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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

सिद्ध



      मुझे प्रभु यीशु द्वारा दी गई शिक्षाओं में परमेश्वर के सिद्ध आदर्शों और परमेश्वर के सिद्ध अनुग्रह में विरोधाभास प्रतीत होता था। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु ने कभी परमेश्वर के आदर्शों के स्तर को कम नहीं किया। प्रभु ने अपने शिष्यों से कहा, “इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता सिद्ध है” (मत्ती 5:48)। उन्होंने व्यवस्था में सबसे बड़ी आज्ञा के विषय पूछने वाले व्यवस्थापक से कहा “उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख” (मत्ती 22:37)। प्रभु परमेश्वर की इन आज्ञाओं को कोई भी कभी भी पूर्णतः नहीं निभाने पाया है।

      किन्तु यही प्रभु यीशु बड़ी कोमलता से सँसार के सभी लोगों को अपना अनुग्रह प्रदान करता है। उन्होंने व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री को, क्रूस पर उनके साथ चढ़ाए गए और पश्चाताप करने वाले एक डाकू को, अपने उस शिष्य को भी जिसने उनका तीन बार इन्कार किया था, शाऊल (पौलुस) को जो कि मसीही विश्वासियों को सताने के लिए जाना जाता था, अपने अनुग्रह में क्षमा किया। प्रभु का अनुग्रह सिद्ध है, सभी के लिए उनके सभी पापों के लिए है, उनके लिए भी जिन्होंने प्रभु को क्रूस पर ठोका था, “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं” (लूका 23:34)।

      वर्षों तक मैं प्रभु के सिद्ध आदर्शों के समक्ष, अपने आप को प्रभु के सर्वथा अयोग्य समझता था; मैंने प्रभु के सिद्ध अनुग्रह पर कभी विचार ही नहीं किया था। एक बार जब मैंने इस दोहरी सिद्धता के सन्देश को समझ लिया, तो मैंने प्रभु यीशु के जीवन और शिक्षाओं का पुनरवलोकन करने पर पाया कि उनके अनुग्रह का सन्देश उनके संपूर्ण जीवन और शिक्षाओं में विद्यमान है।

      प्रभु यीशु का यह सिद्ध अनुग्रह सँसार के उस प्रत्येक आशाहीन, ज़रूरतमंद, टूटे हुए व्यक्ति के लिए जो अपने आप से पाप पर विजयी होने में असमर्थ होना स्वीकार करता है, और सहायता के लिए प्रभु की ओर हाथ बढ़ाता है, उन्हें अपना हाथ थमा देता है, सदा उपलब्ध है।

      प्रभु का सिद्ध अनुग्रह हम सभी के लिए उपलब्ध है। - फिलिप येन्सी


प्रभु यीशु ने व्यवस्था की सिद्ध अनिवार्यताओं को पूरा कर दिया, 
जिससे हम उसके अनुग्रह की सिद्ध शान्ति का आनन्द ले सकें।

क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। - इफिसियों 2:8-9

बाइबल पाठ: मत्ती 5:43-48; यूहन्ना 8:9-11
Matthew 5:43 तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।
Matthew 5:44 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।
Matthew 5:45 जिस से तुम अपने स्‍वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।
Matthew 5:46 क्योंकि यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों ही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिये क्या फल होगा? क्या महसूल लेने वाले भी ऐसा ही नहीं करते?
Matthew 5:47 और यदि तुम केवल अपने भाइयों ही को नमस्‍कार करो, तो कौन सा बड़ा काम करते हो? क्या अन्यजाति भी ऐसा नहीं करते?
Matthew 5:48 इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता सिद्ध है।

John 8:9 परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से ले कर छोटों तक एक एक कर के निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई।
John 8:10 यीशु ने सीधे हो कर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी।
John 8:11 उसने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 4-6
  • मरकुस 4:1-20