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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

जन्मदिन


   मुझे जन्मदिन बहुत पसन्द हुआ करते थे। मुझे आज भी याद है कि अपने पाँचवें जन्मदिन के उत्सव के दिन मैं बड़े उत्साह और आनन्द के साथ घर के बरामदे में खड़ा अपने मित्रों के आने की प्रतीक्षा कर रहा था। मैं केवल गुब्बारों, उपहारों और केक को लेकर ही उत्साहित एवं आनन्दित नहीं था; वरन इस बात से भी था कि मैं अब चार वर्ष का नहीं रहा, मैं बड़ा हो रहा हूँ।

   लेकिन जैसे जैसे मेरी आयु बढ़ती गई है, जन्मदिन कई बार उत्साह का नहीं वरन हतोत्साहित होने का कारण हुए। पिछले वर्ष जब मैंने अपना जन्मदिन मनाया, तो वह केवल वर्ष बदलने का ही नहीं वरन दशक बदलने का भी सूचक था। मेरी पत्नि मार्टी ने मुझे उत्साहित करने के लिए स्मरण कराया कि मुझे आयु में बढ़ने के लिए धन्यवादी होना चाहिए; उसने मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल के भजन 71 का ध्यान करवाया, जहाँ भजनकार उसकी सारी उम्र उसके साथ बने रहने वाले परमेश्वर की बात करता है। वो परमेश्वर के विषय स्मरण करता है कि "मैं गर्भ से निकलते ही, तुझ से सम्भाला गया; मुझे मां की कोख से तू ही ने निकाला; इसलिये मैं नित्य तेरी स्तुति करता रहूंगा" (71:6), और वह परमेश्वर के प्रति अपने धन्यवाद की घोषणा करते हुए कहता है, "हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्य कर्मों का प्रचार करता आया हूं" (पद 17)। और अब, जब भजनकार बुज़ुर्ग हो गया है, तो उसे यह आदर मिला है: "इसलिये हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊं और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आने वाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होने वालों को तेरा पराक्रम सुनाऊं" (पद 18)। परमेश्वर ने भजनकार की आयु के प्रत्येक वर्ष को उसके साथ बनी रहने वाली अपनी उपस्थिति से आशीषित किया था।

   अब जन्मदिन मुझे परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को स्मरण करवाते हैं; और यह भी स्मरण करवाते हैं कि जो परमेश्वर इतने सालों से मेरे साथ बना रहा है, मैं उसकी उपस्थिति में जाने और उसके साथ अनन्त आनन्द में निवास करने के और अधिक निकट हो रहा हूँ। - जो स्टोवैल


अपने जीवन की अनेकों आशीषें को जन्मदिन से जन्मदिन तक गिनें।

हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। - भजन 103:1-2

बाइबल पाठ: भजन 71:1-18
Psalms 71:1 हे यहोवा मैं तेरा शरणागत हूं; मेरी आशा कभी टूटने न पाए! 
Psalms 71:2 तू तो धर्मी है, मुझे छुड़ा और मेरा उद्धार कर; मेरी ओर कान लगा, और मेरा उद्धार कर! 
Psalms 71:3 मेरे लिये सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिस में मैं नित्य जा सकूं; तू ने मेरे उद्धार की आज्ञा तो दी है, क्योंकि तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ ठहरा है।
Psalms 71:4 हे मेरे परमेश्वर दुष्ट के, और कुटिल और क्रूर मनुष्य के हाथ से मेरी रक्षा कर। 
Psalms 71:5 क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूं; बचपन से मेरा आधार तू है। 
Psalms 71:6 मैं गर्भ से निकलते ही, तुझ से सम्भाला गया; मुझे मां की कोख से तू ही ने निकाला; इसलिये मैं नित्य तेरी स्तुति करता रहूंगा।
Psalms 71:7 मैं बहुतों के लिये चमत्कार बना हूं; परन्तु तू मेरा दृढ़ शरण स्थान है। 
Psalms 71:8 मेरे मुंह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे। 
Psalms 71:9 बुढ़ापे के समय मेरा त्याग न कर; जब मेरा बल घटे तब मुझ को छोड़ न दे। 
Psalms 71:10 क्योंकि मेरे शत्रु मेरे विषय बातें करते हैं, और जो मेरे प्राण की ताक में हैं, वे आपस में यह सम्मति करते हैं, कि 
Psalms 71:11 परमेश्वर ने उसको छोड़ दिया है; उसका पीछा कर के उसे पकड़ लो, क्योंकि उसका कोई छुड़ाने वाला नहीं।
Psalms 71:12 हे परमेश्वर, मुझ से दूर न रह; हे मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर! 
Psalms 71:13 जो मेरे प्राण के विरोधी हैं, उनकी आशा टूटे और उनका अन्त हो जाए; जो मेरी हानि के अभिलाषी हैं, वे नामधराई और अनादर में गड़ जाएं। 
Psalms 71:14 मैं तो निरन्तर आशा लगाए रहूंगा, और तेरी स्तुति अधिक अधिक करता जाऊंगा। 
Psalms 71:15 मैं अपने मुंह से तेरे धर्म का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूंगा, परन्तु उनका पूरा ब्योरा जाना भी नहीं जाता। 
Psalms 71:16 मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊंगा, मैं केवल तेरे ही धर्म की चर्चा किया करूंगा।
Psalms 71:17 हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्य कर्मों का प्रचार करता आया हूं। 
Psalms 71:18 इसलिये हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊं और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आने वाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होने वालों को तेरा पराक्रम सुनाऊं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 1-3
  • मत्ती 24:1-28