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गुरुवार, 7 मई 2020

रचना



     लाइगौन स्टीवेंस को पर्वतारोहण अच्छा लगता था, और वह अपने भाई, निक, के साथ पर्वतारोहण के लिए जाया करती थी। वे दोनों अनुभवी पर्वतारोही थे, और उन्होंने उत्तरी अमेरिका के सबसे ऊंचे शिखर पर भी विजय प्राप्त की थी। फिर एक दिन, जनवरी 2008 में, वे कोलराडो के एक पहाड़ पर हिमस्खलन का शिकार हो गए, जिसमें निक तो चोटिल हुआ, किन्तु बीस वर्षीय लाइगौन की मृत्यु हो गई। बाद में निक को अपनी बहन के एक झोले में उसके द्वारा लिखी जाने वाली दैनिक डायरी मिली, और उसे पढ़कर निक को बहुत सान्तवना मिली। वह डायरी परमेश्वर के प्रति प्रार्थनाओं, धन्यवाद, स्तुति, और मनन से भरी हुई थी, जैसा कि उसके एक लेख से प्रगट होता है: “मैं एक कलाकृति हूँ, जिस पर परमेश्वर के हस्ताक्षर हैं। परन्तु उसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है; वास्तव में यह तो आरंभ ही है...। मुझ पर परमेश्वर की उँगलियों के निशान हैं। कभी भी मेरे समान कोई दूसरा मनुष्य नहीं होगा...। इस जीवन में मेरे द्वारा किए जाने के लिए कुछ तय किया गया है, और उस कार्य को कोई अन्य नहीं कर सकता है।”

     यद्यपि लाइगौन अब इस संसार में शारीरिक रूप में विद्यमान नहीं है, परन्तु उसकी डायरी और उसके जीवन आज भी उन्हें प्रोत्साहित करते और चुनौती देते हैं, जिन्हें वह पीछे छोड़ गई है।

     क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में रचे गए हैं (उत्पत्ति 1:27), इसलिए प्रत्येक मनुष्य परमेश्वर द्वारा हस्ताक्षरित एक कलाकृति है, जैसे कि परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने इफिसुस की मसीही मण्डली के लोगों को लिखा: “क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया” (इफिसियों 2:10)।

       हम सभी परमेश्वर की अद्भुत और अद्वितीय रचना हैं, जिन्हें परमेश्वर अपने समय, अपनी विधि के अनुसार, औरों की सहायता करने के लिए उपयोग करता रहता है। - डेनिस फिशर

प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर की अनुपम कारीगरी की अद्वितीय अभिव्यक्ति है।

तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। - उत्पत्ति 1:27

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-10
इफिसियों 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।
इफिसियों 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है।
इफिसियों 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।
इफिसियों 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया।
इफिसियों 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)
इफिसियों 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।
इफिसियों 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।
इफिसियों 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।
इफिसियों 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे।
इफिसियों 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजाओं 1-3
  • लूका 24:1-35



बुधवार, 6 मई 2020

प्रतिज्ञा



     मेरे एक मित्र और उसके भाई ने, अपने बचपन में, अपनी बहन को आश्वस्त किया कि यदि वह वास्तव में ‘विश्वास’ करेगी, तो छाते में इतनी सामर्थ्य है कि उसे ऊपर थामे रखे। उनकी बात पर विश्वास करके, उनकी बहन छाता लिए हुए छत से कूद गई, जिस से उसके सिर पर कुछ चोट आई, और वह कुछ समय के लिए बेसुध भी हो गई।

     परमेश्वर ने जो भी प्रतिज्ञा की है, वह उसे अवश्य ही पूरा भी करेगा। परन्तु हमें यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि हम जब भी उस से उसकी किसी प्रतिज्ञा के पूरे किए जाने को मांगते हैं, हम वास्तव में उसके वास्तविक वचन के आधार पर ऐसा कर रहे हैं। क्योंकि, तब ही हमें यह आश्वासन है कि परमेश्वर हमें वह देगा, या हमारे लिए वह करेगा, जो उसकी प्रतिज्ञा है। अपने आप में, ‘विश्वास’ में कोई सामर्थ्य नहीं है; वह तब ही कार्यकारी होता है जब वह परमेश्वर की किसी स्पष्ट और खरी प्रतिज्ञा पर आधारित हो। इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य बात पर ‘विश्वास’ रखना, मात्र कल्पना करना है।

     इसका एक स्पष्ट उदाहरण है प्रभु द्वारा यूहन्ना 15:7-8 में की गई प्रतिज्ञा: “यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।” ये पद यह प्रतिज्ञा नहीं हैं कि जो भी हम कह देंगे परमेश्वर उसे पूरा कर देगा। वरन यह इस बात के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा है कि वह हमारे व्यक्तिगत रीति से धर्मी होने की प्रत्येक लालसा – जिसे पौलुस “आत्मा के फल कहता है (गलातियों 5:22-23)” का प्रत्युत्तर देगा। यदि हम पवित्रता के भूखे और प्यासे होंगे, और परमेश्वर से उसे मांगेंगे, तो वह हमें उसके विषय संतुष्ट भी करेगा। इसमें कुछ समय अवश्य लगेगा, क्योंकि आत्मिक बढ़ोतरी में भी, शारीरिक बढ़ोतरी के समान ही, समय लगता है। इसलिए हताश हो कर माँगना छोड़ न दें; परमेश्वर से निवेदन करते रहें कि वह आपको पवित्र बनाए। उसके समय, उसकी विधि, और उसकी गति के अनुसार, वह यह आपके लिए कर देगा। परमेश्वर ऐसी कोई प्रतिज्ञा नहीं करता है जिसे वह पूरा न करे। - डेविड एच. रोपर

हमारा परमेश्वर प्रतिज्ञा निभाने वाला परमेश्वर है।

पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। - गलातियों 5:22-23

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:5-8
यूहन्ना 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।
यूहन्ना 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।
यूहन्ना 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।
यूहन्ना 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 21-22
  • लूका 23:26-56



मंगलवार, 5 मई 2020

निकट



     अपने बेटी को स्कूल छोड़कर आने के लिए मुझे एक मील चलना पड़ता है, और यह मुझे अवसर प्रदान करता है कि मैं बाइबल के कुछ पद कंठस्त कर सकूँ – यदि मैं ऐसा करना चाहूँ तो! जब मैं उस समय का उपयोग अपने मन में परमेश्वर के वचन को दोहराने के लिए करती हूँ, तो मैं पाती हूँ कि शेष दिन में भी वह वचन मुझे स्मरण आता रहता है, मुझे शान्ति और सद्बुद्धि प्रदान करता रहता है।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि जब मूसा ने इस्राएलियों को प्रतिज्ञा किए हुए देश में प्रवेश करने की तैयारी के लिए निर्देश दिए, तो उसने उन से बल देकर कहा कि वे परमेश्वर के वचनों और आज्ञाओं की निकटता में बने रहें (व्यवस्थाविवरण 6:1-2)। इस उद्देश्य से कि वे उस देश में फले-फूलें, उसने उन लोगों से कहा कि वे उन वचनों पर मनन करते रहें, और अपने बच्चों के साथ उन पर चर्चा करते रहें (पद 6, 7)। उसने तो यह भी कहा कि वे लोग उन्हें अपनी कलाई और माथे पर बाँध लें (पद 8)। वह नहीं चाहता था कि वे लोग कभी परमेश्वर के वचन को, उसे आदर देने वाली उसकी प्रजा होने को, और उसकी कृपा तथा आशीष के पात्र होने को भूलें।

     आज आप परमेश्वर के वचन के विषय क्या रवैया रखते हैं? एक विचार यह हो सकता है कि आप पवित्र शास्त्र में से प्रतिदिन एक पद लिख लें, और जब भी आप हाथ धोएं, या पानी पीएं, तो उस पद को भी पढ़ें और फिर उस पर मनन करते रहें। यह भी कर सकते हैं कि सोने से पहले परमेश्वर के वचन से एक छोटा खंड पढ़ें, और उस पर विचार करते हुए सो जाएं, उसे अपने अन्दर कार्य करने दें। परमेश्वर के वचन को अपने निकट रखने के अनेकों तरीके हैं; बस उसके निकट बने रहें। - एमी बाउचर पाई

अपने आप को परमेश्वर के वचन से घेर लें।

मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। - भजन 119:11

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 6:1-9
व्यवस्थाविवरण 6:1 यह वह आज्ञा, और वे विधियां और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिकारी होने को पार जाने पर हो;
व्यवस्थाविवरण 6:2 और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूं, अपने जीवन भर चलते रहें, जिस से तू बहुत दिन तक बना रहे।
व्यवस्थाविवरण 6:3 हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम बहुत हो जाओ।
व्यवस्थाविवरण 6:4 हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है;
व्यवस्थाविवरण 6:5 तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।
व्यवस्थाविवरण 6:6 और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें;
व्यवस्थाविवरण 6:7 और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।
व्यवस्थाविवरण 6:8 और इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी कर के बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें।
व्यवस्थाविवरण 6:9 और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 19-20
  • लूका 23:1-25



सोमवार, 4 मई 2020

पहले



     जब हम परमेश्वर के अनंत, बिना आरम्भ, बिना अंत का होने के बारे में उन्हें बताते हैं तो कोई न कोई सन्डे स्कूल का विद्यार्थी यह प्रश्न अवश्य ही पूछ लेता है कि, “यदि परमेश्वर का कोई आरम्भ नहीं है, कोई अंत नहीं है, वह सदा से रहा है और सदा रहेगा, तो फिर हमारी सृष्टि किए जाने से पहले वह कर क्या रहा था? वह अपना समय कैसे व्यतीत करता था?” मेरा उत्तर हुआ करता था कि यह एक रहस्य है; परन्तु हाल ही में मैंने जाना की परमेश्वर के वचन बाइबल में इसके विषय कुछ कहा गया है।

     यूहन्ना 17 में जब प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर पिता से प्रार्थना करते हैं, तो वे कहते हैं, “हे पिता, मैं चाहता हूं कि जिन्हें तू ने मुझे दिया है, जहां मैं हूं, वहां वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तू ने मुझे दी है, क्योंकि तू ने जगत की उत्‍पत्ति से पहिले मुझ से प्रेम रखा” (पद 24)। यह प्रभु यीशु द्वारा हम पर प्रकट किया गया परमेश्वर है, संसार की सृष्टि से भी पहले से ही, परमेश्वर हमेशा से ही त्रिएक (पिता, पुत्र, और पवित्र-आत्मा) रहा है – जो सदा साथ और एक दूसरे से प्रेम करते हुए रहते आए हैं। जब प्रभु यीशु मसीह का बप्तिस्मा हुआ, तब परमेश्वर ने अपने पवित्र आत्मा को कबूतर के रूप में भेजा और कहा, “...यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यंत प्रसन्न हूं” (मत्ती 3:17)। परमेश्वर के व्यक्तित्व की सबसे आधारभूत बात, उसका जीवन-दाई और व्यक्त होने वाला प्रेम है।

     यह हमारे परमेश्वर का कितना प्रोत्साहित और प्रसन्न कर देने वाला सत्य है। त्रिएक परमेश्वर, पिता, पुत्र, और पवित्र-आत्मा, के प्रत्येक व्यक्तित्व द्वारा परस्पर व्यक्त किया जाने वाला प्रेम ही परमेश्वर के स्वभाव को समझने की कुंजी है। समय के आरम्भ से पहले परमेश्वर क्या कर रहा था? वही जो वह सदा करता है: वह प्रेम कर रहा था क्योंकि वह पहले से ही प्रेम है। - एमी पीटरसन

सदा प्रेम और संबंध में रहने वाले परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में सृजा है।

हे प्रियो, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।  - 1 यूहन्ना 4:7-8

बाइबल पाठ: मत्ती 3:13-17
मत्ती 3:13 उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्मा लेने आया।
मत्ती 3:14 परन्तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, कि मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यक्ता है, और तू मेरे पास आया है?
मत्ती 3:15 यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है, तब उसने उस की बात मान ली।
मत्ती 3:16 और यीशु बपतिस्मा ले कर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उसने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा।
मत्ती 3:17 और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यंत प्रसन्न हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 16-18
  • लूका 22:47-71



रविवार, 3 मई 2020

दृष्टिकोण



     हमारे इलाके में पिछले तीस वर्षों की तुलना में सबसे अधिक बर्फ पड़ी थी। लगातार पड़ रही बर्फ को बेलचे से रास्ते से हटाते-हटाते मेरी मांसपेशियां दुखने लगी थीं। उस दिन जब मैं अपने व्यर्थ प्रतीत होने वाले प्रयास को कर के, थकी हुई, घर के अन्दर कमरे में आई तो वहां जल रही आग की गर्मी से, और उसके चारों और बैठे अपने बच्चों को देखकर मुझे अच्छा लगा। अपने घर की सुरक्षा में से जब मैंने खिड़की से बाहर देखा, तो उस मौसम के प्रति मेरा दृष्टिकोण बिलकुल बदल गया। फिर मुझे करने के लिए और परिश्रम के स्थान पर पेड़ों की डालियों पर जमी हुई बर्फ, और दूर-दूर तक धरती पर फ़ैली हुई बर्फ की सफ़ेद चादर के सुन्दर दृश्य दिखाई देने लगे।

     मुझे ऐसा ही, किन्तु और भी अधिक मार्मिक, दृष्टिकोण में परिवर्तन परमेश्वर के वचन बाइबल में आसाप में दिखता है जब मैं उसके द्वारा लिखे गए भजन 73 को पढ़ती हूँ। इस भजन के आरम्भ में वह संसार की कार्य-प्रणाली, कैसे गलत करने वाले लाभान्वित होते दिखाई देते हैं और ईमानदार परेशान रहते हैं, के कारण दुखी होता है। उसे संदेह होता है कि संसार से भिन्न हो कर तथा औरों के लाभ के लिए जीने से क्या कोई लाभ है (पद 13)। परन्तु जब वह परमेश्वर की उपस्थिति में आता है, उसका दृष्टिकोण बदल जाता है (पद 16-17)। उसे ध्यान हो आता है कि परमेश्वर संसार और उसकी समस्याओं के साथ खराई से न्याय करेगा, और इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात, परमेश्वर की उपस्थिति में होना भला है (पद 28)।

     जब संसार की निरंतर बनी रहने वाली समस्याएं हमारे उत्साह को ठंडा कर देती हैं, हमें हताश करने लगती हैं, तो प्रार्थना में परमेश्वर की उपस्थिति में आने और उसके प्रेम, ढाढ़स, और आशा द्वारा प्रोत्साहित होना बहुत अच्छा होता है। परमेश्वर के जीवन और दृष्टिकोण बदल देने वाले सत्य – कि उसका न्याय और समझ-बूझ, हमारे दृष्टिकोण से कहीं बढ़कर और उत्तम है, हमने ठंडेपन से निकालकर उसकी शांति की गर्मी प्रदान करता है। चाहे हमारी परिस्थितियाँ न भी बदलें, हमारा बदला हुआ दृष्टिकोण हमें परमेश्वर के कार्यों में निहित भलाई और सुन्दरता देख पाने की समझ देता है। - कर्सटिन होल्मबर्ग

परमेश्वर ही हमें सही दृष्टिकोण प्रदान करता है।

मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं। - भजन 119:18

बाइबल पाठ: भजन 73:12-28
भजन संहिता 73:12 देखो, ये तो दुष्ट लोग हैं; तौभी सदा सुभागी रहकर, धन सम्पत्ति बटोरते रहते हैं।
भजन संहिता 73:13 निश्चय, मैं ने अपने हृदय को व्यर्थ शुद्ध किया और अपने हाथों को निर्दोषता में धोया है;
भजन संहिता 73:14 क्योंकि मैं दिन भर मार खाता आया हूं और प्रति भोर को मेरी ताड़ना होती आई है।
भजन संहिता 73:15 यदि मैं ने कहा होता कि मैं ऐसा ही कहूंगा, तो देख मैं तेरे लड़कों की सन्तान के साथ क्रूरता का व्यवहार करता,
भजन संहिता 73:16 जब मैं सोचने लगा कि इसे मैं कैसे समझूं, तो यह मेरी दृष्टि में अति कठिन समस्या थी,
भजन संहिता 73:17 जब तक कि मैं ने ईश्वर के पवित्र स्थान में जा कर उन लोगों के परिणाम को न सोचा।
भजन संहिता 73:18 निश्चय तू उन्हें फिसलने वाले स्थानों में रखता है; और गिराकर सत्यानाश कर देता है।
भजन संहिता 73:19 अहा, वे क्षण भर में कैसे उजड़ गए हैं! वे मिट गए, वे घबराते घबराते नाश हो गए हैं।
भजन संहिता 73:20 जैसे जागने हारा स्वप्न को तुच्छ जानता है, वैसे ही हे प्रभु जब तू उठेगा, तब उन को छाया सा समझ कर तुच्छ जानेगा।
भजन संहिता 73:21 मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था,
भजन संहिता 73:22 मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रह कर भी, पशु बन गया था।
भजन संहिता 73:23 तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा।
भजन संहिता 73:24 तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा।
भजन संहिता 73:25 स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता।
भजन संहिता 73:26 मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।
भजन संहिता 73:27 जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है।
भजन संहिता 73:28 परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 14-15
  • लूका 22:21-46



शनिवार, 2 मई 2020

प्रेम



     एक दिन मेरी बेटी हमारे एक वर्षीय नाती के साथ, हमारे घर कुछ समय बिताने के लिए आई। मुझे घर से बाहर कुछ काम करने के लिए जाने था, इसलिए जैसे ही मैं कमरे से बाहर जाने लगा, मेरा नाती रोने लगा। ऐसा दो बार हुआ, और हर बार मैं वापस आकर उसके साथ कुछ पल बिताता, उससे बात करता। मैं जब तीसरी बार बाहर जाने लगा, तो फिर से उसके होंठ रोना आरम्भ करने के लिए कंपकंपाने लगे। तब मेरी बेटी ने कहा, “पिताजी, आप उसे अपने साथ ही बाहर ले जाएं।”

     अब, कोई भी नाना-नानी, दादा-दादी, आपको बता सकते हैं की इसके आगे क्या हुआ होगा। मेरा नाती मेरे साथ बाहर घूमने के लिए गया, क्योंकि मैं उस से प्रेम करता हूँ।

     यही बात परमेश्वर के साथ हमारे संबंध में भी है, उस बच्चे की मेरे प्रति अभिलाषा के समान, परमेश्वर के प्रति हमारी अभिलाषाओं का प्रत्युत्तर भी प्रेम ही होता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें आश्वस्त करती है कि, “और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हम ने उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है” (1 यूहन्ना 4:16)। परमेश्वर हम से हमारे द्वारा कुछ किए गए या नहीं किए गए के कारण प्रेम नहीं करता है। उसका प्रेम हमारी किसी भी योग्यता पर कतई आधारित नहीं है, वरन उसकी भलाई और विश्वासयोग्यता के कारण है। जब कि हमारे चारों ओर का संसार प्रेम और दया से रहित है, हम परमेश्वर के कभी न बदलने वाले प्रेम पर अपनी आशा और शान्ति का स्त्रोत होने के लिए सदा भरोसा बनाए रख सकते हैं।

     हमारे स्वर्गीय पिता का हृदय उसके द्वारा हमें दी गई उसके पुत्र और उसकी आत्मा की भेंट में होकर प्रगट है। यह आश्वासन कितना शांतिदायक है कि परमेश्वर हम से ऐसा प्रेम रखता है जिसका कभी अंत नहीं होगा। - जेम्स बैंक्स

परमेश्वर की अभिलाषा है कि हम उसकी लालसा रखें।

फसह के पर्व से पहिले जब यीशु ने जान लिया, कि मेरी वह घड़ी आ पहुंची है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊं, तो अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम वह रखता था, अन्‍त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा। - यूहन्ना 13:1

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:13-16
1 यूहन्ना 4:13 इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमें दिया है।
1 यूहन्ना 4:14 और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है।
1 यूहन्ना 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में।
1 यूहन्ना 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हम ने उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 12-13
  • लूका 22:1-20



शुक्रवार, 1 मई 2020

प्रतीक्षा



     प्रति मई दिवस (मई 1) के दिन, इंगलैंड के ऑक्सफ़ोर्ड में, बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए एक भीड़ तड़के प्रातः एकत्रित होती है। प्रातः 6:00 बजे, मैग्डालैन कॉलेज की संगीत मंडली मैग्डालैन मीनार से गीत गाती है। हज़ारों प्रतीक्षा करते हैं कि अंधेरी रात गीतों और घंटियों के बजने के साथ समाप्त होगी और दिन निकलेगा।

     उन लोगों के समान मैं भी प्रतीक्षा करती हूँ, अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर आने का, परमेश्वर से मार्गदर्शन मिलने का। यद्यपि मैं उस समय को तो नहीं जानती हूँ जब मेरी प्रतीक्षा समाप्त होगी, फिर भी मैं एक आशा के साथ प्रतीक्षा करती हूँ। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 130 में, भजनकार एक घोर परेशानी में होने, ऐसी परिस्थिति का सामना करने का, जो सबसे काली रात के समान थी, लिखता है। अपनी उन परेशानियों के मध्य में, वह परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखने और उस पहरेदार के समान सचेत रहने, जिसे पौ फटने की घोषणा करने का दायित्व दिया गया है, का निर्णय लेता है, “पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं” (भजन 130:6)।

     भजनकार को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के प्रकट होने के भरोसे से आशा मिलती है और उस अन्धकार को सहने की सामर्थ्य भी। समस्त पवित्र शास्त्र में दी गई परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के आधार पर, उसे प्रतीक्षा करते रहने में भी आशा बनी रहती है, यद्यपि उसने अभी भोर की पहली किरणों को देखा नहीं है।

     यदि आप किसी काली रात में हैं, तो प्रोत्साहित हो जाएं। भोर आने वाली है – चाहे इस जीवन अथवा स्वर्ग में! इस बीच में, आशा न छोड़ें, प्रभु के छुटकारे की प्रतीक्षा करें। वह विश्वासयोग्य है। - लीसा सामरा

चाहे अन्धकार हो अथवा उजाला, परमेश्वर पर सदा भरोसा किया जा सकता है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: भजन 130:1-6
भजन संहिता 130:1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है!
भजन संहिता 130:2 हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें!
भजन संहिता 130:3 हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?
भजन संहिता 130:4 परन्तु तू क्षमा करने वाला है? जिस से तेरा भय माना जाए।
भजन संहिता 130:5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है;
भजन संहिता 130:6 पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 10-11
  • लूका 21:20-38