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बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

लेखक


   पिछले वर्षों में मैं पुस्तकों को पढ़ने और उन पर चर्चा करने वाले कई समूहों में सम्मिलित रही हूँ। इन समूहों में कुछ मित्र मिलकर एक पुस्तक का चुनाव करते हैं और उसे पढ़ते हैं, और फिर हम सब एक साथ जमा होकर उसके बारे में चर्चा करते हैं, उन विचारों को समझने का प्रयास करते हैं जो लेखक ने उस पुस्तक में रखे हैं। इन चर्चाओं में एक बात भी अवश्य होती है - कोई ना कोई व्यक्ति एक ऐसा प्रशन भी उठा देता है जिसका उत्तर हम में से किसी के पास नहीं होता है; और फिर कोई अन्य कह उठता है, "काश कि हम लेखक से पूछ पाते!" न्यू यॉर्क शहर में प्रचलित हो रही एक प्रवृत्ति इसे संभव कर रही है। कुछ लेखक, एक मोटी रकम लेकर, ऐसे पुस्तक समूहों के लिए अपने आप को उपलब्ध कराते हैं, और उनके साथ चर्चा करते हैं, लोगों के प्रश्नों का निवारण करते हैं।

   लेकिन हम जब परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन करने के लिए एकत्रित होते हैं तो कितना भिन्न होता है। जब भी हम जमा होते हैं, अपने वायदे के अनुसार, प्रभु यीशु हमारे मध्य में विद्यमान होता है; इसके लिए वह हमसे कोई फीस नहीं लेता है; उसके हमारे साथ मिलने का समय निर्धारण करने में भी कोई समस्या नहीं होती - हमें अपना समय तय करना होता है, वह तो सदैव साथ होता है। साथ ही उसका पवित्र-आत्मा हम मसीही विश्वासियों के अन्दर निवास करता है, और परमेश्वर का वचन समझने में हमारी सहायता करता है, जैसा प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से कुछ समय पहले अपने चेलों से वायदा किया था (यूहन्ना 14:26)।

   बाइबल का लेखक समय और स्थान की सीमाओं से बंधा हुआ नहीं है; वह हम से कभी भी और कहीं भी मिल सकता है। इसलिए जब भी हमारे पास कोई प्रश्न हो तो हम बिना किसी शंका के उस से पूछ सकते हैं, और वह हमें उत्तर देता है - लेकिन आवश्यक नहीं कि उसका यह उत्तर हमारी इच्छा, धारणा, विचारधारा के अनुसार हो, या फिर हमारी किसी समय-सारणी के अनुसार आए।

   बाइबल का लेखक परमेश्वर चाहता है कि हम में उस का मन हो (1 कुरिन्थियों 2:16) जिससे कि पवित्र-आत्मा से शिक्षा प्राप्त कर के हम उसके द्वारा हमें सेंत-मेंत दी गई भेंट की महानता और कीमत को, परमेश्वर की बातों को समझ सकें (पद 12)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब भी आप अपनी बाइबल को खोलें, तो उसके लेखक से प्रार्थना करें
 कि वह आपके मन और मस्तिष्क को उसे समझने के लिए खोले।

परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। - यूहन्ना 14:26

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 2:1-16
1 Corinthians 2:1 और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। 
1 Corinthians 2:2 क्योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं। 
1 Corinthians 2:3 और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा। 
1 Corinthians 2:4 और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं; परन्तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था। 
1 Corinthians 2:5 इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1 Corinthians 2:6 फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं। 
1 Corinthians 2:7 परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। 
1 Corinthians 2:8 जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। 
1 Corinthians 2:9 परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं। 
1 Corinthians 2:10 परन्तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है। 
1 Corinthians 2:11 मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उस में है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा। 
1 Corinthians 2:12 परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। 
1 Corinthians 2:13 जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिला कर सुनाते हैं। 
1 Corinthians 2:14 परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है। 
1 Corinthians 2:15 आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता। 
1 Corinthians 2:16 क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए? परन्तु हम में मसीह का मन है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 4-6
  • मरकुस 4:1-20


मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

निकट


   मुझे यह परेशान करता था कि मैं अपने आचरण तथा जीवन में जितना परमेश्वर के निकट बढ़ता, उतना ही अधिक पापी महसूस करता। फिर एक दिन मेरे कमरे हुई एक घटना ने मुझे इसे समझा दिया। मेरे कमरे की खिड़की पर परदे खिंचें हुए थे, कोई बत्ती नहीं जल रही थी, और दो परदों के बीच की पतली सी झिर्री से सूरज की ज्योति की किरण कमरे में आ रही थी। जब मैंने ज्योति की उस किरण की ओर देखा तो उसकी रौशनी में हवा में इधर-उधर हिलते हुए धूल के कण दिखाई दिए। बिना ज्योति के ये कण दिखाई नहीं देते हैं, और अन्धेरे में कमरा साफ-सुथरा प्रतीत होता है, परन्तु ज्योति के कारण गन्दगी दिखाई देने लगती है।

   इस घटना ने मेरे आत्मिक जीवन पर भी प्रकाश डाला - संसार की बातों और अपने दृष्टिकोण तथा आँकलन के अन्धकार में मुझे अपने अन्दर कुछ बुरा दिखाई नहीं देता है; परन्तु जब मैं ज्योतिर्मय प्रभु परमेश्वर के निकट आता हूँ, तो उसकी ज्योति मुझे मेरे अन्दर की गन्दगी दिखा देती है। जब प्रभु यीशु मसीह की ज्योति हमारे जीवनों के अन्धकार में चमकती है, तो वह हमारे पाप प्रगट कर देती है - हमें निराश करने के लिए नहीं वरन हमें नम्र करने के लिए कि हम उस पर विश्वास रख सकें। क्योंकि हम सब पापी हैं और परमेश्वर की धार्मिकता के मानकों पर पूरे नहीं उतरते (रोमियों 3:23), इसलिए हम अपनी किसी धार्मिकता पर अपने उद्धार के लिए भरोसा नहीं रख सकते हैं। जब हम में कोई पाप होता है, तो हमारे प्रभु के निकट आने पर प्रभु की ज्योति उस पाप को प्रगट कर देती है, और हम यशायाह के समान पुकार उठते हैं, "हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है" (यशायाह 6:5)।

   परमेश्वर हर बात में परम-सिद्ध है। उसके निकट आने के लिए हमारे अन्दर नम्रता और बच्चों के समान विश्वास रखने वाला मन चाहिए ना कि कोई घमण्ड या अपनी ही किसी बात पर भरोसा करना। जब हम पश्चतापी मन के साथ, दीन और नम्र होकर प्रभु परमेश्वर के निकट आते हैं, तो अपने अनुग्रह में होकर वह हमें स्वीकार करता है, अपने परिवार का भाग बना लेता है। यह भला है कि परमेश्वर के निकट आने में हम अपने आप को उसकी निकटता के लिए अयोग्य महसूस करते हैं, क्योंकि इससे हमारे अन्दर कोई घमण्ड उत्पन्न नहीं होने पाता, वरन नम्रता आती है, और उसके सामने धर्मी बनने के लिए केवल उस ही पर निर्भर होने की भावना आती है। - लॉरेंस दरमानी


जब हम प्रभु परमेश्वर के साथ चलते हैं तो घमण्ड के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता है।

इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। - रोमियों 3:23-24

बाइबल पाठ: यशायाह 6:1-8
Isaiah 6:1 जिस वर्ष उज्जिय्याह राजा मरा, मैं ने प्रभु को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया। 
Isaiah 6:2 उस से ऊंचे पर साराप दिखाई दिए; उनके छ: छ: पंख थे; दो पंखों से वे अपने मुंह को ढांपे थे और दो से अपने पांवों को, और दो से उड़ रहे थे। 
Isaiah 6:3 और वे एक दूसरे से पुकार पुकारकर कह रहे थे: सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है। 
Isaiah 6:4 और पुकारने वाले के शब्द से डेवढिय़ों की नेवें डोल उठीं, और भवन धूंए से भर गया। 
Isaiah 6:5 तब मैं ने कहा, हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है! 
Isaiah 6:6 तब एक साराप हाथ में अंगारा लिये हुए, जिसे उसने चिमटे से वेदी पर से उठा लिया था, मेरे पास उड़ कर आया। 
Isaiah 6:7 और उसने उस से मेरे मुंह को छूकर कहा, देख, इस ने तेरे होंठों को छू लिया है, इसलिये तेरा अधर्म दूर हो गया और तेरे पाप क्षमा हो गए। 
Isaiah 6:8 तब मैं ने प्रभु का यह वचन सुना, मैं किस को भेंजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा? तब मैं ने कहा, मैं यहां हूं! मुझे भेज

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 1-3
  • मरकुस 3


सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

बोझिल


   स्वीडेन की नौसेना के इतिहास में 10 अगस्त 1628 एक काला दिवस है। उस दिन स्वीडेन की शाही नौसेना का युद्धपोत ’वासा’ अपनी प्रथम जलयात्रा पर निकला था। इस युद्धपोत को बनाने में दो वर्ष का समय लगा था, उसे बहुत खर्च करके अनेकों प्रकार से सजाया गया था, आकर्षक बनाया गया था और उसमें 64 तोपें लगाई गईं थीं। स्वीडेन की नौसेना के स्वाभिमान का यह प्रतीक, यात्रा आरंभ करने के कुछ ही देर बाद, समुद्र में केवल एक मील जाकर ही डूब गया! ऐसा क्यों हुआ? वासा अपनी सजावट और उसके अन्दर विद्यमान वस्तुओं के कारण इतना बोझिल हो गया था कि वह समुद्र में तैरते रहने के लायक नहीं रह गया था; उसके अन्दर के बोझ ने ही उसे डुबो दिया।

   मसीही विश्वास का जीवन भी इसी प्रकार अनेकों व्यर्थ बातों से बोझिल होकर अपने उद्देश्य के लिए अयोग्य हो जाता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री का लेखक, आत्मिक जीवन यात्रा को भली-भांति पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए लिखता है: "इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा" (इब्रानियों 12:1-2)।

   उस युद्धपोत के समान ही हम बाहर से बहुत आकर्षक हो सकते हैं, अनेकों दिखाई देने वाली बातों के कारण लोगों को बहुत अच्छे प्रतीत हो सकते हैं। परन्तु यदि हमारे अन्दर उन पापों का बोझ बना हुआ है जिन्हें हमने प्रभु परमेश्वर के सामने स्वीकार करके उनके लिए पश्चताप नहीं किया है, उससे क्षमा नहीं माँगी है या जिन्हें अभी तक छोड़ा नहीं है; या फिर किसी ऐसी आदत अथवा लालसा के बोझ से दबे हुए हैं जो हम जानते हैं कि हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं है, तो इन बातों से हमारा मसीही विश्वास का जीवन अशान्त एवं परमेश्वर के लिए अनुपयोगी हो जाएगा। परन्तु इन बातों का समाधान है - परमेश्वर के मार्गदर्शन तथा उसके पवित्र-आत्मा की सामर्थ से, हमारे ये बोझ हलके किए जा सकते हैं, और हमारे जीवन परमेश्वर की शान्ति, आनन्द और आशीषों के साथ हलके और उपयोगी बनाए जा सकते हैं।

   क्या आप अभी भी बोझिल जीवन जी रहे हैं? अपने बोझों को प्रभु यीशु को सौंप दें; क्योंकि प्रभु यीशु मसीह में सबके लिए क्षमा और अनुग्रह सदा उपलब्ध रहता है: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है" (मत्ती 11:28-30)। - डेनिस फिशर


दृढ़ निर्णय में दृढ़ "नहीं" का भी उतना ही योगदान है जितना दृढ़ "हाँ" का।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9

बाइबल पाठ: इब्रानियों 12:1-5
Hebrews 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। 
Hebrews 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। 
Hebrews 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिसने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश हो कर हियाव न छोड़ दो। 
Hebrews 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो। 
Hebrews 12:5 और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाईं दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 26-27
  • मरकुस 2


रविवार, 19 फ़रवरी 2017

ध्यान


   प्रतिदिन अपने दफ्तर जाने के लिए मैं एक ही राजमार्ग से होकर निकलता हूँ, और प्रतिदिन मैं अपने मार्ग में अनेकों वाहन चालकों को देखता हूँ, जिनका ध्यान मार्ग से बँटा हुआ होता है; उनकी संख्या घबारा देने वाली है। मुख्यतः यह बँटा हुआ ध्यान फोन पर बात करने या सन्देश पढ़ने अथवा भेजने के कारण होता है, परन्तु मैंने ऐसे चालकों को 70 मील प्रति घंटा या अधिक की रफतार से गाड़ी चलाने के साथ साथ अखबार पढ़ते हुए, मेकअप करते हुए, और नाशता करते हुए भी देखा है! कुछ परिस्थितियों में ध्यान बँटना क्षणिक और हानि रहित होता है; परन्तु ऐसे चलती हुई गाड़ी में, यह अत्यंत हानिकारक एवं जानलेवा भी हो सकता है - अपने लिए भी और अन्य लोगों के लिए भी।

   परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में भी ध्यान बँटना परस्पर संपर्क तथा संबंध के लिए हानिकारक होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 10 अध्याय के अन्त में जो वृतान्त दिया है, उसमें हम देखते हैं कि मार्था के साथ प्रभु यीशु मसीह की समस्या यही थी; प्रभु यीशु के स्वागत तथा मेहमानवाज़ी में वह इतनी व्यस्त थी कि उसके पास प्रभु ही के लिए समय नहीं था। अपनी इस व्यस्तता से स्वयं मार्था भी इतनी घबरा गई कि अपनी बहन मरियम के बारे में प्रभु से ही शिकायत करने लगी, क्योंकि मरियम काम में उसका हाथ बंटाने की बजाए प्रभु के चरणों पर बैठकर उससे सीख रही थी। प्रभु यीशु ने मार्था को समझाया, "मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा" (लूका 10:41-42)।

   प्रभु यीशु की संगति में बैठने तथा उसकी शिक्षाओं को सुनने से मार्था का ध्यान भंग करने वाली बातें ना तो गलत थी और ना ही प्रभु के लिए मार्था उद्देश्य गलत था। लेकिन उन बातों के कारण वह शान्त मन से प्रभु के साथ बैठकर उसकी संगति का आनन्द तथा उसकी शिक्षाओं को सुन नहीं पा रही थी। प्रभु की उपस्थिति में होते हुए भी, प्रभु की उत्तम पहुनाई की इच्छा और प्रयास रखते हुए भी, वह प्रभु से दूर थी, उसके संपर्क में नहीं थी; और उसके ये प्रयास ही उसकी अशान्ति के कारण बन गए थे।

   प्रभु हमारी गहरी भक्ति और पूरे ध्यान के योग्य है; और वही हमें हर उस ध्यान बँटाने वाली बात पर जय पाने का मार्गदर्शन एवं सामर्थ दे सकता है जो उसके साथ हमारे गहरे और अर्थपूर्ण तथा आनन्दपूर्ण संपर्क में बाधा बनती है। - बिल क्राउडर


यदि आप कुंठित होना चाहते हैं तो अपने अन्दर देखते रहिए; 
यदि अशान्त और परेशान तो अपने आस-पास देखिए; 
यदि आनन्दित एवं शान्त तो प्रभु यीशु की ओर देखिए।

मैं तुम से सच सच कहता हूं, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार हो कर जीवन में प्रवेश कर चुका है। - यूहन्ना 5:24

बाइबल पाठ: लूका 10:38-42
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी। 
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे। 
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। 
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 25
  • मरकुस 1:23-45


शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

दर्पण


   हम अपने आप को दर्पण में कितनी बार देखते हैं? कुछ अध्ययनों के अनुसार, एक व्यक्ति दिन भर में औसतन 8 से 10 बर दर्पण में अपने आप को दर्पण में देखता है; जबकि कुछ अन्य सर्वेक्षण कहते हैं कि यदि दुकानों के शीशों में दिखने वाले अपने प्रतिबिंब तथा स्मार्ट-फोन के स्क्रीन पर अपने देखने आदि को भी सम्मिलित कर लें तो यह संख्या बढ़कर 60 से 70 बार प्रतिदिन हो जाती है। हम क्यों अपने आप को इतनी बार देखते हैं? अधिकांश विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि हम ऐसा यह जाँचने के लिए करते हैं कि हम दूसरों को कैसे दिखाई दे रहे हैं जिससे अपने आप को ठीक और व्यवस्थित कर सकें, रख सकें; विशेषकर तब जब हमें किसी सभा या सामजिक समारोह में सम्मिलित होना होता है। यदि हम में कुछ बुरा या भद्दा दिखाई दे और हम उसे ठीक करने की इच्छा ना रखें तो फिर हमारे अपने आप को दर्पण में देखने से क्या लाभ?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित याकूब ने अपनी पत्री में लिखा है कि परमेश्वर के वचन को पढ़ने या सुनने के पश्चात उसके अनुसार कार्य ना करना अपने आप को दर्पण में देखकर जो देखा है फिर उसे भूल जाना है (याकूब 1:22-24)। लेकिन बेहतर विकल्प है कि परमेश्वर के वचन के दर्पण में अपने आप को ध्यान से देखें, और जो दिखाई दे उसके अनुसार योग्य प्रतिक्रिया करें: "पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है" (पद 25)।

   यदि हम परमेश्वर के वचन के सुनने वाले हैं, परन्तु उसके अनुसार अपने जीवन में कार्य नहीं करते हैं, तो हम स्वयं अपने आप को ही धोखा देते हैं (पद 22)। परन्तु जब हम परमेश्वर के वचन की रौशनी में अपना आँकलन करते हैं और उसके निर्देशों का पालन करते हैं, तो परमेश्वर हमारी सहायता करता है और हमें दिन प्रति दिन अपनी समानता में बढ़ाता जाता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


बाइबल वह दर्पण है जो हमें वैसा दिखाती है, जैसे हम परमेश्वर को देखाई देते हैं।

इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। - मत्ती 5:19

बाइबल पाठ: याकूब 1:19-27
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। 
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है। 
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। 
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। 
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था। 
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। 
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। 
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 23-24
  • मत्ती 1:1-22


शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

पुल


   लेखक जेम्स मिचनर का उपन्यास Centennial अमेरिका के पश्चिमी इलाके के बसाए जाने के इतिहास पर आधारित एक काल्पनिक कहानी है, जिसका नायक फ्रेन्च-कैनेडियन मूल का पास्किनेल नामक व्यक्ति है, जिसमें होकर मिचनर उस इलाके के एरापाहो जाति के मूल निवासियों और यूरोप से आकर बसने वाले लोगों की कहानी को एक बनाते हैं। जैसे जैसे यह नायक शहर के बढ़ते हुए कोलाहल और भीड़ तथा बाहर के खुले मैदानों के मध्य विचरण करता है, वह उन दोनों अत्यन्त भिन्न लोगों के मध्य संपर्क का एक माध्यम, एक पुल बन जाता है।

   मसीह यीशु के अनुयायियों के पास भी यह सुअवसर है कि वे दो बिल्कुल भिन्न प्रकार के लोगों के मध्य संपर्क का माध्यम, एक पुल बन सकें - जो प्रभु यीशु मसीह और उसमें मिलने वाले उद्धार तथा पापों की क्षमा के विषय में नहीं जानते और प्रभु यीशु के बीच। मसीही विश्वासियों की आरंभिक मण्डलियों के समय में, थिस्सलुनीके के मसीही विश्वासी अपनी मूर्ति-पूजक संस्कृति के लोगों के लिए इसी प्रकार का पुल बने; और उनके लिए प्रेरित पुलुस ने परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा, "क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है" (1 थिस्सलुनीकियों 1:8)। जिस पुल को उन्होंने बनाया उसके दो घटक थे, "प्रभु यीशु का सन्देश" और उन लोगों के अपने मसीही विश्वास के जीवन का उदाहरण। उन्हें देखकर सब लोगों को स्पष्ट था कि "...तुम कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो" (पद 9)।

   जब हम अपने मसीही विश्वास के जीवन के उदाहरण तथा परमेश्वर के वचन बाइबल के सन्देश के द्वारा प्रभु परमेश्वर के बारे में लोगों को बताते हैं, तो जो प्रभु यीशु को अभी तक नहीं जानते हैं, उनके और प्रभु यीशु के मध्य में हम संपर्क बनाने वाले पुल का कार्य करते हैं। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु के सुसमाचार को अपने जीवन में जी कर दिखाईये
 और लोग आपसे प्रभु के सन्देश को भी सुनने लगेंगे।

क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें? और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो क्योंकर प्रचार करें? जैसा लिखा है, कि उन के पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं। - रोमियों 10:13-15

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 1:1-10
1 Thessalonians 1:1 पौलुस और सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से थिस्‍सलुनिकियों की कलीसिया के नाम जो परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह में है। अनुग्रह और शान्‍ति तुम्हें मिलती रहे। 
1 Thessalonians 1:2 हम अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं। 
1 Thessalonians 1:3 और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं। 
1 Thessalonians 1:4 और हे भाइयो, परमेश्वर के प्रिय लोगों हम जानतें हैं, कि तुम चुने हुए हो। 
1 Thessalonians 1:5 क्योंकि हमारा सुसमाचार तुम्हारे पास न केवल वचन मात्र ही में वरन सामर्थ और पवित्र आत्मा, और बड़े निश्‍चय के साथ पहुंचा है; जैसा तुम जानते हो, कि हम तुम्हारे लिये तुम में कैसे बन गए थे। 
1 Thessalonians 1:6 और तुम बड़े क्‍लेश में पवित्र आत्मा के आनन्द के साथ वचन को मान कर हमारी और प्रभु की सी चाल चलने लगे। 
1 Thessalonians 1:7 यहां तक कि मकिदुनिया और अखया के सब विश्वासियों के लिये तुम आदर्श बने। 
1 Thessalonians 1:8 क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। 
1 Thessalonians 1:9 क्योंकि वे आप ही हमारे विषय में बताते हैं कि तुम्हारे पास हमारा आना कैसा हुआ; और तुम कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो। 
1 Thessalonians 1:10 और उसके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की बाट जोहते रहो जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया, अर्थात यीशु की, जो हमें आने वाले प्रकोप से बचाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 21-22
  • मत्ती 28


गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

नियंत्रित


   वियतनाम में पाए जाने वाले मोटे पेट वाले सूअरों से लेकर साईबीरिया में पाई जाने वाली लोमड़ी तक, मनुष्यों ने सभी प्रकार के जंगली जानवरों को नियंत्रित कर रखा है। लोगों को बन्दरों से करतब करवाना, और उनसे तथा अन्य जानवरों से विज्ञापनों एवं फिल्मों में अभिनय करवाना, हिरनों को अपने हाथों में से खाना लेना आदि अच्छा लगता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने लिखा है, "क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं" (याकूब 3:7)।

   परन्तु कुछ ऐसा भी है जिसे नियंत्रित करना मनुष्य के लिए संभव नहीं है; और इस छोटी सी चीज़ के कारण हम सभी, कभी ना कभी किसी ना किसी परेशानी में अवश्य ही पड़े हैं - हमारी जीभ। इसके विषय में याकूब आगे लिखता है, "पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है" (याकूब 3:8)। ऐसा क्यों? क्योंकि हमारे शब्दों का उच्चारण चाहे हमारी जीभ के द्वारा होता है, परन्तु उनका उदगम स्थल हमारा मन है और प्रभु यीशु ने कहा, "...क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है" (मत्ती 12:34)। और इसीलिए जीभ भली और बुरी दोनों ही प्रकार की बातों के लिए प्रयुक्त होती है (याकूब 3:9)। इस बात के लिए विद्वान, पीटर डेविड्स, ने कहा है, "एक ओर तो [जीभ] बहुत धर्मी और सदाचारी हो सकती है, परन्तु दूसरी ओर वही जीभ बहुत अशुद्ध और बुराई से भरी भी हो सकती है।"

   यदि हम अपने इस छोटे से अंग को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो क्या यह हमारे जीवन भर हमें प्रतिदिन समस्या में डालने वाली परेशानी बनकर रहेगी, हमेशा बुराई करने को तैयार (पद 10)? परमेश्वर के अनुग्रह से ऐसा नहीं है। परमेश्वर ने हमें मजबूर और असहाय नहीं छोड़ा है। यदि हम परमेश्वर को करने दें तो, जैसा भजनकार कहता है, वह हमारे मुँह पर "पहरा बैठा" कर हमारे होंठों की रखवाली कर सकता है (भजन 141:3)। परमेश्वर के लिए कुछ असंभव नहीं है; वह अनियंत्रित को नियंत्रित कर सकता है। - डेव ब्रैनन


अपनी जीभ को नियंत्रित करने के लिए अपने मन को प्रभु यीशु के नियंत्रण में समर्पित कर दें।

हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार पर रखवाली कर! मेरा मन किसी बुरी बात की ओर फिरने न दे; मैं अनर्थकारी पुरूषों के संग, दुष्ट कामों में न लगूं, और मैं उनके स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं में से कुछ न खाऊं! - भजन 141:3-4

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 19-20
  • मत्ती 27:51-66