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बुधवार, 24 अप्रैल 2019

कृतज्ञ और धन्यवादी



      मेरी सहेली ग्लोरिया ने मुझे फोन किया, उसकी आवाज़ में उत्साह था। अपनी शारीरिक अक्षमताओं के कारण वह घर से बाहर केवल डॉक्टर को दिखाने के लिए ही निकलने पाती थी; इसलिए जो उसने मुझे बताया उसे लेकर उसके उत्साह और उत्तेजना को मैं समझ सकती थी। ग्लोरिया ने कहा, “मेरे बेटे ने मेरे कंप्यूटर के साथ नए स्पीकर्स जोड़ दिए हैं, इसलिए अब मैं चर्च की आराधना में सम्मिलित हो सकती हूँ!” अब वह उसके चर्च में हो रही आराधना सभा के सीधे प्रसारण को देख और सुन सकती थी। वह परमेश्वर की भलाई और उस “सर्वोत्तम उपहार जो मेरा बेटा मुझे दे सकता था” को लेकर बहुत उत्साहित थी, लोगों से उसके बारे में बातें करते नहीं थकती थी।

      ग्लोरिया मुझे एक धन्यवादी हृदय रखने के बारे में सिखाती है। अपनी अनेकों सीमाओं के होते हुए भी, वह छोटी-छोटी बातों के लिए – सूर्यास्त का दृश्य, परिवार के लोगों तथा पड़ौसियों और मित्रों आदि से मिलने वाली सहायता, शान्त होकर परमेश्वर के साथ बिताए जा सकने वाला समय, अपने स्वयँ के घर में रहने की सुविधा, आदि, वह सब के लिए सदा परमेश्वर की धन्यवादी बनी रहती है। उसने अपने जीवन भर अनुभव किया है कि परमेश्वर कैसे उसकी देखभाल करता है, उसकी आवश्यकताओं को पूरा करता है, और जो भी उससे मिलने आता है वह उससे परमेश्वर के विषय में बात करती है।

      हम परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 116 के लेखक की परिस्थतियों और कठिनाइयों को तो नहीं जानते हैं; बाइबल के कुछ  व्याख्याकर्ताओं का मानना है संभवतः वह बीमारी से होकर निकल रहा था, क्योंकि उसने लिखा, “मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं” (पद 3)। परन्तु उन परिस्थतियों में भी वह परमेश्वर का कृतज्ञ और धन्यवादी था कि परमेश्वर ने उस पर करुणा और अनुग्रह दिखाया थाजब उसे “बलहीन किया गया” (पद 5-6)।

      जब हम बलहीन होते हैं, तो ऊपर देखना कठिन होता है। परन्तु यदि हम देखते हैं, तो हम पाते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवनों में सब भली वस्तुओं का देवनहारा है – वे चाहे छोटी हों या बड़ी – और इसलिए हमें चाहिए कि हम हर बात के लिए हर परिस्थति में उसके प्रति कृतज्ञ और धन्यवादी बने रहें। - ऐनी सेटास


जब आप अपनी आशीषों को गिनने लगते हैं तो 
परमेश्वर का कृतज्ञ और धन्यवादी होना स्वाभाविक हो जाता है।

क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। - याकूब 1:17

बाइबल पाठ: भजन 116:1-9
Psalms 116:1 मैं प्रेम रखता हूं, इसलिये कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है।
Psalms 116:2 उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिये मैं जीवन भर उसको पुकारा करूंगा।
Psalms 116:3 मृत्यु की रस्सियां मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा।
Psalms 116:4 तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, कि हे यहोवा बिनती सुन कर मेरे प्राण को बचा ले!
Psalms 116:5 यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है; और हमारा परमेश्वर दया करने वाला है।
Psalms 116:6 यहोवा भोलों की रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया।
Psalms 116:7 हे मेरे प्राण तू अपने विश्राम स्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है।
Psalms 116:8 तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आंख को आंसू बहाने से, और मेरे पांव को ठोकर खाने से बचाया है।
Psalms 116:9 मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के साम्हने जान कर नित चलता रहूंगा।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 19-20
  • लूका 18:1-23



मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

बढ़ोतरी



      मेरा बेटा लगातार तीन वर्षों से प्यानो वादन में भाग ले रहा था। पिछले वर्ष मैंने उसे प्यानो बजाते हुए देखा। वह सीढियां चढ़कर मंच पर गया, संगीत की छपी हुई पुस्तिका को सही पन्ने पर खोलकर ठीक से लगाया, उसने दो गीत बजाए, और फिर आकर मेरे पास बैठ गया, और फुसफुसा कर बोला, “माँ, इस वर्ष मेरा प्यानो छोटा हो गया है।” मैंने कहा नहीं, प्यानो तो वही है जो तुमने पिछले वर्ष बजाया था, बस तुम थोड़े बड़े हो गए हो, तुम्हारा कद बढ़ गया है।

      शारीरिक बढ़ोतरी के समान, आत्मिक बढ़ोतरी भी समय के साथ-साथ, धीरे-धीरे होती है। यह एक होती रहने वाली प्रक्रिया है जिसमें हम मसीही विश्वासी प्रभु यीशु की अधिकाधिक समानता में ढलते चले जाते हैं। यह प्रक्रिया हमारे मन के नए हो जाने के कारण संभव होने पाती है “और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो” (रोमियों 12:2)।

      जब परमेश्वर पवित्र आत्मा हमारे अन्दर कार्य करता है, तो हमारे अन्दर पाप के प्रति संवेदनशीलता तथा बोध आता है। परमेश्वर को आदर देने और उसके अनुसार व्यवहार करने के लिए हम अपने अन्दर, अपने जीवन में परिवर्तन चाहते हैं, पाप से हटकर परमेश्वर की निकटता में आना चाहते हैं। अपने इन प्रयासों में हम कभी सफल होते हैं तो कभी असफल होकर हमें फिर से प्रयास करने पड़ते हैं। हो सकता है कि कभी-कभी हमें लगे कि कुछ नहीं बदल रहा है और हम निराश हों; हम असफलता को बढ़ोतरी न होने का प्रमाण समझने लगते हैं, जबकि वास्तव में वह बढ़ोतरी के मार्ग में अग्रसर होने का प्रमाण है।

      आत्मिक बढ़ोतरी के लिए हमें पवित्र आत्मा की सहायता और मार्गदर्शन, अपने अन्दर परिवर्तन लाने की हमारी अपनी इच्छा, और समय की आवश्यकता होती है। अपनी जीवन यात्रा में जब हम कभी-कभी रुक कर पीछे देखते हैं तो हमें आभास होता है कि हम आत्मिक जीवन में भी बढ़े हैं। परमेश्वर हमें सामर्थ्य दे कि हम उसके वचन बाइबल की बात “और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा” (फिलिप्पियों 1:6) पर अपना भरोसा बनाए रखें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


आत्मिक बढ़ोतरी एक प्रक्रिया है।

परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - 2 कुरिन्थियों 3:18

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1: 1-11
Philippians 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में हो कर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Philippians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
Philippians 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Philippians 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।
Philippians 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।
Philippians 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 16-18
  • लूका 17:20-37



सोमवार, 22 अप्रैल 2019

सुनना



      मेरे पिता बहुत कम बोलते थे। वर्षों तक सेना में किए गए कार्य के कारण उनकी सुनने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ा था और वे सुनने के लिए दोनों कानों में मशीन लगाते थे। एक दोपहर, जब मैं और मेरी माँ, उनके दृष्टिकोण से, आवश्यकता से कुछ अधिक देर तक बोलते रहे, तो उन्होंने व्यंग्यात्मक भाव में अपने दोनों हाथ ऊपर को उठा कर कहा, “जब भी मुझे शान्ति और एकांत की आवश्यकता अनुभव होती है, मैं यह करता हूँ” और उन्होंने अपने दोनों कानों की मशीनों को बन्द किया, सर के पीछे हाथ रखे और धीरे से मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बन्द कर लीं। हमारी हंसी निकल गई; जहाँ तक उनका प्रश्न था, उनके लिए वार्तालाप पूरा हो चुका था।

      उस दिन मेरे पिताजी की प्रतिक्रिया की तुलना में, हमारे स्वर्गीय परमेश्वर पिता की प्रतिक्रिया कितनी भिन्न होती है; वह सदा ही अपने बच्चों की सुनता है। इस बात की पुष्टि परमेश्वर के वचन बाइबल की सबसे छोटी प्रार्थनाओं में से एक के द्वारा होती है। एक दिन, फारस के राजा अर्तक्षत्र का सेवक नहेम्याह, अपने कार्य के समय राजा की उपस्थिति में प्रगट रूप से उदास था। जब राजा ने उससे उसकी उदासी का कारण पूछा तो नहेम्याह डर गया, किन्तु उसने स्वीकार किया कि उसकी उदासी उसके पुरखाओं के शहर यरूशलेम की बुरी स्थिति के कारण थी, जो अब बरबाद पड़ा हुआ था। नहेम्याह ने स्मरण किया, “राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना कर के, राजा से कहा; यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं” (नहेम्याह 2:4-5)।

      नहेम्याह की यह प्रार्थना कुछ ही पलों की थी, परन्तु परमेश्वर ने उसे सुना। उस प्रार्थना के करुणामय प्रत्युत्तर ने नहेम्याह द्वारा इससे पहले यरूशलेम के लिए की गई अनेकों प्रार्थनाओं के उत्तर को सक्रीय कर दिया; और उस एक पल में राजा अर्तक्षत्र ने यरूशलेम के पुनःनिर्माण के लिए नहेम्याह के निवेदन को स्वीकार किया और उसे अनुमति प्रदान कर दी।

      यह कितना सुखदायी और आश्वस्त करने वाला है कि हमारा परमेश्वर पिता हमारी सभी प्रार्थनाओं – छोटी से छोटी से लेकर लंबी से लंबी तक, को सुनता है और उनका उत्तर देता है। जेम्स बैंक्स


हमारा महान परमेश्वर पिता हमारी छोटी सी प्रार्थना भी ध्यान से सुनता है।

जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात जितने उसको सच्चाई से पुकारते हें; उन सभों के वह निकट रहता है। - भजन 145:18

बाइबल पाठ: नहेम्याह 2:1-9
Nehemiah 2:1 अर्तक्षत्र राजा के बीसवें वर्ष के नीसान नाम महीने में, जब उसके साम्हने दाखमधु था, तब मैं ने दाखमधु उठा कर राजा को दिया। इस से पहिले मैं उसके साम्हने कभी उदास न हुआ था।
Nehemiah 2:2 तब राजा ने मुझ से पूछा, तू तो रोगी नहीं है, फिर तेरा मुंह क्यों उतरा है? यह तो मन ही की उदासी होगी।
Nehemiah 2:3 तब मैं अत्यन्त डर गया। और राजा से कहा, राजा सदा जीवित रहे! जब वह नगर जिस में मेरे पुरखाओं की कबरें हैं, उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं, तो मेरा मुंह क्यों न उतरे?
Nehemiah 2:4 राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना कर के, राजा से कहा;
Nehemiah 2:5 यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं।
Nehemiah 2:6 तब राजा ने जिसके पास रानी भी बैठी थी, मुझ से पूछा, तू कितने दिन तक यात्रा में रहेगा? और कब लैटेगा? सो राजा मुझे भेजने को प्रसन्न हुआ; और मैं ने उसके लिये एक समय नियुक्त किया।
Nehemiah 2:7 फिर मैं ने राजा से कहा, यदि राजा को भाए, तो महानद के पार के अधिपतियों के लिये इस आशय की चिट्ठियां मुझे दी जाएं कि जब तक मैं यहूदा को न पहुंचूं, तब तक वे मुझे अपने अपने देश में से हो कर जाने दें।
Nehemiah 2:8 और सरकारी जंगल के रख वाले आसाप के लिये भी इस आशय की चिट्ठी मुझे दी जाए ताकि वह मुझे भवन से लगे हुए राजगढ़ की कड़ियों के लिये, और शहरपनाह के, और उस घर के लिये, जिस में मैं जा कर रहूंगा, लकड़ी दे। मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर थी, इसलिये राजा ने यह बिनती ग्रहण किया।
Nehemiah 2:9 तब मैं ने महानद के पार के अधिपतियों के पास जा कर उन्हें राजा की चिट्ठियां दीं। राजा ने मेरे संग सेनापति और सवार भी भेजे थे।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 14-15
  • लूका 17:1-19



रविवार, 21 अप्रैल 2019

समझ तथा चिन्ता



      जब एक व्यक्ति से पूछा गया कि क्या उसे लगता है कि आज के समाज की समस्या उदासीन रहना तथा जानकारी न रखना हो सकती है, तो उसने मुस्कुराते हुई उत्तर दिया, “न मैं यह जानता हूँ, और न ही इसकी परवाह करता हूँ।”

      मुझे लगता है कि आज अनेकों निराश लोग सँसार तथा औरों के प्रति ऐसा ही अनुभव करते हैं। परन्तु जब बात हमारे जीवन की परेशानियों और चिंताओं की है, तो एक है जो सब कुछ जानता है और हमारी चिंता भी करता है – प्रभु यीशु मसीह। परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह 53 अध्याय प्रभु यीशु के दुख उठाने और मारे जाने की भविष्यवाणी है, जो उनके जन्म से लगभग 700 वर्ष पूर्व लिखी गई। इस भविष्यवाणी में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु ने हमारे लिए क्या कुछ सहन किया। वे “वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला” (पद 7); “मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी” (पद 8); “तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी” (पद 10)।

      कलवारी के क्रूस पर प्रभु यीशु ने स्वेच्छा से हमारे पाप और दोष को अपने ऊपर उठा लिया, उनकी पूरी-पूरी कीमत चुका दी। जितना प्रभु यीशु मसीह ने हमारे लिए सहा, उतना कभी किसी ने नहीं सहा है। प्रभु जानते थे कि हमें पापों से बचाने के लिए उन्हें क्या कीमत चुकानी पड़ेगी, और उन्होंने सप्रेम हमारे लिए उस कीमत को चुकाया (पद 4-6)।

      प्रभु यीशु के मृतकों में से पुनरुत्थान के कारण, वे आज जीवित हैं, अपने लोगों के साथ सदा उपास्थिति हैं। हम चाहे कैसी भी, कोई भी परिस्थिति का सामना क्यों कर रहे हों, प्रभु उसे समझता है, हमारे लिए चिंता करता है, और हमें उस परिस्थिति से पार लेकर चलेगा। - डेविड मैक्कैस्लैंड


वह यहां नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था। - लूका 24:6

बाइबल पाठ: यशायाह 53
Isaiah 53:1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?
Isaiah 53:2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
Isaiah 53:3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।
Isaiah 53:4 निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
Isaiah 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
Isaiah 53:6 हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Isaiah 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
Isaiah 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
Isaiah 53:9 और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Isaiah 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
Isaiah 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
Isaiah 53:12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 12-13
  • लूका 16



शनिवार, 20 अप्रैल 2019

प्रेम



      मेरे माता-पिता, जो अमेरिका में रहते हैं, हम मिलने के लिए इंग्लैण्ड आए हुए थे, जहाँ हम रहते हैं। जब वे वापस जाने लगे, तो उन्हें विदा करते समय मेरी बेटी रोते हुए कहने लगी, “मैं नहीं चाहती कि वे जाएँ।” हम उसे दिलासा देने लगे और समझाने लगे, और मेरे पति ने कहा, “प्रेम कीमत माँगता है!”

      प्रिय जनों से बिछुड़ने पर हमें दुःख होता है, परन्तु प्रभु यीशु मसीह ने बिछुड़ने के चरम दुःख को सहा जब उन्होंने चरम प्रेम की कीमत क्रूस पर चुकाई। प्रभु यीशु, जो दोनों, मनुष्य और परमेश्वर थे, उन्होंने परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा उनके विषय उनके जन्म से 700 वर्ष पूर्व की गई भविष्यवाणी को पूरा किया कि “क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया” (यशायाह 53:12)। यशायाह की पुस्तक के इस अध्याय में हम उनके उस “दुखी पुरुष” होने के जिसके विषय वे भविष्यवाणियां की गई थीं, कई संकेत देखते हैं। जैसे कि, “वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया;” और यह कि “उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं” (यशायाह 53:5) – यह सब तब हुआ जब प्रभु को यातनाएं देने के बाद कलवारी के क्रूस पर कीलों के साथ ठोक दिया गया, और एक सैनिक ने उनके पंजर में भाला मारा (यूहन्ना 19:34)।

      हम मनुष्यों के प्रति अपने महान प्रेम के कारण प्रभु यीशु पृथ्वी पर आ गए, शिशु के रूप में जन्म लिया, और अपने उसी प्रेम के कारण उन्होंने धर्म के अगुवों, साधारण लोगों की भीड़, और सैनिकों, सभी से अपमान और दुर्व्यवहार सहन किया। प्रेम ही के कारण उन्होंने सब कुछ सहते हुए, हमारे स्थान पर स्वयँ हमारे पापों को अपने ऊपर लिया, दण्ड के स्थान पर खड़े हो गए और हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए अपने जीवन को सिद्ध बलिदान के रूप में चढ़ा दिया। आज हम उनके इस प्रेम के कारण ही जीवित हैं, परमेश्वर के जन हैं। - एमी बाउचर पाई


प्रभु यीशु वह सिद्ध बलिदान थे जिसने हमें जीवन देने के लिए स्वयं मृत्यु सहन की।

जिसने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध कर के अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो। - तीतुस 2:14

बाइबल पाठ: यशायाह 53: 1-12
Isaiah 53:1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?
Isaiah 53:2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
Isaiah 53:3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।
Isaiah 53:4 निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
Isaiah 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
Isaiah 53:6 हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Isaiah 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
Isaiah 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
Isaiah 53:9 और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Isaiah 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
Isaiah 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
Isaiah 53:12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 9-11
  • लूका 15:11-32



शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

क्रूस



      मैं जिस चर्च में जाती हूँ, वहाँ वेदी के सामने एक बड़ा सा क्रूस टंगा हुआ है, जो उस क्रूस की स्मृति है जिसपर प्रभु यीशु मसीह को मारा गया था – वह स्थान जहाँ हम मनुष्यों के पाप परमेश्वर की पवित्रता के साथ संपर्क में आए थे। उस क्रूस पर परमेश्वर पिता ने अपने सिद्ध, निष्पाप, निष्कलंक पुत्र को, समस्त मानव जाति के प्रत्येक पाप, गलती, अपराध के लिए, जो उन्होंने कभी भी मन, ध्यान, विचार या कर्मों से, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष, किए हों, बलिदान होने के लिए दे दिया। क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने हमें उस मृत्यु से, जिसे हमें सहना था, बचाने के कार्य को पूरा किया, जिससे हम प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त कर सकें (रोमियों 6:23)।

      जब भी मैं क्रूस को देखती हूँ तो मुझे वह सब ध्यान आता है जो प्रभु यीशु ने हमारे लिए सहन किया। क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, उसे कोड़े मारे गए, उस पर थूका गया। सैनिकों ने उसके सिर पर मारा और ठट्ठे में उसके सामने झुक कर उसका उपहास किया। उन्होंने रात भर उसे ताड़नाएं देने के बाद, जिस क्रूस पर उसे ठोका जाना था, उसे उठा कर क्रूसित होने के स्थान तक ले जाने को कहा, किन्तु रात भर की उस ताड़ना से उसका शरीर क्रूस उठाने के लिए बहुत दुर्बल हो चुका था, इसलिए मार्ग से एक अन्य व्यक्ति को पकड़ कर उससे जबरन यह बेगार करवाया गया। क्रूस पर चढ़ाने के स्थान, गुलगुता, पर आकर, उसके हाथ और पांवों में ठोकी गई कीलों से उसे क्रूस पर टांग दिया गया, और उन कीलों के सहारे लटके हुए उसके शरीर का वजन हर साँस खींचने और छोड़ने के साथ उसकी पीड़ा को बढ़ाता था। छः घण्टे क्रूस पर लटके हुए यह सब तथा उपस्थित लोगों के ताने और उपहास सहने के बाद प्रभु यीशु ने अपनी अंतिम साँस ली (मरकुस 15:37)। वहाँ उपस्थित सूबेदार ने यह सब देखने के बाद कहा, “सचमुच, यह मनुष्य परमेश्वर का पुत्र था!” (पद 39)।

      अगली बार जब भी आप क्रूस के चिन्ह को देखें, तो थोड़ा रुक कर विचार करें कि आप के लिए उसका क्या अर्थ है, क्या महत्व है? परमेश्वर के पुत्र ने उस क्रूस पर घोर पीड़ा और मृत्यु को सहा जिससे आपके लिए अनन्त जीवन का चिर-स्थाई आनन्द संभव हो सके। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


मसीह का क्रूस हमारे पाप की सर्वाधिक बुरी दशा, 
तथा परमेश्वर के प्रेम की सर्वोत्तम स्थिति को दिखाता है।

क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है। - 1 कुरिन्थियों 1:18

बाइबल पाठ: मरकुस 15:16-21,29-39
Mark 15:16 और सिपाही उसे किले के भीतर आंगन में ले गए जो प्रीटोरियुन कहलाता है, और सारी पलटन को बुला लाए।
Mark 15:17 और उन्होंने उसे बैंजनी वस्‍त्र पहिनाया और कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा।
Mark 15:18 और यह कहकर उसे नमस्‍कार करने लगे, कि हे यहूदियों के राजा, नमस्‍कार!
Mark 15:19 और वे उसके सिर पर सरकण्‍डे मारते, और उस पर थूकते, और घुटने टेककर उसे प्रणाम करते रहे।
Mark 15:20 और जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो उस पर से बैंजनी वस्‍त्र उतारकर उसी के कपड़े पहिनाए; और तब उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिये बाहर ले गए।
Mark 15:21 और सिकन्‍दर और रूफुस का पिता, शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य, जो गांव से आ रहा था उधर से निकला; उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा, कि उसका क्रूस उठा ले चले।
Mark 15:29 और मार्ग में जाने वाले सिर हिला हिलाकर और यह कहकर उस की निन्‍दा करते थे, कि वाह! मन्दिर के ढाने वाले, और तीन दिन में बनाने वाले! क्रूस पर से उतर कर अपने आप को बचा ले।
Mark 15:30 इसी रीति से महायाजक भी, शास्‍त्रियों समेत,
Mark 15:31 आपस में ठट्ठे से कहते थे; कि इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता।
Mark 15:32 इस्राएल का राजा मसीह अब क्रूस पर से उतर आए कि हम देखकर विश्वास करें: और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उस की निन्‍दा करते थे।
Mark 15:33 और दोपहर होने पर, सारे देश में अन्धियारा छा गया; और तीसरे पहर तक रहा।
Mark 15:34 तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी जिस का अर्थ यह है; हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
Mark 15:35 जो पास खड़े थे, उन में से कितनों ने यह सुनकर कहा: देखो यह एलिय्याह को पुकारता है।
Mark 15:36 और एक ने दौड़कर इस्‍पंज को सिरके में डुबोया, और सरकण्‍डे पर रखकर उसे चुसाया; और कहा, ठहर जाओ, देखें, कि एलिय्याह उसे उतारने कि लिये आता है कि नहीं।
Mark 15:37 तब यीशु ने बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिये।
Mark 15:38 और मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया।
Mark 15:39 जो सूबेदार उसके सम्हने खड़ा था, जब उसे यूं चिल्लाकर प्राण छोड़ते हुए देखा, तो उसने कहा, सचमुच यह मनुष्य, परमेश्वर का पुत्र था।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 6-8
  • लूका 15:1-10



गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

सहन



      यदि कोई मित्र साथ हो तो क्या पीड़ा अधिक सहनीय हो जाती है? वर्जीनिया विश्विद्यालय के कुछ शोधकर्ताओं ने इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए एक रोचक अध्ययन किया। वे देखना चाहते थे कि पीड़ा होने की आशंका के प्रति मस्तिष्क में क्या प्रतिक्रियाएं होती हैं, और क्या ये प्रतिक्रियाएं भिन्न होती हैं यदि व्यक्ति अकेला हो, या किसी अजनबी का हाथ थामे हुए हो या, फिर किसी घनिष्ट मित्र ने हाथ थामा हुआ हो।

      शोधकर्ताओं ने दर्जनों बार इस प्रयोग को किया, और उनके परिणाम सदा समान ही थे। जब व्यक्ति अकेला हो या किसी अजनबी का हाथ थामे हुए हो तो मस्तिष्क का वह भाग जो खतरे से आशंकित होता है वह सक्रीय हो गया। किन्तु जब हाथ किसी घनिष्ट मित्र ने थामा हुआ था तो मस्तिष्क भी शान्त था। मित्र के निकट होने के आभास ने पीड़ा को अधिक सहनीय बना दिया था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले के समय में, जब वे गतसमनी के बाग़ में प्रार्थना कर रहे थे, तब प्रभु को भी अपने मित्रों से दिलासा की अपेक्षा थी। वे जानते थे कि थोड़े ही समय में उन्हें धोखे, गिरफतारी और मृत्यु का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने अपने निकट के मित्रों से कहा कि “मेरा जी बहुत उदास है” (मत्ती 26:38), और वे लोग उनके साथ रहें और प्रार्थना करें; परन्तु पतरस, याकूब और यूहन्ना सोते ही रहे।

      प्रभु यीशु ने गतसमनी के बाग़ में उस पीड़ा को अकेले ही सहन किया, उनके साथ, उनका हाथ थामने वाला, उन्हें दिलासा देने वाला, कोई नहीं था। परन्तु क्योंकि उन्होंने उस पीड़ा को सहन कर लिया, आज हम निश्चिन्त हो सकते हैं कि हमारा प्रभु परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ेगा या त्यागेगा (इब्रानियों 13:5)। प्रभु यीशु ने हमारे पापों की पीड़ा को अपने ऊपर लेकर सहन कर लिया जिससे हमें कभी भी परमेश्वर के प्रेम से अलग होने की पीड़ा को सहना नहीं पड़े (रोमियों 8:39)। आज हम मसीही विश्वासियों के साथ उसकी सदा बनी रहने वाली उपस्थिति, जीवन की हर परिस्थिति की हर पीड़ा को सहन करना हमारे लिए सहज करती रहती है। - एमी पीटरसन


परमेश्वर के प्रेम के कारण हम कभी अकेले नहीं होते हैं।

तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5

बाइबल पाठ: मत्ती 26:36-46
Matthew 26:36 तब यीशु ने अपने चेलों के साथ गतसमनी नाम एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जा कर प्रार्थना करूं।
Matthew 26:37 और वह पतरस और जब्‍दी के दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा।
Matthew 26:38 तब उसने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो।
Matthew 26:39 फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
Matthew 26:40 फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा; क्या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?
Matthew 26:41 जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है।
Matthew 26:42 फिर उसने दूसरी बार जा कर यह प्रार्थना की; कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो।
Matthew 26:43 तब उसने आकर उन्हें फिर सोते पाया, क्योंकि उन की आंखें नींद से भरी थीं।
Matthew 26:44 और उन्हें छोड़कर फिर चला गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार प्रार्थना की।
Matthew 26:45 तब उसने चेलों के पास आकर उन से कहा; अब सोते रहो, और विश्राम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
Matthew 26:46 उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 3-5
  • लूका 14:25-35