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मंगलवार, 30 मार्च 2010

अशुद्ध? शुद्ध हो जाइये

जब मैं मरकुस १:४०-४५ पढ़ता हूँ तो मेरी कलपना में एक सम्भावित दृश्य उभरता है: उस भीड़ ने उस व्यक्ति को अपनी ओर आते देखा। वह उन्हें अपने हाथ हिला हिला कर दूर रहने को सावधान कर रह होगा, उसके मुँह और नाक को ढांपने वाले कपड़े से भीड़ ने उसे पहचाना होगा - वह एक कोढ़ी था, उसके कपड़े फटे थे और खाल गल कर उतर रही थी; वह अशुद्ध था।

कोढ़ी के यीशु के पास भागते हुए आने से लोग यीशु के पास से दूर हट गए, उन्हें डर था कि एक कोढ़ी के छुए जाने से वे भी अशुद्ध हो जाएंगे। उस समय में कोढ़ियों को समाज से और धार्मिक जीवन से बहिष्कर्त करके रखा जाता था। वे अपनी मौत का मातम तक सवयं ही मनाने को बाध्य थे।

परन्तु इस कोढ़ी ने यीशु के पैरों पर गिरकर उससे गिड़गिड़ा कर अपनी चंगाई और समाज में लौटाये जाने के लिये विश्वास से प्रार्थना की, "यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है" (पद ४०)। उसपर तरस खाकर यीशु ने उसे छुआ और कहा, "मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा" (पद ४१)। यीशु ने उसे कोढ़ से चंगा किया और मंदिर के याजक को दिखाने के लिये कहा।

यीशु पाप में फंसे सब बेबस और निराश लोगों को शुद्ध, क्षमा और उन्हें पहले सा बहाल कर सकता है। उसपर विश्वास करें कि जब आप उसे पुकारेंगे तो वह आपसे भी कहेगा "मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा।" - मार्विन विलियम्स


यीशु लोगों को बहाल करने का विशेषज्ञ है।


बाइबल पाठ: मरकुस १:४०-४५


यीशु ने उसपर तरस खाकर हाथ बढ़ाया और उसे छूकर कहा, "मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा।" - मरकुस १:४१


एक साल में बाइबल:
  • न्यायियों ९, १०
  • लूका ५:१७-३९

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