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गुरुवार, 29 मई 2014

एक ही मूल


   बचपन की यादों में मुझे अपने घर का प्रेम और आनन्द से भरा वातावरण स्मरण है। लेकिन मेरे माता-पिता को अकसर काम के लिए बाहर जाना पड़ता था; जब वे बाहर होते थे, तो हमारे घर के उस आनन्द और प्रेम का केंद्र होता था हमारे घर का रसोईघर, जहाँ हमारे घर की तथा हम बच्चों की देखभाल करने वाली छोटे से कद की नौकरानी ऐनी होती थी। मैंने अपने बचपन के कई घंटे ऐनी के साथ रसोई की मेज़ पर किताबें पढ़ते या कुछ खिलौनों से खेलते हुए बिताए थे। हमारी देखभाल करते हुए हमेशा ही वो भक्ति के गीत गुनगुनाती रहती थी; उसके हृदय से बुद्धिमता, प्रसन्न्ता और गीतों की अविरल धारा निकलती रहती थी।

   एक प्रातः बचपने के बचकाना व्यवहार में मैंने बाहर सुना हुआ रंगभेद पर आधारित एक कटाक्ष बोल दिया; तुरंत ऐनी के मूँह से निकला, "अरे रे, यह नहीं!" और फिर उसने हृदय से निकले हुए एक कोमल भाषण द्वारा मुझे समझाया कि कैसे मेरे द्वारा प्रयुक्त वे कटु शब्द हानिकारक हो सकते हैं, दूसरों को दुखित कर सकते हैं। मुझे यह सब समझाते समय उसकी आँखों में गहरी उदासी थी - मैंने वे शब्द अपने जीवन में फिर कभी प्रयोग नहीं करे।

   मैंने सीखा कि हम कट्टरपंथी धर्मांधता के द्वारा कैसे दूसरों को नीचा दिखाकर उनका निरादर करते हैं। मैंने समझा कि प्रत्येक मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है - संसार के अन्य किसी भी प्राणी से बढ़कर मनुष्य ही परमेश्वर के स्वरूप में है, और इसलिए प्रत्येक मनुष्य आदर के योग्य है। परमेश्वर के स्वरूप की रचना को नीचा दिखाना ना केवल उस मनुष्य को गहरी चोट पहुँचाता है वरन परमेश्वर को भी दुखी करता है।

   परमेश्वर के लिए संसार भर में केवल एक जाति है - मनुष्य जाति। परमेश्वर ने "एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं..." (प्रेरितों 17:26)। हम सब मनुष्य एक ही समान एक ही परमेश्वर द्वारा सृजे गए हैं; परमेश्वर हम सब से एक समान ही प्रेम करता है; इसीलिए सभी मनुष्यों के उद्धार के लिए ही परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु को बलिदान होने के लिए संसार में भेजा है। इसलिए हम सभी मनुष्यों का कर्तव्य है कि हम एक दूसरे की देखभाल करें, एक दूसरे का ध्यान रखें और एक दूसरे को आदर दें। - डेविड रोपर


परमेश्वर चाहता है कि हम सभी मनुष्यों को आदर दें; क्योंकि सभी मनुष्य उसी के स्वरूप में बनाए गए हैं।

क्या हम सभों का एक ही पिता नहीं? क्या एक ही परमेश्वर ने हम को उत्पन्न नहीं किया? हम क्यों एक दूसरे का विश्वासघात कर के अपने पूर्वजों की वाचा को तोड़ देते हैं? - मलाकी 2:10

बाइबल पाठ: प्रेरितों 17:22-31
Acts 17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो। 
Acts 17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं। 
Acts 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता। 
Acts 17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है। 
Acts 17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है। 
Acts 17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं! 
Acts 17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं। 
Acts 17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। 
Acts 17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। 
Acts 17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 13-15