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गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

प्रभु-भोज


   मेज़ के आकार से, चाहे वह गोल हो या चौकोर, इसका कोई संबंध नहीं है। कुर्सियाँ, चाहे वे लकड़ी की हों या प्लास्टिक की, उनसे भी उसका कोई संबंध नहीं है। भोजन की मात्रा से भी उसका कोई संबंध नहीं है, परन्तु यदि भोजन सप्रेम बनाकर परोसा गया हो तो सहायक होता है। भोजन का आनन्द तो तब ही आता है जब हम अपने टी.वी. तथा फोन को बन्द कर के, उन की ओर ध्यान दें जिनके साथ हम बैठें हैं। मुझे मेज़ पर लोगों के साथ बैठकर, मित्रों और परिवार जनों के साथ भिन्न विषयों पर वार्तालाप करना बहुत अच्छा लगता है। परन्तु आज की त्वरित तकनीकी ने इसे कठिन बना दिया है; क्योंकि आज भोजन के समय पर भी हम बहुधा उसके प्रति अधिक आकर्षित और चिंतित होते हैं जो हमसे अनेकों मील दूर हो रहा है, ना कि उनके प्रति जो हमारे साथ भोजन करने मेज़ पर बैठे हैं, और हम से कुछ कहना चाह रहे हैं।

   हमारे प्रभु परमेश्वर ने हम मसीही विश्वासियों को एक अन्य भोज के लिए भी आमंत्रित किया है; उसकी लालसा है कि उसके जन प्रेम में एक साथ एकत्रित होकर, उसके प्रभु-भोज में सम्मिलित हों। इस भोज में सम्मिलित होने के लिए चर्च के बड़ा या छोटा होने से कोई संबंध नहीं है; और ना ही वहाँ रखी गई रोटी के प्रकार से है। प्रभु भोज में सरोकार है प्रभु और उसके लोगों के साथ संगति करने से; हम संसार की अन्य प्रत्येक बात से अपना ध्यान हटाकर, केवल प्रभु और उसके लोगों के साथ अपने संबंध के बारे में विचार करें और उन संबंधों में आई खामियों का निवारण करें।

   क्या प्रभु भोज में सम्मिलित होते समय हम प्रभु की उपस्थिति का आनन्द लेते हैं, या फिर उसके बारे में सोचते रहते, या चिंता करते रहते हैं जो कहीं और हो रहा है? वह अन्तिम अवसर कब था जब आपने प्रभु भोज में भाग लेते समय वास्तव में प्रभु के साथ संगति की थी; दिल खोल कर उससे बात की थी, उसकी संगति का आनन्द लिया था और परिणामस्वरूप एक प्रसन्न चित तथा हलके मन के साथ उस भोज से आए थे? यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि, "जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्‍ड लाता है। इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए। यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्‍ड न पाते" (1 कुरिन्थियों 11:29-32)। - कीला ओकोआ


मसीह यीशु की मृत्यु को स्मरण करने से 
हम आज के लिए सामर्थ तथा आने वाले समय के लिए आशा प्राप्त करते हैं।

जीवन की रोटी मैं हूं। तुम्हारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है। - यूहन्ना 6:48-51

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 11:23-34
1 Corinthians 11:23 क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी; कि प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया रोटी ली। 
1 Corinthians 11:24 और धन्यवाद कर के उसे तोड़ी, और कहा; कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो। 
1 Corinthians 11:25 इसी रीति से उसने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा; यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो। 
1 Corinthians 11:26 क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो। 
1 Corinthians 11:27 इसलिये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा। 
1 Corinthians 11:28 इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए। 
1 Corinthians 11:29 क्योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्‍ड लाता है। 
1 Corinthians 11:30 इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए। 
1 Corinthians 11:31 यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्‍ड न पाते। 
1 Corinthians 11:32 परन्तु प्रभु हमें दण्‍ड देकर हमारी ताड़ना करता है इसलिये कि हम संसार के साथ दोषी न ठहरें। 
1 Corinthians 11:33 इसलिये, हे मेरे भाइयों, जब तुम खाने के लिये इकट्ठे होते हो, तो एक दूसरे के लिये ठहरा करो। 
1 Corinthians 11:34 यदि कोई भूखा हो, तो अपने घर में खा ले जिस से तुम्हार इकट्ठा होना दण्‍ड का कारण न हो: और शेष बातों को मैं आकर ठीक कर दूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 22-24
  • लूका 12:1-31


बुधवार, 12 अप्रैल 2017

पीड़ा और आनन्द


   मैंने अपने कई मित्रों से पूछा कि उनके जीवन में सबसे कठिन और पीड़ादायक अनुभव क्या था। उनके उत्तरों में युध्द, तलाक, ऑपरेशन, किसी निकट जन का निधन आदि से संबंधित अनुभव सम्मिलित थे। मेरी पत्नि का उत्तर था, "हमारी पहली सन्तान का जन्म।" जन्म की यह प्रक्रिया एक एकाकी सैनिक अस्पताल में हुई थी तथा लंबी और कठिन रही थी। परन्तु अब जब पीछे मुड़कर हम उसके बारे में सोचते हैं तो मेरी पत्नि उसे आनन्द का कारण मानती है, "क्योंकि उस पीड़ा का एक बड़ा उद्देश्य था।"

   अपने क्रूस पर बलिदान होने से पहले, प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे बड़ी पीड़ा और दुःख से निकलने वाले हैं। प्रभु ने उनके ऊपर आने वाले इस अनुभव की तुलना जच्चा की पीड़ा से की, जब बच्चे के पैदा होते ही वह पीड़ा आनन्द में परिवर्तित हो जाती है (यूहन्ना 16:20-21)। प्रभु ने अपने मारे जाने और फिर मृतकों में से जी उठने और उनसे पुनः मिलने के संदर्भ में कहा, "तुम्हें भी अब तो शोक है, परन्तु मैं तुम से फिर मिलूंगा और तुम्हारे मन में आनन्द होगा; और तुम्हारा आनन्द कोई तुम से छीन न लेगा" (यूहन्ना 16:22)।

   जीवन के मार्ग पर दुःख हम सब पर आता ही है। परन्तु प्रभु यीशु ने "...उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा" (इब्रानियों 12:2)। अपने एक बलिदान के द्वारा प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति के लिए पापों की क्षमा, उद्धार और शैतान के चँगुल से स्वतंत्रता को खरीद लिया है, और जो कोई स्वेच्छा से अपना हृदय उसके लिए खोलता है, उसे स्वीकार करता है, वह प्रभु से इन बातों को भेंट स्वरूप प्राप्त कर लेता है। प्रभु यीशु के पीड़ा से भरे बलिदान ने मानव जाति के लिए परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा किया और परमेश्वर के साथ हमारी मित्रता तथा संगति का मार्ग उपलब्ध करवा दिया।

   हमारे उद्धारकर्ता प्रभु परमेश्वर का आनन्द उसके बलिदान की पीड़ा से कहीं बढ़कर था; उसमें लाए गए विश्वास और उससे मिलने वाली मुक्ति का आनन्द भी हमारे जीवन के सभी दुःखों तथा उसके पीछे चलने के कारण आने वाले सताव की पीड़ा से कहीं बढ़कर होता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


दुःख एक चुंबक के समान हो सकते हैं, 
जिनसे एक मसीही विश्वासी प्रभु के और निकट आ जाता है।

इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है। - यशायाह 53:12

बाइबल पाठ: यूहन्ना 16:17-24
John 16:17 तब उसके कितने चेलों ने आपस में कहा, यह क्या है, जो वह हम से कहता है, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे? और यह इसलिये कि मैं कि मैं पिता के पास जाता हूं? 
John 16:18 तब उन्होंने कहा, यह थोड़ी देर जो वह कहता है, क्या बात है? हम नहीं जानते, कि क्या कहता है। 
John 16:19 यीशु ने यह जानकर, कि वे मुझ से पूछना चाहते हैं, उन से कहा, क्या तुम आपस में मेरी इस बाते के विषय में पूछ पाछ करते हो, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे। 
John 16:20 मैं तुम से सच सच कहता हूं; कि तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनन्द करेगा: तुम्हें शोक होगा, परन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जाएगा। 
John 16:21 जब स्त्री जनने लगती है तो उसको शोक होता है, क्योंकि उस की दु:ख की घड़ी आ पहुंची, परन्तु जब वह बालक जन्म चुकी तो इस आनन्द से कि जगत में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती। 
John 16:22 और तुम्हें भी अब तो शोक है, परन्तु मैं तुम से फिर मिलूंगा और तुम्हारे मन में आनन्द होगा; और तुम्हारा आनन्द कोई तुम से छीन न लेगा। 
John 16:23 उस दिन तुम मुझ से कुछ न पूछोगे: मैं तुम से सच सच कहता हूं, यदि पिता से कुछ मांगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा। 
John 16:24 अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं मांगा; मांगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 19-21
  • लूका 11:29-54


मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

मैं क्यों?


   ब्रिटिश पास्टर जोसफ पारकर से पूछा गया, "प्रभु यीशु ने यहूदा को अपना शिष्य होने के लिए क्यों चुना?" वे कुछ समय तक इसके बारे में बहुत गंभीरता से विचार करते रहे परन्तु उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला। उन्होंने कहा, इस प्रश्न पर विचार करने के कारण वे इससे भी गंभीर एक अन्य प्रश्न पर जाकर बारंबार अटक जाते थे: "प्रभु यीशु ने मुझे क्यों चुना?"

   यह वह प्रश्न है जिसे संसार भर में अनेकों लोगों द्वारा सदियों से पूछा जा रहा है। जब लोगों को अपने पाप और दोष के बारे में बोध और उस बोध से गहरे दुःख का अनुभव होता है, वे प्रभु यीशु से उन पर दया करने को पुकारते हैं। और बड़े आनन्द से भरी अत्यंत अचरज की बात यह है कि सच्चे मन से निकली दया की इस पुकार के साथ ही वे तुरंत ही इस बात का अनुभव भी करते हैं कि परमेश्वर ने उनकी विनती सुन ली है, वह उनसे प्रेम करता है और प्रभु यीशु में उन्हें क्षमा दान देकर अपने साथ अपने परिवार का भाग बना लेता है। वे प्रभु यीशु द्वारा कलवरी के क्रूस पर दिए गए अपने बलिदान के महत्व, समझ से बाहर प्रभु के महान प्रेम तथा उससे भेंट के रूप में मिलने वाली पापों की क्षमा के यथार्थ को पहचान लेते हैं; यह सब उनके लिए जीवन तथा संसार का सबसे बड़ा और उत्तम सत्य बन जाता है। इसे समझाया नहीं जा सकता है, इसे केवल व्यक्तिगत रीति से अनुभव करके ही समझा और स्वीकार किया जा सकता है।

   मैंने भी अनेकों बार यह प्रश्न किया है, "मैं क्यों?" मैं अपने जीवन के काले और घिनौने पाप जानता हूँ; मैं अपने उस निकृष्ट हृदय को भी जानता हूँ जहाँ से ये सभी कुकृत्य निकलते हैं; परन्तु अत्यंत अचरज की बात तो यह है कि परमेश्वर, जो मुझे और मेरे हृदय की प्रत्येक बात को मुझसे भी अधिक भली-भांति तथा गहराई से जानता है, फिर भी मुझसे प्रेम करता है (रोमियों 5:6-8)। मैं उसके प्रेम और क्षमा के सर्वथा अयोग्य था, निकम्मा और असहाय था, परमेश्वर के विमुख और उससे दूर था, परन्तु फिर भी उसने मेरे लिए अपनी बाहें और हृदय को खोला और मुझे अपने प्रेम भरे आलिंगन में भर लिया।

   मैं जैसे उसकी प्रेम भरी धीमी आवाज़ अपने अन्दर सुन रहा था, "जितना प्रेम तू अपने पापों से करता है, उससे भी कहीं अधिक प्रेम मैं तुझ से करता हूँ।" यह सच है! मैं अपने पापों को बहुत चाहता था, उन्हें बचा कर रखता था, अपनी उन लालसाओं में कुछ भी गलत होने से दृढ़ता से इनकार करता था, उनमें लिप्त रहता था। परन्तु प्रभु ने फिर भी मुझ से इतना प्रेम किया कि मुझे ढूँढ़ता हुआ मेरे निकट आया, मुझे बुलाया, मेरे पापों को क्षमा किया और उनके बंधनों से मुझे सदा के लिए पूर्ण्तः स्वतंत्र कर दिया।

   "मैं क्यों?" यह प्रश्न मेरी समझ से बाहर है; मेरे पास इसका कोई उत्तर नहीं है; लेकिन यह मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से भली-भांति जानता हूँ कि प्रभु ने मुझ से मेरे पापों के बावजूद प्रेम किया, आज भी करता है और अनन्त काल तक करता ही रहेगा। ना केवल मुझ से वरन आपसे और संसार के प्रत्येक व्यक्ति से प्रभु इतना ही प्रेम करता है, और इतनी ही लालसा से अपने निकट अपने परिवार में लाना चाहता है; हिचकिचाएं नहीं, बस उसके निमंत्रण और क्षमा को स्वीकार कर लें। - डेव एग्नर


परमेश्वर हम से जो और जैसे हम हैं उसके कारण प्रेम नहीं करता है, 
वरन जो और जैसा वह है उसके कारण प्रेम करता है।

क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों 5:6-8

बाइबल पाठ: मरकुस 14:10-21
Mark 14:10 तब यहूदा इसकिरयोती जो बारह में से एक था, महायाजकों के पास गया, कि उसे उन के हाथ पकड़वा दे। 
Mark 14:11 वे यह सुनकर आनन्‍दित हुए, और उसको रूपये देना स्‍वीकार किया, और यह अवसर ढूंढ़ने लगा कि उसे किसी प्रकार पकड़वा दे।
Mark 14:12 अखमीरी रोटी के पर्व्‍व के पहिले दिन, जिस में वे फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उस से पूछा, तू कहां चाहता है, कि हम जा कर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें? 
Mark 14:13 उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, कि नगर में जाओ, और एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए, हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना। 
Mark 14:14 और वह जिस घर में जाए उस घर के स्‍वामी से कहना; गुरू कहता है, कि मेरी पाहुनशाला जिस में मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊं कहां है? 
Mark 14:15 वह तुम्हें एक सजी सजाई, और तैयार की हुई बड़ी अटारी दिखा देगा, वहां हमारे लिये तैयारी करो।
Mark 14:16 सो चेले निकलकर नगर में आये और जैसा उसने उन से कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया।
Mark 14:17 जब सांझ हुई, तो वह बारहों के साथ आया। 
Mark 14:18 और जब वे बैठे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम में से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मुझे पकड़वाएगा। 
Mark 14:19 उन पर उदासी छा गई और वे एक एक कर के उस से कहने लगे; क्या वह मैं हूं? 
Mark 14:20 उसने उन से कहा, वह बारहों में से एक है, जो मेरे साथ थाली में हाथ डालता है। 
Mark 14:21 क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो, जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य पर हाय जिस के द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है! यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता, तो उसके लिये भला होता।
एक साल में बाइबल: 1 शमूएल 17-18; लूका 11:1-28

सोमवार, 10 अप्रैल 2017

सप्रेम भेंट


   किसी व्यवसायिक कार्य के कारण घर से बाहर रहने के बाद, टेरी वापस घर लौट रहा था और अपने बच्चों के लिए कुछ उपहार ले जाना चाहता था। हवाई अड्डे पर उपहारों की दुकान में वहाँ के एक कर्मचारी ने प्रयास किया कि उससे कुछ महंगे उपहार खरीदवाए। परन्तु टेडी उससे कहा, "मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं, मुझे कुछ कम कीमत के उपहार चाहिएं।" उस कर्मचारी ने फिर प्रयास किया कि उसे यह अनुभव करवाए कि कम कीमत के उपहार खरीद कर वह अपने बच्चों के साथ अपने संबंध के महत्व का आंकलन कमतर कर रहा है। परन्तु टेडी जानता था कि उसके बच्चे, जो कुछ भी वह उन्हें देगा, उससे प्रसन्न हो जाएंगे, क्योंकि वे देने में उसके प्रेम को देखेंगे ना कि उपहार की कीमत को। और यही हुआ; घर पहुँच कर जब टेडी ने बच्चों को वे उपहार दिए, वे उन उपहारों को पाकर बहुत आनन्दित हुए।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले जब वे अन्तिम बार बैतेनिय्याह नगर में आए तो मरियम ने प्रभु के प्रति अपना आदर तथा श्रद्धापूर्ण प्रेम प्रकट करने के लिए, संगमरमर के पात्र में बहुमूल्य जटामासी का शुद्ध इत्र लाकर उनके सिर पर लगाया (मरकुस 14:3-9)। यह देखकर प्रभु के चेले मरियम के प्रति क्षुब्ध होकर कहने लगे कि यह बरबादी क्यों की गई (मत्ती 26:8)? परन्तु प्रभु ने अपने चेलों को समझाया और कहा कि वे मरियम को तंग करना बन्द करें क्योंकि ऐसा करके उसने उनके साथ एक सुन्दर कार्य किया है (मरकुस 14:6), क्योंकि मरियम ने प्रभु को एक सप्रेम भेंट अर्पित की थी। प्रभु यीशु के लिए प्रेम से किया गया यह कार्य, जिसे उन्होंने अपने बलिदान और दफनाए जाने से संबंधित कहा, सुन्दर था क्योंकि उसमें सच्चे हृदय से व्यक्त तथा अर्पित किया गया प्रेम था।

   आज आप प्रभु यीशु के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए क्या भेंट अर्पित करने के लिए तैयार हैं? आपका समय, आपका कोई कौशल या कोई गुण, आपकी संपत्ति? इसका कोई महत्व नहीं है कि वह वस्तु सस्ती है या महंगी; दूसरे उसे समझने पाते हैं या नहीं; उस वस्तु की लोगों द्वारा सराहना होती है या आलोचना; महत्व केवल इस बात का है कि क्या आप उसे सच्चे मन और सच्चे प्रेम के साथ उसे प्रभु को अर्पित कर रहे हैं? सच्चे मन की कोई भी सप्रेम भेंट प्रभु को ग्रहण है, प्रभु के लिए बहुमूल्य है; परन्तु सबसे बढ़कर वह आपसे आपके जीवन का समर्पण चाहता है जिससे पाप क्षमा पाकर आप अनन्त काल तक उसके प्रेम में उसके साथ बने रह सकें। क्या यदि आपने अभी तक ऐसा नहीं किया है, तो क्या आप अभी अपने जीवन को प्रभु यीशु सप्रेम भेंट के रूप में देने को तैयार हैं? - ऐनी सेटास


प्रभु यीशु के प्रेम के लिए धड़कने वाला हृदय स्वस्थ तथा निर्मल हृदय होता है।

हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा, और तेरी दृष्टि मेरे चाल चलन पर लगी रहे। - नीतिवचन 23:26

बाइबल पाठ: मरकुस 14:1-9
Mark 14:1 दो दिन के बाद फसह और अखमीरी रोटी का पर्व्‍व होनेवाला था: और महायाजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे क्योंकर छल से पकड़ कर मार डालें।
Mark 14:2 परन्तु कहते थे, कि पर्व्‍व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों में बलवा मचे।
Mark 14:3 जब वह बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा हुआ था तब एक स्त्री संगमरमर के पात्र में जटामांसी का बहुमूल्य शुद्ध इत्र ले कर आई; और पात्र तोड़ कर इत्र को उसके सिर पर उण्‍डेला। 
Mark 14:4 परन्तु कोई कोई अपने मन में रिसयाकर कहने लगे, इस इत्र को क्यों सत्यनाश किया गया? 
Mark 14:5 क्योंकि यह इत्र तो तीन सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचकर कंगालों को बांटा जा सकता था, ओर वे उसको झिड़कने लगे। 
Mark 14:6 यीशु ने कहा; उसे छोड़ दो; उसे क्यों सताते हो? उसने तो मेरे साथ भलाई की है।
Mark 14:7 कंगाल तुम्हारे साथ सदा रहते हैं: और तुम जब चाहो तब उन से भलाई कर सकते हो; पर मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूंगा। 
Mark 14:8 जो कुछ वह कर सकी, उसने किया; उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहिले से मेरी देह पर इत्र मला है। 
Mark 14:9 मैं तुम से सच कहता हूं, कि सारे जगत में जहां कहीं सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां उसके इस काम की चर्चा भी उसके स्मरण में की जाएगी।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 15-16
  • लूका 10:25-42


रविवार, 9 अप्रैल 2017

पहचान


   हम समय समय पर ऐसे लोगों के बारे में पढ़ते-सुनते रहते हैं जो इस बात से आहत रहते हैं कि लोग उन्हें वह आदर और ओहदा नहीं देते हैं जिसके योग्य वे अपने आप को समझते हैं। इस बात से अप्रसन्न और क्रोधित होकर कुछ तो औरों पर यह कहकर चिल्लाते हैं, "क्या तुम जानते भी हो कि मैं कौन हूँ?" यदि आप को किसी से यह बात कहनी पड़े, तो इससे संबंधित एक और जानी पहचानी बात स्मरण हो आती है, "यदि आपको लोगों को यह बताना पड़ता है कि आप कौन हैं, तो संभवतः आप वह नहीं हैं जो आप अपने आप को समझते हैं!" ऐसे घमण्ड और अपनी दृष्टि में महत्वपूर्ण होने के बिलकुल विपरीत प्रभु यीशु मसीह का चरित्र है।

   पृथ्वी पर अपने जीवन और सेवकाई के अन्त समय के निकट जब प्रभु यीशु ने यरुशलेम में प्रवेश किया तो लोग उन की जयजयकार के नारे लगाने लगे (मत्ती 21:7-9)। जब नगर के लोगों ने उन नारे लगाने वालों से पूछा कि "यह कौन है?" तो उस भीड़ ने उत्तर दिया, "...यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है" (मत्ती 21:10-11)। प्रभु यीशु अपने लिए कोई विशेष अधिकार या सम्मान माँगते हुआ नहीं आए थे; वरन वह दीन और नम्र बनकर आए ताकि अपने पिता परमेश्वर की इच्छानुसार अपने प्राण सारे संसार के सभी लोगों के उद्धार और पाप क्षमा के लिए बलिदान करें।

   जो बातें प्रभु यीशु ने कहीं और जो कार्य उन्होंने किए, उनसे उसे स्वतः ही उन्हें समाज के सभी लोगों से आदर मिला। असुरक्षित अनुभव करते रहने वाले शासकों और संसार के लोगों के समान उन्होंने कभी यह माँग नहीं रखी कि लोग उनका आदर करें। उनके द्वारा अपना बलिदान देने और उस बलिदान के समय सबसे अधिक दुःख उठाने का उनका समय, उनके जीवन का सबसे निम्न बिंदु था जहाँ वे निर्बल और असफल प्रतीत हो रहे थे। परन्तु प्रभु यीशु की पहचान और उद्देश्य की सामर्थ ने उन्हें इस कठिन और पीड़ादायक अन्धकारपूर्ण घड़ी से भी आदर एवं महिमा के साथ निकाला, और उनकी मृत्यु तथा पुनरुत्थान सारे संसार के सभी लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम और अनन्त जीवन का मार्ग बन गई; सारे संसार के इतिहास में सदा के लिए अभूतपूर्व और कभी भी किसी के भी द्वारा नहीं दोहराई जा सकने वाली घटना बन गई, बलिदान का ऐसा उत्कृष्ठ उदाहरण जो अनुपम था, है और सदा रहेगा।

   आज अपने कार्य के द्वारा प्रभु यीशु की संसार में अलग ही पहचान है, ऐसी पहचान जो हमारे जीवन और उपासना को पाने के सर्वथा योग्य हैं; उनकी इस पहचान को क्या आप समझते तथा स्वीकारते हैं? - डेविड मैक्कैसलैंड


यदि एक बार आपने प्रभु यीशु को उनकी वास्तविकता में पहचान लिया
 तो आप फिर कभी पहले के समान नहीं रह सकते हैं। - ओस्वॉल्ड चैम्बर्स

और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना। जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई; और लोग कहने लगे, यह कौन है? - मत्ती 21:9-10

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 13-14
  • लूका 10:1-24


शनिवार, 8 अप्रैल 2017

सुगन्धित


   मैं आभारी हूँ कि परमेश्वर ने हमें सूँघने की शक्ति दी है, जिससे हम जीवन की अनेकों सुगन्धों का आनन्द ले सकते हैं। मैं जानता हूँ कि मैं प्रातः दाढ़ी बनाने के बाद लगाए गए आफटर-शेव की ताज़गी भरी सुगन्ध का कैसा आनन्द लेता हूँ। या फिर बसन्त के समय में ताज़ी काटी गई घास की सुगन्ध कैसी मनभावनी होती है। मुझे अपने घर के पीछे के आँगन में बैठकर बाग़ से आने वाली गुलाबों की सुगन्ध का आनन्द लेना बहुत प्रीय है। और फिर अनेकों प्रकार के भोजनों की भिन्न प्रकार की सुगन्धों का तो कहना ही क्या।

   इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस प्रेरित द्वारा लिखा हुई बात मेरा ध्यान आकर्षित करती है। पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को उनके द्वारा सप्रेम किए गए सहायता कार्यों के संबंध में अपनी पत्री में लिखा, "मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है" (फिलिप्पियों 4:18)। जब हम उनकी सहायता करने के बारे में विचार करते हैं,जो किसी आवश्यकता में हैं, तो बहुधा हम इसे केवल करने के लिए एक अच्छा कार्य मात्र समझ लेते हैं; या फिर ऐसा कार्य जो मसीह और मसीही विश्वासी के चरित्र के अनुरूप है। परन्तु पौलुस के द्वारा परमेश्वर के पवित्र आत्मा ने हमारे लिए लिखवाया है कि दूसरों की सहायतार्थ स्वेच्छा से किया गया कार्य, परमेश्वर के सिंहासन स्थल को ऐसी सुगन्ध से भर देता है जिससे वह प्रसन्न होता है।

   यह आभास होना कि परमेश्वर के नाम में हमारे द्वारा किसी की सहायता के लिए किए गए कार्य एक सुगन्ध के समान परमेश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं, उन सहायता-कार्यों को करने के लिए कितना बड़ा प्रोत्साहन और कितना अधिक प्रेरणादायक है।

   प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में ध्यान करें कि आपके द्वारा किए जाने वाले ऐसे कार्यों की आवश्यकता किसे है; परमेश्वर से प्रार्थना करें कि आपको किसी ऐसे के पास लेकर जाए जिसकी आप कुछ सहायता कर सकें। औरों के लिए आशीष बनें; यह परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली भली सुगन्ध होगा। - जो स्टोवैल


औरों के लिए आशीष बनना परमेश्वर से आशीष पाना है।

पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है। - इब्रानियों 13:16

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:10-20
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। 
Philippians 4:14 तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए। 
Philippians 4:15 और हे फिलप्‍पियो, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहयता नहीं की। 
Philippians 4:16 इसी प्रकार जब मैं थिस्सलुनीके में था; तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या वरन दो बार कुछ भेजा था। 
Philippians 4:17 यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए। 
Philippians 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है। 
Philippians 4:19 और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। 
Philippians 4:20 हमारे परमेश्वर और पिता की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन। 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 10-12
  • लूका 9:37-62


शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

बुनियाद


   प्रशांत महासागर के किनारों के क्षेत्र में, जिसे "Ring of Fire" या "आग का घेरा" भी कहा जाता है, भूकंप बहुत आते हैं। सारे विश्व के 90% भूकंप और सारे विश्व में आए सबसे बड़े भूकंपों में से 81% इसी क्षेत्र में आए हैं। मुझे मालूम हुआ कि हौंग-कौंग शहर की अनेकों अनेकों इमारतें ग्रैनाइट पर बनाई गई हैं, जिससे भूकंप आने पर हानि बहुत कम हो। विश्व के भूकंप संभावित क्षेत्रों में बनाई गई इमारतों की बुनियाद बहुत महत्वपूर्ण होती है।

   प्रभु यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों को सिखाया कि परमेश्वर को भाने वाले भले जीवनों के निर्माण के लिए भी सही बुनियाद का होना अनिवार्य है। परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती रचित सुसमाचार में प्रभु यीशु ने कहा, "इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी" (मत्ती 7:24-25)। प्रभु यीशु मसीह और उसकी शिक्षाओं पर बनाया गया जीवन ही अब तथा भविष्य की हर परिस्थिति तथा परीक्षा में हमें स्थिरता, उन्नति और आशीष प्रदान करेगा।

   जब हम प्रभु की बुद्धिमता को अपने संबंधों, निर्णयों, और प्राथमिकताओं में हमें सही मार्गदर्शन प्रदान करने देते हैं, तो हम पाते हैं कि उससे हमें जीवन के निर्माण, स्थिरता तथा उन्नति के लिए सर्वोत्तम बुनियाद मिलती है। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु मसीह ही वह सर्वोत्तम बुनियाद है 
जिस पर मज़बूत जीवन का निर्माण किया जा सकता है।

इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु आप ही है, बनाए गए हो। जिस में सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है। जिस में तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो। इफिसियों 2:19-22

बाइबल पाठ: मत्ती 7:21-29
Matthew 7:21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। 
Matthew 7:22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए? 
Matthew 7:23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ। 
Matthew 7:24 इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। 
Matthew 7:25 और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी। 
Matthew 7:26 परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर बालू पर बनाया। 
Matthew 7:27 और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।
Matthew 7:28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। 
Matthew 7:29 क्योंकि वह उन के शास्‍त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाईं उन्हें उपदेश देता था। 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 7-9
  • लूका 9:18-36