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शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

वास्तविक चिंता


   परिवारों के लिए आयोजित एक शिविर की पहली रात को शिविर के निर्देशक ने उपस्थित सभी परिवारों को उस पूरे सप्ताह का कार्यक्रम बताया और अपनी बात समाप्त करते हुए पूछा कि किसी को कुछ और कहना या जानना है? एक युवा लड़की ने खड़े होकर सबसे सहायता के लिए भावुक निवेदन किया। उसने अपने छोटे भाई के बारे में बताया, जिसे कुछ शारीरिक कमज़ोरियाँ थीं जिनके कारण उसकी देखभाल करना एक चुनौती भरा कार्य था, और यह कार्य उसके परिवार के लिए कठिन तथा थका देने वाला हो जाता था; इसलिए उसका सबसे निवेदन था कि वे उसके भाई पर नज़र बनाए रखें जिससे उसकी देखभाल ठीक से करी जा सके। उसका यह निवेदन अपने माता-पिता तथा अपने भाई के लिए उसकी वास्तविक चिंता के कारण था। जैसे जैसे शिविर में वह सप्ताह बीतता गया, लोगों द्वारा उस परिवार को लगातार दी जा रही सहायता देखना बहुत उत्साहवर्धक था।

   उस युवती का निवेदन हमें यह स्मरण दिलाता है कि कैसे अपने ही संसार, जीवन और समस्याओं में उलझ कर हम दूसरों के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं और उनकी समस्याओं के प्रति ध्यान देने से चूक जाते हैं। लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में हम मसीही विश्वासियों को यह ज़िम्मेदारी दी गई है कि जैसे हमारा प्रभु हमारी चिंता करता है वैसे ही हम भी दूसरों की सहायता के लिए जागरूक रहें: "हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो" (फिलिप्पियों 2:4-5)।

   हमारे प्रभु यीशु मसीह की हमारे प्रति चिंता और देखभाल हमें दुखी लोगों की चिंता और देखभाल करने को प्रेरित करती है। परमेश्वर पिता के अनुग्रह में हमें मिलने वाला विश्राम और उस पर हमारा विश्वास दूसरों के दुख के समयों में उनके प्रति वास्तविक चिंता तथा उनकी देखभाल करने में प्रकट होता है। - बिल क्राउडर


दूसरों की वास्तविक देखभाल तथा चिंता करने जितना महंगा और कुछ नहीं है; सिवाए देखभाल और चिंता ना करने के।

प्रभु यीशु ने कहा: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।" - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-5
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 14-15
  • याकूब 2