ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 10 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – अनुपम एवं विशिष्ट – 6

 

6. प्रसार और अनुवाद में अनुपम

            प्रसार: किसी पुस्तक के बारे में यह सुनना कोई असामान्य बात नहीं है कि उसकी कुछ हज़ार या दसियों हज़ार प्रतियां बिक गई हैं, और वह सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों के सूची में सम्मिलित हो गई है। ऐसी पुस्तकों की संख्या बहुत कम है जिनकी लाखों या दसियों लाख प्रतियों की बिक्री हुई है; ऐसी पुस्तकें तो और भी कम हैं जिनकी बिक्री या वितरित हुई प्रतियों की संख्या करोड़ या करोड़ों में हो। ऐसे में यह भौंचक्का कर देने वाली बात है कि संसार के इतिहास में बाइबल ही एकमात्र ऐसी पुस्तक है जिसकी संसार भर में विभिन्न भाषाओं में बिक्री अथवा वितरित हुई प्रतियों की संख्या अरबों में है। छपाई के इतिहास के आरंभ होने से लेकर आज तक, बाइबल ही एकमात्र ऐसी पुस्तक है जो लगातार, बिना कभी भी किसी अन्य पुस्तक को स्थान दिए, संसार की सर्वाधिक बिकने तथा वितरित होने वाली पुस्तक रही है।

            संसार भर में बाइबल को प्रकाशित करने वाली अनेकों संस्थाएं हैं; हर देश में बाइबल को प्रकाशित करने वाली अपनी संस्थाएं हैं। यूनाइटिड बाइबल सोसायटी, एक ऐसी संस्था है जो संसार भर में बाइबल प्रकाशन और वितरण का कार्य करती है; सारे संसार में उसकी शाखाएं और दफ्तर हैं। उनके सभी शाखाओं और दफ्तरों द्वारा 1998 में  वितरित की गई बाइबलों की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने तब संसार भर में 208 लाख सम्पूर्ण बाइबल, तथा इसके अतिरिक्त 201 लाख नए या पुराने नियम की प्रतियाँ वितरित की थीं। यदि बाइबल के सभी स्वरूपों – सम्पूर्ण बाइबल, पुराना या नए नियम की प्रतियाँ, बाइबल के कुछ भाग जैसे कि बाइबल की कोई पुस्तक, बाइबल के कुछ अंश, या किसी विषय पर बाइबल के संकलित अंशों के लेख आदि की कुल गणना देखी जाए तो यह संख्या 5850 लाख पहुँच जाती है – और यह केवल यूनाइटिड बाइबल सोसायटीस द्वारा प्रकाशित तथा वितरित की गई बाइबल या उसके भाग अथवा अंश की संख्या है। यदि संसार भर में अन्य संस्थाओं द्वारा किए गए ऐसे ही वितरण के आँकड़े एकत्रित किए जाएं, और आज के समय तक के किए गए कार्य को देखा जाए, तो अनुमान लगाइए कि संख्या कहाँ पहुँचेगी। संसार के इतिहास में कोई अन्य पुस्तक नहीं है जो बाइबल के प्रकाशन अथवा वितरण के आँकड़ों के कहीं निकट भी आती है। यदि बाइबल और उसके भागों की संसार भर में इतनी माँग न होती, तो यह कार्य कैसे संभव होता; वह भी सारे संसार में, और छपाई के आरंभ से लेकर आज दिन तक, निरंतर? संसार भर में बाइबल, या बाइबल के भाग, या बाइबल के अंश ही सर्वाधिक पढ़े जाने वाले लेख हैं। विचार करने वाली बात है, बाइबल और उसके संदेश में कुछ तो विलक्षण तथा अनुपम होगा, कि उनकी इतनी माँग संसार भर में बनी हुई है।

            अनुवाद: जैसे प्रभावशाली और विस्मित करने वाले बाइबल के प्रकाशन और वितरण के आँकड़े हैं, उसी के समान प्रभावशाली और विस्मित करने वाले बाइबल के अनुवादों से संबंधित आँकड़े भी हैं।  

            संसार भर में छपने वाली अधिकांश पुस्तकें अपनी मूल भाषा के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में अनुवाद ही नहीं होती हैं। जो अनुवाद भी होती हैं, वो अधिकांशतः दो या तीन भाषाओं में अनुवाद होती हैं। बहुत ही कम पुस्तकें हैं जो अपनी संपूर्णता या भागों में भी 10 से लेकर 20 विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हुई हैं। आज संसार की ज्ञात 6500 भाषाओं और बोलियों में से अधिकांश भाषाओं या बोलियों में बाइबल, या बाइबल का कोई भाग, अथवा अंश अनुवाद किया जा चुका है, और उसे प्रसारित किया गया है – छापे हुए स्वरूप में, अथवा औडियो रिकॉर्डिंग के रूप में; उन भाषाओं में भी जो केवल मौखिक हैं, जिनके लिखने के लिए कोई वर्णमाला तथा अक्षर नहीं हैं। जिन भाषाओं में केवल बाइबल के अंश हैं, उनमें बाइबल के भागों का अनुवाद ज़ारी है; और जिनमें अंश तथा भाग उपलब्ध हैं, उनमें सम्पूर्ण बाइबल का अनुवाद होना ज़ारी है। जैसे जैसे माँग बढ़ती जाती है, कार्य भी बढ़ता जाता है, और उपलब्ध हो जाने वाले अंश अथवा भाग या बाइबल वितरण के लिए उपयोग होते जाते हैं, वितरित होने लगते हैं। यदि यह कार्य औडियो रिकॉर्डिंग के रूप में है, तो उसे उसी स्वरूप में विभिन्न माध्यमों के द्वारा वितरित किया जाता है। कठिन प्रयासों और बाधाओं के बावजूद, संसार के सभी भू-भाग के लोगों के पास परमेश्वर का वचन, उनकी अपनी भाषा अथवा बोली में, उपलब्ध करवाया जा रहा है। अनेकों संस्थाएं संसार भर में इस कार्य में लगी हुई हैं; कुछ स्थानीय है, कुछ अंतर्राष्ट्रीय हैं; किन्तु सभी का यही प्रयास है कि संसार का कोई भू-भाग, कोई भाषा या बोली का समुदाय, उनकी अपनी भाषा में परमेश्वर के वचन से वंचित न रह जाए।

            अब यह बाइबल के आलोचकों और विरोधियों के लिए विचार करने और उत्तर ढूँढने की बात है कि बाइबल और उसके संदेश में आखिर ऐसा क्या है जो सारे संसार के सभी इलाकों में लोगों को प्रेरित कर रहा है कि अनेकों बाधाओं, विरोध, और समस्याओं का सामना करते हुए भी, बाइबल में विश्वास करने वाले, उसे संसार के हर व्यक्ति, हर समुदाय तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। संसार के इतिहास में क्या कोई अन्य ऐसा ग्रंथ अथवा पुस्तक है जिसका इतना व्यापक प्रसार एवं अनुवाद किया गया हो? बाइबल में कुछ तो होगा जो लोगों में उसके संदेश के लिए एक भूख, एक लालसा उत्पन्न कर रहा है; और जिनके पास बाइबल और उसका संदेश है, उन्हें किसी भी कीमत पर उस संदेश को सारे संसार के सभी लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित कर रहा है, और करवाता जा रहा है!

            प्रभु यीशु मसीह ने जगत के अंत और सभी लोगों के न्याय के लिए जो चिह्न दिए थे (मत्ती 24 अध्याय), वे सभी पूरे होते जा रहे हैं; आज के विषय से संबंधित एक महत्वपूर्ण चिह्न है: “और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा” (मत्ती 24:14)। अब आप स्वयं देख लीजिए कि जगत अपने अंत और न्याय के कितना निकट खड़ा है। क्या आप अपने जीवन का हिसाब प्रभु परमेश्वर को देने के लिए तैयार हैं? यदि नहीं तो आज, अभी, जब अवसर है, और प्रभु का अनुग्रह उपलब्ध है, तो स्वेच्छा तथा सत्यनिष्ठा से, अपने पापों को स्वीकार करके, उन से पश्चाताप करके, प्रभु यीशु से उनके लिए क्षमा माँगकर, प्रभु यीशु को अपना जीवन समर्पित कीजिए और उसके वचन बाइबल के अध्ययन एवं पालन में समय लगाइए। सच्चे और समर्पित मन से की गई एक प्रार्थना, “हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा कर; मुझे अपनी शरण में ले, और मेरा जीवन बदल दे” आपको अनन्तकाल के लिए परमेश्वर की संतान और स्वर्गीय आशीषों का वारिस बना देगी – विलंब न करें, निर्णय अभी लें और उसका पालन करें।

 

बाइबल पाठ: 2 पतरस 3:8-18

2 पतरस 3:8 हे प्रियो, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं।

2 पतरस 3:9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।

2 पतरस 3:10 परन्तु प्रभु का दिन चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त हो कर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे।

2 पतरस 3:11 तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।

2 पतरस 3:12 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त हो कर गल जाएंगे।

2 पतरस 3:13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी।

2 पतरस 3:14 इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्न करो कि तुम शान्ति से उसके सामने निष्कलंक और निर्दोष ठहरो।

2 पतरस 3:15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।

2 पतरस 3:16 वैसे ही उसने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्त्र की और बातों के समान खींच-तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।

2 पतरस 3:17 इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधर्मियों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो।

2 पतरस 3:18 पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 79 -80
  • रोमियों 11:1-18

सोमवार, 9 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – अनुपम एवं विशिष्ट – 5


5. सत्यवादी और स्पष्टवादी होने में अनुपम

            सुप्रसिद्ध और विश्व-विख्यात बाइबल कॉलेज, डैलस बाइबल सेमीनरी के संस्थापक तथा भूतपूर्व अधिपति, ल्यूइस एस. शेफर ने कहा था, “बाइबल ऐसी पुस्तक नहीं है जिसे कोई मनुष्य, यदि वह लिखना चाहता, तो वैसा लिख पाता जैसी वह है; और न ही यह ऐसी पुस्तक है जिसे यदि वह वैसे लिख पाता जैसी वह है, तो फिर वह उसे लिखना चाहता।” उनकी यह बात बहुत अटपटी लगती है, और तुरंत समझ में नहीं आती है ; किन्तु बिलकुल सटीक और सही है, क्योंकि उन्होंने यह बात बाइबल के पूर्णतः सत्यवादी और स्पष्टवादी होने के संदर्भ में कही थी।

            बाइबल के परमेश्वर के लिए, उसके इस सत्य-वचन में लिखा गया है: "सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं" (इब्रानियों 4:13); तथा बाइबल के लिए लिखा गया है, "सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है" (यूहन्ना 17:17); "तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है" (भजन 119:160)। यह केवल कहने की बात नहीं है, वरन बाइबल का के परम-सत्यों में से एक है। बाइबल ही एकमात्र ऐसी पुस्तक है जो अपने पात्रों, प्रमुख लोगों, नायकों, और बाइबल के लेखकों तक के भी जीवन, व्यवहार, और पापों को बड़ी स्पष्टता तथा पूर्ण सत्यता के साथ प्रकट करती है और बताती है। चाहे वे परमेश्वर द्वारा चुने हुए लोग ही क्यों न हों, और उनके उस व्यवहार या बात से लोगों को उँगली उठाने और लांछन लगाने के अवसर ही क्यों न मिले, किन्तु बाइबल कभी भी सत्य कहने और स्पष्टता से कहने से बचती नहीं है।

            बाइबल अपने किसी भी पात्र की किसी भी कमज़ोरी, पाप की प्रवृत्ति, झूठ, छल, शारीरिक भावनाओं, आदि को छुपाने, या उनके लिए बहाने बनाने, अथवा उन्हें किसी भक्ति अथवा धार्मिक आवरण में ढाँप कर उन्हें उचित और स्वीकार्य ठहराने के प्रयास कदापि नहीं करती है; वरन गलत और अनुचित को दो टूक गलत और अनुचित बताकर उसके प्रति परमेश्वर के दृष्टिकोण और न्याय को भी साथ ही बताया देती है। बाइबल परमेश्वर का वचन है, उसकी हर बात सत्य पर केंद्रित है, किसी कल्पना, धारणा, अवसरवादिता, अथवा छल पर नहीं। उसमें सत्य और असत्य, भला और बुरा, उत्तम और निकृष्ट, आशा और निराशा, जीवन का आनंद और पीड़ा, सभी कुछ साफ, स्पष्ट, सत्य वचनों में लिखा और बताया गया है। बाइबल के इस सत्यवादी और स्पष्टवादी होने के दावे को आज तक कभी भी, कोई भी, कितने ही प्रयासों के बावजूद कभी गलत प्रमाणित नहीं करने पाया है; इसलिए बाइबल की हर बात की सत्यता को बिना किसी संशय के स्वीकार किया जा सकता है, परख कर देखा जा सकता है

            बाइबल की इस अभूतपूर्व तथा अनुपम सत्यवादिता एवं स्पष्टवादिता के कुछ उदाहरणों को, बाइबल के कुछ पात्रों, घटनाओं, और लेखों में से देखते हैं:

·        बाइबल के प्रमुख नायकों, वंशों के कुल-पिताओं, के पाप स्पष्ट लिखे गए हैं:

o   उत्पत्ति 9:20-21 – नूह दाखमधु पीकर मतवाला हुआ,  और अनुचित दशा में व्यवहार किया।

o   उत्पत्ति 12:11-13 – अब्राहम ने अपनी जान बचाने के लिए अपनी पत्नी से झूठ बोलने को कहा तथा उसे अन्य पुरुषों द्वारा भ्रष्ट किए जाने के जोखिम में डाला।

o   उत्पत्ति 27:21-27 – याकूब ने अपने अंधे पिता से झूठ बोलकर तथा उसको धोखा देकर अपने भाई की आशीषों को प्राप्त किया।

·        परमेश्वर के लोगों, इस्राएल, के पापों को सार्वजनिक करके उनकी भर्त्सना की गई – व्यवस्थाविवरण 9:7, 24; भजन 78:8; 1 शमूएल 8:8; प्रेरितों 7:51-53; आदि।

·        राजा दाऊद ने अपने वफादार सेनापति ऊरिय्याह की पत्नी के साथ व्यभिचार किया, तथा उसके गर्भवती होने पर अपने पाप को छुपाने के लिए ऊरिय्याह को धोखे से मरवा डाल; जिसके लिए परमेश्वर ने उसे उसी के भरे दरबार में दोषी ठहराया और दंडित किया (2 शमूएल 11 और 12 अध्याय)।

·        सुसमाचार लेखक तथा प्रचारक अपनी कमियों और पापों का अंगीकार अपने द्वारा लिखे गए वचनों में लिखते हैं:

o   मत्ती 26 :31-56 – शिष्यों ने प्रभु के साथ बने रहने के दावे किए, किन्तु संकट आते ही उसे छोड़ कर भाग गए, पतरस ने तो तीन बार, एक दासी लड़की के सामने भी, प्रभु को जानने से भी इनकार कर दिया।

o   मरकुस 6:52; 8:18 – शिष्यों ने प्रभु द्वारा सिखाए और समझाने के बाद भी अपने मन की कठोरता के कारण अविश्वास के साथ व्यवहार किया।

o   लूका 8:24-25 – शिष्यों ने प्रभु यीशु को जानते और उसके साथ रहते हुए भी अविश्वास के साथ व्यवहार किया।

o   मरकुस 9:33-35 – प्रभु द्वारा दीनता और नम्रता का जीवन जीने के बारे में सिखाए जाने के बावजूद शिष्यों में एक-दूसरे से बड़ा बनने की चाह रहती थे, और वे इसके लिए प्रभु से छिपकर आपस में विवाद भी करते थे।

o   मरकुस 10:35-37 – प्रभु के चुने हुए बारह में से दो शिष्यों, याकूब और यूहन्ना, ने स्वार्थी होकर अपने लिए स्वर्ग में औरों से उत्तम आशीष का स्थान सुनिश्चित करने का प्रयास किया।

o   1 कुरिन्थियों 1:11 – प्रभु के विश्वासी लोगों की मंडली में परस्पर झगड़े होते थे; मंडलियों के लोगों के ऐसे व्यवहार से पौलुस प्रेरित दुखी था (1 कुरिन्थियों 4:21; 2 कुरिन्थियों 2:3-4; गलातियों 3:1)।

 

            ये बाइबल के पात्रों, और उनके जीवन के केवल कुछ उदाहरण हैं। किन्तु परमेश्वर ने इन्हीं दुर्बल, बारंबार गलती करते रहने वाले, संसार की दृष्टि में अयोग्य लोगों को लेकर उन्हें अद्भुत रीति से परिवर्तित कर दिया, और अपनी महिमा का कारण बना लिया। प्रभु यीशु मसीह में होकर आज भी परमेश्वर सारे संसार के सभी लोगों में यही करने में लगा हुआ है। जो कोई भी, वह चाहे कैसे भी पाप करने वाला, कैसी भी पृष्ठभूमि से, कोई भी भिन्न दृष्टिकोण रखने वाला व्यक्ति क्यों न हो, जो कोई स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करके अपने पापों के लिए उससे क्षमा माँग लेता है, अपना जीवन उसे समर्पित कर देता है, प्रभु परमेश्वर उसे स्वीकार करके, उसका जीवन बदल देता है, उसे अपनी समानता में ढालने लगता है।

 

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 1:17-31

1 कुरिन्थियों 1:17 क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन सुसमाचार सुनाने को भेजा है, और यह भी शब्दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे।

1 कुरिन्थियों 1:18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ्य है।

1 कुरिन्थियों 1:19 क्योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्छ कर दूंगा।

1 कुरिन्थियों 1:20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?

1 कुरिन्थियों 1:21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।

1 कुरिन्थियों 1:22 यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।

1 कुरिन्थियों 1:23 परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।

1 कुरिन्थियों 1:24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ्य, और परमेश्वर का ज्ञान है।

1 कुरिन्थियों 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।

1 कुरिन्थियों 1:26 हे भाइयों, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए।

1 कुरिन्थियों 1:27 परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्जित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्जित करे।

1 कुरिन्थियों 1:28 और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए।

1 कुरिन्थियों 1:29 ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के सामने घमण्ड न करने पाए।

1 कुरिन्थियों 1:30 परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा।

1 कुरिन्थियों 1:31 ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, कि जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 77 -78
  • रोमियों 10

रविवार, 8 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – अनुपम एवं विशिष्ट – 4

 

4. लेखों के विषयों तथा सामग्री में अनुपम

          बाइबल की पुस्तकों में कई भिन्न प्रकार की साहित्यिक लेखन शैलियाँ हैं, जैसे कि:

                        नियम और व्यवस्था

                        ऐतिहासिक वृतांत

                        स्मृतियाँ

                        दृष्टांत

                        नीतिवचन

                        भजन, कविता, और स्तुति गीत

                        प्रेम-प्रसंग

                        व्यंग्य

                        पत्र  

                        जीवनियाँ

                        आत्म-कथाएं

                        वंशावलियाँ

                        शिक्षाएं

                        भविष्यवाणियाँ

            आदि।

            बाइबल के लेखकों ने सैकड़ों विभिन्न विषयों के बारे में लिखा, तथा बाइबल के लेखों में अनेकों विषयों को संबोधित किया गया है, जिनमें से कई विषय विवादात्मक भी हैं, जिनकी चर्चा या वार्तालाप में प्रतिस्पर्धी विचार उत्पन्न होना सामान्य बात है, जैसे कि विवाह, वैवाहिक संबंध तथा दायित्व, तलाक, पुनः विवाह, समलैंगिक संबंध, व्यभिचार, अधिकारियों की अधीनता, सत्य-वादिता, असत्य-वादिता, चरित्र तथा चरित्र का विकास, बच्चों का पालन-पोषण और शिक्षण, प्रकृति, स्वर्गदूत, परमेश्वर, स्वर्ग, नरक, उद्धार, पाप, पाप-क्षमा, पाप का दंड, परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता और आज्ञाकारिता के परिणाम और प्रतिफल, जीवन, मरण, परमेश्वर के प्रति मनुष्यों के उत्तरदायित्व, अनन्तकाल, आदि।

            इतने भिन्न और असंबंधित प्रतीत होने वाले विषयों और लेखन शैलियों, तथा लेखकों में परस्पर इतनी असमानताएं होने के बावजूद, बाइबल की पहली पुस्तक – उत्पत्ति के आरंभ से लेकर अंतिम पुस्तक – प्रकाशितवाक्य के अंत तक, इन सभी लेखकों ने इन सभी विषयों को एक अद्भुत सामंजस्य और तालमेल के साथ संबोधित किया है। एक ही विषय पर अलग-अलग लेखों और लेखकों में कोई विरोधाभास या दृष्टिकोण की भिन्नता नहीं है; यदि भिन्न लेखों में से उस एक विषय की बातों को संकलित किया जाए, तो वे एक दूसरे के पूरक, एक दूसरे को समझने में सहायक, एक दूसरे से पूर्णतः मेल खाने वाले होते हैं, कभी अलग-अलग बात कहने वाले नहीं। और न ही कोई एक विषय कभी किसी अन्य संबंधित विषय से कोई विवाद उत्पन्न करता है अथवा उसकी बात को काटता या नकारता है। आरंभ से लेकर अंत तक, हर बात, हर विषय, हर लेखक, हर शैली, हमेशा पूरे तालमेल के साथ, एक दूसरे के पूरक और सहायक होकर साथ ही खड़े मिलेंगे, कभी भी एक दूसरे के विरोध में या भिन्न दृष्टिकोण के साथ नहीं।

            इतनी विभिन्नता होते हुए भी सम्पूर्ण बाइबल की हर पुस्तक, हर विषय, हर दृष्टिकोण, हर लेखक, एक ही मुख्य विषय, और एक ही मुख्य पात्र को लेकर वृतांत को विकसित करता जा रहा है, वृतांत और वर्णन को निखारता जा रहा है। बाइबल का मुख्य विषय है पाप में गिरे और फँसे हुए मनुष्यों से परमेश्वर का प्रेम, और उन्हें पाप के दासत्व से छुड़ाने का परमेश्वर का प्रयोजन एवं कार्य; तथा बाइबल का मुख्य पात्र है परमेश्वर के इस प्रयोजन को कार्यान्वित करके सफल बनाने और सभी के लिए उपलब्ध करवाने वाला परमेश्वर का पुत्र – प्रभु यीशु मसीह। जिस प्रकार एक देह में अनेकों भिन्न अंग होते हैं, किन्तु वे सभी साथ मिलकर ही देह को बनाते और चलाते हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण बाइबल की हर पुस्तक, हर विषय, हर वर्णन प्रभु यीशु मसीह की इसी एक गाथा के विभिन्न अंग और आयाम हैं। पाप और पाप के दासत्व तथा अनन्तकालीन दुष्प्रभावों और दुष्परिणामों से, मनुष्यों के अपने किसी कार्य अथवा धार्मिकता से नहीं, वरन परमेश्वर के प्रेम, कृपा, दया, और अनुग्रह के द्वारा मनुष्यों की मुक्ति – मनुष्यों का उद्धार, और उस उद्धार से होने वाला उनके जीवनों में परिवर्तन, तथा परमेश्वर के समानता में ढलते जाना ही वह धागा है जो समस्त बाइबल की हर पुस्तक, हर लेख, हर विचार में होकर पिरोया गया है। आरंभ से लेकर अंत तक बाइबल प्रभु यीशु मसीह पर ही केंद्रित है, उसी की सत्य-कथा है ।

            दो लेखकों, गियसलर  और निक्स, ने इसे बड़े मनोहर रीति से व्यक्त किया है: पहले पुराने नियम को देखें तो व्यवस्था और नियम मसीह के लिए नींव रखते हैं; इतिहास की पुस्तकें मसीह के लिए तैयारी को दिखाती हैं; भजन और काव्य पुस्तकें मसीह के लिए अभिलाषा को व्यक्त करते हैं; और भविष्यवाणियाँ मसीह की प्रत्याशा देती हैं। फिर, नए नियम में आकर, सुसमाचारों में मसीह का प्रकट होता है; प्रेरितों के काम में मसीह का सारे संसार में प्रसार है; पत्रियों में मसीह की शिक्षाओं की व्याख्या है; और अंतिम पुस्तक प्रकाशितवाक्य में मसीह में सभी बातों की पूर्ति तथा अनन्त जीवन का आरंभ है।

            संसार में बाइबल के अतिरिक्त, अन्य साहित्य और काव्यों तथा ग्रंथों की कमी नहीं है, और उनमें से अनेकों तो लेखन सामग्री में उत्तम तथा शिक्षाप्रद भी हैं; किन्तु उनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिसमें यह सभी गुण और बातें पाई जाती हों, जो बाइबल के विषय इस लेख में बताई गई हैं। सारे संसार के इतिहास और साहित्य में बाइबल का अपना ही विशिष्ट स्थान है, जिसके निकट और कोई पुस्तक कभी नहीं पहुँच सकी है।

 

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-10

इफिसियों 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।

इफिसियों 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है।

इफिसियों 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।

इफिसियों 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया।

इफिसियों 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)

इफिसियों 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।

इफिसियों 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।

इफिसियों 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।

इफिसियों 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे।

इफिसियों 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 74 -76
  • रोमियों 9:16 -33 

शनिवार, 7 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – अनुपम एवं विशिष्ट – 3

 

3. लेखन तथा लेखकों में अनुपम

          जैसे पहले कहा गया है, बाइबल कुल 66 भिन्न पुस्तकों का संकलन है, जो भिन्न समयों पर, भिन्न लोगों द्वारा लिखी गई पुस्तकें हैं; किन्तु जब उन्हें एकत्रित करके साथ रखा गया तो वे सभी पुस्तकें एक पूर्ण पुस्तक बन गईं, जिसके सभी भाग एक-दूसरे के पूरक हैं, उनमें कोई विरोधाभास नहीं है, सभी पुस्तकें एक-दूसरे के लेखों को समर्थित करती हैं, और सभी पुस्तकों की परस्पर सहायता से ही बाइबल की बातें भली-भांति समझी जा सकती हैं। यह तब और भी अद्भुत तथा विलक्षण हो जाता है जब बाइबल के लिखे जाने और लेखकों के बारे में थोड़ा विवरण देखते हैं:

·    बाइबल की पुस्तकें लगभग 1500 वर्ष से अधिक के अंतराल में लिखी गईं।

·    बाइबल की पुस्तकों के 40 से अधिक लेखक थे, जो समय, भौगोलिक स्थान, भाषा, कार्य तथा व्यवसाय, शैक्षिक स्तर, सामाजिक ओहदे, आदि में भिन्न थे। इन विभिन्न लेखकों में से कुछ के उदाहरण देखते हैं:

o   मूसा – एक राजनीतिक अगुवा था, जिसका पालन-पोषण, शिक्षा, प्रशिक्षण मिस्र के राजसी घराने में एक राजकुमार के समान हुआ था।

o   यहोशू – एक सेनापति था।

o   दाऊद – एक चरवाहा युवक था, जो राजा की सेना में सम्मिलित किया गया, उन्नति करते हुए शूरवीर पराक्रमी योद्धा, और फिर इस्राएल का राज्य बना। वह एक कवि, और संगीतज्ञ भी था जिसने न केवल स्तुति के भजन लिखे और संगीत-बद्ध किए, वरन कई संगीत वाद्य  भी बनाए।

o   सुलैमान – राजा तथा परमेश्वर की कृपादृष्टि पाया हुआ दार्शनिक, बुद्धिजीवी, और लेखक था।

o   नहेम्याह – एक गैर-यहूदी राज्य का सेवक था, जिसका कार्य पहले स्वयं चख-परखकर फिर राजा के पीने के लिए उसे पेय का कटोरा पकड़ाना था।

o   एज्रा – एक धर्म-शास्त्री और पवित्र शास्त्र का विद्वान था।  

o   दानिय्येल – एक यहूदी गुलाम युवक, जो बेबीलोन के राजा का सर्वोच्च सलाहकार एवं मंत्री बना।

o   आमोस – एक चरवाहा था।

o   लूका – एक वैद्य और लेखक था।

o   मत्ती – एक चुंगी लेने वाला सरकारी नौकर था।

o   पौलुस – एक धर्म-शास्त्र का विद्वान और धार्मिक अगुवा था।

o   यूहन्ना और पतरस – अनपढ़ साधारण मछुआरे थे।

o   मरकुस – पतरस के लिए लिखने वाले एक सामान्य युवक था।

·    बाइबल की पुस्तकें विभिन्न स्थानों और परिस्थितियों में लिखे गईं:

o   मूसा ने जंगल की यात्रा के दौरान लिखीं

o   यिर्मयाह ने कैदखाने की काल-कोठरी में पड़े हुए लिखी

o   दानिय्येल ने राजमहल में लिखी

o   पौलुस ने बंदीगृह में पड़े हुए लिखीं

o   लूका ने मसीही सेवकाई की यात्रा करते हुए लिखी

o   यूहन्ना ने पतमोस के टापू पर काला-पानी की सजा भोगते हुए लिखी

o   दाऊद ने कुछ युद्ध के समय में लिखी, तो कुछ अन्य अपने जीवन की भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में लिखीं।  

o   सुलैमान ने शांति और संपन्नता के समय में लिखी

·    बाइबल की पुस्तकें विभिन्न मनोदशाओं में लिखी गईं:

o   कुछ ने परम-आनंद के भाव में उत्साह के साथ लिखीं

o   कुछ ने घोर निराशा, दुख, और हताश के समयों में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं

o   कुछ ने विश्वास की दृढ़ता में निश्चितता के साथ लिखीं

o   कुछ ने संदेह और असमंजस से जूझते हुए लिखा

·    बाइबल की पुस्तकें तीन भिन्न महाद्वीपों और उनकी संस्कृतियों तथा सामाजिक विचारधाराओं में लिखी गईं। ये तीन महाद्वीप हैं:

o   एशिया

o   अफ्रीका

o   यूरोप

·    बाइबल की पुस्तकें तीन भिन्न भाषाओं में लिखी गईं:

o   इब्री या इब्रानी भाषा – जो यहूदियों की, तथा लगभग सम्पूर्ण पुराने नियम के लिखे जाने की भाषा है।

o   अरामी – जो निकट-पूर्व के देशों – वर्तमान इस्राएल तथा उसके आस-पास के देशों के क्षेत्रों की आम लोगों की भाषा हुआ करती थी; राजा सिकंदर के छठी शताब्दी ईसा-पूर्व में यूनान से संसार के विजय अभियान पर निकले से पहले। पुराने नियम के कुछ भाग, जैसे के दानिय्येल के 2 से 7 अध्याय और एज्रा का अधिकांश 4 अध्याय से लेकर 7 अध्याय तक अरामी भाषा में हैं।

o   यूनानी – यह लगभग सम्पूर्ण नए नियम के लिखे जाने की भाषा है, और प्रभु यीशु मसीह की पृथ्वी के समय की सेवकाई के समय की यह अंतर्राष्ट्रीय भाषा तथा जन-सामान्य की भाषा थी।

 

          अब थोड़ा ध्यान दीजिए और विचार कीजिए कि हर प्रकार की इतनी अधिक विविधता और भिन्नता होते हुए भी; एक लेखक के दूसरे के बारे में न जानते हुए भी; किसी भी लेखक को यह जानकारी न होते हुए भी के भविष्य में किसी समय पर जाकर पुस्तकें संकलित होंगी; अलग-अलग पृष्ठभूमि, विचार-धारा, संस्कृति, समय, स्थान, और भाषाओं के होते हुए भी, इन लेखकों की पुस्तकों में कोई विरोधाभास नहीं है, कोई असंगत होना नहीं है, सभी पुस्तकें एक-दूसरे की पूरक हैं, सहायक हैं, समर्थक हैं। यदि आज, अभी कोई घटना घटित हो, और उसके प्रत्यक्षदर्शियों से उस घटना का विवरण लिखने को कहा जाए, तो उन लोगों के विवरणों में कुछ न कुछ भिन्नता अवश्य मिलेगी; कुछ थोड़ा-बहुत विरोधाभास भी अवश्य आएगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों का सामान्य निष्कर्ष होता है कि या तो लोगों ने किसी एक के वर्णन को आधार बनाकर उसकी नकल की है; या किसी एक व्यक्ति ने उन सभी से लिखवाया है, जिससे कि समान विचार और सामग्री सभी में देखे जा रहे हैं।

          यही तर्क बाइबल के लेखों के लिए भी लागू होता है। ऊपर दी गए विविधता और भिन्नताओं के कारण ये लेखक एक दूसरी की नकल तो कर नहीं सकते थे; तो फिर उन्हें लिखवाने वाला कोई एक ही होगा - सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर पवित्र आत्मा की प्रेरणा से लिखा गया है। लेखक भिन्न थे, लिखवाने वाला एक ही था। इस पर कुछ और चर्चा हम आते समय में एक अन्य लेख में करेंगे।

          बाइबल के लेखकों और लेखन का अनुपम, अद्भुत इतिहास, उसके परमेश्वर का वचन होने के दावे की पुष्टि करता है।  

 

बाइबल पाठ: रोमियों 1:16-23

रोमियों 1:16 क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ्य है।

रोमियों 1:17 क्योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा॥

रोमियों 1:18 परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।

रोमियों 1:19 इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।

रोमियों 1:20 क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ्य, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।

रोमियों 1:21 इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्‍धेरा हो गया।

रोमियों 1:22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।

रोमियों 1:23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।

 

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 72 -73
  • रोमियों 9:1-15

शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – अनुपम एवं विशिष्ट – 2


2. वैज्ञानिक आविष्कारों के लिए प्रेरणा एवं मार्गदर्शन देने में अनुपम।

           यह एक सामान्य, किन्तु सर्वथा गलत एवं अनुचित धारणा है कि बाइबल विज्ञान के साथ तालमेल नहीं रखती है, और विज्ञान बाइबल का समर्थन नहीं करता है। इस धारणा के विपरीत, न तो बाइबल और विज्ञान में परस्पर कोई विरोधाभास है, और न ही बाइबल विज्ञान की बातों और उन्नति में बाधक है। वास्तविकता तो यह है कि बाइबल के द्वारा मनुष्यों को लाभ पहुँचने वाले कई खोज और आविष्कार हुए हैं, तथा पश्चिमी देशों के प्रमुख वैज्ञानिक बहुधा बाइबल तथा बाइबल के परमेश्वर पर विश्वास रखने वाले लोग थे।

          बाइबल में प्रयुक्त ऐसे शब्दों और वाक्यांशों का प्रयोग, जिनके आधार पर वैज्ञानिक खोज की गईं, समकालीन साहित्य तथा गैर-मसीहियों के द्वारा भी होता रहा है, किन्तु उन्होंने तथा उनके पाठकों ने बाइबल के शब्दों और बातों को केवल आलंकारिक भाषा समझा, अथवा उन्हें विश्वास करने योग्य मानकर गंभीरता से नहीं लिया; इसलिए उनके आधार पर कोई कार्यवाही नहीं की। लेकिन कुछ लोगों ने, जो बाइबल और बाइबल के परमेश्वर पर विश्वास रखते थे और रखते हैं, उन शब्दों और बातों को गंभीरता से लिया, उन बातों पर विश्वास किया, और इस विचारधारा के साथ उनके विषय कार्यवाही की, कि यदि बाइबल यह कहती है, तो यह सच ही है, और इसकी आगे जाँच करके, इसके आधार पर कार्यवाही करना लाभप्रद होगा।

          पृथ्वी का गोलाकार होने, जल का चक्र, संक्रमण की बीमारियों की रोक-थाम के लिए संक्रमित रोगियों को पृथक करना, स्वच्छता और हाथ-पैर धोने के महत्व, आदि बातों के महत्व को वैज्ञानिकों द्वारा पहचानने और मानने से सदियों पहले, बाइबल में लिख दिया गया था, और परमेश्वर के लोगों से उनका पालन करने के लिए कहा गया था।

          बाइबल की सबसे प्राचीन पुस्तक, पुराने नियम में अय्यूब की पुस्तक में, जो लगभग 2000 ईस्वी पूर्व में लिखी गई थी, परमेश्वर ने अय्यूब से "समुद्र के सोतों" के विषय में पूछा, "क्या तू कभी समुद्र के सोतों तक पहुंचा है, वा गहिरे सागर की थाह में कभी चला फिरा है?" (अय्यूब 38:16)। इन "समुद्र के सोतों" को सबसे पहले सन 1973 में गहरे समुद्र के तल में मिड-एटलांटिक रिज में देखा गया जिन में से पानी निकल कर समुद्र में मिल रहा था; और 1977 में गहरे सागर के तल में गरम पानी के अद्भुत सोते देखे गए, और उनके चित्र लिए गए। सुविख्यात पत्रिका नैशनल जियोग्राफिक ने अपने नवंबर 1979 के अंक में इन गहरे सागर-तल में विद्यमान "समुद्र के सोतों" पर एक लेख प्रकाशित किया।

          अमेरिका की नौ सेना के एक मसीही विश्वासी अफसर, मैथ्यू फ़ौनटेन मौरे का ध्यान बाइबल की सभोपदेशक नामक पुस्तक में लिखी बात, "वायु दक्खिन की ओर बहती है, और उत्तर की ओर घूमती जाती है; वह घूमती और बहती रहती है, और अपने चक्करों में लौट आती है" (सभोपदेशक 1:6), तथा "आकाश के पक्षी और समुद्र की मछलियां, और जितने जीव-जन्तु समुद्रों में चलते फिरते हैं" (भजन 8:8) पर गया, और उसने निर्णय लिया कि वह बाइबल में उल्लेखित वायु बहने और समुद्र के जलचरों के जल-मार्गों का पता लगाएगा। उसके अथक प्रयासों और वायु तथा समुद्र-जल के प्रवाहित होने की धाराओं के अध्ययन और प्रकाशन के द्वारा नाविकों के लिए समुद्र में यात्रा तथा कार्य करने में बहुत सहायता हुई। मैथ्यू फ़ौनटेन मौरे की मृत्यु-उपरांत, उनकी स्मृति में एक स्मारक बनाया गया जिसमें एक पत्थर की तख्ती पर तराश कर ये शब्द लिखकर लगाए गए: “Mathew Fontaine Maury, Pathfinder of the Seas, the genius who first snatched from the oceans and atmosphere the secret of their laws. His inspiration, Holy Writ, Psalm 8:8; Ecclesiastes 1:6”.  ("मैथ्यू फ़ौनटेन मौरे, समुद्र के जल-मार्गों का खोजने वाला, वह अद्भुत प्रतिभाशाली व्यक्ति जिन्होंने सबसे पहले सागर और वायुमंडल से उनके मार्ग और रहस्य छीन लिए। यह करने की उनके प्रेरणा, पवित्र शास्त्र, भजन 8:8; सभोपदेशक 1:6") - उनकी अद्भुत प्रतिभा का रहस्य – वे बाइबल में विश्वास रखने वाले एक सामान्य मसीही विश्वासी थे, जिन्हें परमेश्वर के वचन के सत्य और कभी गलत न होने पर अटूट विश्वास था।

          चार्ल्स व्हिटशोल्ट भी एक बाइबल में विश्वास रखने वाले मसीही विश्वासी थे; वे अमेरिका की स्टैंडर्ड ऑइल कंपनी के एक निर्देशक भी थे। उन्हें उनकी कंपनी ने मिस्र में तेल खोजने के लिए भेज था - तब जब किसी को यह पता नहीं था कि मिस्र या मध्य-पूर्व खाड़ी देशों की भूमि में तेल का भण्डार विद्यमान है; और उन्होंने मिस्र में तेल की खोज कर के भी दी। मिस्र में तेल होने के प्रति चार्ल्स व्हिटशोल्ट का विश्वास, बाइबल के एक पद पर आधारित था "और जब वह उसे और छिपा न सकी तब उसके लिये सरकंड़ों की एक टोकरी ले कर, उस पर चिकनी मिट्टी और राल लगाकर, उस में बालक को रखकर नील नदी के तीर पर कांसों के बीच छोड़ आई" (निर्गमन 2:3)। चार्ल्स व्हिटशोल्ट का विश्वास था कि यदि एक गुलाम स्त्री को मिस्र में 'राल' मिल सकती है, जो कि धरती के नीचे तेल से आती है, तो इसका अर्थ है कि मिस्र में तेल है। उनके मसीही चरित्र और विश्वास के कारण उनकी कंपनी उन पर पूरा भरोसा रखती थी, और कंपनी ने उन्हें, उनके विश्वास के आधार पर, मिस्र में तेल की खोज करने के लिए भेज दिया; और उन्होंने बाइबल में लिखी बात के आधार पर मिस्र तथा मध्य-पूर्व में तेल खोज कर दिखा दिया।

            सर विलियम रैमसे एक बहुत माने हुए बाइबल पुरातत्व वैज्ञानिक हुए, जिनके द्वारा किए गए खोज और बातें आज भी, उनके 100 से भी अधिक वर्ष बाद भी, बाइबल संबंधी पुरातत्व खोजों के लिए पढ़ी और पढ़ाई जाती हैं, और उनके इस कार्य के लिए उन्हें "सर" की उपाधि से सम्मानित किया गया था। अपने समय के अन्य अनेकों पढ़े-लिखे और ज्ञानवान लोगों के समान, उनकी भी धारणा थी कि बाइबल विश्वास योग्य नहीं है, और इसे वह आदर-मान नहीं दिया जाना चाहिए जो दिया जाता है। अपनी धारणा प्रमाणित करने के लिए वे बाइबल संबंधी क्षेत्रों में प्रमाण एकत्रित करने के लिए गए जिससे यह प्रमाणित कर सकें कि बाइबल विश्वासयोग्य नहीं है। उन्होंने जा कर पुरातत्व महत्व के स्थानों  पर खुदाई करनी तथा प्रमाण एकत्रित करने आरंभ किए। शीघ्र ही उन्हें एहसास हो गया कि बाइबल में लिखी बातें, छोटे से छोटे विवरण में भी बिल्कुल सटीक और सही हैं, और बाइबल संबंधी उनके पुरातत्व खोज और ज्ञान ने बाइबल के पक्ष में अनेकों प्रमाण उजागर कर दिए। विलियम रैमसे स्वयं इन प्रमाणों से इतने प्रभावित हुए कि वे भी एक मसीही विश्वासी बन गए, उन्होंने बाइबल कॉलेज में दाखिल लिया, मसीही सेवकाई में सम्मिलित हुए, और अपनी खोज के कार्यों से कई पुस्तकें और लेख लिखे, जिन्हें आज भी बहुत सम्मान के साथ देखा और पढ़ा जाता है। बाइबल को झूठ प्रमाणित करने का प्रयास करने वाला व्यक्ति बाइबल के सत्य को प्रमाणित मरने वाला मसीही विश्वासी बन गया।

          वास्तविकता में, ऐसी कोई भी पुरातत्व खोज नहीं है जो बाइबल की किसी भी बात को असत्य प्रमाणित करती हो। परमेश्वर की सृष्टि और रचना, परमेश्वर के वचन के विरुद्ध कभी हो ही नहीं सकती है। सही भावना और दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है, और परमेश्वर के वचन के तथ्य, उसकी सृष्टि में प्रमाण प्रत्यक्ष कर देंगे।

 

बाइबल पाठ: भजन 19:1-6

भजन 19:1 आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।

भजन 19:2 दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।

भजन 19:3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।

भजन 19:4 उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है,

भजन 19:5 जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर के समान अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है।

भजन 19:6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।

 

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 70-71
  • रोमियों 8:22-39