ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 14 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – और विज्ञान – 2

 

            पिछले लेख में हमने देखा था कि सृष्टि अपने सृष्टिकर्ता के विरुद्ध गवाही नहीं देगी, उसका इनकार नहीं करेगी। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है: 

·        भजन 19:1-3 — “आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।”

·        यिर्मयाह 10:12 — “उसी [परमेश्वर] ने पृथ्वी को अपनी सामर्थ्य से बनाया, उसने जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया, और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।”

·        रोमियों 1:20 "क्योंकि उस [परमेश्वर] के अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ्य, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।"

साथ ही हमने इस पर भी ध्यान किया था कि बाइबल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिखी गई पुस्तक नहीं है, और इसकी विभिन्न पुस्तकें, जब अपने-अपने समय में लिखी गई थीं, तो साधारण सामान्य लोगों के पढ़ने, सुनने और समझने के लिए लिखी गई थीं, जिनमें से अधिकांश अशिक्षित या बहुत कम शिक्षा-प्राप्त होते थे; तथा विज्ञान जैसा आज है, वैसा उस समय नहीं था। इसलिए, बाइबल में विज्ञान की बातें, न तो वैज्ञानिक शब्दावली में दी गई हैं, और न ही किसी वैज्ञानिक व्याख्या अथवा चर्चा के समान दी गई हैं। वरन उन शिक्षाओं और चर्चाओं में जो उन पुस्तकों में है, ये बातें सामान्य साधारण भाषा में सम्मिलित की गई हैं। आज हम सृष्टि से संबंधित कुछ बातों को देखेंगे, जो बाइबल की पुस्तकों में तो हजारों वर्षों से विद्यमान हैं, किन्तु विज्ञान और वैज्ञानिकों ने उन्हें कुछ सदियों अथवा दशकों पहले जाना है। सृष्टि से संबंधित कुछ वैज्ञानिक तथ्यों को देखते हैं जो बाइबल की पुस्तकों में पहले से विद्यमान हैं:

·        सृष्टि की हर चीज अति-सूक्ष्म कणों से बनी है जो आँखों से नहीं देखे जा सकते हैं, अनदेखे हैं:  - इब्रानियों 11:3 "विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो।"

·        सृष्टि का एक समय पर आरंभ हुआ है: बीसवीं सदी के आरंभ में सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एल्बर्ट आईनस्टाईन के कार्यों के बाद से विज्ञान ने यह स्वीकार करना आरंभ किया कि सृष्टि का किसी समय पर आरंभ हुआ था; जबकि उससे पहले अधिकांश लोग यही मानते थे कि सृष्टि अनन्त काल से चली आ रही है। जबकि बाइबल के पहले ही पद में इस 'आरंभ' को बताया गया है: उत्पत्ति 1:1 "आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।" और , इब्रानियों 1:10 "और यह कि, हे प्रभु, आदि में तू ने पृथ्वी की नेव डाली, और स्वर्ग तेरे हाथों की कारीगरी है।"

·        विज्ञान इस सृष्टि को चार बातों के अंतर्गत व्यक्त करता है – समय (Time), स्थान (Space), पदार्थ (Matter), और ऊर्जा (Energy)। सारी सृष्टि इन्हीं चार बातों से संबंधित नियमों तथा कार्यों और इनके परस्पर सामंजस्य तथा व्यवहार के द्वारा कार्य कर रही है। बाइबल के पहले तीन पद, सृष्टि के साथ इन चारों बातों को बताते हैं: उत्पत्ति 1:1-3 “आदि [समय/Time] में परमेश्वर ने आकाश [स्थान/Space] और पृथ्वी [पदार्थ/Matter] की सृष्टि की। और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला [रौश्नी – ऊर्जा/Energy] हो: तो उजियाला हो गया।”

·        थर्मोडायनमिक्स का प्रथम नियम स्थापित किया गया: समस्त सृष्टि में विद्यमान ऊर्जा और पदार्थ के व्यवहार की व्याख्या करने वाले थर्मोडायनमिक्स के तीन सिद्धांत हैं। इनमें से प्रथम सिद्धांत कहता है कि समस्त सृष्टि में विद्यमान कुल ऊर्जा और पदार्थ के मात्रा स्थाई है – ऊर्जा और मात्र परस्पर परिवर्तित हो सकते हैं, किन्तु उनका कुल योग बढ़ या घट नहीं सकता है। बाइबल की पहली पुस्तक में ही लिख दिया गया था कि परमेश्वर ने सृष्टि की रचना की समाप्ति भी की; और उस समाप्ति के बाद उसमें फिर कभी और कुछ बढ़ाया या घटाया नहीं गया है: उत्पत्ति 2:1-2 “यों आकाश और पृथ्वी और उनकी सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया। और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया। और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया­ इसके बाद से सृष्टि का सारा कार्य उसी प्रथम रचना के समय में सृजे गए पदार्थ (Matter) और ऊर्जा (Energy) के माध्यम से ही हो रहा है।

·        थर्मोडायनमिक्स का द्वितीय नियम स्थापित किया गया: थर्मोडायनमिक्स का द्वितीय नियम है कि सृष्टि की हर वस्तु क्षय होती जा रही है, नष्ट हो रही है, निरंतर घटती, और अव्यवस्थित होती जा रही है (Entropy – deteriorating or running down)। पहले लोगों का मानना था कि सृष्टि अपरिवर्तनीय है। किन्तु अब विज्ञान ने पहचाना है कि ऐसा नहीं है, सारी सृष्टि की हर वस्तु इस दूसरे नियम के अनुसार क्षय होती चली जा रही है (Evolution या क्रमिक विकासवाद इस दूसरे नियम के विरुद्ध है, क्योंकि उसके अनुसार विकासवाद में जीव-जन्तु सुधरते और उन्नत होते चले गए, और अभी भी यही हो रहा है)। किन्तु बाइबल में इस क्षय होने को पहले ही लिख दिया गया था: भजन 102:25-26 “आदि में तू ने पृथ्वी की नेव डाली, और आकाश तेरे हाथों का बनाया हुआ है। वह तो नाश होगा, परन्तु तू बना रहेगा; और वह सब कपड़े के समान पुराना हो जाएगा। तू उसको वस्त्र के समान बदलेगा, और वह तो बदल जाएगा;”; तथा इब्रानियों 1:11-12 “वे तो नाश हो जाएंगे; परन्तु तू बना रहेगा: और वे सब वस्त्र के समान पुराने हो जाएंगेऔर तू उन्हें चादर के समान लपेटेगा, और वे वस्त्र के समान बदल जाएंगे: पर तू वही है और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।”

       साथ ही बाइबल यह भी बताती है कि यह क्षय होना सृष्टि में पाप के प्रवेश के द्वारा हुआ: उत्पत्ति 3:17 “और आदम से उसने कहा, तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है, इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है: तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा” तथा “रोमियों 8:20-22 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई। कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी। क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।”

 

बाइबल पाठ: भजन 89:11-18

भजन 89:11 आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है; जगत और जो कुछ उस में है, उसे तू ही ने स्थिर किया है।

भजन 89:12 उत्तर और दक्खिन को तू ही ने सिरजा; ताबोर और हर्मोन तेरे नाम का जयजयकार करते हैं।

भजन 89:13 तेरी भुजा बलवन्त है; तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है।

भजन 89:14 तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; करुणा और सच्चाई तेरे आगे आगे चलती है।

भजन 89:15 क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहचानता है; हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं,

भजन 89:16 वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं, और तेरे धर्म के कारण महान हो जाते हैं।

भजन 89:17 क्योंकि तू उनके बल की शोभा है, और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊंचा करेगा।

भजन 89:18 क्योंकि हमारी ढाल यहोवा की ओर से है हमारा राजा इस्राएल के पवित्र की ओर से है।।

 

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 89-90
  • रोमियों 14