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शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

प्रयास


   बचपन में मुझे पेड़ों पर चढ़ना बहुत पसंद था। जितना ऊँचा मैं चढ़ता था, उतनी दूर तक का दृश्य मुझे दिखाई देता था। कभी-कभी और अच्छा देख पाने के प्रयास में मैं पेड़ की डाली पर और आगे की ओर बढ़ता जाता था, जब तक कि वह डाली मेरे भार के कारण झुकने नहीं लगती थी। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मेरे व्यसक हो जाने के साथ ही अब मेरे पेड़ों पर चढ़ने के दिन भी समाप्त हो चुके हैं – ऐसा करना न तो सुरक्षित लगता है, और न ही सम्मानजनक।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम प्रभु यीशु के समय की एक घटना को पढ़ते हैं। ज़क्कई, जो कि एक धनी किन्तु नाटा व्यक्ति था, प्रभु यीशु को देखना चाहता था। परन्तु अपने कद के कारण वह भीड़ के पार प्रभु यीशु को देख न्हीं पाता था। प्रभु यीशु को देखने के प्रयास में एक दिन ज़क्कई ने एक निर्णय लिया; अपने सम्मान और अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना, वह उस मार्ग के एक पेड़ पर चढ़ गया, जिससे प्रभु यीशु को होकर निकलना था। उसका यह प्रयास सफल रहा; न केवल वह प्रभु यीशु को देख सका, वरन प्रभु यीशु ने उस पेड़ के नीचे आकर ज़क्कई को बुलाया और उसके घर भोजन करने भी गए। प्रभु यीशु से मिलने के पश्चात ज़क्कई का जीवन बदल गया, प्रभु यीशु ने सबके सामने उसके विषय में कहा, “...आज इस घर में उद्धार आया है...” (लूका 19:9)।

   हो सकता है कि कुछ बातें आज हमें भी प्रभु यीशु को देख पाने से रोक रही हों। घमण्ड हमें उसे अद्भुत युक्ति करने वाले के रूप में देखने से रोक सकता है। चिंताएं हमें उसे शान्ति के राजकुमार के रूप में जानने से रोक सकती हैं (यशायाह 9:6)। सँसार की वस्तुओं और स्तर पाने की लालसाएं हमें उसे वास्तविक तृप्ति के स्त्रोत – जीवन की रोटी (यूहन्ना 6:48) के रूप में देखने से रोक सकतीं हैं।

   प्रभु यीशु को बेहतर देख पाने, उसे निकट से जान पाने के लिए आप क्या प्रयास करने के लिए तैयार हैं? उसकी ओर बढ़ने का कोई भी ईमानदारी से किया गया प्रयास निश्चय ही अच्छे परिणाम लाएगा। जो उसे सच्चे मन से खोजते हैं, प्रभु परमेश्वर उन्हें अच्छा प्रतिफल देता है (इब्रानियों 11:6)।


परमेश्वर में अपने विश्वास को दृढ़ करने के लिए, परमेश्वर के मुख के खोजी हों।

और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है। - इब्रानियों 11:6

बाइबल पाठ: लूका 19:1-10
Luke 19:1 वह यरीहो में प्रवेश कर के जा रहा था।
Luke 19:2 और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था।
Luke 19:3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था।
Luke 19:4 तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था।
Luke 19:5 जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उस से कहा; हे ज़क्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है।
Luke 19:6 वह तुरन्त उतर कर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया।
Luke 19:7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है।
Luke 19:8 ज़क्कई ने खड़े हो कर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय कर के ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं।
Luke 19:9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है।
Luke 19:10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 7-8
  • मरकुस 4:21-41



गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

शान्त


   वर्षों पहले मैं पत्रों का उत्तर कुछ ही सप्ताह के अन्दर दे देता था, और मेरे साथ पत्राचार करने वाले इससे प्रसन्न रहते थे। फिर फैक्स मशीनें आ गईं, और उत्तर कुछ ही दिनों के भीतर दिए जाने लगे। आज ईमेल, मैसेजिंग, और मोबाइल फोनों के कारण, मुझसे उत्तर की उसी दिन अपेक्षा की जाती है!

   परमेश्वर के वचन बाइबल की एक जानी-पहचानी आयात है, “चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं” (भजन 46:10)। बाइबल के इस पद में मैं परमेश्वर की ओर से समान महत्व की दो आज्ञाओं को पढ़ता हूँ: पहली, हमें शान्त या चुप रहना है – यह ऐसी बात है, आज का जीवन जिसके विरुद्ध चलता और चलवाता है। इस उत्तेजित और कोलाहल भरे सँसार में कुछ पलों की शान्ति भी हमारे लिए सामान्यतः उपलब्ध नहीं रहती है। हमारी शान्ति ही हमें दूसरी आज्ञा के लिए तैयार करती है: “जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं ।” यह सँसार, जो परमेश्वर के अस्तित्व को महिमा देने की बजाए उसे दबा देना चाहता है, इसमें रहते और कार्य करते हुए मैं कैसे समय निकालूं जिसमें होकर मैं परमेश्वर के साथ समय ऐसा बिता सकूँ, जिसके द्वारा वह मेरे भीतरी जीवन को पोषित कर सके।

   पैट्रीश्या हम्पल लिखती हैं कि “प्रार्थना वह आदत है जो हर बात पर ध्यान करवाती है।” आहा, प्रार्थना...ध्यान लगाने की आदत। शान्त हो जाओ और जान लो। प्रार्थना में सबसे पहला कदम होता है कि इस बात को समझें और जानें कि परमेश्वर परमेश्वर ही है। इस तथ्य को समझने और इस पर ध्यान केंद्रित करने से शेष सभी बातें स्वतः ही ध्यान के केन्द्र में आ जाती हैं। प्रार्थना हमें हमारी असफलताओं, कमजोरियों, और सीमाओं को उस महान प्रभु परमेश्वर के सम्मुख स्वीकार करवा देती है, जो मानवीय कमजोरियों के प्रति अनन्त करुणा के साथ व्यवहार करता है। - फिलिप यैन्सी


प्रार्थना में परमेश्वर हमारे मनों को शान्त कर सकता है।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: भजन 46
Psalms 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psalms 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psalms 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।।
Psalms 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psalms 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psalms 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psalms 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psalms 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psalms 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psalms 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
Psalms 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।


एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 4-6
  • मरकुस 4:1-20



बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

दृष्टिकोण


   हमारा घर एक तराई में स्थित है, चारों ओर ऊँचे पहाड़ हैं, जिससे नीचे तराई में शीत ॠतु में बहुत ठंडा हो जाता है। पहाड़ों पर से धुंध और बादल नीचे आकर तराई में ठहर जाते हैं, सूर्य की रौशनी उनके पार नहीं आने पाती और नीचे की ठंडी हवा उन बादलों के नीचे दबी रह जाती है, जिससे तापमान बहुत कम हो जाता है, परन्तु बादलों के ऊपर सूर्य की गर्मी से तापमान उतना कम नहीं होने पाता। तराई से निकलकर ऊपर पहाड़ पर चढ़ने का एक मार्ग भी है, और कार से कुछ ही मिनिटों की यात्रा करके हम उस धुंध और ठण्ड से बच कर ऊपर की गर्मी और चमकते हुए सूर्य के आनन्द को ले सकते हैं। वहाँ ऊपर से नीचे का दृश्य बिलकुल भिन्न दिखता है।

   कभी-कभी जीवन भी इसी प्रकार होता है। परिस्थितियाँ उस धुंध के समान हमें घेर लेती हैं, और प्रतीत होता है कि कोई रोशनी, कोई गरमाहट उनके पार नहीं पहुँच पा रही है। परन्तु प्रभु परमेश्वर में हमारा विश्वास हमारे लिए वह एक मार्ग है जिसके द्वारा हम तराई से निकलकर ऊपर चढ़ सकते हैं – अपने मन “स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में” लगा सकते हैं (कुलुस्सियों 3:1)। जब हम ऐसा करते हैं, तो प्रभु परमेश्वर हमारे लिए संभव करता है कि हम परिस्थितियों से ऊपर उठ कर आगे बढ़ने के लिए सामर्थ्य और शान्ति पाएँ। जैसे परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा, “...मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं” (फिलिप्पियों 4:11)।

   विश्वास के इस मार्ग द्वारा हम अपनी परेशानी और धुँधलेपन से ऊपर चढ़ सकते हैं; कुछ समय प्रभु परमेश्वर के साथ बिता सकते हैं, उसकी शान्ति और सामर्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं, और एक भिन्न दृष्टिकोण से जीवन और परिस्थतियों का अवलोकन तथा मूल्याँकन कर सकते हैं। - डेविड रोपर


विश्वास आपको आपके भय से ऊपर उठा सकता है।

सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है। पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ। - कुलुस्सियों 3:1-2

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:8-13
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।।
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं।
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ्य देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।


एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 1-3
  • मरकुस 3



मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

चार बातें


   जोन, जब आराधना सभा में आकार बैठी, तब वह अपने बच्चों के साथ कुछ कठिन समस्याओं से जूझ रही थी। वह थक चुकी थी और मातृत्व की जिम्मेदारियों से “सेवानिवृत्ति” लेना चाहती थी। तभी उस सभा के उपदेशक ने परमेश्वर के वचन बाइबल से अपना सन्देश आरंभ किया, जो उन लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ही था जो अपनी परिस्थितियों से थक-हार चुके हैं और हथियार डाल देने की कगार पर हैं। जोन ने उस प्रातः, परमेश्वर के वचन में से, उस सन्देश के द्वारा जो बाते सुनीं और सीखीं उनमें से इन चार बातों ने उसे हताश होकर बैठ जाने की बजाए आगे बढ़ते रहने में सहायता की:

   ऊपर की ओर नज़रें गड़ाएँ और प्रार्थना करें – आसाप ने सारी रात प्रार्थना की, और अपनी भावनाएँ व्यक्त करने के लिए यह भी प्रगट किया कि उसे लगता है जैसे परमेश्वर उसे भूल गया है और उसको त्याग दिया है (भजन 77:9-10)। हम परमेश्वर से सब कुछ कह सकते हैं, और अपनी भावनाओं के विषय में स्पष्ट और ईमानदार हो सकते हैं। हम उससे कुछ भी पूछ सकते हैं। हो सकता है कि उसके उत्तर तुरंत ना आएँ और न ही वैसे हों जैसे हम चाहते हैं, परन्तु अपने आप को खुली रीति से व्यक्त करने के लिए वह हमारी आलोचना कदापि नहीं करेगा।

   अपने जीवन में पीछे मुड़कर देखें और उन बातों कोई स्मरण करें जो परमेश्वर ने आपके तथा औरों की जीवनों में की हैं – आसाप ने परमेश्वर से केवल अपने दुखों के बारे में ही बातें नहीं कीं; उसने परमेश्वर की सामर्थ्य और महान कार्यों को भी स्मरण किया, जो परमेश्वर ने उसके तथा औरों की जीवनों में किए थे। उसने लिखा, “मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा” (पद 11)।

   आगे की ओर देखें – उस परिस्थिति से हो सकने वाली संभावित भलाईयों के बारे में विचार करें। यह विचार करें कि आप इन परिस्थितियों से क्या सीख सकते हैं; उनमें होकर परमेश्वर आपसे क्या चाह सकता है कि आप करें? इस पर विचार करें कि क्योंकि परमेश्वर के मार्ग सिद्ध हैं, इसलिए आपकी जानकारी के अनुसार वह आगे क्या कर सकता है? (पद 13)।

   पुनःअवलोकन करें  - इस बार परमेश्वर पर विश्वास की नज़रों से अपनी परिस्थितियों पर दृष्टि करें। अपने आप को स्मरण करवाएं कि वह अद्भुत आश्चर्यकर्म करने वाला परमेश्वर है, जिस पर सदैव भरोसा किया जा सकता है (पद 14)।

   ये चार बातें हमारी भी सहायता करें कि हम प्रभु यीशु में विश्वास की अपनी यात्रा को सही दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ते रहें। - ऐनी सेटास


हमारी समस्याएं परमेश्वर के समाधान खोज निकालने के अवसर होते हैं।

और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं। - 2 कुरिन्थियों 12: 9-10

बाइबल पाठ: भजन 77:1-15
Psalms 77:1 मैं परमेश्वर की दोहाई चिल्ला चिल्लाकर दूंगा, मैं परमेश्वर की दोहाई दूंगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा।
Psalms 77:2 संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं।
Psalms 77:3 मैं परमेश्वर का स्मरण कर कर के करहाता हूं; मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला)
Psalms 77:4 तू मुझे झपक्की लगने नहीं देता; मैं ऐसा घबराया हूं कि मेरे मुंह से बात नहीं निकलती।।
Psalms 77:5 मैंने प्राचीन काल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है।
Psalms 77:6 मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं:
Psalms 77:7 क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा?
Psalms 77:8 क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है?
Psalms 77:9 क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध कर के अपनी सब दया को रोक रखा है? (सेला)
Psalms 77:10 मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दाहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं।।
Psalms 77:11 मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा।
Psalms 77:12 मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा।
Psalms 77:13 हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है?
Psalms 77:14 अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।
Psalms 77:15 तू ने अपने भुजबल से अपनी प्रजा, याकूब और यूसुफ के वंश को छुड़ा लिया है।। (सेला)


एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 26-27
  • मरकुस 2



सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

विश्वास


   समाचार स्तब्ध कर देने वाला था; सुनते ही आँसू इतनी तेज़ी से निकलने लगे कि वह उन्हें रोक ही नहीं पाई। उसका मस्तिष्क सवालों से भर गया, और भय उसे अभिभूत करने का प्रयास करने लगा। जीवन इतना सुचारू चल रहा था, और अब अचानक बिना किसी चेतावनी के बाधित होकर सदा के लिए बदल गया।

   त्रासदी अनेकों स्वरूपों में आ सकती है – किसी प्रिय जन का देहांत, कोई बीमारी, संपत्ति की हानि, या जीविका की हानि, आदि अनहोनी घटनाएँ किसी पर भी कभी भी आ सकती हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि यद्यपि हबक्कूक नबी जानता था कि त्रासदी आने वाली है, फिर भी उसकी प्रतीक्षा ने उसके हृदय को भय से भर दिया। बाबुल द्वारा यहूदा के राज्य पर आने वाले हमले की प्रतीक्षा में उसके हृदय की धड़कन बढ़ गई, उसके होंठ थरथराने लगे और पाँव काँपने लगे (हबक्कूक 3:16)।

   त्रासदी के सम्मुख भय एक वैध प्रतिक्रया है, परन्तु उससे हमें जड़ नहीं हो जाना चाहिए। जब हम उन परीक्षाओं के बारे में कुछ समझ नहीं पाते हैं जिनसे होकर हम निकल रहे हैं, तब हमें स्मरण करना चाहिए कि इतहास में परमेश्वर ने कैसे अपने कार्य किए हैं (पद 3-15)। हबक्कूक ने यही किया। ऐसा करने से उसके भय का कारण तो चला जाता नहीं रहा, परन्तु उसे परमेश्वर की स्तुति करते हुए आगे बढ़ने का साहस अवश्य मिल गया (पद 18)।

   हमारा प्रभु परमेश्वर जिसने अपने आप को सदा ही विश्वासयोग्य प्रमाणित किया है, सदा हमारे साथ बना रहता है। क्योंकि उसका चरित्र कभी नहीं बदलता है, इसलिए अपने सब भय के सामने हबक्कूक के समान आज हम भी दृढ़ आवाज में विश्वास के साथ कह सकते हैं, “यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है...” (पद 19)। - पो फैंग चिया


हम परीक्षाओं की पाठशाला में ही विश्वास के पाठ सीखने पाते हैं।

इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा। व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। - यहोशू 1: 7-8

बाइबल पाठ: हबक्कूक 3:13-19
Habakkuk 3:13 तू अपनी प्रजा के उद्धार के लिये निकला, हां, अपने अभिषिक्त के संग हो कर उद्धार के लिये निकला। तू ने दुष्ट के घर के सिर को घायल कर के उसे गल से नेव तक नंगा कर दिया।
Habakkuk 3:14 तू ने उसके योद्धाओं के सिरों को उसी की बर्छी से छेदा है, वे मुझ को तितर-बितर करने के लिये बवंडर की आंधी के समान आए, और दीन लोगों को घात लगा कर मार डालने की आशा से आनन्दित थे।
Habakkuk 3:15 तू अपने घोड़ों पर सवार हो कर समुद्र से हां, जलप्रलय से पार हो गया।
Habakkuk 3:16 यह सब सुनते ही मेरा कलेजा कांप उठा, मेरे ओंठ थरथराने लगे; मेरी हड्डियां सड़ने लगीं, और मैं खड़े खड़े कांपने लगा। मैं शान्ति से उस दिन की बाट जोहता रहूंगा जब दल बांध कर प्रजा चढ़ाई करे।
Habakkuk 3:17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों,
Habakkuk 3:18 तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा।
Habakkuk 3:19 यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है।


एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 25
  • मरकुस 1:23-45



रविवार, 18 फ़रवरी 2018

सेवा


   हास्य-कलाकार फ्रेड एलेन ने कहा, “एक ख्याति प्राप्त व्यक्ति वह होता है जो सारी उम्र प्रसिद्ध होने के लिए कठिन परिश्रम करता है, फिर काला चश्मा लगाकर घूमता है कि कहीं पहचान न लिया जाए।” ख्याति मिलने के साथ ही, व्यक्तिगत समय की हानि तथा लोगों के लगातार ध्यान में रहना भी आता है।

   जब प्रभु यीशु ने सिखाने और चंगाई देने की अपनी सार्वजनिक सेवा का आरंभ किया, तो वे तुरंत ही लोगों की नज़रों में चढ़ गए और सहायता माँगने वालों की भीड़ से घिरे रहते थे। वे जहाँ भी जाते थे, भीड़ उनके पीछे चली आती थी। परन्तु प्रभु यीशु जानते थे कि सामर्थ्य और सही दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए उन्हें परमेश्वर के साथ एकांत में समय बिताना कितना आवश्यक था।

   जब प्रभु यीशु के शिष्य अपने सफल प्रथम प्रचार सेवा से लौट कर आए, जिसमें उन्होंने परमेश्वर के राज्य का प्रचार और बीमारों को चंगाई देने का कार्य किया, तब प्रभु यीशु उन्हें एक एकांत स्थान पर विश्राम करवाने के लिए ले गए (लूका 9:2, 10)। लेकिन शीघ्र ही लोगों की भीड़ ने उन्हें ढूँढ लिया, और प्रभु यीशु ने उस भीड़ का स्वागत भी किया। प्रभु ने उन्हें परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखाया, और जिन्हें चंगाई की आवश्यकता थी, उन्हें चँगा भी किया (पद 11)। भोजन के लिए अपना इंतज़ाम करने के लिए भेजने के स्थान पर, प्रभु यीशु ने उनके लिए वहीं 5000 से अधिक की उस भीड़ के लिए भोजन का इंतजाम भी कर के दिया (पद 12-17)।

   प्रभु यीशु जिज्ञासु और दुखी लोगों की सेवा से आने वाले दबाव से अपरिचित नहीं थे, इसीलिए वे सामाजिक सेवा और व्यक्तिगत एकांत के मध्य संतुलन बनाए रखने के लिए प्रार्थना और विश्राम के लिए समय निकाला करते थे।

   हम जब प्रभु यीशु के नाम में सेवा करते हैं, तो हम भी प्रार्थना और विश्राम के लिए समय निकालने के प्रभु के इस उदाहरण का अनुसरण करें। - डेविड मैक्कैस्लैंड


हमें परमेश्वर की आवाज़ को सुनने के लिए 
जीवन के शोर की ध्वनि की तीव्रता को कम करना ही होगा।

उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। - मरकुस 6:31

बाइबल पाठ: लूका 9:1-2, 10-17
Luke 9:1 फिर उसने बारहों को बुलाकर उन्हें सब दुष्टात्माओं और बिमारियों को दूर करने की सामर्थ और अधिकार दिया।
Luke 9:2 और उन्हें परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने, और बिमारों को अच्छा करने के लिये भेजा।
Luke 9:10 फिर प्रेरितों ने लौटकर जो कुछ उन्होंने किया था, उसको बता दिया, और वह उन्हें अलग कर के बैतसैदा नाम एक नगर को ले गया।
Luke 9:11 यह जानकर भीड़ उसके पीछे हो ली: और वह आनन्द के साथ उन से मिला, और उन से परमेश्वर के राज्य की बातें करने लगा: और जो चंगे होना चाहते थे, उन्हें चंगा किया।
Luke 9:12 जब दिन ढलने लगा, तो बारहों ने आकर उस से कहा, भीड़ को विदा कर, कि चारों ओर के गावों और बस्‍तियों में जा कर टिकें, और भोजन का उपाय करें, क्योंकि हम यहां सुनसान जगह में हैं।
Luke 9:13 उसने उन से कहा, तुम ही उन्हें खाने को दो: उन्होंने कहा, हमारे पास पांच रोटियां और दो मछली को छोड़ और कुछ नहीं: परन्तु हां, यदि हम जा कर इन सब लोगों के लिये भोजन मोल लें, तो हो सकता है: वे लोग तो पांच हजार पुरूषों के लगभग थे।
Luke 9:14 तब उसने अपने चेलों से कहा, उन्हें पचास पचास कर के पांति में बैठा दो।
Luke 9:15 उन्होंने ऐसा ही किया, और सब को बैठा दिया।
Luke 9:16 तब उसने वे पांच रोटियां और दो मछली लीं, और स्वर्ग की और देखकर धन्यवाद किया, और तोड़ तोड़कर चेलों को देता गया, कि लोगों को परोसें।
Luke 9:17 सो सब खाकर तृप्‍त हुए, और बचे हुए टुकड़ों से बारह टोकरी भरकर उठाईं।


एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 23-24
  • मरकुस 1:1-22



शनिवार, 17 फ़रवरी 2018

द्वार


   अमेरिका में खेल-क्रीड़ाओं में चार्ली सिफ्फोर्ड का नाम महत्वपूर्ण है। वे पहले अफ्रीकी-अमेरिकन (अश्वेत) थे जिन्हें व्यावासायिक गोल्फर्स संघ में सदस्यता मिली, एक ऐसे खेल में जिसमें 1961 तक, संघ के नियमानुसार केवल श्वेत लोगों को ही सदस्यता दी जा सकती थे। नस्ल-भेद से संबंधित अन्याय और उत्पीड़न सहते हुए सिफ्फोर्ड ने खेल की उच्चतम श्रेणी पर नाम कमाया, दो प्रतिस्पर्धाएं जीतीं, और 2004 में वर्ल्ड गोल्फ हॉल ऑफ फेम में स्थान पाने वाले वे पहले अफ्रीकी-अमेरिकन बनें। चार्ली सिफ्फोर्ड ने व्यावसायिक गोल्फ के द्वार सभी नस्ल के खिलाड़ियों के लिए खोल दिए।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि द्वारों को खोलना सुसमाचार की सेवकाई का मर्म है। प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं” (मत्ती 28:19-20)।

   पद 19 में प्रयुक्त हुआ शब्द ‘जाति’ यूनानी शब्द ethnos से आया है, जिससे फिर अंग्रेज़ी शब्द ethnic बना है। अर्थात, प्रभु यीशु मसीह की शिष्यों से कही गई बात का अभिप्राय था, “जाओ और बिना किसे भेद-भाव के, सभी जातियों के लोगों को मेरे शिष्य बनाओ।” प्रभु यीशु द्वारा कलवारी के क्रूस पर दिए गए बलिदान के द्वारा सँसार के सभी लोगों के लिए परमेश्वर पिता के पास पहुँचने के मार्ग का द्वार खुल गया है, उपलब्ध है।

   अब हमारे पास यह सौभाग्य है कि जैसे परमेश्वर ने हमारी देखा-भाल की है, हम भी औरों की देखभाल करें। हम भी औरों के लिए परमेश्वर के परिवार के सदस्य बनने का द्वार खोल सकते हैं, ऐसों के लिए भी जिन्होंने कभी परमेश्वर के घर में प्रवेश कर पाने की कल्पना भी नहीं की होगी। - बिल क्राऊडर


प्रभु यीशु ने उस पर विश्वास करने वाले 
प्रत्येक व्यक्ति के लिए उद्धार के द्वार को खोल दिया है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: मत्ती 28:16-20
Matthew 28:16 और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था।
Matthew 28:17 और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्‍देह हुआ।
Matthew 28:18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।
Matthew 28:19 इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।
Matthew 28:20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।


एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 21-22
  • मत्ती 28