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सोमवार, 5 फ़रवरी 2018

सेवक


   पारंपरिक अफ्रीकी समाज में, नेतृत्व के लिए उत्तराधिकारी का चयन गंभीर निर्णय होता है। राजा के देहांत के पश्चात अगले अगुवे को चुनने में बहुत सावधानी बरती जाती है। उस नए अगुवे को न केवल राजसी परिवार में से होना होता है, वरन उसे बलवान, निर्भीक और समझदार भी होना होता है। निर्णय करने के लिए पदाभिशिलाषियों से पूछ-ताछ की जाती है, यह जानने के लिए कि वे  प्रजा की सेवा करेंगे या उन पर कठोरता से शासन करेंगे। राजा के उत्तराधिकारी को ऐसा होना चाहिए जो नेतृत्व भी प्रदान करे और सेवा भी करे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि राजा सुलेमान ने अनेकों व्यक्तिगत गलत निर्णय लिए, गलत चुनाव किए, परन्तु वह अपने उत्तराधिकारी को लेकर चिन्तित था। उसने अपनी इस चिंता के विषय लिखा “मैं ने अपने सारे परिश्रम के प्रतिफल से जिसे मैं ने धरती पर किया था घृणा की, क्योंकि अवश्य है कि मैं उसका फल उस मनुष्य के लिये छोड़ जाऊं जो मेरे बाद आएगा। यह कौन जानता है कि वह मनुष्य बुद्धिमान होगा वा मूर्ख? तौभी धरती पर जितना परिश्रम मैं ने किया, और उसके लिये बुद्धि प्रयोग की उस सब का वही अधिकारी होगा। यह भी व्यर्थ ही है” (सभोपदेशक 2:18-19)। सुलेमान के बाद उसका पुत्र रहूबियाम उसकी गद्दी पर बैठा; परन्तु उसने नासमझी से काम लिया और उसका पिता जिस बात के होने से डरता था, वही कर बैठा।

   जब प्रजा के लोगों ने रहूबियाम से कार्य स्थिति को सुधार कर उसे और मानवीय बनाने की माँग की, तो यह उसके पास अवसर था कि वह सेवक और अगुवा होने की दोनों ही जिम्मेदारियों को निभाए। राज्य के प्राचीनों ने उसे परामर्श दिया, “...यदि तू अभी प्रजा के लोगों का दास बनकर उनके आधीन हो और उन से मधुर बातें कहे, तो वे सदैव तेरे आधीन बने रहेंगे” (1 राजा 12:7), किंतु उसने उनकी इस नेक सलाह को नहीं माना। रहूबियाम ने परमेश्वर की इच्छा भी जानने का प्रयास नहीं किया। प्रजा के प्रति उसके कठोर प्रत्युत्तर के कारण राज्य विभाजित हो गया और परमेश्वर के लोगों का आत्मिक पतन गतिमान हो गया (12:14-19)।

   हमारे परिवारों, कार्यस्थल, चर्च, पड़ौस इत्यादि की बातों और निर्णयों में हमें परमेश्वर से मिलने वाली इस समझ-बूझ की बहुत आवश्यकता होती है, जिससे नम्रता के साथ और सेवक बन कर निर्णय लें और कार्य करें न कि रौब गाँठ कर और कठोरता से। - लौरेंस दरामानी


अच्छा अगुवा अच्छा सेवक भी होता है।

यीशु ने उन्हें पास बुलाकर कहा, तुम जानते हो, कि अन्य जातियों के हाकिम उन पर प्रभुता करते हैं; और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं। परन्तु तुम में ऐसा न होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने। जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे। - मत्ती 20: 25-28

बाइबल पाठ: 1 राजा 12:1-15
1 Kings 12:1 रहूबियाम तो शकेम को गया, क्योंकि सब इस्राएली उसको राजा बनाने के लिये वहीं गए थे।
1 Kings 12:2 और जब नबात के पुत्र यारोबाम ने यह सुना, (जो अब तक मिस्र में रहता था, क्योंकि यारोबाम सुलैमान राजा के डर के मारे भगकर मिस्र में रहता था।
1 Kings 12:3 सो उन लोगों ने उसको बुलवा भेजा) तब यारोबाम और इस्राएल की समस्त सभा रहूबियाम के पास जा कर यों कहने लगी,
1 Kings 12:4 कि तेरे पिता ने तो हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था, तो अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को, और उस भारी जूए को, जो उसने हम पर डाल रखा है, कुछ हलका कर; तब हम तेरे आधीन रहेंगे।
1 Kings 12:5 उसने कहा, उभी तो जाओ, और तीन दिन के बाद मेरे पास फिर आना। तब वे चले गए।
1 Kings 12:6 तब राजा रहूबियाम ने उन बूढ़ों से जो उसके पिता सुलैमान के जीवन भर उसके साम्हने उपस्थित रहा करते थे सम्मति ली, कि इस प्रजा को कैसा उत्तर देना उचित है, इस में तुम क्या सम्मति देते हो?
1 Kings 12:7 उन्होंने उसको यह उत्तर दिया, कि यदि तू अभी प्रजा के लोगों का दास बनकर उनके आधीन हो और उन से मधुर बातें कहे, तो वे सदैव तेरे आधीन बने रहेंगे।
1 Kings 12:8 रहूबियाम ने उस सम्मति को छोड़ दिया, जो बूढ़ों ने उसको दी थी,और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे, और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे।
1 Kings 12:9 उन से उसने पूछा, मैं प्रजा के लोगों को कैसा उत्तर दूं? उस में तुम क्या सम्मति देते हो? उन्होने तो मुझ से कहा है, कि जो जूआ तेरे पिता ने हम पर डाल रखा है, उसे तू हलका कर।
1 Kings 12:10 जवानों ने जो उसके संग बड़े हुए थे उसको यह उत्तर दिया, कि उन लोगों ने तुझ से कहा है, कि तेरे पिता ने हमारा जूआ भारी किया था, परन्तु तू उसे हमारे लिऐ हलका कर; तू उन से यों कहना, कि मेरी छिंगुलिया मेरे पिता की कमर से भी मोटी है।
1 Kings 12:11 मेरे पिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था, उसे मैं और भी भारी करूंगा; मेरा पिता तो तुम को कोड़ों से ताड़ना देता था, परन्तु मैं बिच्छुओं से दूंगा।
1 Kings 12:12 तीसरे दिन, जैसे राजा ने ठहराया था, कि तीसरे दिन मेरे पास फिर आना, वैसे ही यारोबाम और समस्त प्रजागण रहूबियाम के पास उपस्थित हुए।
1 Kings 12:13 तब राजा ने प्रजा से कड़ी बातें कीं,
1 Kings 12:14 और बूढ़ों की दी हुई सम्मति छोड़कर, जवानों की सम्मति के अनुसार उन से कहा, कि मेरे पिता ने तो तुम्हारा जूआ भारी कर दिया, परन्तु मैं उसे और भी भारी कर दूंगा: मेरे पिता ने तो कोड़ों से तुम को ताड़ना दी, परन्तु मैं तुम को बिच्छुओं से ताड़ना दूंगा।
1 Kings 12:15 सो राजा ने प्रजा की बात नहीं मानी, इसका कारण यह है, कि जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहिय्याह के द्वारा नबात के पुत्र यारोबाम से कहा था, उसको पूरा करने के लिये उसने ऐसा ही ठहराया था।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 36-38
  • मत्ती 23:1-22



रविवार, 4 फ़रवरी 2018

खज़ाना


   मेरे पति टौम और मैं पढ़ने के लिए भिन्न विधियाँ प्रयोग करते हैं। क्योंकि टौम के लिए अंग्रेज़ी प्रथम भाषा नहीं है इसलिए उनकी प्रवृत्ति है कि वे धीरे-धीरे, प्रत्येक शब्द को पढ़ते हुए आगे बढ़ें। लेकिन मैं बहुधा लेख पर सरसरी तौर से नज़रें दौड़ा कर, द्रुत गति से पढ़ लेती हूँ। परन्तु टौम को पढ़ा हुआ मुझसे अधिक स्मरण रहता है; वे बड़ी सरलता से सप्ताह भर पहले पढ़े हुए को भी अद्धृत कर देते हैं, जबकि मेरा पढ़ा हुआ, पुस्तक से ध्यान हटाने के कुछ ही सेकेंडों में गायब हो जाता है।

   ऐसे सरसरी तौर से परमेश्वर के वचन बाइबल को पढ़ना मेरे लिए समस्या होता है – और यह केवल वंशावलियों ही के लिए नहीं है। मेरी प्रवृत्ति रहती है कि मैं परिचित परिच्छेदों को, उन कहानियों को जिन्हें मैं बचपन से सुनती आई हूँ, या किसी भजन के भाग को जो अक्सर गए जाने वाले स्तुति गीतों में पाए जाते हैं, ऐसे ही सरसरी तौर से पढ़ लूँ, बस उनपर नज़र दौड़ा लूँ।

   बाइबल में नीतिवचन 2 हमें प्रोत्साहित करता है कि हम समझ-बूझ के मन के साथ परमेश्वर को और अधिक निकटता से, और गहराई से जाननें के प्रयास करें। जब हम बाइबल को ध्यानपूर्वक पढ़ते हैं, उस में समय बिताते हैं, उसे स्मरण करने के प्रयास करते हैं तब हम उसकी सच्चाईयों को बेहतर, तथा और गहराई से जानने पाते हैं (पद 1-2)। कभी-कभी वचन को ऊँची आवाज़ में पढ़ने से हम परमेश्वर की बुद्धिमता को और भरपूरी से समझने पाते हैं। और जब हम परमेश्वर के वचन को प्रार्थना में परमेश्वर के सामाने उद्धृत करते हैं, और उसके लिए परमेश्वर से समझा-बूझ माँगते हैं (पद 3), तो हम उस वचन के लेखक के साथ वार्तालाप का भी आनन्द लेने पाते हैं।

   हम परमेश्वर और उसकी बुद्धिमता को तब जानने पाते हैं जब हम उसे पूरे हृदय से खोजते हैं। जब हम परमेश्वर के वचन को चांदी और छिपे हुए खजाने के समान खोजते हैं तब हमें उसकी समझ मिलती है। - सिंडी हैस कैस्पर


बाइबल को ध्यान के साथ पढ़ें, और प्रार्थनापूर्वक उसका अध्ययन करें।

मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलुस्सियों 3:16

बाइबल पाठ: नीतिवचन 2:1-5
Proverbs 2:1 हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,
Proverbs 2:2 और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगा कर सोचे;
Proverbs 2:3 और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे,
Proverbs 2:4 ओर उसको चान्दी के समान ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे;
Proverbs 2:5 तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 34-35
  • मत्ती 22:23-46



शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

प्रशिक्षण


   हाल ही में मैं एक ऐसी महिला से मिली जिसने अपने शरीर और मन को सीमा तक धकेल रखा है। उसने पहाड़ चढ़े हैं, मृत्यु का सामना किया है, और गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का एक रिकॉर्ड भी थोड़ा है। अब वह एक भिन्न चुनौती से जूझ रही है – विशेष आवश्यकताओं वाले अपने बच्चे की देखाभाल और परवरिश में। जिस विश्वास और साहस का प्रयोग उसने पहाड़ चढ़ने के लिए किया था उसे अब वह मात्रत्व में लगा रही है।

            परमेश्वर के वचन बाइबल के 1 कुरिन्थियों में, प्रेरित पौलुस एक ऐसे धावक की उपमा देता है जो दौड़ प्रतिस्पर्धा में है। एक ऐसी कलीसिया को संबोधित करते हुए जो अपने अधिकारों के प्रति आसक्त थी (अध्याय 8), वह उन से आग्रह करता है कि वे एक दूसरे की भलाई का ध्यान करें। मसीह यीशु के अनुयायी होने के नाते, उन्हें मसीह की आज्ञाकारिता के प्रति अपने अधिकारों का त्याग करना है। वह उन्हें समझाता है कि कैसे प्रेम और स्वयं के बलिदान का जीवन जीने को वह धीरज की लंबी दौड़ मानता है (अध्याय 9)।

   जैसे खिलाड़ी अपने शरीरों को प्रशिक्षित करते हैं जिससे कि वे मुकुट को जीत सकें, हमें भी अपने शरीरों और मनों को प्रशिक्षित करना है कि हम अपनी आत्माओं की उन्नति कर सकें। हम हमारे अन्दर निवास करने वाले परमेश्वर पवित्र-आत्मा से विनती करते हैं कि पल-पल हमें हमारे उद्धारकर्ता प्रभु के स्वरूप में परिवर्तित करते रहें, जिससे हम अपने पुराने मनुष्यत्व को पीछे छोड़ सकें। इस प्रकार, परमेश्वर से सामर्थ्य प्राप्त कर के, आवेश और क्रोध के समय में हम कोई कठोर शब्द बोलने से अपने आप को रोक लेते हैं; जब अपने मित्रों के साथ संगति में हों तो अपने इलेक्ट्रौनिक उपकरणों को बन्द करके उनके प्रति अपने ध्यान को लगाते हैं; किसे चर्चा या असहमति में अंतिम शब्द कहने की होड़ में नहीं रहते हैं।

   हम जब प्रभु यीशु मसीह की आत्मा में होकर आज के दिन की अपनी दौड़ को दौड़ने की तैयारी में हैं, तो परमेश्वर से क्या चाहेंगे कि वह हमारे अन्दर सुधारे और हमें किस रीति से ढाले? – एमी बाउचर पाई


प्रशिक्षण से परिवर्तन ता है।

परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - 2 कुरिन्थियों 3:18

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 9:24-27
1 Corinthians 9:24 क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो।
1 Corinthians 9:25 और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं।
1 Corinthians 9:26 इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्तु उस के समान नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है।
1 Corinthians 9:27 परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार कर के, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 31-33
  • मत्ती 22:1-22



शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

विरासत


   जब एक सड़क-निर्माण कंपनी के कर्मचारी, टिम, का एक दुर्घटना में निधन हुआ, तो इस व्यक्ति के अपने परिवार-जनों, सहकर्मियों, और समाज के लोगों के प्रति प्रेम के कारण सब को अभिभूत कर देने वाली हानि उठाने का अनुभव हुआ। उसकी अंत्येष्ठी सभा के लिए एकत्रित होने वालों की संख्या इतनी थी कि उनके कसबे के छोटे चर्च में सब लोग नहीं आ सकते थे, इसलिए प्रबंधन करने वालों को उस सभा के स्थान को एक बड़े स्थान पर स्थानांतरित करना पड़ा। परिवार जनों और मित्रों से वह बड़ा सभा घर भी खचा-खच भरा हुआ था। सन्देश स्पष्ट था : टिम ने अपनी अनोखी रीति से बहुतेरे जीवनों को छुआ था। ऐसे बहुतेरे थे जो अब उसकी कृपा, हंसमुख प्रवृत्ति, और जीवन के प्रति उमंग की कमी अनुभव करेंगे।

   जब मैं उसकी अंत्येष्ठी से लौटा तो मेरा ध्यान परमेश्वर के वचन बाइबल में उल्लेखित राजा यहोराम के जीवन की ओर गया। टिम के और उस राजा के जीवन में कितना अन्तर था। उस राजा के अल्पकालीन आतंकपूर्ण शासन का उल्लेख 2 इतिहास 21 अध्याय में दिया गया है। अपने राज्य को स्थिर करने के उद्देश्य से येहोराम ने अपने ही भाइयों और अन्य अगुवों की हत्या करवा दी (पद 4)। इसके बाद वह यहूदा की अपनी प्रजा को अनेकों बुराईयों की ओर ले गया, परमेश्वर से विमुख किया। उसके उल्लेख के अन्त में उसके विषय आया है : “और सब को अप्रिय हो कर जाता रहा। और उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई, परन्तु राजाओं के कब्रिस्तान में नहीं” (पद 20)। येहोराम ने सोचा था कि क्रूर बल के प्रयोग से उसकी विरासत बनी रहेगी। उसकी विरासत बनी तो रही, परंतु बदनामी और बुराई के साथ – परमेश्वर के वचन में अनन्त काल तक वह एक बुरा और स्वार्थी व्यक्ति कहलाया जाएगा।

   प्रभु यीशु भी एक राजा थे, परन्तु वे पृथ्वी पर दास का स्वरुप धारण कर के आ गए। वे सब की भलाई करते हुए फिरे, और जो लोगों पर नियंत्रण रखना और बलवान होना चाहते थे, उनकी घृणा को सहा। उन्होंने सबकी भलाई और सँसार के प्रत्येक व्यक्ति के उद्धार के लिए अपने प्राण बलिदान होने के लिए दे दिए।

   आज प्रभु यीशु की भी एक विरासत है, जिसके साथ वे अपने अनुयायियों में जीवित हैं। उस विरासत में वे सभी जन सम्मिलित हैं जो यह जानते हैं कि जीवन केवल अपने बारे में सोचने, करने के लिए नहीं है। सच्चा आनंदमय और अनन्त जीवन प्रभु यीशु के साथ होने में है; उस प्रभु परमेश्वर के साथ जो अपनी सामर्थी भुजाओं में प्रत्येक उस व्यक्ति भर लेना चाहता है जो स्वेच्छा से उसकी ओर मुड़ता है, अनन्त जीवन पा लेने के उसके निमंत्रण को स्वीकार करता है। - टिम गुस्टाफसन


प्रभु परमेश्वर के लिए जिया गया जीवन स्थाई विरासत छोड़ जाता है।

क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे। - मरकुस 10:45

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 21:4-20
2 Chronicles 21:4 जब यहोराम अपने पिता के राज्य पर नियुक्त हुआ और बलवन्त भी हो गया, तब उसने अपने सब भाइयों को और इस्राएल के कुछ हाकिमों को भी तलवार से घात किया।
2 Chronicles 21:5 जब यहोराम राजा हुआ, तब वह बत्तीस वर्ष का था, और वह आठ वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा।
2 Chronicles 21:6 वह इस्राएल के राजाओं की सी चाल चला, जैसे अहाब का घराना चलता था, क्योंकि उसकी पत्नी अहाब की बेटी थी। और वह उस काम को करता था, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है।
2 Chronicles 21:7 तौभी यहोवा ने दाऊद के घराने को नाश करना न चाहा, यह उस वाचा के कारण था, जो उसने दाऊद से बान्धी थी। और उस वचन के अनुसार था, जो उसने उसको दिया था, कि में ऐसा करूंगा कि तेरा और तेरे वंश का दीपक कभी न बुझेगा।
2 Chronicles 21:8 उसके दिनों में एदोम ने यहूदा की आधीनता छोड़ कर अपने ऊपर एक राजा बना लिया।
2 Chronicles 21:9 सो यहोराम अपने हाकिमों और अपने सब रथों को साथ ले कर उधर गया, और रथों के प्रधानों को मारा।
2 Chronicles 21:10 यों एदोम यहूदा के वश से छूट गया और आज तक वैसा ही है। उसी समय लिब्ना ने भी उसकी आधीनता छोड़ दी, यह इस कारण हुआ, कि उसने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को त्याग दिया था।
2 Chronicles 21:11 और उसने यहूदा के पहाड़ों पर ऊंचे स्थान बनाए और यरूशलेम के निवासियों व्यभिचार कराया, और यहूदा को बहका दिया।
2 Chronicles 21:12 तब एलिय्याह नबी का एक पत्र उसके पास आया, कि तेरे मूलपुरुष दाऊद का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि तू जो न तो अपने पिता यहोशापात की लीक पर चला है और न यहूदा के राजा आसा की लीक पर,
2 Chronicles 21:13 वरन इस्राएल के राजाओं की लीक पर चला है, और अहाब के घराने के समान यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों व्यभिचार कराया है और अपने पिता के घराने में से अपने भाइयों को जो तुझ से अच्छे थे, घात किया है,
2 Chronicles 21:14 इस कारण यहोवा तेरी प्रजा, पुत्रों, स्त्रियों और सारी सम्मत्ति को बड़ी मार से मारेगा।
2 Chronicles 21:15 और तू अंतडिय़ों के रोग से बहुत पीड़ित हो जाएगा, यहां तक कि उस रोग के कारण तेरी अंतडिय़ां प्रतिदिन निकलती जाएंगी।
2 Chronicles 21:16 और यहोवा ने पलिश्तियों को और कूशियों के पास रहने वाले अरबियों को, यहोराम के विरुद्ध उभारा।
2 Chronicles 21:17 और वे यहूदा पर चढ़ाई कर के उस पर टूट पड़े, और राजभवन में जितनी सम्पत्ति मिली, उस सब को और राजा के पुत्रों और स्त्रियों को भी ले गए, यहां तक कि उसके लहुरे बेटे यहोआहाज को छोड़, उसके पास कोई भी पुत्र न रहा।
2 Chronicles 21:18 इन सब के बाद यहोवा ने उसे अंतडिय़ों के असाध्यरोग से पीड़ित कर दिया।
2 Chronicles 21:19 और कुछ समय के बाद अर्थात दो वर्ष के अन्त में उस रोग के कारण उसकी अंतडिय़ां निकल पड़ीं, ओर वह अत्यन्त पीड़ित हो कर मर गया। और उसकी प्रजा ने जैसे उसके पुरखाओं के लिये सुगन्धद्रव्य जलाया था, वैसा उसके लिये कुछ न जलाया।
2 Chronicles 21:20 वह जब राज्य करने लगा, तब बत्तीस वर्ष का था, और यरूशलेम में आठ वर्ष तक राज्य करता रहा; और सब को अप्रिय हो कर जाता रहा। और उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई, परन्तु राजाओं के कब्रिस्तान में नहीं।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 29-30
  • मत्ती 21:23-46



गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

प्रार्थना


   क्या आप ऐसे समय से निकल रहे हैं जब लगता है कि समस्या के समाधान के प्रत्येक प्रयास का सामना एक नई समस्या से होता है? आप रात्रि को सोने से पहले परमेश्वर को धन्यवाद करते हैं कि समस्या सुलझा गई, परन्तु जब प्रातः उठते हैं तो पता चलता है कि कुछ बिगड़ गया है और समस्या वहीं की वहीं है।

   ऐसे ही एक अनुभव से निकलते समय, मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका रचित सुसमाचार पढ़ रहा था, और 18वें अध्याय के आरंभिक पद को पढ़कर चकित हो गया; वहाँ लिखा था : “फिर उसने इस के विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा” (पद 1)। मैंने निरंतर निवेदन करते रहने वाली विधवा का यह दृष्टान्त अनेकों बार पहले भी पढ़ा था, परन्तु यह नहीं समझ पाया था कि प्रभु यीशु ने उसे क्यों सुनाया था (पद 2-8)। लेकिन अब मैं उन आरंभिक शब्दों का शेष कहानी के साथ मेल बैठा सका। प्रभु यीशु की, अपने शिष्यों को दी गई शिक्षा स्पष्ट थे – “निरंतर प्रार्थना करते रहो और कभी हिम्मत न टूटने दो।”

   प्रार्थना परमेश्वर को हमारी इच्छा को पूरा करने के लिए मजबूर करने का तरीका नहीं है। प्रार्थना परमेश्वर की सामर्थ्य को समझाने, पहचानने और हमारे जीवनों के लिए उसकी योजनाओं को जानने, की प्रक्रिया है। प्रार्थना में हम अपने जीवन और परिस्थितयों को उसके हाथों में समर्पित करते हैं और भरोसा करते हैं कि अपने समय और तरीके से वह हमारे पक्ष में कार्य करेगा।

   हम जैसे जैसे परमेश्वर के अनुग्रह पर न केवल अपने निवेदन के परिणाम के लिए, वरन, उस परिणाम की प्रक्रिया के लिए भी भरोसा रखते हैं, हम बारंबार परमेश्वर के पास प्रार्थना में लौट कर आते हैं, उसके द्वारा हमारी देखभाल और उसकी बुद्धिमता पर विश्वास रखते हुए।

   हमारे लिए हमारे प्रभु परमेश्वर का प्रोत्साहन स्पष्ट है: “निरंतर प्रार्थना करते रहो और कभी हिम्मत न टूटने दो।” – डेविड मैक्कैस्लैंड


प्रार्थना सब कुछ बदल देती है।

इसलिये जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आने वाली घटनाओं से बचनेऔर मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य बनो। - लूका 21:36

बाइबल पाठ: लूका 18:1-8
Luke 18:1 फिर उसने इस के विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा।
Luke 18:2 कि किसी नगर में एक न्यायी रहता था; जो न परमेश्वर से डरता था और न किसी मनुष्य की परवाह करता था।
Luke 18:3 और उसी नगर में एक विधवा भी रहती थी: जो उसके पास आ आकर कहा करती थी, कि मेरा न्याय चुकाकर मुझे मुद्दई से बचा।
Luke 18:4 उसने कितने समय तक तो न माना परन्तु अन्‍त में मन में विचारकर कहा, यद्यपि मैं न परमेश्वर से डरता, और न मनुष्यों की कुछ परवाह करता हूं।
Luke 18:5 तौभी यह विधवा मुझे सताती रहती है, इसलिये मैं उसका न्याय चुकाऊंगा कहीं ऐसा न हो कि घड़ी घड़ी आकर अन्‍त को मेरा नाक में दम करे।
Luke 18:6 प्रभु ने कहा, सुनो, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है?
Luke 18:7 सो क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उस की दुहाई देते रहते; और क्या वह उन के विषय में देर करेगा?
Luke 18:8 मैं तुम से कहता हूं; वह तुरन्त उन का न्याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 27-28
  • मत्ती 21:1-22



बुधवार, 31 जनवरी 2018

बचाने आया


   फ्रांज़ काफ्का (1883-1924) ने अपने उपन्यासों, The Trial, और The Castle में जीवन को अमानवीय बनाने वाले अस्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया है जिसमें लोग भावशून्य चेहरों, तथा बिना किसी पहचान और मूल्य के हो जाते हैं। काफ्का ने कहा, “जीवन की वाहकपट्टी आपको आगे ही लिए चलती है, यह कोई नहीं जानता है कि कहाँ। व्यक्ति जीवित प्राणी से अधिक एक वस्तु, एक पदार्थ बन जाता है।”

   अपनी सेवकाई के आरंभिक समय में प्रभु यीशु नासरत के एक आराधनालय में गए, और लोगों के सामने खड़े होकर उन्होंने यशायाह की पुस्तक में से पढ़ा: “प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्‍धुओं को छुटकारे का और अन्‍धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं। और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूं” (लूका 4:18-19)।

   इसके पश्चात प्रभु बैठ गए और, “तब वह उन से कहने लगा, कि आज ही यह लेख तुम्हारे साम्हने पूरा हुआ है” (लूका 4:21)। इस घटना से सदियों पहले यशायाह भविष्यद्वक्ता ने उनके लिए भविष्यवाणी में ये शब्द कहे थे (यशायाह 61:1-2)। अब प्रभु यीशु ने लोगों से कहा कि भविष्यवाणी के वे शब्द उनमें पूरे हुए हैं।

   भविष्यवाणी के उन शब्दों में ध्यान करें कि प्रभु यीशु किन को छुड़ाने आया था – कंगालों, बंदियों, अन्धों, और कुचले हुओं को। वे पाप, दुःख, सताव, और शोषण के कारण अमानवीय हो गए लोगों को, वह हमें बचाने के लिए आए थे। - बिल क्राउडर


सँसार चाहे कितना भी अव्यैक्तिक लगे, 
प्रभु यीशु हम में से प्रत्येक से ऐसे प्रेम करता है मानों हम उसके एकलौते हों

यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है। - भजन 34:18

बाइबल पाठ: लूका 4:14-21
Luke 4:14 फिर यीशु आत्मा की सामर्थ से भरा हुआ गलील को लौटा, और उस की चर्चा आस पास के सारे देश में फैल गई।
Luke 4:15 और वह उन की आराधनालयों में उपदेश करता रहा, और सब उस की बड़ाई करते थे।
Luke 4:16 और वह नासरत में आया; जहां पाला पोसा गया था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जा कर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ।
Luke 4:17 यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्‍तक उसे दी गई, और उसने पुस्‍तक खोल कर, वह जगह निकाली जहां यह लिखा था।
Luke 4:18 कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्‍धुओं को छुटकारे का और अन्‍धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं।
Luke 4:19 और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूं।
Luke 4:20 तब उसने पुस्‍तक बन्‍द कर के सेवक के हाथ में दे दी, और बैठ गया: और आराधनालय के सब लोगों की आंख उस पर लगी थीं।
Luke 4:21 तब वह उन से कहने लगा, कि आज ही यह लेख तुम्हारे साम्हने पूरा हुआ है।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 25-26
  • मत्ती 20:17-34



मंगलवार, 30 जनवरी 2018

नाम


   इतवार की हमारी आराधना के दौरान जब एकल गायक ने एक भक्ति गीत गाना आरंभ किया तो उपस्थित मण्डली ने पूरी तरह से शान्त रहकर उस पर पूरा ध्यान लगाया। उसने अपनी मंद माध्यम-सुर वाली आवाज़ में गौर्डन जेनसन द्वारा गए हुए एक पुराने गीत को प्रस्तुत किया, जिसके शब्द मन को छू लेने वाले थे। इस गीत का शीर्षक: “He’s as Close as the Mention of His Name (वह अपने नाम के उल्लेख जितना निकट है)” एक ऐसे सत्य को व्यक्त करता है जो जितने हम वृद्ध होते जाते हैं उतना ही बहुमूल्य होता जाता है।

   हम सब ने अपने प्रीय जनों से विछोह को अनुभव किया है। एक बच्चा विवाह करके कहीं दूर चला जाता है। अभिभावक स्वास्थ्य या नौकरी के कारण बिछड़ जाते हैं। बच्चे पढाई के लिए किसी दूसरे प्रांत या देश में चले जाते हैं। हमारे पास उन्हें सन्देश भेजने के और स्काईप पर बात करने के माध्यम तो हैं, परन्तु हम तो यहाँ रहते हैं और वे वहाँ। और मृत्यु का विछोह भी तो है।

   परन्तु प्रभु यीशु के विश्वासी होने के कारण, हमारे पास उसका वायदा है कि हम कभी अकेले नहीं होंगे। हम चाहे अपने आप को अकेला अनुभव करें, लेकिन प्रभु हमें छोड़ कर कहीं नहीं गया है। वह यहीं हमारे साथ है, अभी भी, हमेशा और सर्वदा। प्रभु ने इस पृथ्वी को छोड़ते समय अपने शिष्यों से कहा “और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं” (मत्ती 28:20)। प्रभु ने हमसे यह वायदा भी किया है: “तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा” (इब्रानियों 13:5)।

   प्रभु यीशु मसीह से किया गया एक शान्त निवेदन, उसके नाम को फुसफुसाते हुए लेना, यहाँ तक कि उसके नाम का विचार तक हमें शान्ति और भरोसा प्रदान करता है; निःसंदेह, वह “He’s as Close as the Mention of His Name (वह अपने नाम के उल्लेख जितना निकट है)”। - डेव एग्नर


प्रभु यीशु अपनों को कभी नहीं भूलता या त्यागता है।

और उस समय यह कहा जाएगा, देखो, हमारा परमेश्वर यही है; हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उस से उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे। - यशायाह 25:9

बाइबल पाठ: यूहन्ना 16:17-24
John 16:17 तब उसके कितने चेलों ने आपस में कहा, यह क्या है, जो वह हम से कहता है, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे? और यह इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं?
John 16:18 तब उन्होंने कहा, यह थोड़ी देर जो वह कहता है, क्या बात है? हम नहीं जानते, कि क्या कहता है।
John 16:19 यीशु ने यह जानकर, कि वे मुझ से पूछना चाहते हैं, उन से कहा, क्या तुम आपस में मेरी इस बाते के विषय में पूछ पाछ करते हो, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे।
John 16:20 मैं तुम से सच सच कहता हूं; कि तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनन्द करेगा: तुम्हें शोक होगा, परन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जाएगा।
John 16:21 जब स्त्री जनने लगती है तो उसको शोक होता है, क्योंकि उस की दु:ख की घड़ी आ पहुंची, परन्तु जब वह बालक जन्म चुकी तो इस आनन्द से कि जगत में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती।
John 16:22 और तुम्हें भी अब तो शोक है, परन्तु मैं तुम से फिर मिलूंगा और तुम्हारे मन में आनन्द होगा; और तुम्हारा आनन्द कोई तुम से छीन न लेगा।
John 16:23 उस दिन तुम मुझ से कुछ न पूछोगे: मैं तुम से सच सच कहता हूं, यदि पिता से कुछ मांगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा।
John 16:24 अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं मांगा; मांगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 23-24
  • मत्ती 20:1-16