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सोमवार, 11 अक्टूबर 2010

पठनी और करनी

एक चर्च के पास्टर से उसके चर्च के एक सदस्य ने बड़े गुस्से से पूछा "पास्टर, 'Our Daily Bread' पुस्तिकाएं कहां हैं?" मसीही भक्ति और शिक्षाओं की इन छोटी पुस्तकों का नया संसकरण अभी चर्च के बाहर के हॉल में नहीं रखा गया था, जिसके कारण इस व्यक्ति ने पास्टर से यह दुर्व्यवहार किया, यद्यपि यह पास्टर की ज़िम्मेदारी नहीं थी कि वह इन पुस्तिकाओं को रखे और वितरित करे। उसके इस व्यवहार से पास्टर दुखित हुआ।

जब मुझे इस घटना का पता चला तो परिस्थिति के विरोधाभास से मैं खिन्न हुआ। इन पुस्तिकाओं का उद्देश्य मसीही चरित्र और परमेश्वर के अनुग्रह में लोगों को बढ़ाना है। और जो मसीही विश्वासी इन पुस्तिकाओं को पढ़ते हैं, हम आशा रखते हैं कि वे आत्मिक जीवन की परिपक्वता की ओर अग्रसर हैं, जिससे, जैसे पौलुस कहता है, "इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो" (कुलुस्सियों ३:१२)।

हमारे आत्मिक अनुशासन - परमेश्वर के वचन को और उसके साथ दिये गए सन्देश को पढ़ना, प्रार्थना और आराधना करना, अपने आप में बात का अन्त नहीं होने चाहिये, वरन ये वे माध्यम होने चाहियें जिनके द्वारा हम मसीह की समानता, परमेश्वर की निकटता और आत्मिक जीवन की परिपक्वता में बढ़ते जाते हैं। हम केवल वचन पढ़ने वाले न हों वरन " मसीह के वचन को अपके हृदय में अधिकाई से बसने दो" (कुलुस्सियों ३:१६) और यह वचन हमारे जीवन के हर पहलु और हमारे व्यवहार में संसार को दिखाई दे। - डेव ब्रैनन


बाइबल पढ़ना का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जित करना नहीं है, उसका वास्तविक उद्देश्य हमारे मन का परमेश्वर की ओर परिवर्तन है।

इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। - कुलुस्सियों ३:१२


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१२-१७

इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
मसीह के वचन को अपने ह्रृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३७, ३८
  • कुलुस्सियों ३