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मंगलवार, 30 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई, पवित्र आत्मा, और बपतिस्मा - 7


पवित्र आत्मा का बपतिस्मा – भाग 3  1 कुरिन्थियों 12:13 से समझना 

पिछले दो लेखों में हमने देखा और समझा है किपवित्र आत्मा से भरनाकोई पृथक या किसी-किसी को ही प्राप्त होने वाला विलक्षण अनुभव नहीं है; और न ही यहपवित्र आत्मा से बपतिस्माके साथ संबंधित है, या उसके समान है। आज हमपवित्र आत्मा का बपतिस्माकहकर गलत शिक्षाओं के फैलाने वालों के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले बाइबल के एक और पद की व्याख्या के द्वारा उनकी गलत शिक्षाओं को देखेंगे और समझेंगे। 

इस संदर्भ में एक और महत्वपूर्ण पद 1 कुरिन्थियों 12:13 “क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गयाको देखिए, उसपर विचार कीजिए, और उसकी बातों पर ध्यान दीजिए:

  • ध्यान दीजिए कि यहाँ पर भी बपतिस्मे के संबंध में प्रयोग किया गया वाक्यांश हैआत्मा के द्वारा”, न किआत्मा का” - जैसा अन्य उदाहरणों में हम पहले देख चुके हैं कि पवित्र आत्मा केवल  माध्यम है, उसका अपना अलग से कोई बपतिस्मा नहीं है। 
  • दूसरी बात, मसीही विश्वासियों की मण्डली में विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए हुए लोगों के प्रभु में विश्वास के द्वारा एक हो जाने के विषय में पवित्र आत्मा की अगुवाई से लिखते हुए पौलुस प्रेरित ने कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को पवित्र आत्मा के द्वारा मिले बपतिस्मे का उद्देश्य समझाया -हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया”! कितना स्पष्ट लिखा गया है कि पवित्र आत्मा से बपतिस्मा सभी मसीही विश्वासियों को एक दूसरे के साथ एकता में ले आने के लिए है; सबको प्रभु में एक देह कर देने के लिए। अब इसके समक्ष कोई भी जन किस आधार पर कह सकता है कि पवित्र आत्मा से बपतिस्मा कुछ ही विश्वासी पा सकते हैं? या यह कि इसकी आवश्यकता अधिक सामर्थी होकर सेवकाई करने, आश्चर्यकर्म करने और चंगाइयाँ देने के लिए है? यहाँ पर तो ऐसा कुछ नहीं लिखवाया गया है; वरन पवित्र आत्मा ने स्वयं लिखवा दिया कि उसमें मिलने वाले बपतिस्मे से लोग एक देह किए जाएंगे, इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा। तो फिर अब इस उद्देश्य और प्रयोजन को छोड़ कर, और ही बातें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाने के साथ जोड़ना क्या वचन में मनुष्यों की बातों, विचारों, और धारणाओं की मिलावट करना नहीं है? क्या ऐसा करना उचित है? क्या सच्चे और समर्पित मसीही विश्वासियों के द्वारा परमेश्वर के वचन के साथ इस प्रकार की हेरा-फेरी स्वीकार की जा सकती है
  • इसी पद की तीसरी बात पर ध्यान कीजिए, लिखा है, “बपतिस्मा लिया; baptized into”; पवित्र आत्मा ने यहाँ परभूत काल’ (past tense) का प्रयोग करवाया है। तात्पर्य यह, कि पवित्र आत्मा से यह बपतिस्मा सभी मसीही विश्वासियों द्वारा (हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र”) पहले लिया जा चुका है; अब उसे दोहराने के लिए या उसे मांगने के लिए किसी प्रयास अथवा प्रार्थना की कोई आवश्यकता नहीं है; ऐसा करना व्यर्थ है। न ही यह सिखाया गया है कि भावी मसीही विश्वासी भी इसकी लालसा रखें और इसके लिए प्रयास करते रहें। 

इस पद के द्वारा भी एक बार फिर उन गलत शिक्षाओं को देने वालों का झूठ और आधार-रहित बातें कहना और सिखाना प्रकट है। वे कहते हैंपवित्र आत्मा का बपतिस्माप्राप्त कर लेने के लिए प्रयास करो जिससे सामर्थी बन कर कार्य कर सको, पवित्र आत्मा से भरे जा सको। जबकि पवित्र आत्मा अपने द्वारा लिखवाए वचन में कहता है बपतिस्मा पवित्र आत्मा से है, पवित्र आत्मा का नहीं है। पवित्र आत्मा से भरने का अर्थ है उद्धार प्राप्त करते ही मसीही विश्वासी में आ कर रहने वाले परमेश्वर पवित्र आत्मा से निरंतर सीखते रहना और उनके प्रति समर्पण तथा आज्ञाकारिता में होकर उनकी सामर्थ्य से कार्य करते रहना। पवित्र आत्मा से बपतिस्मे का उद्देश्य मसीह में विश्वास के द्वारा सभी विश्वासियों को एक देह करना है; उन्हें आश्चर्यकर्म और सामर्थ्य के कार्य करने के लिए सामर्थी बनाना नहीं। पवित्र आत्मा के नाम से गलत शिक्षाएं देने वाले सिखाते हैं कि भविष्य में भी इस बपतिस्मे को प्राप्त करने के प्रयास करना है, जबकि पवित्र आत्मा ने लिखवाया है कि यह बपतिस्मा सभी विश्वासियों को स्वतः ही उनके बिना किसी अतिरिक्त प्रयास या मांगने के पहले ही दे दिया गया है। अब किस की शिक्षा सच्ची, अनन्तकालीन, और विश्वास योग्य है जिसे माना जाए - इन गलतियों से भरे हुए मनुष्यों की, या परमेश्वर पवित्र आत्मा की?

इसी पद में दी गई एक और बात पर ध्यान कीजिए - ऐसी बात जो पवित्र आत्मा से, मसीही विश्वासी में उनके कार्य से सीधे से संबंधित है, किन्तु जिसका कोई उल्लेख, कोई प्रयोग, जिसकी कोई बात ये गलत शिक्षाएं देने वाले नहीं करते हैं। 1 कुरिन्थियों 12:13 के अंतिम वाक्यऔर हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गयापर ध्यान कीजिए। परमेश्वर पवित्र आत्मा के नाम का प्रयोग करते हुए इन गलत शिक्षाएं देने वालों में से क्या आज तक कभी किसी को यह कहते सुना है किहमें पवित्र आत्मा को पीना या पिलाया जाना भी आवश्यक है; इसलिए पवित्र आत्मा को पी लेने की प्यास रखो, या पवित्र आत्मा के लिए अपने जीवन में प्यास विकसित करो?” यदि वेपवित्र आत्मा से बपतिस्मालेने की बात कोपवित्र आत्मा का बपतिस्माबताकर फिर उसे इतना महत्व दे सकते हैं, उससे संबंधित इतने मन-गढ़न्त सिद्धांत बना सकते हैं, इतने बलपूर्वक उनका प्रचार कर सकते हैं, उन मन-गढ़न्त सिद्धांतों को मानने के लिए इतना ज़ोर दे सकते हैं, तो फिर इस वचन के अनुसारपवित्र आत्मा के पी लेनेके विषय क्यों चुप हैं? सच तो यह है कि यह पूरा पद उनकी शिक्षाओं और सिद्धांतों के विरुद्ध जाता है, उनकी झूठी शिक्षाओं की पोल खोलता है, इसलिए वे इस पद को छिपाए रखते हैं; या बस इसके एक वाक्यांशपवित्र आत्मा द्वारा बपतिस्मा लियाभर को लेकर, उसपर अपने ही अर्थ लगा कर, उसका दुरुपयोग अपनी गलत शिक्षाओं और धारणाओं को अनुचित समर्थन देने के लिए करते हैं। 

परमेश्वर ने हम मसीही विश्वासियों को अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा, हमारे उद्धार पाने के साथ ही मसीही जीवन एवं सेवकाई के लिए आवश्यक सामर्थ्य तथा अपने वचन के द्वारा उपयुक्त मार्गदर्शन दे रखा है; अब यह हम पर है कि हम उसका सदुपयोग करें और प्रभु के योग्य गवाह बनें।

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी। 

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यहेजकेल 37-39   

  • 2 पतरस 2

सोमवार, 29 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई, पवित्र आत्मा, और बपतिस्मा - 6


पवित्र आत्मा से भरना या परिपूर्ण होना क्या है? – भाग 2 समझना 

पिछले लेख में हमने वचन के उदाहरणों से तथा इफिसियों 5:18 की व्याख्या द्वारा देखा था किपवित्र आत्मा से भरनाकोई पृथक या किसी-किसी को ही प्राप्त होने वाला विलक्षण अनुभव नहीं है; और न ही यहपवित्र आत्मा से बपतिस्माके साथ संबंधित है, या उसके समान है। क्योंकिपवित्र आत्मा का बपतिस्माकहकर गलत शिक्षाओं के फैलाने वालों नेपवित्र आत्मा से भरनाके संबंध में भी बहुत सी गलत शिक्षाएं फैला रखी हैं, इसलिए आज के लेख में कुछ सामान्य जीवन की बातों और उदाहरणों के द्वारा इसे विस्तार से और ठीक से समझेंगे। 

यदि मसीही विश्वासी पवित्र आत्मा के निर्देशानुसार (गलातियों 5:16, 25) नहीं चलता है, उसकी आज्ञाकारिता के द्वारा उसकी सामर्थ्य को प्रयोग नहीं करता है, तो पवित्र आत्मा उसके जीवन में शोकित, अप्रभावी, तथा निष्फल रहता है (इफिसियों 4:30; 1 थिस्सलुनीकियों 5:19)। इसे इस उदाहरण द्वारा समझिए - आपके घर में बिजली का कनेक्शन और तार लगे हैं और उन तारों में बिजली प्रवाहित भी होती रहती है। किन्तु जब तक आप कोई कार्यशील, एवं बिजली से चलने वाला उपयुक्त उपकरण उसके साथ जोड़कर बिजली को अपना कार्य नहीं करने देते हैं, तब तक उस बिजली की आपके घर में उपस्थिति निष्क्रिय, निष्फल, एवं प्रभाव रहित है। आप जैसा और जितना शक्तिवान उपकरण जोड़ेंगे और बिजली को उस में से प्रवाहित होकर कार्यकारी होने देंगे, उतना ही आप उस विद्यमान बिजली की सामर्थ्य को प्रत्यक्ष देखेंगे, और उसका सदुपयोग करेंगे। उपकरण चाहे छोटा एवं कम शक्ति का हो, अथवा बड़ा एवं अधिक शक्ति का, उसमें प्रवाहित होने वाली बिजली एक ही और समान गुणवत्ता की होगी। उस बिजली की सामर्थ्य का प्रदर्शन तथा उपयोग उस उपकरण द्वारा बिजली का प्रयोग करने की क्षमता पर निर्भर होगा, क्योंकि प्रवाहित होने वाली बिजली तो सारे घर के सभी तारों और उपकरणों में एक ही है।

इसी प्रकार से आप जितना अधिक परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी और समर्पित रहेंगे, जितना उसके वचन के अनुसार चलेंगे, जितना परमेश्वर को और उसके वचन को अपने जीवन में उच्च स्थान और आदर देंगे, उतना अधिक पवित्र आत्मा की सामर्थ्य आप में होकर कार्य करेगी, प्रकट होगी। यदि आपका आत्मिक जीवन कमज़ोर रहेगा, तो आपको अपने जीवन में पवित्र आत्मा की सामर्थ्य भी उतनी ही कम अनुभव होगी तथा दिखाई देगी। यदि आप मात्र औपचारिकता पूरी करने के लिए बाइबल का एक छोटा खंड पढ़ना, और कुछ औपचारिक प्रार्थना दोहराना भर ही कर सकते हैं – और बहुतेरे तो यह भी नहीं करते हैं, तो फिर आप कैसे आशा रख सकते हैं कि आप वचन की अच्छे समझ रखेंगे और के जीवन में पवित्र आत्मा की जीवन्त, प्रभावी, तथा सामर्थी उपस्थिति दिखाई देगी?

परमेश्वर पवित्र आत्मा से परमेश्वर के वचन को सीखने के लिए एक और उदाहरण पर विचार कीजिए। किसी भी स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चों को नियमित स्कूल में जाना होता है, बैठ कर, और ध्यान देकर पढ़ना होता है, ठीक से अपना गृह कार्य करना होता है, परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना पड़ता है, तभी वे ज्ञान और समझ में बढ़ने पाते हैं, और जीवन में कुछ कर पाने के योग्य होने पाते हैं। यह उनके प्रतिदिन कुछ मिनिट तक स्कूल के विभिन्न गलियारों में हो कर घूमने-फिरने और निकलने, और फिर वापस घर भाग आने तथा फिर शेष दिन को अन्य बातों में व्यतीत करने के द्वारा नहीं हो सकता है। इसी प्रकार से आत्मिक पाठशाला में भी उचित समय के लिए एकाग्र मन के साथ सीखने के उद्देश्य और तैयारी के साथ बैठना, वहां पर्याप्त समय बिताना, तथा ध्यान दे कर पवित्र आत्मा की बात को सुनना तथा उनसे सीखना, और जीवन के अनुभवों की परीक्षाओं से हो कर निकलना होता है। तब ही परमेश्वर का वचन सीखा जा सकता है, तथा प्रभु का जीवन और सामर्थ्य व्यक्ति के जीवन में दिखाई देती है।

प्रत्येक वास्तविक नया जन्म पाया हुआ मसीही विश्वासी पवित्र आत्मा का मंदिर है और पवित्र आत्मा मसीही विश्वासी में सदा विद्यमान है, बसा हुआ है (2 तीमुथियुस 1:14)। मसीही विश्वासी जब अपने आत्मिक स्तर एवं परिपक्वता के अनुसार, पवित्र आत्मा की सामर्थ्य और आज्ञाकारिता में होकर परमेश्वर की महिमा एवं कार्य के लिए कुछ ऐसा करने पाता है, जो उसके लिए अपने आप से, या किसी मानवीय सामर्थ्य, अथवा ज्ञान, या अपनी किसी योग्यता से कर पाना संभव नहीं था, तो यही पवित्र आत्मा से भरकर कार्य करना होता है, जैसा कि हम पहले पतरस, यूहन्ना और पौलुस के जीवनों के उदाहरणों से देख चुके हैं।

क्योंकि सामान्यतः सभी मसीही विश्वासी परमेश्वर और उसके वचन के प्रति अपने विश्वास, समर्पण, और आज्ञाकारिता में न तो एक समान स्तर के होते हैं, और न ही सभी उस उच्च-स्तर के होते हैं जितने कुछ विशिष्ट लोग अपने मसीही समर्पण, आज्ञाकारिता, और परिपक्वता के कारण हो जाते हैं, इसलिए ऐसा लगता है कि पवित्र आत्मा से भरकर कार्य करना, अर्थात पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से कुछ अद्भुत या विलक्षण काम करना, केवल कुछ विशिष्ट लोगों के लिए ही संभव है। किन्तु यह लोगों को बहकाए रखने और मसीही सेवकाई में अनुपयोगी एवं निष्फल करने के लिए शैतान द्वारा फैलाई जाने वाले भ्रान्ति है; और इस भ्रान्ति का दुरुपयोगपवित्र आत्मा से भरनेकी आवश्यकता की गलत शिक्षा को सिखाने और प्रचार करने के लिए किया जाता है। मसीही विश्वास, आत्मिकता, और परमेश्वर की आज्ञाकारिता में बढ़िए, और आप भी पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से भरकर कार्य करने वाले हो जाएंगे।

बड़ा ही सामान्य और स्वाभाविक सा उदाहरण है, आप किसी भी दुर्बल और रोगी मनुष्य से वैसा और उतना ही शारीरिक परिश्रम करने की आशा नहीं रखेंगे जो एक स्वस्थ और बलवंत मनुष्य सहजता से कर सकता है। जब तक संसार और सांसारिकता के साथ समझौते का रोग हम मसीही विश्वासियों को आत्मिक रीति से दुर्बल और आत्मिक रीति से अस्वस्थ बनाए रखेगा; जब तक हम संसार के लोगों, मतों और समुदायों या डिनोमेनेशंस की आज्ञाएँ मानने और उन लोगों के लिए काम करते रहने को प्राथमिकता तथा इसके कारण परमेश्वर और उस के वचन की आज्ञाकारिता को अपने जीवनों में उन की बातों से निचले दर्जे का स्थान देते रहेंगे, तथा हम जब तक प्रभु की संगति और उसके वचन के अध्ययन एवं आज्ञाकारिता को एक सर्वोपरि अनिवार्यता के स्थान नहीं देंगे; बल्कि इसे सांसारिकता के कार्यों के पश्चात उपलब्ध समय और सुविधा के अनुसार किया गया कार्य बना कर करते रहेंगे, तब तक हम अपनी आत्माओं को दुर्बल बनाए रखेंगे, तब तक हम भी वह सब कदापि नहीं करने पाएंगे जो एक आत्मिक जीवन में स्वस्थ और सबल व्यक्ति के लिए कर पाना संभव है। और हम भी इस प्रकार की गलत शिक्षाओं को गढ़ने और प्रचार करने वालों के भ्रम द्वारा ठगे जाते रहेंगे, इधर-उधर उछाले जाते रहेंगे (इफिसियों 4:14)

परमेश्वर ने हम मसीही विश्वासियों को अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा, हमारे उद्धार पाने के साथ ही मसीही जीवन एवं सेवकाई के लिए आवश्यक सामर्थ्य तथा अपने वचन के द्वारा उपयुक्त मार्गदर्शन दे रखा है; अब यह हम पर है कि हम उसका सदुपयोग करें और प्रभु के योग्य गवाह बनें।

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी। 

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यहेजकेल 35-36  
  • 2 पतरस 1    

रविवार, 28 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई, पवित्र आत्मा, और बपतिस्मा - 5


पवित्र आत्मा से भरना या परिपूर्ण होना क्या है? – भाग 1 इफिसियों 5:18

सामान्य वार्तालाप एवं उपयोग में वाक्यांशभर जानेयापरिपूर्ण हो जानेके विभिन्न अभिप्राय होते हैं, और इस वाक्यांश के विषय ऐसा ही हम परमेश्वर के वचन बाइबल में भी देखते हैं। इन विभिन्न अभिप्रायों के कुछ उदाहरण हैं:

  • किसी रिक्त स्थान में समा जाना और उसे अपनी उपस्थिति सेभरदेना या परिपूर्ण अथवा ओतप्रोत कर देना। बाइबल में इस अभिप्राय का एक उदाहरण है मरियम द्वारा प्रभु के पाँवों पर इत्र उडेलना, जिसकी सुगंध से घर सुगंधित हो गया (अंग्रेज़ी में filled with the fragrance) अर्थात सुगंध से भर गया। बाइबल से इसी अभिप्राय का एक और उदाहरण है राजा के कहने पर सभी स्थानों से लोगों को लाकर ब्याह के भोज के लिए बैठाना जिससे ब्याह का घर जेवनहारों से भर गया” (मत्ती 22:10) 
  • किसी बात या भावना के वशीभूत होकर कुछ कार्य अथवा व्यवहार करना; जैसे कि 
    • लोगों का प्रभु या उसके शिष्यों के विरुद्ध क्रोध से भर जाना और हानि पहुँचाने का प्रयास करना  (लूका 4:28-29; 6:11; प्रेरितों 5:17; 13:45)
    • आश्चर्यकर्म को देखकर अचरज और भय के वशीभूत हो जाना (लूका 5:26; प्रेरितों 3:10)
    • अत्यधिक आनंदित हो जाना (प्रेरितों 13:52)
  • पवित्र आत्मा को प्राप्त करना (प्रेरितों 9:17)
  • पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से अभूतपूर्व कार्य करना (प्रेरितों 2:4; 4:8, 31; 13:9-11)

इनके अतिरिक्त वाक्यांशभर जानेयापरिपूर्ण हो जानेके और भी प्रयोग बाइबल में दिए गए हैं, जैसा कि सामान्य भाषा में भी अन्य प्रयोग होते हैं। किन्तु, हमारे संदर्भ के विषय के लिए, बाइबल में कहीं पर भी इस वाक्यांश का अर्थ पवित्र आत्मा से बपतिस्मा प्राप्त करना नहीं दिया गया है; न हीभर जानेयापरिपूर्ण हो जानेको पवित्र आत्मा से बपतिस्मा प्राप्त करने के समतुल्य बताया गया है, और न ही ऐसा कोई संकेत भी किया गया है। सामान्यतः बाइबल में वाक्यांशभर जानेयापरिपूर्ण हो जानेका अर्थ और प्रयोग किसी की सामर्थ्य अथवा उपस्थिति के वशीभूत होकर अथवा उससे प्रेरित होकर कुछ अद्भुत या अभूतपूर्व कर पाने के संदर्भ में होता है। पवित्र आत्मा से भर जाना से अभिप्राय है पवित्र आत्मा की सामर्थ्य, उसके नियंत्रण में होकर कार्य करना।

इसके लिए इफिसियों 5:18 “और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओके आधार पर पवित्र आत्मा के विषय गलत शिक्षाओं को बताने और सिखाने वालों के द्वारा दावा किया जाता है कि पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होने या भर जाने की शिक्षा बाइबल में दी गई है। किन्तु यदि हम बहुधा ज़ोर देकर दोहराई जाने वाली पवित्र आत्मा संबंधी गलत शिक्षाओं के प्रभाव से निकल कर इस वाक्य को साधारण समझ से देखें, और वह भी उसके सही सन्दर्भ में, तो यहाँ असमंजस की कोई बात ही नहीं है। इस वाक्य का सीधा सा और स्पष्ट अर्थ है; इस वाक्य में दाखरस द्वारा मनुष्य को नियंत्रित कर लेने वाले प्रभाव को उदाहरण के समान प्रयोग किया गया है। पौलुस ने इस पद में पवित्र आत्मा की प्रेरणा से जो लिखा है उसे समझने के लिए इस प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है, “जिस प्रकार दाखरस सेपरिपूर्णव्यक्ति का मतवालापन, या लुचपन का व्यवहार प्रकट कर देता है कि वह व्यक्ति उसमें भरे हुए दाखरस के प्रभाव तथा नियंत्रण में है, उसी प्रकार मसीही विश्वासी को अपने आत्मा से भरे हुए यापरिपूर्णहोने को अपने आत्मिक व्यवहार के द्वारा प्रदर्शित और व्यक्त करना है कि वह पवित्र आत्मा से भरा हुआ है, उसके नियंत्रण में हैऔर फिर इससे आगे के पद 19 से 21 में वह पवित्र आत्मा सेभरेहुए होने पर किए जाने वाले अपेक्षित व्यवहार की बातें बताता है।

इस वाक्य में एक और बात पर ध्यान कीजिए, पौलुस ने लिखा है, ‘...परिपूर्ण होते जाओयानि कि यह लगातार होती रहने वाली प्रक्रिया है। अर्थात, इसे यदा-कदा किए जाने वाला कार्य मत समझो वरन लगातार पवित्र आत्मा के प्रभाव और नियंत्रण में बने रहो। इस कथन का न तो यह अर्थ है, और न ही हो सकता है, कि तुम्हें पवित्र आत्मा की कुछ मात्रा बारंबार लेते रहना पड़ेगा जब तक कि तुम उस सेभरनहीं जाते हो; और न ही यह अर्थ है कि क्योंकि पवित्र आत्मा व्यक्ति में से रिस कर निकलता रहता है, इस लिए जब भी ऐसा हो जाए तो उसे फिर सेभरलेने के लिए पर्याप्त मात्रा में उसे ले लो। यह तो कभी हो ही नहीं सकता है, क्योंकि जैसा पहले देखा जा चुका है, पवित्र आत्मा परमेश्वर है, पवित्र त्रिएक परमेश्वर का एक व्यक्तित्व, उसे बांटा नहीं जाता है, वह टुकड़ों या किस्तों में नहीं मिलता है, न ही किसी व्यक्ति में उसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है, और वह हर किसी सच्चे मसीही विश्वासी में मात्रा तथा गुणवत्ता में समान ही विद्यमान होता है। क्योंकि यही वचन का सच है तो फिर संभव भी केवल यही है कि व्यक्ति के सच्चे मसीही विश्वास में आते ही जैसे ही पवित्र आत्मा उसे मिला, वह तुरंत ही उससेभर गयायापरिपूर्णभी हो गया। 

इस बात की पुष्टि प्रेरितों 2:3-4 “और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं; और उन में से हर एक पर आ ठहरीं। और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे” से भी हो जाती है - पवित्र आत्मा उन एकत्रित और प्रतीक्षा कर रहे शिष्यों पर उतरा, साथ ही लिखा है कि वे शिष्य पवित्र आत्मा से भर गए - उन शिष्यों द्वारा पवित्र आत्मा को प्राप्त करना ही पवित्र आत्मा से भर जाना था। उन्हें पवित्र आत्मा से भरने के लिए अलग से कोई प्रयास नहीं करना पड़ा; और साथ ही वहाँ जीतने जन उपस्थिति थे, वे सभी एक साथ ही, समान रूप से पवित्र आत्मा से भर गए, कोई कम कोई अधिक नहीं, या कोई भर गया कोई रह गया नहीं। प्रेरितों 1:4, 5, 8 में प्रभु ने स्पष्ट कर दिया था कि पवित्र आत्मा प्राप्त करना ही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा प्राप्त करना है; और यहाँ पर वचन यह स्पष्ट कर देता है कि पवित्र आत्मा का विश्वासी में आना और उसका पवित्र आत्मा से भर जाना एक ही बात है। अर्थात पवित्र आत्मा का विश्वासी में आना ही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा तथा पवित्र आत्मा से भर जाना है। अब जो पवित्र आत्मा अपनी संपूर्णता में उस व्यक्ति में आ गया है, क्योंकि उससे अतिरिक्त, या अधिक, या दोबारा तो किसी को कभी मिल ही नहीं सकता है; पवित्र आत्मा उसमें अपनी संपूर्णता में हमेशा वही, वैसा ही, और उतना ही रहेगा; इसलिए अब तो बस उस व्यक्ति को अपने में विद्यमान पवित्र आत्मा की उपस्थिति को अपने आचरण द्वारा व्यक्त करते रहना है, अपने व्यवहारिक जीवन में पवित्र आत्मा के प्रभाव एवं नियंत्रण को दिखाते रहना है। 

तो इसलिए अब, किसी अन्य की तुलना में, उस व्यक्ति में विद्यमान पवित्र आत्मा के कार्यों और सामर्थ्य के दिखाए जाने में जो भी भिन्नता हो सकती है वह उस व्यक्ति में विद्यमान पवित्र आत्मा कीमात्राके भिन्न होने कारण कदापि नहीं होगी – क्योंकि न तो पवित्र आत्मा की मात्रा और न उसकी गुणवत्ता कभी भी बदल सकती है, और न ही कभी किसी अन्य से भिन्न हो सकती है। किन्तु यह परस्पर भिन्नता केवल उन व्यक्तियों में पवित्र आत्मा के प्रति समर्पण एवं आज्ञाकारिता में बने रहने और इसे अपने व्यवहारिक जीवन में प्रदर्शित करते रहने में भिन्न होने के द्वारा ही हो सकती है। किसी व्यक्ति का यह पवित्र आत्मा के प्रति आज्ञाकारिता एवं समर्पण का व्यवहार एवं आचरण, उस में पवित्र आत्मा कीमात्राका मान अथवा सूचक नहीं है। इस भिन्नता को पवित्र आत्मा की मात्रा के सूचक के रूप में प्रयोग करने या कहने की शिक्षा बाइबल की शिक्षाओं से संगत नहीं है, बल्कि इसका संकेत है कि ऐसी शिक्षाएं देने वाले पवित्र आत्मा के बारे में कितना कम और गलत जानते तथा सिखाते हैं। इस भिन्नता को समझने के बारे में कुछ विस्तार से हम अगले लेख में देखेंगे। 

       यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो यह आपके लिए अनिवार्य है कि आप परमेश्वर पवित्र आत्मा के विषय वचन में दी गई शिक्षाओं को गंभीरता से सीखें, समझें और उनका पालन करें; और सत्य को जान तथा समझ कर ही उचित और उपयुक्त व्यवहार करें, सही शिक्षाओं का प्रचार करें। किसी के भी द्वारा प्रभु, परमेश्वर, पवित्र आत्मा के नाम से प्रचार की गई हर बात को 1 थिस्सलुनीकियों 5:21 तथा प्रेरितों 17:11 के अनुसार जाँच-परख कर, यह स्थापित कर लेने के बाद कि उस शिक्षा का प्रभु यीशु द्वारा सुसमाचारों में प्रचार किया गया है; प्रेरितों के काम में प्रभु के उस प्रचार का निर्वाह किया गया है; और पत्रियों में उस प्रचार तथा कार्य के विषय शिक्षा दी गई है, तब ही उसे स्वीकार करें तथा उसका पालन करें, उसे औरों को सिखाएं या बताएं। आपको अपनी हर बात का हिसाब प्रभु को देना होगा (मत्ती 12:36-37)। जब वचन आपके हाथ में है, वचन को सिखाने के लिए पवित्र आत्मा आपके साथ है, तो फिर बिना जाँचे और परखे गलत शिक्षाओं में फँस जाने, तथा मनुष्यों और उनके समुदायों और उनकी गलत शिक्षाओं को आदर देते रहने के लिए, उन गलत शिक्षाओं में बने रहने के लिए क्या आप प्रभु परमेश्वर को कोई उत्तर दे सकेंगे?

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यहेजकेल 33-34  
  • 1 पतरस 5

शनिवार, 27 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई, पवित्र आत्मा, और बपतिस्मा - 4


बपतिस्मा - पवित्र आत्मा का बपतिस्मा - 2

पिछले लेख में हमने देखा कि वाक्यांशपवित्र आत्मा का बपतिस्माबाइबल में कहीं नहीं दिया गया है, जहाँ भी लिखा है, वहाँ  “पवित्र आत्मा से बपतिस्मालिखा है, और इन छोटे से शब्दों के हेर-फेर से कही गई बात के अर्थ में बहुत अंतर आ जाता है; फिर बाइबल की बात प्रभु की न रहकर मनुष्य की बात बन जाती है। बहुधा, इसपवित्र आत्मा का बपतिस्माके विषय को लेकर लोगों में यह धारणा दी जाती है कि यह बपतिस्मा पाना पवित्र आत्मा पाने से पृथक, एक अतिरिक्त (extra) अनुभव है, जो मसीही विश्वासी को सामान्य से और अधिक सक्षम करता है, उसे परमेश्वर के लिए और अधिक उपयोगी और सामर्थी बनाता है। इसलिए जो प्रभु के लिए उपयोगी होना चाहता है, या आश्चर्यकर्म तथा सामर्थ्य के कार्य करना चाहता है, उसे प्रभु से यह अनुभव प्राप्त करना चाहिए, इसके लिए प्रयास और प्रार्थना करनी चाहिए। जबकि सत्य यह है कि बाइबल में ऐसी कोई शिक्षा कहीं पर भी नहीं दी गई है। ध्यान करें, न तो उन 3000 प्रथम विश्वासियों से, जिन्होंने पतरस के प्रचार पर विश्वास के द्वारा उद्धार पाया यह बात कही गई, और न ही पौलुस, या पतरस, या अन्य किसी प्रेरित अथवा प्रचारक के द्वारा कभी भी कहीं भी अपने विषय में कहा गया कि उस प्रचारक या सेवक ने एक अतिरिक्तपवित्र आत्मा का बपतिस्मापाया था, जिसके फलस्वरूप वह और अधिक सामर्थी होकर प्रभु के लिए उपयोगी हो सका। इन सेवकों के लिए लिखा है कि इन्होंने कुछ विशेष कार्यपवित्र आत्मा से भरकरकिए - किन्तु यह कहीं नहीं लिखा है कि ऐसा उनके द्वारापवित्र आत्मा का बपतिस्मा लेने के कारण हुआ। साथ ही एक ही सेवक के एक से अधिक बार पवित्र आत्मा से भर जाने के लिए भी लिखा है। हम पवित्र आत्मा से भरकर कार्य करने के विषय में आगे के अध्ययन में देखेंगे।    

       प्रेरितों 1:5 का वाक्य, प्रभु द्वारा वहाँ पर पद 4 में कही जा रही बात का ही ज़ारी रखा जाना है, और प्रभु की बात में कोई चकराने वाली बात (confusion) नहीं है। प्रभु ने सीधे और साफ शब्दों में पद 4 की प्रतिज्ञा - उन शिष्यों के द्वारा पवित्र आत्मा को प्राप्त करना, को ही पद 5 में पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाना कहा है, जिसकी पुष्टि फिर पद 8 में प्रभु की बात से हो जाती है। साथ ही पतरस ने भी कुरनेलियुस के घर में जब अन्यजातियों को प्रचार किया, और उन्होंने उद्धार पाया, पवित्र आत्मा उन पर उतरा, तब भी पतरस ने प्रेरितों 1:5 की बात के अनुसार ही उसे भी, अर्थात प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से तुरंत ही पवित्र आत्मा प्राप्त कर लेने को ही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाना कहा (प्रेरितों 11:16) 

       न ही प्रभु ने प्रेरितों 1:5 पर अथवा किसी अन्य स्थान पर शिष्यों से यह कहा किपवित्र आत्मा की सामर्थ्य प्राप्त कर लेने के बाद, फिर और प्रयास तथा प्रार्थना करना कि तुम्हें पवित्र आत्मा से भी बपतिस्मा मिल जाए; उसके लिए यत्न करते रहना, जिससे तुम और भी अधिक सामर्थी होकर सेवकाई कर सको – जबकि ऐसा करना उनकी आने वाली विषय-व्यापी सेवकाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, किन्तु अपनी महान आज्ञा में अथवा कहीं और कभी भी प्रभु ने शिष्यों से इसके विषय कोई बात नहीं कही। अर्थात, उन शिष्यों को पवित्र आत्मा से यह बपतिस्मा या अपनी विश्व-व्यापी सेवकाई के लिए उपयुक्त सामर्थ्य पाने के लिए अपनी ओर से और कुछ भी नहीं करना था; कोई प्रतीक्षा नहीं, कोई प्रयास नहीं, कोई प्रार्थना नहीं, कोई अतिरिक्त बपतिस्मा नहीं। जो होना था वह प्रभु के द्वारा स्वतः ही किया जाना था; यह उनके किसी कार्य के परिणाम स्वरूप नहीं होना था। इस पद में ऐसा कोई संकेत भी नहीं है जिससे यह आभास हो कि पवित्र आत्मा प्राप्त करना और पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाना कोई दो पृथक कार्य अथवा अनुभव हैं, क्योंकि यह स्पष्ट है कि पद 4 और 5 में एक ही बात को दो विभिन्न प्रकार से व्यक्त किया गया है। 

       जैसे हम पहले भी देख चुके हैं, पवित्र आत्मा कोई वस्तु नहीं है जिसे विभाजित करके टुकड़ों में या अंश-अंश करके दिया जा सके। वह ईश्वरीय व्यक्तित्व है, और जब भी, जिसे भी दिया जाता है, उसमें वह अपनी संपूर्णता में ही वास करता है, टुकड़ों में नहीं (यूहन्ना 3:34); और एक बार आने के बाद वह सर्वदा साथ रहता है (यूहन्ना 14:16)। तो यदि प्रेरितों 1:4 की प्रतिज्ञा के अनुसार शिष्यों को पवित्र आत्मा एक बार मिल जाना था, जो फिर उनके साथ सर्वदा बना रहता, तो फिर प्रेरितों 1:5 में कहा गया पवित्र आत्मा का बपतिस्मा यदि कोई अलग अनुभव है, तो फिर अब इस तथाकथितपवित्र आत्मा का बपतिस्माके द्वारा और क्या भिन्न, या अधिक, या अतिरिक्त, दिया जाना शेष है? क्योंकि मसीही विश्वासी को पहले से ही, विश्वास करने पर तुरंत ही, पवित्र आत्मा उसकी संपूर्णता में सर्वदा के लिए दे दिया गया है; तो फिर सेवकाई के लिए और क्या देना रह गया है?

       यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो यह आपके लिए अनिवार्य है कि आप परमेश्वर पवित्र आत्मा के विषय वचन में दी गई शिक्षाओं को गंभीरता से सीखें, समझें और उनका पालन करें; और सत्य को जान तथा समझ कर ही उचित और उपयुक्त व्यवहार करें, सही शिक्षाओं का प्रचार करें। किसी के भी द्वारा प्रभु, परमेश्वर, पवित्र आत्मा के नाम से प्रचार की गई हर बात को 1 थिस्सलुनीकियों 5:21 तथा प्रेरितों 17:11 के अनुसार जाँच-परख कर, यह स्थापित कर लेने के बाद कि उस शिक्षा का प्रभु यीशु द्वारा सुसमाचारों में प्रचार किया गया है; प्रेरितों के काम में प्रभु के उस प्रचार का निर्वाह किया गया है; और पत्रियों में उस प्रचार तथा कार्य के विषय शिक्षा दी गई है, तब ही उसे स्वीकार करें तथा उसका पालन करें, उसे औरों को सिखाएं या बताएं। आपको अपनी हर बात का हिसाब प्रभु को देना होगा (मत्ती 12:36-37)। जब वचन आपके हाथ में है, वचन को सिखाने के लिए पवित्र आत्मा आपके साथ है, तो फिर बिना जाँचे और परखे गलत शिक्षाओं में फँस जाने, तथा मनुष्यों और उनके समुदायों और उनकी गलत शिक्षाओं को आदर देते रहने के लिए, उन गलत शिक्षाओं में बने रहने के लिए क्या आप प्रभु परमेश्वर को कोई उत्तर दे सकेंगे?

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यहेजकेल 30-32  
  • 1 पतरस 4 

शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई, पवित्र आत्मा, और बपतिस्मा - 3


बपतिस्मा - पवित्र आत्मा का बपतिस्मा -

पिछले लेखों में बपतिस्मे शब्द के अर्थ और उससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बाइबल में दी गई शिक्षाओं को उनकी वास्तविकता में देखने के बाद, प्रभु यीशु द्वारा कही गई बात को लेकर दी रहीपवित्र आत्मा का बपतिस्मासे संबंधित गलत शिक्षा और उससे संबंधित बातों को देखते हैं। पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाने को लेकर बहुत सी ऐसी शिक्षाएं और विचार मसीही समाज और विश्वासियों में फैली हुई हैं और फैलाई भी जा रही हैं, जो बाइबल की शिक्षाओं के अनुसार नहीं हैं। ये शिक्षाएं किस प्रकार से शक्कर में लपेटे हुए कड़वे और घातक ज़हर के समान हैं, जो विश्वासियों के विश्वास और सेवकाई की बहुत हानि करते हैं, उन्हें सत्य के मार्ग से भटका कर, गलत धारणाओं और निष्फल कार्यों की ओर ले जाते हैं, इसे हम आगे चलकर देखेंगे प्रभु यीशु ने प्रेरितों 1:4 में जो बात कही, कि पवित्र आत्मा प्राप्त होने तक (पद 8) शिष्य यरूशलेम में यह होने की प्रतीक्षा करते रहें, उसी विचार को आगे बढ़ाते हुए, प्रभु ने अपने शिष्यों कहा क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाओगे” (प्रेरितों 1:5)। प्रभु की कही बात को, वचन में लिखे हुए उनके ही शब्दों के प्रयोग के साथ ध्यान से देखें और विचारें; प्रभु ने शिष्यों से कहा कि थोड़े ही दिनों में वे पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाएंगे (कानहीं; not ‘of’, but ‘with’)। प्रभु यीशु नेपवित्र आत्मा का बपतिस्मापाने की बात नहीं कही, वरनपवित्र आत्मा से बपतिस्मापाने की बात कही।  

पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाना, प्रभु की बात का पूरा होना है; जबकि पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाना, पानी से बपतिस्मे के अतिरिक्त एक अन्य, एक भिन्न बपतिस्मे की बात करना है। अर्थात पानी से एक बपतिस्मे के लिए प्रभु ने कहा है; और इन लोगों की शिक्षा के अनुसार एक दूसरा और भिन्न बपतिस्मा पवित्र आत्मा का होता है, जो हम पहले देख चुके हैं कि वचन के अनुसार सही नहीं है। पूरे नए नियम में कहीं पर भीपवित्र आत्मा का बपतिस्माकहीं प्रयोग नहीं किया गया है। जहाँ भी प्रयोग हुआ है, “पवित्र आत्मा से बपतिस्माप्रयोग हुआ है। एक छोटे से शब्द का अनुचित प्रयोग, बात के सारे अर्थ को बदल देता है; “सेका अर्थ होता है वह माध्यम जो बपतिस्मा देने के लिए प्रयोग होगा - जैसा हम पिछले लेख में मत्ती 3:11 के संदर्भ में देखा था जहाँपानी से”, “पवित्र आत्मा और आग सेबपतिस्मे दिए जाने की बात की गई है। इसकी तुलना में, ‘काकहने का अर्थ किसी के अधिकार या आज्ञा को दिखना होता है, अथवा किसी अन्य से अलग होकर उस दूसरे जन का हो जाना संकेत करता है। इसलिए बपतिस्मे के संदर्भ मेंकासे अर्थ बनता है बपतिस्मा किसके अधिकार या आज्ञा के अनुसार होगा।प्रभु यीशु का बपतिस्माकहने का अर्थ है वह बपतिस्मा जो प्रभु यीशु के कहे के अनुसार या उसकी आज्ञाकारिता के अनुसार दिया गया; जबकिपवित्र आत्मा का बपतिस्माका अर्थ है वह बपतिस्मा जो पवित्र आत्मा के कहे के अनुसार या उसके अधिकार से दिया गया। 

कुछ संबंधित बाइबल के पदों के द्वारासेऔरकाके अर्थ की भिन्नता को समझते हैं:

  • मत्ती 3:11 मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूं, परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। (पानी, पवित्र आत्मा और आगसेअर्थात इन माध्यमों से; और मन फिरावका”; अर्थात मन फिराव की आज्ञा या अधिकार के पालन के अन्तर्गत)
  • मरकुस 1:8 मैं ने तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा दिया है पर वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देगा।
  • लूका 3:16 तो यूहन्ना ने उन सब से उत्तर में कहा: कि मैं तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा देता हूं, परन्तु वह आने वाला है, जो मुझ से शक्तिमान है; मैं तो इस योग्य भी नहीं, कि उसके जूतों का बन्ध खोल सकूं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।
  • यूहन्ना 1:33 और मैं तो उसे पहचानता नहीं था, परन्तु जिसने मुझे जल से बपतिस्मा देने को भेजा, उसी ने मुझ से कहा, कि जिस पर तू आत्मा को उतरते और ठहरते देखे; वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देनेवाला है।
  • प्रेरितों के काम 11:16 तब मुझे प्रभु का वह वचन स्मरण आया; जो उसने कहा; कि यूहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया, परन्तु तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।
  • प्रेरितों के काम 18:25 उसने प्रभु के मार्ग की शिक्षा पाई थी, और मन लगाकर यीशु के विषय में ठीक ठीक सुनाता, और सिखाता था, परन्तु वह केवल यूहन्ना के बपतिस्मा की बात जानता था। (यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की आज्ञा या अधिकार के अन्तर्गत दिया गया बपतिस्मा)
  • 1 कुरिन्थियों 1:12 मेरा कहना यह है, कि तुम में से कोई तो अपने आप को पौलुस का, कोई अपुल्लोस का, कोई कैफा का, कोई मसीह का कहता है। (इन विभिन्न उल्लेखित लोगों में से एक के अधिकार या आज्ञाकारिता में रहने वाला)
  • 1 कुरिन्थियों 10:2 और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपतिस्मा लिया। (मूसा की आज्ञाकारिता या अधिकार के अन्तर्गत लिया गया बपतिस्मा)
  • रोमियों 6:3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया (प्रभु यीशु की आज्ञाकारिता या अधिकार के अन्तर्गत लिया गया बपतिस्मा)

    ध्यान कीजिए कि हर स्थान पर वाक्यांशपवित्र आत्मा से बपतिस्माका प्रयोग किया गया है, अर्थात, पानी के समान ही पवित्र आत्मा वह माध्यम होगा जिसके द्वारा बपतिस्मा मिलेगा, यानि कि जिसमें डुबोया जाएगाजबकि वचन में कहीं पर भीपवित्र आत्मा का बपतिस्मावाक्यांश प्रयोग नहीं हुआ है। हम देख चुके हैं कि परमेश्वर पवित्र आत्मा केवल वही बताता, स्मरण करवाता, और सिखाता है जो प्रभु यीशु बता और सिखा चुका है; वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहता या करता है (यूहन्ना 16:13, 14)। इसलिएपवित्र आत्मा का बपतिस्माकहना, प्रभु यीशु द्वारा बताई गई पवित्र आत्मा की सेवकाई में विरोधाभास (contradiction) उत्पन्न करना होगा। और परमेश्वर पवित्र आत्मा अपनी ओर से या अपने अधिकार से कुछ भी नया कभी नहीं करेगा, नहीं सिखाएगा, नहीं बताएगा। 

यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो यह आपके लिए अनिवार्य है कि आप परमेश्वर पवित्र आत्मा के विषय वचन में दी गई शिक्षाओं को गंभीरता से सीखें, समझें और उनका पालन करें; और सत्य को जान तथा समझ कर ही उचित और उपयुक्त व्यवहार करें, सही शिक्षाओं का प्रचार करें। किसी के भी द्वारा प्रभु, परमेश्वर, पवित्र आत्मा के नाम से प्रचार की गई हर बात को 1 थिस्सलुनीकियों 5:21 तथा प्रेरितों 17:11 के अनुसार जाँच-परख कर, यह स्थापित कर लेने के बाद कि उस शिक्षा का प्रभु यीशु द्वारा सुसमाचारों में प्रचार किया गया है; प्रेरितों के काम में प्रभु के उस प्रचार का निर्वाह किया गया है; और पत्रियों में उस प्रचार तथा कार्य के विषय शिक्षा दी गई है, तब ही उसे स्वीकार करें तथा उसका पालन करें, उसे औरों को सिखाएं या बताएं। आपको अपनी हर बात का हिसाब प्रभु को देना होगा (मत्ती 12:36-37)। जब वचन आपके हाथ में है, वचन को सिखाने के लिए पवित्र आत्मा आपके साथ है, तो फिर बिना जाँचे और परखे गलत शिक्षाओं में फँस जाने, तथा मनुष्यों और उनके समुदायों और उनकी गलत शिक्षाओं को आदर देते रहने के लिए, उन गलत शिक्षाओं में बने रहने के लिए क्या आप प्रभु परमेश्वर को कोई उत्तर दे सकेंगे?

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यहेजकेल 30-32  
  • 1 पतरस

गुरुवार, 25 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई, पवित्र आत्मा, और बपतिस्मा - 2


बपतिस्मा - अर्थ तथा संबंधित बातें - 2  

       पिछले लेख में हमने बपतिस्मे के अर्थ और उससे संबंधित बातों को देखना आरंभ किया था। परमेश्वर पवित्र आत्मा से संबंधित गलत शिक्षाओं का प्रचार और प्रसार करने वाले, मसीही सेवकाई में उपयोगी एवं प्रभावी होने के लिएपवित्र आत्मा का बपतिस्मापाने पर भी बहुत बल देते हैं। इसी संदर्भ में हमने देखा था किबपतिस्माशब्द का अर्थ क्या है तथा बाइबल की शिक्षाओं के अनुसार बपतिस्मा केवल एक ही है, पानी से दिया गया डूब का बपतिस्मा। यह देखने से पहले कि फिर यहपवित्र आत्मा का बपतिस्माक्या है जिसके विषय बाइबल के आधार पर इतनी बातें की जाती हैं हम बपतिस्मे से संबंधित दो और बातें आज स्पष्ट कर लेते हैं, जो आगे चलकर इस विषय को समझने में हमारी सहायक होंगी। 

आग और पानी का बपतिस्मा:

            मत्ती 3:11 में यूहन्ना द्वारा कही गई बातवह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगाको लेकर भी गलत शिक्षाएं और व्याख्या दी जाती है कि पवित्र आत्मा का बपतिस्मा, आग का बपतिस्मा है। किन्तु वाक्य स्पष्ट है; यूहन्ना यह नहीं कह रहा है किवह तुम्हें पवित्र आत्मा अर्थात आग से बपतिस्मा देगा”; वरन उसने कहा कि वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा” - यानि कि प्रभु के पास दो वस्तुओं से दिए जाने वाले बपतिस्मे हैं - एक तो पवित्र आत्मा से दूसरा आग से। किन्तु जिन्होंने प्रभु यीशु को स्वीकार कर लिया, उस पर विश्वास कर लिया, अर्थात उद्धार पा लिया, उन्हें स्वतः ही, विश्वास करते ही तुरंत पवित्र आत्मा मिल जाएगा, अर्थात पवित्र आत्मा से बपतिस्मा मिल जाएगा। जिन्होंने प्रभु को स्वीकार नहीं किया, उद्धार नहीं पाया, फिर वे अनन्त कल के लिए नरक की आग की झील में डुबोए जाएंगे - उनके लिए फिर प्रभु के पास आग से बपतिस्मा अर्थात कभी न बुझने वाली आग की झील में डाल दिया जाना है (प्रकाशितवाक्य 19:20; 20:10, 14-15)। तो हर एक व्यक्ति को प्रभु के हाथों एक न एक बपतिस्मा, अर्थात एक न एक में डाला जाना मिलेगा - या तो पवित्र आत्मा से; अन्यथा आग से साथ ही एक अन्य पद पर भी ध्यान कीजिए: प्रेरितों 2:3 में लिखा है, “और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं; और उन में से हर एक पर आ ठहरीं”; किन्तु इस घटना - आग की जीभों का आकर प्रभु के शिष्यों पर ठहर जाना और फिर उन्हें पवित्र आत्मा की सामर्थ्य प्राप्त, को न तो यहाँ पर और न ही कभी कहीं अन्य किसी स्थान परपवित्र आत्मा की आग से बपतिस्माकहा गया। जब कि यदि पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाना और आग से बपतिस्मा पाना एक ही होते, तो यह सबसे उपयुक्त अवसर एवं घटना होती इस बात को दिखाने और प्रमाणित करने के लिए; क्योंकि पवित्र आत्मा आग के समान उन लोगों के ऊपर आकर ठहरा था और फिर वे सब लोग पवित्र आत्मा से भर गए थे। किन्तु वचन में इस घटना को यह दिखाने के लिए प्रयोग नहीं किया गया है।

क्या उद्धार के लिए बपतिस्मा आवश्यक है?

उद्धार किसी भी कर्म से नहीं है (इफिसियों 2:5, 8-9), बपतिस्मे से भी नहीं। क्रूस पर पश्चाताप करने वाला डाकू ने कौन सा बपतिस्मा लिया, किन्तु वह स्वर्ग गया। अनेकों लोग जीवन के अंतिम पलों में उद्धार पाते हैं, या विश्वास करने के बाद बपतिस्मा नहीं लेने पाते हैं, क्या वे इसलिए नाश हो जाएंगे क्योंकि पश्चाताप और विश्वास तो किया किन्तु एक रस्म पूरी नहीं की? इस वास्तविकता की बारीकी को समझना आवश्यक है कि उद्धार बपतिस्मे से नहीं है; वरन उद्धार पाए हुओं के लिए बपतिस्मा है। जैसा कि मत्ती 28:19-20 में प्रभु द्वारा दिए गए क्रम से प्रकट है - पहले शिष्य बनाओ; जो शिष्य बने फिर उसे बपतिस्मा दो और उसे प्रभु की बातें सिखाओ। प्रभु द्वारा दिए गए इसी क्रम का निर्वाह प्रेरितों 2 अध्याय में, पतरस के पहले प्रचार में भी हुआ है, पहले लोगों ने पापों का अंगीकार और पश्चाताप किया, और फिर जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया और उसे उद्धारकर्ता ग्रहण किया, उन्हें बपतिस्मा दिया गया; और यही क्रम सारे नए नियम में दोहराया गया है। इससे यह भी स्पष्ट है कि बपतिस्मा बच्चों या शिशुओं के लिए नहीं है, केवल उनके लिए है जिन्होंने प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता स्वीकार किया और उसके शिष्य हो गए हैं। 

यहाँ पर अकसर प्रेरितों 2:38 का गलत प्रयोग यह कहकर किया जाता है कि इस पद में लिखा हैतुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा लेअर्थात पापों की क्षमा बपतिस्मे के द्वारा है। किन्तु यह इस वाक्य की गलत समझ है; यहाँ यह अर्थ नहीं है कि पापों की क्षमा प्राप्त करने के लिए बपतिस्मा ले - अन्यथा क्रूस पर पश्चाताप करने वाले डाकू को पापों के क्षमा नहीं मिली। वरन प्रेरितों 2:38 के इस वाक्य का सही अर्थ है किअपने पापों की क्षमा प्राप्त कर लेने की बपतिस्मे के द्वारा साक्षी दो। इस वाक्य में लिखे गए शब्दों के क्रम के कारण इसका अर्थ भिन्न प्रतीत होता है, किन्तु है नहीं। इसे एक उदाहरण से समझते हैं; डॉक्टर बहुधा सफेद कोट पहने और साथ में स्टेथोस्कोप रखते हैं। मान लीजिए डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर लेने के पश्चात, उन्हें डॉक्टरी की डिग्री देते समय यदि उनसे, प्रेरितों 2:38 के उपरोक्त वाक्य के समान एक वाक्य द्वारा यह कहा जाए, “तुम में से हर एक अपने प्रशिक्षण के लिए सफेद कोट और स्टेथोस्कोप लेतो क्या इसका यह अर्थ है कि सफेद कोट और स्टेथोस्कोप रखने से वे डॉक्टर हो जाएंगे; या यह कि अब जब तुम डॉक्टर हो गए हो, डॉक्टरी का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है, तो उसका प्रत्यक्ष चिह्न, सफेद कोट और स्टेथोस्कोप साथ रखो? उस गलत शिक्षा और धारणा से बाहर निकाल कर जब व्यावहारिक जीवन की सामान्य सोच एवं अर्थ के साथ उस वाक्य को देखते हैं तो उसका वह अर्थ प्रकट हो जाता है जो लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व पतरस द्वारा इस वाक्य को कहे जाने पर लोगों ने समझा था। उद्धार बपतिस्मे से नहीं है; द्धार पाए हुओं के लिए बपतिस्मा है। प्रेरितों 2:38 को और विस्तार से देखने तथा समझने के लिए आप इन लिंक्स का भी प्रयोग कर सकते हैं:

अँग्रेज़ी में: (https://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-baptism-acts-2-38.html)

हिन्दी में: (https://www.gotquestions.org/baptism-Acts-2-38.html)

 

यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो यह आपके लिए अनिवार्य है कि आप परमेश्वर पवित्र आत्मा के विषय वचन में दी गई शिक्षाओं को गंभीरता से सीखें, समझें और उनका पालन करें; और सत्य को जान तथा समझ कर ही उचित और उपयुक्त व्यवहार करें, सही शिक्षाओं का प्रचार करें। किसी के भी द्वारा प्रभु, परमेश्वर, पवित्र आत्मा के नाम से प्रचार की गई हर बात को 1 थिस्सलुनीकियों 5:21 तथा प्रेरितों 17:11 के अनुसार जाँच-परख कर, यह स्थापित कर लेने के बाद कि उस शिक्षा का प्रभु यीशु द्वारा सुसमाचारों में प्रचार किया गया है; प्रेरितों के काम में प्रभु के उस प्रचार का निर्वाह किया गया है; और पत्रियों में उस प्रचार तथा कार्य के विषय शिक्षा दी गई है, तब ही उसे स्वीकार करें तथा उसका पालन करें, उसे औरों को सिखाएं या बताएं। आपको अपनी हर बात का हिसाब प्रभु को देना होगा (मत्ती 12:36-37)। जब वचन आपके हाथ में है, वचन को सिखाने के लिए पवित्र आत्मा आपके साथ है, तो फिर बिना जाँचे और परखे गलत शिक्षाओं में फँस जाने, तथा मनुष्यों और उनके समुदायों और उनकी गलत शिक्षाओं को आदर देते रहने के लिए, उन गलत शिक्षाओं में बने रहने के लिए क्या आप प्रभु परमेश्वर को कोई उत्तर दे सकेंगे?

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यहेजकेल 24-26  
  • 1 पतरस 2