मुझे संग्रहालयों में जाना वहाँ प्रदर्शित
कलाकृतियाँ देखना अच्छा लगता है। विभिन्न कलाकारों द्वारा बनाई गई वे कलाकृतियाँ
असाधारण तथा स्तब्ध कर देने वाली होती हैं। परन्तु कोई-कोई कलाकृति मुझे उलझन में
डाल देती है, क्योंकि मैं उसे समझ नहीं पाता हूँ। मुझे वह कलाकृति नहीं, चित्रपटल
पर लगाए गए रंगीन धब्बे अधिक प्रतीत होते हैं – यद्यपि कलाकार अपनी कला में माहिर
है, और जो उसने बनाया है वह उस संग्रहालय की साख और गरिमा के अनुसार उत्कृष्ट है, परन्तु
मुझे जो मैं देख रहा हूँ उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाता है।
कभी-कभी यही बात परमेश्वर के वचन बाइबल को
लेकर लोगों के साथ भी होती है। पवित्र-शास्त्र को लेकर लोग अचरज करते हैं, उलझनों
का सामना करते हैं, धारणा रखते हैं कि क्या उसे समझ पाना संभव भी है? बाइबल के साथ
कहाँ और कैसे आरंभ करें? ऐसे में बाइबल में ही प्रेरित पौलुस के द्वारा लिखवाए गए
शब्द हमारा मार्गदर्शन और सहायता करते हैं – “जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की
शान्ति के द्वारा आशा रखें” (रोमियों 15:4)।
परमेश्वर ने हमें अपना वचन, पवित्र-शास्त्र
बाइबल हमारे निर्देश और प्रोत्साहन के लिए दिया है। परमेश्वर ने बाइबल में लिखावाई
गई अपने मन की बातों को समझने में सहायता प्रदान करने के लिए अपने अनुयायियों को
अपना पवित्र-आत्मा भी दिया है “परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह
अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा”
(यूहन्ना 16:13)। एक अन्य स्थान पर इस बात की पुष्टि करते हुए पौलुस ने लिखा: “परन्तु
हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा
पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि
हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं”
(1 कुरिन्थियों 2:12)।
परमेश्वर के पवित्र-आत्मा की सहायता तथा
मार्गदर्शन से, हम मसीही विश्वासी पवित्र-शास्त्र बाइबल को निःसंकोच होकर पढ़ सकते
हैं, इस विश्वास के साथ कि इसके पृष्ठ तथा लेखों के द्वारा परमेश्वर चाहता है कि
हम उसे समझें, निकटता से जानें और उसकी इच्छा के अनुसार चलकर अपने जीवनों को उन्नत
कर सकें, अनन्त काला के लाभ प्राप्त कर सकें। - बिल क्राउडर
बाइबल
को पढ़कर ही उसके लेखक, परमेश्वर, को जाना जा सकता है।
हर
एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और
धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17
बाइबल
पाठ: रोमियों 15:1-6
Romans 15:1 निदान हम बलवानों को चाहिए, कि निर्बलों की
निर्बलताओं को सहें; न कि अपने आप को प्रसन्न करें।
Romans 15:2 हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित
प्रसन्न करे।
Romans 15:3 क्योंकि मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया, पर जैसा लिखा है, कि तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर
आ पड़ी।
Romans 15:4 जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही
शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शान्ति के द्वारा
आशा रखें।
Romans 15:5 और धीरज, और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें
यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो।
Romans 15:6 ताकि तुम एक मन और एक मुंह हो कर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता
परमेश्वर की बड़ाई करो।
एक
साल में बाइबल:
- 2 शमूएल 23-24
- लूका 19:1-27