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शुक्रवार, 24 जून 2016

मरम्मत


   अपने इंगलैंड भ्रमण के दौरान मैंने एक स्थान से वहाँ के प्रसिद्ध बोन चाईना से बने कुछ मग स्मृति-चिन्ह के लिए खरीदे। मैं उनका प्रयोग बहुत सावधानी से करती थी, किंतु फिर भी एक गिरकर टूट ही गया। हाल ही में मैंने जापान की एक कला "किंत्सूगी" के विषय में जाना, जो टूटी हुई बहुमूल्य चीज़ों को पुनःसुधारने के लिए काम आती है और मुझे अपना बोन चाईना क वह टूटा हुआ मग स्मरण हो आया। सामान्यतः जब कोई चीज़ टूट जाती है तो हम उसे पुनः प्रयोग योग्य हो जाने तक सुधार पाने में ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन कई सदी पहले जापान के एक कलाकार ने ठान लिया कि वह टूटे हुए बोन चाईना को फिर से सुन्दर बनाएगा। ऐसा करने के लिए वह टूटे हुए टुकड़ों को आपस में जोड़े रखने के लिए सुन्हरे गोंद का प्रयोग करने लगा। उसके ईजाद किए तरीकों से जोड़ी गई वस्तुओं में बारीक और सुनहरी धारियाँ होती हैं जो उसकी सुन्दरता को बनाती हैं।

   मानव इतिहास के प्रारंभ में ही पाप ने संसार में प्रवेश किया (उत्पत्ति 3); मनुष्य के पाप में गिरने की घटना को धर्मशास्त्री "पतन" कहते हैं, जिसका अवश्यंभावी परिणाम टूटना है। जीवन दुःखदायी होता है क्योंकि अपने टूटे जीवन के पैने और धारदार टुकड़ों से हम अपने आप को तथा दूसरों को आहत करते रहते हैं। लेकिन परमेश्वर नहीं चाहता कि हम ऐसे टूटे और दुःखदायी रहें, वह चाहता है कि हम अपने टूटे हुए जीवन को उसे समर्पित कर दें, हमारे जीवनों में उसे अपना कार्य कर लेने दें, जिससे अन्ततः हमारे टूटे जीवन सुधर और निखर कर सुन्दर कलाकृति बन जाएंगे।

   जब हम अपने आप को उसके हाथों में पूर्णतः समर्पित कर देते हैं तो एक किंत्सूगी कलाकार के समान परमेश्वर हमारी मरम्मत करता है। लेकिन हमारी मरम्मत के लिए वह किसी सुनहरे गोंद का नहीं वरन अपने पुत्र, प्रभु यीशु मसीह के कलवरी के क्रूस पर बहे लहू का उपयोग करता है। हमारे जीवनों के टूटे टुकड़े जब प्रभु यीशु के द्वारा मरम्मत कर दिए जाते हैं तब "क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे" (रोमियों 6:5) - हम मसीह यीशु की समानता में आकर उसके जैसे ही सुन्दर हो जाते हैं! - जूली ऐकैअरमैन लिंक


पापों के परिणाम से छूटकारे का दाम प्रभु यीशु के बलिदान और लहु द्वारा चुकाया गया है।

पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है। - 1 यूहन्ना 1:7 

बाइबल पाठ: रोमियों 6:1-14
Romans 6:1 सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? 
Romans 6:2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं? 
Romans 6:3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया 
Romans 6:4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। 
Romans 6:5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे। 
Romans 6:6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें। 
Romans 6:7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा। 
Romans 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी। 
Romans 6:9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की। 
Romans 6:10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है। 
Romans 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो। 
Romans 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो। 
Romans 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो। 
Romans 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 1-2
  • प्रेरितों 7:22-43


गुरुवार, 23 जून 2016

सुधार और संरक्षण


   सदियों से समय या अन्य किसी कारण से जीर्ण होकर खराब हो गई कलाकृतियों को ठीक करने और उन्हें सुरक्षित रखने के अनेक प्रयास होत आए हैं। इनमें से कई प्रयास अपने उद्देश्य में सफल हुए और उन महान कलाकारों की मूल कृतियों को कुशलता से संरक्षित किया जा सके, लेकिन कुछ प्रयास असफल भी हुए जिसके कारण प्रतिभाशाली कलाकारों की कलाकृतियाँ और भी खराब हो गईं; इन खराब हुई कलाकृतियों में कुछ यूनानी मूर्तियाँ और दा-विन्ची के दो चित्र भी हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरित पौलुस द्वारा कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को लिखे पत्र में पौलुस ने एक ऐसे सुधार और संरक्षण के कार्य के बारे में बताया है जो संसार द्वारा होने वाले किसी भी सुधार और संरक्षण से संभव नहीं है; यह सुधार और संरक्षण है परमेश्वर के लोगों का। पौलुस ने लिखा: "...क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उसके कामों समेत उतार डाला है। और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है" (कुलुस्सियों 3:9-10)। यह किसी मृत कलाकार की सांसारिक कलाकृति के सुधार और संरक्षण का कार्य नहीं है; यह आत्मिक सुधार और संरक्षण का कार्य है जो जीवते और सच्चे परमेश्वर द्वारा किया जाता है; उस परमेश्वर द्वारा जिसने हमें सृजा है, जिसने अपने पुत्र और जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु में होकर अनुग्रह से हमें नया जीवन सेंत-मेंत उपहार के रूप में प्रदान किया है। उसकी क्षमा हमारे जीवनों में नए रंग भर देती है और उसका अनुग्रह हमारे जीवनों के लिए उसके उद्देश्यों की रूपरेखा को स्पष्ट और निखरा हुआ कर देता है।

   हमारे जीवन का चित्रपटल हमारे प्रभु के कुशल हाथों में सुरक्षित है; उस प्रभु के जो यह बखूबी जानता है कि उसने हमें किस लिए रचा है, और वह हम से क्या चाहता है। अपने पापों के कारण हम चाहे कितने भी दूषित और बिगड़े हुए क्यों ना हों, जब भी हम पश्चाताप और समर्पण के साथ उसके पास आते हैं, उससे मिलने वाले सुधार और संरक्षण के कारण हमारे उज्जवल भविष्य के लिए आशा सदा बनी रहती है। परमेश्वर वह सर्वोत्त्म और सबसे महान कलाकार है जो स्वयं अपनी कलाकृति का सुधार और संरक्षण करने के लिए उपलब्ध और तत्पर रहता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु मसीह हर किसी के जीवन का सुधार और संरक्षण कर सकने का विशेषज्ञ है।

परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूंगा। - अय्यूब 23:10

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:5-17
Colossians 3:5 इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है। 
Colossians 3:6 इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है। 
Colossians 3:7 और तुम भी, जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे, तो इन्‍हीं के अनुसार चलते थे। 
Colossians 3:8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो। 
Colossians 3:9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उसके कामों समेत उतार डाला है। 
Colossians 3:10 और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है। 
Colossians 3:11 उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।
Colossians 3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। 
Colossians 3:13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। 
Colossians 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो। 
Colossians 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो। 
Colossians 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। 
Colossians 3:17 और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 9-10
  • प्रेरितों 7:1-21


बुधवार, 22 जून 2016

मुलाकात


   मेरे दादा, मेरे पिता और उनके भाई, सभी कठोर प्रवृति के थे और उन्हें कदापि पसन्द नहीं था कि कोई उनके समक्ष खड़ा रहकर उनसे मसीही विश्वास की बातें करे। जब पता चला कि मेरे पिता को कैंसर है, और ऐसा जो तेज़ी से बढ़ता और फैलता है, तो मुझे उनके अनन्त भविष्य की बहुत चिंता हुई, और मुझे जब भी अवसर मिलता मैं उनसे प्रभु यीशु मसीह और हमारे लिए उसके प्रेम के बारे में बातें करता। लेकिन वे प्रत्येक वार्तालाप को एक शिष्ट किंतु दृढ़ "मुझे जो जानना चाहिए वह मुझे पता है" कह कर अन्त कर देते थे।

   अन्ततः मैंने उनसे वायदा किया कि मैं यह विषय फिर कभी नहीं उठाऊँगा, और उन्हें पढ़ने के लिए कुछ कार्ड्स का संकलन दिया जो परमेश्वर द्वारा अपने अनुग्रह से हमें प्रदान करी जाने वाली पापों की क्षमा के बारे में थे, और जिन्हें वे अपनी इच्छा और समयानुसार पढ़ सकते थे। मैंने अपने पिता को परमेश्वर पिता के हाथों में समर्पित कर दिया और उनके उद्धार के लिए प्रार्थना करता रहा। मेरा एक मित्र भी परमेश्वर पिता से उनके लिए प्रार्थना कर रहा था कि वे बस इतना तो जीवित रह सकें कि प्रभु यीशु मसीह और उद्धार के बारे में जान लें।

   एक दोपहर वह फोन आ ही गया कि मेरे पिता अब संसार से कूच कर गए हैं। मैं उनके अन्तिम संस्कार के लिए घर गया, जहां मेरा भाई मुझे लेने हवाई-अड्डे पर आया था। भाई ने मुझे बताया कि मेरे पिता ने उसके पास मेरे लिए एक सन्देश छोड़ा था; उससे पिताजी ने कहा था कि वह मुझे बता दे कि उन्होंने प्रभु यीशु से पापों की क्षमा मांग ली थी। मैंने तुरंत पूछा, "कब?" भाई ने उत्तर दिया "उनके देहांत के दिन की प्रातः को" - परमेश्वर ने जैसे हम पर, वैसे ही उन पर भी अपनी दया करी, उन्हें पापों से पश्चताप करने और उन पापों की क्षमा प्राप्त होने का अनुभव होने तक, प्रभु यीशु से उनकी मुलाकात होने तक उन्हें जीवित रखा।

   लोगों तक प्रभु यीशु के प्रेम और उनसे मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सन्देश को पहुँचाने के लिए हम विभिन्न तरीके अपनाते हैं, जैसे कि सुसमाचार सुनाना, या अपने जीवन और हृदय परिवर्तन की गवाही देना, कभी-कभी केवल प्रभु यीशु के जीवन और शिक्षाओं को अपने जीवन में जी कर दिखाना, आदि लेकिन हर तरीके के साथ हम प्रार्थना का भी सहारा अवश्य लेते हैं क्योंकि हम यह जानते हैं कि अन्ततः पापों की क्षमा और उद्धार देना परमेश्वर का कार्य है, हम अपने प्रयासों से ना तो इसे किसी को दे सकते हैं और ना ही कोई भी व्यक्ति अपने किसी प्रयास अथवा धार्मिकता से इसे परमेश्वर से कमा सकता है।

   परमेश्वर अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है; हमारी प्रर्थनाओं का परिणाम चाहे जो भी हो किंतु प्रभु यीशु से मुलाकात का अवसर परमेश्वर सब को प्रदान करता है। क्या आपने आपको दिए गए इस सुअवसर का सही लाभ उठाया है? क्या आपने प्रभु यीशु से मुलाकात कर ली है? - रैंडी किलगोर


हम बीज बोते और सींचते हैं किंतु उसका उगना और फलवंत होना परमेश्वर की ओर से होता है।

वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें। क्योंकि परमेश्वर एक ही है: और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात मसीह यीशु जो मनुष्य है। - 1 तिमुथियुस 2:4-5

बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 1:11-17
1 Timothy 1:11 यही परमधन्य परमेश्वर की महिमा के उस सुसमाचार के अनुसार है, जो मुझे सौंपा गया है।
1 Timothy 1:12 और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिसने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उसने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया। 
1 Timothy 1:13 मैं तो पहिले निन्‍दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्‍धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे। 
1 Timothy 1:14 और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ। 
1 Timothy 1:15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं। 
1 Timothy 1:16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं। 
1 Timothy 1:17 अब सनातन राजा अर्थात अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 6-8
  • प्रेरितों 6


मंगलवार, 21 जून 2016

व्यस्त


   32 देशों के भिन्न शहरों में जीवन की रफतार को नापने के लिए किए गए एक अध्ययन के अनुसार सबसे अधिक जल्दबाज़ी में रहने वाले लोग सिंगापुर में होते हैं। इस अध्ययन के अनुसार सिंगापुर के लोग 60 फुट चलने के लिए 10:55 सेकेण्ड लेते हैं, जबकि इसकी तुलना में न्यूयॉर्क के लोग 12:00 सेकेण्ड तथा अफ्रीका में स्थित मलावी देश के ब्लैंटायर नगर के लोग 31:60 सेकेण्ड लेते हैं।

   यह अध्ययन एक और बात भी दिखाता है, हम चाहे जहाँ भी रहते हों, पिछले 20 वर्षों में चलने की गति औसतन 10% बढ़ गई है। यदि चलने की गति हमारे जीवन की व्यस्तता का माप है, तो निश्चित ही हम पहले से कहीं अधिक व्यस्त हो गए हैं।

   क्या आप भी अपने आप को व्यस्त जीवन के पागलपन में फँसा हुआ पाते हैं? थोड़ा थम कर प्रभु यीशु द्वारा अपनी मेज़बान मार्था से कहे गए शब्दों पर ध्यान कीजिए: "...मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा" (लूका 10:41-42)। मार्था ने प्रभु को अपने घर में आने का न्यौता दिया था, वह उसके लिए बहुत कुछ करना चाहती थी, और अपनी इस चाह में वह इतनी व्यस्त हो गई कि प्रभु के लिए उसके पास समय ही नहीं रहा।

   किंतु प्रभु यीशु के विनम्र शब्दों पर ध्यान किजिए; प्रभु मार्था पर क्रोधित नहीं हुए, अच्छी मेज़बान बनने के उसके प्रयासों की व्यस्तता के कारण प्रभु को समय ना दे पाने के लिए उन्होंने बुरा नहीं माना, वरन उसे प्राथमिकताओं पर ध्यान करने के लिए उसकी बहन मरियम के उदाहरण द्वारा समझाया। मार्था ने आवश्यक को अनुपात में इतना अधिक बढ़ा लिया था कि अनिवार्य को छोटा समझ लिया, और प्रभु यीशु के लिए भला करने की लालसा में प्रभु से ही दूर होने लगी।

   आज यह हमारे लिए भी एक बहुत महत्वपूर्ण सबक है - प्रभु यीशु के लिए उपयोगी और प्रभावी होने के प्रयासों में हम इतने व्यस्त ना हो जाएं कि प्रभु से ही दूर हो जाएं। हम यह कभी नहीं भूलें कि प्रभु सबसे अधिक हमारी संगति का इच्छुक है, ना कि उसे प्रसन्न करने के हमारे प्रयासों का। - पोह फैंग चिया


जितना हम प्रभु यीशु को विभिन्न कार्यों द्वारा प्रसन्न करना चाहते हैं, 
उससे कहीं अधिक प्रभु यीशु हमारी संगति और सहभागिता को चाहता है।

इसलिये पहिले तुम उस [परमेश्वर] के राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है। - मत्ती 6:33-34

बाइबल पाठ: लूका 10:38-42
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी। 
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे। 
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। 
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 3-5
  • प्रेरितों 5:22-42


सोमवार, 20 जून 2016

यादें


   मेरे लड़कपन के एक मित्र ने हाल ही में मुझे हमारे हाई-स्कूल के दिनों की एक फोटो ई-मेल से भेजी। वर्षों पुरानी वह सफेद और स्याह फोटो स्कूल की दौड़-स्पर्धाओं में भाग लेने वाले हम किशोरों के ग्रुप और हमारे दोनों प्रशिक्षकों की थी। उस फोटो को देखते ही मैं बीते दिनों की सुखद यादों में चला गया जब अपने उन साथियों के साथ मैं आधा-मील तथा मील भर की दौड़-स्पर्धा में भाग लिया करता था। उन दिनों को याद करना मेरे लिए आनन्दमय तो था, लेकिन साथ ही मुझे इस बात का भी ध्यान हो आया कि मैं कितनी आसानी से उन सब को भुलाकर जीवन की और बातों में आगे बढ़ गया हूँ।

   अपने जीवनों के मार्ग में जब हम आगे बढ़ते जाते हैं तो साथ ही उन स्थानों, लोगों और घटनाओं को भी भूलते चले जाते हैं जो कभी हमारे लिए महत्वपूर्ण हुआ करते थे। समय बीत जाता है, बीते दिनों की यादें धूमिल हो जाती हैं, और वर्तमान की आवश्यकताएँ और चिंताएं हमें घेर लेती हैं, बीते समय की उन यादों को दबा देती हैं। यह ना केवल हमारे मानवीय संबंधों के साथ होता है वरन ऐसा परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों को लेकर भी हो जाता है, यदि हम नित्यप्रायः परमेश्वर के साथ प्रार्थना और उसके वचन के अध्ययन द्वारा संगति ना करें। परमेश्वर द्वारा हमारे साथ करी गई भलाईयों, हमें दिए गए मार्गदर्शन और सुरक्षा आदि को वर्तमान की चिंताओं और परेशानियों में पड़कर हम ऐसे ही ना भुला दें इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद ने अपने एक भजन में लिखा: "हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना" (भजन 103:1-2)।

   परमेश्वर की भलाई और कार्यों की यादों का महत्व सबसे अधिक तब होता है जब जीवन की कठिनाईयां हमें घेरे हुए होती हैं। जब हम परिस्थितियों से अभिभूत होकर अपने आप को अकेला सोचने लगते हैं, तब ही वह समय होता है जब हमें परमेश्वर को और हमारे लिए किए गए उसके कार्यों को याद करना चाहिए। जब हम उसे याद करते हैं, बीते समय के उसके कार्यों और मार्गदर्शन का ध्यान करते हैं, उसके वचन के वायदे को कि वह हमें कभी नहीं छोड़ता (इब्रानियों 13:5-6) याद करते हैं तो हमें वर्तमान एवं भविष्य, दोनों के लिए सामर्थ, आश्वासन तथा प्रोत्साहन मिलता है। - बिल क्राऊडर


बीते समय में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को याद करने से 
हमें भविष्य के लिए आश्वासन और सामर्थ मिलती है। 

तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है। - इब्रानियों 13:5-6

बाइबल पाठ: भजन 103:1-8
Psalms 103:1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! 
Psalms 103:2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। 
Psalms 103:3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है, 
Psalms 103:4 वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है, 
Psalms 103:5 वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।
Psalms 103:6 यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है। 
Psalms 103:7 उसने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए। 
Psalms 103:8 यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 1-2
  • प्रेरितों 5:1-21


रविवार, 19 जून 2016

आचरण तथा उदाहरण


   मैं अपनी आँखों की जाँच के लिए चक्षु-चिकित्सक के यहाँ बैठा हुआ अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहा था जब वहाँ लगे एक पोस्टर पर मेरा धयान गया, जिसमें लिखा था कि बच्चे 12 वर्ष की आयु तक पहुँचते-पहुँचते जितना सीखते हैं उसका 80% आँखों के माध्यम से होता है। यह पढ़कर मैं उन सब बातों पर विचार करने लगा जो बच्चे देखते हैं और जो उन पर प्रभाव डालती हैं, जैसे कि पुस्तकें और पढ़ना, टेलिविज़न, फिल्में, घटनाएँ, आस-पास का वातावरण, लोगों का आचरण और व्यवहार - विशेषकर परिवार जनों का, आदि।

   बच्चों पर पिता का प्रभाव बहुत सशक्त होता है, इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए उन्हें चिताया, "और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो" (इफिसियों 6:4)। एक पिता के स्थाई बने रहने वाले अच्छे आचरण के सामर्थी उदाहरण पर थोड़ा विचार कीजिए जिससे बच्चे प्रभावित होते हैं, उस उदाहरण से वे सही दिशा में बढ़ते हैं, और चाहे सिद्ध ना हों किंतु प्रशंसा के पात्र बनते हैं। जब हमारे जीवन का उदाहरण परमेश्वर के चरित्र को बिगाड़ने की बजाए उसके भले चरित्र को प्रतिबिंबित करता है तो यह बच्चों के जीवन में भलाई के लिए कार्यकारी होने वाला एक सशक्त प्रभाव बन जाता है।

   यह किसी भी अभिभावक के लिए चुनौतीपूर्ण है, इसलिए कोई संयोग नहीं कि प्रेरित पौलुस ने इस संदर्भ में आगे लिखा, "निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्‍त बनो" (इफिसियों 6:10)। केवल परमेश्वर के मार्गदर्शन और सामर्थ से ही हम उसके प्रेम और धैर्य को दर्शा सकते हैं। हम अपने बच्चों को अपने प्रचार की अपेक्षा, अपने आचरण तथा उदाहरण द्वारा कहीं अधिक सिखाते हैं, और बचपन में डाली गई नींव पर ही आगे चलकर वे अपने जीवनों का निर्माण करते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


वे माता-पिता आदर्णीय हैं जो ना केवल हमें जीवन देते हैं, 
वरन उस जीवन को अच्छाई से जीना भी सिखाते हैं।

कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा। - 1 तिमुथियुस 4:12

बाइबल पाठ: इफिसियों 6:1-11
Ephesians 6:1 हे बालकों, प्रभु में अपने माता पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है। 
Ephesians 6:2 अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)। 
Ephesians 6:3 कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे। 
Ephesians 6:4 और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।
Ephesians 6:5 हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो। 
Ephesians 6:6 और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्छा पर चलो। 
Ephesians 6:7 और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं, परन्तु प्रभु की जानकर सुइच्‍छा से करो।
Ephesians 6:8 क्योंकि तुम जानते हो, कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे दास हो, चाहे स्‍वतंत्र; प्रभु से वैसा ही पाएगा। 
Ephesians 6:9 और हे स्‍वामियों, तुम भी धमकियां छोड़कर उन के साथ वैसा ही व्यवहार करो, क्योंकि जानते हो, कि उन का और तुम्हारा दोनों का स्‍वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता।
Ephesians 6:10 निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्‍त बनो। 
Ephesians 6:11 परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 12-13
  • प्रेरितों 4:23-37


शनिवार, 18 जून 2016

मुस्कुराहट


   हाल ही में मैंने एक अध्ययन के बारे में पढ़ा जिसका निषकर्ष था कि मुस्कुराना आपकी सेहत के लिए अच्छा होता है। शोध से पता चला है कि मुस्कुराने से हृदय की गति धीमी हो जाती है और तनाव भी कम हो जाता है। लेकिन मुस्कुराना केवल आप ही के लिए अच्छा नहीं है; एक वास्तविक मुस्कुराहट से उनका भी भला होता है जिनके लिए आप मुस्कुराते हैं। बिना कोई शब्द कहे आप दूसरे व्यक्ति को यह संदेश देते हैं कि आप उन से प्रसन्न हैं। मुस्कुराहट द्वारा आप बिना ज़रा सा भी स्पर्श किए दूसरे को प्रेम के आलिंगन में ले लेते हैं। जीवन हमें सदा ही मुस्कुराने के अवसर नहीं देता, लेकिन जब हम किसी बच्चे के चेहरे पर या किसी बुज़ुर्ग के चेहरे की झुर्रियों में से झांकती हुई सच्चे दिल की मुस्कुराहट को देखते हैं तो यह हमें भी प्रोत्साहित करती है।

   मुस्कुराहट हमारे अन्दर परमेश्वर की छवि का एक संकेत भी है। परमेश्वर के वचन बाइबल में गिनती की पुस्तक में दर्ज एक प्राचीन आशीष से हमें अंदाज़ा होता है कि परमेश्वर भी "मुस्कुराता" है: "यहोवा तुझ पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए, और तुझ पर अनुग्रह करे: यहोवा अपना मुख तेरी ओर करे, और तुझे शांति दे" (गिनती 6:25-26)। ये शब्द इब्रानी भाषा का मुहावारा हैं जो एक व्यक्ति के जीवन पर परमेश्वर के अनुग्रह आने के लिए और अपने बच्चों पर परमेश्वर के मुस्कुराने के लिए आग्रह है।

   इसलिए आज स्मरण रखें कि यदि प्रभु यीशु मसीह पर लाए गए विश्वास और उससे मिलने वाली पापों की क्षमा द्वारा आप परमेश्वर की सन्तान बन गए हैं (यूहन्ना 1:12-13), तो आश्वस्त रहें कि परमेश्वर ना केवल आप से प्रेम करता है, वरन वह आप पर अनुग्रहकारी रहना चाहता है और अपना मुख आप पर चमकाना चाहता है। इस अद्भुत और महान तथ्य के तात्पर्य से प्रसन्न होकर मुस्कुराएँ, और अपनी मुस्कुराहट से दूसरों को भी आशीषत करें - जो स्टोवैल


आपकी मुस्कुराहट किसी ज़रूरतमन्द के लिए 
परमेश्वर की ओर से भेजा गया प्रसन्नता का सन्देश हो सकती है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: गिनती 6:22-27
Numbers 6:22 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 
Numbers 6:23 हारून और उसके पुत्रों से कह, कि तुम इस्त्राएलियों को इन वचनों से आशीर्वाद दिया करना कि, 
Numbers 6:24 यहोवा तुझे आशीष दे और तेरी रक्षा करे: 
Numbers 6:25 यहोवा तुझ पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए, और तुझ पर अनुग्रह करे: 
Numbers 6:26 यहोवा अपना मुख तेरी ओर करे, और तुझे शांति दे।
Numbers 6:27 इस रीति से मेरे नाम को इस्त्राएलियों पर रखें, और मैं उन्हें आशीष दिया करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 10-11
  • प्रेरितों 4:1-22