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शुक्रवार, 29 मार्च 2019

परीक्षाएँ और कठिनाईयाँ



      पिछली शरद ऋतु में मैं कोलराडो में एक प्राकृतिक संग्रहालय (Natural History Museum) गई थी, वहाँ मुझे सफ़ेद पीपल (Aspen) वृक्ष के बारे में कुछ अनूठी बातें पता चलीं। पतले सफ़ेद तनों वाले इस वृक्ष का संपूर्ण झुरमुट एक ही बीज से उत्पन्न हो सकता है, जिनकी धरती के नीचे फ़ैली हुई सभी जड़ें आपस में जुड़ी हुई होती हैं। ये जड़ें धरती के अन्दर हज़ारों वर्षों तक बनी रह सकती हैं, चाहे उन से पेड़ न भी उत्पन्न हों। वे बस धरती के अन्दर ‘सोई’ हुई रहती हैं, जब तक कि छाया देने वाले जंगल में आग, बाढ़ या भू-स्खलन के द्वारा उनके ऊपर की भूमि साफ़ नहीं हो जाती है। किसी प्राकृतिक आपदा के द्वारा जंगल की सफाई हो जाने के बाद, सफ़ेद पीपल की जड़ें किसी प्रकार से उन पर चमकते हुए सूरज को पहचान लेती हैं और उन जड़ों से अंकुर निकल कर ऊपर उठते हैं और सफ़ेद पीपल के वृक्ष बन जाते हैं।

      सफ़ेद पीपल के इन वृक्षों के लिए नयी बढ़ोतरी किसी प्राकृतिक आपदा से हुए विनाश के द्वारा संभव हो जाती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में लिखा कि मसीही विश्वास में हमारी बढ़ोतरी भी कठिनाईयों और परीक्षाओं द्वारा संभव होने पाती है। याकूब कहता है, “हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे” (याकूब 1:2-4)।

      परीक्षाओं में आनन्दित होना कठिन होता है, परन्तु हम इस तथ्य से आशावान हो सकते हैं कि परमेश्वर हमारी परिस्थितियों का उपयोग हमें परिपक्वता तक ले जाने के लिए करता है। उन सफ़ेद पीपल के वृक्षों के समान, हमारा विश्वास परीक्षाओं के उन समयों में बढ़ सकता है जब कठिनाईयाँ हमारे हृदय से जंगल को हटाकर परमेश्वर की ज्योति को हमें स्पर्श करवा देती हैं। - एमी पीटर्सन


परीक्षाएं और कठिनाईयाँ हमें मसीह के और भी निकट ला सकती हैं।

मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं। - भजन 119:71

बाइबल पाठ: याकूब 1:1-12
James 1:1 परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर हो कर रहते हैं नमस्‍कार पहुंचे।
James 1:2 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो
James 1:3 तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है।
James 1:4 पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।
James 1:5 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी।
James 1:6 पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे; क्योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
James 1:7 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।
James 1:8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।
James 1:9 दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्‍ड करे।
James 1:10 और धनवान अपनी नीच दशा पर: क्योंकि वह घास के फूल के समान जाता रहेगा।
James 1:11 क्योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।
James 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।

एक साल में बाइबल:  
  • न्यायियों 7-8
  • लूका 5:1-16