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मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

स्वीकार्य

 

         कई वर्षों तक अपनी पढ़ाई में संघर्ष करते रहने के पश्चात एंजी को अन्ततः उसके उच्च-स्तरीय प्राथमिक विद्यालय से निकाल कर एक अन्य “सामान्य” विद्यालय में डाला गया। सिंगापुर के अत्यन्त स्पर्धात्मक शिक्षा के माहौल में, जहाँ किसी अच्छे स्कूल में होने से भविष्य की संभावनाएं बेहतर हो जाती हैं, बहुतों को ऐसा होना असफलता का चिह्न प्रतीत होगा। एंजी के माता-पिता निराश हुए, और स्वयं एंजी को भी लगा कि उसका स्तर नीचा कर दिया गया है। परन्तु अपने नए स्कूल में जाने के कुछ ही समय के बाद, नौ वर्षीय एंजी को समझ में आया कि “सामान्य” विद्यार्थियों की कक्षा में होने का क्या अभिप्राय है। उसने अपनी मम्मी से कहा “मम्मी, यही मेरे लिए उपयुक्त है, मैं सही स्थान पर हूँ, क्योंकि यहाँ मुझे स्वीकार किया जाता है।”

         इस घटना से मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में ज़क्कई की घटना का स्मरण हो आया। ज़क्कई कितना उत्साहित हुआ था जब प्रभु यीशु ने अपने आप को उस चुंगी लेने वाले के घर में आमंत्रित किया (लूका 19:5)। प्रभु उनके साथ भोजन करने का इच्छुक था जो जानते थे कि उनमें कमियाँ हैं और वो परमेश्वर के अनुग्रह के योग्य नहीं हैं (पद 10)। प्रभु हमें खोजता हुआ आया, और हमें खोजने, और हम जैसे भी थे उसी हाल में हम से प्रेम करने के साथ ही, प्रभु यीशु ने हमें प्रतिज्ञा दी है कि उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान के कारण हम भी सिद्ध बन जाएँगे। हम उनके अनुग्रह ही से सिद्ध बन सकते हैं।

         मैंने बहुधा अपने आत्मिक जीवन-यात्रा को एक निरंतर संघर्ष की यात्रा पाया है, यह जानते हुए कि मेरा जीवन परमेश्वर के आदर्श से बहुत कम है। परन्तु यह कितना शान्तिदायक है कि हमारे अन्दर निवास करने वाला परमेश्वर पवित्र आत्मा हमें हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के स्वरूप में ढालता चला जा रहा है और हम सदा ही प्रभु यीशु मसीह में होकर परमेश्वर को स्वीकार्य रहते हैं। - लेसली कोह

 

हम चाहे सिद्ध न हों, किन्तु हम सदा स्वीकार्य हैं।


परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - 2 कुरिन्थियों 3:18

बाइबल पाठ: लूका 19:1-10

लूका 19:1 वह यरीहो में प्रवेश कर के जा रहा था।

लूका 19:2 और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था।

लूका 19:3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था।

लूका 19:4 तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था।

लूका 19:5 जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उस से कहा; हे ज़क्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है।

लूका 19:6 वह तुरन्त उतर कर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया।

लूका 19:7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है।

लूका 19:8 ज़क्कई ने खड़े हो कर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय कर के ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं।

लूका 19:9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है।

लूका 19:10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यशायाह 59-61
  • 2 थिस्सलुनीकियों 2