कई दशक पहले घटी हाई-स्कूल के दिनों की एक घटना ने मुझे निराश करके झकझोर दिया था। उन दिनों मेरे लिए खेल-कूद बहुत महत्वपूर्ण होते थे, और मैंने बास्केटबॉल को अपने सबसे मनपसन्द खेल के रूप में चुना था तथा इस खेल के अभ्यास में सैंकड़ों घंटे लगा दिए थे; परिणामस्वरूप मैं अपने स्कूल के दिनों से ही स्कूल की बास्केटबॉल टीम का एक सदस्य रहा था, परन्तु कॉलेज में दाखिला लेने के बाद मुझे कॉलेज की टीम में स्थान नहीं मिला, जो मेरे लिए बहुत निराशाजनक था और जिससे मैं टूट गया।
निराशा में उलझे हुए मन के साथ मैं आगे बढ़ता रहा, चाहे मैं कॉलेज की टीम में खेल नहीं सकता था लेकिन मैं टीम के लिए हिसाब-किताब रखने वाला बन गया। मैं टीम के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में जाता, मेरे किस साथी या मित्र ने कितने अंक अर्जित किए, कैसा खेल खेला आदि आँकड़ों को अर्जित करता रहता। सच कहूँ तो मैंने कभी इस बात पर ध्यान भी नहीं दिया कि मैं जिनके बारे में आँकड़े एकत्रित कर रहा हूँ वे मेरे बारे में क्या सोचते हैं; मैं बस अपनी निराशा और उलझन में पड़ा हुआ, खेल से संबंधित जैसे तैसे जो बन पड़ा सो करता रहा। इसलिए मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब मेरे अनेक सहपाठियों ने मेरे भाई से कहा कि वे मेरे व्यवहार में एक मसीही चरित्र, प्रभु यीशु मसीह का चित्रण देखते थे।
जो बात मैं कहना चाह रहा हूँ वह यह नहीं है कि अपनी निराशाओं में आप को भी मेरे समान ही करना चाहिए, वरन मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना चाह रहा हूँ कि हम लोगों की नज़रों में निरंतर रहते हैं। हम चाहे इस बात का एहसास रखें या ना रखें, परन्तु यह यथार्त है कि लोग हमें देख रहे हैं, हमारा आँकलन कर रहे हैं, हमारे बारे में अपनी राय बना रहे हैं।
प्रेरित पौलुस ने तीतुस को लिखी अपनी पत्री में उसे उस जीवन-शैली के बारे में सचेत किया जो प्रभु हमारे जीवनों में देखना चाहता है - एक ऐसा जीवन जो आदर, आज्ञाकारिता और अनुकंपा का जीवन हो, उन गुणों से भरा जीवन हो जो प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास, पापों की क्षमा और परमेश्वर के पवित्र-आत्मा द्वारा स्वच्छ किए जाने से आते हैं (तीतुस 3:1-8)। जब हम प्रभु यीशु की आधीनता और आज्ञाकारिता में तथा परमेश्वर के पवित्र-आत्मा के मार्गदर्शन में होकर जीवन बिताते हैं तो परमेश्वर अपनी उपस्थिति की वास्तविकता को हम में होकर दूसरों पर प्रकट करता है। - डेव ब्रैनन
चाहे वह प्रचार के लिए मुँह से एक शब्द भी ना बोले, परन्तु प्रत्येक मसीही विश्वासी की जीवन-शैली एक जीता-जागता उपदेश होता है।
सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो। - 2 कुरिन्थियों 5:20
बाइबल पाठ: तीतुस 3:1-8
Titus 3:1 लोगों को सुधि दिला, कि हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्छे काम के लिये तैयार रहें।
Titus 3:2 किसी को बदनाम न करें; झगडालू न हों: पर कोमल स्वभाव के हों, और सब मनुष्यों के साथ बड़ी नम्रता के साथ रहें।
Titus 3:3 क्योंकि हम भी पहिले, निर्बुद्धि, और आज्ञा न मानने वाले, और भ्रम में पड़े हुए, और रंग रंग के अभिलाषाओं और सुखविलास के दासत्व में थे, और बैरभाव, और डाह करने में जीवन निर्वाह करते थे, और घृणित थे, और एक दूसरे से बैर रखते थे।
Titus 3:4 पर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा, और मनुष्यों पर उसकी प्रीति प्रगट हुई।
Titus 3:5 तो उसने हमारा उद्धार किया: और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार, नए जन्म के स्नान, और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ।
Titus 3:6 जिसे उसने हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला।
Titus 3:7 जिस से हम उसके अनुग्रह से धर्मी ठहरकर, अनन्त जीवन की आशा के अनुसार वारिस बनें।
Titus 3:8 यह बात सच है, और मैं चाहता हूं, कि तू इन बातों के विषय में दृढ़ता से बोले इसलिये कि जिन्हों ने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले-भले कामों में लगे रहने का ध्यान रखें: ये बातें भली, और मनुष्यों के लाभ की हैं।
एक साल में बाइबल:
- गिनती 31-33
- मरकुस 9:1-29