एरिक जानता था कि वह एक बुरी लत से संघर्ष कर रहा है। उसके मित्रों और परिवार जनों ने उसे प्रेरित किया कि वह उस लत को छोड़ सके; एरिक ने भी माना कि उस लत को छोड़ना ही उसके स्वास्थ्य और संबंधों के लिए भला होगा, परन्तु वह अपने आप को उस लत के सामने असहाय अनुभव कर रहा था। जब और लोग उसे बताते कि कैसे उन्होंने अपनी लत को छोड़ा, तो वह उत्तर देता, "मैं आपके लिए प्रसन्न हूँ, पर स्वयं इस लत को छोड़ नहीं पा रहा हूँ! काश कि मैं कभी इसे आरंभ करने के प्रलोभन में पड़ा ही ना होता। मैं तो चाहता हूँ कि परमेश्वर इस लत की इच्छा को मेरे अन्दर से अभी, तुरंत हटा दे।"
तुरंत ही किसी व्यसन से छुटकारा पाना कुछ ही लोगों के लिए संभव होने पाता है, अधिकांश को प्रतिदिन के संघर्ष का सामना करना पड़ता है। चाहे हम यह समझ नहीं पाएं कि लत हमसे दूर क्यों नहीं हो जाती, परन्तु हम जिस भी स्थिति में हों, परमेश्वर की ओर मुड़ सकते हैं, उसकी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। शायद यही हमारे संघर्ष का सबसे महत्वपूर्ण भाग है - अपने व्यर्थ प्रयासों के स्थान पर पूर्णतया परमेश्वर पर विश्वास करके उसके मार्गों और विधियों पर भरोसा करना, उन्हें स्वीकार करना, उनका पालन करना, पूर्णतया परमेश्वर पर निर्भर होना सीखना।
हमारे समान ही हमारे और जगत के उद्धारकर्ता की भी परीक्षा हुई थी: "और जंगल में चालीस दिन तक शैतान ने उस की परीक्षा की; और वह वन पशुओं के साथ रहा; और स्वर्गदूत उस की सेवा करते रहे" (मरकुस 1:13), इसलिए वह हमारी भावनाओं को भली-भांति समझता है, हमारे साथ सहानुभूति रखता है, "क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला। इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों 4:15-16)। वह हमारी सहायता के लिए और लोगों को, जैसे कि इस कार्य के लिए प्रशिक्षित लोग, तथा अन्य सहायकों का भी प्रयोग करता है, जिससे कि आअवश्यकतानुसार हमारी सहायता और सहारे के लिए लोग उपलब्ध हों।
आज हम चाहे जिस संघर्ष का सामना कर रहे हों, हम यह जानते हैं कि हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम हमारी कल्पना से भी कहीं अधिक बढ़कर है, और परमेश्वर हमारे प्रति विश्वासयोग्य बना रहता है, हमारी सहायता के लिए जो कुछ आवश्यक है वह करता है। - ऐनी सेटास
हमारी परीक्षा इसलिए नहीं होती है क्योंकि हम बुरे हैं;
हमारी परीक्षा इसलिए होती है क्योंकि हम मनुष्य हैं।
तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको। - 1 कुरिन्थियों 10:13
बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:9-16
Hebrews 4:9 सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है।
Hebrews 4:10 क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा कर के विश्राम किया है।
Hebrews 4:11 सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े।
Hebrews 4:12 क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।
Hebrews 4:13 और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।
Hebrews 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से हो कर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे।
Hebrews 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।
Hebrews 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।
एक साल में बाइबल:
- यहेजेकल 40-41
- 2 पतरस 3