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बुधवार, 11 मार्च 2015

सदा धन्यवादी


   मेरी बेटी को मूँगफली से एलर्जी है। मूँगफली के प्रति उसके शरीर की संवेदनशीलता इतनी अधिक है कि मूँगफली का एक छोटा सा टुकड़ा भी उसकी जान के लिए खतरा हो जाता है। इस कारण हम किसी भी खाद्य-वस्तु को खरीदने से पहले उसमें विद्यमान वस्तुओं के बारे में बड़ी बारीकी से जाँच-पड़ताल करते हैं; हम यदि कहीं बाहर कुछ खाने जाते हैं तो पहले से ही फोन द्वारा वहाँ उपलब्ध खाने की वस्तुओं की जानकारी ले लेते हैं और सदा ही अपने साथ एलर्जी होने की स्थिति में जान बचाने के लिए तुरंत लगाए जाने वाले इंजेक्शैन से भरी एक सिरिंज लेकर चलते हैं। इन सारी सावधानियों के बावजूद मैं फिर भी अपनी बेटी के वर्तमान तथा भविष्य की सुरक्षा के बारे में चिंतित रहती हूँ।

   ऐसी अनिश्चित और खतरनाक स्थिति के लिए धन्यवादी होना कोई स्वाभाविक प्रतिक्रीया नहीं है; लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल मुझे चुनौती देती है: "हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है" (1 थिस्सलुनीकियों 5:18)। हम मसीही विश्वासियों के लिए बाइबल के इस निर्देश से बच निकलने का कोई मार्ग नहीं है। परमेश्वर चाहता है कि चाहे भविष्य अनिश्चित ही हो, चाहे दुख अत्याधिक हों, चाहे कमी-घटी से होकर निकल रहे हों, हम जो प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा परमेश्वर की सन्तान हो गए हैं, हम सभी परिस्थितियों में सदा ही परमेश्वर के प्रति धन्यवादी बने रहें।

   कठिनाईयों के समयों में धन्यवादी होना कठिन होता है, लेकिन असंभव नहीं है, जैसा बाइबल के अनेक नायकों के जीवन से हम देखते हैं। जब दानिय्येल भविष्यद्वक्ता का जीवन खतरे में था उसने तब भी परमेश्वर का धन्यवाद किया: "जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा" (दानिय्येल 6:10)। योना नबी ने जल-जन्तु के पेट में पड़े होने पर भी धन्यवाद के साथ परमेश्वर को पुकारा: "परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद कर के तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है" (योना 2:9)। ये और उनके जैसे कई और परमेश्वर के लोग ऐसा इसलिए कर सके क्योंकि परमेश्वर ने अपने लोगों से हर परिस्थिति के द्वारा सदैव ही उनकी भलाई करते रहने की प्रतिज्ञा की है (रोमियों 8:28)।

   बाइबल में लिखे इन लोगों के जीवन परमेश्वर की इस प्रतिज्ञा की सच्चाई का प्रमाण तथा आज हमारे लिए परमेश्वर के प्रति सदा धन्यवादी बने रहने के प्रेरक हैं। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


हम प्रत्येक परिस्थिति में परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं क्योंकि वह हमें कभी अकेला नहीं छोड़ता।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28 

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 5:12-22
1 Thessalonians 5:12 और हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो। 
1 Thessalonians 5:13 और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो। 
1 Thessalonians 5:14 और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि जो ठीक चाल नहीं चलते, उन को समझाओ, कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ। 
1 Thessalonians 5:15 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्‍पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्‍टा करो। 
1 Thessalonians 5:16 सदा आनन्‍दित रहो। 
1 Thessalonians 5:17 निरन्‍तर प्रार्थना में लगे रहो। 
1 Thessalonians 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है। 
1 Thessalonians 5:19 आत्मा को न बुझाओ। 
1 Thessalonians 5:20 भविष्यद्वाणियों को तुच्‍छ न जानो। 
1 Thessalonians 5:21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो। 
1 Thessalonians 5:22 सब प्रकार की बुराई से बचे रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 14-16
  • मरकुस 12:28-44