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रविवार, 20 अगस्त 2017

पड़ौसी


   मेरी को सप्ताह के मध्य में होने वाली चर्च समूह की सभा में भाग लेना अच्छा लगता था। उस सभा में वह और उसके मित्र मिलकर प्रार्थना करते, परमेश्वर की आराधना करते और पिछले इतवार के सन्देश पर चर्चा करते, एक दूसरे के प्रश्नों के उत्तर देते थे। इस बार की सभा में उनकी चर्चा का विषय था चर्च "जाना" और दुःखी संसार के समक्ष प्रभु यीशु मसीह का चर्च "होना"। मेरी अपने मित्रों से मिलने और उनके साथ चर्चा में भाग लेने के लिए आतुर थी।

   मेरी ने सभा के लिए निकलने के लिए अपनी कार की चाबियाँ उठाई ही थीं कि दरवाज़े की घंटी बजी। दरवाज़े पर उसकी पड़ौसन सू खड़ी थी, जिससे मेरी की औपचारिकता मात्र ही की पहचान भर थी। सू ने कहा, "आपको कष्ट दे रही हूँ, क्षमा कीजिए, परन्तु क्या आपके पास अभी कुछ समय है?" मेरी कहने ही वाली थी कि वह अपने काम से बाहर जा रही है, कि इतने में सू ने आगे कहा, "मुझे अपनी कार मरम्मत करवाने के लिए ले जाकर उसे वहाँ छोड़ कर आना है। सामान्यतः ऐसा होने पर मैं वहाँ से या तो साइकल चला कर या फिर पैदल ही लौट आती हूँ, परन्तु मेरी पीठ में चोट आई है और मैं न चल पा रही हूँ, और न ही साइकल चला पा रही हूँ। क्या आप मेरे साथ चलकर, मुझे वापस घर छोड़ देंगी?" मेरी को थोड़ी सी हिचकिचाहट हुई, परन्तु उसने मुस्कुराते हुए कहा, "अवश्य", और उसके साथ चल पड़ी।

   उस दिन मेरी अपने मित्रों के साथ चर्चा में बैठने नहीं जा सकी। जब वह अपनी पड़ौसन को वापस घर ला रही थी तो उसे मालुम पड़ा कि कैसे सू अपने पति की देखभाल कर रही है, जिन्हें मानसिक रोग है, और बहुत देखभाल की आवश्यकता रहती है। इस गहन देखभाल के कारण सू कैसे कठिन संघर्ष से होकर निकल रही है। मेरी ने सहानुभूति के साथ सू की बात को सुना, उसे सांत्वना दी और उसके लिए प्रार्थना करने का वायदा किया, और साथ ही कभी भी किसी भी प्रकार से सू की सहायता करने के लिए उपलब्ध होने का आश्वासन दिया।

   मेरी जो उस दिन की सैध्दान्तिक चर्चा में नहीं कर पाई, वह उसने व्यावाहरिक जीवन में करा। उसने अपने पड़ौसी तक, उसकी कठिन परिस्थिति में, मसीह यीशु का प्रेम और सांत्वना को पहुँचाया; मसीही विश्वासी होने की अपनी ज़िम्मेदारी को निभाया। - मेरियन स्ट्राउड


हमारा मसीही विश्वास का प्रमाण हमारा व्यावाहरिक मसीही जीवन है।

हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले? - मीका 6:8

बाइबल पाठ: लूका 10:29-37
Luke 10:29 परन्तु उसने अपने आप को धर्मी ठहराने की इच्छा से यीशु से पूछा, तो मेरा पड़ोसी कौन है? 
Luke 10:30 यीशु ने उत्तर दिया; कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिये, और मार पीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए। 
Luke 10:31 और ऐसा हुआ; कि उसी मार्ग से एक याजक[पुरोहित, धर्मोपदेशक] जा रहा था: परन्तु उसे देख के कतरा कर चला गया। 
Luke 10:32 इसी रीति से एक लेवी[मंदिर में सेवादार] उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतरा कर चला गया। 
Luke 10:33 परन्तु एक सामरी[नीच जाती का समझा जाने वाला] यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। 
Luke 10:34 और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बान्‍धी, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की। 
Luke 10:35 दूसरे दिन उसने दो दिनार निकाल कर भटियारे को दिए, और कहा; इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा। 
Luke 10:36 अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा? 
Luke 10:37 उसने कहा, वही जिसने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 105-106
  • 1 कुरिन्थियों 3


शनिवार, 19 अगस्त 2017

कला


   बारहवीं शताब्दी के चीनी कलाकार ली-टैंग ने लोगों, पक्षियों और मवेशियों को लेकर प्राकृतिक दृश्य बनाए। क्योंकि वे रेशम पर बारीक रेखाओं से रेखा-चित्र बनाने में प्रवीण थे इसलिए उन्हें प्राकृतिक दृश्यों की चीनी कला का उस्ताद माना जाता है। सदियों से संसार भर के विभिन्न कलाकारों ने परमेश्वर की सृष्टि में प्रदर्शित उसकी कलाकृतियों का चित्रण किया है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार लिखता है: "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन 19:1)। बाइबल हमें यह भी बताती है कि हम मनुष्यों के अन्दर कला की यह रचनात्मक प्रवृत्ति हमारे परमेश्वर के स्वरूप में सृजे जाने के कारण है (उत्पत्ति 1:27)।

   परमेश्वर ने अपने कार्यों के लिए अनेकों लोगों को चुना और उनमें काठ, सोना, चांदी, पीतल, और रतनों से कलाकृतियाँ बनाने की प्रवीणता दी जिससे कि वे उसके अराधनास्थल के लिए वस्तुओं को बना सकें (निर्गमन 31:1-11)। आत्मिक सच्चाईयों को दर्शाने वाली ये कलाकृतियाँ, परमेश्वर की अराधना के लिए पुरोहितों और लोगों को प्रोत्साहित करती थीं, उनका मार्गदर्शन और सहायता करती थीं।

   विभिन्न प्रकार की कला और कलाकृतियों के द्वारा हम सृष्टिकर्ता एवं मुक्तिदाता प्रभु परमेश्वर का गुणानुवाद करते हैं, उसकी सृष्टि की भवयता एवं महानता को प्रतिबिंबित करते हैं, और परमेश्वर का आदर तथा महिमा करते हैं। - डेनिस फिशर


हमें परमेश्वर की महिमा के लिए सृजा गया है।

तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। - उत्पत्ति 1:27

बाइबल पाठ: निर्गमन 31:1-11
Exodus 31:1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 
Exodus 31:2 सुन, मैं ऊरी के पुत्र बसलेल को, जो हूर का पोता और यहूदा के गोत्र का है, नाम ले कर बुलाता हूं।
Exodus 31:3 और मैं उसको परमेश्वर की आत्मा से जो बुद्धि, प्रवीणता, ज्ञान, और सब प्रकार के कार्यों की समझ देनेवाली आत्मा है परिपूर्ण करता हूं, 
Exodus 31:4 जिस से वह कारीगरी के कार्य बुद्धि से निकाल निकाल कर सब भांति की बनावट में, अर्थात सोने, चांदी, और पीतल में, 
Exodus 31:5 और जड़ने के लिये मणि काटने में, और लकड़ी के खोदने में काम करे। 
Exodus 31:6 और सुन, मैं दान के गोत्र वाले अहीसामाक के पुत्र ओहोलीआब को उसके संग कर देता हूं; वरन जितने बुद्धिमान है उन सभों के हृदय में मैं बुद्धि देता हूं, जिस से जितनी वस्तुओं की आज्ञा मैं ने तुझे दी है उन सभों को वे बनाएं; 
Exodus 31:7 अर्थात मिलापवाला तम्बू, और साक्षीपत्र का सन्दूक, और उस पर का प्रायश्चित्तवाला ढकना, और तम्बू का सारा सामान, 
Exodus 31:8 और सामान सहित मेज़, और सारे सामान समेत चोखे सोने की दीवट, और धूपवेदी, 
Exodus 31:9 और सारे सामान सहित होमवेदी, और पाए समेत हौदी, 
Exodus 31:10 और काढ़े हुए वस्त्र, और हारून याजक के याजक वाले काम के पवित्र वस्त्र, और उसके पुत्रों के वस्त्र, 
Exodus 31:11 और अभिषेक का तेल, और पवित्र स्थान के लिये सुगन्धित धूप, इन सभों को वे उन सब आज्ञाओं के अनुसार बनाएं जो मैं ने तुझे दी हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 103-104
  • 1 कुरिन्थियों 2


शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

आवश्यकता


   बोसनिया के युद्ध (1992-1996) में, 10,000 से भी अधिक सैनिक और असैनिक लोग आस-पास की पहाड़ियों से राजधानी सारायेवो शहर पर की जा रही गोलाबारी और दाग़े जा रहे मौर्टारों से मारे गए। स्टीवन गैलोवे का रोमांचक उपन्यास, The Cellist of Sarajevo आधुनिक युद्ध स्थिति में किसी राजधानी की सबसे लंबी चली घेराबंदी की इसी पृष्ठभूमि पर आधारित है। इस उपन्यास में तीन काल्पनिक पात्र हैं, जिन्हें निर्णय करना है कि वे इस लड़ाई में जीवित रहने के संघर्ष में अपनी ही चिन्ता करने में खो जाएंगे, या, अपने आस-पास की जड़ कर देने वाली परिस्थितियों से किसी प्रकार ऊपर उठकर औरों की चिन्ता भी करेंगे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम खण्ड के एक प्रमुख पात्र, प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखा, "विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे" (फिलिप्पियों 2:3-4)। अपनी इस बात कि पुष्टि के लिए पौलुस ने दूसरों के प्रति निःस्वर्थ मनसा रखने के लिए प्रभु यीशु का उदाहरण दिया: "जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली" (फिलिप्पियों 2:5-8)।

   दूसरों से सहानुभूति या दया चाहने की अपेक्षा, प्रभु यीशु ने हमें पापों से छुड़ाने के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया; हमारी आवश्यकता को अपनी ज़िम्मेदारी बना लिया। हम मसीही विश्वासियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि हम दूसरों की आवश्यकताओं को प्रभु यीशु के दृष्टिकोण से देखें, और अपने कठिन समयों में भी प्रभु की सामर्थ्य से प्रभु के समान ही अन्य लोगों की उन आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील तथा कार्यकारी बनें। - डेविड मैक्कैसलैंड


दूसरों के प्रति प्रेम रखने की कुँजी अपने प्रति प्रभु परमेश्वर के प्रेम को अपनाना है।

क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे। - मरकुस 10:45

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 100-102
  • 1 कुरिन्थियों 1


गुरुवार, 17 अगस्त 2017

दृष्टिकोण


   एक प्रातः जब लिलिया कार्य पर निकलने की तैयारी कर रही थी, उसकी 4 वर्षीय पुत्री, जेस, भी कुछ कार्य करने लगी। परिवार ने एक टोस्टर खरीदा था और उस टोस्टर को कार्य करते देखने से जेस रोमांचित होती थी। कुछ ही मिनिटों में लिलिया ने पाया कि उसके सामने मेज़ पर पूरा ब्रेड और आधा टोस्ट विद्यमान था; और जेस कह रही थी, "देखा, मैं कितनी अच्छी डबल रोटी बनाती हूँ"।

   एक जिज्ञासु लड़की द्वारा ब्रेड को टोस्ट में बदल देना कोई आश्चर्यकर्म नहीं था। परन्तु जब प्रभु यीशु ने एक लड़के की पाँच रोटियों और दो मछलियों को हज़ारों की भीड़ को भर-पेट खिलाने के लायक भोजन में बदल दिया, तो उस पहाड़ी पर एकत्रित भीड़ ने इस बात के आश्चर्यकर्म होने को समझा, और वे प्रभु को राजा बनाने की युक्ति करने लगे (देखिए यूहन्ना 6:1-15)।

   परन्तु प्रभु यीशु का राज्य इस संसार का राज्य नहीं है (यूहन्ना 18:36), इसलिए वह उनके मध्य में से निकल कर चला गया। अगले दिन जब लोगों ने उसे झील के पार पाया, और उससे इस के बारे में पूछने लगे, तो प्रभु यीशु ने उनके विचारों और उद्देश्यों में विद्यमान मूल त्रुटि को उनके सामने रखा; प्रभु यीशु ने उन से कहा: "...मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्‍त हुए" (यूहन्ना 6:26)।

   उनका सोचना था कि "राजा" यीशु उन्हें मुफ्त में, बिना किसी परिश्रम के, भरपेट भोजन देता रहेगा और साथ ही रोमी शासन से स्वतंत्रता देगा; परन्तु उनकी यह सोच गलत थी। प्रभु यीशु ने उन्हें परामर्श दिया, "नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है" (पद 27)। सांसारिक दृष्टिकोण हमें प्रभु यीशु को सांसारिक आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम बनाकर दिखाएगा; परन्तु वह तो हमें सांसारिक वस्तुएं नहीं वरन पापों की क्षमा, स्वर्गीय आशीषें, और अनन्त जीवन का दान देने आया है। - टिम गस्टाफ्सन


पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो
 तो यह सब वस्तुएं भी तुम्हें दे दी जाएंगी। - मत्ती 6:33

चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। - यूहन्ना 10:10

बाइबल पाठ: यूहन्ना 6:22-34
John 6:22 दूसरे दिन उस भीड़ ने, जो झील के पार खड़ी थी, यह देखा, कि यहां एक को छोड़कर और कोई छोटी नाव न थी, और यीशु अपने चेलों के साथ उस नाव पर न चढ़ा, परन्तु केवल उसके चेले चले गए थे। 
John 6:23 (तौभी और छोटी नावें तिबिरियास से उस जगह के निकट आई, जहां उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी।) 
John 6:24 सो जब भीड़ ने देखा, कि यहां न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूंढ़ते हुए कफरनहूम को पहुंचे। 
John 6:25 और झील के पार उस से मिलकर कहा, हे रब्बी, तू यहां कब आया? 
John 6:26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्‍त हुए। 
John 6:27 नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। 
John 6:28 उन्होंने उस से कहा, परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें? 
John 6:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो।
John 6:30 तब उन्होंने उस से कहा, फिर तू कौन का चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरी प्रतीति करें, तू कौन सा काम दिखाता है? 
John 6:31 हमारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है; कि उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी। 
John 6:32 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। 
John 6:33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है। 
John 6:34 तब उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 97-99
  • रोमियों 16


बुधवार, 16 अगस्त 2017

धन्यवाद और अराधना


   पेंसिलिन के अविष्कार से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। 1940 के दशक से पहले, कीटाणुओं से होने वाला संक्रमण अकसर घातक सिद्ध होता था। परन्तु पेंसिलिन के आने के बाद से हानिकारक जीवाअणुओं के नाश द्वारा अनगिनित जानें बचाई गई हैं। जिन व्यक्तियों ने पेंसिलिन की इस संभावना को पहचाना और उसे व्यापक उपयोग के लिए विकसित करके उपलब्ध करवाया, उन्हें इस कार्य के लिए 1945 में नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। हम मनुष्य आज भी उनकी इन सेवाओं और कार्य के लिए धन्यवादी और कृतज्ञ है।

   पेंसिलिन के अविष्कार से बहुत पहले भी हानिकारक जीवाणुओं का नाश करने के लिए कुछ अदृश्य और अनजाने मूक कार्यकर्ता कार्यरत थे। ये मूक कार्यकर्ता हैं हमारे रक्त में पाई जानी वाली श्वेत रक्त कोशिकाएं। ये परिश्रमी कोशिकाएं हमें बीमारियों से बचाए रखने के लिए परमेश्वर द्वारा दिया गया उपाय हैं। कोई नहीं जानता कि उन्होंने कितने आक्रमणों को विफल किया है, कितनी जानों को बचाया है। उनके द्वारा लगातार की जा रही भलाई के लिए उन्हें बहुत कम ही श्रेय मिल पाता है।

   प्रभु परमेश्वर के साथ भी यही स्थिति है। यदि कुछ गलत हो जाता है तो प्रभु को ही दोष दिया जाता है, परन्तु जब सब कुछ सुचारू रुप से चल रहा होता है तो उस स्थिति के लिए उसे कम ही श्रेय दिया जाता है। प्रतिदिन लोग सो कर उठते हैं, तैयार होते हैं, अपने कार्यों के लिए विभिन्न साधनों के द्वारा जाते हैं, और फिर सुरक्षित लौट कर अपने परिवारों के पास आ जाते हैं। कोई नहीं जानता है कि कितनी बार प्रभु ने उन्हें किसी खतरे से, से किसी हानि से, कैसे-कैसे बचाया है; बहुत ही कम लोगों को इस प्रभु द्वारा दी गई इस देखभाल और सुरक्षा का एहसास होता है; बहुत ही कम लोग प्रभु के प्रति इन दैनिक आशीषों के लिए धन्यवादी होते हैं। परन्तु यदि कोई त्रासदी हो जाए, तो सभी एकदम पुकारने लगते हैं कि ऐसे में "परमेश्वर कहाँ था?"

   जब मैं उन अद्भुत बातों के बारे में विचार करती हूँ जो परमेश्वर हमारे जीवनों में, हमारे लिए करता रहता है (यशायाह 25:1), तो मैं पाती हूँ कि प्रभु परमेश्वर के प्रति मेरे धन्यवाद और अराधना के विषयों की सूची, उससे माँगने के लिए मेरी प्रार्थनाओं और निवेदनों की सूची से कहीं अधिक बड़ी हो जाती है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर हमें उसकी स्तुति और प्रशंसा करते रहने के कारण प्रदान करता रहता है।

हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं की खोल कर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती। - भजन 40:5

बाइबल पाठ: यशायाह 25:1-9
Isaiah 25:1 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू ने आश्चर्यकर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियां की हैं। 
Isaiah 25:2 तू ने नगर को डीह, और उस गढ़ वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को ऐसा उजाड़ा कि वह नगर नहीं रहा; वह फिर कभी बसाया न जाएगा। 
Isaiah 25:3 इस कारण बलवन्त राज्य के लोग तेरी महिमा करेंगे; भयंकर अन्यजातियों के नगरों में तेरा भय माना जाएगा। 
Isaiah 25:4 क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ। 
Isaiah 25:5 जैसे निर्जल देश में बादल की छाया से तपन ठण्डी होती है वैसे ही तू परदेशियों का कोलाहल और क्रूर लोगों को जयजयकार बन्द करता है।
Isaiah 25:6 सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा। 
Isaiah 25:7 और जो पर्दा सब देशों के लोगों पर पड़ा है, जो घूंघट सब अन्यजातियों पर लटका हुआ है, उसे वह इसी पर्वत पर नाश करेगा। 
Isaiah 25:8 वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है।
Isaiah 25:9 और उस समय यह कहा जाएगा, देखो, हमारा परमेश्वर यही है; हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उस से उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 94-96
  • रोमियों 15:14-33


मंगलवार, 15 अगस्त 2017

स्वीकार


   1800 के अन्त की ओर, तथा 1900 के आरंभिक वर्षों में, जॉर्जिया प्रांत के सवान्ना शहर के बन्दरगाह में आने वाले जलपोतों का स्वागत करने के लिए एक बात चिर-परिचित हो गई थी - फ्लोरेंस मार्टस नामक महिला, जो 44 वर्ष तक संसार भर से आने वाले विशाल जलपोतों का स्वागत दिन में रुमाल लिए हुए हाथ हिला-हिला कर और रात में लालटेन हिला कर किया करती थी। आज सवान्ना के मोरेल उद्यान में स्थापित की गई फ्लोरेंस और उसके वफादार कुत्ते की मूर्ति आने वाले जलपोतों का स्वागत करती है।

   हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत में कुछ बात है जो स्वीकार करना दिखाती है। परमेश्वर के वचन बाइबल के रोमियों 15:7 में पौलुस ने अपने पाठकों से आग्रह किया: "इसलिये, जैसा मसीह ने भी परमेश्वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो"। पौलुस बता रहा था कि मसीही विश्वासी और मसीह यीशु के अनुयायी होने के नाते, हमें एक दूसरे के प्रति कैसा व्यवहार रखना चाहिए: "और धीरज, और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो। ताकि तुम एक मन और एक मुंह हो कर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की बड़ाई करो" (रोमियों 15:5-6)।

   मसीह यीशु में सहविश्वासियों को स्वीकार करना केवल एक दूसरे के प्रति हमारे प्रेम ही को नहीं दिखाता है - यह उस महान प्रेम को प्रतिबिंबित करता है जिसके द्वारा प्रभु परमेश्वर ने हमें अपने परिवार में सम्मिलित किया है - स्थायी रूप से, अनन्तकाल के लिए। - बिल क्राऊडर


मसीही जितना मसीह की निकटता में बढ़ते हैं, 
वे उतना ही एक दूसरे की निकटता में भी बढ़ते हैं।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। - फिलिप्पियों 2:3-4

बाइबल पाठ: रोमियों 15:1-7
Romans 15:1 निदान हम बलवानों को चाहिए, कि निर्बलों की निर्बलताओं को सहें; न कि अपने आप को प्रसन्न करें। 
Romans 15:2 हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित प्रसन्न करे। 
Romans 15:3 क्योंकि मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया, पर जैसा लिखा है, कि तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी। 
Romans 15:4 जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शान्ति के द्वारा आशा रखें। 
Romans 15:5 और धीरज, और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो। 
Romans 15:6 ताकि तुम एक मन और एक मुंह हो कर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की बड़ाई करो। 
Romans 15:7 इसलिये, जैसा मसीह ने भी परमेश्वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 91-93
  • रोमियों 15:1-13


सोमवार, 14 अगस्त 2017

परिप्रेक्ष्य


   हम एलबर्ट आइन्स्टाईन को उनके बिखरे हुए बालों, बड़ी-बड़ी आँखों और आकर्षक बुद्धिमता के अलावा उनके एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक और भौतिक शास्त्री होने के लिए जानते हैं; एक ऐसे प्रवीण वैज्ञानिक होने के लिए जिन्होंने संसार की रचना और कार्यविद्धि के प्रति हमारा दृष्टिकोण बदल दिया। उनके प्रसिद्ध सूत्र, E=mc2 ने वैज्ञानिक सोच में क्रांति ला दी और हमें नाभिकीय युग में पहुँचा दिया। उन्होंने अपने "Special Theory of Relativity (सापेक्षता के विशेष सिद्धांत)" के द्वारा तर्क दिया कि क्योंकि सृष्टि में सब कुछ गतिवान है, इसलिए हर बात को समझना और जानना उसके परिप्रेक्ष्य पर निर्भर करता है। उनका मानना था कि प्रकाश की गति ही एकमात्र अपरिवर्तनीय तथ्य है, जिसके आधार पर हम अन्तरिक्ष, समय, और भौतिक द्रव्यमान को माप सकते हैं।

   एलबर्ट आइन्स्टाईन से सदियों पहले प्रभु यीशु ने हमारे संसार को जानने और समझने के लिए प्रकाश के महत्व के बारे में बताया, किंतु एक भिन्न परिप्रेक्ष्य से। प्रभु यीशु ने संसार की ज्योति होने के अपने दावे (यूहन्ना 8:12) के समर्थन में एक जन्म से अन्धे की आँखों को ज्योति दी (यूहन्ना 9:6)। इस घटना को लेकर जब उस समय के धर्मगुरुओं, फरीसियों, ने प्रभु पर पापी होने का दोषारोपण किया, तो ज्योति पाने वाले उस कृतज्ञ जन्म के अँधे ने उन से कहा, "...मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं: मैं एक बात जानता हूं कि मैं अन्‍धा था और अब देखता हूं" (यूहन्ना 9:25)।

   यद्यपि बाद में आइन्स्टाईन के विचारों को सरलता से जाँच पाना कठिन हुआ, प्रभु यीशु के सभी दावों की जाँच की जा सकती है। जब हम परमेश्वर के वचन बाइबल की शिक्षाओं में प्रभु यीशु के साथ चलते हैं, उसे अपनी दिनचर्या में आमंत्रित कर के अपने जीवन का भाग बना लेते हैं, तो हम स्वयं देखने पाएंगे कि वह प्रत्येक बात के प्रति हमारे परिप्रेक्ष्य को बदल देता है, हमें जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है। - मार्ट डीहॉन


केवल मसीह की ज्योति में चलकर ही हम उसके प्रेम में जीवन जी सकते हैं।

तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। - यूहन्ना 8:12

बाइबल पाठ: यूहन्ना 9:1-7
John 9:1 फिर जाते हुए उसने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म का अन्‍धा था। 
John 9:2 और उसके चेलों ने उस से पूछा, हे रब्बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्‍धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने? 
John 9:3 यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों। 
John 9:4 जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। 
John 9:5 जब तक मैं जगत में हूं, तब तक जगत की ज्योति हूं। 
John 9:6 यह कहकर उसने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अन्धे की आंखों पर लगाकर। 
John 9:7 उस से कहा; जा शीलोह के कुण्ड में धो ले, (जिस का अर्थ भेजा हुआ है) सो उसने जा कर धोया, और देखता हुआ लौट आया।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 89-90
  • रोमियों 14