ओवेही
नदी में बड़ी भूरी ट्राउट मछलियाँ शरद ऋतु के आरंभ होने की अपनी अंडे देने की
क्रिया पद्धति आरंभ कर रही हैं। उन्हें छिछले जल में कँकरीली भूमि में घोसले बनाते
और अंडे देते हुए देखा जा सकता है। बुद्धिमान मछुआरे जानते हैं कि मछलियाँ अंडे
देने की तैयारी में हैं, और इन दिनों में वे उन्हें परेशान नहीं करते हैं। वे नदी
के अन्दर उभरे हुए कँकरीली स्थानों पर पैर नहीं रखते हैं जिससे अंडे उनके पाँव तले
दब न जाएँ। जहाँ घोंसले और अंडे होते हैं उसके ठीक ऊपर वे नदी में पाँव घिसटते हुई
नहीं चलते हैं जिससे उनके पांवों और चलने से उठने वाली मिट्टी, घोंसलों और अण्डों पर
बैठकर उन्हें दबा न दे। और वे इन मछलियों को पकड़ते भी नहीं हैं, यद्यपि ऐसा करना
बहुत सरल होता है, जब वे मछलियाँ छिछले पानी में अपने घोंसलों के निकट आराम कर रही
होती हैं।
ये
सभी सावधानियाँ ज़िम्मेदारी के साथ मछली पकड़ने के शिष्टाचार का भाग हैं। किन्तु एक
इससे भी गंभीर और महत्वपूर्ण कारण भी है। परमेश्वर का वचन, बाइबल पवित्रशास्त्र इस
बात पर बल देता है कि परमेश्वर ने हम मनुष्यों को यह पृथ्वी और इसकी वस्तुएँ
प्रदान की हैं (उत्पत्ति 1:28-30)। यह सब हमारे प्रयोग के लिए तो है, किन्तु हमें इन
सब का उनके समान प्रयोग करना है जो इससे प्रेम करते हैं।
मैं
परमेश्वर के हाथों के कामों पर मनन करता हूँ: तीतर का घाटी में बोलना, बारहसिंघे
का अपने झुण्ड में वर्चस्व स्थापित करने के लिए चुनौती देना, दूर मैदान में चरता
हुआ हिरनों का झुण्ड, नदी में मछलियों का तैरना, मादा ऊदबिलाव का अपने बच्चों के
साथ पानी में अटखेलियाँ करना – मुझे यह सब बहुत अच्छा लगता है। मेरे परमेश्वर पिता
ने यह सब मुझे, मेरे प्रति अपने महान
प्रेम के अन्तर्गत, मेरे आनन्द के लिए बना कर दिया है। क्योंकि यह सब मेरे लिए
मेरे पिता के प्रेम का प्रतीक है, इसलिए मैं इन सब से तथा प्रकृत्ति की अन्य बातों
से प्रेम करता हूँ।
और
जैसे मेरा परमेश्वर पिता मेरी देखभाल करता है, क्योंकि वह मुझ से प्रेम करता है;
वैसे ही मैं भी उस सब की देखभाल करता हूँ जिससे मैं प्रेम करता हूँ और जो मेरे
पिता के प्रेम की स्मृति है। - डेविड रोपर
सृष्टि की देखभाल करना, सृष्टिकर्ता के
प्रति आदर का सूचक है।
स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उसने मनुष्यों को दी है। - भजन 115:16
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:26-31
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों,
और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को
अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के
अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के
उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष
दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी
में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों,
और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो।
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा,
सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी
पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के
लिये हैं:
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु,
और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले
जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया
था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन
हो गया।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 45-46
- 1 थिस्सलुनीकियों 3