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शुक्रवार, 12 मार्च 2021

निर्देश

 

          मुझे पहले ही देर हो चुकी थी; परन्तु मेरे सामने सड़क पर रखी संकेत पट्टिका पर लिखा था “देरी हो जाने की संभावना है” और वहाँ से आगे गाड़ियां धीरे चल रही थीं; मैंने खिसिया कर प्रतिक्रिया दी, अरे! क्या यह कोई मज़ाक हो रहा है? लेकिन मुझे फिर हँसी आ गई। मेरी अपेक्षा थी कि सभी कार्य मेरी आदर्श समय-सारणी के अनुसार होते रहेंगे; मैंने यह बात सोची ही नहीं थी कि मेरे मार्ग में कही सड़क की मरम्मत होने की आवश्यकता होगी, जिससे यातायात फिर धीमा हो जाएगा, और समय अधिक लगेगा।

          यदि इसी बात को आत्मिक स्तर पर देखा जाए, हम में से बहुत कम ऐसे होते हैं जो अपने जीवन में किसी ऐसी समस्या की संभावना रखते हुए योजनाएँ बनाते हैं, जिन के कारण हमें धीमा होना या मार्ग बदलना या रुकना पड़ सकता है। किन्तु फिर भी जब मैं पीछे मुड़कर जीवन को देखता हूँ, तो अनेकों बार ऐसा हुआ है कि परिस्थितियों ने मुझे किसी भिन्न मार्ग पर चलने की ओर पुनः निर्देशित किया है; आगे बढ़ने में देरी उत्पन्न की है।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में राजा सुलैमान ने मेरे समान कभी “देरी हो जाने की संभावना है” वाली संकेत पट्टिका का सामना नहीं किया। किन्तु नीतिवचन 16 अध्याय में वह हमारी अपनी योजनाओं की तुलना परमेश्वर के मार्गदर्शन के साथ करता है। इस अध्याय के पहले पद को हम अपने शब्दों में कुछ इस प्रकार से भी कह सकते हैं, “नश्वर मनुष्य बहुत बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाते हैं; परन्तु अंतिम निर्णय परमेश्वर ही का होता है।” इसी विचार को सुलैमान ने फिर से पद 9 में इस प्रकार व्यक्त किया, जिसे हम अपने ही शब्दों में यूँ कह सकते हैं, “हम अपने मार्ग निर्धारित करते हैं ... परन्तु प्रभु  ही हमारे कदमों को सही दिशा देता है।” अर्थात, आगे क्या होना है, इसके विषय हमारे अपने विचार तो हो सकते हैं, परन्तु संभव है कि परमेश्वर की योजना कुछ और हो।

          इस आत्मिक सत्य को हम कैसे नजरंदाज कर देते हैं? हम अपनी योजनाएँ बनाने लगते हैं, और परमेश्वर से उसकी योजनाओं के बारे में पूछना भूल जाते हैं। और फिर जब मेरी योजनाओं और मार्गों में बाधाएँ आती हैं, विलम्ब होते हैं, तब हम खिसियाते हैं, परेशान होते हैं।

          परन्तु चिंता करने के स्थान पर हम, जैसा सुलैमान ने सिखाया है, परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखें, विश्वास रखें कि वह कदम-कदम करके हमारा मार्गदर्शन करेगा। हमें प्रार्थना पूर्वक उसके खोजी बने रहने, उसके उत्तर की प्रतीक्षा करते रहने, और उसके मार्गदर्शन की बाट जोहनी है। हमारी भलाई के लिए वही हमें सही मार्ग पर सही रीति से, अपने समय और योजनाओं के अनुसार लिए चलेगा। - एडम होल्ज़

 

चिंता के स्थान पर भरोसे को अपना लें; परमेश्वर आपका मार्गदर्शन करता रहेगा।


तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन 3:5-6

बाइबल पाठ: नीतिवचन 16:1-9

नीतिवचन 16:1 मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुंह से कहना यहोवा की ओर से होता है।

नीतिवचन 16:2 मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में पवित्र ठहरता है, परन्तु यहोवा मन को तौलता है।

नीतिवचन 16:3 अपने कामों को यहोवा पर डाल दे, इस से तेरी कल्पनाएं सिद्ध होंगी।

नीतिवचन 16:4 यहोवा ने सब वस्तुएं विशेष उद्देश्य के लिये बनाईं हैं, वरन दुष्ट को भी विपत्ति भोगने के लिये बनाया है।

नीतिवचन 16:5 सब मन के घमण्डियों से यहोवा घृणा करता है; मैं दृढ़ता से कहता हूं, ऐसे लोग निर्दोष न ठहरेंगे।

नीतिवचन 16:6 अधर्म का प्रायश्चित कृपा और सच्चाई से होता है; और यहोवा के भय मानने के द्वारा मनुष्य बुराई करने से बच जाते हैं।

नीतिवचन 16:7 जब किसी का चाल चलन यहोवा को भावता है, तब वह उसके शत्रुओं का भी उस से मेल कराता है।

नीतिवचन 16:8 अन्याय के बड़े लाभ से, न्याय से थोड़ा ही प्राप्त करना उत्तम है।

नीतिवचन 16:9 मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • व्यवस्थाविवरण 17-19
  • मरकुस 13:1-20