ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 26 मई 2020

परवाह



     बचपन में मैं जब भी अपने आप को अकेला, या तिरस्कृत, या खेदित अनुभव करता था, तो मेरी माँ मुझे उभारने और प्रसन्न करने के लिए एक छोटा सा गीत गाने लगती थीं, “मुझे कोई नहीं चाहता है; सब मुझ से घृणा करते हैं; मुझे लगता है कि मुझे अब कीड़े ही खाने होंगे।” जब यह सुन कर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आती तो वह मेरे साथ बैठतीं और मुझे उन सभी संबंधों और कृतज्ञ होने के कारणों को समझातीं जो वास्तव में मेरे साथ थे।

     जब मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में पढ़ता हूँ कि दाऊद को भी कुछ ऐसी ही अकेलेपन और उपेक्षा की भावनाओं का सामना करना पड़ा था, तो मुझे अपनी माँ का वही गीत स्मरण हो आता है। लेकिन मेरी भावनाओं के समान, दाऊद की वे दुखदायी भावनाएँ कोई बढ़ा-चढ़ा कर कही गई बात नहीं थीं। मैं तो मेरी उस आयु में सामान्यतः सभी को होने वाली भावनाएँ अनुभव करता था, किन्तु दाऊद के पास अकेला और उपेक्षित अनुभव करने के उचित और पर्याप्त कारण थे।

     दाऊद ने वे शब्द एक गुफा में लिखे थे, जहाँ वह शाउल से अपनी जान बचाने के लिए  छुपा हुआ था, क्योंकि शाउल दाऊद की जान लेना चाहता था (1 शमूएल 22:1; 24:3-10)। दाऊद ने शाउल की सेवा में कई वर्ष बिताए थे, और उसे पर्म्केश्वर की ओर से इस्राएल का भावी राजा अभिषेक किया जा चुका था (16:13), परन्तु अब उस का जीवन एक से दूसरे स्थान अपनी जान बचाने के लिए भागते हुए बीत रहा था। अपने उस अकेलेपन और जोखिम की स्थिति में दाऊद ने परमेश्वर को पुकारा, उसे अपना “शरणस्थान” और जीवन का भाग कहा (भजन 142:5)।

     दाऊद के समान हम भी, जब भी अकेला, उपेक्षित, और बेसहारा अनुभव करें, तो अपनी भावनाओं को परमेश्वर के सम्मुख व्यक्त कर सकते हैं, और उस के प्रेम में शरणस्थान पा सकते हैं। परमेश्वर हमारे अकेलेपन को कभी कम नहीं आंकता है। वह हमारे जीवन की गहरी अंधेरी गुफाओं में हमारा साथी बन कर रहना चाहता है। चाहे हमें लगे कि किसी को हमारी परवाह नहीं है, परन्तु परमेश्वर हमेशा हमारी परवाह करता है। - कर्स्टिन होल्म्बर्ग

हमारे जीवन के अकेलेपन के समयों में भी परमेश्वर सदा हमारे साथ है।

तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा; जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा। - यहोशू 1:5

बाइबल पाठ: भजन 142
भजन संहिता 142:1 मैं यहोवा की दोहाई देता, मैं यहोवा से गिड़गिड़ाता हूं,
भजन संहिता 142:2 मैं अपने शोक की बातें उस से खोल कर कहता, मैं अपना संकट उस के आगे प्रगट करता हूं।
भजन संहिता 142:3 जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो रही थी, तब तू मेरी दशा को जानता था! जिस रास्ते से मैं जाने वाला था, उसी में उन्होंने मेरे लिये फन्दा लगाया।
भजन संहिता 142:4 मैं ने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता है। मेरे लिये शरण कहीं नहीं रही, न मुझ को कोई पूछता है।
भजन संहिता 142:5 हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; मैं ने कहा, तू मेरा शरणस्थान है, मेरे जीते जी तू मेरा भाग है।
भजन संहिता 142:6 मेरी चिल्लाहट को ध्यान देकर सुन, क्योंकि मेरी बड़ी दुर्दशा हो गई है! जो मेरे पीछे पड़े हैं, उन से मुझे बचा ले; क्योंकि वे मुझ से अधिक सामर्थी हैं।
भजन संहिता 142:7 मुझ को बन्दीगृह से निकाल कि मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूं! धर्मी लोग मेरे चारों ओर आएंगे; क्योंकि तू मेरा उपकार करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 28-29
  • यूहन्ना 9:24-41