कुमरान प्रथम ईसवीं का एक यहूदी समुदाय था जिसने अपने आप को बाहरी सभी प्रभावों से पृथक कर लिया था जिससे वे भविष्यवाणी करे हुए मसीहा के आगमन के लिए अपने आप को तैयार कर सकें। वे भक्तिमय जीवन व्यतीत करने, अनुष्ठानों और विधि-विधानों का पालन करने तथा कड़ाई से नियमों के अनुसार चलने के द्वारा अपने आप को परमेश्वर की दृष्टि में न्यायसंगत रखने में विश्वास रखते थे। उनसे संबंधित विद्यमान दस्तावेज़ दिखाते हैं कि वे अपनी सभाओं और समुदायों में किसी भी लंगड़े, अन्धे या अपंग व्यक्ति को नहीं आने देते थे, क्योंकि उनका मानना था कि शारिरिक दोष वाला कोई भी व्यक्ति अनुष्ठानात्मक रीति से ’अपवित्र’ है। जब वे आपस में कोई प्रीति-भोज आयोजित करते थे तो उनकी अतिथि सूची में भी कोई विक्लांग व्यक्ति नहीं होता था।
कुमरान के यहूदी लोगों के दिनों में ही इस्त्राएल का वही भविष्यवाणी किया हुआ मसीहा जिसकी वे प्रतीक्षा कर रहे थे - प्रभु यीशु, उस इलाके में कार्यरत था, परमेश्वर पिता के स्वर्गीय राज्य की शिक्षाएं लोगों को दे रहा था, बड़े बड़े आश्चर्यकर्म और चंगाई के कार्य कर रहा था तथा बहुतेरों को उससे राहत तथा शांति मिल रही थी; और एक विचित्र विरोधाभास की बात है कि कुमरान की मान्यताओं के विपरीत प्रभु यीशु लोगों से कह रहा था, "परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला। तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा" (लूका 14:13-14)।
प्रभु यीशु की शिक्षाओं और कुमरान के "आत्मिक विशिष्ट वर्ग" के लोगों की मान्यताओं के बीच का विरोधाभास हमारे लिए शिक्षाप्रद है। हम अकसर बाहरी कर्म-कांडों के द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करने को मान्यता देते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि परमेश्वर बाहरी स्वरूप नहीं वरन मनों को जाँचने वाला और मन के विचारों के अनुसार प्रतिफल देता है। हम अपने समान दिखाई देने तथा विचार-व्यवहार रखने वाले व्यक्तियों के साथ संगति रखना चाहते हैं, अपनी मान्यताओं और विचारधारों के अनुसार लोगों को ऊँचा-नीचा, सही-गलत, भला-बुरा आँकते हैं; लेकिन प्रभु यीशु ने कभी किसी के साथ कोई भेद-भाव नहीं किया।
हम मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु ने अपने समान विचार और व्यवहार रखने को कहा है, उसके समान ही हमारे दिल और दरवाज़े सभी के लिए खुले रहें। - डेनिस फिशर
सभी को साथ लेकर चलने वाला सुसमाचार, अपने आप को विशिष्ट वर्ग का मानने वाले लोगों के द्वारा नहीं फैलाया जा सकता - जॉर्ज स्वीटिंग
जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा। - नीतिवचन 19:17
बाइबल पाठ: लूका 14:7-14
Luke 14:7 जब उसने देखा, कि नेवताहारी लोग क्योंकर मुख्य मुख्य जगहें चुन लेते हैं तो एक दृष्टान्त देकर उन से कहा।
Luke 14:8 जब कोई तुझे ब्याह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो।
Luke 14:9 और जिसने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है: आकर तुझ से कहे, कि इस को जगह दे, और तब तुझे लज्ज़ित हो कर सब से नीची जगह में बैठना पड़े।
Luke 14:10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सब से नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिसने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे कि हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ; तब तेरे साथ बैठने वालों के साम्हने तेरी बड़ाई होगी।
Luke 14:11 और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।।
Luke 14:12 तब उसने अपने नेवता देने वाले से भी कहा, जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए।
Luke 14:13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला।
Luke 14:14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन 12-13
- मत्ती 16