कई
वर्षों तक मेरा अतीत का जीवन और उसकी कमियां तथा बुराइयां, मेरे वर्तमान जीवन पर बहुत प्रभाव डालता रहा। मुझे यही भय रहता था कि क्या
होगा यदि लोगों को मेरे अतीत और बुराइयों के बारे में पता चलेगा? यद्यपि परमेश्वर
ने मेरी सहायता की और मैं साहस कर के इसके विषय चर्चा करने के लिए एक मसीही सेवकाई
की अगुवाई करने वाली महिला को दोपहर के भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित कर सकी। किन्तु
फिर भी मैं उसके सामने अपने आप को बिलकुल ठीक और भली दिखाना चाह रही थी। मैंने
अपने घर की अच्छे से सफाई करके उसे खूब चमका दिया, कोई दाग़-धब्बा नहीं रहने दिया, अच्छा सा भोजन बना लिया,
और अपनी सबसे अच्छी जींस और ब्लाउज़ पहन लिया, और उसकी प्रतीक्षा करने लगी।
तभी
मुझे ध्यान आया कि बाहर लॉन पर पानी छिड़कने का फव्वारा चल रहा है, और मैं उसे बन्द करने के लिए दौड़कर बाहर गई।
उसके बल खाए हुए पाईप को सीधा कर के मैं उसे बन्द करने का प्रयास कर रही थी, कि उसकी नाली मेरी तरफ घूमी और मुझे पानी की
तेज़ धार ने पूरा भिगो दिया। मैं चिल्लाई, अन्दर जाकर तौलिये से अपने बाल सुखाने का प्रयास करने लगी, मेरा मेकप पानी से बहकर मेरे चेहरे को खराब कर
रहा था, और मुझे अपने कपड़े बदल कर सामान्य कपड़े पहनने पड़े। मैं अपने आप को
अभी ठीक कर ही रही थी कि दरवाज़े की घंटी बजी – मेरी मेहमान भोजन के लिए पहुँच गई
थी। मैंने अपनी उस अस्त-व्यस्त हालत में ही उसका स्वागत किया, उसे अन्दर बिठाया, अपनी दशा को समझाया, और उसे
भोजन पर आमंत्रित करने के अपने उद्देश्य को बताया। मेरी उस नई सहेली ने मेरे साथ उसके
अपने अतीत के कारण होने वाली असुरक्षा और भय, और दोष बोध की भावनाओं को बताया। हमने मिलकर प्रार्थना की, और उसने मुझे अपने साथ परमेश्वर की अपूर्ण सेविकाओं
की टीम में सम्मिलित कर लिया।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रेरित पौलुस ने मसीह यीशु में अपने नए जीवन को
स्वीकार करने पर अपने अतीत की बातों को स्वीकार करने से मुँह नहीं मोड़ा, और न ही
अपने अतीत को परमेश्वर की सेवा करने में बाधा बनने दिया (1 तिमुथियुस 1:12-14)।
क्योंकि पौलुस अच्छे से समझता था कि क्रूस पर किए गए प्रभु यीशु के कार्य के
द्वारा वह बचाया गया है, और प्रभु
ने उसे बदल दिया है – सबसे अधम पापी को भी
अपने योग्य बना लिया है – इसलिए उसने परमेश्वर की स्तुति और बड़ाई की तथा औरों को
प्रोत्साहित किया कि वे भी परमेश्वर को आदर दें और उसकी आज्ञाकारिता में रहें (पद
15-17)।
जब
हम परमेश्वर के अनुग्रह और क्षमा को स्वीकार कर लेते हैं, तब हम अपने अतीत से
मुक्त हो जाते हैं। चाहे हम में कमियाँ हों, परन्तु प्रभु परमेश्वर हम से बहुत प्रेम करता है। इसलिए अपने वास्तविक
जीवन को लेकर हमें शर्मिंदा रहने की आवश्यकता नहीं है; हम परमेश्वर द्वारा हमें
दिए गए वरदानों के द्वारा, उसके
द्वारा निर्धारित की गई सेवकाई को निःसंकोच निभा सकते हैं। - सोहचील डिक्सन
हम जैसे भी हैं, परमेश्वर हमें स्वीकार करता है, और अपने लिए उपयोगी बना लेता है।
परन्तु मैं जो कुछ भी हूं, परमेश्वर के अनुग्रह से हूं: और उसका अनुग्रह जो
मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआ परन्तु
मैं ने उन सब से बढ़कर परिश्रम भी किया: तौभी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्वर
के अनुग्रह से जो मुझ पर था। - 1 कुरिन्थियों
15:10
बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 1:12-17
1 तीमुथियुस 1:12 और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिसने
मुझे सामर्थ्य दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उसने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के
लिये ठहराया।
1 तीमुथियुस 1:13 मैं तो पहिले निन्दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्धेर करने वाला था; तौभी
मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास
की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए
थे।
1 तीमुथियुस 1:14 और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम
के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत
से हुआ।
1 तीमुथियुस 1:15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत
में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।
1 तीमुथियुस 1:16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी
सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त
जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के
लिये मैं एक आदर्श बनूं।
1 तीमुथियुस 1:17 अब सनातन राजा अर्थात अविनाशी अनदेखे अद्वैत
परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 62-64
- 1 तिमुथियुस 1