ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 25 मार्च 2014

साथ साथ


   घर रहकर व्यवसाय चलाने वाले लाखों लोग हैं। क्योंकि इन लोगों को कहीं बाहर जाकर काम नहीं करना होता, इसलिए इनमें से अनेक को उनका एकाकीपन परेशान करता है। ऐसे लोग, जो यह समझते हैं कि अकेले रह कर कार्य करने की अपेक्षा वे अन्य लोगों की संगति में रह कर बेहतर कार्य कर सकते हैं, उनकी सहायता के लिए, उन्हें एक समुदाय देने के लिए, "सह-कार्य स्थल" बनाए गए हैं। ये स्थल बड़े स्थान होते हैं जहाँ अलग अलग लोगों को उस बड़े स्थान के छोटे छोटे भाग किराए पर दिए जाते हैं और वे वहाँ से अपना व्यवसाय चला सकते हैं। उनके पास कार्य के लिए अपना व्यक्तिगत स्थान भी होता है, कई लोगों का साथ भी तथा आवशयकता पड़ने पर दूसरों के साथ बात-चीत या चर्चा करने की सुविधा भी।

   कभी कभी कुछ मसीही विश्वासियों को लगता है कि वे अकेले रहकर भलि-भांति कार्य कर सकते हैं। लेकिन प्रभु यीशु ने हमें एक साथ रहकर और एक दूसरे के साथ मिल कर कार्य करने के लिए रखा है। प्रभु ने अपनी विश्वासी मण्डली को अपनी देह के समान बताया है वह स्वयं जिसका सिर है और जिसमें हम सभी मसीही विश्वासी देह के भिन्न अंगों के समान हैं (रोमियों 12:5) - सबका अपना अपना स्थान और योगदान है और सब एक दूसरे के पूरक हैं, तथा एक साथ मिलकर ही सुचारू रूप से कार्य कर सकते हैं, अकेले अकेले रहकर नहीं (1 कुरन्थियों 12:27)। हमारा प्रभु चाहता है कि हम सभी सहभागिता में रहें और उसके द्वारा दिए गए आत्मिक वरदानों को हम एक दूसरे की उन्नति के लिए उपयोग करें।

   संभव है कि भिन्न कारणों से कुछ लोग दूसरों के साथ सहभागी हो पाने में असमर्थ हों, जैसे बिमारी के कारण संगति में आना संभव ना हो, अथवा कोई यह नहीं समझ पा रहा हो कि मण्डली में उसका सही स्थान और कार्य क्या है इसलिए दूरियाँ आ गई हों, लेकिन फिर भी वे भी प्रभु यीशु मसीह की उसी एक देह के अभिन्न अंग हैं, और देह की संपूर्णता उनके बिना संभव नहीं है। इसलिए यदि कोई अलग पड़ रहा है या हो गया है तो अन्य लोगों का कर्तव्य है कि अपने उस साथी की सुधि लें, उसे आवश्यक सहायता दें और उसे देह में यथास्थान आदर के साथ बना कर रखें।

   साथ साथ मिलकर रहने और चलने से ही हम मसीही विश्वासी एक दूसरे की उपयोगिता, सहायता और आवश्यकता को समझ सकते हैं, अपने प्रभु के लिए प्रभावी और कार्यकारी हो सकते हैं और प्रभु के निर्देश का निर्वाह कर सकते हैं। हम अकेले नहीं साथ साथ रहकर प्रभु के लिए कार्य करने को बनाए गए हैं। - ऐने सेटास


सहभागिता ना केवल हमें साथ रखती है वरन बढ़ाती भी है।

वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। - रोमियों 12:5

बाइबल पाठ: 1 कुरन्थियों 12:12-27
1 Corinthians 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। 
1 Corinthians 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। 
1 Corinthians 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। 
1 Corinthians 12:15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:17 यदि सारी देह आंख की होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1 Corinthians 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। 
1 Corinthians 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1 Corinthians 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। 
1 Corinthians 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1 Corinthians 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1 Corinthians 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1 Corinthians 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1 Corinthians 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1 Corinthians 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं। 
1 Corinthians 12:27 इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 9-12