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गुरुवार, 2 अगस्त 2018

दौड़



      जूप ज़ोटेमेल्क को नेदरलैंड का सबसे सफल साईकिल चालाक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने साईकिल चलाने की कठिन अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा टूर डे फ्रांस में 16 बार भाग लिया और हर बार उसे पूरा किया – वे उसमें पाँच बार द्वितीय स्थान पर रहे, और अन्ततः 1980 में उसमें विजयी भी रहे। यह दृढ़ता से धीरज बनाए रखने का उत्कृष्ट उदाहरण है।

      ऐसे अनेकों विजेता हुए हैं जिन्होंने कभी हार न मानने के अपने दृढ़ निश्चय के कारण सफलता को पाया है। परन्तु साथ  ही ऐसे भी बहुतेरे रहे हैं जिन्होंने सफलता के अवसर को गँवा दिया क्योंकि उन्होंने संघर्ष में बहुत शीघ्र हार मान ली। ऐसा जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकता है, वह चाहे परिवार, शिक्षा, मित्रगण, कार्य, सेवा, या अन्य कोई भी क्षेत्र हो। प्रत्येक क्षेत्र में दृढ़ता से धीरज बनाए रखना ही सफलता की कुंजी है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रेरित पौलुस अनेकों सताव और दुखों के बावजूद अपनी मसीही सेवकाई में डटा रहा (2 तिमुथियुस 3:10-11)। उसने जीवन को उसकी सच्चाई में देखा और स्वीकार किया; उसे यह एहसास था कि मसीही विश्वासी सताव से होकर अवश्य ही निकालेंगे (पद 12-13)। इसलिए उसने तिमुथियुस को निर्देश दिया कि वह अपना विश्वास परमेश्वर में बनाए रखे, और पवित्र-शास्त्र से प्रोत्साहन और प्रेरणा प्राप्त करे (पद 14-15)। ऐसे करने से उसे निराशा का सामना करने का बल और आशा के साथ धीरज धरने की सामर्थ्य मिलेगी। अपने जीवन के अन्त की ओर, पौलुस कह सका, “मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है” (2 तिमुथियुस 4:7)।

      आज हम भी परमेश्वर के वचन बाइबल के द्वारा हमारे लिए निर्धारित की गई जीवन की दौड़ में डटे रहने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि हमारा परमेश्वर न केवल हम से वायदे करता है, वरन उन्हें निभाता भी है। जितने अपनी दौड़ सफलतापूर्वक पूरी करते हैं, उन्हें परमेश्वर से उचित प्रतिफल भी मिलेगा। - जेमी फर्नेनडेज़ गारिडो


विश्वास हमारी दुर्बलता को परमेश्वर की सामर्थ्य से जोड़ देता है।

तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको। - 1 कुरिन्थियों 10:13

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 3:10-17
2 Timothy 3:10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2 Timothy 3:11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्‍ताकिया और इकुनियुम और लुस्‍त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
2 Timothy 3:12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
2 Timothy 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
2 Timothy 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
2 Timothy 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2 Timothy 3:16 हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
2 Timothy 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 60-62
  • रोमियों 5



बुधवार, 1 अगस्त 2018

सर्वोत्तम



      आपके जीवन के सर्वोत्तम दिन आपके पीछे छूट चुके हैं या आगे आने वाले हैं? इस प्रश्न का हमारा उत्तर, और जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण, दोनों ही समय के साथ बदल सकते हैं। जब हम बचपन में होते हैं, तो हम सामने की ओर देखते हैं, उम्र में और बढ़ना चाहते हैं। एक बार जब हम उम्र में बढ़ जाते हैं, तो फिर अतीत की ओर देखने लगते हैं, फिर से बचपन और जवानी की लालसा करने लगते हैं। परन्तु जब हम परमेश्वर के साथ चलते हैं तो हमारी आयु चाहे जो भी हो, हमारे लिए सर्वोत्तम अभी आना शेष रहता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि अपने जीवन के लंबे काल के दौरान मूसा ने परमेश्वर द्वारा किए गए अनेकों अद्भुत कार्यों को देखा, और उनमें से कई कार्य ऐसे थे जो तब घटित हुए जब वह जवान नहीं रहा था। मूसा 80 वर्ष का था जब उसने फिरौन का सामना किया और परमेश्वर का अपने लोगों को दासत्व से आश्चर्यकर्मों के द्वारा छुड़ाना देखा (निर्गमन 3-13)। मूसा ने लाल सागर को विभाजित होते हुए, मन्ना को स्वर्ग से गिरते हुए भी देखा, और परमेश्वर से “आमने-सामने” बातें भी कीं (14:21; 16:4; 33:11)।

      अपने जीवन पर्यन्त, मूसा इस आशा के साथ जिया, कि अब आगे परमेश्वर क्या करेगा (इब्रानियों 11:24-27)। अपने जीवन के अंतिम वर्ष में वह 120  वर्ष का था, और तब भी उसने समझ लिया कि परमेश्वर के साथ उसके जीवन का यह आरंभ ही है, और वह परमेश्वर की महानता और प्रेम का अन्त कभी नहीं देखेगा।

      हमारी आयु चाहे जो भी हो, “अनादि परमेश्वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएं हैं...” (व्यवस्थाविवरण 33:27) जो प्रतिदिन हमें उठाए हुए उसके आनन्द में, उस सर्वोत्तम की ओर लिए चलती हैं। - जेम्स बैंक्स


जब हम परमेश्वर के साथ चलते हैं, तो सर्वोत्तम आना शेष रहता है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 34:1-12
Deuteronomy 34:1 फिर मूसा मोआब के अराबा से निबो पहाड़ पर, जो पिसगा की एक चोटी और यरीहो के साम्हने है, चढ़ गया; और यहोवा ने उसको दान तक का गिलाद नाम सारा देश,
Deuteronomy 34:2 और नप्ताली का सारा देश, और एप्रैम और मनश्शे का देश, और पच्छिम के समुद्र तक का यहूदा का सारा देश,
Deuteronomy 34:3 और दक्खिन देश, और सोअर तक की यरीहो नाम खजूर वाले नगर की तराई, यह सब दिखाया।
Deuteronomy 34:4 तब यहोवा ने उस से कहा, जिस देश के विषय में मैंने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से शपथ खाकर कहा था, कि मैं इसे तेरे वंश को दूंगा वह यही है। मैं ने इस को तुझे साक्षात दिखला दिया है, परन्तु तू पार हो कर वहां जाने न पाएगा।
Deuteronomy 34:5 तब यहोवा के कहने के अनुसार उसका दास मूसा वहीं मोआब देश में मर गया,
Deuteronomy 34:6 और उसने उसे मोआब के देश में बेतपोर के साम्हने एक तराई में मिट्टी दी; और आज के दिन तक कोई नहीं जानता कि उसकी कब्र कहां है।
Deuteronomy 34:7 मूसा अपनी मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का था; परन्तु न तो उसकी आंखें धुंधली पड़ीं, और न उसका पौरूष घटा था।
Deuteronomy 34:8 और इस्राएली मोआब के अराबा में मूसा के लिये तीस दिन तक रोते रहे; तब मूसा के लिये रोने और विलाप करने के दिन पूरे हुए।
Deuteronomy 34:9 और नून का पुत्र यहोशू बुद्धिमानी की आत्मा से परिपूर्ण था, क्योंकि मूसा ने अपने हाथ उस पर रखे थे; और इस्राएली उस आज्ञा के अनुसार जो यहोवा ने मूसा को दी थी उसकी मानते रहे।
Deuteronomy 34:10 और मूसा के तुल्य इस्राएल में ऐसा कोई नबी नहीं उठा, जिस से यहोवा ने आमने-सामने बातें कीं,
Deuteronomy 34:11 और उसको यहोवा ने फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के सामने, और उसके सारे देश में, सब चिन्ह और चमत्कार करने को भेजा था,
Deuteronomy 34:12 और उसने सारे इस्राएलियों की दृष्टि में बलवन्त हाथ और बड़े भय के काम कर दिखाए।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 57-59
  • रोमियों 4



मंगलवार, 31 जुलाई 2018

कीमत



      प्रति वर्ष लगभग 20 लाख लोग लंडन के सेंट पॉल्स कैथीड्रल को देखने आते हैं। उस भव्य इमारत को देखने और निहारने के लिए अन्दर प्रवेश करने के शुल्क की कीमत चुकाना सर्वथा उपयुक्त है। सर क्रिस्टोफर रैन द्वारा 17वीं शताब्दी के अन्त की ओर बनाई गई इस इमारत की सुंदरता अद्भुत है। परन्तु मसीही आराधना के इस स्थान पर पर्यटन, यहां होने वाली उपासना से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। इस कैथीड्रल का प्रमुख उद्देश्य है “आने वाले सभी लोग अपनी विवधता में भी यीशु मसीह में परमेश्वर की परिवर्तित कर देने वाली उपस्थिति का अनुभव करें।” यदि आप इमारत में घूमना, और वहाँ की वास्तुकला को निहारना चाहते हैं, तो आपको प्रवेश शुल्क देना होगा। परन्तु प्रतिदिन होने वाली आराधना सभाओं में से किसी में सम्मिलित होने के लिए प्रवेश करने पर कोई कीमत नहीं है।

      परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ती है? वहाँ प्रवेश निःशुल्क है, क्योंकि प्रभु यीशु ने सबके लिए सारी कीमत अपने बलिदान के द्वारा चुका दी है, “इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं” (रोमियों 3:23-24)। जब हम अपनी आत्मिक आवश्यकता का अंगीकार करते हैं, और विश्वास के द्वारा प्रभु यीशु मसीह में परमेश्वर के अनुग्रह से उपलब्ध पापों की क्षमा को स्वीकार करते हैं, तो हम एक नए जीवन में प्रवेश करते हैं, परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन जाते हैं, प्रभु में अनन्त जीवन के वारिस हो जाते हैं।

      आप भी आज ही और अभी, इस नए जीवन में प्रवेश कर सकते हैं, क्योंकि कलवारी के क्रूस अपर अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा प्रभु यीशु ने आपके पापों की सारी कीमत चुका दी है; अब आपको उसे चुकाने के लिए कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है; आपको बस उसे स्वीकार करके अपने जीवन में लागू करना है। - डेविड मैक्कैस्लैंड


प्रभु यीशु ने कीमत चुकाई, जिससे हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश पा सकें।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: रोमियों 3:20-28
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।
Romans 3:27 तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।
Romans 3:28 इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना, विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 54-56
  • रोमियों 3



सोमवार, 30 जुलाई 2018

विश्वास



      हमारे लिए विश्वास को एक ऐसा जादूई मन्त्र मान लेना, जिसके द्वारा सब कुछ किया जा सकता है, बड़ा प्रलोभनकारी होता है। हम सोचते हैं, या हमें सिखाया जाता है कि यदि हम पर्याप्त विश्वास रखें तो हम धनी हो सकते हैं, स्वस्थ रह सकते हैं, जीवन में संतुष्टि आ सकती है, और सभी प्रार्थनाओं के उत्तर स्वतः ही प्राप्त किए जा सकते हैं। परन्तु जीवन ऐसे मन्त्रों के द्वारा नहीं चलाया जाता है। प्रमाण के रूप में, परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों का लेखक, बाइबल के पुराने नियम खण्ड के विश्वास के महान लोगों में से कुछ के जीवनों की समीक्षा करता है (इब्रानियों 11), और “सच्चे विश्वास” को समझाने का प्रयास करता है।

      लेखक स्पष्ट कहता है कि “और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है” (इब्रानियों 11:6)। विश्वास को परिभाषित करते समय वह “दृढ़ बने रहने” के उदाहरण देता है (पद 27)। परमेश्वर में अपने विश्वास के कारण, विश्वास के उन नायकों में से कुछ जयवंत हुए: कुछ ने सेनाओं को मार भगाया, और कोई सिंहों से बच निकला। परन्तु ऐसे विश्वासी भी थे जिनके अन्त सुखद नहीं हुए: कितनों को कोड़े पड़े, पत्थरवाह किए गए, आरे से चीरे गए, परन्तु विश्वास में बने रहे। अध्याय का अन्त होता है “संसार उन के योगय न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली” (पद 39)।

      इस अध्याय से परमेश्वर में विश्वास रखने का जो चित्र उभर का आता है वह किसी सरल सूत्र में नहीं समाता है। कभी विश्वास विजय और यश को ले जाता है; तो कभी किसी भी कीमत पर विश्वास में बने रहने के लिए बहुत धैर्य और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता होती है – और ऐसों के लिए लिखा गया है “...इसी लिये परमेश्वर उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता, सो उसने उन के लिये एक नगर तैयार किया है” (पद 16)।

      हमारे विश्वास का आधार है, कि अन्ततः परमेश्वर ही हर बात पर नियंत्रण बनाए रखता है, और वह अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा भी करेगा – यह चाहे इस जीवन में हो या आने वाले जीवन में। - फिलिप यैन्सी


दुःख में हमारी सबसे महान सांत्वना है हमारा विश्वास, कि परमेश्वर नियंत्रण रखे हुए है।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। - याकूब 1:2-3

बाइबल पाठ: इब्रानियों 10:32-11:6
Hebrews 10:32 परन्तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
Hebrews 10:33 कुछ तो यों, कि तुम निन्‍दा, और क्‍लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
Hebrews 10:34 क्योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जान कर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
Hebrews 10:35 सो अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
Hebrews 10:36 क्योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी कर के तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
Hebrews 10:37 क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
Hebrews 10:38 और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
Hebrews 10:39 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।
Hebrews 11:1 अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
Hebrews 11:2 क्योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्छी गवाही दी गई।
Hebrews 11:3 विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
Hebrews 11:4 विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Hebrews 11:5 विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Hebrews 11:6 और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53
  • रोमियों 2



रविवार, 29 जुलाई 2018

प्रेम


      एक कहानी बताई जाती है कि एक मानवविज्ञानी, एक छोटे गाँव में महीनों के अपने शोध कार्य को समाप्त करके वापस घर जाने की तैयारी कर रहा था। घर लौटने के लिए अपनी सवारी गाड़ी की प्रतीक्षा करते समय, समय बिताने के लिए, उसने अपने साथ खड़े बच्चों के साथ एक खेल खेलना चाहा। उसने कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे एक टोकरी में कुछ फल और मिठाईयां रखीं और बच्चों से कहा कि जो कोई भागकर पहले उस टोकरी तक पहुँचेगा, वे सभी फल और मिठाईयां उसी की हो जाएँगी। लेकिन जब उसने बच्चों को भागकर टोकरी तक जाने के लिए कहा, तो कोई नहीं भागा, सभी ने एक दूसरे के हाथ पकड़े और सभी एक साथ टोकरी के पास गए।

      जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया; क्यों वे सभी एक साथ गए, और भाग कर किसी एक ने टोकरी क्यों नहीं ले ली, तो एक छोटी लड़की ने उत्तर दिया “जब बाकी सभी दुःखी होते, तो हम में से एक कैसे प्रसन्न हो सकता था?” क्योंकि ये बच्चे एक-दूसरे की परवाह करते थे, इसलिए वे सभी उन फलों और मिठाईयों को एक दूसरे के साथ बाँट कर खाना चाहते थे।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि वर्षों तक मूसा की व्यवस्था का अध्ययन करने के पश्चात, प्रेरित पौलुस ने पाया कि परमेश्वर के सारे नियम एक ही नियम में संक्षिप्त किए जा सकते हैं, “क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख” (गलतियों 5:14; रोमियों 13:9 भी देखें)। पौलुस ने मसीह यीशु में न केवल एक दूसरे के लिए प्रोत्साहन, सहानुभूति, और देखभाल रखने के कारण को पाया, वरन यह सब कर पाने की आत्मिक सामर्थ्य भी पाई।

      क्योंकि मसीह यीशु हमारी देखभाल करता है, इसलिए हम भी एक दूसरे की देखभाल करें। - मार्ट डीहॉन


जब हम एक दूसरे के प्रति प्रेम दिखाते हैं, 
हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।

तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। - गलतियों 6:2

बाइबल पाठ: रोमियों 13:8-11
Romans 13:8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
Romans 13:9 क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना; और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Romans 13:10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।
Romans 13:11 और समय को पहिचान कर ऐसा ही करो, इसलिये कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुंची है, क्योंकि जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-50
  • रोमियों 1


शनिवार, 28 जुलाई 2018

मित्र



      बुद्धिमता की एक अति-सराहनीय बात, जो मेरे पिता मुझसे बारंबार कहते रहे हैं, है – “अच्छे मित्र जीवन के सबसे मूल्यवान खजानों में से एक हैं।” कितना सत्य है उनका यह कहना; अच्छे मित्रों के साथ हम कभी अकेले नहीं होते हैं। वे हमारी आवश्यकताओं के प्रति सचेत रहते हैं और जीवन के आनन्द तथा बोझ, दोनों को बाँट लेते हैं।

      प्रभु यीशु मसीह के सँसार में आने से पहले, परमेश्वर के वचन बाइबल में केवल दो ही व्यक्तियों को परमेश्वर का मित्र कहा गया था: “और यहोवा मूसा से इस प्रकार आम्हने-साम्हने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से बातें करे...” (निर्गमन 33:11), और अब्राहम “...वह परमेश्वर का मित्र कहलाया” (याकूब 2:23; 2 इतिहास 20:7; यशायाह 41:8)।

      मैं चकित हूँ कि आज प्रभु यीशु हम मसीही विश्वासिय्हों को, अपने लोगों को, अपना मित्र कहता है (यूहन्ना 15:15), और उसकी यह मित्रता इतनी गहरी है कि उसने अपने कहे, “इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे” (यूहन्ना 15:13) के अनुसार अपने मित्रों, हमारे, लिए अपने प्राण दे दिए।

      हम मसीही विश्वासियों के लिए यह कैसा सौभाग्य और आशीष है कि मसीह यीशु हमारा मित्र है। वह ऐसा मित्र है जो हमें कभी नहीं छोड़ता है, कभी नहीं त्यागता है। वह परमेश्वर पिता के सामने हमारे लिए विनती, निवेदन करता है; हमारी आवश्यकताओं के लिए प्रावधान करता है। वह हमारे दुःखों को समझता है, और परेशानी के समयों में आवश्यक अनुग्रह प्रदान करता है।

      निःसंदेह, प्रभु यीशु हमारा सबसे अच्छा मित्र है। - जो स्टोवैल


यीशु कैसा मित्र है प्यारा!

और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया। - याकूब 2:23

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:8-17
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28



शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

संघर्ष



      कंधे पर हुए ऑपरेशन के कुछ सप्ताह बाद जब मैं घर से बाहर निकला, तो मैंने अपने आप को असुरक्षित अनुभव किया। मुझे अपनी बाँह को स्लिंग में टांग कर रखने की आदत हो गई थी, परन्तु मेरा ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर, और मुझे व्यायाम करवाने वाले फिजियोथेरेपिस्ट, दोनों ही का कहना था कि अब मुझे स्लिंग को छोड़ देना चाहिए। तभी मेरी नज़रों के सामने यह वाक्य आया, “इस चरण पर आकर, स्लिंग को पहनने के लिए मना किया जाता; उसे केवल किसी ऐसी स्थिति में ही पहनना चाहिए जहाँ का माहौल अनियंत्रित या हानिकारक हो सकता हो।” 

      बस, मुझे स्लिंग पहनने का बहाना मिल गया! मुझे उस उत्साहित मित्र का भय था जो मुझे आलिंगन में लेकर भींच लेगा, उस व्यक्ति का भी भय था जो कहीं अनजाने में ही मुझे से टकरा सकता था। मैं अपने उस स्लिंग की आड़ में, चोट लगने के अपने भय को छुपा रहा था।

      अपने आप को किसी प्रकार से चोटिल होने की स्थिति में असुरक्षित छोड़ना भयावह हो सकता है। हम चाहते हैं कि लोग हम से जो और जैसे हम हैं, वैसे ही प्रेम करें, हमें स्वीकार करें; परन्तु हमें भय रहता है कि यदि लोगों को हमारे बारे में गहराई से पता चलेगा तो वे हमें अस्वीकार करेंगे, या हमें किसी प्रकार से दुःख पहुँचा सकेंगे। क्या होगा यदि उन्हें पता चलेगा कि हम उतने चतुर, या दयालु, या भले, आदि नहीं हैं जितना वे हमें समझते हैं?

      परन्तु परमेश्वर के परिवार के सदस्य होने के कारण, हमारा यह दायित्व है कि हम एक दूसरे को विश्वास में बढ़ने में सहायता करें। हमें निर्देश हैं कि “इस कारण एक दूसरे को शान्‍ति दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो...” (1 थिस्सलुनीकियों 5:11), और “सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो” (इफिसियों 4:2)।

      जब हम अन्य विश्वासियों के साथ ईमानदार और खुले रहेंगे, तो हम हमारे जीवनों में हुए परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में उन्हें बता सकेंगे, और यह भी हो सकता है कि हमें पता चले कि उन्हें भी हमारे ही समान संघर्ष करने पड़ रहे हैं, प्रलोभनों और परमेश्वर के आज्ञाकारी बने रहने के लिए। और इस अनुग्रह तथा संघर्ष के जीवन में हम एक-दूसरे को संभालने वाले, प्रोत्साहित करने वाले बन जाएँ। - सिंडी हैस कैस्पर


अपने संघर्षों के विषय ईमानदारी, हमें दूसरों की सहायता करने में सहायक होती है।

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। - गलतियों 6:1

बाइबल पाठ: इफिसियों 4: 1-6
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो।
Ephesians 4:4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है।
Ephesians 4:5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
Ephesians 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 43-45
  • प्रेरितों 27:27-44