ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

महत्वहीन

 

          वीडियो में दिखाया जा रहा था कि एक आदमी व्यस्त सड़कर के किनारे लगी हुई बेकाबू आग के पास घुटनों पर बैठा हुआ अपने हाथों से ताली बजा रहा था, उन्हें फैला कर किसी को उसके पास आने के लिए आग्रह कर रहा था। वह किसे इतनी लालसा से बुला रहा था? क्या उसका पालतू कुत्ता वहाँ फँस गया था? कुछ ही पल में देखा गया कि एक खरगोश फुदकता हुआ उसके पास, उसकी गोदी में आ गया, और वह आदमी उसे लेकर तेज़ी से सुरक्षा की ओर भाग गया। एक इतने छोटे से महत्वहीन जन्तु का बचाया जाना, राष्ट्रीय समाचारों का विषय कैसे बन गया? – इसीलिए तो बन गया! छोटों और महत्वहीनों की सहायता किए जाने में कुछ दिल को छू लेने वाली बात होती है। छोटों और महत्वहीनों की सहायता करने के लिए एक बहुत बड़ा दिल चाहिए होता है।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु मसीह ने कहा कि परमेश्वर का राज्य उस मनुष्य के समान है जिसने एक बहुत बड़ा भोज आयोजित किया, और जो भी उसमें आना चाहे उसे आने का अवसर दिया। न केवल उन्हें, जो समाज में स्थान और प्रभाव रखते थे, वरन उन्हें भी जो कंगाल, टुंडे. लंगड़े, और अंधे थे (लूका 14:21)। मैं परमेश्वर का बहुत धन्यवादी हूँ कि वह दुर्बलों और महत्वहीनों पर ध्यान करता है, अन्यथा मुझे तो उसके पास आने का कोई अवसर ही नहीं होता। प्रेरित पौलुस ने लिखा, परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्जित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्जित करे। और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के सामने घमण्ड  न करने पाए” (1 कुरिन्थियों 1:27-29)।

          मुझ जैसे महत्वहीन व्यक्ति का ध्यान करने और उद्धार करने के लिए परमेश्वर का दिल कितना बड़ा होगा! इसकी प्रतिक्रिया में, क्या मेरा हृदय बड़ा हुआ है? मैं सरलता से इसके विषय बता सकता हूँ, यह दिखाने के द्वारा कि मैं समाज के महत्वपूर्ण लोगों को प्रसन्न करने के प्रयास में रहता हूँ, या, अपने उद्धारकर्ता और प्रभु यीशु के समान उन लोगों की सेवा और ध्यान करना चाहता हूँ जो समाज में उपेक्षित और तुच्छ समझे जाते हैं? – माइक व्हिटमर

 

हे प्रभु, आपके शिष्य होने के नाते हम सभी को आपके दृष्टिकोण से देखें, 

न कि उनके सामाजिक स्तर के अनुसार।


परन्तु तुम में ऐसा न होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने। - मत्ती 20:26-27

बाइबल पाठ: लूका 14:15-23

लूका 14:15 उसके साथ भोजन करने वालों में से एक ने ये बातें सुनकर उस से कहा, धन्य है वह, जो परमेश्वर के राज्य में रोटी खाएगा।

लूका 14:16 उसने उस से कहा; किसी मनुष्य ने बड़ी जेवनार की और बहुतों को बुलाया।

लूका 14:17 जब भोजन तैयार हो गया, तो उसने अपने दास के हाथ आमन्त्रित लोगों को कहला भेजा, कि आओ; अब भोजन तैयार है।

लूका 14:18 पर वे सब के सब क्षमा मांगने लगे, पहिले ने उस से कहा, मैं ने खेत मोल लिया है; और अवश्य है कि उसे देखूं: मैं तुझ से बिनती करता हूं, मुझे क्षमा करा दे।

लूका 14:19 दूसरे ने कहा, मैं ने पांच जोड़े बैल मोल लिये हैं: और उन्हें परखने जाता हूं: मैं तुझ से बिनती करता हूं, मुझे क्षमा करा दे।

लूका 14:20 एक और ने कहा; मैं ने ब्याह किया है, इसलिये मैं नहीं आ सकता।

लूका 14:21 उस दास ने आकर अपने स्वामी को ये बातें कह सुनाईं, तब घर के स्वामी ने क्रोध में आकर अपने दास से कहा, नगर के बाजारों और गलियों में तुरन्त जा कर कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को यहां ले आओ।

लूका 14:22 दास ने फिर कहा; हे स्वामी, जैसे तू ने कहा था, वैसे ही किया गया है; फिर भी जगह है।

लूका 14:23 स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जा कर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 19-20
  • लूका 18:1-23