ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 22 जुलाई 2017

अंगीकार


   जेन अपने बरामदे में बैठी एक चिंतित करने वाले प्रश्न पर विचार कर रही थी: क्या उसे पुस्तक लिखनी चाहिए? उसने ब्लॉग लिखने और सार्वजनिक स्थानों में बोलने का आनन्द तो लिया था, परन्तु अब उसे ऐसा लग रहा था कि परमेश्वर उससे कुछ और अधिक करवाना चाहता है। उसने परमेश्वर से पूछा कि "क्या आप चाहते हैं कि मैं ऐसा करूँ?" उसने इस बारे में परमेश्वर से बातचीत की और उससे मार्गदर्शन माँगा। उसने सोचना आरंभ किया कि क्या परमेश्वर चाहता था कि वह अपने पति की अशलीलता को देखने-पढ़ने की लत, और कैसे परमेश्वर उसके जीवन में तथा उनके वैवाहिक जीवन में कार्य कर रहा है के बारे में लिखे। परन्तु फिर उसने सोचा कि ऐसा करने से उसके पति की सार्वजनिक रीति से बदनामी हो जाएगी। इसलिए उसने प्रार्थना की क्या वे दोनों मिलकर उस पुस्तक को लिखें? फिर उसने अपने पति से इसके बारे में पूछा और वह यह करने के लिए सहमत हो गए।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि राजा दाऊद ने यद्यपि यह तो नहीं लिखा कि उसने क्या पाप किया था, परन्तु वह अपने संघर्ष को लेकर एक सार्वजनिक संवाद में भागीदार हुआ। उसने अपने इस अनुभव को एक भजन के रूप में भी प्रस्तुत किया, और लिखा: "जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं" (भजन 32:3)। फिर आगे लिखा कि, "जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया" (भजन 32:5)। हर किसी को अपने प्रत्येक व्यक्तिगत संघर्ष को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। परन्तु जब दाऊद ने परमेश्वर के सामने अपने पाप का अंगीकार किया तो उसे शांति और चँगाई मिली जिससे प्रोत्साहित होकर उसने परमेश्वर की स्तुति का यह भजन लिखा।

   जेन और उसके पति का कहना है कि अपनी गहरी व्यक्तिगत कहानी को मिलकर लिखने से उनकी एक दूसरे के प्रति निकटता और बढ़ी है। यह परमेश्वर के कितना समान है, जो जब हम अपने पापों का अंगीकार करते हैं तो हमारे दोष, लज्जा और अलग किए जाने को ले लेता है, और उन सब के स्थान पर हमें अपनी क्षमा, साहस और संगति प्रदान कर देता है। - टिम गस्टाफसन


जो अपने पाप अंगीकार कर लेते हैं उन्हें पापों से क्षमा भी मिल जाती है।

जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी। - नीतिवचन 28:13

बाइबल पाठ: भजन 32:1-11
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। 
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं। 
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी। 
Psalms 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
Psalms 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा। 
Psalms 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
Psalms 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा। 
Psalms 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 31-32
  • प्रेरितों 23:16-35


शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

पास


   मेरी सहेली अपने परिवार और जीवन से संबंधित कुछ कठिन परिस्थितियों से होकर निकल रही थी, और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उससे क्या कहूँ या उसके लिए क्या करूँ। मैंने उससे अपनी यही दुविधा कही; उसने मेरी ओर देखकर कहा, "बस मेरे निकट बनी रहो।" मैंने ऐसा ही किया, और कुछ समय के बाद हमने परमेश्वर के प्रेम के बारे में बातें करनी आरंभ कर दीं।

   बहुधा हमें समझ नहीं आता है कि जब दूसरे दुःख से होकर निकल रहे हैं तो हम उनके साथ क्या बात करें, उन्हें क्या कहें, क्योंकि कई बार शब्द भलाई के स्थान पर बुरा कर देते हैं। दूसरों की सेवा करने के लिए हमें यह समझना आवश्यक है कि वे क्या चाहते हैं, उन्हें किस बात की आवश्यकता है; और तब हम व्यावाहरिक रीति से उनकी सहायाता कर सकते हैं। लेकिन दुःखी लोगों को प्रोत्साहित करने का एक सबसे अच्छा तरीका है उनके साथ बैठना, उनकी सुनना।

   हम जब भी उसे पुकारते हैं, परमेश्वर सदा ही हमारे निकट होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा, "धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उन को सब विपत्तियों से छुड़ाता है। यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है" (भजन 34:17-18)।

   अपने आप को दूसरों के स्थान पर रखने, और अपने हृदय को उनके प्रति अनुकंपा अनुभव करने देने के द्वारा हम दुःखी लोगों के सहायक हो सकते हैं। जैसे परमेश्वर हमारे निकट रहता और हमारी सुनता है, वैसे ही हमें औरों के निकट रहना और उनके मन की बात को सुनना चाहिए। दुःखियों के निकट रहते हुए, सही अवसर पर परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमें बोलने के लिए वह सही शब्द देगा जिनकी उन्हें आवश्यकता होगी। - कीला ओकोआ


दूसरों को प्रोत्साहित करने का सर्वोत्त्म तरीका 
केवल उनके निकट बने रहना भी हो सकता है।

प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं। - यशायाह 50:4

बाइबल पाठ: भजन 34:4-18
Psalms 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया। 
Psalms 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया। 
Psalms 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया। 
Psalms 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है। 
Psalms 34:8 परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है। 
Psalms 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगो, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती! 
Psalms 34:10 जवान सिंहों तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।। 
Psalms 34:11 हे लड़कों, आओ, मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा। 
Psalms 34:12 वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे? 
Psalms 34:13 अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले। 
Psalms 34:14 बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर। 
Psalms 34:15 यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं। 
Psalms 34:16 यहोवा बुराई करने वालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। 
Psalms 34:17 धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उन को सब विपत्तियों से छुड़ाता है। 
Psalms 34:18 यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 29-30
  • प्रेरितों 23:1-15


गुरुवार, 20 जुलाई 2017

सेवा


   प्रथम विश्व-युद्ध में सेवा करने के कारण सी. एस. ल्यूईस सेना की सेवा की कठिनाईयों और तनावों से अनभिज्ञ नहीं थे। दुसरे विश्व-युद्ध के समय एक सामाजिक संबोधन के समय उन्होंने एक सैनिक द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाईयों का सटीक विवरण दिया: "हम हर प्रकार की विपत्तियों के कारण जो भी भय रखते हैं, वे एक सक्रीय सैनिक जीवन में एक साथ देखने को मिलते हैं। जैसे बीमारी के समय की तकलीफ और मृत्यु का भय; निर्धनता के समय के खराब निवास-स्थान, गर्मी- ठण्ड, भूख-प्यास का भय; दासत्व के समय के कठोर बेगार, निरादर, अन्याय और मनमाने व्यवहार का भय; देश निकाले के समय हर प्रकार के प्रेम से दूर हो जाने का भय।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने एक सैनिक के अपने सैनिक सेवकाई में कठिनाइयाँ उठाने की उपमा के द्वारा मसीह यीशु की सेवकाई में एक मसीही विश्वासी को होने वाली कठिनाइयों को समझाया। पौलुस ने, जो अब अपने जीवन के अन्त के निकट था, मसीह यीशु के सुसमाचार की अपनी सेवा के समय में बहुत कठिनाइयों और दुखों को विश्वासयोग्यता के साथ झेला था। अब अपने अन्त समय के निकट आकर उसने अपने संगी सेवक युवा तिमुथियुस से कहा, "मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा के समान मेरे साथ दुख उठा" (2 तिमुथियुस 2:3)।

   मसीह यीशु की सेवा करने के लिए बहुत धीरज की आवश्यकता होती है। मसीही सेवकों के सामने अस्वस्थता, संबंधों में परेशानियाँ, कठिन परिस्थितियों, आदि जैसी कई बाधाएं आ सकती हैं, परन्तु एक अच्छे सैनिक के समान उन्हें परमेश्वर की सामर्थ्य के सहारे सबका सामना करते हुए आगे ही बढ़ते जाना है - क्योंकि वे राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु के सेवक हैं। उसके सेवक हैं जिसने हमारी भलाई के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया, अपने आप को हमारे लिए शून्य कर दिया, अपना जीवन बलिदान कर दिया। - डेनिस फिशर


परमेश्वर का प्रेम हमें परीक्षाओं से बचा कर नहीं रखता है, 
वरन उनमें से सुरक्षित निकाल कर लाता है।

जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। - फिलिप्पियों 2:5-8

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 2:1-10
2 Timothy 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा।
2 Timothy 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों। 
2 Timothy 2:3 मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा के समान मेरे साथ दुख उठा। 
2 Timothy 2:4 जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता 
2 Timothy 2:5 फिर अखाड़े में लड़ने वाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता। 
2 Timothy 2:6 जो गृहस्थ परिश्रम करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए। 
2 Timothy 2:7 जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देगा। 
2 Timothy 2:8 यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है। 
2 Timothy 2:9 जिस के लिये मैं कुकर्मी की नाईं दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं। 
2 Timothy 2:10 इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साथ पाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 26-28
  • प्रेरितों 22


बुधवार, 19 जुलाई 2017

बड़ाई


   अमेरिका में अश्वेत नागरिकों को उनके अधिकारों को दिलवाने वाली एक प्रमुख महिला रोज़ा पार्कर का निधन 2005 में हुआ। उनके निधन पर प्रसिद्ध टी.वी. कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता, ओप्रा विन्फ्रे ने इसे अपना सौभाग्य समझा कि उन्हें उनके बारे में कुछ कहने का अवसर दिया गया। रोज़ा पार्कर के साथ 1955 में हुई घटना, जब उन्होंने बस में यात्रा करने के समय एक श्वेत व्यक्ति के लिए अपनी सीट छोड़ने से इंकार किया था, के विषय में  उनकी बड़ाई करते हुए ओप्रा ने कहा, "मैं बहुधा सोचती हूँ कि ऐसा करने के लिए कैसे साहस की आवश्यकता रही होगी - उस समय के जातिवाद संबंधी सामाजिक वातावरण को जानते हुए और यह भी जानते हुए कि इस प्रातिरोध के कारण उनके साथ कुछ भी हो सकता था - फिर भी अपनी सीट पर बने रहना, उसे न छोड़ना, इसके लिए उन्हें कैसी कीमत चुकानी पड़ी होगी। परन्तु उन्होंने अपनी भलाई की परवाह किए बिना यह किया और हम सब के लिए जीवन बेहतर बना दिया।"

   बड़ाई केवल अन्तयेष्टि के समय ही नहीं वरन अनेकों अन्य समयों पर की जा सकती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में, इफसुस के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री की आरंभिक पंक्तियाँ प्रेरित पौलुस द्वारा की गई परमेश्वर की बड़ाई है; उसने लिखा, "हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, कि उसने हमें मसीह में स्‍वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है" (इफिसियों 1:3)। पौलुस ने इफसुस के मसीही विश्वासियों को आमंत्रित किया कि वे भी उसके साथ मिलकर परमेश्वर की बड़ाई करें, उन सब आत्मिक आशीषों के लिए जो परमेश्वर से मिली हैं: परमेश्वर ने उन्हें चुना और अपनी लेपालक संतान बना लिया; प्रभु यीशु ने पाप के बन्धनों से छुड़ाया, पापों को क्षमा किया और सुसमाचार का भेद प्रकट किया; परमेश्वर के पवित्र आत्मा द्वारा उन पर छाप लगी और गारण्टी मिली। यह महान उद्धार केवल परमेश्वर के अनुग्रह का कार्य था।

   हम मसीह यीशु में होकर मिलने वाली परमेश्वर की आशीषों पर अपने ध्यान केंद्रित रखें; जब हम यह करेंगे, तो हम पाएंगे कि हमारे हृदय, उसकी महिमा और स्तुति करने के लिए, परमेश्वर की बड़ाई से उमड़ रहे हैं। - मार्विन विलियम्स


पाप के बन्धनों से मुक्त हुई आत्मा से निकला स्तुति-गीत ही बड़ाई है।

धन्य है, यहोवा परमेश्वर जो इस्राएल का परमेश्वर है; आश्चर्य कर्म केवल वही करता है। उसका महिमायुक्त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। आमीन फिर आमीन। - भजन 72:18-19

बाइबल पाठ: इफिसियों 1:1-14
Ephesians 1:1 पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित है, उन पवित्र और मसीह यीशु में विश्वासी लोगों के नाम जो इफिसुस में हैं।
Ephesians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
Ephesians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, कि उसने हमें मसीह में स्‍वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है। 
Ephesians 1:4 जैसा उसने हमें जगत की उत्‍पति से पहिले उस में चुन लिया, कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों। 
Ephesians 1:5 और अपनी इच्छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, 
Ephesians 1:6 कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्‍तुति हो, जिसे उसने हमें उस प्यारे में सेंत मेंत दिया। 
Ephesians 1:7 हम को उस में उसके लोहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है। 
Ephesians 1:8 जिसे उसने सारे ज्ञान और समझ सहित हम पर बहुतायत से किया। 
Ephesians 1:9 कि उसने अपनी इच्छा का भेद उस सुमति के अनुसार हमें बताया जिसे उसने अपने आप में ठान लिया था। 
Ephesians 1:10 कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्‍ध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे। 
Ephesians 1:11 उसी में जिस में हम भी उसी की मनसा से जो अपनी इच्छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है, पहिले से ठहराए जा कर मीरास बने। 
Ephesians 1:12 कि हम जिन्हों ने पहिले से मसीह पर आशा रखी थी, उस की महिमा की स्‍तुति के कारण हों। 
Ephesians 1:13 और उसी में तुम पर भी जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी। 
Ephesians 1:14 वह उसके मोल लिये हुओं के छुटकारे के लिये हमारी मीरास का बयाना है, कि उस की महिमा की स्‍तुति हो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 23-25
  • प्रेरितों 21:18-40


मंगलवार, 18 जुलाई 2017

मेरी रीति


   दो छोटे बालक धागों और डंडियों के साथ एक जटिल खेल को खेल रहे थे। थोड़े समय में जो उनमें से बड़ा था, अपने मित्र की ओर मुड़ कर बोला, "तुम इसे सही रीति से नहीं खेल रहे हो। यह मेरा खेल है और हम इसे मेरी रीति से ही खेलेंगे। अब तुम इसे नहीं खेलोगे।" अपनी रीति से काम करवाने की प्रवृत्ति बालकपन में ही आरंभ हो जाती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल की एक घटना है जहाँ नामान नामक एक व्यक्ति है जिसे अपनी रीति से कार्य करवाने की आदत थी। नामान अराम के राजा का सेनापति था; परन्तु साथ ही उसे कोढ़ भी था। एक दिन नामान की पत्नि की दासी, एक छोटी लड़की ने, जिसे इस्त्राएल से बन्दी बनाकर लाया गया था, परामर्श दिया कि नामान इसत्राएल में रहने वाले परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता एलीशा के पास जाए क्योंकि एलीशा उसे चँगा कर सकता था। नामान अपने रोग को लेकर परेशान था, इसलिए उस लड़की की बात पर विश्वास करके अपने शत्रुओं के इलाके में अपनी चँगाई के लिए जाने को तैयार हो गया; परन्तु उसके अन्दर भावना थी कि भविष्यद्वक्ता बाहर निकलकर बड़े आदर के साथ उसका स्वागत करे और जैसी उसकी आशा थी, उस ही के अनुसार उसे चँगा करे। इसलिए नामान के आने पर जब एलीशा ने उसके पास बाहर आए बिना भीतर से ही सन्देश भिजवा दिया कि नामान जाकर सात बार यरदन नदी में डुबकी लगाकर नहा ले, तो नामान बहुत क्रोधित हुआ और उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया (2 राजा 5:10-12)। लेकिन उसके सेवकों ने उसे समझाया, और जब नामान ने नम्र होकर परमेश्वर द्वारा भेजे गए निर्देश के नुसार किया तब वह तुरंत चँगा हो गया (पद 13-14)।

   संभवतः हम में से प्रत्येक के जीवन में यह अनुभव अवश्य आया होगा जब हमने किसी बात को लेकर परमेश्वर से कहा हो कि "मैं तो यह अपनी रीति से ही करूँगा।" परन्तु परमेश्वर का तरीका ही सबसे अच्छा तरीका होता है। इसलिए प्रार्थना करें कि परमेश्वर हमें ऐसा नम्र मन दे जो स्वेच्छा से हमारी अपनी रीति नहीं वरन परमेश्वर की रीति का पालन करना चाहते हैं। - मेरियन स्ट्राउड


नम्रता का अर्थ है अपने बारे में सही आँकलन करना। - चार्ल्स स्पर्जन

ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को ठीक देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है। - नीतिवचन 14:12 

बाइबल पाठ: 2 राजा 5:1-15
2 Kings 5:1 अराम के राजा का नामान नाम सेनापति अपने स्वामी की दृष्टि में बड़ा और प्रतिष्ठित पुरुष था, क्योंकि यहोवा ने उसके द्वारा अरामियों को विजयी किया था, और यह शूरवीर था, परन्तु कोढ़ी था। 
2 Kings 5:2 अरामी लोग दल बान्ध कर इस्राएल के देश में जा कर वहां से एक छोटी लड़की बन्धुवाई में ले आए थे और वह नामान की पत्नी की सेवा करती थी। 
2 Kings 5:3 उसने अपनी स्वामिन से कहा, जो मेरा स्वामी शोमरोन के भविष्यद्वक्ता के पास होता, तो क्या ही अच्छा होता! क्योंकि वह उसको कोढ़ से चंगा कर देता। 
2 Kings 5:4 तो किसी ने उसके प्रभु के पास जा कर कह दिया, कि इस्राएली लड़की इस प्रकार कहती है। 
2 Kings 5:5 अराम के राजा ने कहा, तू जा, मैं इस्राएल के राजा के पास एक पत्र भेजूंगा; तब वह दस किक्कार चान्दी और छ:हजार टुकड़े सोना, और दस जोड़े कपड़े साथ ले कर रवाना हो गया। 
2 Kings 5:6 और वह इस्राएल के राजा के पास वह पत्र ले गया जिस में यह लिखा था, कि जब यह पत्र तुझे मिले, तब जानना कि मैं ने नामान नाम अपने एक कर्मचारी को तेरे पास इसलिये भेजा है, कि तू उसका कोढ़ दूर कर दे। 
2 Kings 5:7 इस पत्र के पढ़ने पर इस्राएल का राजा अपने वस्त्र फाड़ कर बोला, क्या मैं मारने वाला और जिलाने वाला परमेश्वर हूँ कि उस पुरुष ने मेरे पास किसी को इसलिये भेजा है कि मैं उसका कोढ़ दूर करूं? सोच विचार तो करो, वह मुझ से झगड़े का कारण ढूंढ़ता होगा। 
2 Kings 5:8 यह सुनकर कि इस्राएल के राजा ने अपने वस्त्र फाड़े हैं, परमेश्वर के भक्त एलीशा ने राजा के पास कहला भेजा, तू ने क्यों अपने वस्त्र फाड़े हैं? वह मेरे पास आए, तब जान लेगा, कि इस्राएल में भविष्यद्वक्ता तो है। 
2 Kings 5:9 तब नामान घोड़ों और रथों समेत एलीशा के द्वार पर आकर खड़ा हुआ। 
2 Kings 5:10 तब एलीशा ने एक दूत से उसके पास यह कहला भेजा, कि तू जा कर यरदन में सात बार डुबकी मार, तब तेरा शरीर ज्यों का त्यों हो जाएगा, और तू शुद्ध होगा। 
2 Kings 5:11 परन्तु नामान क्रोधित हो यह कहता हुआ चला गया, कि मैं ने तो सोचा था, कि अवश्य वह मेरे पास बाहर आएगा, और खड़ा हो कर अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर के कोढ़ के स्थान पर अपना हाथ फेर कर कोढ़ को दूर करेगा! 
2 Kings 5:12 क्या दमिश्क की अबाना और पर्पर नदियां इस्राएल के सब जलाशयों से अत्तम नहीं हैं? क्या मैं उन में स्नान कर के शुद्ध नहीं हो सकता हूँ? इसलिये वह जलजलाहट से भरा हुआ लौट कर चला गया। 
2 Kings 5:13 तब उसके सेवक पास आकर कहने लगे, हे हमारे पिता यदि भविष्यद्वक्ता तुझे कोई भारी काम करने की आज्ञा देता, तो क्या तू उसे न करता? फिर जब वह कहता है, कि स्नान कर के शुद्ध हो जा, तो कितना अधिक इसे मानना चाहिये। 
2 Kings 5:14 तब उसने परमेश्वर के भक्त के वचन के अनुसार यरदन को जा कर उस में सात बार डुबकी मारी, और उसका शरीर छोटे लड़के का सा हो गया; उौर वह शुद्ध हो गया। 
2 Kings 5:15 तब वह अपने सब दल बल समेत परमेश्वर के भक्त के यहां लौट आया, और उसके सम्मुख खड़ा हो कर कहने लगा सुन, अब मैं ने जान लिया है, कि समस्त पृथ्वी में इस्राएल को छोड़ और कहीं परमेश्वर नहीं है। इसलिये अब अपने दास की भेंट ग्रहण कर।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 20-22
  • प्रेरितों 21:1-17


सोमवार, 17 जुलाई 2017

सुसमाचार


   मैं चार किशोरों और एक बेघर जवान व्यक्ति के साथ निर्धनों के लिए भोजन उपलब्ध करवाने वाले एक स्थान में बैठा हुआ था, और उस जवान के प्रति उन किशोरों की अनुकंपा को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। पहले वे धैर्य और नम्रता के साथ उस जवान से उसके बारे में और उसकी विश्वास धारणाओं के बारे में सुनते रहे, फिर उन्होंने कोमलता से प्रभु यीशु मसीह में आशा और आनन्द का सुसमाचार उसके सामने प्रस्तुत किया। दुःख की बात है कि उस जवान ने उनकी बात को मानने और प्रभु यीशु पर विश्वास करने से इंकार कर दिया।

   जब हम उस स्थान से जा रहे थे तो एक किशोरी ने आँखों में आँसुओं के साथ कहा कि वह कदापि नहीं चाहती है कि उस व्यक्ति की मृत्यु प्रभु यीशु को जाने बिना हो जाए। अपने हृदय की गहराईयों से वह उस व्यक्ति के लिए दुःखी थी, जिसने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के प्रेम के निमंत्रण को, कम से कम अभी के लिए, ठुकरा दिया था।

   उस किशोरी के आँसुओं से मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख पात्र, प्रेरित पौलुस का ध्यान आया जो प्रभु की सेवकाई बड़ी नम्रता से करता था और अपने जाति-भाई इस्त्राएलियों के लिए उसके हृदय में बहुत दुःख था; उसकी गहरी चाह थी कि उसके समान अन्य इस्त्राएली भी प्रभु यीशु पर विश्वास ले आएं (रोमियों 9:1-5)। अपने इस्त्राएली भाई-बहनों के प्रति पौलुस की चिंता और अनुकंपा, अनेकों बार उसकी आँखों में उनके लिए आँसू लेकर आई होगी।
   
   यदि उनके प्रति, जिन्होंने प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर से मिलने वाली पापों की क्षमा को स्वीकार नहीं किया है, हम वास्तव में चिंता रखते हैं तो उनके साथ सुसमाचार को बाँटने के लिए हम कोई न कोई तरीका ढूँढ़ लेंगे। अपने विश्वास के भरोसे को थामे हुए, अनुकंपा के आँसुओं के साथ, आईये हम सुसमाचार को उनके पास लेकर जाएं जिन्हें जगत के उद्धाकर्ता, प्रभु यीशु मसीह को जानने की आवश्यकता है। - डेव ब्रैनन


सुसमाचार बाँटने का अर्थ है एक व्यक्ति दूसरे तक अच्छा समाचार पहुँचाए।

क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ है। क्योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा। - रोमियों 1:16-17

बाइबल पाठ: रोमियों 9:1-5
Romans 9:1 मैं मसीह में सच कहता हूं, झूठ नहीं बोलता और मेरा विवेक भी पवित्र आत्मा में गवाही देता है। 
Romans 9:2 कि मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। 
Romans 9:3 क्योंकि मैं यहां तक चाहता था, कि अपने भाईयों, के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, आप ही मसीह से शापित हो जाता। 
Romans 9:4 वे इस्त्राएली हैं; और लेपालकपन का हक और महिमा और वाचाएं और व्यवस्था और उपासना और प्रतिज्ञाएं उन्हीं की हैं। 
Romans 9:5 पुरखे भी उन्हीं के हैं, और मसीह भी शरीर के भाव से उन्हीं में से हुआ, जो सब के ऊपर परम परमेश्वर युगानुयुग धन्य है। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 18-19
  • प्रेरितों 20:17-38


रविवार, 16 जुलाई 2017

नाम


   सभी घर-परिवारों में परिवार से संबंधित कुछ विशिष्ट कहानियाँ होती हैं। हमारे परिवार में भी ऐसी ही एक कहानी है, और यह कहानी मेरे नाम से संबंधित है। मेरे माता-पिता के विवाह के आरंभिक समय में उनमें अपने पहले पुत्र के नाम को लेकर असहमति रहती थी। मेरी माँ चाहती थीं कि पुत्र का वही नाम हो जो पिता का है, परन्तु मेरे पिता इससे सहमत नहीं थे। बहुत चर्चा के बाद उन्होंने एक समझौता किया; उनमें इस बात पर सहमति बनी कि यदि पुत्र हुआ और वह पिताजी के जन्मदिन पर पैदा हुआ तो उसका नाम वही होगा जो पिताजी का है। आशचर्यजनक रूप से, मेरा जन्म अपने पिता के जन्मदिन पर ही हुआ, इसलिए मुझे मेरे पिता का नाम दिया गया, और उसके साथ "जूनियर" लगा दिया गया।

   बच्चों को नाम देना तो समय जितना ही प्राचीन है। परमेश्वर के वचन बाइबल में जब प्रभु यीशु के जन्म से पहले यूसुफ अपनी मंगेतर मरियम के गर्भवती होने के समाचार को लेकर परेशान था तो परमेश्वर की ओर से भेजे गए स्वर्गदूत ने उसके असमंजस को दूर किया और आने वाले जगत के उद्धारकर्ता के नाम के बारे में भी निर्देष दिए: "वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा" (मत्ती 1:21)। न केवल उस बालक का नाम यीशु होना था वरन यह नाम उसके संसार में आने के उद्देश्य को भी बताता है - मानव जाति को उसके पाप से बचाने का मार्ग देना। इसीलिए यीशु नाम सब नामों से श्रेष्ठ और सर्वोच्च नाम है।

   हमारे हृदय की अभिलाषा यीशु नाम के प्रति समर्पित होकर इस अद्भुत नाम को अपने जीवनों से आदर देते रहने की होनी चाहिए। - बिल क्राउडर जूनियर


यीशु : उसका नाम और उसका उद्देश्य दोनों एक ही हैं।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। 
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो। 
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “परमेश्वर हमारे साथ”। 
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। 
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 16-17
  • प्रेरितों 20:1-16