मैंने एक रोचक वीडियो देखा - एक पिल्ला, डेज़ी, सीढ़ी के ऊपरी छोर पर खड़ा है, भयभीत है और सीढ़ियों से नीचे नहीं आ पा रही है। नीचे बहुत से लोग खड़े उसे बुला रहे हैं, प्रोत्साहित कर रहे हैं किंतु वह नीचे नहीं उतरना समझ नहीं पा रही है। वह चाह तो रही है कि नीचे की ओर आए किंतु उसका भय उसे यह करने नहीं दे रहा है। फिर एक बड़ा कुत्ता, साइमन, डेज़ी की सहायता के लिए आता है। साइमन भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ डेज़ी के पास आता है और फिर वापस नीचे की ओर जाता है, डेज़ी को दिखाता है कि ऐसा करना कितना सरल है। डेज़ी अभी भी भयभीत है और नहीं कर पा रही है; साइमन फिर से उसके पास आता है और अबकी बार और धीरे से उसे उतर कर दिखाता है, डेज़ी को प्रोत्साहित करता है, किंतु डेज़ी अभी भी हिचकिचा रही है। साइमन फिर से उसके पास जाता है और डेज़ी को नीचे उतरने का तरीका करके दिखाता है। अन्ततः डेज़ी की हिम्मत बंधती है, वह हिम्मत करके अपने पिछले पैरों को अगले पैरों के साथ मिला कर निचली सीढ़ी पर आ जाती है, साइमन उसके साथ ही बना रहता है, फिर ऐसे ही प्रयास करते हुए डेज़ी सीढ़ियाँ उतरना सीख लेती है; और सभी आनन्दित होते हैं।
शिष्यता सिखाने का यह एक बहुत सुन्दर वीडियो था। हम अपना बहुत सा समय दूसरों को ऊपर चढ़ना सिखाने में बिता देते हैं, लेकिन अधिक आवश्यक और अधिक कठिन है दूसरों को सिखाना कि नम्र होकर कैसे अपने आप को नीचा किया जाए। बाइबल में सभी स्थानों पर हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अपने लोगों से नम्रता का स्वभाव चाहा है, अनेक स्थानों पर परमेश्वर ने स्वयं अपने आप को नीचा कर के नम्रता का यह पाठ पढ़ाया है (निर्गमन 3:7-8; 19:10-12; मीका 1:3)। और जब जब परमेश्वर के लोग नम्र हुए हैं, परमेश्वर ने उनके अपराधों को क्षमा किया और उनके दण्ड को टाल दिया (2 इतिहास 12:7)।
परमेश्वर के वचन बाइबल मात्र में ही हम पाते हैं कि कैसे परमेश्वर ने, प्रभु यीशु के रूप में, अपने ही उदाहराण द्वारा, हमें नम्र होना, सहनशील तथा धैर्यवान होना, दुशमनों तथा विरोधियों के प्रति भी क्षमाशील होना और अपने आप को दूसरों के हित के लिए बलिदान कर देना स्वयं अपने जीवन में करके दिखाया तथा सिखाया है। क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने आप को सबसे अधिक दीन और नम्र कर लिया, इसीलिए उसे सृष्टि में सबसे अधिक महिमामय और गौर्वपूर्ण स्थान भी मिला है; अन्ततः उसी के सामने सृष्टि का हर घुटना झुकेगा और और प्रत्येक जीभ उसकी प्रभुता का अंगीकार करेगी (फिलिप्पियों 2:10-11)। - जूली ऐकैरमैन लिंक
जब तक कोई नम्र होना नहीं सीख लेता, वह अन्य कुछ भी नहीं सीख सकता।
जब यहोवा ने देखा कि वे दीन हुए हैं, तब यहोवा का यह वचन शमायाह के पास पहुंचा कि वे दीन हो गए हैं, मैं उन को नष्ट न करूंगा; मैं उनका कुछ बचाव करूंगा, और मेरी जलजलाहट शीशक के द्वारा यरूशलेम पर न भड़केगी। - 2 इतिहास 12:7
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे।
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
एक साल में बाइबल:
- 2 शमूएल 23-24
- लूका 19:1-27