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शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013

निरीक्षक

   घर के पिछले बरामदे को बैठता देखकर मैं समझ गया कि इसकी मरम्मत मेरे बस की बात नहीं होगी। इसलिए मैंने नया बरामदा बना कर दे सकने वाले कारिगरों तथा होने वाले वाले खर्चे के बारे में पता किया, और फिर एक योग्य प्रतीत होने वाले ठेकेदार को उचित लगने वाले खर्चे पर कार्य सौंप दिया। जब वह काम कर चुका तो मैंने बारीकी से उसके काम का निरीक्षण किया और मुझे उसके काम में कुछ कमियाँ लगीं। इस विषय में एक अन्य राय लेने हेतु मैंने स्थानीय निर्माण निरीक्षक को बुलाया, और मुझे जान कर बड़ा अचंभा हुआ कि जिस ठेकेदार को मैंने काम सौंपा था उसके पास भवन निर्माण संस्था से कार्यकुशलता के आधार पर मिलने वाला अनुमतिपत्र था ही नहीं। बिना निर्माण निरीक्षक की अनुमति और निरीक्षण के उसने निर्माण नियमों का कई जगह उल्लंघन किया था और गलतियाँ करी थीं।

   इस घटना ने मुझे एक महत्वपूर्ण सत्य स्मरण दिलाया (- ठेकेदार का निर्माण अनुमतिपत्र पहले ही देख-परख लेने के अतिरिक्त), हम मनुष्यों की प्रवृति है कि यदि हमारे ऊपर कोई निरीक्षक बना ना रहे और यदि किसी के प्रति प्रगट में हमारी जवाबदेही ना हो तो हम अपने कार्यों में ढिलाई बरतते हैं और हलका काम करते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी प्रभु यीशु के दो दृष्टांतों में हम इस मानवीय प्रवृति को कार्यकारी रूप में देखते हैं (मत्ती 24:45-51; 25:14-30); इन दोनों ही दृष्टांतों में हम पाते हैं कि स्वामी की अनुपस्थिति में एक ऐसा कर्मचारी भी था जिसने अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाई और स्वामी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, इसलिए बाद में स्वामी से दंड का भागी हुआ। लेकिन इसके विपरीत हम बाइबल की नीतिवचन पुस्तक में राजा सुलेमान द्वारा चींटी का उदाहरण भी पाते हैं, जिसके ऊपर कोई निरीक्षक नहीं होता परन्तु हर चींटी अपना काम पूरी मेहनत के साथ सारे समय करती रहती है; कुशलता पूर्वक कार्य करते रहने की प्रवृति उसके अन्दर समाई हुई है और वह उसे निभाती रहती है।

   यह हमारे सामने प्रश्न लाता है - कार्य के संबंध में हमारा हाल क्या है? क्या हम अपनी ज़िम्मेदारी को तभी निभाते हैं और सौंपे हुए कार्य को कुशलता से तभी करते हैं जब हमारे ऊपर कोई निरीक्षक खड़ा होकर हम पर नज़र बनाए रखे? या हम इस बात को समझते और मानते हुए अपनी जिम्मेदारी को भली भांति निभाते रहते हैं कि चाहे वर्तमान में कोई मानवीय निरीक्षक हम पर नज़र रखे अथवा नहीं, हमारा निरीक्षक परमेश्वर है जो हर समय हम पर नज़र रखता है और एक दिन उसके सामने खड़े होकर हमें हर बात का हिसाब उसे देना ही है और उससे फिर अपने कार्य की गुणवन्ता के अनुरूप प्रतिफल भी - चाहे वह शर्मिंदगी का हो या शाबाशी का, पाना ही है। - डेव ब्रैनन


हम मसीही विश्वासियों का मानवीय मालिक कोई भी हो, हमारा कार्य अन्ततः परमेश्वर के लिए ही है।

जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। - यूहन्ना 9:4 

बाइबल पाठ: नीतिवचन 6:6-11; कुलुस्सियों 3:22-25
Proverbs 6:6 हे आलसी, च्यूंटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो। 
Proverbs 6:7 उन के न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करने वाला, 
Proverbs 6:8 तौभी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं। 
Proverbs 6:9 हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी? 
Proverbs 6:10 कुछ और सो लेना, थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना, 
Proverbs 6:11 तब तेरा कंगालपन बटमार की नाईं और तेरी घटी हथियारबन्द के समान आ पड़ेगी।

Colossians 3:22 हे सेवकों, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। 
Colossians 3:23 और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। 
Colossians 3:24 क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। 
Colossians 3:25 क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।

एक साल में बाइबल: 

  • यशायाह 20-22 
  • इफिसियों 6


गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013

स्वर्गीय चँगाई

   थॉमस मूर (1779-1852) आयरलैंड के रहने वाले एक मसीही विश्वासी, गीत लेखक, गायक और कवि थे। उन्हें गाते हुए सुनने से या उनके गीतों को गाने से उनकी यह प्रतिभाएं अनेकों लोगों के लिए बहुत आनन्द और शान्ति का कारण रहीं। किंतु थॉमस मूर का व्यक्तिगत जीवन बार बार आने वाले दुखों से भरा था, जिसमें उनके जीते जी ही उनके पाँचों बच्चों की मृत्यु हो जाना भी सम्मिलित है। मूर द्वारा सहे गए इन भिन्न दुखों को स्मरण रखते हुए उनके द्वारा लिखे एक गीत की पंक्तियों से परमेश्वर प्रभु यीशु में उनके विश्वास की दृढ़ता का पता चलता है तथा ये पंकतियाँ और भी मार्मिक हो जाती हैं: "यहाँ अपने घायल मनों को लाएं, अपनी व्यथा को बताएं; पृथ्वी के पास ऐसा कोई दुख नहीं है, स्वर्ग के पास जिसका समाधान नहीं है।" उनका यह हृदय स्पर्शी छंद हमें स्मरण दिलाता है कि प्रार्थना में परमेश्वर के साथ मिलना हमारे घायल मनों को स्वस्थ करता है।

   प्रेरित पौलुस ने भी दुखी लोगों को परमेश्वर से मिलने वाली सांत्वना और सामर्थ का उल्लेख करते हुए कुरिन्थुस की मण्डली को लिखा: "हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों।" (2 कुरिन्थियों 1:3-4)। कभी कभी हम अपने दुखों में अपने आप को इतना समेट लेते हैं कि हमें सच्ची और स्थाई शान्ति देने वाले परमेश्वर से अपने आप को दूर कर लेते हैं। ऐसे में हमें परमेश्वर से मिलने वाली शान्ति और सांत्वना को स्मरण करके प्रार्थना में पुनः उसके साथ अपने संबंध को ठीक कर लेना चाहिए।

   जैसे जैसे हम अपने परमेश्वर पिता के सामने अपने दिल खोल कर सच्चे, आज्ञाकारी और समर्पित मन के साथ उससे अपने दुखों का बयान करते जाएंगे, उससे शान्ति, सामर्थ और समाधान हमें प्राप्त होता जाएगा और हमारे घायल मन उसकी स्वर्गीय चँगाई को अनुभव करने लग जाएंगे। वास्तव में "पृथ्वी के पास ऐसा कोई दुख नहीं है, स्वर्ग के पास जिसका समाधान नहीं है"। - डेनिस फिशर


प्रार्थना ही वह भूमि है जिसमें आशा और चंगाई सबसे अच्छे फलते-फूलते हैं।

अब प्रभु जो शान्‍ति का सोता है आप ही तुम्हें सदा और हर प्रकार से शान्‍ति दे: प्रभु तुम सब के साथ रहे। (2 थिसुलुनिकीयों 3:16)

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 1:1-10
2 Corinthians 1:1 पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित है, और भाई तीमुथियुस की ओर से परमेश्वर की उस कलीसिया के नाम जो कुरिन्थुस में है; और सारे अखया के सब पवित्र लोगों के नाम। 
2 Corinthians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे। 
2 Corinthians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। 
2 Corinthians 1:4 वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। 
2 Corinthians 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। 
2 Corinthians 1:6 यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। 
2 Corinthians 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो। 
2 Corinthians 1:8 हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। 
2 Corinthians 1:9 वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। 
2 Corinthians 1:10 उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 17-19 
  • इफिसियों 5:17-33


बुधवार, 2 अक्टूबर 2013

शाँत स्थान

   गायक मैग हचिन्सन ने एक बार कहा, "मेरा अगला रिकॉर्ड 45 मिनिट तक शाँत रहने का होना चाहिए क्योंकि समाज में शाँत वातावरण की बहुत कमी है"। यह बात सही है; शाँत स्थान पाना वास्तव में बहुत कठिन होता जा रहा है। शहर वहाँ रहने वाले लोगों और चहल-पहल के कारण शोर से भर गए हैं और उनमें ऊँची आवाज़ में बजने वाले संगीत, ऊँची आवाज़ में बोलने वाले लोगों और तरह तरह की मशीनों के शोर से बचने का कोई तरीका सूझ नहीं पड़ता।

   यदि हम बाहरी शोर से पीड़ित हैं तो कितने ही ऐसे भी हैं जो अपने अन्दर के शोर से परेशान हैं, ऐसा शोर जो हमारी आध्यात्मिक सेहत के लिए हानिकारक है। विचित्र बात तो यह है कि ऐसे शोर को अकसर हम स्वयं ही अपने अन्दर आमंत्रित करते हैं। कुछ लोग आत्मिक एकाकीपन से बचने के लिए शोर को प्रयोग करते हैं - टी०वी० और रेडियो कार्यक्रमों के शोर को अपने जीवनों में आमंत्रित करके; उन्हें लगता है कि टी०वी० और रेडियो कार्यक्रमों के प्रस्तुतकर्ता और कलाकार उन्हें संगति दे रहे हैं और वे उन के साथ अपना समय व्यतीत करना चाहते हैं। कुछ इस शोर को अपने विचारों को दबाने के लिए प्रयोग करते हैं - दूसरों के विचार और आवाज़ें उनके स्वयं के मन की आवाज़ से बचने और उसे दबाए रखने का माध्यम बन जाती हैं। कुछ अन्य लोग शोर का प्रयोग परमेश्वर की आवाज़ को अनसुना करने के लिए करते हैं; वे अपने मनों को संसार की बातों के शोर से इतना भर लेते हैं कि परमेश्वर की आवाज़ को सुनना उनके लिए कठिन हो जाता है। कुछ ऐसे भी हैं जो परमेश्वर और आध्यात्म के बारे में इतना बोलते रहते हैं कि वे स्वयं भी यह नहीं सुन पाते कि परमेश्वर वास्तव में उन से कह क्या रहा है; उनके लिए परमेश्वर तथा आध्यत्म पर उनके विचार और उन विचारों के प्रचार द्वारा मिलने वाली संसार कि वाह-वाही, इज़्ज़त, शोहरत, समाज में वर्चस्व और सांसारिक वस्तुएं ऐसे हो महत्वपूर्ण हो जाते हैं कि परमेश्वर की आवाज़ के लिए उनके कान बन्द हो जाते हैं।

   लेकिन प्रभु यीशु के लिए ऐसा नहीं था। प्रभु यीशु चाहे कितने भी व्यस्त क्यों ना हों, उन्होंने सदा ही एक ऐसे शाँत स्थान को खोजा जहाँ वे संसार के शोर से दूर परमेश्वर पिता के साथ वार्तालाप कर सकें (मरकुस 1:35)। परमेश्वर पिता के साथ किसी शाँत स्थान पर और शाँत मन के साथ यही वार्तालाप हम मसीही विश्वासियों के लिए भी उतना ही अनिवार्य और आवश्यक है। चाहे हम कोई ऐसा स्थान ना भी ढूँढ़ पाएं जो बिलकुल शाँत है, हमें ऐसा स्थान अवश्य बनाना होगा जहाँ हमारा मन शाँत रह सके (भजन 131:2); एक ऐसा स्थान जहाँ हमारा सारा ध्यान केवल परमेश्वर पिता पर ही हो और वह हम से बातचीत कर सके। - जूली ऐकैरमैन लिंक


संसार के शोर को अपने लिए परमेश्वर की आवाज़ को दबाने मत दीजिए।

निश्चय मैं ने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी मां की गोद में रहता है, वैसे ही दूध छुड़ाए हुए लड़के के समान मेरा मन भी रहता है। - भजन 131:2

बाइबल पाठ: मरकुस 1:35-45
Mark 1:35 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठ कर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।
Mark 1:36 तब शमौन और उसके साथी उस की खोज में गए।
Mark 1:37 जब वह मिला, तो उस से कहा; कि सब लोग तुझे ढूंढ रहे हैं।
Mark 1:38 उस ने उन से कहा, आओ; हम और कहीं आस पास की बस्‍तियों में जाएं, कि मैं वहां भी प्रचार करूं, क्योंकि मैं इसी लिये निकला हूं।
Mark 1:39 सो वह सारे गलील में उन की सभाओं में जा जा कर प्रचार करता और दुष्टात्माओं को निकालता रहा।
Mark 1:40 और एक कोढ़ी ने उसके पास आकर, उस से बिनती की, और उसके साम्हने घुटने टेककर, उस से कहा; यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।
Mark 1:41 उसने उस पर तरस खाकर हाथ बढ़ाया, और उसे छूकर कहा; मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा।
Mark 1:42 और तुरन्त उसका कोढ़ जाता रहा, और वह शुद्ध हो गया।
Mark 1:43 तब उसने उसे चिताकर तुरन्त विदा किया।
Mark 1:44 और उस से कहा, देख, किसी से कुछ मत कहना, परन्तु जा कर अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने ठहराया है उसे भेंट चढ़ा, कि उन पर गवाही हो।
Mark 1:45 परन्तु वह बाहर जा कर इस बात को बहुत प्रचार करने और यहां तक फैलाने लगा, कि यीशु फिर खुल्लमखुल्ला नगर में न जा सका, परन्तु बाहर जंगली स्थानों में रहा; और चहुं ओर से लागे उसके पास आते रहे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 14-16 
  • इफिसियों 5:1-16


मंगलवार, 1 अक्टूबर 2013

जाँच

   काम से वापस घर आते समय मैंने अपनी कार के रिडियो पर एक विज्ञापन सुना जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया। वह विज्ञापन एक कंप्यूटर प्रोग्राम के बारे में था जो ई-मेल लिखे जाते समय उन्हें जाँचता रहता था। मैं कुछ अन्य कंप्यूटर प्रोग्रामों के बारे में जानता था जो व्याकरण तथा वर्तनी को जाँचते हैं, लेकिन यह प्रोग्राम उनसे भिन्न था; यह लहज़ा जाँचता था! इस प्रोग्राम की खासियत थी कि यह ई-मेल लिखे जाते समय शब्दों के प्रयोग की निगरानी करता रहता था कि कहीं लिखने वाले की भाषा और प्रयुक्त शब्द अत्याधिक आक्रमक, कठोर या अशिष्ट तो नहीं हैं।

   विज्ञापन प्रस्तुतकर्ता से उस प्रोग्राम की खासियतों का वर्णन सुनते हुए मैं सोचने लगा कि काश ऐसा ही कुछ मेरे मूँह की निगरानी करने के लिए भी होता। कितनी बार ऐसा हुआ है कि मैं ने पूरी बात सुने या जाने बिना ही कटुता से प्रतिक्रीया देनी आरंभ कर दी और फिर सही बात जानने के बाद मुझे अपनी गलत प्रतिक्रीया पर पछतावा हुआ। यदि लहज़े पर निगरानी रखने वाला कुछ मेरे मूँह पर लगा होता तो मैं भी ऐसी मूर्खतापूर्ण प्रतिक्रियाओं से बचा रह सकता था।

   प्रेरित पौलुस ने हम मसीही विश्वासियों के लिए अपने बोलने के लहज़े को सही रखने की अनिवार्यता के बारे में सचेत किया, विशेषतः तब जब हम किसी ऐसे जन से बात कर रहे हों जो मसीही विशवासी नहीं है। पौलुस ने लिखा: "तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए" (कुलुस्सियों 4:6)। उसका उद्देश्य था कि मसीही विशवासी अपने जीवन और भाषा से अपने उद्धारकर्ता की मृदुता और अनुग्रह को प्रदर्शित करते रहें।

   मसीह यीशु में विश्वास ना करने वालों से सही लहज़े में बात करना उन तक मसीह यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को पहुँचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए हम मसीही विश्वासियों के लिए कुलुस्सियों 4:6 लहज़ा जाँचने वाले कंप्यूटर प्रोग्राम के समान कार्य कर सकने में सक्षम है। - बिल क्राउडर


जितनी बार हम मूँह खोलते हैं लोगों को हमारा मन दिखता है।

कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है। - नीतिवचन 15:1

बाइबल पाठ: याकूब 3:3-12
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 11-13 
  • इफिसियों 4


सोमवार, 30 सितंबर 2013

अवश्यंभावी

   अपनी पुस्तक Long for This World में लेखक जौनथन वेइनर विज्ञान की दीर्घायु देने की प्रतिज्ञा के बारे में लिखते हैं। इस पुस्तक का केन्द्र है वैज्ञानिक ऑब्रे डी ग्रे, जिसने यह भविष्यवाणी करी है कि विज्ञान एक दिन हमें 1000 वर्ष के जीवन काल देने पाएगा क्योंकि जीवनशास्त्र के आण्विक स्तर पर अध्ययन के द्वारा यह समझा जा सका है कि हमारी कोषिकाएं अपनी एक उम्र हो जाने के बाद काम करना बन्द क्यों कर देती हैं और फिर ’मरने’ लग जाती हैं। आयुबद्ध होने की इस प्रक्रिया की समझ मिलने से इसे रोकने और बदलने की संभावना भी सामने आ गई है।

   लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है कि हम 1000 वर्ष जी सकेंगे क्योंकि फिर भी मरना तो होगा ही। डी ग्रे की भविष्यवाणी उस अन्तिम और निर्णायक अवश्यंभावी प्रश्न का सामना करने को टाल अवश्य देती है किंतु कोई उत्तर प्रदान नहीं करती कि मरने के बाद क्या होगा, आप वह अनन्त कहाँ बिताएंगे?

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि शारीरिक मृत्यु हमारे अस्तित्व का अन्त नहीं है। बाइबल हमें यह भी बताती है कि जीवन काल केवल एक ही है और फिर उसके बाद न्याय अवशयंभावी है: "और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है" (इब्रानियों 9:27)। यह अवशयंभावी है कि प्रत्येक जन को कभी ना कभी मसीह यीशु के सामने खड़े होकर अपने जीवन का हिसाब उसे देना ही होगा - मसीही विश्वासियों को अपने किए अथवा नहीं किए गए कार्यों के लिए और मसीह यीशु में विश्वास नहीं रखने वालों को मसीह यीशु का तिरिस्कार करने के लिए (यूहन्ना 5:25-29; प्रकाशितवाक्य 20:11-15)। साथ ही बाइबल यह भी बताती है कि हम सभी पापी हैं और हम सब को पापों से क्षमा की आवश्यकता है। केवल प्रभु यीशु के क्रुस पर दिए गए बलिदान के द्वारा ही पापों की क्षमा उपलब्ध हुई है, उन सभी के लिए जो प्रभु यीशु पर विश्वास लाते हैं (रोमियों 3:23; 6:23)। वे चाहे कोई, भी कहीं भी क्यों ना हो यह क्षमा संसार के हर जन को उसके जीवन काल भर सेंत-मेंत उपलब्ध रहती है, लेकिन जीवन काल समाप्त हो जाने के बाद फिर क्षमा का अवसर नहीं है, फिर केवल हिसाब और न्याय है।

   परमेश्वर के साथ होने वाला हमारा यह साक्षात्कार अवश्यंभावी है, और हमारे जीवन के परिपेक्ष्य को निर्धारित कर देता है। तो चाहे हम 70 वर्ष जीएं या फिर 1000 वर्ष, उस आने वाले अनन्त के लिए प्रश्न तो वही रहेगा - मरने के बाद क्या होगा, आप वह अनन्त कहाँ बिताएंगे? इस प्रश्न का उत्तर कभी भी अनपेक्षित रूप से आप से माँग लिया जाएगा, और फिर आपके पास कोई अवसर उस अवश्यंभावी को बदलने का नहीं होगा; इसीलिए आज ही यह सुनिश्चित कर लीजिए कि क्या आप परमेश्वर के सामने खड़े होने और हिसाब देने को तैयार हैं? यदि नहीं तो अब हो जाईए; एक सच्चे मन से सच्चे समर्पण के साथ निकली छोटी सी प्रार्थना "हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा करें और मुझे अपनी शरण में ले लें", आपका अनन्त बदल डालेगी उसे सुनिश्चित कर देगी। - डेनिस फिशर


केवल वे ही जिन्होंने मसीह यीशु पर अपना विश्वास तथा जीवन स्थिर किया है, अपने सृजनहार से मिलने को भी सदा तैयार रहते हैं।

इस कारण, हे इस्राएल, मैं तुझ से ऐसा ही करूंगा, और इसलिये कि मैं तुझ में यह काम करने पर हूं, हे इस्राएल, अपने परमेश्वर के साम्हने आने के लिये तैयार हो जा। - अमोस 4:12 

बाइबल पाठ: अमोस 4:6-13
Amos 4:6 मैं ने तुम्हारे सब नगरों में दांत की सफाई करा दी, और तुम्हारे सब स्थानों में रोटी की घटी की है, तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।
Amos 4:7 और जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसा कर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा; वह सूख गया।
Amos 4:8 इसलिये दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्त न हुए; तौभी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है।
Amos 4:9 मैं ने तुम को लूह और गेरूई से मारा है; और जब तुम्हारी वाटिकाएं और दाख की बारियां, और अंजीर और जलपाई के वृक्ष बहुत हो गए, तब टिड्डियां उन्हें खा गईं; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।
Amos 4:10 मैं ने तुम्हारे बीच में मिस्र देश की सी मरी फैलाई; मैं ने तुम्हारे घोड़ों को छिनवा कर तुम्हारे जवानों को तलवार से घात करा दिया; और तुम्हारी छावनी की दुर्गन्ध तुम्हारे पास पहुंचाई; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।
Amos 4:11 मैं ने तुम में से कई एक को ऐसा उलट दिया, जैसे परमेश्वर ने सदोम और अमोरा को उलट दिया था, और तुम आग से निकाली हुई लुकटी के समान ठहरे; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।
Amos 4:12 इस कारण, हे इस्राएल, मैं तुझ से ऐसा ही करूंगा, और इसलिये कि मैं तुझ में यह काम करने पर हूं, हे इस्राएल, अपने परमेश्वर के साम्हने आने के लिये तैयार हो जा।
Amos 4:13 देख, पहाड़ों का बनाने वाला और पवन का सिरजने वाला, और मनुष्य को उसके मन का विचार बताने वाला और भोर को अन्धकार करने वाला, और जो पृथ्वी के ऊंचे स्थानों पर चलने वाला है, उसी का नाम सेनाओं का परमेश्वर यहोवा है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 9-10 
  • इफिसियों 3


रविवार, 29 सितंबर 2013

दीवार

   रोमी सम्राट हेड्रियन एक दीवार बनवाने के लिए जाने जाते हैं, जो उनके नाम से ही जानी जाती है। सन 117 में सत्ता में आए रोमी सम्राट हेड्रियन की इस उपलब्धि के उत्तरी इंग्लैंड में स्थित खंडहर देखते समय मुझे आभास हुआ कि ’हैड्रीयन की दीवार’ संभवतः उस सम्राट की सबसे प्रसिद्ध उपलब्धी थी। 80 मील लंबी इस दीवार पर 18,000 रोमी सैनिक तैनात रहते थे; उस दीवार और उन सैनिकों का उद्देश्य था उत्तरी इंग्लैंड के बर्बर निवासियों को दक्षिणी इलाकों में हमले करने के लिए प्रवेश करने से रोकना।

   सम्राट हेड्रियन ने भौतिक दीवार खड़ी करवाई लोगों को अलग-अलग और बाहर रखने के लिए, इसकी तुलना में राजाओं के राजा प्रभु यीशु ने एक आत्मिक दीवार गिराई जिससे मनुष्यों की पहुँच और मेल परमेश्वर तथा एक-दूसरे के साथ हो सके।

   जब आरंभिक मसीही मण्डली में यहूदी और गैर-यहूदी मूल से आए विश्वासियों के बीच धार्मिक आस्थाओं को लेकर तना-तनी होने लगी, तो प्रेरित पौलुस ने उन्हें स्मरण दिलाया कि प्रभु यीशु मसीह में विश्वास लाने के द्वारा वे सब एक साथ परमेश्वर के एक ही परिवार के सदस्य हो गए हैं: "क्योंकि वही हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न कर के मेल करा दे। क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है" (इफिसियों 2:14-15, 18)।

   मसीही विश्वास का एक अनुपम और अति सुन्दर पहलु है मसीह यीशु के अनुयायियों की परमेश्वर की दृष्टि में एकसमानता - किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं, कहीं कोई ऊँच-नीच नहीं; परमेश्वर सबसे समान प्रेम करता है और सबको समान दृष्टि से ही देखता है तथा सबके साथ समान व्यवहार करता है और यही एकता तथा समानता वह इस पृथ्वी पर हम मसीही विश्वासियों में आपस में भी देखना चाहता है। क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा प्रभु यीशु ने लोगों को एक दूसरे से और परमेश्वर से अलग करने वाली हर बाधा को दूर कर दिया है और सबको सच्चे प्रेम तथा सच्ची मित्रता के बन्धन में एक साथ अपने साथ कर लिया है जिससे हम सब एक दूसरे के साथ भी इसी बन्धन में बन्धे हुए रहें और संसार के सामने मसीही प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करें। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीही एकता का उद्गम मसीह का क्रूस है।

और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप कर के, सब वस्‍तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की। - कुलुस्सियों 1:20

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:11-22
Ephesians 2:11 इस कारण स्मरण करो, कि तुम जो शारीरिक रीति से अन्यजाति हो, (और जो लोग शरीर में हाथ के किए हुए खतने से खतना वाले कहलाते हैं, वे तुम को खतना रहित कहते हैं)।
Ephesians 2:12 तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्‍त्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे।
Ephesians 2:13 पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो।
Ephesians 2:14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया।
Ephesians 2:15 और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न कर के मेल करा दे।
Ephesians 2:16 और क्रूस पर बैर को नाश कर के इस के द्वारा दानों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए।
Ephesians 2:17 और उसने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दानों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया।
Ephesians 2:18 क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है।
Ephesians 2:19 इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए।
Ephesians 2:20 और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु आप ही है, बनाए गए हो।
Ephesians 2:21 जिस में सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है।
Ephesians 2:22 जिस में तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 7-8 
  • इफिसियों 2


शनिवार, 28 सितंबर 2013

उन्नति का माध्यम

   लेखक बनने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए उनके लेखों का बार बार अस्वीकृत हो जाना बहुत निराशाजनक हो सकता है। जब वे अपना लेख किसी प्रकाशक को भेजते हैं और फिर उन्हें उत्तर आता है कि "लेख भेजने के लिए धन्यवाद, किंतु आपका यह लेख वर्तमान में हमारे प्रकाशन की आवश्यकताओं के अनुसार नहीं है" तो अकसर इसका तातपर्य होता है, "ना अभी है और ना कभी होगा!" और लेखक एक के बाद एक प्रकाशकों के पास लेख भेजकर अपने प्रयास जारी रखते हैं, इस आशा में कि कभी तो कोई स्वीकार करेगा।

   मैंने पाया है कि प्रकाशकों द्वारा प्रयुक्त यह अस्वीकृति का वाक्यांश मेरे मसीही जीवन में बढोतरी के लिए बहुत उपयोगी है। इसके सहारे मेरे विचार पुनः मेरे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु पर केंद्रित हो जाते हैं और मसीही जीवन ठोकर खाने से बच जाता है!

   कैसे? वो इस प्रकार:
   जब कभी कोई चिंता मुझे घेरने लगती है तो मैं इस वाक्यांश को इस प्रकार अपने ऊपर लागू करती हूँ: "चिंता करना वर्तमान में मेरी आवश्यकताओं के अनुसार नहीं है; अभी नहीं और कभी नहीं" क्योंकि परमेश्वर का वचन बाइबल मुझे आश्वस्त करती है कि "किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं" (फिलिप्पियों 4:6) और मुझे स्मरण हो आता है कि मेरा परमेश्वर मेरी हर प्रार्थना को सुनता है और उसका उत्तर देता है। यदि मुझे किसी से कोई ईर्ष्या होने लगती है तो मैं अपने आप से कहती हूँ "ईर्ष्या वर्तमान में मेरी आवश्यकताओं के अनुसार नहीं है; अभी नहीं और कभी नहीं" क्योंकि परमेश्वर का वचन मुझे चिताता है कि "शान्त मन, तन का जीवन है, परन्तु मन के जलने से हड्डियां भी जल जाती हैं" (नीतिवचन 14:30) तथा "हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है" (1 थिस्सुलुनीकियों 5:18) और मुझे स्मरण हो आता है कि मेरा कार्य धन्यवाद करते रहना है ईर्ष्या करना नहीं। ऐसी ही अनेक बातों और परिस्थितियों में इस अस्वीकृति के वाक्यांश को, जो औरों के लिए निराशा का माध्यम हो सकता है मैं अपनी उन्नति का माध्यम बना लेती हूँ।

   एक और स्थल है जहाँ यह वाक्याँश मेरे लिए उन्नति का माध्यम रहा है: हम अपने मनों और चाल-चलन को अपने आप पवित्र और शुद्ध नहीं कर सकते; इसके लिए हमें एक परिवर्तित जीवन चाहिए जो केवल प्रभु यीशु से मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार द्वारा ही संभव है। पापों की क्षमा और उद्धार के साथ ही हमारे मन परमेश्वर के पवित्र आत्मा के मन्दिर बन जाते हैं और वह हमारे अन्दर आकर वास करता है, हमें सिखाता है, और उसकी शिक्षाओं का पालन करने से हम एक निर्मल जीवन व्यतीत करते हैं। संसार और शैतान द्वारा मुझे फिर से अपवित्रता तथा सांसारिकता में ले जाने तथा पवित्र आत्मा की अनाज्ञाकारिता करने से रोकने के लिए और मुझे आत्मिक जीवन में गिराने वाली अशुद्ध बातों के प्रति सही निर्णय लेने में यही वाकयाँश "अभी नहीं और कभी नहीं" मेरा बहुत सहायक रहा है, मेरा उन्नति का माध्यम बना है। आप भी इसे अपने जीवन में आज़मा कर देखिए। - ऐनी सेटास


परमेश्वर के वचन पर मनन करने से परमेश्वर के आत्मा द्वारा हमारे मन नूतन हो जाते हैं।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:2 

बाइबल पाठ: रोमियों 11:33-12:2
Romans 11:33 आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!
Romans 11:34 प्रभु की बुद्धि को किस ने जाना या उसका मंत्री कौन हुआ?
Romans 11:35 ​या किस ने पहिले उसे कुछ दिया है जिस का बदला उसे दिया जाए।
Romans 11:36 क्योंकि उस की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है: उस की महिमा युगानुयुग होती रहे: आमीन।
Romans 12:1 इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।
Romans 12:2 और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 5-6 
  • इफिसियों 1