलय से बचाव के लिए कार्य किया। इब्राहिम है जिससे परमेश्वर के लोगों की जाति इस्त्राएल आरंभ हुई। इसहाक है जो एक प्रतिभावान प्राचीन था। युसुफ है जो मिस्त्र का प्रधानमंत्री बना। मूसा है जिसने संसार के इतिहास के सबसे बड़े दासत्व से छुटकारे और पलायन का नेतृत्व किया।

   स्पष्ट है कि इन विश्वास के दिग्गजों को अपने विश्वास का प्रतिफल मिला। विश्वास द्वारा उन्होंने वह किया जो परमेश्वर ने उन्हें कहा था, और परमेश्वर ने अपनी आशीषों को उन पर बरसाया। इन लोगों ने परमेश्वर की कही बातों को अपनी आखों से पूरी होते देखा।

   लेकिन हाबिल? उसे भी तो परमेश्वर पर विश्वास था और "विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई..." (इब्रानियों ११:४), लेकिन प्रतिफल में उसे क्या मिला? उसी के भाई ने उसका कत्ल कर दिया - यह तो उन लोगों के वर्णन के समान है जो इब्रानियों ११ के अन्त की सूची में हैं। आरंभ के भाग के लोगों के अनुभव के विपरीत, अन्त के निकट के भाग में दी गई सूची के लोगों ने पाया कि परमेश्वर पर विश्वास द्वारा तुरंत ही आशीषें और सुख-समृद्धि नहीं मिल जाती। इन लोगों ने परमेश्वर पर अपने विश्वास के कारण ठट्ठों में उड़ाए जाने, कैद में डाले जाने, कोड़े खाने, आरे से चीरे जाने आदि यातनाओं का सामना किया।

   आप कह सकते हैं, "जी बहुत धन्यवाद, लेकिन मुझे यह स्वीकार नहीं; मैं तो इब्राहिम के समान नायक बनना पसन्द करूंगा ना कि कंगाली, क्लेष और दुख भोगते हुए जीवन बिताऊं।" लेकिन परमेश्वर की योजनाओं में इस बात का कोई निश्चय नहीं है कि विश्वासी और भक्त जन को उसकी भक्ति और विश्वासयोग्यता का प्रतिफल भी तुरंत ही मिल जाएगा। इसी अध्याय में, इन्हीं लोगों के संदर्भ में लिखा है कि उन्हें कुछ बेहतर की प्रतीक्षा करनी पड़ी।

   आज भी हम मसीही विश्वासियों को अपने विश्वास और परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए हो सकता है कि कुछ ना मिले या उम्मीद से कम मिले, लेकिन परमेश्वर के अटल वचन में हम प्रतिज्ञा पाते हैं कि आते अनन्त में, उस महिमा के समय में, हमारे लिए ऐसी प्रतिज्ञाएं और प्रतिफल रखे हैं जो कि ना केवल बेहतर हैं, वरन हमारी कलपना और आशा से कहीं अधिक बढ़कर हैं: "परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं" (१ कुरिन्थियों २:९)।

   उस बेहतर के आने तक हम विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहें, परमेश्वर के लिए उपयोगी बने रहें। - डेव ब्रैनन


जो आज मसीह यीशु के लिए किया जाता है, उसका प्रतिफल अनन्त काल तक रहेगा।

...और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्‍छी गवाही दी गई, तोभी उन्‍हें प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तु न मिली। - इब्रानियों ११:३९

बाइबल पाठ: - इब्रानियों ११:४-७; ३२-४०
Heb 11:4  विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्‍योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी, और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Heb 11:5  विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला, क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Heb 11:6  और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्‍योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है, और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।
Heb 11:7  विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।
Heb 11:32  अब और क्‍या कहूँ क्‍योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33  इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं प्राप्‍त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34  आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
Heb 11:35  स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए और छुटकारा न चाहा, इसलिये कि उत्तम पुनरूत्थान के भागी हों।
Heb 11:36  कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने, और कोड़े खाने, वरन बान्‍धे जाने और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
Heb 11:37  पत्थरवाह किए गए, आरे से चीरे गए, उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
Heb 11:38   और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
Heb 11:39  संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्‍छी गवाही दी गई, तोभी उन्‍हें प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तु न मिली।
Heb 11:40  क्‍योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३२-३३ 
  • प्रेरितों १४

गुरुवार, 5 जुलाई 2012

अवकाश

   मेरे एक मित्र ने उसके चर्च के अगुवों द्वारा लिए गए अवकाश के बारे में बताया। २ दिनों के लिए चर्च के अगुवे एक एकांत स्थान पर प्रार्थना तथा आराधना करने और भविष्य में चर्च के कार्यों के लिए के लिए योजना बनाने के लिए एकत्रित हुए। मेरे मित्र का अनुभव था कि यह अवकाश का समय बहुत लाभकारी रहा और इससे सबको एक ताज़गी और स्फूर्ति मिली, जिससे चर्च के कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से करने मे बहुत सहायता मिलेगी।

   मुझे यह बहुत रोचक लगा - कार्य करने के लिए कार्य से अवकाश लेना। किंतु यह एक सही सिद्धांत है। कई बार पीछे हट कर पुनः संगठित होना प्रभावपूर्ण रीति से कार्यकारी होने के लिए आवश्यक हो जाता है। यह परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में और भी अधिक महत्व रखता है।

   स्वयं प्रभु यीशु ने इस सिद्धांत का अनुसरण किया। गलील के सागर के इलाके में एक व्यस्त दिन के अन्त में वे अवकाश के समय लिए एकांत में चले गए: "वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था" (मत्ती १४:२३)। समय निकाल कर एकांत में परमेश्वर के साथ प्रार्थना में समय बिताना प्रभु यीशु के जीवन का एक महत्वपुर्ण भाग था: "और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठ कर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा" (मरकुस १:३५); "और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई" (लूका ६:१२)।

   इस अति व्यस्त और एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे संसार में, इस होड़ में शामिल हो कर अपने आप को थका लेना कोई कठिन बात नहीं है, यह अनायास ही हो जाता है। मसीही विश्वासियों को परमेश्वर के लिए प्रभावी होने के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में भी आना आवश्यक है। जब तक हम संसार की भाग-दौड़ से अवकाश लेकर परमेश्वर की उपस्थिति में शांत हो कर नहीं बैठेंगे, परमेश्वर से सामर्थ और मार्गदर्शन नहीं पा सकेंगे।

   अवकाश ले कर परमेश्वर की उपस्थिति में आने के द्वारा ही सामर्थी हो कर आगे बढ़ने की कुंजी है। अवकाश लेकर प्रभु की उपस्थिति में आइए और सामर्थ पाकर आगे बढ़िए। - बिल क्राउडर


पिता परमेश्वर के साथ एकांत का स्थान ही वह एकमात्र स्थान है जहां से आगे बढ़ने की सामर्थ मिलती है।

वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था। - मत्ती १४:२३

बाइबल पाठ: - मत्ती १४:१३-२३
Mat 14:13  जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़ कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्‍त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए।
Mat 14:14  उस ने निकल कर बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया, और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया।
Mat 14:15  जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्‍तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।
Mat 14:16  यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्‍हें खाने को दो।
Mat 14:17  उन्‍होंने उस से कहा यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयों को छोड़ और कुछ नहीं है।
Mat 14:18   उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ।
Mat 14:19  तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया, और स्‍वर्ग की ओर देख कर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को।
Mat 14:20  और सब खाकर तृप्‍त हो गए, और उन्‍होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाई।
Mat 14:21  और खाने वाले स्‍त्रियों और बालकों को छोड़ कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे।
Mat 14:22  और उस ने तुरन्‍त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
Mat 14:23  वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३०-३१ 
  • प्रेरितों १३:२६-५२

बुधवार, 4 जुलाई 2012

सच्ची स्वतंत्रता

   उत्तरी अमेरिका के १३ उपनिवेशों ने सन १७७६ में इंगलैंड के राजा द्वारा उन पर लगाई गई सीमाओं और बन्धनों का विरोध किया और विरोध का संघर्ष आरंभ किया। इस संघर्ष ने एक नए गण्तंत्र को जन्म दिया और इस नवजात राष्ट्र - अमेरिका के लोगों ने शीघ्र ही एक घोषणा पत्र अपनाया जो आज स्वतंत्रता की घोषणा के द्स्तावेज़ के रूप में जाना जाता है।

   लगभग २००० वर्ष पहले, प्रभु यीशु ने क्रूस पर से पुकारा "पूरा हुआ", यह उस पर विश्वास करने वालों के लिए स्वतंत्रता का एलान था। समस्त मानव जाति पाप के दासत्व और अत्याचार के आधीन है, उसके दुषप्रभावों से त्रस्त है। किंतु निष्पाप और निष्कलंक प्रभु यीशु ने हमारे पाप और उनका दण्ड अपने ऊपर ले लिया और क्रूस पर हमारी संति बलिदान हो गए। परमेश्वर की धार्मिकता की मांगों को पूरा करके, तीसरे दिन मृतकों में से पुनः जीवित हो कर प्रभु यिशु ने समस्त मानव जाति के सभी लोगों के लिए पाप से स्वतंत्रता और उद्धार का मार्ग खोल दिया है। अब जो कोई साधारण विश्वास के साथ उसे ग्रहण कर लेता है, उस पर अपना विश्वास ले आता है और उससे पापों की क्षमा मांग लेता है, वह पाप के दासत्व से अनन्त काल के लिए स्वतंत्र हो जाता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा "मसीह ने जो हमारे लिये श्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के श्राप से छुड़ाया क्‍योंकि लिखा है, जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह श्रापित है। यह इसलिये हुआ, कि इब्राहिम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पंहुचे, और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्‍त करें, जिस की प्रतिज्ञा हुई है" (गलतियों ३:१३-१४)। रोमियों ८ में वह हमें आश्वस्त करता है "सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्‍ड की आज्ञा नहीं: क्‍योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया" (रोमियों ८:१-२)। इस कारण वह गलतियों ५ में विश्वासियों से याचना करता है कि "मसीह ने स्‍वतंत्रता के लिये हमें स्‍वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्‍व के जूए में फिर से न जुतो" (गलतियों ५:१)।

   हम अपने देश में हमें मिली स्वतंत्रता के लिए परमेश्वर के धन्यवादी हैं। लेकिन मसीही विश्वासियों को इससे भी बढ़कर परमेश्वर के धन्यवादी रहना चाहिए उस अनन्त काल की स्वतंत्रता के लिए जो उन्हें पाप के अत्याचार और दासत्व से मसीह यीशु में हो कर मिली है, और जिसे अब कोई उनसे किसी प्रकार छीन नहीं सकता। - रिचर्ड डी हॉन


हमारी सबसे बड़ी स्वतंत्रता पाप से स्वतंत्रता है।

मसीह ने स्‍वतंत्रता के लिये हमें स्‍वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्‍व के जूए में फिर से न जुतो। - गलतियों ५:१

बाइबल पाठ: - गलतियों ४:१-७
Gal 4:1  मैं यह कहता हूं, कि वारिस जब तक बालक है, यद्यपि सब वस्‍तुओं का स्‍वामी है, तौभी उस में और दास में कुछ भेद नहीं।
Gal 4:2  परन्‍तु पिता के ठहराए हुए समय तक रक्षकों और भण्‍डारियों के वश में रहता है।
Gal 4:3   वैसे ही हम भी, जब बालक थे, तो संसार की आदि शिक्षा के वश में होकर दास बने हुए थे।
Gal 4:4  परन्‍तु जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्त्री से जन्मा, और व्यवस्था के आधीन उत्‍पन्न हुआ।
Gal 4:5  ताकि व्यवस्था के आधीनों को मोल लेकर छुड़ा ले, और हम को लेपालक होने का पद मिले।
Gal 4:6  और तुम जो पुत्र हो, इसलिये परमेश्वर ने अपने पुत्र के आत्मा को, जो हे अब्‍बा, हे पिता कहकर पुकारता है, हमारे हृदय में भेजा है।
Gal 4:7  इसलिये तू अब दास नहीं, परन्‍तु पुत्र है; और जब पुत्र हुआ, तो परमेश्वर के द्वारा वारिस भी हुआ।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब २८-२९ 
  • प्रेरितों १३:१-२५

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

धीरज


   बचपन की मेरी यादों में से एक है अपने घर के आंगन में लगे बगीचे में घूमते घोंघों को निहारना। मैं इस छोटे से जीव से मन्त्रमुग्ध सा रहता था - उसका कठोर खोल, लिसलिसा शरीर और छोटी छोटी आंखें जो दूर्बीन के समान इधर-उधर घूमती थीं मुझे विस्मित करती रहती थीं; लेकिन जो बात सबसे अधिक विस्मित करती थी वह थी घोंघे की धीमी चाल।

   घोंघे के चलने की गति क्या होती है? एक परीक्षण में यह गति ०.००७५८ मील प्रति घंटा, अर्थात ४० फुट प्रति घंटा आंकी गई। कोई आश्चर्य नहीं कि हम धीमी चाल वालों को "घोंघे की गति से चलने वाला" कहते हैं।

   घोंघा चाहे बहुत धीमी गति से चलता हो, लेकिन उस में एक गुण है - धीरज। चार्ल्स स्परजन, जो १९वीं सदी के महान प्रचारकों में से थे, ने कहा "अपने धीरज के द्वारा ही घोंघा भी नूह के जहाज़ में आ गया।"

   परमेश्वर के वचन बाइब्ल में प्रेरित पौलुस ने सिखाया कि धीरज ही चरित्र निर्माण का आधार है। रोमियों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्होंने लिखा, "केवल यही नहीं, वरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज, और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है" (रोमियों ५:३-४)। मूल यूनानी भाषा में प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद "धीरज" किया गया है उस के अर्थ में "दृढ़ता के साथ स्थिर रहना, विचिलित होकर बदलने वाला नहीं वरन लगातार एक समान बने रहने वाला और सहनशक्ति रखने वाला" भी सम्मिलित थे। यह शब्द उन मसीही विश्वासियों के लिए प्रयुक्त हुआ था जो अनेक कठिन और क्लेशपूर्ण परीक्षाओं के बावजूद मसीही विश्वास में स्थिर बने रहे थे।

   क्या मसीही विश्वास के जीवन में आने वाली बाधाओं और असफलताओं ने आपको निराश कर दिया है, घोंघे के समान धीमा कर दिया है? घोंघे से ही धीरज और लगे रहने का सबक लीजिए। परमेश्वर को आपकी गति नहीं आपकी विश्वासयोग्यता चाहिए। 

   धीरज के साथ परमेश्वर के कार्य में लगे रहिए। - डेनिस फिशर


महान उपलब्धियों के लिए बड़े धीरज की आवश्यक्ता होती है।

केवल यही नहीं, वरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज, और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है। - रोमियों ५:३-४

बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-५
Rom 5:1  सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। 
Rom 5:2  जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्‍ड करें। 
Rom 5:3  केवल यही नहीं, वरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज। 
Rom 5:4  ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है। 
Rom 5:5  और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्‍योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।

एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब २५-२७ 
  • प्रेरितों १२

सोमवार, 2 जुलाई 2012

यथार्थ में

   हैन्स गैईगर, मैरी क्यूरी, रुडोल्फ डीज़ल, सैम्युल मोर्स, लुई ब्रेल इन सभी नामों के साथ एक बात सामन्य है - इन सभी ने कुछ न कुछ ऐसा महत्वपूर्ण अविष्कार किया जो आज उनके नाम से जाना जाता है। ये सभी नाम, अन्य कई नामों के साथ Encyclopedia Britanica द्वारा बनाई गई ३२५ महानत्म अविष्कारों की सूची में हैं जिन्होंने मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है।

   हम जो मसीही विश्वासी हैं वे भी अपने उद्धारकर्ता प्रभु के नाम को धारण किए रहते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका ने लिखा "...और चेले सब से पहिले अन्‍ताकिया ही में मसीही कहलाए" (प्रेरितों ११:२६)। बाद में पतरस ने आरंभिक मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में लिखा "पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे" (१ पतरस ४:१६)। प्रभु यीशु मसीह के चेलों के लिए अपमान और तिरिस्कार के भाव में प्रयुक्त शब्द "मसीही" को चेलों ने आदर के साथ अपना लिया और यह शब्द उनके अपने उद्धारकर्ता प्रभु के प्रति समर्पण का सूचक बन गया।

   औकलैण्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक ई. एम. ब्लेकलौक ने लिखा कि प्रथम शताब्दी में "मसीही" शब्द एक उचित अर्थ था; उन्होंने कहा, "इस शब्द में यथार्थ था, क्योंकि यह एक व्यक्ति अर्थात प्रभु यीशु मसीह के प्रति वफादारी, उसे समर्पित होना दिखाता था। आज भी इस शब्द का वास्तविक प्रयोग इसी बात को दिखाने के लिए होना चाहिए। मसीही वही है जो प्रभु यीशु मसीह के प्रभुत्व को अपने जीवन के प्रत्येक पहलू में उसकी पूरी गंभीरता और सभी अर्थों में स्वीकार करता है।"

   यथार्थ में मसीह यीशु के अनुयायी वही हैं जो उसके नाम को अपने व्यक्तिगत उद्धारकर्ता, प्रभु और मित्र के रूप में ग्रहण करते हैं, स्वीकार करते हैं और उसे जी कर दिखाते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


केवल नाम ही के मसीही न बने; यथार्थ में मसीही विश्वासी बनें।

...और चेले सब से पहिले अन्‍ताकिया ही में मसीही कहलाए। - प्रेरितों ११:२६

बाइबल पाठ: - प्रेरितों ११:१९-२६
Act 11:19  सो जो लोग उस क्‍लेश के मारे जो स्‍तिफनुस के कारण पड़ा था, तित्तर बित्तर हो गए थे, वे फिरते फिरते फीनीके और कुप्रुस और अन्‍ताकिया में पहुंचे परन्‍तु यहूदियों को छोड़ किसी और को वचन न सुनाते थे।
Act 11:20  परन्‍तु उन में से कितने कुप्रुसी और कुरेनी थे, जो अन्‍ताकिया में आकर युनानियों को भी प्रभु यीशु का सुसमचार की बातें सुनाने लगे।
Act 11:21  और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे।
Act 11:22  तब उन की चर्चा यरूशलेम की कलीसिया के सुनने में आई, और उन्‍होंने बरनबास को अन्‍ताकिया भेजा।
Act 11:23  वह वहां पहुंचकर, और परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर आनन्‍दित हुआ, और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहो।
Act 11:24  क्‍योंकि वह एक भला मनुष्य था और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था : और और बहुत से लोग प्रभु में आ मिले।
Act 11:25  तब वह शाऊल को ढूंढने के लिये तरसुस को चला गया।
Act 11:26  और जब उस से मिला तो उसे अन्‍ताकिया में लाया, और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत लोगों को उपदेश देते रहे, और चेले सब से पहिले अन्‍ताकिया ही में मसीही कहलाए।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब २२-२४ 
  • प्रेरितों ११

रविवार, 1 जुलाई 2012

समाधान

   दोपहर के भोजन के समय मैं एक पेड़ की छाया में अपनी कार में बैठा कुछ बातों के लिए चिंतित तथा विचारमगन था। तभी एक चिड़िया अपनी चोंच में अपना चारा भरे हुए मेरी कार पर आ बैठी और मुझे देखने लगी। शायद यह परमेश्वर की ओर से मेरे लिए संदेश था। मुझे तुरंत प्रभु यीशु द्वारा में कहे गए शब्द स्मरण हो आए: "इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?" (मत्ती ६:२५-२६)

   बहुत वर्ष पहले डेन्वर सेमिनरी की पत्रिका Focal Point में चिंता करने वालों के लिए लिखे अपने लेख में पौल बोर्डन ने कुछ अच्छे सुझाव दिए थे। उन्होंने लिखा कि चिंता करने वालों को:
   (१) चिंता के विषयों की सूची बना लेनी चाहिए - जिन भी बातों के लिए वे चिंतित रहते हैं, चाहे वह खर्चे, नौकरी, परिवार, स्वास्थ्य, भविषय या अन्य कोई भी बात हो, उसे लिख कर एक सूची बना लें।

   (२) चिंता के विषयों की अपनी इस सूची को प्रार्थना के विषय की सूची में परिवर्तित कर लें - परमेश्वर के सामने अपनी सभी चिंताएं रखें और प्रार्थना करें कि वह आपके लिए कुछ करे, कोई मार्ग दे, कहीं से कोई सहायता भेजे; और उसके उपाय के लिए उस पर अपना विश्वास बनाए रखें।

   (३) प्रार्थना की इस सूची को कार्य की सूची बना लें - प्रार्थनाओं के बाद अपनी चिंताओं के निवारण के लिए यदि आपको कोई मार्ग सूझ पड़ता है तो उसके अनुसार कार्य करें, उसे विचार को व्यावाहरिक करें और चिंता का निवारण करें।

   बोरडन ने आगे लिखा कि जब हम अपनी परेशानियों को प्रार्थना में और प्रार्थनाओं को कार्यों में परिवर्तित करने लगेंगे तो हमें निष्क्रीय कर देने वाली चिंताएं जीवन की ज़िम्मेदारियों को निभाने वाले कार्यों में परिवर्तित हो जाएंगी।

   क्यों ना आज ही से इस समाधान को जीवन में लागू किया जाए? - ऐनी सेटास


जिसे आपने प्रार्थना का विषय बना लिया है, उसे चिंता का विषय बना कर ना रखें।

सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है। - मत्ती ६:३४

बाइबल पाठ: - मत्ती ६:२५-३४
Mat 6:25  इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
Mat 6:26  आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
Mat 6:27  तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Mat 6:28  और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Mat 6:29  तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Mat 6:30  इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
Mat 6:31  इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
Mat 6:32  क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिए।
Mat 6:33  इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
Mat 6:34  सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब २०-२१ 
  • प्रेरितों १०:२४-४८

शनिवार, 30 जून 2012

बचाए गए

   दक्षिणी अफ्रीका के अखबार The Cape Times में छपी एक खबर के अनुसार एक दक्षिणी अफ्रीकी आदमी ने अचानक आकर उसका घर लूटने आए हुए ९ चोरों को चकित कर दिया और उन में से ७ भाग खड़े हुए, लेकिन शेष दो को घर के मालिक ने अपने घर के पिछवाड़े में बने स्विमिंग पूल में धकेल दिया। यह देख कर कि उन में से एक चोर को तैरना नहीं आता, घर मालिक का मालिक स्विमिंग पूल में कूदा और उसे डूबने से बचा लिया। स्विमिंग पूल से बाहर निकलने पर उस चोर ने अपने बाकी साथियों को आवाज़ लगाई और अपने बचाने वाले पर चाकू लगाकर उसे धमकाने लगा। घर के मालिक ने बताया, "क्योंकि हम उस समय पूल के किनारे ही खड़े थे, इसलिए मैं ने उसे फिर से पूल में धक्का दे दिया। लेकिन फिर से उसे डूबने से बचने के लिए फड़फड़ाता देख मुझ से रहा नहीं गया और मैं ने पानी में कूद कर फिर से उसे बचा लिया।"

   परमेश्वर के वचन में कुलुस्सियों के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस प्रेरित एक और बचाए जाने का वर्णन करता है: कैसे पिता परमेश्वर ने उन विश्वासियों को अंधकार के राज्य से छुड़ा लिया। इस बात के लिए पौलुस लिखता है कि: "पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में संभागी हों। उसी ने हमें अन्‍धकार के वश से छुड़ा कर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया" (कुलुस्सियों १:१२-१३); अर्थात मसीही विश्वासी शैतान के राज्य से छुड़ाए जाकर, अन्धकार की शक्तियों से स्वतंत्र होकर, मसीह यीशु के शांति के राज्य में स्वतंत्रता से रहने के लिए लाए गए हैं। प्रभु यीशु की मृत्यु और पुनरूत्थान के द्वारा मसीही विश्वासी ज्योति के राज्य के स्वतंत्र नागरिक बन गए।

   ऐसे अद्भुत अनुग्रह के लिए परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ रहने के संबंध में इब्रानियों का लेखक लिखता है: "इस कारण हम इस राज्य को पाकर जो हिलने का नहीं, उस अनुग्रह को हाथ से न जाने दें, जिस के द्वारा हम भक्ति, और भय सहित, परमेश्वर की ऐसी आराधना कर सकते हैं जिस से वह प्रसन्न होता है" (इब्रानियों १२:२८)।

   हम जो पाप और अनन्त अन्धकार के साम्राज्य से परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा बचाए गए हैं, हमारा कर्तव्य है कि हम सदा भय और भक्ति सहित परमेश्वर को ग्रहण योग्य आराधना और सेवकाई अर्पित करते रहें। - मार्विन विलियम्स


क्रूस के द्वारा प्रभु यीशु ने उपद्रवी और बैरियों को बचाया और स्वतंत्र किया, पाप के दण्ड से उनका उद्धार किया।

उसी ने हमें अन्‍धकार के वश से छुड़ा कर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। - कुलुस्सियों १:१३

बाइबल पाठ: - कुलुस्सियों १:१२-२३
Col 1:12  और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में संभागी हों।
Col 1:13  उसी ने हमें अन्‍धकार के वश से छुड़ा कर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
Col 1:14  जिस से हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्‍त होती है।
Col 1:15  वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
Col 1:16  क्‍योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्‍वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्‍या सिंहासन, क्‍या प्रभुतांए, क्‍या प्रधानताएं, क्‍या अधिकार, सारी वस्‍तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
Col 1:17  और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्‍तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
Col 1:18  और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
Col 1:19  क्‍योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।
Col 1:20  और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप करके, सब वस्‍तुओं को उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्‍वर्ग में की।
Col 1:21  और उस ने अब उसकी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा भी मेल कर लिया जो पहिले निकाले हुए थे और बुरे कामों के कारण मन से बैरी थे।
Col 1:22  ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र और निष्‍कलंक, और निर्दोष बनाकर उपस्थित करे।
Col 1:23  यदि तुम विश्वास की नेव पर दृढ़ बने रहो, और उस सुसमाचार की आशा को जिसे तुम ने सुना है न छोड़ो, जिस का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्‍टि में किया गया? और जिस का मैं पौलुस सेवक बना।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब १७-१९ 
  • प्रेरितों १०:१-२३