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रविवार, 27 जून 2010

वर के लिये सलाह

शादी से पहले कुंवारों की पार्टी देने का रिवाज़ है, जो अधिकांशतः नशे और पियक्कड़पन का अवसर होता है। इस प्रथा का कारण शायद यह विश्वास है कि अब दूलहा शीघ्र ही शादी के बंधन में बंधकर वैवाहित जीवन की नीरस ज़िम्मेदारियों में बंध जायेगा।

कुछ समय पहले मेरे एक भतीजे की शादी होने वाली थी, उसके एक मित्र ने एसी ही पार्टी आयोजित करी, किंतु उसमें साधारण कुंवारों की पार्टी में होने वाली बातों से भिन्नता थी। जिन्हें निमंत्रित किया गया था उन्हें कुछ विचार साथ लेकर आने थे और बांटने थे जिनसे दूल्हे को अपने जीवन में जुड़ने वाले इस नये अध्याय में सहायता मिले।
जब मैं उस अनौपचारिक प्रातः भोज में पहुंचा तो वहां उपस्थित लोगों में परस्पर एक बहुत अच्छे संबंध को पाया। उपस्थित पिता, चाचा-ताऊ, मामा, मित्र सभी बहुत सजीव चर्चा में भाग ले रहे थे। वर और वधु के पिता से अनुरोध किया गया कि जो उन्होंने अपने मसीही वैवाहिक जीवन में सीखा था, उसके आधार पर कुछ कहें। जो कुछ उन्होंने बांटा वह व्यक्तिगत, व्यवाहरिक और बाइबल पर आधारित था।

नीतिवचन की पुस्तक भी इस तरह की शिक्षा के बारे में परमर्श देती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना किया जा सके और अच्छा प्रतिफल पाया जा सके - "हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होंगी" (नीतिवचन १:८, ९)।

अगर और भी नव-विवाहित जोड़े अपनी विवाहित जीवन को ऐसे परामर्श को स्वीकार करने के रवैये के साथ आरंभ करें तो यह परमेश्वर के लिये कितना आदरणीय होगा। - डेनिस फिशर


जो दुसरों के अनुभवों से शिक्षा लेता है वह वास्तव में बुद्धिमान है।


बाइबल पाठ: नीतिवचन १:१-९


हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा - नीतिवचन १:८



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ८-१०
  • प्रेरितों के काम ८:२६-४०