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सोमवार, 30 जनवरी 2017

प्रार्थना


   जब मिशिगन बर्फ से ढक जाता है, तब मैं अपने नाती-पोतों तथा प्लास्टिक की स्लेज को लेकर घर के पिछवाड़े में बर्फ के टीले पर चढ़ जाता हूँ और फिर हम स्लेज पर बैठ, बर्फ पर फिसल कर टीले के नीचे आते हैं जिस में लगभग दस सेकेंड का समय लगता है; हम फिर अपनी स्लेज लेकर वापस टीले पर चढ़ जाते हैं और इस प्रकार बारंबार स्लेज के साथ बर्फ पर फिसलने का खेल खेलते रहते हैं।

   जब मैं कुछ किशोरों के साथ अलास्का जाता हूँ, जहाँ सारे वर्ष बर्फ छाई रहती है, तब हम वहाँ भी इसी प्रकार स्लेज पर बैठ बर्फ पर फिसलने का खेल खेलते हैं; फर्क यह है कि अलास्का में हम बर्फ के पहाड़ों पर चढ़कर ऐसा करते थे जिन पर से फिसल कर नीचे तक आने में 10-20 मिनट तक लगते हैं और स्लेज बहुत तेज़ी से नीचे की ओर आती हैं जिनमें हम दिल थामे हुए बैठे रहते हैं।

   चाहे मेरे घर के पिछवाड़े में 10 सेकेंड का फिसलना हो या अलास्का में 10 मिनट का, दोनों को ही स्लेजिंग कहा जाता है, दोनों के लिए एक ही उपकरण - स्लेज काम आती है, दोनों ही बर्फ के होने पर निर्भर करते हैं और दोनों ही हमको रोमांचित तथा आनन्दित करते हैं।

   मैं विचार कर रहा था कि प्रार्थना के बारे में भी कुछ ऐसा ही है। कभी-कभी हम "घर के पिछवाड़े के 10 सेकेंड" वाली प्रार्थनाएँ करते हैं - जैसे कि भोजन से पहले धन्यवाद देने की प्रार्थना, या किसी आकस्मिक परिस्थिति के लिए की गई क्षण भर की प्रार्थना। अन्य समयों पर हम "पहाड़ से नीचे जाने के लंबे समय" की प्रार्थनाएँ करते हैं, जिनमें समय, एकाग्रता, लालसा और भावनाएँ सम्मिलित होती हैं। हमें दोनों ही प्रकार की प्रार्थनाओं की आवश्यकता होती है और हमारे जीवनों में दोनों ही का स्थान है।

   हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु प्रार्थना करने में अकसर समय व्यतीत करते थे; कभी लंबे समयों तक (लूका 6:12; मरकुस 14:32-42)। चाहे क्षणिक हों या लंबी, आवश्यकता तथा समयानुसार परमेश्वर के साथ अपने मन की बात साझा करने में समय बिताएँ; परमेश्वर को दोनों ही प्रकार की प्रार्थनाएँ स्वीकार हैं, उसे आपसे दोनों ही की लालसा रहती है। प्रार्थना में जितना अधिक संपर्क उसके साथ बनाकर रखेंगे, उसके साथ आपके संबंध उतने ही अधिक घनिष्ठ होते जाएँगे। - डेव ब्रैनन


प्रार्थना का मर्म, हृदय से निकली प्रार्थना है।

और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। - लूका 6:12

बाइबल पाठ: मरकुस 14:32-42
Mark 14:32 फिर वे गतसमने नाम एक जगह में आए, और उसने अपने चेलों से कहा, यहां बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूं। 
Mark 14:33 और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया: और बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगा। 
Mark 14:34 और उन से कहा; मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं: तुम यहां ठहरो, और जागते रहो। 
Mark 14:35 और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए। 
Mark 14:36 और कहा, हे अब्‍बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो। 
Mark 14:37 फिर वह आया, और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा; हे शमौन तू सो रहा है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका? 
Mark 14:38 जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है। 
Mark 14:39 और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की। 
Mark 14:40 और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उन की आंखे नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें। 
Mark 14:41 फिर तीसरी बार आकर उन से कहा; अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुंची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। 
Mark 14:42 उठो, चलें: देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 23-24
  • मत्ती 20:1-16


रविवार, 29 जनवरी 2017

स्त्रोत


   बीस वर्षीय लेगॉन स्टीवेन्स एक अनुभवी पर्वतारोही थीं; इतनी कम आयु में भी उन्होंने मैक्किन्ले पर्वत और रेनियर पर्वत के शिखर, इक्वेडोर में स्थित एण्डियन पर्वत श्रंखला की चार चोटियों और कॉलोराडो के 39 सबसे ऊँचे पहाड़ों की सफलतापूर्वक चढ़ाई की थी। वह कहती थीं, "मैं इसलिए चढ़ती हूँ क्योंकि मुझे पहाड़ अच्छे लगते हैं, और वहाँ मेरी भेंट परमेश्वर से होती है।" जनवरी 2008 में दक्षिण कॉलोराडो की लिटल बीयर चोटी पर अपने भाई के साथ चढ़ते हुए लेगॉन की मृत्यु हिम-स्खलन के कारण हो गई, परन्तु उसका भाई बच गया।

   लेगॉन की मृत्योपरांत उसके माता-पिता को लेगॉन की डायरियाँ मिलीं, जिनमें उसके द्वारा लिखे गए प्रभु यीशु मसीह के साथ उसकी बहुत घनिष्टता के संबंधों को पढ़कर वे बहुत प्रभावित हुए। उसकी माँ ने कहा, "प्रभु यीशु उसके लिए सदा ही एक चमकती हुई ज्योति थे; लेगॉन ने उनके साथ संबंधों की वह गहराई और खराई अनुभव की थी जो मसीही विश्वास के अनुभवी जन भी पाने की लालसा रखते हैं।"

   हिम-स्खलन से हुई मृत्यु के तीन दिन पहले तंबू में बैठे हुए लेगॉन ने डायरी में अपनी अन्तिम बात लिखी, "परमेश्वर भला है, और हमारे जीवनों के लिए उसकी विशेष योजना है, जो उस सब से कहीं अधिक भली और आशीषित है जो हम स्वयं अपने लिए बनाते हैं; और इस बात के लिए मैं उसकी बहुत धन्यवादी हूँ। मैंने अपना सब कुछ, अपना भविष्य उसके हाथों में छोड़ दिया है, और बस उसे हर बात के लिए धन्यवाद कहती हूँ।"

   लेगॉन के यह शब्द, परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार द्वारा कहे गए शब्दों : "मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है" (भजन 121:2) के अनुसार है। लेगॉन के समान हमें भी इस एहसास के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए कि परमेश्वर ही हमारे जीवन, हमारे जीवन की प्रत्येक बात का स्त्रोत है; वही हमारे लिए सब कुछ निर्धारित करता है, और वह हर बात में हमारे लिए भला ही करता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


अज्ञात भविष्य के लिए हम अपने सर्वज्ञानी परमेश्वर पर भरोसा रख सकते हैं।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28 

बाइबल पाठ: भजन 121
Psalms 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? 
Psalms 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Psalms 121:3 वह तेरे पाँव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। 
Psalms 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psalms 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है। 
Psalms 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psalms 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। 
Psalms 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 21-22
  • मत्ती 19


शनिवार, 28 जनवरी 2017

इच्छा


   चीनी नव-वर्ष के समय एक-दूसरे से कही जाने वाली शुभ-कामनाओं में से बहुधा प्रयुक्त होने वाली एक शुभ-कामना है, "आपकी इच्छानुसार ही सब कुछ हो।" यह सुनने में चाहे जितनी अनोखी और अच्छी लगे, किंतु जीवन की घटनाओं का सर्वोत्तम परिणाम तब ही आता है जब मेरी नहीं वरन मेरे जीवन में परमेश्वर की इच्छा पूरी होने पाए। उदाहरण स्वरूप परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम के एक पात्र यूसुफ के जीवन को देखें।

   यदि उसकी इच्छानुसार किया जाता तो यूसुफ कभी अपने घर-परिवार से दूर मिस्त्र में गुलामी में जाने के लिए सहमत नहीं होता; परन्तु वह दासत्व में गया (उत्पत्ति 39:1)। परन्तु अपने दासत्व में होने के बावजूद वह "भाग्यवान" हुआ अर्थात सफल हुआ, क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था (पद 2); यहाँ तक कि यूसुफ के कारण परमेश्वर ने उसके स्वामी घर पर भी आशीष दी (पद 5)।

   यदि यूसुफ की इच्छानुसार होता, तो वह कभी भी मिस्त्र के बन्दीगृह में डाले जाने को स्वीकार नहीं करता, परन्तु पूरी ईमानदारी और खराई से कार्य करने के बावजूद, उसके स्वामी की पत्नी ने उस पर दुराचार का झूठा आरोप लगाया, जिसके कारण उसे बन्दिगृह में डाला गया, लेकिन हम तब भी उसके विषय में पढ़ते हैं कि परमेश्वर वहाँ भी उसके साथ था (पद 21)। वहाँ भी उसने बन्दीगृह के दारोगा के विश्वास को प्राप्त किया (पद 22) और जो भी वह करता था परमेश्वर उसमें उसे सफलता देता था (पद 23)। बन्दीगृह जाने और वहाँ घटित हुई घटनाओं को देखने से लगता है कि यूसुफ परेशानियों में और भी गहरा धंसता जा रहा था, परन्तु आगे का घटनाक्रम दिखाता है कि वास्तव में जो उसका पतन प्रतीत हो रहा था, वह सब उसके मिस्त्र में राजा के बाद के सर्वोच्च पद तक चढ़ाए जाने के लिए सीढ़ी थी।

   परमेश्वर ने जिस प्रकार से यूसुफ को आशीषित किया और बढ़ाया, शायद ही कोई उस प्रकार से आशीषित होना और बढ़ाया जाना स्वीकार करेगा। परन्तु परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, चाहे कैसी भी विकट और कठिन ही क्यों ना हों, परमेश्वर उन सब के द्वारा अपने बच्चों को आशीष देता है। जैसा बाद में यूसुफ ने अपने उन भाइयों से कहा जिन्होंने द्वेष में होकर उसे मिस्त्र के दासत्व में बेच दिया था, कि परमेश्वर ही उसे एक उद्देश्य के अन्तर्गत मिस्त्र लेकर आया था (उत्पत्ति 50:19-20)।

   हम मसीही विश्वासी इस बात से आश्वस्त रह सकते हैं कि हम आज जहाँ भी हैं, जैसे भी हैं, हमारे वहाँ और वैसा होने के पीछे परमेश्वर का कोई उद्देश्य है। वह जो कर रहा है, हमारे हित के लिए ही कर रहा है। इसलिए बजाए इसके कि हम यही लालसा करते रहें कि सब कुछ हमारी इच्छानुसार ही हो, हमें अपने उद्धारकर्ता और प्रभु यीशु मसीह के समान परमेश्वर से कहते रहना चाहिए: "...तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।" (मत्ती 26:39)। - सी. पी. हिया


परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने का एक उपाय है 
धीरज के साथ उसके निर्देशों की प्रतीक्षा करना।

यूसुफ ने उन से कहा, मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूं? यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। - उत्पत्ति 50:19-20

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 39:1-6;  39:19-23
Genesis 39:1 जब यूसुफ मिस्र में पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक मिस्री, जो फिरौन का हाकिम, और जल्लादों का प्रधान था, उसने उसको इश्माएलियों के हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल लिया। 
Genesis 39:2 और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया। 
Genesis 39:3 और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता है। 
Genesis 39:4 तब उसकी अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई, और वह उसकी सेवा टहल करने के लिये नियुक्त किया गया: फिर उसने उसको अपने घर का अधिकारी बना के अपना सब कुछ उसके हाथ में सौंप दिया। 
Genesis 39:5 और जब से उसने उसको अपने घर का और अपनी सारी सम्पत्ति का अधिकारी बनाया, तब से यहोवा यूसुफ के कारण उस मिस्री के घर पर आशीष देने लगा; और क्या घर में, क्या मैदान में, उसका जो कुछ था, सब पर यहोवा की आशीष होने लगी। 
Genesis 39:6 सो उसने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में यहां तक छोड़ दिया: कि अपने खाने की रोटी को छोड़, वह अपनी सम्पत्ति का हाल कुछ न जानता था। और यूसुफ सुन्दर और रूपवान्‌ था। 
Genesis 39:19 अपनी पत्नी की ये बातें सुनकर, कि तेरे दास ने मुझ से ऐसा ऐसा काम किया, यूसुफ के स्वामी का कोप भड़का। 
Genesis 39:20 और यूसुफ के स्वामी ने उसको पकड़कर बन्दीगृह में, जहां राजा के कैदी बन्द थे, डलवा दिया: सो वह उस बन्दीगृह में रहने लगा। 
Genesis 39:21 पर यहोवा यूसुफ के संग संग रहा, और उस पर करूणा की, और बन्दीगृह के दरोगा के अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई। 
Genesis 39:22 सो बन्दीगृह के दरोगा ने उन सब बन्धुओं को, जो कारागार में थे, यूसुफ के हाथ में सौंप दिया; और जो जो काम वे वहां करते थे, वह उसी की आज्ञा से होता था। 
Genesis 39:23 बन्दीगृह के दरोगा के वश में जो कुछ था; क्योंकि उस में से उसको कोई भी वस्तु देखनी न पड़ती थी; इसलिये कि यहोवा यूसुफ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उस में सफलता देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 19-20
  • मत्ती 18:21-35


शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

परमेश्वर का हाथ


   अमेरिका की अंतरिक्ष शोध संस्था नासा ने जब एक नए प्रकार की दूरबीन से प्रकाश के विभिन्न वर्णक्रमों को लेकर अंतरिक्ष की तस्वीरें खींचना आरंभ किया तो शोध कर्ता एक चित्र को देखकर दंग रह गए। उस चित्र में एक हाथ की ऊँगलियों, अँगूठे और खुली हुई हथेली के समान कुछ दिखता है जिसमें नीले, बैंगनी, हरे और सुनहरे रंगों की विलक्षण छटाएं भरी हुई हैं; कुछ लोगों ने इस चित्र को "परमेश्वर का हाथ" नाम दिया है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल की बातों का मुख्य बिन्दु परमेश्वर द्वारा हम मनुष्यों की सहायता के लिए अपना हाथ बढ़ाना रहा है। भजन 63 में भजनकार कहता है, "क्योंकि तू मेरा सहायक बना है, इसलिये मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूंगा। मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है" (पद 7-8) - भजनकार ने परमेश्वर की सहायता को, सहारे के लिए बढ़ाए गए उसके हाथ के समान अनुभव किया था। कुछ बाइबल ज्ञाताओं का मानना है कि दाऊद ने यह भजन यहूदा के बीहड़ में बिताए अपने जोखिम के समय में लिखा था, जब वह अपने पुत्र अबशालोम के राजद्रोह के समय उससे अपने प्राण बचाता हुआ फिर रहा था। अबशालोम ने अपने पिता के विरुद्ध बलवा किया और उन्हें राजगद्दी से उतार दिया था; अपने प्राण बचाने के लिए दाऊद को बीहड़ में भागना पड़ा था (2 शमूएल 15-16)। इन कठिन समयों में भी दाऊद का विश्वास था कि परमेश्वर उसके साथ है और उसने परमेश्वर पर अपना पूरा विश्वास बनाए रखा; इस संदर्भ में दाऊद ने लिखा, "क्योंकि तेरी करूणा जीवन से भी उत्तम है मैं तेरी प्रशंसा करूंगा" (63:3)।

   कभी कभी जीवन कठिन एवं कष्टदायक हो सकता है; लेकिन उन सभी विपरीत परिस्थितियों में भी सहायता और सहारे के लिए सदैव परमेश्वर का हाथ हमारी ओर बढ़ा हुआ रहता है, हमें उपलब्ध रहता है। हम कभी उसकी पहुँच के बाहर नहीं होते। - डेनिस फिशर

परमेश्वर सृष्टि के बोझ को अपने कंधों पर उठाए रहता है,
 परन्तु अपने बच्चों को अपने हाथों में रखता है।

मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है। - भजन 37:23-24

बाइबल पाठ: भजन 63
Psalms 63:1 हे परमेश्वर, तू मेरा ईश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूंढूंगा; सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर, मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। 
Psalms 63:2 इस प्रकार से मैं ने पवित्रस्थान में तुझ पर दृष्टि की, कि तेरी सामर्थ्य और महिमा को देखूं। 
Psalms 63:3 क्योंकि तेरी करूणा जीवन से भी उत्तम है मैं तेरी प्रशंसा करूंगा। 
Psalms 63:4 इसी प्रकार मैं जीवन भर तुझे धन्य कहता रहूंगा; और तेरा नाम ले कर अपने हाथ उठाऊंगा।
Psalms 63:5 मेरा जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन से तृप्त होगा, और मैं जयजयकार कर के तेरी स्तुति करूंगा। 
Psalms 63:6 जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूंगा, तब रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूंगा; 
Psalms 63:7 क्योंकि तू मेरा सहायक बना है, इसलिये मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूंगा। 
Psalms 63:8 मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है।
Psalms 63:9 परन्तु जो मेरे प्राण के खोजी हैं, वे पृथ्वी के नीचे स्थानों में जा पड़ेंगे; 
Psalms 63:10 वे तलवार से मारे जाएंगे, और गीदड़ों का आहार हो जाएंगे। 
Psalms 63:11 परन्तु राजा परमेश्वर के कारण आनन्दित होगा; जो कोई ईश्वर की शपथ खाए, वह बड़ाई करने पाएगा; परन्तु झूठ बोलने वालों का मुंह बन्द किया जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 16-18
  • मत्ती 18:1-20


गुरुवार, 26 जनवरी 2017

सशक्त हाथ


   सिंगापुर के प्रथम प्रधान मंत्री, ली क्वान यू को सिंगापुर को वह बनाने का श्रेय दिया जाता है, जो आज वह देश है। उनके नेतृत्व के दिनों में सिंगापुर उन्नति करके धनी, समृद्ध और एशिया का सबसे विकसित देश बन गया। जब उन से पूछा गया कि उन्हें आलोचनाओं और चुनौतियों का सामना करते हुए कभी निराश होकर ऐसा लगा कि यह सब छोड़ देना चाहिए, तो उनका उत्तर था, "यह तो जीवन भर उठाए रहने का बीड़ा था।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में नहेम्याह ने यरुशलेम की दीवार को फिर से बनाने का बीड़ा उठाया, और अनेकों विपरीत परिस्थितियों का सामना करने पर भी निराश होकर उसे छोड़ देना कभी नहीं चाहा। उसे अपने चारों ओर के शत्रुओं से अपमान और धमकियों का, तथा अपने ही लोगों से अन्यायों का सामना करना पड़ा (नहेम्याह 4-5)। उसके शत्रुओं ने उस पर यह दोष भी लगाया कि वह अपने ही स्वार्थ के लिए यह सब कर रहा है (6:6-7)। अपने बचाव के लिए हर संभव कदम उठाने में नहेम्याह ने सदा ही परमेश्वर से सहायता और मार्गदर्शन की प्रार्थना की और उसके अनुसार ही हर कार्य किया।

   सभी चुनौतियों के बावजूद, यरुशलेम की वह दीवार 52 दिन में बनकर तैयार तो हो गई (6:15); परन्तु नहेम्याह का कार्य पूरा नहीं हुआ। उसने इस्त्राएलियों को प्रोत्साहित किया कि वे परमेश्वर के वचन का अध्ययन करें, उसकी आराधना करें, और उसके नियमों का पालन करें। बारह वर्ष तक राज्यपाल होने की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद (5:14) नहेम्याह यरुशलेम यह देखने के लिए वापस आया कि उसके द्वारा आरंभ किए गए सुधार ज़ारी हैं कि नहीं (13:6) और जो कमियाँ उसने पाईं उन्हें सुधारने में वह फिर से जुट गया। अपने लोगों का परमेश्वर के मार्ग पर सही नेतृत्व करना नहेम्याह का जीवन भर का बीड़ा था।

   जीवन में हम सब को चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है; परन्तु जैसे परमेश्वर ने तब नहेम्याह की सहायता और मार्गदर्शन किया था, वह आज भी अपने लोगों के लिए करने को तत्पर और तैयार है। जो भी कार्य वह हमें सौंपता है, उन्हें करने के लिए वह हमारे हाथों को सदा सशक्त करेगा (6:9)। - सी. पी. हिया


जीवन की चुनौतियाँ हमें तोड़ने के लिए नहीं 
वरन हमें परमेश्वर की ओर मोड़ने के लिए होती हैं।

जब हमारे सब शत्रुओं ने यह सुना, तब हमारे चारों ओर रहने वाले सब अन्य जाति डर गए, और बहुत लज्जित हुए; क्योंकि उन्होंने जान लिया कि यह काम हमारे परमेश्वर की ओर से हुआ। - नहेम्याह 6:16

बाइबल पाठ: नहेम्याह 6:1-9
Nehemiah 6:1 जब सम्बल्लत, तोबियाह और अरबी गेशेम और हमारे और शत्रुओं को यह समाचार मिला, कि मैं शहरपनाह को बनवा चुका; और यद्यपि उस समय तक भी मैं फाटकों में पल्ले न लगा चुका था, तौभी शहरपनाह में कोई दरार न रह गया था। 
Nehemiah 6:2 तब सम्बल्लत और गेशेम ने मेरे पास यों कहला भेजा, कि आ, हम ओनो के मैदान के किसी गांव में एक दूसरे से भेंट करें। परन्तु वे मेरी हानि करने की इच्छा करते थे। 
Nehemiah 6:3 परन्तु मैं ने उनके पास दूतों से कहला भेजा, कि मैं तो भारी काम में लगा हूँ, वहां नहीं जा सकता; मेरे इसे छोड़ कर तुम्हारे पास जाने से वह काम क्यों बन्द रहे? 
Nehemiah 6:4 फिर उन्होंने चार बार मेरे पास वैसी ही बात कहला भेजी, और मैं ने उन को वैसा ही उत्तर दिया। 
Nehemiah 6:5 तब पांचवी बार सम्बल्लत ने अपने सेवक को खुली हुई चिट्ठी देकर मेरे पास भेजा, 
Nehemiah 6:6 जिस में यों लिखा था, कि जाति जाति के लोगों में यह कहा जाता है, और गेशेम भी यही बात कहता है, कि तुम्हारी और यहूदियों की मनसा बलवा करने की है, और इस कारण तू उस शहरपनाह को बनवाता है; और तू इन बातों के अनुसार उनका राजा बनना चाहता है। 
Nehemiah 6:7 और तू ने यरूशलेम में नबी ठहराए हैं, जो यह कह कर तेरे विषय प्रचार करें, कि यहूदियों में एक राजा है। अब ऐसा ही समाचार राजा को दिया जाएगा। इसलिये अब आ, हम एक साथ सम्मति करें। 
Nehemiah 6:8 तब मैं ने उसके पास कहला भेजा कि जैसा तू कहता है, वैसा तो कुछ भी नहीं हुआ, तू ये बातें अपने मन से गढ़ता है। 
Nehemiah 6:9 वे सब लोग यह सोच कर हमें डराना चाहते थे, कि उनके हाथ ढीले पड़ें, और काम बन्द हो जाए। परन्तु अब हे परमेश्वर तू मुझे हियाव दे।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 14-15
  • मत्ती 17


बुधवार, 25 जनवरी 2017

शान्त स्थान


   कुछ वर्ष पहले इडाहो प्रांत के एकांत में बसे एक पशु फार्म पर रहने वाले हमारे एक मित्र के लिए, मेरे पुत्र ब्रायन तथा मैंने, कुछ सामान उस तक पहुँचाने का बीड़ा लिया। उस क्षेत्र में कोई सड़कें नहीं हैं, कम से कम ऐसी तो कोई नहीं जिन पर मेरा ट्रक जा सके। इसलिए हमारा मित्र सड़क के अन्तिम स्थान पर दो खच्चरों से खींची जाने वली अपनी बघ्घी लेकर आया। उस बघ्घी में सामान डाल कर, वहाँ से हम बातचीत करते हुए फार्म तक गए, और हमें ज्ञात हुआ कि हमारा वह मित्र उस स्थान पर सारे वर्ष रहता है।

   उस स्थान पर सड़कें ही नहीं वरन ना तो बिजली थी और ना ही टेलिफोन, और सर्दियाँ बहुत लंबी तथा भीषण होती थीं, संपर्क का केवल एक ही साधन था - उनका सेटेलाईट रेडियो। मैंने उस से पूछा कि वह इस एकांत को सहन कैसे कर लेता है? उसने कहा, सच बात तो यह है कि मुझे यह शान्त स्थान और वातावरण बहुत पसन्द है।

   व्यस्तता से भरे हमारे दिनों में हमें भी कभी-कभी शान्त वातावरण की आवश्यकता होती है। हमारे आस-पास बहुत शोर रहता है, बहुत से लोग, बहुत सी बातें हमारे ध्यान अपनी ओर खींचती हैं; ऐसे में जैसा प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा था, "...तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो..." (मरकुस 6:31) हमें भी शान्ति के स्थान की आवश्यकता होती है। क्या हमारे पास ऐसा कोई स्थान है?

   हम मसीही विश्वासियों को, हम चाहे जहाँ भी हों, जैसे भी हों, ऐसा एक शान्त स्थान सदा उपलब्ध रहता है - परमेश्वर की निकटता। जब हम अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर परमेश्वर के प्रेम और दया पर मनन करते हैं, अपने मन की बात उसे बताने के द्वारा, अपने बोझों को उस पर डालने के द्वारा अपने आप को हलका करते हैं, तो हम पाएंगे कि परमेश्वर की उपस्थिति से भरे उस समय, उस स्थान में ही हमें वह शान्त स्थान मिल जाता है, जिसे संसार की बातों ने हमारी नज़रों से ओझल कर दिया था। - डेविड रोपर


परमेश्वर के साथ शान्त होकर समय बिताना विश्रांति लाता है।

तू ने मेरे मन में उस से कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था। मैं शान्ति से लेट जाऊँगा और सो जाऊँगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है। - भजन 4:7-8

बाइबल पाठ: मरकुस 6:7-13, 30-32
Mark 6:7 और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो दो कर के भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया। 
Mark 6:8 और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे। 
Mark 6:9 परन्तु जूतियां पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो। 
Mark 6:10 और उसने उन से कहा; जहां कहीं तुम किसी घर में उतरो तो जब तक वहां से विदा न हो, तब तक उसी में ठहरे रहो। 
Mark 6:11 जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहां से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो। 
Mark 6:12 और उन्होंने जा कर प्रचार किया, कि मन फिराओ। 
Mark 6:13 और बहुतेरे दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।
Mark 6:30 प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे हो कर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया। 
Mark 6:31 उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। 
Mark 6:32 इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16


मंगलवार, 24 जनवरी 2017

सहायक


   मेरे नाती-पोते उस समय छोटे थे जब मैं उन्हें The Lion King कहानी का नाट्य-रूपांतर दिखाने ले कर गया। उस कहानी में छोटा शेर, सिंबा, अपने मृतक पिता राजा मुफासा, जिसे उसके दुष्ट चाचा ने मार डाला है, के पास खड़ा है, सिंबा अकेला और भयभीत है और रोते हुए पुकार रहा है, सहायता, सहायता, सहायता करो। इस दृश्य को देखकर मेरा तीन वर्ष का पोता उस थिएटर में अपनी कुर्सी पर खड़ा होकर ज़ोर से चिल्लाया, "कोई जाकर उसकी सहायता क्यों नहीं कर रहा है?"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में अनेकों स्थानों पर परमेश्वर के लोगों ने सहायता के लिए दोहाई दी है, यद्यपि जिस कठिनाई में वे थे वह उनके अपने ही दुराचार के कारण उन पर आई थी। परन्तु परमेश्वर फिर भी उनकी सहायता करने के लिए इच्छुक था।

   यशायाह भविष्यद्वक्ता को परमेश्वर के लोगों, इस्त्राएलियों के लिए, उनके परमेश्वर से विमुख होकर अनाज्ञाकारिता में जीने के कारण, बहुत से कठोर और बुरे समाचार देने थे; परन्तु उन सब के मध्य उसने उन से यह भी कहा, "तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊँचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं। हे सिय्योन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा" (यशायाह 30:18-19)। ना केवल परमेश्वर अपने पथ भ्रष्ट लोगों की सहायता के लिए इच्छुक रहता है, वरन वह चाहता है कि उसके अपने लोग ही उन पथ भ्रष्ट लोगों की सहायता के लिए आगे बढ़ें (यशायाह 58:10)।

   आज हमारे चारों ओर ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो आगे बढ़कर सहायता करें, ज़रूरतमन्दों के सहायक हों। यह बहुत महान कार्य है कि हम परमेश्वर की सहायता के हाथ बनकर सहायता की पुकार करने वालों के सहायक बनें। जो स्टोवैल


सहायता का हाथ बढ़ा कर दिखाएं कि परमेश्वर परवाह करता है।

वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - 2 कुरिन्थियों 1:4

बाइबल पाठ: यशायाह 30:15-22
Isaiah 30:15 प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहते और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है। परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया, 
Isaiah 30:16 तुम ने कहा, नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़ कर भागेंगे, इसलिये तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करने वाले उस से भी तेज होंगे। 
Isaiah 30:17 एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भागोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिये गाड़े जाते हैं। 
Isaiah 30:18 तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं।
Isaiah 30:19 हे सिय्योन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा। 
Isaiah 30:20 और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे। 
Isaiah 30:21 और जब कभी तुम दाहिनी वा बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो। 
Isaiah 30:22 तब तुम वह चान्दी जिस से तुम्हारी खुदी हुई मूत्तियां मढ़ी हैं, और वह सोना जिस से तुम्हारी ढली हुई मूत्तियां आभूषित हैं, अशुद्ध करोगे। तुम उन को मैले कुचैले वस्त्र की नाईं फेंक दोगे और कहोगे, दूर हो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 9-11
  • मत्ती 15:21-39