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सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

दीन और ऊँचा


   उत्तरी अमेरिका के प्रशांत महासागर के तट के पास उगने वाले रेडवुड वृक्ष संसार के सबसे बड़े वृक्षों में से हैं। इनमें जो सबसे ऊँचा नापा गया पेड़ है, उसकी उँचाई धरती से ३७९ फुट ऊपर है। कैलिफोर्निया राज्य के मुयिर राष्ट्रीय उद्यान में इन विशाल वृक्षों के बीच खड़ा होकर मुझे बहुत विसमय हुआ; मेरे लिए यह एक अभिभूत कर देने वाला अनुभव था। ३० मंज़िली इमारत के समान ऊँचाई वाले ये वृक्ष मानो मुझे धरती से जोड़ रहे थे और मेरे विचारों को ऊँचाईयों की ओर ले जा रहे थे।

   इन विशाल वृक्षों की जड़ के पास खड़े होकर जो मैंने अनुभव किया था, उसका स्मरण मुझे उनके आरंभ के बारे में सोचने को बार बार बाध्य करता है। मानव जाति के इतिहास के समान इन विशाल वृक्षों का आरंभ भी उसी सृष्टिकर्ता के साथ जुड़ा है जो अपनी सृष्टि से असीम और अनन्त रूप में महान तथा विशाल है।

   इस सृष्टिकर्ता परमेश्वर की एक झलक यशायाह भविष्यद्वक्ता ने एक दर्शन में देखी। इस दर्शन में यशायाह ने मसीह के राज्य और नई धरती तथा नए स्वर्ग को देखा जहां आकाश परमेश्वर का सिंहासन और पृथ्वी उसके पांव तले की चौकी है (यशायाह ६६:१)। यशायाह ने दर्शन में इससे भी अधिक अचरज की बात देखी - एक ऐसा परमेश्वर जो चाहता है कि उसकी प्रजा उसकी सृष्टि में सदा हर्षित और मगन रहे (यशायाह ६५:१८) और वह उन लोगों की ओर ध्यान लगाए रखता है जो खेदित मन रखते हैं और उसके वचन का भय मानते हैं (यशायाह ६६:२)।

   यही परमेश्वर संसार को पापों से मुक्ति देने के लिए संसार में प्रभु यीशु के रूप में एक साधारण मनुष्य के समान आया; ऐसा मनुष्य "जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है। कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है" (फिलिप्पियों २:५-११)। आज जो अपने आप को उसके सामने दीन कर देता है, उसे वह सदा काल के लिए स्वर्ग की ऊँचाईयों तक उठा देता है। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर की सृष्टि उसे समर्पण और उसकी आराधना के लिए प्ररित करती है।

...क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे। - यशायाह ६५:२२

बाइबल पाठ: यशायाह ६५:१७-६६:२
Isa 65:17  क्योंकि देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करने पर हूं, और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी। 
Isa 65:18  इसलिये जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हषिर्त हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा। 
Isa 65:19  मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हषिर्त हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा। 
Isa 65:20  उस में फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिस ने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरने वाला है वह सौ वर्ष का होकर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का होकर श्रापित ठहरेगा। 
Isa 65:21  वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे। 
Isa 65:22  ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएं और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे। 
Isa 65:23  उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिये उत्पन्न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बालबच्चे उन से अलग न होंगे। 
Isa 65:24  उनके पुकारने से पहिले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा। 
Isa 65:25  भेडिय़ा और मेम्ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल की नाईं भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दु:ख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।
Isa 66:1  यहोवा यों कहता है, आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा? 
Isa 66:2  यहोवा की यह वाणी है, ये सब वस्तुएं मेरे ही हाथ की बनाई हुई हैं, सो ये सब मेरी ही हैं। परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूंगा जो दीन और खेदित मन का हो, और मेरा वचन सुनकर थरथराता हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ६५-६६ 
  • १ तिमुथियुस २

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

सुरक्षित स्थान


   कुछ घरों में मकान-मालिक ऐसे सुरक्षित कमरे बनवाते हैं जहां वे किसी विपदा या हमले के समय में छुप कर सुरक्षित रह सकें। परमेश्वर के वचन बाइबल के नीतिवचन १८:१० में राजा सुलेमान परमेश्वर की प्रजा से कहता है कि परमेश्वर का नाम उनका सुरक्षित स्थान है जहां वे समपूर्ण सुरक्षा पा सकते हैं।

   नीतिवचन १८:१०-११ में वह दो प्रकार की सुरक्षा के बारे में बताता है जिनकी शरण लेने के लिए लोग जाते हैं: एक, परमेश्वर का नाम और दुसरा, धन-संपदा। यहां परमेश्वर के नाम को एक दृढ़ गढ़ कहा गया है। जैसे किसी हमले में पराजय का सामना कर रहे लोग अपनी सुरक्षा के लिए एक दृढ़ दुर्ग में शरण ले लेते थे, वैसे ही धर्मी जन परमेश्वर की शरण में समपूर्ण सुरक्षा प्राप्त कर सकता है।

   दूसरी ओर धनवान लोग अपनी धन-संपदा को ही अपनी सुरक्षा का साधन मानते हैं। राजा सुलेमान ने समझाया कि धन-संपदा में सुरक्षा का आभास तो हो सकता है, लेकिन वह सुरक्षा स्थाई और विश्वासयोग्य नहीं है। ऐसी सुरक्षा मिथिया है क्योंकि सांसारिक धन में भरोसे से आलस, घमण्ड और अन्ततः विनाश आता है। लेकिन जो नम्र होते हैं वे परमेश्वर के कभी ना बदलने वाले नाम और चरित्र में, उसे समर्पण के द्वारा, वास्तविक और स्थाई सुरक्षा पा लेते हैं।

   हो सकता है कि आपने अपनी सुरक्षा का स्थान ’धन-संपदा’ को नहीं वरन किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति को बना रखा हो। किंतु यदि परमेश्वर आपका सुरक्षित स्थान नहीं है, तो वह अन्य कोई या कुछ भी हो, समपूर्ण सुरक्षा का स्थान नहीं है। हमें प्रतिदिन और हर बात में परमेश्वर पर निर्भर रहने और उसमें अपनी सुरक्षा को पहचानने की आवश्यक्ता है। 

   सबसे सुरक्षित पर ही भरोसा कीजिए; ना जाने कब, कौन सी बात या परिस्थिति, आपके सुरक्षा-स्थान की विश्वासयोग्यता को परख ले! - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर का नाम हमारा दृढ़ गढ़ है।

यहोवा का नाम दृढ़ कोट है; धर्मी उस में भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है। - नीतिवचन १८:१०

बाइबल पाठ: नीतिवचन १८:९-१२
Pro 18:9  जो काम में आलस करता है, वह खोने वाले का भाई ठहरता है। 
Pro 18:10  यहोवा का नाम दृढ़ कोट है; धर्मी उस में भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है। 
Pro 18:11  धनी का धन उसकी दृष्टि में गढ़ वाला नगर, और ऊंचे पर बनी हुई शहरपनाह है। 
Pro 18:12  नाश होने से पहिले मनुष्य के मन में घमण्ड, और महिमा पाने से पहिले नम्रता होती है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ६२-६४ 
  • १ तिमुथियुस १

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

उचित शब्द


   अपने बचपन में मैंने एक बड़ा शब्द सीखा जिसका उच्चारण भी कठिन था; शब्द था "antidisestablishmentarianism" इसे बोलने में भी मेहनत करनी पड़ती थी। ना मैं और ना मेरे स्कूल के मित्र जानते थे कि इसका अर्थ क्या है, किंतु इस बड़े से शब्द के बोलने से मैं बहुत ज्ञानवान प्रतीत होता था। अभी हाल ही में मैंने शब्दकोष में इस शब्द का अर्थ देखा; अर्थ था: "एक ऐसा राजनैतिक सिद्धांत जो किसी स्थापित चर्च को मिली उसकी सरकारी मान्यता को रद्द करने का विरोध करे" - जैसा कठिन शब्द वैसा ही कठिन उसका अर्थ!

   जब पौलुस प्रेरित ने मसीही सेवकाई में अपने आप को समर्पित किया तब वह अपने समय के सबसे अधिक पढ़े-लिखे और ज्ञानवान लोगों में से था और परमेश्वर के वचन की गहन शिक्षा प्राप्त व्यक्ति था। लेकिन अपनी मसीही सेवकाई में वह अपने ज्ञान के द्वारा लोगों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करता था। उसने कुरिन्थुस के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उनसे कहा: "और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया" (१ कुरिन्थियों २:१)। पौलुस द्वारा प्रयुक्त जिस युनानी भाषा के शब्द का अनुवाद "वचन या ज्ञान की उत्तमता" हुआ है उसका तात्पर्य बड़े-बड़े और जटिल शब्दों के प्रयोग से है; अर्थात ऐसे शब्दों का प्रयोग जिनसे श्रोता सीखते तो कम ही हैं किंतु वक्ता और उस के ’ज्ञान’ की महिमा अधिक होती है। पौलुस एक महान पंडित और शास्त्री था जो परमेश्वर के गहन रहस्यों को जानता था, लेकिन अपनी इस महानता जताने के लिए उसने भाषा और अपने ज्ञान का दुरुपयोग कभी नहीं किया।

   हम सभी मसीही विश्वासियों को इस बात का ध्यान रखना है कि जैसे जैसे हम परमेश्वर की निकटता और ज्ञान में बढ़ें, हम भी पौलुस के उदाहरण का अनुसरण करें और केवल अपना ज्ञान लोगों पर प्रगट करने के लिए ही शब्दों का अनुचित प्रयोग ना करें; वरन उचित शब्द प्रयोग करके जिन्हें लोग सरलता से समझ सकें, लोगों को परमेश्वर की निकटता में आने और बढ़ने के लिए उभारने और प्रोत्साहित करने वाले बनें। - डेनिस फिशर


हमारी समझ-बूझ केवल हमारे शब्दों की जानकारी ही से नहीं वरन उन्हें उचित रीति से प्रयोग करने के द्वारा प्रगट होती है।

और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। - १ कुरिन्थियों २:१

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:१-९
1Co 2:1   और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। 
1Co 2:2  क्‍योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं। 
1Co 2:3   और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा। 
1Co 2:4  और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं, परन्‍तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था। 
1Co 2:5  इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1Co 2:6  फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्‍तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं। 
1Co 2:7  परन्‍तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। 
1Co 2:8  जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। 
1Co 2:9  परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५९-६१ 
  • २ थिस्सलुनीकियों ३

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

जमाखोर या उदार?


   अगस्त १९१४ में जब ब्रिटेन प्रथम विश्वयुद्ध में प्रवेश हुआ तो प्रसिद्ध मसीही प्रचारक ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ४० वर्ष के थे, उनके साथ उनकी पत्नि और १ वर्षीय पुत्री भी थी। ब्रिटेन के युद्ध में जाने के कुछ ही दिनों में प्रतिदिन ३०,००० लोग तक सेना में भर्ती होने लगे, नागरिकों से कहा गया कि वे अपनी गाड़ियां तथा घोड़े सरकार को बेच दें, और फिर कुछ दिन पश्चात युद्ध में घायल तथा मृतकों की सूचियां भी प्रकाशित होनी आरंभ हो गईं। राष्ट्र के सामने आर्थिक अनिश्चितता तथा अस्थिरता आ गई।

   युद्ध में जाने के एक महीने के अन्दर ही ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने मसीही विश्वासियों के सामने खड़ी आत्मिक चुनौती पर एक सन्देश दिया। उन्होंने अपने सन्देश में कहा: "हमें ध्यान देना है कि वर्तमान चुनौतियों में जब युद्ध और विनाश के कारण संसार भर में दुख आ पड़ा है, तो हम विश्वासी अपने आप को अपने ही संसार में सबसे अलग करके, परमेश्वर द्वारा हमें हमारे संगी नागरिकों और सैनिकों के लिए सेवा, देखभाल और प्रार्थना की जो ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, उसे अनदेखा ना कर दें।"

   हर युग में परमेश्वर की बुलाहट अपने लोगों के लिए स्पष्ट रहती है: "उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा" (यशायाह ५८:१०)। भय हमें, जो हमारे पास है उसे जमा करके अपने प्रयोग के लिए रख लेने को उकसाता है; परन्तु परमेश्वर में विश्वास और उसका प्रेम हमें उदार बनाकर जो हमारे पास है उसे दूसरों की सहायता के लिए उपयोग करने वाला बनाता है।

   जो परमेश्वर के प्रेम और भय में जीते हैं उनके जीवनों में जमाखोरी नहीं उदारता दिखाई देती है। संसार के इस कठिन दौर में आपकी प्रवृत्ति कैसी है - जमाखोरी की या उदारता की? - डेविड मैक्कैसलैंड


जब मसीह का प्रेम हम में बढ़ने लगता है तब वह हम में से प्रवाहित भी होने लगता है।

उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा। - यशायाह ५८:१०

बाइबल पाठ: यशायाह ५८:६-१२
Isa 58:6  जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह क्या यह नहीं, कि, अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहने वालों का जुआ तोड़ कर उनको छुड़ा लेना, और, सब जुओं को टूकड़े टूकड़े कर देना? 
Isa 58:7  क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बांट देना, अनाथ और मारे मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना, और अपने जाति-भाइयों से अपने को न छिपाना? 
Isa 58:8  तब तेरा प्रकाश पौ फटने की नाईं चमकेगा, और तू शीघ्र चंगा हो जाएगा; तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, यहोवा का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा। 
Isa 58:9  तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दोहाई देगा और वह कहेगा, मैं यहां हूं। यदि तू अन्धेर करना और उंगली मटकाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे, 
Isa 58:10  उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा। 
Isa 58:11  और यहोवा तुझे लगातार लिए चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हड्डियों को हरी भरी करेगा, और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता। 
Isa 58:12  और तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नेव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करने वाला पड़ेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५६-५८ 
  • २ थिस्सलुनीकियों २

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2012

सतत सेवार्थ


   इस श्रंखला के मूल कार्यस्थल RBC Ministries में, जो Our Daily Bread के मूल संचालक तथा प्रकाशक हैं, एक स्वयं-सेवी कार्यक्रम भी है जिस के द्वारा लोगों को अपने समय और कौशल को परमेश्वर की सेवकाई के लिए दान करने का अवसर मिलता है, और हम जो इस कार्यक्रम के संचालक हैं उन्हें अपने उद्देश्य "बाइबल के जीवन बदलने वाले ज्ञान को सभी के लिए उपलब्ध और सहज बनाना" पूरा करने में सहायता मिलती है।

   हमारे कुछ स्वयं-सेवी तो कार्य से अवकाश प्राप्त लोग हैं जो अपने बुढ़ापे की तकलीफों और मजबूरियों के बावजूद प्रतिदिन नियमित रूप से आते हैं, प्रसन्नता पूर्वक कार्य में भाग लेते हैं, ज़िम्मेदारियां पूरी करते हैं और विविध कार्यों में हाथ बंटाते हैं। इस कार्यक्रम के आरंभ होने से लेकर सन २००९ तक, ऐसे स्वयं-सेवियों ने, कुल मिलाकर १००,००० घंटों का कार्य पूरा कर लिया था। ये स्वयं-सेवी बस कार्य में लगे ही रहते हैं, उन्हें रुक जाने की इच्छा नहीं होती।

   उनका उदाहरण इस बात को स्मरण कराता है कि हमारे पार्थिव जीवन में परमेश्वर की सेवकाई कर पाने के लिए उम्र का कोई बन्धन नहीं है। परमेश्वर का वचन परमेश्वर के विश्वासियों के लिए कोई अवकाश लेने की उम्र निर्धारित नहीं करता है। पौलुस प्रेरित ने लिखा कि परमेश्वर ने अपनी मण्डली में "...कितनों को भविष्यद्वकता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। जिस से पवित्र लोग सिद्ध जो जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए" (इफिसीयों ४:११-१२)। यही हम विश्वासियों का उद्देश्य है कि मसीह की देह अर्थात उसकी मण्डली उन्नति पाए; और इस कार्य की लगन हमें सतत सेवा के लिए प्रेरित करती रहती है। - डेव ब्रैनन


जवान हों या बुज़ुर्ग, यदि आप तैयार हैं तो परमेश्वर अपनी सेवकाई में आपको उपयोगी बना सकता है।

और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्‍तु प्रभु के लिये करते हो। - कुलुस्सियों ३:२३

बाइबल पाठ:
Eph 4:7  पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है। 
Eph 4:8  इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्‍धुवाई को बान्‍ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए। 
Eph 4:9  (उसके चढ़ने से, और क्‍या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था। 
Eph 4:10  और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश के ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे)। 
Eph 4:11  और उस ने कितनों को भविष्यद्वकता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। 
Eph 4:12  जिस से पवित्र लोग सिद्ध जो जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए। 
Eph 4:13  जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५३-५५ 
  • २ थिस्सलुनीकियों १

बुधवार, 17 अक्टूबर 2012

सदा सुरक्षित

   दुकान से सामान लेकर निकलते हुए मैंने बस यूँ ही गैस से भरा एक बड़ा सा लाल गुब्बारा खरीद लिया जिस पर लिखा था "मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।" मैं अपनी खरीददारी का सामान अपनी कार में रख रही थी कि गुब्बारे के धागे पर मेरी पकड़ ढीली हो गई और वह मेरे हाथों से फिसल गया। मैं वहां खड़ी उसे ऊपर की ओर उड़ते हुए देखती रह गई; थोड़ी सी देर ही में वह एक छोटा सा बिंदु मात्र बनकर रह गया और फिर अन्ततः केवल एक याद।

   उस गुब्बारे को खो देने से मुझे याद आय कि कैसे हमारे जीवनों से प्रेम कभी कभी अनायास ही जाता रहता है। हमारे बच्चे विद्रोह करके अलग हो जाते हैं; कभी जीवन-साथी अलग हो कर अपनी अलग राह चल निकलते हैं; संबंधी और प्रीय जन दूर हो जाते हैं, अकेला छोड़ देते हैं; घनिष्ठ मित्र संपर्क में रहना छोड़ देते हैं।

   ऐसे में मैं बहुत धन्यवादी हूँ कि परमेश्वर का प्रेम सदा स्थिर बना रहता है और जब संसार के लोगों का प्रेम हमें अकेला छोड़ देता है, तो उसका प्रेम फिर भी हमारे साथ रहता है, हमें थामे रहता है। इसीलिए प्रभु यीशु ने संसार के सभी लोगों को निमंत्रण दिया है कि उसके प्रेम में बने रहें: "जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्‍द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्‍द पूरा हो जाए" (युहन्ना १५:९-११)। वह चाहता है कि उसके प्रेम के आनन्द में सब आनन्दित रहें।

   हम सब परमेश्वर के प्रेम आलिंगन में स्थिर बने रह सकते हैं, क्योंकि जैसे पौलुस प्रेरित ने लिखा: "क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों ८:३८-३९)। एक बार जब हम प्रभु यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लेते हैं, तो उसमें होकर मिलने वाला परमेश्वर का प्रेम हमारे लिए एक अटल, स्थाई, अनन्तकाल की निश्चितता हो जाता है।

   क्या आपने अपने जीवन से संसार के किसी प्रेम को जाते हुए अनुभव किया है? परमेश्वर के प्रेम में शरण तथा विश्राम लें, क्योंकि अपने बच्चों के प्रति उसकी सदा बनी रहने वाली देख-भाल आपके मन को उसके प्रेम, शांति और सुरक्षा में बनाए रखेगी। - जैनिफर बेन्सन शुल्ट


क्योंकि परमेश्वर का वचन अटल और सदा के लिए है इसीलिए हमारा उद्धार भी अटल और सदा के लिए है।

जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। - युहन्ना १५:९

बाइबल पाठ: रोमियों ८:३५-३९
Rom 8:35  कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? 
Rom 8:36   जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाई गिने गए हैं। 
Rom 8:37  परन्‍तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़कर हैं। 
Rom 8:38  क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, 
Rom 8:39  न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५०-५२ 
  • १ थिस्सलुनीकियों ५

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012

"परमेश्वर ने कहा है!"


   स्पष्ट लिखने के मेरे भरसक प्रयास के बावजूद भी कभी कभी मेरे लिखे हुए का गलत अर्थ निकाला जाता है। मुझे इस बात से दुख होता है और मैं एक लेखक के रूप में अपने आप को असफल अनुभव करती हूँ और प्रयास करती हूँ कि अपनी गलतियां सुधार कर और स्पष्ट लिख सकूँ। लेकिन पाठक कभी मेरे शब्दों को संदर्भ से बाहर निकाल कर प्रयोग करते हैं तो कभी उन शब्दों में वह पढ़ते हैं जो मैंने वहां ना लिखा और जो ना मेरा तात्पर्य था। यह बहुत कुण्ठित करता है क्योंकि एक बार लेख के छपने के बाद लोग उसको किस रीति से प्रयोग करेंगे यह निरधारित या नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

   यह बात एक अन्य किंतु और भी गंभीर बात को स्मरण दिलाती है - परमेश्वर के वचन का दुरुपयोग। यर्मियाह भविष्यद्वक्ता के दिनों में भी लोगों ने यह किया। उन्होंने परमेश्वर के नाम से अपने मन की बातें लोगों से कहीं; ऐसी बातें जिन्हें वे लोग स्वयं तो चाहते थे किंतु परमेश्वर की ओर से उन्हें उनके बारे में कोई निर्देश नहीं थे। इसलिए परमेश्वर ने यर्मियाह के द्वारा लोगों को सन्देश दिया: "सेनाओं के यहोवा ने तुम से यों कहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्सद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं" (यर्मियाह २३:१६)। साथ ही परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी भी दी और कहा कि जो उसके नाम से अपने मन की बात कहते हैं या फिर उसके वचनों को बिगाड़ कर बताते हैं वह उन्हें त्याग देगा और अपने सामने से निकाल देगा (पद ३६, ३९)।

   उन भविष्यद्वक्ताओं की तुलना पौलुस प्रेरित की जीवन-शैली से कीजिए: "परन्‍तु हम ने लज्ज़ा के गुप्‍त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्‍तु सत्य को प्रगट करके, परमेश्वर के साम्हने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं" (२ कुरिन्थियों ४:२)। उसे परमेश्वर के नाम से अपने मन की बात कहने के दुष्परिणाम भली भांति पता थे। यही मनसा हम सभी की भी होनी चाहिए कि परमेश्वर के नाम का दुरुपयोग स्वार्थ सिद्धि के लिए ना होने पाए। परमेश्वर ने अपना वचन बाइबल हमें हमारी शिक्षा के लिए दिया है ना कि उसमें जोड़-तोड़ करके उसका अपनी इच्छानुसार दुरुपयोग करने के लिए। जो ऐसा करते हैं वे सचेत हों क्योंकि ऐसा करने के परिणाम गंभीर हैं: "मैं हर एक को जो इस पुस्‍तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं, कि यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए, तो परमेश्वर उन विपत्तियों को जो इस पुस्‍तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। और यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्‍तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के पेड़ और पवित्र नगर में से जिस की चर्चा इस पुस्‍तक में है, उसका भाग निकाल देगा" (प्रकाशितवाक्य २२:१८-१९)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमें अपने आप को बाइबल के अनुसार करने का प्रयास करते रहना है, ना कि बाइबल को अपने अनुसार।

क्‍योंकि हम उन बहुतों के समान नहीं, जो परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं; परन्‍तु मन की सच्‍चाई से, और परमेश्वर की ओर से परमेश्वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते हैं। - २ कुरिन्थियों २:१७

बाइबल पाठ: यर्मियाह २३:१६; ३०-४०
Jer 23:16  सेनाओं के यहोवा ने तुम से यों कहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्यद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं। 
Jer 23:30  यहोवा की यह वाणी है, देखो, जो भविष्यद्वक्ता मेरे वचन औरों से चुरा चुराकर बोलते हैं, मैं उनके विरुद्ध हूँ। 
Jer 23:31  फिर यहोवा की यह भी वाणी है कि जो भविष्यद्वक्ता “उसकी यह वाणी है”, ऐसी झूठी वाणी कहकर अपनी अपनी जीभ डुलाते हैं, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ। 
Jer 23:32  यहावा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का झूठा दावा करके भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन करके मेरी प्रजा को झूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उन से मेरी प्रजा के लोगों का कुछ लाभ न हेगा। 
Jer 23:33  यदि साधारण लोगों में से कोई जन वा कोई भविष्यद्वक्ता वा याजक तुम से पूछे कि यहोवा ने क्या प्रभावशाली वचन कहा है, तो उस से कहना, क्या प्रभावशाली वचन? यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूंगा। 
Jer 23:34  और जो भविष्यद्वक्ता वा याजक वा साधारण मनुष्य “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन” ऐसा कहता रहे, उसको घराने समेत मैं दण्ड दूंगा। 
Jer 23:35  तुम लोग एक दूसरे से और अपने अपने भाई से यों पूछना, यहोवा ने क्या उत्तर दिया? 
Jer 23:36  वा, यहोवा ने क्या कहा है? “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन”, इस प्रकार तुम भविष्य में न कहना नहीं तो तुम्हारा ऐसा कहना ही दण्ड का कारण हो जाएगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सेनाओं का यहोवा जो जीवित परमेश्वर है, तुम लोगों ने उसके वचन बिगाड़ दिए हैं। 
Jer 23:37  तू भविष्यद्वक्ता से यों पूछ कि यहोवा ने तुझे क्या उत्तर दिया? 
Jer 23:38  वा, यहोवा ने क्या कहा है? यदि तुम “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन”: इसी प्रकार कहोगे, तो यहोवा का यह वचन सुनो, मैं ने तो तुम्हारे पास कहला भेजा है, भविष्य में ऐसा न कहना कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” परन्तु तुम यह कहते ही रहते हो, कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” 
Jer 23:39  इस कारण देखो, मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊंगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है, 
Jer 23:40  त्यागकर अपने साम्हने से दूर कर दूंगा। और मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ४७-४९ 
  • १ थिस्सलुनीकियों ४